ईश्वर दुबे
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Bhilai
कंबोडिया। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन सेन के बीच 19वीं ASEAN-भारत द्विपक्षीय शिखर बैठक हुई। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन की उपस्थिति में नोम पेन्ह में चार समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान हुआ।
कंबोडिया के नोम पेन्ह में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, 'अनादि काल से भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच मौजूद सांस्कृतिक, आर्थिक और सभ्यतागत संबंधों ने आधुनिक समय में हमारी साझेदारी बनाने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है। 'नोम पेन्ह में आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा, 'आज के अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य में हमें अपने सहयोग का विस्तार करने और अपने सामरिक विश्वास को गहरा करने की आवश्यकता है। हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी को इसके लिए एक रास्ता प्रदान करना होगा।'
उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ यहां जीर्णोद्धार किये गये ताप्रोह्म (बाबा ब्रह्मा) मंदिर का उद्घाटन करेंगे। धनखड़ कंबोडिया में आयोजित भारत आसियान और भारत पूर्व एशिया शिखर बैठक के सिलसिले में गुरुवार शाम को नामपेन्ह पहुंचे। ये बैठकें नाम पेन्ह में आयोजित आसियान शिखर बैठक के साथ ही आयोजित की जा रही हैं।
भारत और अमेरिका ने वैश्विक स्तर पर ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता जाहिर की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन के बीच शुक्रवार को इकोनामिक फाइनेंशियल पार्टनरशिप (EFP) की 9वीं बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देश वित्तीय आतंक, मनी लांड्रिंग और देश से बाहर होने वाली टैक्स चोरी को रोकने के लिए आपसी सहयोग को प्रोत्साहित करेंगे।
G-20 की अध्यक्षता का अमेरिका ने किया स्वागत
अमेरिका ने जी-20 समूह की भारत की आगामी अध्यक्षता का भी स्वागत किया और कहा कि भारत की अध्यक्षता में कई प्रमुख वैश्विक चुनौतियों को लेकर जी-20 की बैठक में गंभीर चर्चा होगी। बैठक से पूर्व वित्त मंत्री सीतारमण ने एक भरोसेमंद साझेदार के तौर पर भारत का अमेरिका के साथ रिश्ते को मूल्यवान करार देते हुए कहा कि वर्ष 2021 में दोनों देशों के बीच होने वाला कारोबार 100 अरब डालर को पार कर गया। पिछले 12 सालों में भारत और अमेरिका के बीच रक्षा व्यापार जीरो से 20 अरब डालर के स्तर तक चला गया है।
सीतारमण ने अमेरिकी वित्त मंत्री से यह भी कहा कि तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास पर असर नहीं पड़ा है और भारत वैश्विक अंधकार के बीच एक चमकता स्थान बनकर उभरा है। दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के उपाय को लेकर वित्तीय व्यवस्था पर भी गंभीर चर्चा की। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी वित्तीय व्यवस्था में विकसित देशों द्वारा वर्ष 2025 तक हर साल 100 अरब डालर जुटाने के मुद्दे पर भी दोनों देशों ने चर्चा की।
कर्ज घटाने में भारत की भूमिका अहम - अमेरिका
