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देश (9270)


मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की आज 395वीं जयंती है, इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकों श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी श्रद्धांजलि दी है।

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "उनकी वीरता और दूरदर्शी नेतृत्व ने स्वराज्य की नींव रखी, पीढ़ियों को साहस और न्याय के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। वह हमें एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं।"

पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्हें हमेशा राष्ट्र निर्माता के रूप में याद किया जाएगा।

उन्होंने एक्स पर लिखा, "हिंदवी स्वराज्य का उद्घोष करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज जी का जीवन नैतिकता, कर्तव्य और धर्मपरायणता का संगम था। कट्टरपंथी आक्रांताओं के खिलाफ जीवनभर संघर्ष कर सनातन स्वाभिमान की ध्वजा के रक्षक छत्रपति शिवाजी महाराज को राष्ट्र निर्माता के रूप में सदैव याद किया जाएगा।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर पोस्ट किया, "मैं छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं, उनका अद्वितीय साहस, न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और लोगों के कल्याण के प्रति अटूट समर्पण हमें प्रेरित करता रहेगा। निस्वार्थ सेवा, निष्ठा और लचीलापन की शिवाजी महाराज की विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।"

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के शिवनेरी किले में छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी। सीएम फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने शिवाजी महाराज की जयंती पर शिवनेरी किले में पालना समारोह सहित कई कार्यक्रमों में भाग लिया।

कैसे सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बना मराठा
बता दें, 1630 में महाराष्ट्र में जन्मे शिवाजी ने अपने राज्य का विस्तार करने के लिए दक्षिण में मुस्लिम सुल्तानों और उत्तर में मुगलों को चुनौती देने के लिए सैन्य प्रतिभा और राजनीतिक निपुणता का संयोजन किया, जो अंग्रेजों द्वारा पराजित होने से पहले भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बन गया।

 

देश के कई हिस्सों में मौसम एक बार फिर बदल रहा है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, नोएडा और मुंबई में बारिश की संभावना जताई गई है। इन जगहों के तापमान में भी उतार-चढ़ाव दर्ज किया जा रहा है।

एक नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से इन राज्यों में मौसम बदलने वाला है। साथ ही पहाड़ी इलाकों में भी बारिश और बर्फबारी की संभावना बनी हुई है।

दिल्ली में बारिश का अनुमान
मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली और आसपास के शहरों में एक बार फिर मौसम में बदलाव के संकेत हैं। आज बादल छाए रहने की संभावना है। दिन के समय आंधी और बारिश का अनुमान है। बुधवार को भी अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री रहने की संभावना है। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान समेत कई राज्यों में आज बारिश के आसार बन रहे हैं।

आईएमडी के मुताबिक गुरुवार को भी बादल छाने और दिल्ली में हल्की बारिश होने का अनुमान है। बारिश होने पर न्यूनतम तापमन में भी गिरावट आने के संकेत हैं।

राजस्थान के पांच शहरों में बारिश का अलर्ट
मौसम विभाग के अनुसार राजस्थान में 20 फरवरी तक पश्चिमी व उत्तरी भागों में कहीं कहीं बादल छाए रहने की संभावना है।
इस दौरान हल्की बारिश या बूंदाबांदी होने का अनुमान भी जताया गया है।
19 और 20 फरवरी को भरतपुर, जयपुर, कोटा, बीकानेर तथा जोधपुर में कहीं कहीं हल्की बारिश हो सकती है।

रेलवे को भारत की लाइफलाइन कहा जाता है. रोजाना 2.3 करोड़ से भी ज्यादा लोग ट्रेनों में यात्रा करते हैं. अगर कोई तीज-त्योहार हो तो ट्रेनों में टिकट Train Ticket Cancel Refund मिल पाना भी मुश्किल हो जाता है. रोजमर्रा में कई यात्री ऐसे भी होते हैं जिनकी ट्रेन छूट भी जाती है. लेकिन ऐसे में क्या टिकट बेकार हो जाता है या उसका इस्तेमाल किया जा सकता है. रेलवे के नियमों के मुताबिक, सब चीज इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास कौन-सा टिकट है. अगर आपके पास जनरल टिकट है तो आप बिना किसी दिक्कत के उसी कैटेगरी की किसी दूसरी ट्रेनसे सफर कर सकते हैं. हालांकि, अगर आप किसी दूसरी कैटेगरी की ट्रेन में सफर करना चाहते हैं, तो आपको जुर्माना भरना पड़ सकता है.

