ईश्वर दुबे
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Bhilai
राजधानी लखनऊ के विभूतिखंड इलाके में 10 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा करने जा रहे बिहारी गैस सर्विस के कैशियर को बदमाशों ने दिनदहाड़े गोली मार दी। वारदात से हड़कंप मच गया।
मिली जानकारी के अनुसार कैशियर श्याम सिंह बैग में 10 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा करने जा रहा था। तभी बाइक से आए बदमाशों ने उसे गोली मार दी। गोली श्याम सिंह के सीने में लगी और उसकी मौत हो गई। वारदात से हंगामा मच गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बदमाश बाइक पर थे। बाइक चालक हेलमेट पहने हुए था जबकि पीछे बैठा शख्स मुंह पर कपड़ा लपेटे हुए था।
श्याम सिंह श्याम सिंह लखनऊ के विनीतखंड दो में रहता था।
मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले भव्य सुनेजा उसी विमान के कप्तान थे जो आज इंडोनेशिया के समुद्र में क्रैश हो गया। बता दें कि सोमवार को लायन एयर का बोइंग 737 मैक्स-8 विमान टेक ऑफ करने के महज 13 मिनट बाद ही क्रैश हो गया था। विमान का मलबा भी बरामद किया गया है। जकार्ता से पांगकल पिनांग के लिए उड़ान भरने वाले इस विमान में 189 लोग सवार थे।
इंडोनेशिया की आपदा एजेंसी ने हादसे का शिकार हुए विमान की कुछ तस्वीरें ट्विटर पर डालीं, जिनमें बुरी तरह टूट चुका एक स्मार्टफोन, किताबें, बैग, विमान के कुछ हिस्से दिख रहे हैं। दुर्घटना की जगह तक पहुंचे खोजी एवं बचाव पोतों ने यह सामान इकट्ठा किया है।
एजेंसी प्रमुख मोहम्मद सयोगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हमें अभी तक नहीं पता है कि कोई जीवित बचा है।' विमान के आपातकालीन ट्रांसमीटर से कोई परेशानी का संकेत नहीं आया था। 'हम उम्मीद करते हैं, प्रार्थना करते हैं लेकिन पुष्टि नहीं कर सकते।'
उन्होंने आगे कहा, 'हम पहले से ही वहां पर हैं, हमारा हेलिकॉप्टर पानी के इर्द गिर्द सहायता करने के लिए घूम रहा है। हम मलबे को खोजने की कोशिश कर रहे हैं।'
अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई टालते हुए कहा कि जनवरी में उपयुक्त बेंच इस मामले की सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह जनवरी 2019 में अयोध्या विवाद मामले में सुनवाई की तारीख तय करेगा।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, सरकार के वकील तुषार मेहता ने इस मामले में कोर्ट से अपील किया कि कोर्ट बताए कि इस मामले की जनवरी में कब से सुनवाई शुरू होगी। इसपर बेंच ने कहा कि यह सब फैसला नई पीठ करेगी।
बता दें कि 2010 से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन भूमि विवाद के मसले पर अब तक नियमित सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है। पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई की शुरुआत में ही मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला 1994 में इस्माइल फारूखी मामले में सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी से प्रभावित है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।
उन्होंनेे पहले इस टिप्पणी को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ को भेजने की मांग की। तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने 27 सितंबर को बहुमत (2:1) से लिए फैसले में मसले को संविधान पीठ को भेजने से इनकार कर दिया। साथ ही साफ किया कि मामले का निपटारा भूमि विवाद के तौर पर किया जाएगा।
नयी दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) छोड़ने के करीब एक महीने बाद तारिक अनवर शनिवार को कांग्रेस में शामिल हो गए। सूत्रों ने बताया कि नयी दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद वह पार्टी में शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि अनवर अपने समर्थकों के साथ गांधी से तुगलक लेन स्थित उनके निवास पर मिले जहां उनका पार्टी में स्वागत किया गया। कटिहार लोकसभा सीट से पूर्व सांसद रहे अनवर दोपहर या शाम तक कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर शरद पवार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “बचाव” में उतरने के बाद 28 सितंबर को अनवर ने घोषणा की थी कि वह राकांपा से बाहर हो रहे हैं और अपनी लोकसभा सदस्यता भी छोड़ रहे हैं। मीडिया में कहा गया था कि राफेल सौदा मामले में पवार ने मोदी को क्लीन चिट दी है हालांकि पवार ने सफाई दी थी कि मीडिया में उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया और उन्होंने ऐसी कोई क्लीन चिट मोदी को नहीं दी।कांग्रेस की बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष रहे अनवर ने पवार और दिवंगत पी ए संगमा के साथ मिलकर 1990 में राकांपा बनाई थी। सोनिया गांधी को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का अध्यक्ष बनाए जाने के विरोध में उन्होंने इस पार्टी का गठन किया गया था। राकांपा इसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर और महाराष्ट्र में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में रही।मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में प्रधान के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाली सूचना के अधिकार से जुड़ी एक महिला कार्यकर्ता के साथ गांव प्रधान के परिजन द्वारा मारपीट का मामला सामने आया है। एक पुलिस अधिकारी ने शनिवार को बताया कि नीलोफर नामक इस महिला के साथ शुक्रवार शाम को उसके गांव पुरबालियान में बने घर में मारपीट की गई। नीलोफर ने प्रधान के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। प्रधान के परिजन मामला दर्ज होने के बाद फरार हो गये। आरोपियों ने महिला के घर से आभूषण भी लूटे।