भारत के दौरे पर आई अमेरिका की वित्त मंत्री (ट्रेजरी सेक्रेटरी) जेनेट एल येलेन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात से पहले अमेरिकी कंपनी माइक्रोसाफ्ट के नोएडा स्थित कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में भी शिरकत की। इस कार्यक्रम में भी उन्होंने भारत-अमेरिकी रिश्तों पर ही बात की। उन्होंने अपने भाषण के जरिये रूस और चीन पर भी निशाना साधा।
वाशिंगटन । अमेरिकी की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी के पांच भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और एमी बेरा ने मध्यावधि चुनाव में जीत दर्ज कर अमेरिकी की प्रतिनिधि सभा में अपनी जगह बना ली है। कई भारतीय-अमेरिकियों ने राज्य विधायिका चुनाव में भी जीत दर्ज की। भारतीय-अमेरिकी उद्यमी एवं राजनेता श्री थानेदार मिशिगन से कांग्रेस के लिए चुनाव जीतने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बने। उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार मार्टेल बिविंग्स को मात दी। थानेदार (67) अभी मिशिगन के तीसरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इलिनॉयस के आठवें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में राजा कृष्णमूर्ति (49) ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की। उन्होंने रिपब्लिकन के क्रिस डार्गिस को मात दी। कैलिफोर्निया के 17वें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में भारतीय-अमेरिकी रो खन्ना (46) ने रिपब्लिकन के रितेश टंडन को मात दी। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में इकलौती भारतीय-अमेरिकी सांसद प्रमिला जयपाल (57) ने रिपब्लिकन के क्लिफ मून को वाशिंगटन के सातवें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में मात दी।
कांग्रेस में सबसे लंबे समय तक सेवाएं दे रहे एमी बेरा (57) ने कैलिफोर्निया के सातवें कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में रिपब्लिकन की टामिका हैमल्टन को मात दी। राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल और एमी बेरा पिछले सदन का भी हिस्सा थे। राज्य विधायीकाओं में भी भारतीय-अमेरिकियों ने जीत दर्ज की। मेरीलैंड में अरुणा मिलर (58) ने जीत दर्ज की और लेफ्टिनेंट गवर्नर पद पर काबिज होने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी राजनेता बनीं।
हालांकि भारतीय-अमेरिकी संदीप श्रीवास्तव को टेक्सास के तीसरे कांग्रेसनल डिस्ट्रिक्ट में कीथ सेल्फ के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी उम्मीदवारों की जीत छोटे जातीय समुदाय की बढ़ती महत्वकांक्षाओं को दर्शाती है, जो अमेरिका की करीब 33.19 करोड़ की आबादी का सिर्फ एक प्रतिशत हैं। मध्यावधि चुनाव से पहले डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों दलों ने भारतीय-अमेरिकियों को लुभाने की कोशिश की थी।
अंकारा । तुर्की के राष्ट्रपति रेचपे तैय्यप अर्दोआन देश में इस्लामिक मूल्यों को बढ़ावा देने की बात करते हैं। एर्दोआन की मुहिम के बीच, तुर्की में एक बस चालक के नमाज पढ़ने के लिए बस नहीं रोकने पर घमासान मचा हुआ है। एक बस चालक ने नमाज पढ़ने के लिए बस रोकने से इनकार कर दिया था जिसके बाद यात्री ने इसकी शिकायत की। शिकायत को लेकर कंपनी की ओर से दी गई सफाई से देश में धर्मनिरपेक्षता को लेकर बहस छिड़ गई है। कंपनी ने यात्री की शिकायत पर सफाई देकर कहा है कि कोई भी नागरिक तुर्की के संविधान में मिले अधिकारों का इस्तेमाल देश के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का उल्लंघन करने के लिए नहीं कर सकता है। कंपनी का बयान वायरल होते ही तुर्की में फिर से धर्मनिरपेक्षता को लेकर चर्चा तेज है।
