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गोण्डा (उ.प्र.)। अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिये कानून लाने की तेज होती मांग और उस पर भाजपा नेताओं की प्रतिबद्धतापूर्ण प्रतिक्रियाओं के बीच इसी पार्टी की सांसद सावित्री बाई फुले ने उस स्थान पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने की मांग की है। बहराइच से भाजपा की सांसद सावित्री ने शुक्रवार रात यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर अयोध्या में जब विवादित स्थल पर खुदाई की गयी थी, तो वहां तथागत से जुड़े अवशेष निकले थे। इसलिए अयोध्या में तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं साफ करना चाहती हूँ कि बुद्ध का भारत था। अयोध्या बुद्ध का स्थान है। इसलिए वहां तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए।’’
 
संघ के प्रचारक एवं भाजपा के राज्य सभा सदस्य राकेश सिन्हा द्वारा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में एक निजी विधेयक लाए जाने संबंधी सवाल पर पार्टी सांसद ने कहा, ‘‘भारत का संविधान धर्म निरपेक्ष है, जिसमें सभी धर्मों की सुरक्षा की गारंटी दी गयी है। संविधान के तहत ही देश चलना चाहिए। सांसद या विधायक को भी संविधान के तहत ही चलना चाहिए।’’ भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब साधु-संत तथा विभिन्न तथाकथित हिन्दूवादी संगठन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये कानून बनाने के लिये सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या के विवादित स्थल मामले पर नियमित सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाले जाने के बाद से शुरू हुई इस कवायद के बाद भाजपा नेता राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी संकल्पबद्धता जाहिर करने वाले बयान दे रहे हैं। 

 

भारतीय पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी को साहस के लिए लंदन प्रेस फ्रीडम अवार्ड 2018 से सम्मानित किया गया है। सत्ताधारी भाजपा की आईटी सेल को लेकर खोजी पत्रकारिता के लिए उन्हें इस अवार्ड के लिए चुना गया।

 

‘आई एम ट्रोल: इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ द बीजेपी डिजिटल आर्मी’ की लेखिका स्वतंत्र पत्रकार स्वाति ने इटली, मोरक्को और तुर्की के पत्रकारों को हराकर यह पुरस्कार जीता। 
पुरस्कार जीतने पर स्वाति ने कहा, ‘यह मेरे लिए काफी अहमियत रखता है। मुझे नहीं लगता कि पत्रकारों ने अपना काम करना बंद कर दिया है, लेकिन पूरे दुनिया की सरकारें अपनी आलोचना को लेकर असहिष्णु हो गई हैं।

मुझे ऑनलाइन काफी धमकियां दी गईं, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की। अगर मैं ऐसा करती तो अपना काम नहीं कर पाती।’ इस कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार रात रिपोर्ट्स सैंस फ्रंटियर्स (आरएसएफ) और रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स ने किया था। 

  • एम-777 होवित्जर तोप रासायनिक हमले को भांपने में सक्षम
  • पाकिस्तान और चीन की सीमा जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में होवित्जर बेहद कारगर
  • सेना में के-9 वज्र तोप भी शामिल, इसे भारतीय निजी क्षेत्र ने बनाया

मुंबई. भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। महाराष्ट्र के दवलाली में शुक्रवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में सेना को एम-777 होवित्जर तोप और के-9 वज्र तोप सौंपी गईं। इस मौके पर सेना प्रमुख विपिन रावत भी मौजूद रहे। होवित्जर तोप की मारक क्षमता 40-50 किलोमीटर है। इसी तरह के-9 28 से 38 किलोमीटर तक की रेंज में सटीक निशाना साध सकती है।

 होवित्जर की 7 रेजीमेंट बनेंगी

थल सेना 145 एम 777 होवित्जर की सात रेजीमेंट भी बनाने जा रही है। इन तोपों की आपूर्ति अगस्त 2019 से शुरू हो जाएगी और यह पूरी प्रक्रिया 24 महीने में पूरी होगी। इसे हेलीकॉप्टर या विमान के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। होवित्जर अमेरिका में बनी बेहद हल्की तोप है। इसे अफगानिस्तान और इराक युद्ध में इस्तेमाल किया जा चुका है। अभी इसका इस्तेमाल अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं।

