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लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अपराध की घटना होते ही गरजने वाला बुलडोजर क्या शांत हो जाएगा? सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को आए बड़े फैसले के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है। यूपी के नेताओं की ओर से भी इसको लेकर प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने तो बुलडोजर का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए करने का आरोप लगाया। इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी से सवाल किया कि क्या वे माफी मांगेंगे? वहीं, योगी सरकार में मंत्री ओपी राजभर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। पूरे देश में इसका स्वागत किया जा रहा है। सरकार का लक्ष्य कभी किसी के घर को गिराने का नहीं रहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इसमें बुलडोजर एक्शन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। ऐसे में बाबा के बुलडोजर पर ब्रेक नहीं लग पाएगा।

बुलडोजर एक्शन का मामला क्या है?
दरअसल, अप्रैल 2022 में दिल्ली के जहांगीरपुरी में होने वाले ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया था। जहांगीरपुरी की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं, जिसके बाद इस अभियान पर रोक लगा दी गई। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि वह आदेश दे कि कोई अधिकारी दंड के रूप में बुलडोजर कार्रवाई का सहारा नहीं ले सकते। अगस्त में मध्य प्रदेश और राजस्थान में अधिकारियों द्वारा बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ दो याचिकाएं न्यायालय में दायर की गई थीं। इनमें से एक उदयपुर के एक मामले से संबंधित था, जहां एक व्यक्ति का घर इसलिए गिरा दिया गया क्योंकि उसके किराएदार के बेटे पर अपराध का आरोप था।उत्तर प्रदेश में भी ऐसे मामले को लेकर याचिकाकर्ता कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि केवल इसलिए कि किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में शामिल होने का आरोप है, उसे ध्वस्तीकरण का आधार नहीं बनाया जा सकता।


सुप्रीम कोर्ट ने दिया है आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर दायर याचिका पर सुनवाई की थी। इस मामले में बुधवार को दिए गए फैसले में कहा गया कि किसी के भी घर को उजारा नहीं जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि संविधान में दिए गए उन अधिकारों को ध्यान में रखा है, जो राज्य की मनमानी कार्रवाई से लोगों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को यह पता हो कि उनकी संपत्ति को बिना किसी उचित कारण के नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकारी अधिकारी कानून हाथ में लेकर इस प्रकार का एक्शन लेते हैं, उन्हें जवाबदेह बनाया जाए।कोर्ट ने यह भी कहा कि हमने शक्ति के विभाजन पर विचार किया है। यह समझा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कैसे काम करती हैं? न्यायिक कार्यों को न्यायपालिका को सौंपा गया है। न्यायपालिका की जगह पर कार्यपालिका को यह काम नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने आगे कहा कि अगर कार्यपालिका किसी व्यक्ति का घर केवल इस वजह से तोड़ती है कि वह आरोपी है। यह शक्ति के विभाजन के सिद्धांत का उल्लंघन है। किसी व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए जाने के बाद कोर्ट के पास सजा देने का अधिकार है।

 

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बर्फबारी शुरु होगी है जिसका असर राजस्थान समेत कई मैदानी इलाकों में दिखने लगा है। हिल स्टेशन माउंट आबू में रात का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस पहुँच गया है, जबकि गंगानगर और हनुमानगढ़ जैसे इलाकों में हल्का कोहरा छाया, जिससे दिन में ठंडक बढ़ गई है। हनुमानगढ़ और गंगानगर में अधिकतम तापमान 26.8 और 26.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और इन इलाकों में कोहरा छाए रहने की संभावना है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक उत्तर भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बर्फबारी और बारिश का कारण बना है। इसके असर से राजस्थान में 17 नवंबर से तापमान में और गिरावट होने की उम्मीद जताई जा रही है। राजस्थान में बीते 24 घंटों में अधिकतम तापमान 35.2 डिग्री सेल्सियस बाड़मेर में दर्ज किया गया, जबकि अन्य शहरों जैसे फलोदी, बीकानेर, चूरू, जालोर, जयपुर और अजमेर में भी दिन के तापमान में 1 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट आई है। रात में ठंड बढ़ने से सात शहरों का न्यूनतम तापमान 15 डिग्री से नीचे आ गया है। सबसे ठंडा माउंट आबू रहा, जहां न्यूनतम तापमान 10.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। राजस्थान में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के हिसाब से सबसे खराब स्थिति भिवाड़ी की है, जहां एक्यूआई 310 दर्ज किया गया। बीकानेर में भी प्रदूषण की स्थिति गंभीर है। जयपुर के कई इलाकों जैसे आदर्श नगर, मानसरोवर, एमआई रोड, सीतापुरा और मुरलीपुरा में भी एक्यूआई उच्च स्तर पर दर्ज हुआ, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