तुर्की एक मात्र ऐसा देश है, जो मुस्लिम बहुल होते हुए भी धर्मनिरपेक्ष है। लेकिन अर्दोआन के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही वह तुर्की को इस्लामिक देश बनाने की राह पर है। अर्दोआन हमेशा इस्लाम और मु्स्लिमों के अधिकार को धर्मनिरपेक्षता के ऊपर रखते हैं। अर्दोआन के शासनकाल में ही साल 2020 में तुर्की में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल रहे हागिया सोफिया म्यूजियम को मस्जिद में बदलने का फैसला लिया गया था।
कंपनी ने कहा है कि बस ईरान की सीमा के पास वैन क्षेत्र से पश्चिमी तुर्की के एजियन तट की ओर जा रही थी। सफर को तय करने में 24 घंटे से अधिक समय लगाता हैं। हमें जानबूझकर निशाना बनाते हुए धर्मनिरपेक्षता के विवाद में घसीटा जा रहा है। हम सभी की भावनाओं और मान्यताओं का सम्मान करते हैं।
कंपनी का कहना है कि इस्लाम हमें इतनी छूट देता है कि हम अपने हिसाब से नमाज पढ़ने के समय और उसकी अवधि में बदलाव कर सकें। कंपनी वकील ने सफाई देकर कहा है कि हमें एक प्रोपेगैंडा के तहत टारगेट किया जा रहा है कि हम लोगों को नमाज पढ़ने से रोक रहे थे। जबकि यात्री उस वक्त नमाज पढ़ सकता था जब बस एक सराय के पास रुकी थी। कंपनी का कहना है कि धर्मनिरपेक्ष का अर्थ यह नहीं है कि हम धार्मिक नहीं है। धर्मनिरपेक्षता में मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा भी आती है।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने अपने ‘हकीकी (असली) आजादी मार्च’ यानी लॉन्ग मार्च को दो हिस्सों में बांटने के बाद फिर से शुरू कर दिया है।पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई के मुखिया इमरान खान पैर में गोली लगने के बाद फिलहाल पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं,लेकिन उनका सरकार के खिलाफ तेवर और आक्रामक रूप से सामने आ रहा है।मार्च दोबारा शुरू करने से पहले उन्होंने ट्वीट करके समर्थकों से कहा है कि वह अब रास्ते में आने वाली सारी रुकावटों को हटा दें और सरकार को बता दें कि हम उनके हमलों के आगे झुकने या डरने वालों में नहीं हैं।
समझा जाता है कि मार्च को दो हिस्सों में करने का फैसला लेने के पीछे पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान का मकसद लॉन्ग मार्च को लेकर सरकार को भ्रम में डाले रखना है।पिछले हफ्ते वजीराबाद में इमरान खान पर हुए हमले के बाद इस मार्च को रोक दिया गया था।उसके बाद इसे मंगलवार से दोबारा शुरू करने की घोषणा की गई थी,लेकिन बाद में इसे दो दिन के लिए टाल दिया गया था। पीटीआई ने कहा कि अब मार्च दो हिस्सों में आगे बढ़ेगा।
पीटीआई के एलान के मुताबिक वजीराबाद से आगे बढ़ने वाले मार्च के एक हिस्से का नेतृत्व पार्टी उपाध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कर रहे हैं।मार्च के दूसरे हिस्से की शुरुआत शुक्रवार को टोबा टेक सिंह से हो गई है।यह मार्च झांग होते हुए पहले फैसलाबाद जाएगा। उसके आगे यह चकवाल पहुंचेगा,जहां दोनों दिशाओं से आ रहे मार्च मिल जाएंगे।फिर ये कारवां रावलपिंडी जाएगा।