 2020 तक सौंपी जाएंगी 100 के-9

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने संवाददाताओं से कहा कि के-9 वज्र के प्रोजेक्ट पर 4,366 करोड़ रुपए और एम-777 होवित्जर के प्रोजेक्ट पर 5070 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। यह काम नवंबर 2020 तक पूरा होगा। सेना को के-9 श्रेणी की 100 तोपें सौंपी जानी है। इस महीने 10 तोपें सौंपी जाएंगी। अगली 40 तोपें नवंबर 2019 में और बाकी 50 तोपें नवंबर 2020 तक सौंपी जाएंगी।

 जुलाई तक पूरी हो जाएगी रेजीमेंट

के-9 वज्र 30 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है। इसकी पहली रेजीमेंट जुलाई 2019 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसे भारतीय निजी क्षेत्र ने तैयार किया है।

नोटबंदी के दो वर्ष पूरे हो गये हैं। अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित बनाने की दिशा में सरकार द्वारा जो भी कदम उठाए गए उनमें नोटबंदी एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। सबसे पहले सरकार ने देश के बाहर काले धन पर निशाना साधा। संपत्ति धारकों को दंड कर के भुगतान पर उस पैसे को वापस लाने के लिए कहा गया। जो लोग ऐसा करने में असफल रहे हैं उन पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। दूसरे देशों में मौजूद सभी बैंक अकाउंट्स और संपत्तियों का विवरण सरकार तक पहुंचा है, जिसके परिणामस्वरूप नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
 
तकनीकी का इस्तेमाल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों पर रिटर्न दाखिल करने और टैक्स बेस का विस्तार करने के लिए किया गया है। कमजोर वर्ग भी देश की औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा हों, यह सुनिश्चित करने की दिशा में वित्तीय समावेशन एक और महत्वपूर्ण कदम था। जन धन खातों के जरिए अधिक से अधिक लोग बैंकिंग प्रणाली से जुड़ चुके हैं। आधार के जरिए सरकारी सहायता का प्रत्यक्ष और पूरा लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंच रहा है। जीएसटी के जरिए अप्रत्यक्ष करों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाना सुनिश्चित किया गया।
 
नकद की भूमिका
 
भारत नकदी के वर्चस्व वाली अर्थव्यवस्था थी। नकद लेन-देन में, लेने वाले और देने वाले का पता नहीं लगाया जा सकता। इसमें बैंकिंग प्रणाली की भूमिका पीछे छूट जाती है और साथ ही टैक्स सिस्टम भी बिगड़ता है। नोटबंदी ने नकद धारकों को सारा कैश बैंकों में जमा करने पर मजबूर किया। बैंकों में नकद जमा होने और किसने जमा किए, ये पता चलने के परिणामस्वरूप 17.42 लाख संदिग्ध खाता धारकों की पहचान हो सकी। नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंड कार्रवाई का सामना करना पड़ा। बैंकों में ज्यादा धन जमा होने से बैंकों की ऋण देने की क्षमता में भी सुधार हुआ। आगे निवेश के लिए इस धन को म्यूचुअल फंड में बदल दिया गया। ये कैश भी औपचारिक प्रणाली का हिस्सा बन गया।
 
गलत तर्क
 
नोटबंदी की एक बे-तर्क आलोचना यह है कि लगभग पूरा नकद बैंकों में जमा हो गया है। नोटबंदी का उद्देश्य नकदी की जब्ती नहीं था। नोटबंदी का उद्देश्य था कैश को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल कराना और कैशधारकों को टैक्स सिस्टम में लाना। भारत को नकद से डिजिटल लेनदेन में स्थानांतरित करने के लिए सिस्टम में बदलाव की ज़रूरत है। इसका स्पष्ट रूप से उच्च कर राजस्व और उच्च कर आधार पर असर होगा।
 
