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कीव । यूक्रेन में रूसी मिसाइलों ने पिछले कई हफ्तों में गुरुवार को पहली बार देश के दक्षिण ओडेसा और निप्रो शहर को निशाना बनाया। ओडेसा के गवर्नर मैक्सिम मार्शेन्को ने बताया कि ओडेसा और निप्रो में मिसाइल दागने के बाद रूस द्वारा यूक्रेन में फिर बड़े पैमाने पर मिसाइल हमले करने की आशंकाओं के मद्देनजर पूरे देश में हवाई हमलों के प्रति सचेत करने वाले सायरन बजने लगे। मार्शेन्को ने बताया कि रूस ने एक बुनियादी ढांचे पर मिसाइल हमला किया।
उन्होंने आगाह किया कि रूस द्वारा यूक्रेन के पूरे क्षेत्र पर बड़े पैमाने पर मिसाइल हमले करने का खतरा है।’ यूक्रेनी राष्ट्रपति कार्यालय के उप प्रमुख किरिलो टिमोशेंको के मुताबिक, निप्रो में भी कई जगहों पर हमले की सूचना मिली है, जहां दो बुनियादी ढांचों को निशाना गया और कम से कम एक व्यक्ति घायल हो गया। कीव के गवर्नर ओलेक्सी कुलेबा ने कहा कि मध्य कीव क्षेत्र में वायु रक्षा प्रणालियां काम कर रही हैं। वहीं, यूक्रेन के अलग-अलग हिस्सों में गोलाबारी की खबरों और देश में बड़े पैमाने पर मिसाइल हमलों की आशंका के बीच पोलतावा, खार्कीवस, खमेल्नित्स्की और रिव्ने क्षेत्र के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों से बम रोधी आश्रयों में रहने की अपील की।
रूस ने इसके पहले यूक्रेन में कई मिसाइलें दागी थीं। रुस ने यूक्रेन के ऊर्जा प्रतिष्ठानों पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया था। बताया जा रहा है कि रूसी हमलों के दौरान एक मिसाइल पोलैंड की सीमा में भी जा गिरी थी और उसकी चपेट में आने से कई लोगों की मौत हो गई थी। हालांकि, रूस ने पोलैंड में मिसाइल हमला करने के आरोपों को खारिज किया है। 

नई दिल्ली| जनरल कमर जावेद बाजवा के सेवानिवृत्त होने के साथ ही पाकिस्तान को इस महीने के अंत में नया सेना प्रमुख मिलने वाला है। इस घटनाक्रम से पूरे क्षेत्र पर असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि नए पाकिस्तानी सेना प्रमुख के भारत और तालिबान शासित अफगानिस्तान के साथ अपने देश के द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने की संभावना है। नए प्रमुख यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान को चीन की ओर झुकना चाहिए या अमेरिका की ओर। पाकिस्तानी सेना ने अपने अस्तित्व के 75 वर्षो में से लगभग 36 वर्षो तक देश पर शासन किया है, नए प्रमुख भारत के साथ संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मुख्य रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंध कश्मीर के विवादास्पद मुद्दे से प्रभावित हैं। 2021 की शुरुआत में बाजवा ने नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ संघर्ष विराम समझौते की बहाली को मंजूरी दी थी। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर अशांति होगी या नहीं, यह नए सेना प्रमुख के रुख पर निर्भर करेगा।

साथ ही, सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ बढ़ेगी या नहीं, इस पर भी नई दिल्ली की पैनी नजर रहेगी। अंत में, भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार ऊपर जाएगा या नीचे, यह भी देखा जाना बाकी है।

अंकारा| तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा है कि तुर्की और इजरायल के बीच द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों की ²ढ़ इच्छाशक्ति के कारण एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार एर्दोगन ने गुरुवार को इजरायल के नामित प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ फोन पर बातचीत में यह टिप्पणी की। दोनों देशों के बीच वर्षों के तनावपूर्ण संबंधों के बाद दोनों नेताओं के बीच यह अपनी तरह का पहला मामला है।

तुर्की के राष्ट्रपति द्वारा जारी एक बयान के अनुसार एर्दोगन ने फोन पर बातचीत के दौरान कहा कि पारस्परिक हितों के आधार पर संवेदनशीलता का सम्मान करना और उन्हें स्थायी आधार पर मजबूत करना संबंधों को जारी रखना दोनों पक्षों के हित में है।

नेतन्याहू ने एर्दोगन से कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच तुर्की की मध्यस्थता के प्रयास दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।