नयी दिल्ली। देश में सात मौजूदा सांसदों और 199 विधायकों ने अपने पैन कार्ड विवरण घोषित नहीं किये हैं, जिनकी चुनाव के वक्त नामांकन पत्र भरने के लिए जरूरत होती है। एक रिपोर्ट में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) की इस रिपोर्ट को 542 लोकसभा सांसदों और 4,086 विधायकों के स्थायी खाता संख्या (पैन) के विवरण के विश्लेषण के बाद तैयार किया गया है।
संसद और राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों को निर्वाचन अधिकारियों के समक्ष अपने नामांकन पत्रों के साथ अपने हलफनामों में पैन का विवरण देना होता है। एडीआर ने एक बयान में कहा,‘‘पैन विवरण घोषित नहीं करने वाले सबसे अधिक 51 विधायक कांग्रेस के है। इसके बाद भाजपा के 42 विधायक, माकपा के 25 विधायक हैं।’’ राज्यवार सबसे अधिक संख्या (33) केरल से है। इसके बाद मिजोरम (28) और मध्य प्रदेश (19) हैं।’’दिलचस्प बात यह है कि मिजोरम राज्य विधानसभा में विधायकों की संख्या 40 हैं जिसमें से 28 विधायकों ने पैन विवरण नहीं दिया है।
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के बड़गाम जिले में एक आतंकवादी हमले में केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) का एक अधिकारी शहीद हो गया। पुलिस के एक प्रवक्ता ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया, ‘‘दरम्यानी रात में बड़गाम जिले के वगूरा ग्रिड स्टेशन में आतंकवादियों ने गोलीबारी की जिसमें सीआईएसएफ का एक एएसआई घायल हो गया। हालांकि घटनास्थल पर मौजूद सर्तक संतरी ने हमला विफल कर दिया। प्रवक्ता ने बताया, ‘‘घायल एएसआई राजेन्द्र प्रसाद को अस्पताल ले जाया गया लेकिन उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।’’
नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को बेंगलुरु स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल एनजीओ के कार्यालय पर छापेमारी की। ईडी ने यह कार्रवाई अगस्त 2018 में एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट के आधार पर की।
अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में यूके स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल और अन्य संस्थाओं से एमनेस्टी की भारत स्थित शाखा को फंडिंग होने का आरोप लगाया गया था। यह फंडिंग कई कमर्शियल चैनल्स के माध्यम से की गई।
अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, यह रकम करीब 36 करोड़ रुपए है, जो बेंगलुरु स्थित एमनेस्टी इंटरनेशनल एनजीओ को मई 2014 से अगस्त 2016 के बीच मिली। इसे फेमा का उल्लंघन माना जा रहा है।
करीब दो हफ्ते पहले ईडी ने पर्यावरण से संबंधित एनजीओ ग्रीनपीस के खिलाफ कार्रवाई की थी। जांच में ग्रीनपीस एनजीओ को गैरकानूनी रूप से विदेशी फंडिंग मिलने की बात सामने आई थी। इसके बाद ईडी ने ग्रीनपीस के बैंक खाते को सीज कर दिया था। हालांकि, ग्रीनपीस एनजीओ ने आरोपों को नकार दिया है।
मुंबई. राफेल सौदे पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि इसके साझेदारों के नाम तभी सामने लाए जाएंगे जब विमान मिलने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि राफेल की आपूर्ति में फ्रांस की कंपनी दैसो और दो या तीन अन्य कंपनियां भी हिस्सेदारी कर रही हैं। इन सबको अलग-अलग लक्ष्य दिए गए हैं। सीतारमण ने यह बात गुरुवार को इकोनॉमिक इंडिया सम्मेलन-2018 को संबोधित करते हुए कही।
अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को किस आधार पर दैसो एविएशन का ऑफसेट साझेदार बनाया गया? इस सवाल पर रक्षा मंत्री ने कहा कि आपूर्ति में शामिल सभी कंपनियों को ऑफसेट पूरा करने का मौका दिया जाएगा। एक, दो या तीन जितनी भी कंपनियां होंगी, उन्हें या तो निवेश का मौका मिलेगा या सेवा की खरीद करनी होगी। यह दैसो पर छोड़ दिया जाएगा कि वह हमारे पास आकर दावा पेश करे। ऑफसेट पार्टनर का ब्योरा तभी दिया जाएगा जब वह बिल के साथ अपनी सेवा के लिए हमारे पास आएंगे। फिर चाहे उन्होंने उपकरण दिए हों या कि कोई सेवा।
‘राफेल मामले में कांग्रेस राष्ट्र को गुमराह कर रही’
सीतारमण ने कहा, ‘‘कांग्रेस के लगाए आरोप बेबुनियाद हैं।’’ उन्होंने कहा कि विपक्ष के सवालों और संदेहों को पहले ही दूर किया जा चुका है। वे इस मामले पर बार-बार अपना ही रुख बदल रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हमने एक भी सवाल छिपाया नहीं और न उन्हें रोकने की कोशिश की। विपक्ष यहां से वहां भटक रहा है।’’