डिजिटलीकरण पर प्रभाव
 
‘द यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस’ यानि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) 2016 में लॉन्च किया गया था जिसके जरिए दो मोबाइल धारकों के बीच वास्तविक समय में भुगतान संभव है। इसके जरिए हुआ लेन-देन अक्टूबर 2016 के 0.5 अरब रुपयों से बढ़कर सितंबर 2018 में 598 अरब रुपये पहुंच गया। भारत इंटरफेस फॉर मनी यानि भीम (बीएचआईएम) एनपीसीई द्वारा विकसित किया गया एक ऐप है, जिसमें यूपीआई का उपयोग कर त्वरित भुगतान किया जाता है। इस समय करीब 1.25 करोड़ लोग लेनदेन के लिए भीम ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। भीम ऐप के जरिए लेनदेन सितंबर 2016 के 0.02 अरब रुपये से बढ़कर सितंबर 2018 में 70.6 अरब रुपये हो गया। जून 2017 में यूपीआई के जरिए हुए कुल लेनदेन में भीम ऐप की हिस्सेदारी लगभग 48% है।
 
रुपे कार्ड का उपयोग प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) और ई-कॉमर्स दोनों में किया जाता है। इसके जरिए प्वाइंट ऑफ सेल में नोटबंदी से पहले 8 अरब रुपयों का लेनदेन हुआ था वहीं सितंबर 2018 में यह बढ़कर 57.3 अरब रुपये हो गया और ई-कॉमर्स में ये आंकड़ा 3 अरब रुपयों से बढ़कर 27 अरब रुपये हो गया।
 
आज यूपीआई और रुपे कार्ड की स्वदेशी भुगतान प्रणाली के आगे वीजा और मास्टरकार्ड भारतीय बाजारों में अपनी हिस्सेदारी खो रहे हैं। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से होने वाले भुगतान में यूपीआई और रूपे की हिस्सेदारी अब 65% तक पहुंच चुकी है।
 
प्रत्यक्ष करों पर प्रभाव
 
नोटबंदी का प्रभाव व्यक्तिगत इनकम टैक्स कलेक्शन पर भी देखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष 2018-19 (31-10-2018 तक) इनकम टैक्स कलेक्शन में 20.2% बढ़ोतरी देखी गई है। कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन भी 19.5% अधिक रहा। नोटबंदी से दो साल पहले जहां प्रत्यक्ष कर कलेक्शन में क्रमशः 6.6% और 9% की वृद्धि हुई, वहीं नोटबंदी के बाद के दो वर्षों- 2016-17 में 14.6% और 2017-18 में 18% की वृद्धि दर्ज हुई।
 
इसी तरह वर्ष 2017-18 में इनकम टैक्स रिटर्न 6.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है। इस साल, 31-10-2018 तक 5.99 करोड़ रुपये का रिटर्न दाखिल किया जा चुका है जो पिछले वर्ष की इस तारीख तक की तुलना में 54.33% अधिक है। इस साल 86.35 लाख नये करदाता भी जुड़े हैं।
 
मई 2014 में जब वर्तमान सरकार चुनी गई, तब इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की कुल संख्या 3.8 करोड़ थी। इस सरकार के पहले चार वर्षों में यह संख्या बढ़कर 6.86 करोड़ हो गई है। इस सरकार के पहले पांच वर्ष पूरे होने तक हम निर्धारिती आधार को दोगुना करने के करीब होंगे।
 
अप्रत्यक्ष कर पर प्रभाव
 
नोटबंटी और जीएसटी के लागू होने से नकद लेनदेन बड़े पैमाने पर खत्म हुआ है। डिजिटल लेनदेन में बढ़ावा साफ देखा जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचा है, करदाताओं की संख्या बढ़ी है। जीएसटी लागू होने के बाद करदाताओं का आंकड़ा पहसे के 60 लाख 40 हजार से बढ़कर 1 करोड़ 20 लाख हो गया। नेट टैक्स के हिस्से के रूप में दर्ज वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक खपत अब बढ़ी है। इसने अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष कर वृद्धि को बढ़ावा दिया है। इससे केंद्र और राज्य दोनों को फायदा हुआ है। जीएसटी के बाद प्रत्येक राज्य को हर साल कराधान में अनिवार्य 14% की वृद्धि हो रही है। तथ्य यह है कि निर्धारकों को अपने कारोबार की घोषणा अब न केवल अप्रत्यक्ष कर के प्रभावित आंकड़े के साथ करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि कर निर्धारण में उनसे उत्पन्न आयकर का खुलासा किया गया है। 2014-15 में जीडीपी अनुपात पर अप्रत्यक्ष कर 4.4% था। जीएसटी के बाद यह कम से कम 1 प्रतिशत अंक बढ़कर 5.4% तक चढ़ गया है।
 