दोनों पक्षों ने हाल ही में इस्तांबुल और वेस्ट बैंक में हुए हमलों के लिए एक-दूसरे के प्रति संवेदना व्यक्त की।

गौरतलब है कि 2010 में दोनों देशों के बीच संबंध तब तनावपूर्ण हो गए थे, जब गाजा पट्टी पर इजरायल की नाकाबंदी को तोड़ने का प्रयास कर रहे तुर्की के नेतृत्व वाले एक समूह से इजरायली सेना से भिड़ंत हो गई थी, जिसमें सवार 10 तुर्क मारे गए थे।

हालांकि दोनों देश अब अपने संबंधों को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं।

इजरायल के राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने मार्च में तुर्की का दौरा किया, दोनों पक्षों ने तुर्की के माध्यम से इजराइल से यूरोप तक प्राकृतिक गैस की पाइप लाइन पर बातचीत की।

न्यूयॉर्क| भारतीय-अमेरिकी शिक्षाविद् सुनील कुमार को मैसाचुसेट्स स्थित टफ्ट्स विश्वविद्यालय का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। प्रोवोस्ट और जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय में शैक्षणिक मामलों के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कुमार अगले साल 1 जुलाई को राष्ट्रपति एंथनी पी. मोनाको का स्थान लेंगे। पीटर डोलन, न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष और राष्ट्रपति की खोज समिति के अध्यक्ष ने कहा, "टफ्ट्स में उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए एक नेता, शिक्षक और सहयोगी के रूप में सुनील कुमार का एक असाधारण रिकॉर्ड हैं।" डोलन ने एक बयान में कहा, "वह राष्ट्रपति मोनाको के एक उत्कृष्ट उत्तराधिकारी होंगे, जिन्होंने 11 वर्षों में टफ्ट्स को मजबूत किया है। नागरिक जुड़ाव और नवाचार के साथ-साथ अनुसंधान और सीखने की सुनील की प्रतिबद्धता, टफ्ट्स के मिशन को आगे ले जाने में मदद करेगी।" कुमार जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के नौ स्कूलों के अकादमिक मिशन की देखरेख करते हैं और अंत:विषय अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ाने, छात्र अनुभव को बढ़ाने और विविधता, इक्विटी और समावेशन प्रयासों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। टफ्ट्स की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कुमार ने कहा, "मेरे लिए एक पुलिस अधिकारी के बेटे के रूप में कुछ और करना संभव नहीं होता। सामथ्र्य मेरे लिए एक सैद्धांतिक अवधारणा नहीं है।" उन्होंने कहा, "और मैं चाहूंगा कि और भी लोगों को समान अवसर मिले। विविधता और समावेश अपरिहार्य मूल्य हैं।" कुमार का अकादमिक करियर स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस में अध्यापन से शुरू हुआ, जहां वे बाद में संचालन, सूचना और प्रौद्योगिकी के फ्रेड एच मेरिल प्रोफेसर थे। उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस का डीन नामित किया गया था। 2016 में, वह जॉन्स हॉपकिन्स में प्रोवोस्ट और वरिष्ठ उपाध्यक्ष बने। कुमार के पिता एक पुलिस अधिकारी थे। वह भारत में पैदा हुए और पले-बढ़े, 1990 में मैंगलोर विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 1992 में बेंगलुरू में भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान और स्वचालन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वहीं उन्हें इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट कार्यक्रम के लिए भर्ती किया गया था। कुमार ने 1996 में इलिनोइस विश्वविद्यालय से पीएचडी प्राप्त की।

शर्म अल-शेख| संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में सभी देशों से मामले में कार्रवाई करने का आह्वान किया। उन्होंने यह बात गुरुवार को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के पक्षकारों के सम्मेलन (सीओपी27) के 27वें सत्र में एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार गुटेरेस ने कहा कि सीओपी27, 24 घंटे में समाप्त हो जाएगा, लेकिन स्पष्ट रूप से उत्तर और दक्षिण के बीच विश्वास में कमी है। उन्होंने कहा कि यह किसी पर उंगली उठाने का समय नहीं है, इससे समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि संकट और गहरा होगा। जलवायु कार्रवाइयों पर गुटेरेस ने पार्टियों से तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों नुकसान और क्षति का जवाब देने, उत्सर्जन अंतर को बंद करने और वित्त प्रदान करने के लिए कार्य करने का आग्रह किया। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने विकसित देशों से विकासशील देशों को प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर देने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि विकसित देशों को अवश्य सहायता प्रदान करनी चाहिए, जो विकासशील देशों को अक्षय ऊर्जा विकसित करने के लिए आवश्यक है। सीओपी27 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अपनी पिछली टिप्पणी को दोहराते हुए उन्होंने कहा, नवीकरणीय ऊर्जा ही जलवायु संकट से बाहर निकलने का रास्ता है। गुटारेस ने सीओपी27 पर जल्दी सहमति बनाने का आह्वान किया। प्रेस ब्रीफिंग के दौरान मिस्र के विदेश मंत्री और सीओपी27 के अध्यक्ष सामेह शौकरी ने जोर देकर कहा कि सीओपी27 के बाद के चरण में अभी भी कई मुद्दों पर प्रगति की कमी है। उन्होंने कहा कि पार्टियां कठिन राजनीतिक फैसले लेने से कतरा रही हैं।

