ज्योतिष और द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की हैसियत सनातन (हिंदू) धर्म में धर्म सम्राट की है। हालांकि, देश के अलावा दुनिया में भी उनके शिष्यों की संख्या लाखों में है, लेकिन उन्हें वैसी तरजीह नहीं मिलती, जिसके वे हकदार हैं। उनकी साफगोई की वजह से उन्हें विवादों में घसीटने की भी कोशिश की जाती है। हालांकि, कभी कभी स्वरूपानंद स्वयं विवादित बयान देते हैं। ऐसे लोगों की तादाद भी कम नहीं है, जो उन्हें कांग्रेसी शंकराचार्य कहते हैं। साईं बाबा को लेकर वे जो बयान देते हैं, वह भी विवाद की वजह बनते हैं। इन सभी विषयों पर मध्य प्रदेश के पत्रकार राजेन्द्र चतुर्वेदी ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपापंद सरस्वती ने विस्तार से बात की। प्रस्तुत हैं, उसी चर्चा के संपादित अंश.. ..।
-स्वामीजी, गंगा की रक्षा के लिए लंबे समय तक अनशन पर बैठे प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
-प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के पास गंगा को बचाने के लिए एक पूरी कार्ययोजना थी। वह आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर थे और उच्चकोटि के पर्यावरणविद, इसलिए उनकी योजना पर गौर किया जाना चाहिए था। उनसे बात की जानी चाहिए थी, लेकिन उनसे किसी सत्ताधारी ने बात नहीं की। प्रोफेसर अग्रवाल की मौत के लिए जिम्मेदार भी वही हैं, जिन्होंने उनसे बात नहीं की।
-अग्रवाल सम्मेलन नाम की संस्था का आरोप है कि प्रोफेसर की हत्या कराई गई है?
-प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को अनशन स्थल से जबरन उठाकर ऋषिकेश के ही एम्स में भर्ती कराया गया। यह काम ऋषिकेश के जिला प्रशासन ने किया था। जिन लोगों ने उन्हें अनशन स्थल से उठाया, उनकी जिम्मेदारी थी कि वे प्रोफेसर अग्रवाल की रक्षा करते, लेकिन जब वे अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पाए, तो उन पर आरोप लगेगा ही।
-मतलब, आप मानते हैं कि आरोप सही है?
-प्रोफेसर अग्रवाल से बात करने के लिए केंद्र या उत्तराखंड सरकार का कोई प्रतिनिधि भले ही नहीं गया, लेकिन ये दोनों सरकारें उनके अनशन के कारण परेशान थीं। अग्रवाल 111 दिन तक अनशन पर बैठे रहे। सरकारों को उम्मीद रही होगी कि वे अपना अनशन समाप्त कर देंगे, लेकिन जब नहीं किया, तो उन्हें अनशन स्थल से उठवाकर हो सकता है कि कोई शरारत कर दी गई हो। मैं किसी भी आशंका को खारिज नहीं कर सकता।
-गंगा की सफाई के लिए केंद्र सरकार नमामि गंगे योजना चला रही है, आप उसके काम से संतुष्ट हैं?
-वाराणसी जाकर देखो, तो पता चलेगा कि गंगा पहले से भी ज्यादा प्रदूषित हो गई है। फ्रांस के राष्ट्रपति भारत आए, तो हमारे प्रधानमंत्री जी ने वाराणसी में नाव में गंगा में उनके साथ सैर की। लेकिन जो गंदा पानी गंगा में गिरता है, उसके स्रोतों को सजावट करने के बहाने ढंक दिया गया, ताकि फ्रांसीसी राष्ट्रपति को गंगा की सफाई का भ्रम हो जाए। जैसा चकमा उन्हें दिया गया, वैसा ही पूरे देश को दिया जा रहा है। नमामि गंगे योजना गंगा सफाई का भ्रम फैलाने का जरिया बन गई है।
-लगता है कि आप मोदी सरकार से बहुत नाराज हैं? मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार से भी आप नाराज होंगे?
-नहीं, मैं किसी से नाराज नहीं हूं। लेकिन मैंने यहां गोटेगांव में करोड़ों रुपये खर्च करके अस्पताल बनवाया था। उसे न तो मुझे शुरू करने दिया जा रहा है, न प्रदेश सरकार ही शुरू कर रही है। अगर यह अस्पताल प्रारंभ हो जाता, तो इस इलाके के लाखों लोगों को फायदा होता। लेकिन अच्छी-खासी इमारत नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। न सरकार खुद कुछ कर रही है, न मुझे करने दे रही है।
-मध्य प्रदेश में चुनाव की सरगर्मियां प्रारंभ हो गई हैं। आप किस पार्टी की जीत देखना चाहते हैं?
-मुझे किसी की हार जीत से कोई मतलब नहीं है। मैं यह चाहता हूं कि जनता वर्तमान सरकार का पुराना घोषणा पत्र देखें। देखें कि उसमें किए गए वादे क्या पूरे हुए हैं? अगर उसमें किए गए वादे पूरे नहीं हुए, तो इस बार जो घोषणा पत्र आएगा, उसके वादे कैसे पूरे होंगे? बस यही कहना चाहूंगा कि जनता सोच-समझकर मतदान करे।
-स्वामी जी, शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने अब तक कैसा काम किया?