 

देहरादून । उत्तराखंड के नैनीताल, रामगढ़, भीमताल, मुक्तेश्वर, टिहरी, मसूरी और देहरादून मैं प्रदूषण तेजी के साथ बढ़ रहा है। यहां पर अन्य राज्यों के लोगों ने बड़े पैमाने पर जमीने खरीदी है। उत्तराखंड में बाहरी लोगों के लिए नगरी निकाय सीमा के बाहर अधिकतम 250 वर्ग मीटर जमीन खरीदने का नियम है। लेकिन अन्य राज्यों के लोगों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्धारित सीमा से अधिक जमीन खरीदी है।
उत्तराखंड सरकार ने अब अन्य राज्यों के लोगों द्वारा जो जमीन क्रय की गई है। उसकी जांच करना शुरू कर दी है। मुंबई, हरियाणा, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों के लोगों ने बड़े पैमाने में उत्तराखंड में जमीन खरीदी हैं। इन सब मामलों की जांच की जा रही है।
जांच में मुंबई के एक उद्योगपति द्वारा अल्मोड़ा में लगभग 5 एकड़ जमीन खरीदी गई थी। सरकार ने इसका बैनामा रद्द कर दिया है। उत्तराखंड में बड़ी संख्या में क्रिकेटर, फिल्म स्टार,उद्योगपति और राजनेताओं ने जमीन खरीदी हैं। इनकी जांच की जा रही है।
उत्तराखंड मे अन्य राज्यों के लोगों द्वारा जिस तरीके से जमीन खरीदी जा रही है। उसके कारण उत्तराखंड में जमीनों के रेट काफी बढ़ गए हैं। हिमालय क्षेत्र के आसपास 50 वर्ग मीटर जमीन की कीमत 50 ला lख रुपए तक पहुंच गई है। अन्य राज्यों से आने वाले लोगों के कारण उत्तराखंड का प्रदूषण बढा है। यहां पर मानसून भी बड़ी तेजी के साथ परिवर्तित हो रहा है। जिसने सरकार और पर्यावरण विदों की चिताओं को बढ़ा दिया है।

 

 

नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अनुमान लगाया है कि 15 नवंबर के बाद ठंड बढ़ेगी और 21 नवंबर से घना कोहरा छा सकता है। इस चेतावनी के बाद भारतीय रेलवे ने सर्दियों के दौरान उत्तराखंड की कई प्रमुख ट्रेनों को रद्द करने का फैसला लिया है। रेलवे के इस फैसले का कारण सर्दियों में बढ़ने वाले कोहरे की वजह से कम विजिबिलिटी और संभावित दुर्घटना का जोखिम है। कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनों, जैसे हावड़ा-देहरादून उपासना एक्सप्रेस (12327/28) और वाराणसी-देहरादून जनता एक्सप्रेस (15119/20) को 3 दिसंबर से 1 मार्च 2025 तक रद्द कर दिया जाएगा।

 

 