भरुच | राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता| सत्ता पाने के लिए पिता-पुत्र, भाई-भाई, माता-पुत्री या भाई-बहन रिश्तों को ताक पर रख जाते हैं| भरुच जिले की झगड़िया सीट पर वसावा परिवार में ही मुकाबला है| भरुच जिले की झगड़िया विधानसभा सीट पर वसावा परिवार से तीन नामांकन पत्र दाखिल किया गया था| जिसमें छोटू वसावा के अलावा उनके दो बेटे महेश वसावा और दिलीप वसावा शामिल हैं| आज छोटू वसावा के छोटे बेटे दिलीप वसावा ने अपना नाम वापस ले लिया है| अब छोटू वसावा और महेश वसावा यानी बाप-बेटे के बीच मुकाबला होगा| भारतीय ट्रायबल पार्टी (बीटीपी) के राष्ट्रीय संयोजक छोटू वसावा और पार्टी के अध्यक्ष उनके बेटे महेश वसावा के बीच टिकट बंटवारे को लेकर मतभेद इतने बढ़ गए हैं कि चुनाव मैदान में आमने-सामने उतर आए हैं| महेश वसावा ने छोटू वसावा का टिकट काट उनकी परंपरागत सीट से खुद चुनाव लड़ने का ना सिर्फ ऐलान किया बल्कि नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया| बताया जाता है कि बीटीपी के दो शीर्ष पदों पर बैठे पिता-पुत्र के बीच मतभेद की शुरुआत तब हुई जब छोटू वसावा ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के साथ गठबंधन का ऐलान कर दिया| छोटू वसावा ने जेडीयू से गठबंधन का ऐलान किया तो बाद में महेश वसावा ने पत्रकार वार्ता में इसे अपने पिता की निजी राय बता दिया था| उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बीटीपी किसी भी राजनीतिक दल से गठबंधन नहीं करेगी और चुनाव अपने दम पर लड़ेगी| दूसरी ओर छोटू वसावा ने कहा कि मैं खुद ही पार्टी हूं और मुझे पार्टी की जरूरत नहीं है| उन्होंने पूरे दमखम के साथ झगडिया सीट से नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया| छोटू वसावा के अलावा उनके बड़े बेटे महेश वसावा और छोटे बेटे दिलीप वसावा ने भी अपने पर्चे भर दिए| हांलाकि अब छोटू वसावा के छोटे बेटे दिलीप वसावा ने अपना नाम वापस ले लिया है| दिलीप वसावा बीटीपी और बीटीटीएस के महासिचव रह चुके हैं और डेडियापाडा की सीटिंग विधायक हैं| अपने पिता छोटू वसावा के अपमान के बाद दिलीप वसावा ने बीटीपी से इस्तीफा दे दिया था|