जम्मू-कश्मीर. सुरक्षा बलों ने सोपोर में मुठभेड़ के दौरान शुक्रवाार को दो आतंकियों को मार दिया। एनकाउंटर में एक जवान शहीद हो गया। सोपोर में छिपे आतंकियों ने अचानक सुरक्षाबलों पर फायरिंग कर दी। शुक्रवार तड़के से मुठभेड़ चल रही थी।
राज्य में गुरुवार को भी दो अलग-अलग मुठभेड़ हुई थीं। इनमें छह आतंकी मारे गए थे। पहली मुठभेड़ बारामूला के खीरी में हुई। यहां दो आतंकी मारे गए। दूसरी मुठभेड़ अनंतनाग में हुई जिसमें सुरक्षाबलों ने चार आतंकियों को ढेर कर दिया।
नई दिल्ली. सीबीआई में रिश्वतखोरी विवाद के बाद जांच एजेंसी के प्रमुख आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने वर्मा से जुड़े मामले की जांच दो हफ्ते में पूरी करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की अगुआई में यह जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) करेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई के अंतरिम चीफ नागेश्वर राव नीतिगत फैसले नहीं ले सकते। अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।
सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने और नया अंतरिम चीफ नियुक्त किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी है। सुनवाई के दौरान वर्मा की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन ने कहा, ‘‘सीवीसी और केंद्र सरकार का आदेश किसी कानूनी अधिकार के तहत नहीं है।’’ इस पर तीन जजों की बेंच ने कहा- हम इसे देखेंगे। कोर्ट ने वर्मा और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के एनजीओ कॉमन काॅज की याचिकाओं पर केंद्र, सीवीसी और राकेश अस्थाना को नोटिस जारी किया।
अस्थाना ने भी लगाई याचिका : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले में अस्थाना ने भी याचिका दायर की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उनके वकील की दलीलें सुनने से इनकार करते हुए कहा- उनकी फाइल कोर्ट के सामने नहीं है।
सरकार ने माना- ताजा घटनाक्रमों के चलते सीबीआई की विश्वसनीयता कम हुई
शीर्ष अदालत के फैसले पर केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘‘सरकार किसी एक व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में नहीं है। हम सिर्फ सीबीआई की संस्थागत ईमानदारी और उसकी छवि बनाए रखना चाहते हैं। ताजा घटनाक्रमों के चलते सीबीआई की विश्वसनीयता कम हुई। सीवीसी ने निष्पक्षता बनाए रखने के लिए ही दो शीर्ष अफसरों को छुट्टी पर भेजने की सिफारिश की थी। दो हफ्ते में जांच का खत्म होना एक सकारात्मक पक्ष होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात को आगे बढ़ाया। उन्होंने पारदर्शिता का ख्याल रखा। हमारा देश यह कीमत नहीं दे सकता कि भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसी खुद ही उसके घेरे में आ जाए।’’
सीबीआई ने दी थी सफाई : इससे पहले गुरुवार को सीबीआई ने इस मामले में सफाई दी। कहा- आलोक वर्मा अभी भी सीबीआई डायरेक्टर और राकेश अस्थाना स्पेशल डायरेक्टर हैं। इन अफसरों को हटाया नहीं गया है। इन्हें सिर्फ जांच से अलग करके छुट्टी पर भेजा गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में आलोक वर्मा की दलीलें
वर्मा ने अपनी याचिका में दलील दी कि उन्हें हटाना डीपीएसई एक्ट की धारा 4बी का उल्लंघन है। डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल तय है। प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई की कमेटी ही डायरेक्टर को नियुक्त कर सकती है। वही हटा सकती है। इसलिए सरकार ने कानून से बाहर जाकर निर्णय लिया है। कोर्ट ने बार-बार कहा है कि सीबीआई को सरकार से अलग करना चाहिए। डीओपीटी का कंट्रोल एजेंसी के काम में बाधा है।
सरकारी दखल कहीं लिखित में नहीं मिलेगा। लेकिन, ये होता है। इसका सामना करने के लिए साहस की जरूरत होती है।
सरकार ने कहा- एजेंसी की छवि के लिए ऐसा करना जरूरी
सीबीआई विवाद में कार्रवाई को लेकर सरकार ने बुधवार को जवाब दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा- सीबीआई की ऐतिहासिक छवि रही है और उसकी ईमानदारी को बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया था। सीवीसी की अनुशंसा पर एक एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी। केंद्र ने यह भी साफ किया अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी हो जाएगी।
माेइन कुरैशी के मामले की जांच से शुरू हुआ रिश्वतखोरी विवाद
सीबीआई में अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। इस जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के एवज में पांच करोड़ रुपए मांगे थे। हालांकि, 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी को पत्र लिखकर डायरेक्टर आलोक वर्मा पर सना से दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था।
सीबीआई कैसे पहुंचा राफेल का मामला?