पीटीआई नेता फव्वाद चौधरी ने बताया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान अब सीधे रावलपिंडी पहुंचेंगे और वहां से मार्च का नेतृत्व संभालेंगे। लेकिन पार्टी ने यह नहीं बताया है कि मार्च रावलपिंडी कब पहुंचेगा और वहां से इस्लामाबाद के लिए कब कूच करेगा। इसके पहले पार्टी ने कहा था कि वह मार्च के असली कार्यक्रम के बारे में सरकार को अंधेरे में रखेगी। इसके लिए मार्च के रूट और समय के बारे में बार-बार बदलाव किया जाएगा।
इस बीच सेना और सरकार पर दबाव बनाए रखने की रणनीति के तहत इमरान खान ने दावा किया है कि उन पर हुए हमले की साजिश में सेना का एक और अधिकारी शामिल था। इसके पहले वे इल्जाम लगा चुके हैं कि सेना के काउंटर इंटेलिजेंस विभाग के प्रमुख मेजर जनरल फैसल नसीर इस साजिश में शामिल थे। इमरान खान ने हमले के एक दिन बाद ही वजीराबाद में हुई फायरिंग के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और गृह मंत्री राना सनाउल्लाह के अलावा मे.ज. नसीर को भी दोषी ठहराया था।अब उन्होंने कहा है कि सेना का दूसरा अफसर खुद कंट्रोल रूम से हमले को निर्देशित कर रहा था,जिसका नाम वे जल्द ही बताएंगे। इस हमले में इमरान खान के पांव में कम से कम तीन गोलियां लगी थीं, जिससे उनके दाएं पांव की हट्टी टूट गई है।
शरीफ सरकार और सेना ने इमरान खान के आरोपों का लगातार खंडन किया है। इसके बावजूद इमरान लगातार अपने आरोप को दोहरा रहे हैं। बुधवार को टर्की के टीवी चैनल टीआरटी को दिए इंटरव्यू में इमरान खान ने संकेतों में कहा कि मौजूदा राजनीतिक विवाद में सेना निष्पक्ष भूमिका नहीं निभा रही है। उन्होंने क्रिकेट में न्यूट्रल अंपायरों का जिक्र करते संकेतों में हुए कहा कि सेना को वैसी ही भूमिका निभानी चाहिए।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इमरान खान सेना के अफसरों पर लगातार निशाना साध ‘एस्टेब्लिशमेंट’ को बचाव की मुद्रा में बने रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। पाकिस्तान में सेना और खुफिया तंत्र को एस्टेब्लिशमेंट के नाम से जाना जाता है। अकसर माना जाता है कि देश की असल सत्ता उनके ही हाथ में है। बीते अप्रैल में देश में सरकार बदलने की घटना के पीछे भी एस्टेब्लिशमेंट का हाथ माना गया था। तब से इमरान खान उसे खुली चुनौती देने की रणनीति पर चल रहे हैं।
मैक्सिको के गुआनाग्वाटो में गोलीबारी की बड़ी वारदात हुई है।स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक,यहां के एक बार में हुई गोलीबारी में नौ लोगों की मौत हो गई तो दो लोग घायल हुए हैं।घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।अधिकारियों का कहना है कि गुआनाग्वाटो इन दिनों कार्टेल हिंसा से पीड़ित है।यहां ड्रग माफियाओं के बीच आपसी विवाद के मामले बढ़ गए हैं।
वाशिंगटन| रिपब्लिकन पार्टी ने 210 सीटों पर जीत हासिल की है और डेमोक्रेट्स की कम संख्या के कारण वह प्रतिनिधि सभा में फिर से कब्जा करने के लिए तैयार दिख रही है, डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और कई मीडिया आउटलेट्स को नियंत्रित करने वाले दक्षिणपंथी अरबपति रूपर्ट मर्डोक पूर्व राष्ट्रपति के चुने हुए उम्मीदवारों के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जीओपी को उनसे आगे बढ़ने के लिए कह रहे हैं।
सीनेट हालांकि रिपब्लिकन और डेमोक्रेट 48 सीटों पर सीटों को विभाजित करते हुए दिखाई देते हैं और ऊपरी सदन को नियंत्रित करने के लिए और तीन सीटों की जरूरत है, क्योंकि कुछ राज्य टॉसअप के लिए कभी भी निकटतम दौड़ देख रहे हैं।