चेन्नई। तमिलनाडु में सर्पदंश के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने राज्य सरकार ने सर्पदंश को अधिसूचित बीमारी घोषित कर दिया है। इस साल जून तक राज्य में 7,300 सांप से काटने के मामले सामने आए हैं, जिनमें 13 लोगों की मौत हुई। पिछले साल राज्य में सर्पदंश के 19,795 मामले सामने आए थे और 43 मौतें हुई थीं, जबकि 2022 में 15,120 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 17 मौतें हुई थीं।
सर्पदंश को अधिसूचित बीमारी घोषित करने के बाद अस्पतालों को अब सांप के काटने के मामलों की रिपोर्ट सरकार को देनी होगी। तमिलनाडु सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम के तहत लिया गया यह कदम सर्पदंश के कारण होने वाली मौतों को रोकने, सांप के काटने से बचाव के लिए डेटा संग्रह, एंटी वैनम की आपूर्ति और नैदानिक ​​बुनियादी ढांचे में सुधार में मदद करेगा। राज्य सरकार के इस फैसले का उद्देश्य सर्पदंश के कारण होने वाली मौतों में कमी लाना और स्वास्थ्य सेवाओं को सर्पदंश पीड़ितों के इलाज के लिए सशक्त बनाना है।


नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी में बनने वाले कम दबाव के क्षेत्र के कारण दक्षिण भारत में भारी वर्षा की संभावना जताई है। मौसम विभाग के अनुसार, यह क्षेत्र अगले 36 घंटों में बनने की उम्मीद है, जिससे तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में 12 से 15 नवंबर तक मूसलाधार बारिश हो सकती है। मतलब देवउठनी ग्यारस पर झमाझम बारिश से कई राज्यों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। पिछले 24 घंटों में तमिलनाडु और केरल में भारी बारिश हो चुकी है, जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है। साथ ही, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में घना कोहरा दर्ज किया गया है, जिससे दृश्यता प्रभावित हुई है और परिवहन में समस्याएं आ रही हैं।
मौसम विभाग ने विशेष चेतावनी जारी करते हुए कहा कि तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, केरल और माहे में 9 से 15 नवंबर के बीच हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है, जबकि तमिलनाडु और केरल में 12 से 15 नवंबर के बीच कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना है। आंध्र प्रदेश, यनम और रायलसीमा के तटीय क्षेत्रों में भी 12 और 13 नवंबर को भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही, हिमाचल प्रदेश में 10 से 12 नवंबर और उत्तर-पश्चिम पंजाब में 10-11 नवंबर के बीच घने कोहरे की संभावना है, जिससे इन क्षेत्रों में यातायात प्रभावित हो सकता है।
तापमान के बारे में भी विभाग ने जानकारी दी है। जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में न्यूनतम तापमान औसत से 3 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हिंडन क्षेत्र में मैदानी इलाकों में सबसे कम तापमान 13.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। दूसरी ओर, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में आने वाले चार-पांच दिनों में न्यूनतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट की संभावना है। तेलंगाना में भी 12 से 15 नवंबर के बीच बारिश होने की संभावना है, जिसमें कुछ इलाकों में गरज के साथ बौछारें पड़ने का अनुमान है। इस क्षेत्र में अगले तीन दिन मौसम सूखा रहने की संभावना है।


नई दिल्ली। एक बार फिर भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना ने पकड़ा है। इन मछुआरों पर आरोप है कि ये अवैध तरीके से श्रीलंका की सीमा में प्रवेश् कर गए थे।
जानकारी के अनुसार, मछुआरों का दल शनिवार को रवाना हुआ था और नेदुनथीवु के पास मछली पकड़ रहे थे, तभी उन्हें श्रीलंकाई नौसेना की गश्ती नौका ने घेर लिया, जिसके कारण 23 मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया गया। तीन नौकाओं को भी जब्त किया गया है। जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार मछुआरों को कांगेसंथुराई नौसेना शिविर में ले जाया गया और उन्हें जाफना मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।
इससे पहले श्रीलंका की नौसेना ने सितंबर महीने में भी 17 मछुआरों को पकड़ा था। जिसको लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखा था। स्टालिन ने जयशंकर को पत्र लिखकर कहा था कि 28 सितंबर को रामेश्वरम मछली लैंडिंग सेंटर से मछली पकड़ने गए मछुआरों को रविवार को नेदुनथीवु के पास श्रीलंकाई अधिकारियों ने पकड़ लिया। मछुआरों को हिरासत में लिए जाने और उनकी नावों को जब्त किए जाने से तटीय समुदायों में गंभीर संकट और अनिश्चितता पैदा हो रही है।पत्र में आगे कहा, मैंने बार-बार दोहराया है कि इस गंभीर मुद्दे को कूटनीतिक रूप से हल करने के लिए ठोस और सक्रिय कदम उठाए जाने चाहिए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मैंने 27 सितंबर को प्रधानमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में इसे भी एक अनुरोध के रूप में प्रस्तुत किया है।