छोटे करदाताओं को 97,000 करोड़ रुपये, जीएसटी निर्धारकों को 80,000 करोड़ रुपये की वार्षिक आयकर राहत देने के बावजूद टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों की दरें कम कर दी गई हैं, लेकिन टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है। टैक्स बेस का विस्तार किया गया है। प्री-जीएसटी 31% कर दायरे में आने वाली 334 वस्तुओं पर कर कटौती देखी गई है।
 
सरकार ने इन संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर बुनियादी ढांचा निर्माण, सामाजिक क्षेत्र और ग्रामीण भारत के विकास के लिए किया है। इससे बेहतर क्या हो सकता है कि आज गांव सड़कों से जुड़ें हैं, हर घर बिजली पहुंच रही है, ग्रामीण स्वच्छता दायरा 92% पहुंच चुका है, आवास योजना सफल हो रही है, 8 करोड़ गरीब घरों तक गैस कनेक्शन पहुंचा है। दस करोड़ परिवारों को आयुष्मान भारत का लाभ मिल रहा है। सब्सिडी वाले भोजन पर 1,62,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, किसानों के लिए एमएसपी में 50% की वृद्धि और सफल फसल बीमा योजना। यह अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण है जिससे 13 करोड़ उद्यमियों को मुद्रा लोन मिला है। सातवां वेतन आयोग चंद हफ्तों के भीतर लागू किया गया था और वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा किया गया। अधिक व्यवस्थित अर्थव्यवस्था यानि अधिक राजस्व, गरीबों के लिए अधिक संसाधन, बेहतर बुनियादी ढांचा, और हमारे नागरिकों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन।
 
-अरुण जेटली
(लेखक केंद्रीय वित्त मंत्री हैं)
नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश में बेरोजगारी की दर दो साल के उच्चतम स्तर पर चले जाने संबंधी खबर को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मोदी ने ‘सूटबूट वाले दोस्तों को फायदा पहुंचाने और युवाओं के सपने को मिट्टी में मिलाने का काम किया है।’गांधी ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए ट्वीट किया, ‘‘2014-ठग विद्या 1: मुझे प्रधानमंत्री बनाओ, मैं 2 करोड़ रोज़गार दिलाऊँगा। 2016-ठग विद्या 2: नोटबंदी में मेरा साथ दो, मैं काला धन वापस लाऊंगा।2018- असलियत: सूट बूट वाले दोस्तों को राफेल में उड़ाऊंगा, नौजवानों के सपने मिट्टी में मिलाऊँगा।’’
 
दरअसल, थिंक टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनोमी (सीएमआईई) के मुताबिक इस साल अक्टूबर में देश में बेरोजगारी की दर 6.9 फीसदी पर पहुंच गई है जो पिछले दो सालों में सबसे ज्यादा है। श्रमिक भागीदारी भी घटकर 42.4 फीसदी पर पहुंच गया है जो जनवरी 2016 के आंकड़ों से बी नीचे है। 

घरेलू रसोई गैस और महंगी हो गई है। सरकार के एलपीजी डीलरों के कमीशन बढ़ाये जाने के बाद भारतीय घरों में पहुंचने वाली एलपीजी गैस सिलेंडर की दरों में यह बढ़ोतरी हो गई है। एलपीजी कीमत में दो रुपये प्रति सिलेंडर की कीमत की बढ़ोतरी की गयी है। 

 

सार्वजनिक क्षेत्र की खुदरा ईंधन कंपनियों की कीमत अधिसूचना के अनुसार 14.2 किलो के सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर की दिल्ली में कीमत 507.42 रुपये होगी जो पहले 505.34 रुपये थी। 

इससे पहले, पेट्रोलियम मंत्रालय ने डीलर कमीशन बढ़ाने का आदेश दिया था। आदेश में मंत्रालय ने कहा कि 14.2 किलो और 5 किलो के सिलेंडर पर घरेलू एलपीजी वितरकों का कमीशन पिछली बार सितंबर 2017 में क्रमश: 48.89 रुपये तथा 24.20 रुपये नियत किया गया था।