ट्रंप न्यूयॉर्क पोस्ट को अपने पसंदीदा अखबार के रूप में संदर्भित करते थे, क्योंकि मर्डोक ने हमेशा उनका समर्थन किया था, लेकिन घटनाओं के एक नाटकीय मोड़ में पिछले दो दिनों में पोस्ट की लगातार दो सुर्खियां ट्रंप के खिलाफ हो गई हैं। पोस्ट ने फ्लोरिडा में गवर्नर रॉन डेसेंटिस की शानदार जीत को कवर पेज पर 'डी फ्यूचर' शीर्षक के साथ दिखाया, जिसका अर्थ है कि वह 2024 के राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी का भविष्य थे।
पोस्ट में दूसरा नकारात्मक शीर्षक ट्रंप को एक ईंट की दीवार पर बैठे और हम्प्टी डम्प्टी की नर्सरी कविता में से एक को याद दिलाने के लिए ट्रिपिंग को दर्शाता है और शीर्षक को उचित रूप से 'ट्रम्पिटी डम्पिटी' शीर्षक दिया गया है, जो दर्शाता है कि ट्रंप जीओपी के भीतर अनुग्रह से गिर रहे थे। मेहमत ओज के लिए पेंसिल्वेनिया से आने वाली सबसे बुरी हार और मिशिगन में डेमोक्रेट्स के रास्ते जाने वाली दो प्रमुख गवर्नर और अटॉर्नी जनरल सीटों के साथ उनके उम्मीदवार डेमोक्रेट के लिए दौड़ हार गए।
मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि फॉक्स न्यूज, द न्यूयॉर्क पोस्ट और द वॉल स्ट्रीट जर्नल सहित मडरेक के आउटलेट फ्लोरिडा के गवर्नर डेसेंटिस को पार्टी के भविष्य के रूप में बढ़ावा देते हुए सचमुच ट्रंप के खिलाफ हो गए हैं।
मालदीव की राजधानी माले की एक इमारत में भीषण आग लगने की खबर है।बताया जा रहा है कि इस दर्दनाक हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई, जिनमें नौ भारतीय शामिल हैं।इसके अलावा कई लोग बुरी तरह घायल हो गए हैं।
ऐसे हुआ हादसा
अधिकारियों ने बताया कि इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित कार गैराज में भीषण आग लग गई।मामले की जानकारी मिलने के बाद फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं और करीब चार घंटे बाद आग पर काबू पाया गया।बताया जा रहा है कि जांच के दौरान ऊपरी मंजिल पर 10 लोगों के शव मिले, जिनमें नौ भारतीय और एक बांग्लादेशी है।
वाशिंगटन । दुनिया कितनी मतलबी और स्वार्थी है, इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता हैं, कि कोरोना काल में पूरी दुनिया में 10 लाख से अधिक लोगों की मौत केवल वैक्सीन की जमाखोरी की वजह से हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना के दौरान अधिक से अधिक वैक्सीन अपने पास रखने की देशों के लालच की वजह से करीब 13 लाख लोगों की अनावश्यक मौत हुई है, जबकि अमीर देशों ने बाद में बचे हुए वैक्सीन को बर्बाद ही किया या फिर वे एक्स्पायर हुए। रिपोर्ट में कहा गया है, अगर अमीर देश वैक्सीन की दूसरे देशों के साथ शेयरिंग पर ध्यान देते तब इन मौतों का आंकड़ा कम हो सकता था और कोरोना के नए वैरिएंट भी नहीं पनपते।
नए शोध में इसका दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन के मामले में कुछ देशों ने इंसान की जिंदगी से अधिक अपने फायदे को तवज्जो दी, जिसका नतीजा यह हुआ कि पूरी दुनिया में 1.3 मिलियन (करीब13 लाख) लोग अनावश्यक रूप से काल की गाल में समा गए, वहीं 300 मिलियन यानी 30 करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हुए। शोध में दावा किया गया है कि अमीर देशों ने कोरोना वैक्सीन की जमाखोरी की, इतना ही नहीं, उस बर्बाद होने और पूरी दुनिया में कोरोना का तांडव मचने दिया और इस तरह रोकी जाने वाली मौतों को होने दिया। इतना ही नहीं, कोरोना काल को लंबा करने और उसके सब वैरिएंट के फैलने में भी अपने फायदे के लिए अमीर देशों का योगदान है।