केंद्र सरकार ने छात्रों को उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है। 'प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना' के तहत, बिना गारंटी के 10 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन उपलब्ध कराने की घोषणा की गई है। इस योजना का उद्देश्य उन छात्रों की मदद करना है, जिनकी पारिवारिक आय सालाना 8 लाख रुपये से कम है।

यह योजना हर साल 1 लाख छात्रों को 10 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन प्रदान करेगी।

सरकार इस योजना पर 3 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी देगी, जिससे छात्रों को लोन लेने में राहत मिलेगी।

छात्र को एक मान्यता प्राप्त हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेना होगा, जिसकी NIRF रैंकिंग ऑल इंडिया में 100 और स्टेट में 200 या इसके भीतर हो।

छात्र की पारिवारिक आय सालाना 8 लाख रुपये या इससे कम होनी चाहिए।

7.5 लाख रुपये तक के लोन के लिए भारत सरकार 75% क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगी।

आवेदन की प्रक्रिया:

छात्रों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिससे वे अपनी आवश्यकता के अनुसार लोन के लिए आवेदन कर सकें। आवेदन प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने के लिए, डिजीलॉकर जैसे माध्यमों का उपयोग करके वेरिफिकेशन किया जाएगा। इसके लिए उम्मीदवार विद्यालक्ष्मी पोर्टल [https://www.vidyalakshmi.co.in/](https://www.vidyalakshmi.co.in/) पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

यह योजना देश के 860 प्रमुख हायर इंस्टीट्यूशन्स के 22 लाख से अधिक छात्रों को लाभान्वित करने का अवसर प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना न केवल उच्च शिक्षा के दरवाजे खोलेगी, बल्कि छात्रों के भविष्य को संवारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

Kerala High Cour: केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक अहम फैसले में कहा कि यदि कोई महिला सार्वजनिक या खुले स्थान पर है, जहां वह पूर्ण गोपनीयता की अपेक्षा नहीं कर सकती है, और ऐसे में उसकी फोटो ली जाती है या उसे कोई व्यक्ति देखता है, तो इसे ताक-झांक (वॉयूरिज़्म) के अपराध के रूप में नहीं गिना जाएगा. न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन ने स्पष्ट किया कि केवल उस स्थिति में ही किसी महिला की छवि को देखना या लेना दंडनीय है जब वह किसी “निजी कार्य” में संलग्न हो और वह स्थान गोपनीयता की अपेक्षा रखता हो.

न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि वॉयूरिज़्म का अपराध तभी लागू होता है जब कोई व्यक्ति महिला को ऐसी गतिविधि में देखता या उसकी तस्वीर लेता है, जहां गोपनीयता की उम्मीद की जा सकती है, जैसे कि निजी अंगों को उजागर करना, बाथरूम का उपयोग करना, या किसी निजी यौन गतिविधि में संलग्न होना. ऐसे मामलों में महिला की गोपनीयता भंग करने पर आईपीसी की धारा 354C के तहत अपराध माना जाएगा.

क्या है पूरा मामला
यह फैसला अजित पिल्लई नामक याचिकाकर्ता द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया. पिल्लई ने उन पर लगाए गए धारा 354C (वॉयूरिज्म) और धारा 509 (महिला की गरिमा का अपमान करने वाले शब्द, संकेत या कृत्य) के आरोपों को रद्द करने की मांग की थी. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि दो व्यक्तियों ने उसके घर के बाहर उसकी तस्वीरें खींचीं और उसकी गरिमा को अपमानित करने के लिए अश्लील इशारे किए.