लास एंजेल्स । कैलिफोर्निया का वह घर जहां स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त के साथ मिलकर एप्पल कंपनी की स्थापना की थी, वह अब एक ऐतिहासिक स्थल है। एक नीलामी घर के मुताबिक यहां रहने के दौरान जॉब्स ने जो सैंडल पहने थे, वे लगभग 220,000 डॉलर (17719509.28 रुपये) में बेचे गए हैं। नीलामी घर जूलियन्स ऑक्शन ने बताया कि 1970 के दशक के मध्य में बहुत अच्छी तरह से इस्तेमाल किए गए ब्राउन कलर के इस सैंडल को स्टीव जॉब्स काफी लंबे समय तक पहनते रहे थे। 
इस सैंडल ने एक जोड़ी सैंडल के लिए अब तक की सबसे अधिक कीमत का रिकॉर्ड बनाया है। नीलामी घर ने अपनी वेबसाइट पर लिस्टिंग में कहा कि कॉर्क और जूट के फुटबेड पर स्टीव जॉब्स के पैरों की छाप इतने साल बाद भी बरकरार है। जो इस सैंडल के कई साल लगातार पहनने के बाद बन गए थे। जूलियन ऑक्शन ने कहा कि उसे सैंडल के 60,000 डॉलर में बिकने की उम्मीद थी। लेकिन एनएफटी के साथ अंतिम बिक्री मूल्य 218,750 डॉलर था। बहरहाल जूलियन ऑक्शन ने एप्पल के को-फाउंडर की इस ऐतिहासिक सैंडल को खरीदने वाले शख्स के नाम का खुलासा नहीं किया है।
स्टीव जॉब्स और स्टीव वोज्नियाक ने 1976 में कैलिफ़ोर्निया के लॉस अल्टोस में जॉब्स के माता-पिता के घर में एप्पल की सह-स्थापना की थी। 2013 में लॉस अल्टोस हिस्टोरिकल कमीशन द्वारा इस घर को एक ऐतिहासिक मील के पत्थर के तौर पर नामित किया गया था। गौरतलब है कि 2011 में अग्नाशय के कैंसर के कारण स्टीव जॉब्स का निधन हो गया। जॉब्स को भारत के अध्यात्म से बेहद लगाव था और वे भारत के दर्शन से भी काफी गहराई से प्रभावित थे। स्टीव जॉब्स नीम करौली बाबा के भक्त थे।

वाशिंगटन । रूस को ईरान द्वारा लगातार आत्मघाती ड्रोन सप्लाई करने की खबरों के बीच अमेरिका ने ड्रोन के उत्पादन और ट्रांसफर में शामिल होने वाली ईरानी कंपनियों और लोगों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिका के ट्रेज़री ऑफ़िस ऑफ़ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (ओएफएसी) ने बताया कि वह ईरान के मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के उत्पादन या रूस को चल रहे हस्तांतरण में शामिल फर्मों के खिलाफ नए प्रतिबंधों को मंजूरी दे रहा है। 
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि रूस ने ड्रोन का उपयोग यूक्रेन में बुनियादी ढांचे के खिलाफ विनाशकारी हमलों में किया है।
यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा उपयोग किए जा रहे शहीद-श्रृंखला के यूएवी के डिजाइन और उत्पादन के लिए जिम्मेदार बताते हुए अमेरिका ने शहीद एविएशन इंडस्ट्रीज रिसर्च सेंटर को भी प्रतिबंधित किया है। साथ ही रूस को ईरानी यूएवी के हस्तांतरण की सुविधा के लिए सक्सेस एविएशन सर्विसेज एफजेडसी और आईजेट ग्लोबल डीएमसीसी को भी निशाने पर लिया है।
ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन ने प्रतिबंध की घोषणा के बाद एक बयान में कहा कि ‘जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका उन लोगों और कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए दृढ़ है, चाहे वे कहीं भी स्थित हों, जो यूक्रेन पर रूस के अनुचित आक्रमण का समर्थन करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज की कार्रवाई ने जवाबदेह कंपनियों और व्यक्तियों को उजागर किया है, जिन्होंने यूक्रेन में विनाशकारी हमलों में रूस की मदद की है। संयुक्त अरब अमीरात की हवाई परिवहन फर्म सक्सेस एविएशन सर्विसेज एफजेडेसी और जेट ग्लोबल डीएमसीसी को भी इस लिस्ट में शामिल करते हुए कहा गया कि इन कंपनियों ने ईरान और रूस के बीच उड़ानों कि व्यवस्था की थी। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने कहा कि दोनों कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई संयुक्त अरब अमीरात की सरकार के सहयोग से की गई थी।

