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लखनऊ। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुये फैजाबाद का नाम बदलने की मांग की है। विहिप की ओर से कहा गया है कि लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुये फैजाबाद जिले का नाम बदलकर 'श्री अयोध्या' किया जाए। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि ‘‘योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करके संतों की मांग का सम्मान किया है। यह कदम स्वागत योग्य है, जैसे सरकार ने इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किया है, उसी तरह फैजाबाद का नाम भी बदलकर 'श्री अयोध्या' कर देना चाहिए।' उन्होंने कहा कि 'आज देश में अनेक सड़कें, भवन, जनपद, गुलामी का बोध कराते आ रहे हैं। देश को अंग्रेज दासता से मुक्ति जरूर प्राप्त हुई है परन्तु उनके प्रतीक आज भी हर हिन्दुस्तानी के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाते हैं। वर्तमान सरकारें भावनाओं को समझें और भविष्य की पीढ़ी को इन गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति दिलायें।' शर्मा ने कहा कि योगी सरकार दीपावली पर दीपोत्सव महोत्सव के दौरान साधु संतों के समक्ष नाम बदलने की घोषणा कर सकते हैं। गौरतलब है कि इस सप्ताह मंगलवार को उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने ऐतिहासिक शहर इलाहाबाद का नाम प्रयागराज करने का प्रस्ताव किया था जिसको कैबिनेट से पास कर दिया था।

 

नई दिल्ली.  आयकर विभाग ने दुबई में महंगी प्रॉपर्टी खरीदने वाले 7500 भारतीयों के खिलाफ जांच शुरू की है। इस विभाग की खुफिया और आपराधिक शाखा ने उन भारतीयों का डेटा निकला है, जिन्होंने पिछले कुछ सालों में दुबई के रियल एस्टेट में निवेश किया। इस बात का भी पता लगाया जा रहा है कि इस निवेश के फंड का सोर्स क्या रहा और क्या इन लोगों ने आयकर विभाग को जानकारी दी?
तीन महीने में 6006 करोड़ रुपए का निवेश
इंडियन एक्सप्रेस ने दुबई लैंड डेवलपमेंट के हवाले से बताया कि साल के शुरुआती तीन महीनों में कम से कम 1,387 भारतीयों ने दुबई में 6006 करोड़ रुपए (3 बिलियन दिरहम) का निवेश किया। वहीं, 2017 में भारतीयों ने 31221 करोड़ (15.6 बिलियन दिरहम) का निवेश किया।
दुबई लैंड डेवलपमेंट के मुताबिक, 2013 से 2017 के बीच भारतीयों ने करीब 1.67 लाख करोड़ रुपए (83.65 बिलियन दिरहम) की प्रॉपर्टी खरीदी। भारतीय कानून के मुताबिक, दुबई में प्रॉपर्टी खरीदना गैर-कानूनी नहीं है। फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट 1999 के मुताबिक, भारतीय प्रवासी और अप्रवासी विदेश में अचल संपत्ति खरीद सकता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक, एक नागरिक विदेशी प्रॉपर्टीज और सिक्युरिटीज में सालाना 2,50,000 डॉलर का निवेश कर सकता है। हालांकि, नियमों के मुताबिक, ऐसे व्यक्ति को आईटी रिटर्न्स में विदेशी संपत्ति को घोषित करना होगा।
काला धन रोकथाम अधिनियम के तहत, अघोषित विदेशी आय और संपत्ति पर 30% टैक्स लगता है। रिटर्न्स में डिसक्लोज नहीं करने पर आपराधिक केस तो बनता ही है साथ ही 300% जुर्माने का भी प्रावधान है।

नई दिल्ली: RTI DAY: आरटीआई (RTI Act) के पालन को लेकर जारी वैश्विक रैकिंग में भारत को झटका लगा है. देश की रैकिंग नीचे गिरकर अब छह नंबर पर पहुंच गई है. जबकि पिछले साल भारत पांचवे नंबर पर था. दुनिया के प्रमुख 123 देशों में आरटीआई कानून है.  सेंटर फॉर लॉ एंड डेमोक्रेसी(कनाडा) और स्पेन की संस्था एक्सेस इन्फो यूरोप ने बीते दिनों 28 सितंबर को इंटरनेशनल राइट टू नो(जानने का अधिकार) डे के दिन इन सभी देशों की रैकिंग जारी की थी. जिसमें भारत को पिछले साल की तुलना में नुकसान उठाना पड़ा है. खास बात है कि जिन देशों को भारत से ऊपर स्थान मिला है, उनमें ज्यादातर देश भारत के बाद इस कानून को अपने यहां लागू किए हैं. भारत में इस कानून को जहां सूचना का अधिकार नाम से जानते हैं वहीं दुनिया के कई देशों में इसे राइट टू नो के रूप में जानते हैं. ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया(Transparency International India) ने भारत में 12 अक्टूबर 2018 को आरटीआई डे के मौके पर जारी रिपोर्ट में भारत की अंतरराष्ट्रीय रैकिंग गिरने का जिक्र किया है. देश में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों की निगरानी करने वाली इस संस्था ने देश में आरटीआई एक्ट के पालन को लेकर चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है. संस्था ने आरटीआई एक्ट से जुड़े तीन महत्वपूर्ण सेक्शन, मसलन 25(2), सेक्शन 19(1) और सेक्शन 19(2) पर फोकस कर रिपोर्ट पेश की है

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