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि धारा 354C के अंतर्गत आने वाला “निजी कार्य” वह है जिसमें महिला को गोपनीयता की उचित अपेक्षा होती है. उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति के निजी अंग उजागर हैं, वह बाथरूम का उपयोग कर रहा है, या किसी निजी यौन क्रिया में संलग्न है, तो इसे “निजी कार्य” के रूप में गिना जाएगा. इस मामले में, घटना शिकायतकर्ता के घर के सामने हुई थी, जिसे न्यायालय ने “निजी कार्य” की परिभाषा में नहीं माना. अतः इस मामले में वॉयूरिज़्म का आरोप नहीं बनता.

धारा 354C का आरोप हटाया, धारा 509 का मामला बरकरार
न्यायालय ने वॉयूरिज़्म के आरोप को रद्द कर दिया, लेकिन धारा 509 के तहत अभियोजन जारी रखने की अनुमति दी. इस धारा के तहत किसी महिला की गरिमा का अपमान करने वाले शब्द, संकेत या कृत्य का अपराध आता है. इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता के कथित कृत्य आईपीसी की धारा 354A (यौन उत्पीड़न) के अंतर्गत भी आ सकते हैं, और इस पर निचली अदालत आगे विचार करेगी.

यह फैसला इस ओर इशारा करता है कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा और गोपनीयता का उल्लंघन किन परिस्थितियों में होता है, और किस स्थिति में इसे अपराध नहीं माना जाएगा. इस फैसले ने समाज में महिलाओं की सुरक्षा और उनकी गोपनीयता की सीमाओं पर एक महत्वपूर्ण चर्चा को जन्म दिया है.

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज से आज, 10 साल पहले एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) योजना लागू की थी, जो भारतीय सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के लिए बड़ी राहत साबित हुई। इस योजना के तहत समान रैंक और समान सेवा अवधि वाले सैनिकों को उनके रिटायरमेंट तिथि की परवाह किए बिना समान पेंशन मिलती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दिन को याद करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट में लिखा-जिसमें उन्होंने ओआरओपी को भारतीय सैन्य बलों के प्रति सरकार की कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक बताया।
पीएम मोदी ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन लागू करना हमारे दिग्गजों और भूतपूर्व सैनिकों के साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि देना एक अहम कदम था। यह फैसला हमारी सेना के जवानों के लिए हमारी कृतज्ञता दिखाने और लंबित मांगों को पूरा करने की दिशा में उठाया गया कदम था। पिछले एक दशक में लाखों पेंशनधारकों को इससे लाभ हुआ, जो हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने आगे कहा कि ओआरओपी के जरिए सशस्त्र बलों के भूतपूर्व सैनिकों की पेंशन को बेहतर बनाया गया है और इस कदम से उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सशस्त्र बलों के कल्याण के लिए हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी और हर संभव प्रयास करती करेगी।
वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस दिन को महत्वपूर्ण दिन बताते हुए ओआरओपी के लागू होने पर पीएम मोदी का आभार माना। उन्होंने कहा कि ओआरओपी पीएम मोदी की सशस्त्र सेनाओं के प्रति नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसके लागू होने से 25 लाख से ज्यादा भूतपूर्व सैनिकों को लाभ हुआ है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार आया है।
बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी ओआरओपी की 10वीं वर्षगांठ पर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जिसमें उन्होंने इस सुधार को एक क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि ओआरओपी ने यह तय किया कि समान रैंक और सेवा अवधि वाले सभी सैनिकों को समान पेंशन मिले, चाहे उनकी सेवानिवृत्ति तिथि कुछ भी हो। इस सुधार ने 25 लाख से ज्यादा सशस्त्र बल पेंशनधारकों और उनके परिवारों को लाभ पहुंचाया है। उन्होंने यह भी बताया कि ओआरओपी पर अब तक 1.25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए। इसके अलावा ओआरओपी के तहत पेंशन को हर पांच साल में फिर से तय किया जाता है, जिससे हमारे नायकों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता और भी मजबूत हो रही है। वन रैंक वन पेंशन का कार्यान्वयन हमारे भूतपूर्व सैनिकों के प्रति सरकार की गंभीरता और संवेदनशीलता को दिखाता है।

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