मेल-एक्सप्रेस, सुपरफास्ट, राजधानी, वंदे भारत जैसी प्रीमियम ट्रेनों में जनरल टिकट मान्य नहीं होता. अगर आप ऐसी ट्रेनों में जनरल टिकट पर सफर करते हैं तो टीटीई आपको बिना टिकट का यात्री मान सकता है और जुर्माना वसूल सकता है.

बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है. हालांकि, अभी इसमें कुछ महीने का समय बचा हुआ है. चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों की कवायद शुरू हो गयी है. सभी राजनीतिक दल उन वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने में जुट गए हैं, जो उनके लिए चुनाव में मत दे सकते हैं. आलम यह है कि बिहार में रैलियों का रैला शुरू हो गया है.

पहले तेली और धोबी अधिकार रैली, अब अन्य रैलियां
कुछ दिन पहले ही राजधानी के मिलर स्कूल मैदान में तेली जाति को इकट्ठा करने के लिए तेली हुंकार रैली का आयोजन किया गया था. हालांकि, इसे एक सामाजिक रैली का नाम दिया गया था. साथ ही यह भी कहा गया था कि इसका राजनीति से कोई खास लेना देना नहीं है. लेकिन, इसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव शामिल हुए और उन्होंने एक के बाद एक कई वादे भी कर दिए. तेजस्वी यादव ने कहा कि तेली समाज हमारा साथ देगा. आप लोगों को आगे बढ़ाने की चिंता हम करेंगे. विकसित बिहार बनाने के लिए सबको साथ लेकर चलेंगे. तेजस्वी यादव ने अपने पिता लालू प्रसाद यादव के द्वारा तेली समाज के उत्थान के लिए किए गए कामों के बारे में विस्तृत जानकारी दी. खास बात यह कि इस रैली की अध्यक्षता बिहार तैलिक साहू सभा के अध्यक्ष रणवीर साहू ने की. रणविजय साहू राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रधान महासचिव होने के साथ-साथ पार्टी के विधायक भी हैं.

धोबी अधिकार रैली
इसी प्रकार राजधानी में बीती नौ फरवरी को धोबी अधिकार रैली का भी आयोजन हो चुका है. इस रैली के भी माध्यम से धोबी समाज को अपने अधिकार के प्रति जागरूक करने की कोशिश की गई. इस रैली को भी इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.

कुर्मी एकता रैली
तेली रैली और धोबी अधिकार रैली अभी खत्म ही हुई थी कि अब राजधानी का मिलर स्कूल का मैदान फिर एक रैली का गवाह बनने जा रहा है. दरअसल, अब इस मैदान में एक रैली का आयोजन आगामी 19 फरवरी को किया जाएगा. इसे कुर्मी एकता रैली का नाम दिया गया है. खास बात यह कि इस रैली में छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती का भी जिक्र किया गया है. बिहार की राजनीति में यह पहला मौका है, जब छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम किसी रैली में लिया गया है. इस रैली को लेकर के राजधानी में जो पोस्टर लगाए गए हैं, उनमें छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ ही सीएम नीतीश कुमार, सरदार वल्लभभाई पटेल के अलावा अन्य लोगों की तस्वीरें हैं. इस रैली के पोस्टर को प्रदेश जदयू कार्यालय के मेन गेट पर तो लगाया ही गया है, राजधानी में कई जगह पर इसके पोस्टर लगाए गए हैं.