152 विभिन्न देशों के गणितीय मॉडल का उपयोग कर महामारी की शुरुआत से 2021 के अंत तक कोरोना वैक्सीन वितरण में अंतर को रेखांकित किया है। एक्सपर्ट टीम ने अपने शोध में पाया कि वैक्सीन के वितरण में काफी भिन्नता थी। कुछ देशों के 90 फीसदी से अधिक वयस्कों ने वैक्सीन ले लिया था, जबकि कुछ देश में महज 0.9 फीसदी लोगों को ही टीका लग पाया था। शोध में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन के वितरण में जरूरत से अधिक धन को तरजीह दी गई। शोध में यह स्पष्ट तौर पर पाया कि भविष्य में आवश्यकता के बजाय धन के अनुपात में वैक्सीन का वितरण सभी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इस तरह के वितरण के न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी गंभीर परिणाम पड़ते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में अनुमानित लगभग 630 मिलियन कोरोना संक्रमण के केस आए हैं और 6.5 मिलियन से अधिक मौतें हुई हैं। डब्ल्यूएचओ की मानें तब करीब 12.8 बिलियन वैक्सीन खुराक लोगों को लगाई गई हैं, लेकिन यह कोरोना को बढ़ने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। पूरी दुनिया में कोरोना काल में वैक्सीन के लिए हाहाकार मचा था। ज्यादातर गरीब देशों में समय पर वैक्सीन इसलिए नहीं पहुंची, क्योंकि उनके पास पैसे नहीं थे।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कई देश वैक्सीन का खर्च उठाने में सक्षम नहीं थे। इतना ही नहीं, वैक्सीन प्राप्त करने की राह में बौद्धिक संपदा कानून और पेटेंट भी एक बड़ी बाधा थी, जिसकी वजह से बहुत से गरीब देशों में वैक्सीन के अभाव में लोग कोरोना से मरते गए और इससे संक्रमित होते चले गए।
लंदन । ब्रिटेन में बिल्ली का एक ऐसा बच्चा पाया गया है, जो न तो नर है और न ही मादा। यह दुनिया में अबतक का पहला मामला है, इसलिए पशु चिकित्सक भी हैरान हैं और उस पर निगरानी रख रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, बिल्ली के बच्चे में कोई आंतरिक या बाहरी यौन अंग नहीं है। हालांकि, इसे मादा के रूप में ही मान्यता दी गई थी, क्योंकि वॉरिंगटन में कैट्स प्रोटेक्शन रेस्क्यू सेंटर द्वारा इसे रख लिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह सफेद बिल्ली का बच्चा महज 15 सप्ताह का है। इसका नाम टैबी है। कैट्स प्रोटेक्शन के वरिष्ठ पशु चिकित्स्क अधिकारी फियोना ब्रॉकबैंक ने इसे ऐजनेसिस का मामला बताया है, जब कोई अंग पूर्ण रूप से अनुपस्थिति हो या किसी अंग के भीतर विशिष्ट कोशिकाओं की कमी हो तब उसे ऐजनेसिस कहा जाता है।
ब्रॉकबैंक ने इस स्थिति के बारे में आगे बताते हुए कहा कि कुछ एक्टोपिक ओवेरियन टिश्यू के अंदर छिपे हो सकते हैं, लेकिन यह बेहद असंभव है। यह इतना दुर्लभ है कि इस स्थिति के लिए वास्तव में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला कोई शब्द नहीं है, हमने और हमारे सहयोगियों ने ऐसा पहले कभी नहीं देखा है।
इस हालत के बावजूद, बिल्ली का बच्चा स्वस्थ है और अब कैट्स प्रोटेक्शन टाइनसाइड एडॉप्शन सेंटर में फिर से रहने जा रहा है। कैट्स प्रोटेक्शन के इंस्टाग्राम पेज ने बिल्ली की खूबसूरत तस्वीर को भी साझा किया है, जिसे यूजर्स खूब पसंद कर रहे हैं। केंद्र के प्रबंधक बेनी बेनस्टेड ने कहा कि बिल्ली का बच्चा अच्छी देखभाल और प्रसन्न रहने के लिए है।