आदेश के अनुसार एलपीजी वितरकों के कमीशन की नये सिरे से समीक्षा के लिये अध्ययन के लंबित होने के बीच परिवहन लागत, वेतन आदि में वृद्धि को देखते हुए अंतरिम उपाय के रूप में वितरकों का कमीशन 14.2 किलो के सिलेंडर के लिये बढ़ाकर 50.58 रुपये प्रति सिलेंडर तथा 5 किलो के सिलेंडर के मामले में 25.29 रुपये करने का फैसला किया गया है।

इस महीने यह दूसरा मौका है जब एलपीजी सिलेंडर के दाम बढ़ाये गये हैं। इससे पहले, एक नवंबर को मूल कीमत पर कर के कारण प्रति सिलेंडर 2.84 रुपये की वृद्धि की गयी थी। जून से एलपीजी सिलेंडर के दाम हर महीने बढ़े हैं। इसका कारण उच्च मल कीमत पर जीएसटी भुगतान है और कुल मिलाकर कीमत 16.21 रुपये बढ़ा है।

मुंबई में 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर की लागत अब 505.05 रुपये जबकि कोलकाता में 510.70 रुपये तथा चेन्नई में 495.39 रुपये होगी। विभिन्न राज्यों में स्थानीय करों तथा परिवहन लागत के कारण दाम अलग-अलग हैं।

जम्मू। भारत और पाकिस्तान के सैनिकों ने दिवाली की पूर्व संध्या पर मंगलवार को जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर एक दूसरे को मिठाइयां दी। उन्होंने एक दूसरों को त्योहार की शुभकामनाएं भी दीं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। जम्मू स्थित व्हाइट नाइट कोर ने एक ट्वीट में कहा, "दिवाली के अवसर पर, विश्वास बहाली उपाय के तहत, भारतीय और पाकिस्तान सेनाओं ने छह नवंबर को पुंछ और मेंधर में मिठाइयों का आदान-प्रदान किया गया।" दोनों सेनाओं ने एक दूसरे को मिठाइयों के साथ शुभकामनाएं भी दी। 

इस बीच, एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि जनरल ऑफिसर कमांडिंग, ‘‘फायर एंड फ्यूरी कोर’’ लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने दिवाली की पूर्व संध्या पर पश्चिमी लद्दाख के दुर्गम और पहाड़ी इलाकों में शून्य से कम तापमान में तैनात सैनिकों के साथ बातचीत की।प्रवक्ता ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने सैनिकों और उनके परिवारों को बधाई दी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल जोशी ने द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और सैनिकों के साथ बातचीत की।
दीपावली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्योहार है और इसे देश में ही नहीं अब तो विदेशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। रोशनी के इस त्योहार की छटा भारत के हर कोने में देखते ही बनती है। दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है। इसलिए मां लक्ष्मी की आराधना में हर कोई काफी पहले से जुट जाता है। लक्ष्मी जी के स्वागत और उनको प्रसन्न करने के लिए दीपावली से काफी समय पहले ही लोग अपने घरों की पुताई सफाई करवाते हैं और घर पर विभिन्न प्रकार की रोशनी करते हैं ताकि मां लक्ष्मी उनके घर की ओर आकर्षित हो सकें और उनकी कृपा हासिल की जा सके।
 
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त
 
इस वर्ष दीपावली पर माँ लक्ष्मी जी की पूजा का मुहूर्त 17 बजकर 57 मिनट से लेकर 19 बजकर 53 मिनट तक है और पूजा मुहूर्त की कुल अवधि 1 घंटा 55 मिनट की रहेगी। इसके अलावा महानिशिता काल 23 बजकर 38 मिनट से लेकर 24 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में माँ लक्ष्मी की पूजा से विशेष लाभ होना निश्चित है। इसके अलावा भी कई अन्य उपाय हैं जिनसे मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। जरूरत है तो बस सच्चे मन से उनका ध्यान करने की। भक्त चाहे अमीर हो या गरीब, मां लक्ष्मी सब पर कृपा करती हैं।
 