हम पार्टी करेगी दलित समागम
राज्य और केंद्र सरकार में एनडीए की सहयोगी घटक दल हिंदुस्तानी एवं मोर्चा यानी हम पार्टी ने भी इसी माह में समागम करने का फैसला किया है. इसका आयोजन राजधानी के गांधी मैदान में किया जाएगा. इस रैली को सफल बनाने के लिए पार्टी की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है. पार्टी का मानना है कि इस दलित समागम में पूरे राज्य के कोने-कोने से हम पार्टी के समर्थक हिस्सा लेंगे.


प्राथमिक शिक्षक भर्ती में नौकरी चाहने वालों के नामों की सिफारिश राज्य के विपक्ष नेता शुभेंदु अधिकारी के भाई और पूर्व सांसद दिव्येंदु अधिकारी, भाजपा नेता और पूर्व पुलिस अधिकारी भारती घोष ने पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी से की थी. सूत्रों के मुताबिक, शिक्षक भर्ती भ्रष्टाचार मामले की जांच में सीबीआई को नामों की एक ऐसी ही सूची मिली है. इस सूची में तृणमूल विधायक शौकत मोल्ला और पूर्व तृणमूल सांसद ममताबाला ठाकुर का नाम भी शामिल है. सीबीआई का मानना ​​है कि इनमें से सभी ने नौकरी चाहने वालों के नामों की सिफारिश की थी.

उनमें से किसी से भी सीबीआई ने पूछताछ नहीं की है. केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई की ओर से 2014 की प्राथमिक परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर 2022 से जांच कर रही है. जिस साल परीक्षाएं इतनी विवादास्पद थीं, उस दौरान न तो दिव्येंदु और न ही भारती भाजपा में थे. बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए.

भारती घोष ने कहां से लड़ा था चुनाव?
भारती घोष ने भाजपा के टिकट पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ा. पिछले साल जून में सीबीआई ने विकास भवन (स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यालयों में से एक) के गोदाम पर छापा मारा था. वहां तलाशी के बाद दस्तावेज बरामद किए गए थे. सीबीआई सूत्रों के अनुसार, शुभेंदु अधिकारी के भाई दिव्येंदु अधिकारी और भारती घोष की ओर से अनुशंसित उम्मीदवारों के नाम दस्तावेज में लिस्टेड हैं. यह सूची राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भेजी गई थी. पार्थ चटर्जी इस शिक्षक घोटाले में फिलहाल जेल में हैं. कुल 324 उम्मीदवारों की सिफारिश की गई थी, जिनमें से 134 उम्मीदवारों को प्राथमिक शिक्षक के रूप में नौकरी मिल गई.

क्या बोले शुभेंदु अधिकारी?
शुभेंदु अधिकारी ने भाई का नाम सामने आने कहा कि जिन लोगों की सिफारिश पर अवैध नियुक्तियां की गईं. उनमें भारतीय जनता पार्टी का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं था. आप जिनका नाम बता रहे हैं, वे उस समय राज्य के सत्ताधारी दल के सांसद या विधायक हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वे उस समय भाजपा पार्टी से जुड़े नहीं थे. अगर कोई अवैध नियुक्ति हुई थी तो उनसे पूछताछ होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया गया.


एकनाथ शिंदे: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने शनिवार को महाराष्ट्र के रत्नागिरी में एक रैली के दौरान कहा कि जिन लोगों ने उन्हें हल्के में लिया. उनका क्या हुआ? इस दौरान उन्होंने विपक्षी पार्टी के नेताओं जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि हम सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए हैं. हम लोगों को सुनहरे दिन दिखाने के लिए राजनीति में आए हैं. हमने ढाई साल पहले इसकी शुरुआत की थी. अब हमें वह गति दिखानी होगी. अब हम घर बैठकर सरकार नहीं चलाते, हम जनता के लिए सड़कों पर निकलते हैं.

एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने किसानों के साथ बात की. हम कोई भी विकास योजना बंद नहीं करेंगे. शिंदे ने कहा कि हमने सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद योजना बनाई है और स्पष्ट किया कि लड़की बहिन सहित अन्य योजनाएं जारी रहेंगी..
शिंदे ने कहा कि राजनीति में पद ऊपर-नीचे होते रहते हैं, लेकिन एकनाथ शिंदे को लड़का भाऊ के ​​रूप में नई पहचान मिली. यह सभी पदों से अधिक है. मैं इससे संतुष्ट हूं. मुझे गर्व है. मैं महाराष्ट्र के लिए समर्पण की भावना से तब तक काम करूंगा जब तक मेरे खून की एक-एक बूंद बह न जाए. वे बकवास बातें कर रहे हैं. इस महाराष्ट्र ने आपको घर जैसा एहसास कराया. वे अभी भी नहीं समझे.

जिन लोगों ने मुझे हल्के में लिया…
एकनाथ शिंदे ने लोगों का आभार जताते हुए कहा, “एक बार जब मैं कोई प्रतिबद्धता जता देता हूं तो फिर मैं खुद की भी नहीं सुनता. मैं एक साधारण कार्यकर्ता हूं. मुझे हल्के में मत लो. वह बालासाहेब और दिघे साहेब के कार्यकर्ता हैं. एकनाथ शिंदे ने विपक्ष से कहा, आप जानते हैं कि जिन लोगों ने मुझे हल्के में लिया, उनका क्या हुआ उन्होंने बाद में यह भी कहा. मैंने जो वचन दिया था और मैं उसे निभाने आया हूं. मैं बालासाहेब के चरणों में विजय अर्पण करने आया हूं. बालासाहेब को कोंकण बहुत प्रिय था. आप भी शिवसेना, बालासाहेब और धनुषबाण से प्रेम करते थे.

जीत में कोंकणी समुदाय के लोगों ने निभाई अहम भूमिका
एकनाथ शिंदे ने कहा, ‘शिवसेना की जीत में कोंकणी लोगों की बड़ी भूमिका है. कुछ लोगों ने कहा कि वे किसी भी विधायक को निर्वाचित नहीं होने देंगे. मैंने कहा था कि मैं किसी भी विधायक को हारने नहीं देंगे. इस चुनाव में हमारे 232 विधायक चुनकर आये. भारी बहुमत से बहुमत प्राप्त हुआ. हमने केवल 80 सीटों पर चुनाव लड़ा और 60 विधायक चुने गये.’


मुंबई। देश में बिजली की मांग बढ़ रही है। इसलिए, बिजली उत्पादन के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा जैसी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन मुंबई में एक अलग प्रयोग होने जा रहा है। मुंबई में समुद्री लहरों से बिजली पैदा की जाएगी। यह परियोजना केन्द्र सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी भारत पेट्रोलियम कंपनी लिमिटेड (बीपीसीएल) द्वारा शुरू की जाएगी। इसके लिए एक इजराइली कंपनी का सहयोग लिया जाएगा। खबर है कि समुद्री लहरों से बिजली पैदा करने की देश की पहली पायलट परियोजना मुंबई में चल रही है। भारत ऊर्जा सप्ताह (IEW) कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया गया। इसका ध्यान देश की बढ़ती ईंधन एवं ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने पर केंद्रित था। इसका फोकस पर्यावरण अनुकूल एवं स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन पर था। इसके तहत बीपीसीएल ने मुंबई महासागर जैसे तट पर अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली उत्पादन की योजना बनाई है।

इजरायली कंपनी वेव पावर के साथ होगा समझौता
बीपीसीएल और इजराइल की इको वेव पावर तरंग ऊर्जा उत्पादन परियोजना के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। मुंबई तट पर 100 किलोवाट बिजली उत्पादन परियोजना शुरू की जाएगी। इको पावर कंपनी ने इस परियोजना को इजराइल में सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों ने इस संबंध में इसी सप्ताह समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना जताई है।