-उसमें कुछ भी उल्लेखनीय नहीं है।
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?
-केवल झूठ बोलना। झूठ बोलने के अलावा उन्होंने अब तक तो कुछ भी नहीं किया। हां, देश को नुकसान पहुंचाने वाले काम बहुत से किए हैं। नोटबंदी ने उन लोगों को सड़क पर खड़ा कर दिया, जिन लोगों के पास रोजगार थे। जीएसटी ने छोटे व्यापारियों को नुकसान पहुंचाया। सीमा पर जवान सुरक्षित नहीं हैं, खेतों में किसान सुरक्षित नहीं हैं। माल्या और नीरव मोदी जैसे लोगों ने बैंकों को बर्बाद कर दिया है। बेरोजगारी बढ़ रही है।
-इसीलिए तो कुछ लोग आपको कांग्रेसी शंकराचार्य कहते हैं?
-भाई, मैं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहा हूं। उस समय तो कांग्रेस के अलावा और कोई था ही नहीं। अंग्रेजों के खिलाफ मैंने जो भी किया, वह कांग्रेस का झंडा लेकर ही किया। यदि इसके लिए मुझे कांग्रेसी कहा जाता है, तो मुझे इस पर गर्व है। बाकी तो मैं शंकराचार्य हूं और शंकराचार्य किसी पार्टी का नहीं होता। वह पूरे सनातन समाज का होता है, पूरी मानव जाति का होता है।
-स्वतंत्रता संग्राम जब चल रहा था, उस समय आरएसएस तो था?
-था, लेकिन देश की आजादी में उसका कोई योगदान नहीं है।
-आरएसएस वाले तो कहते हैं कि उनका आजादी के आंदोलन में योगदान था, लेकिन वामपंथी इतिहासकारों ने उसकी चर्चा नहीं की?
-वे लोग गलत कहते हैं। आजादी की लड़ाई कई-कई तरीके से लड़ी गई। कोई जेल गया, कोई फांसी पर चढ़ गया। किसी ने अंग्रेजों के खिलाफ किताबें लिखीं, किसी ने लेख लिखे। आरएसएस के कितने लोग जेल गए? कितने लोग फांसी पर चढ़े? अगर उसके किसी विचारक ने अंग्रेजों के खिलाफ कहीं एक शब्द भी लिखा हो, तो उसे देश के सामने रखा जाए। लेकिन ये लोग कुछ नहीं बता पाएंगे, जब कुछ किया ही नहीं, तो बताएंगे क्या?
-आप हिंदू धर्म के सबसे बड़े संत हैं और आरएसएस हिंदुओं का सबसे बड़ा संगठन। आप दोनों की पटरी क्यों नहीं बैठती?
-आरएसएस को हिंदू धर्म की समझ ही नहीं है। मैंने कहा कि साईं कोई भगवान नहीं है, वह प्रेत है, हिंदुओं को उसकी पूजा नहीं करनी चाहिए। इस पर आरएसएस के भैयाजी जोशी ने कहा कि आरएसएस के कई स्वयंसेवक साईं की पूजा करते हैं। अरे भाई, स्वयंसेवक अगर किसी की पूजा करने लगेंगे, तो क्या वह भगवान हो जाएगा? आपने शाखाओं में अपने स्वयंसेवकों को क्यों नहीं बताया कि साईं प्रेत है, उसकी पूजा मत करना, भगवान की पूजा करना। ये लोग साईं की पूजा करते हैं और बात राम मंदिर की करते हैं। मोहन भागवत का कहना है कि हिंदुओं में विवाह एक अनुबंध होता है। भागवत यह भी नहीं जानते कि हिंदू धर्म में विवाह सात जन्मों का बंधन होता है और बात हिंदुत्व की करते हैं। ये हिंदुत्व के बारे में कुछ नहीं जानते।
-आप किसी पर भी आरोप लगा देते हैं, जबकि आप पर भी आरोप है कि आपका यह आश्रम पहाड़ी पर कब्जा करके बनाया गया है?
-मैं किसी पर गलत आरोप नहीं लगा सकता। अगर मैंने किसी के बारे में कुछ कहा है, तो आओ, तथ्य से, तर्क से और शास्त्रों के प्रमाण से उसे गलत साबित करो। मैं तो हमेशा संवाद के लिए तैयार रहता हूं। रही बात पहाड़ी पर कब्जा करने की, तो यह पहाड़ी मैंने लीज पर ली है। अगर मैं गलत होता, तो ये लोग जेल में डाल देते। ये लोग पहाड़ी पर कब्जा करने का आरोप इसलिए लगाते हैं, ताकि मेरी छवि खराब हो। ये नहीं जानते कि मैं शंकराचार्य हूं, मेरी कोई छवि नहीं है। मैं अपना धर्म ठीक से निभा रहा हूं। मैं आप लोगों से प्राप्त भिक्षा का भोजन ग्रहण करता हूं।
- राजेन्द्र चतुर्वेदी