दीपावली के दिन सामूहिक पूजन में भाग लेने के बाद यदि संभव हो तो रात्रि पूजन अवश्य करें। इसके लिए श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र, कनक धारा श्री यंत्र और लक्ष्मी यंत्र को मंदिर में स्थापित कर पूजन करें। इस दौरान कमल गट्टे की माला लेकर 'ओम श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ओम महालक्ष्म्ये नमः' का जाप करें। इस मंत्र को जपने के दौरान यदि हवन में घी की आहुति भी डालें तो और अच्छा रहेगा।
 
पूजा की तैयारी ऐसे करें
 
घर की सफाई करके लक्ष्मी के स्वागत की तैयारी में दीवारों को रंग कर लक्ष्मीजी का चित्र बनाएं। संध्या के समय विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं। लक्ष्मीजी के चित्र के सामने एक चौकी रखें। इसे मोली बांधें। इस पर मिट्टी के गणेशजी स्थापित करें। उसे रोली लगाएं। दो सामान्य दीपक और छह चौमुखे दीपक बनाएं तथा 26 छोटे दीपक रखें। इनमें तेल तथा बत्ती डालकर धूप आदि सहित पूजा करें। पूजा पहले पुरुष करें बाद में स्त्रियां। पूजा करने के बाद एक एक दीपक घर के कोनों पर जलाकर रखें। एक छोटा तथा एक चौमुखा दीपक रखकर लक्ष्मीजी की मूर्ति रखकर विधिवत पूजन करें। अपनी इच्छानुसार घर की बहुओं को रुपए दें। लक्ष्मी पूजन रात के समय बारह बजे करना चाहिए। इस समय एक पाट पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर एक जोड़ी लक्ष्मी तथा गणेश जी की जोड़ी रखें। समीप ही रुपए, सवासेर चावल, गुड़, केले, मूली, हरी ग्वार फली तथा पांच लड्डू रखकर सारी सामग्री सहित लक्ष्मी गणेश का पूजन करके लड्डुओं से भोग लगाओ। दीपकों का काजल सब स्त्री पुरुषों की आंखों में लगाना चाहिए। रात्रि जागरण करके गोपालसहस्त्र का पाठ करना चाहिए। इस दिन घर में बिल्ली आए तो उसे भगाना नहीं चाहिए। बड़ों के चरणों की वंदना करनी चाहिए। दुकान गद्दी की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
 
रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरांत चूने अथवा गेरु में रुई भिगोकर चक्की, चूल्हा, सिल्ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) का तिलक काढ़ना चाहिए। दूसरे दिन चार बजे प्रातःकाल उठकर पुराने छाज में कूड़ा रखकर कूड़े को दूर फेंकने के लिए ले जाते हुए कहते जाओ− लक्ष्मी आओ, दरिद्र जाओ। इसके बाद लक्ष्मी जी कथा सुनें।
 
माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पूजन की विधि
 
आचमन प्राणायाम करके संकल्प के अंत में− स्थिरलक्ष्मीप्राप्त्र्यथं श्रीमहालक्ष्मीप्रीत्र्यथं सर्वारिष्टनिवृत्तिपूर्वकसर्वाभीष्टफलप्राप्त्र्यथम् आयुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धर्यथं व्यापारे लाभार्थं च गणपति नवग्रह कलशादि पूजनपूर्वकं श्रीमहाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती लेखनी कुबेरादीनां च पूजनं करिष्ये कहकर जल छोड़ें। इसके बाद गणपति, कलश और नवग्रह आदि का पूवोक्त विधि से पूजन करके महालक्ष्मी का पूजन करें।
 
कई लोग लक्ष्मी पूजन के समय सिर्फ उन्हीं की तस्वीर की पूजा करते हैं। मां लक्ष्मी अपने पति भगवान श्री विष्णु के बगैर कहीं नहीं रहतीं इसलिए उनकी तस्वीर अथवा मूर्ति के साथ भगवान श्री विष्णु की तस्वीर या मूर्ति होना भी आवश्यक है। इसके अलावा मां लक्ष्मी के साथ ही भगवान श्री गणेश की भी तस्वीर या मूर्ति स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। तभी मां लक्ष्मी का वहां स्थायी वास होता है। इसके अलावा पूजन के समय वहां शालिग्राम, शंख, तुलसी और अनंत महायंत्र भी होना चाहिए। मां लक्ष्मी चूंकि समुद्र देवता की पुत्री हैं इसलिए पूजन के समय मंदिर में यदि कुबेर पात्र, मोती और शंख इत्यादि भी हों तो अच्छा रहेगा।
 