यह परियोजना किन देशों में चल रही है?
इजराइल के तेल अवीव में मुख्यालय वाली इको वेव पावर ने कुछ देशों में समुद्री लहरों से बिजली पैदा करने की परियोजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। इनमें इजराइल, स्पेन में जिब्राल्टर और पुर्तगाल जैसे स्थान शामिल हैं। इस स्थान पर पांच से 20 मेगावाट की तरंग ऊर्जा परियोजना चल रही है। इसी तकनीक का उपयोग मुंबई तट पर बिजली पैदा करने के लिए किया जाएगा। भारत में बिजली की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसलिए, बिजली उत्पादन के नए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। वर्तमान में सौर ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। लेकिन सूर्यास्त के बाद सौर ऊर्जा की उत्पादकता कम हो जाती है।


प्रयागराज: सनातन संस्कृति के सबसे बड़े मानवीय समागम महाकुंभ में उमड़े आस्था और भक्ति के सागर में सोमवार को महामहिम भी पहुंचीं। भारत की दूसरी महिला और पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती के पावन संगम में डुबकी लगाकर पूरे विश्व को एकता और सामाजिक समरसता का संदेश दिया। महामहिम द्रौपदी मुर्मू ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरी आस्था के साथ त्रिवेणी संगम में स्नान किया। पवित्र डुबकी लगाने से पहले राष्ट्रपति ने त्रिवेणी संगम पर पुष्प और नारियल चढ़ाया और अर्घ्य देकर भगवान सूर्य को नमन किया। उन्होंने मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की पूजा करते हुए एक के बाद एक कई बार पवित्र जल में डुबकी लगाई। इसके बाद उन्होंने वैदिक मंत्रों और श्लोकों के उच्चारण के बीच संगम स्थल पर पूजा की और संगम की आरती भी की। इस दौरान उनके साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे।

विधिवत पूजन अर्चन किया

त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने से पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने परिवार के साथ विधिवत पूजा अर्चना की। संगम में डुबकी लगाने से पहले राष्ट्रपति ने सबसे पहले पूरी आस्था के साथ जल को छूकर आशीर्वाद लिया और फिर पवित्र जल में फूल माला और नारियल चढ़ाकर पूरे देश की खुशहाली और शांति की कामना की। इसके बाद उन्होंने भगवान सूर्य की पूजा की और अर्घ्य देकर माथा टेका। इसके बाद उन्होंने पूरी श्रद्धा के साथ संगम में कई बार डुबकी लगाई। स्नान के बाद उन्होंने विधिवत पूजा अर्चना भी की। राष्ट्रपति ने वैदिक मंत्रों और श्लोकों के बीच संगम त्रिवेणी का दुग्धाभिषेक किया। इसके बाद उन्होंने अक्षत, नैवेद्य, पुष्प, फल और लाल चुनरी चढ़ाई। इसके बाद उन्होंने संगम स्थल पर तीनों पवित्र नदियों की आरती भी की। वहां मौजूद तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें पवित्र धागा बांधकर सम्मानित किया।

प्रयागराज पहुंचने पर राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने किया स्वागत

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सोमवार सुबह प्रयागराज पहुंचीं तो राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत और अभिनंदन किया। यहां से राष्ट्रपति अरैल घाट पहुंचीं, जहां से वह क्रूज पर सवार होकर त्रिवेणी संगम पहुंचीं। इस दौरान राष्ट्रपति ने डेक पर खड़े होकर नौका विहार का भी आनंद लिया और पक्षियों को अपने हाथों से दाना भी खिलाया। इस दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें महाकुंभ के आयोजन और इससे जुड़ी कई व्यवस्थाओं की जानकारी भी दी।