बीजिंग । दुनिया में जब कोरोना लॉकडाउन को लगभग पूरी तरह से हटा लिया है, वहीं चीन में जीरो कोविड नीति के नाम पर इसे क्रूरतापूर्वक लागू किया जा रहा है। चीन के बेहद अहम दक्षिणी शहर गुआंगझाउ में रहने वाले लोग इस क्रूरता के खिलाफ भड़क उठे और विद्रोह कर दिया। चीनी जनता ने खुद को घरों ही 'कैद' करने के लिए बनाए गए बैरियर को तोड़ दिया। यही नहीं वे सड़क पर आ गए और शी जिनपिंग के कोरोना नियमों को खारिज कर दिया। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया में जमकर शेयर किया जा रहा है। इन वीडियो में भारी भीड़ नजर आ रही है जो इस आजादी का जश्‍न मना रही है। उन्‍होंने शाम को अंधेरा होने के बाद बैरियर को तोड़ दिया। इस इलाके में ‎पिछले 5 नवंबर से ही बेहद सख्‍त कोरोना लॉकडाउन लगा हुआ है। शहर के मुख्‍य इलाके में कोरोना के कई मामले सामने आए हैं। एक वीडियो में तो कोरोना वर्कर हजामत सूट पहनकर बगल में खड़े हैं और बैरियर टूट चुका है। वे स्‍थानीय लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें सुना जा सकता है कि एक महिला कह रही है, वे विद्रोह कर रहे हैं। यह वीडियो हैझू जिले का बताया जा रहा है। यह अभी तक स्‍पष्‍ट नहीं हो सका है कि कितने लोग इस विरोध प्रदर्शन में शामिल थे और यह कितनी देर तक चला था। बाद में इस घटना के वीडियो को तेजी से चीन के सोशल मीडिया से हटा दिया गया। कम्‍युनिस्‍ट चीन में जनता का विरोध प्रदर्शन बहुत ही दुर्लभ घटना मानी जाती है। इसकी वजह यह है कि चीनी अधिकारी विद्रोह करने वालों या विरोध में आवाज उठाने वालों को कुचल देते हैं। माना जा रहा है कि यह विरोध प्रदर्शन शी जिनपिंग की विवादित जीरो कोविड नीति के खिलाफ भड़क रहे जनता के गुस्‍से का प्रतीक है। 
गुआंझाऊ में मंगलवार को कोरोना के 5100 मामले सामने आए थे। इस बीच चीन की जीरो कोविड नीति के तहत परिसर में बंद विश्वविद्यालय के छात्र समूह खुद में रेंगने और कार्डबोर्ड से पालतू जानवर बनाने जैसे अजीब शौक विकसित कर रहे हैं। टिप्पणीकारों और समाचार रिपोर्टों के अनुसार छात्र समूह की हरकतें देखकर उनके मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई जा रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानाकरी दी गई। आरएफए ने बताया कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया साइटों पर अपलोड किए गए वीडियो क्लिप में युवाओं के एक समूह को कॉलेज के खेल मैदान पर एक सर्कल में एक-दूसरे के बाद रेंगते हुए देखा गया है। इसने दर्शकों को यह अनुमान लगाने के लिए प्रेरित किया कि यह कैंपस में महीनों तक लॉकडाउन चलने की प्रतिक्रिया थी। चीन की कम्युनिकेशंस यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने कहा कि वे इस गतिविधि को देख रहे हैं। आरएफए के मुताबिक, सोशल मीडिया यूजर्स ने बीजिंग स्थित सिंघुआ यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस एंड इकोनॉमिक्स सहित अन्य विश्वविद्यालयों में चल रही इसी तरह की गतिविधियों के वीडियो क्लिप शूट किए। सोशल मीडिया पर अपुष्ट खबरें भी प्रसारित हो रही थीं, जिनमें कहा गया था कि ईस्ट चाइना नॉर्मल यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने परिसर में अकेले रेंगते हुए एक छात्र की तस्वीरें लीं और उन्हें ऐसा करने से रोकने के लिए कुछ सुरक्षा गार्डों को खेल मैदान में भेजा।

बाली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर बुधवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के साथ फलदायी बातचीत की। दोनों नेताओं ने आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के वैकल्पिक रास्ते तलाशने पर विस्तार से चर्चा की। इस साल मोदी और शोल्ज की यह तीसरी मुलाकात है। पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि वह जर्मन चांसलर से मिलकर बहुत खुश हैं। उन्होंने लिखा है चांसलर शोल्ज से मिलकर खुश हूं। इस साल यह हमारी तीसरी मुलाकात है और यह हाल ही में हुई ‘अंतर सरकारी’ चर्चा पर आधारित थी। हमने आर्थिक सहयोग को बढ़ाने, रक्षा साझेदारी और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। 
प्रधानमंत्री कार्यालय ने दोनों नेताओं के बीच बातचीत को ‘फलदायी’ बताया। पीएमओ ने ट्वीट किया, बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चांसलर शोल्ज के बीच फलदायी बातचीत हुई। इस दौरान भारत-जर्मनी की मित्रता को और आगे बढ़ाने के लक्ष्य से विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई, खास तौर से व्यापार, वित्त और सुरक्षा के मुद्दों पर बातचीत हुई। भारत और जर्मनी में 2021 में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ मनायी और दोनों देशों के बीच 2000 से ही रणनीति साझेदारी है। उल्लेखनीय है कि जर्मनी यूरोप में भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है और दोनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 21 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का है।

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