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 नवंबर को तेलंगाना के रामागुंडम में उर्वरक संयंत्र का उद्घाटन करेंगे। भारत में उर्वरक उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक और कदम है। रामागुंडम परियोजना की आधारशिला भी 7 अगस्त 2016 को प्रधानमंत्री द्वारा ही रखी गई थी। देश भर में उर्वरक संयंत्रों के पुनरुद्धार के पीछे उद्देश्य यूरिया के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। दिसंबर 2021 में, प्रधानमंत्री ने गोरखपुर उर्वरक संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया था, जिसकी आधारशिला भी उनके द्वारा 22 जुलाई, 2016 को रखी गई थी। यह संयंत्र 30 से अधिक वर्षों से बंद पड़ा हुआ था, इसे पुनर्जीवित किया गया और लगभग 8600 करोड़ की लागत से बनाया गया।
पिछले महीने अक्टूबर में हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) के बरौनी प्लांट ने भी यूरिया का उत्पादन शुरू किया था। 8,300 करोड़ की लगात से शुरू हुए इस संयंत्र की 12।7 एलएमटीपीए की यूरिया उत्पादन क्षमता है।
वाशिंगटन । अमेरिका में मंगलवार को संपन्न हुए मध्यावधि चुनाव में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कद भी दांव पर लगा हुआ है। सीनेट और हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव के लिए हो रहे चुनाव में 200 से अधिक प्रत्याशियों के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव प्रचार किया था। ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी का नेता और राष्ट्रपति चुनाव का चेहरा बनने के लिए जरूरी होगा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिन प्रत्याशियों का समर्थन किया था, वे सभी चुनाव जीतें।
रिपब्लिकन उम्मीदवारों के स्कोर उनकी लोकप्रियता के लिए एक लिटमस टेस्ट का काम करेंगे। मतदान की पूर्व संध्या पर अपनी अंतिम रैली के अंत में, ट्रम्प ने यह कहकर राष्ट्रीय सुर्खियों को पकड़ लिया कि वह अगले सप्ताह फ्लोरिडा में एक बहुत बड़ी घोषणा करेंगे। पाम बीच में अपना वोट डालने के बाद उन्होंने फिर से संभावित राष्ट्रपति पद की घोषणा का संकेत दिया। ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा मुझे लगता है कि मंगलवार 15 नवंबर बहुत सारे लोगों के लिए बहुत रोमांचक दिन होगा और मैं आपको मार-ए-लार्गो में देखने के लिए उत्सुक हूं।
कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर रॉबर्ट शापिरो ने बताया कि यह महत्वपूर्ण है कि कुछ उम्मीदवारों ने जीत हासिल की हो और विशेष रूप से बड़ी जीत। उन्होंने कहा पार्टी में सबसे अधिक डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव जीतना होगा, जिससे राष्ट्रपति चेहरे के रूप में उनकी पकड़ पार्टी में मजबूत हो सके। यदि वे ऐसा नहीं कर पाए, तो उन्हें रिपब्लिकन की ओर से नामांकन के लिए एक चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस और पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस भी पार्टी में दावेदार के रूप में देखे जा रहे हैं। शापिरो ने कहा यदि ट्रम्प के उम्मीदवार हारते हैं और विशेष रूप से यदि वे बुरी तरह से हार गए, तो इससे अन्य रिपब्लिकन उम्मीदवारों को वह अवसर मिलेगा जिसकी वे तलाश कर रहे थे।