मां लक्ष्मी को कमल बेहद पसंद है। उनका एक नाम कमला भी है। मां लक्ष्मी को पूजन के समय कमल अर्पित किया जाए तो वह बेहद प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा कमल गट्टे की माला से उनका पूजन भी किया जाता है। कमल गट्टे की माला लेकर 'ओम श्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद मम गृहे आगच्छ आगच्छ महालक्ष्म्ये नम:' का जाप करें। नित्य यदि यह जाप करें तो और भी अच्छा एवं फलदायक होगा।
 
मान्यताएं
 
दीपावली पूजन के अलावा इस पर्व के बारे में कुछ मान्यताएं भी प्रचलित हैं जैसे कि हिन्दू धर्म में यह मान्यता है कि त्रेता युग में इस दिन भगवान राम 14 वर्ष के वनवास और रावण का वध करने के बाद अयोध्या लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने समूची नगरी को दीपों के प्रकाश से जगमग कर जश्न मनाया था और इस तरह तभी से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा।
 
इसके अलावा बौद्धों के प्राकृत जातक में दिवाली जैसे त्योहार का जिक्र है जिसका आयोजन कार्तिक महीने में किया जाता है। जैन लोग इसे महावीर स्वामी के निर्वाण से जोड़ते हैं। कहा जाता है कि करीब ढाई हजार वर्ष पूर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी की रात में पावा नगरी में भगवान महावीर का निर्वाण हुआ। महावीर के निर्वाण की खबर सुनते ही सुर असुर मनुष्य नाग गंधर्व आदि बड़ी संख्या में एकत्र हुए। रात अंधेरी थी इसलिए देवों ने दीपकों से प्रकाश कर उत्सव मनाया और उसी दिन कार्तिक अमावस्या को प्रातः काल उनके शिष्य इंद्रमूर्ति गौतम को ज्ञान लक्ष्मी की प्राप्ति हुई। तभी से इस दिन दीपावली मनाई जाने लगी।
 
दीपावली के बारे में एक मान्यता यह भी है कि जब राजा बलि ने देवताओं के साथ लक्ष्मी जी को भी बंधक बना लिया तब भगवान विष्णु ने वामन रूप में इसी दिन उन्हें मुक्त कराया था। पुराणों में कहा गया है कि दीपावली लक्ष्मी के उचित उपार्जन और उचित उपयोग का संदेश लेकर आती है।
 
- शुभा दुबे
केदारनाथ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीपावली के पर्व पर उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित केदारनाथ धाम पहुंचे और भगवान के दर्शन तथा पूजा—अर्चना की। मंदिर के कपाट बंद होने से दो दिन पूर्व मंदिर के दर्शन करने पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी के साथ उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्रे सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह भी मौजूद थे। मंदिर के अंदर करीब 10—15 मिनट पूजा करने के बाद मोदी ने मंदिर की परिक्रमा की और पिछले कुछ दिनों में धाम में हुई बर्फबारी से खूबसूरत हुए नजारे का भी दीदार किया। प्रधानमंत्री ने मंदिर प्रांगण में लगायी गयी केदारनाथ की तस्वीरों का भी अवलोकन किया जिसमें वर्ष 2013 में आयी प्रलयंकारी भीषण आपदा से उजड़ गये क्षेत्र के पुनर्निर्माण की यात्रा को दर्शाया गया था।
मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग 'आस्था पथ' के दोनों ओर खडे़ श्रद्धालुओं तथा स्थानीय लोगों का भी प्रधानमंत्री ने हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार किया और उन्हें दीपावली की शुभकामनायें भी दीं। मोदी ने केदारनाथ मंदिर के चारों तरफ घूम—घूम कर वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों तथा व्यवस्था का भी जायजा लिया। प्रधानमंत्री ने इसके अलावा धीमी गति से चल रहे एक विशेष वाहन में बैठकर मंदाकिनी नदी के किनारे केदारपुरी में पुनर्निर्माण परियोजनाओं का भी निरीक्षण किया। आपदा में क्षतिग्रस्त होने के बाद पुनर्निर्मित उदक कुंड का भी उन्होंने अवलोकन किया।
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