पीएम मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों ने अपने-अपने गले शिकवे भुलाकर इंडिया गठबंधन का गठन किया था. विपक्ष के एक साथ आने का सियासी लाभ भी 2024 के लोकसभा चुनाव में मिला. इंडिया गठबंधन भले ही सत्ता में वापसी न कर सका हो, लेकिन बीजेपी को अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा नहीं छूने दिया. नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए सहयोगी दलों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ा था, लेकिन उसके बाद हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज सारा हिसाब बराबर कर लिया है. इस तरह से इंडिया गठबंधन के बने मोमेंटम की सात महीने में ही हवा निकल गई है. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन 235 सीटें जीतने में कामयाब रही, जिसमें कांग्रेस की 99 सीटें शामिल थीं. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए 293 सीटें जीती थी, जिसमें बीजेपी की 240 सीटें थी. 2019 की तुलना में बीजेपी को 63 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. बीजेपी के लिए यह सियासी झटका था. संसद से सड़क तक विपक्ष के हौसले बुलंद थे और मोदी सरकार पर आक्रामक रुख अपना रखा था, जिसके बाद सवाल उठने लगा कि बीजेपी के ढलान का वक्त शुरू हो गया है. ऐसे में बीजेपी ने जिस तरह से लोकसभा के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनाव में कमबैक ही नहीं किया बल्कि इंडिया गठबंधन को मात देकर सारे बने बनाए मोमेंटम की हवा निकाल दी है.


आरएसएस के सीनियर पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबाले दो दिन के दौरे पर रविवार को प्रयागराज पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया. इसी बीच उन्होंने अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित जनजाति समागम के एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया. इसमें उन्होंने वनवासी समाज के योगदान की सराहना की. उन्होंने आगे कहा कि हिंदू संस्कृति और सनातन परंपरा को बचाने में जनजातीय संतों और समाज की अहम भूमिका रही है. साथ ही ये भी बताया कि मौजूदा समय में धर्मांतरण और विदेशी विचारधारा जैसे संकट हिंदू समाज के सामने खड़े हैं, जिनका मुकाबला करने के लिए संतों और समाज के सभी वर्गों को एकजुट होकर कोशिश करने की जरूरत है.

वनवासी समाज ने परंपराओं को सहेजकर रखा
दत्तात्रेय होसबाले ने ये भी कहा कि भारत की सनातन परंपरा केवल आस्था और पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन पद्धति है, जिसमें प्रकृति संरक्षण, सामाजिक समरसता और सेवा कार्य का विशेष महत्व है. वनवासी समाज ने सदियों से इस परंपरा को सहेजकर रखा है. इस दिशा में और ज्यादा काम करने की जरूरत है. इस मौके पर उन्होंने संतों से अपील की कि वो वनवासी समाज में शिक्षा, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाएं. जनजातीय समाज के युवा अगर अपनी परंपराओं और संस्कृति से जुड़ेंगे, तो वे धर्मांतरण जैसी चुनौतियों से बच सकेंगे और समाज की एकता को मजबूत कर सकेंगे.

कई संतों ने साझा किए अपने अनुभव
इस कार्यक्रम में कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह, गंगाधर महाराज और दादू दयाल समेत कई राज्यों से आए 77 जनजातीय संत-महंत मौजूद थे. संतों ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि जनजातीय इलाकों में किस प्रकार विदेशी संगठनों द्वारा धर्मांतरण की साजिशें रची जा रही हैं और किस प्रकार समाज में विभाजन करने की कोशिशें की जा रही हैं. कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए सत्येंद्र सिंह ने कहा कि वनवासी समाज को मजबूत करने के लिए सभी संतों और सामाजिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा. उन्होंने कहा कि कल्याण आश्रम इस दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है और संतों से अपेक्षा की कि वे भी इसमें सहयोग दें. सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने समापन भाषण में कहा कि जनजातीय समाज की एकता और अस्तित्व बनाए रखने के लिए सभी को संगठित होकर कोशिशें करनी होंगी, ताकि सनातन संस्कृति को मजबूती मिल सके.

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