हनोई| दक्षिणी वियतनाम के हो ची मिन्ह शहर में पुलिस ने मादक पदार्थो की तस्करी के एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसमें 11 किलोग्राम से अधिक नशीला पदार्थ बरामद किया गया है। सरकारी मीडिया ने मंगलवार को बताया कि पुलिस ने संबंधित अधिकारियों को 45 वर्षीय एक महिला के नेतृत्व में मादक पदार्थो की तस्करी के गिरोह पर नकेल कसने का निर्देश दिया, जो 5 नवंबर को हो ची मिन्ह शहर के जिला 1 की निवासी है।
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने हो ची मिन्ह शहर और दक्षिणी डोंग नाई प्रांत में सात स्थानों की तलाशी ली, जिसमें 10 किलोग्राम से अधिक वजन वाली हेरोइन के कुल 29 केक, 30 ग्राम केटामाइन और 23 ग्राम इक्सतासी मिला।
सरकारी मीडिया ने बताया कि 6 नवंबर को उत्तरी वियतनाम के नाम दीन्ह प्रांत के सीमा रक्षक और पुलिस बलों ने सिंथेटिक दवाओं की 12,000 गोलियों के साथ दो लोगों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया था।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, 18 और 45 वर्ष की आयु के दो ड्रग तस्कर, सोन ला के उत्तरी प्रांत के निवासी हैं। उन्होंने कबूल किया कि उन्हें बदले में 8 करोड़ वियतनामी डोंग (लगभग 3,200 डॉलर) के लिए सोन ला से नाम दीन्ह तक ड्रग्स ले जाने के लिए काम पर रखा गया था।
वियतनामी कानून के अनुसार, 600 ग्राम से अधिक हेरोइन या 2.5 किलोग्राम से अधिक मेथम्फेटामाइन की तस्करी करने वालों को मौत की सजा दी जाती है।
ढाका| बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के हाईकोर्ट डिवीजन ने फैसला सुनाया है कि समाचारपत्रों और समाचार एजेंसियों के मालिक पत्रकारों और अन्य श्रमिकों के आयकर का भुगतान करेंगे। इसने आयकर और ग्रेच्युटी के संबंध में पत्रकारों और समाचार एजेंसियों और समाचार एजेंसियों के कार्यकर्ताओं के लिए 9वें वेतन बोर्ड पुरस्कार में कैबिनेट समिति द्वारा की गई सिफारिशों को भी अवैध घोषित किया। न्यायमूर्ति मोहम्मद अशफाकुल इस्लाम और न्यायमूर्ति मोहम्मद शोहरवार्दी की खंडपीठ ने यह आदेश पारित करते हुए इस संबंध में 2020 में पूर्ण रूप से जारी एक नियम की घोषणा की। कैबिनेट समिति की सिफारिशों के अनुसार, पत्रकारों, प्रेस कर्मियों और प्रशासनिक कर्मचारियों के वेतन पर आयकर लगाया जाना चाहिए, उनकी संबंधित आय से भुगतान किया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि सभी श्रेणियों के समाचारपत्रों और समाचार एजेंसियों में काम करने वाले पत्रकारों, प्रेस कर्मियों और प्रशासनिक कर्मचारियों को छह महीने या उससे अधिक की सेवा के लिए उनके पिछले महीने के वेतन के आधार पर उनके एक महीने के मूल वेतन के बराबर वार्षिक ग्रेच्युटी मिलेगी। याचिकाकर्ताओं (कर्मचारियों) की ओर से अधिवक्ता रेजाउल हक रजा और दीदारुल आलम और वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. काजी अख्तर हामिद ने दलील पेश की, जबकि उप महान्यायवादी काजी मोइनुल अहसान ने सरकार का पक्ष लिया। बांग्लादेश संगबाद संगठन-बीएसएस कर्मचारी संघ के महासचिव मोहम्मद महबूबज्जमां ने 23 नवंबर, 2020 को रिट याचिका दायर कर 9वें वेतन बोर्ड के उपरोक्त दो प्रावधानों को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामले पर सुनवाई के बाद 25 नवंबर, 2020 को नियम जारी करते हुए संबंधित अधिकारियों को यह बताने के लिए कहा कि वह अवैध और कानूनी अधिकार क्षेत्र से परे कैबिनेट समिति द्वारा की गई सिफारिशों को क्यों नहीं घोषित करेगा।