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया है कि सीबीआई चीफ अालोक वर्मा जिन मामलों को देख रहे थे, उनमें सबसे संवेदनशील केस राफेल डील से जुड़ा था। दरअसल, 4 अक्टूबर को ही वर्मा को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की तरफ से 132 पेज की एक शिकायत मिली थी। इसमें कहा गया था कि फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की सरकार की डील में गड़बड़ी हुई है। आरोप था कि हर एक प्लेन पर अनिल अंबानी की कंपनी को 35% कमीशन मिलने वाला है। दावा है कि आलोक वर्मा को जब हटाया गया, तब वे इस शिकायत के सत्यापन की प्रक्रिया देख रहे थे।
सीबीआई में दो बड़े अफसरों के बीच दो साल से टकराव जारी
सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन : आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस शुक्रवार को देशभर में विरोध-प्रदर्शन कर रही है। दिल्ली में भी सीबीआई मुख्यालय के सामने पार्टी के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा है। उधर, कांग्रेस के इस प्रदर्शन का तृणमूल कांग्रेस ने भी समर्थन किया है।
नई दिल्ली. रिश्वतखोरी विवाद के बाद सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में कांग्रेस ने शुक्रवार को देशभर में प्रदर्शन किया। दिल्ली में प्रदर्शन की कमान पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाली। उनके नेतृत्व में दयाल सिंह कॉलेज से सीबीआई मुख्यालय तक मार्च निकाला गया। राहुल ने बैरिकेड पर चढ़कर धरना दिया। सीबीआई मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन के बाद राहुल ने गिरफ्तारी दी। इसके बाद वे लोधी रोड पुलिस स्टेशन गए। वहां से बाहर निकलने पर उन्होंने कहा- प्रधानमंत्री भाग सकते हैं, लेकिन आखिर में सच सामने आएगा।
राहुल का आरोप- वर्मा को छुट्टी पर भेजने के पीछे मोदी का हाथ
राहुल ने इससे पहले गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- सीबीआई विवाद राफेल से जुड़ा हुआ है। सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है। सीबीआई चीफ पर कार्रवाई इसलिए हुई, क्योंकि वे राफेल से जुड़े मामले की जांच शुरू करने वाले थे। उनके कमरे को सील किया गया और जो दस्तावेज उनके पास थे, वे ले लिए गए। राफेल से जुड़े सबूतों को मिटाने के लिए यह काम रात दो बजे किया गया। देश नरेंद्र मोदी को छोड़ेगा नहीं, विपक्ष भी उन्हें नहीं छोड़ेगा।
सीबीआई कैसे पहुंचा राफेल का मामला?
अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया है कि सीबीआई चीफ अालोक वर्मा जिन मामलों को देख रहे थे, उनमें सबसे संवेदनशील केस राफेल डील से जुड़ा था। दरअसल, 4 अक्टूबर को ही वर्मा को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की तरफ से 132 पेज की एक शिकायत मिली थी। इसमें कहा गया था कि फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की सरकार की डील में गड़बड़ी हुई है। आरोप था कि हर एक प्लेन पर अनिल अंबानी की कंपनी को 35% कमीशन मिलने वाला है। दावा है कि आलोक वर्मा को जब हटाया गया, तब वे इस शिकायत के सत्यापन की प्रक्रिया देख रहे थे।
माेइन कुरैशी के मामले की जांच से शुरू हुआ रिश्वतखोरी विवाद
सीबीआई में नंबर-2 अफसर राकेश अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। इस जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे।