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लखनऊ। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अयोध्‍या में राम मंदिर के निर्माण के लिये वर्ष 1992 जैसा ही आंदोलन शुरू करने के राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के इरादे को मुल्‍क के लिये बेहद खतरनाक बताते हुए आज कहा कि मंदिर को लेकर अचानक तेज हुई गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं। एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बातचीत में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हिन्‍दूवादी संगठनों द्वारा अचानक तेज की गयी गतिविधियों के बारे में कहा कि जहां तक मंदिर निर्माण को लेकर तथाकथित हिन्‍दूवादी संगठनों में बेचैनी का सवाल है, तो साफ जाहिर है कि यह सियासी है। आगामी लोकसभा चुनाव को सामने रखकर यह दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन वे संगठन दरअसल क्‍या करेंगे, अभी तक इसका सही अंदाजा नहीं है।

 
मंदिर निर्माण के लिये वर्ष 1992 जैसा व्‍यापक आंदोलन छेड़ने के संघ के इशारे के बारे में रहमानी ने कहा कि संघ अगर आंदोलन शुरू करता है तो यह बहुत खतरनाक होगा। इससे मुल्‍क में अफरातफरी का माहौल पैदा हो जाएगा। इस आशंका का कारण पूछे जाने पर उन्‍होंने बताया कि वर्ष 1992 में हिन्‍दुओं और मुसलमानों के बीच नफरत इतनी ज्‍यादा नहीं थी। हाल के सालों में दोनों के बीच खाई बहुत गहरी हो गयी है।
 
विश्‍व हिन्‍दू परिषद, अंतरराष्‍ट्रीय हिन्‍दू परिषद समेत तमाम हिन्‍दूवादी संगठनों और साधु-संतों द्वारा मंदिर निर्माण के लिये अध्‍यादेश लाने या कानून बनाने को लेकर सरकार पर दबाव बनाये जाने के बारे में पूछे गये सवाल पर मौलाना रहमानी ने कहा कि कुछ कानूनविदों के मुताबिक इस मसले पर अभी कोई अध्‍यादेश या संसद का कानून नहीं आ सकता। अब सरकार क्‍या करेगी और उसके क्‍या नतीजे होंगे, यह नहीं कहा जा सकता।
 
हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि हाल में सेवानिवृत्‍त हुए न्‍यायमूर्ति जे. चेलमेश्‍वर ने चंद दिन पहले मुम्‍बई में एक कार्यक्रम में कहा था कि मंदिर निर्माण को लेकर अध्‍यादेश लाना या संसद से कानून पारित कराया जाना नामुमकिन नहीं है। बोर्ड का शुरू से ही स्‍पष्‍ट नजरिया है कि आपसी सहमति से मसला हल करने की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बाद वह अयोध्‍या विवाद पर उच्‍चतम न्‍यायालय के निर्णय को ही मानेगा।
 
इस बीच, देश में मुसलमानों के सबसे बड़े सामाजिक संगठन माने जाने वाले जमीयत उलमा-ए-हिन्‍द की उत्‍तर प्रदेश इकाई के अध्‍यक्ष मौलाना अशहद रशीदी ने कहा कि अयोध्‍या मामले को लेकर तेज हुई गतिविधियों पर उनका एक ही जवाब है कि मामला अदालत में है इसलिये सभी को सब्र से काम लेते हुए अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिये। उसका जो भी निर्णय हो, उसे कुबूल करना चाहिये। मुल्‍क में अमन और सलामती इसी तरह रहेगी। उन्‍होंने कहा कि हठधर्मिता से देश को नुकसान होगा। हमारी अपील है कि इस मामले में जज्‍बात से काम न लेकर हालात की नजाकत को समझते हुए काम किया जाए।
पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में आयोजित दो-दिवसीय राष्ट्रीय ज्ञानकुंभ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उद्घाटन किया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 9 बजकर 15 मिनट पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुंचे। जहां से वह एमआई-17 हेलीकॉप्टर से पतंजलि के लिए रवाना हो गए। जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। इसके बाद हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ पहुंचकर राष्ट्रपति ने ज्ञानकुंभ का उद्घाटन किया। मंच का संचालन श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के कुलपति डॉ. यूएस रावत ने किया। राष्ट्रपति के साथ देश की प्रथम महिला सविता कोविंद भी हरिद्वार पहुंची हैं।
 
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कार्यक्रम में कहा देवभूमि उत्तराखंड के खूबसूरत प्राकृतिक वातावरण के बीच ज्ञानकुंभ में आकर हर्ष महसूस हो रहा है। हरिद्वार कुंभ के आयोजन की पावन भूमि रही है। आधुनिक ज्ञान और शिक्षा में योग के महत्व को बढ़ाने में स्वामी रामदेव का योगदान महत्वपूर्ण है। आज भारत और विश्व में योग को घर-घर अपनाया जा रहा है। शिक्षा से मेरा आत्मिक जुड़ाव रहा है। इस आयोजन का मकसद उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है। यहां दो दिन में उच्च शिक्षा और भारतीय ज्ञान परंपरा पर सार्थक विमर्श के लिए मेरी शुभकामनाएं हैं। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूचि में शिक्षा को अनिवार्य स्थान दिया गया है। यह केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी है। उच्च शिक्षा की गुणवत्ता की अहम जिम्मेदारी प्रबंधन और शिक्षकों पर अधिक होती है। हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा जरूर होती है। बच्चों को ज्ञान देने के साथ ही संस्कार देना भी शिक्षक की जिम्मेदारी है। हमारे देश मे आदर्श शिक्षकों के अनेक प्रेरक उदाहरण मौजूद हैं। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को शिक्षा और शिक्षा के महत्व की जीती जागती मिसाल हैं। डॉ. कलाम के अंदर का शिक्षक सदैव सक्रिय रहा। राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होते ही वह दोबारा अपने शिक्षण के काम के लग गए। महामना मदन मोहन मालवीय के बिना उच्च शिक्षा को सोचना अधूरा है।उन्होंने कहा किभारतीय विश्विद्यालय में भी रशियन स्टडीज़ आदि के केंद्र स्थापित किये जाने की आवश्यकता है।
इस दौरान स्वामी रामदेव ने कहा कि ज्ञानकुंभ के माध्यम से हमें भारत को वैभवशाली बनाना है। उन्होंने प्रयागराज के महाकुंभ से पहले ज्ञानकुंभ पर सभी का स्वागत किया। कहा कि इस ज्ञानकुंभ से देश मे एक नए प्रकाश का आरोहण होगा। जैसे हमने योग की क्रांति की है, वैसे ही ज्ञान की क्रांति से भारत का डंका पूरी दुनिया में बजाना है।
 

केंद्र सरकार पर लगातार राम मंदिर निर्माण के लिए साधु-संत दबाव बना रहे हैं। शुक्रवार को आरएसएस के सरकार्यवाह ने भी सरकार से इस मसले पर अध्यादेश लाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि न्यायालय से न्याय मिलने में देरी हो रही है और सभी चाहते हैं कि राम मंदिर बने। इस मामले पर अब उच्चतम न्यायालय के पूर्व जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर का बयान आया है। उनका कहना है कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार इसपर कानून बना सकती है।

 

जस्टिस चेलमेश्वर ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े संस्थान ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस की एक परिचर्चा सत्र के दौरान कहा कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है। उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ परिवार में बढ़ती जा रही है।

इस साल की शुरुआत में जस्टिस चेलमेश्वर उच्चतम न्यायालय के उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे। शुक्रवार को परिचर्चा सत्र में जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है।

उन्होंने कहा, ‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं)। दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं)। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था।’ चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण दिया। उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख अपनाना चाहिए था। यह (राम मंदिर पर कानून) संभव है, क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका।’

अगर आप अपना खुद का कारोबार शुरू करने की सोच रहे हैं तो केवल एक घंटे में आसानी से लोन मिल सकेगा। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को इस सुविधा को शुरू किया था। हालांकि इस सेवा का लाभ केवल उन लोगों को मिलेगा, जो कि लघु या फिर मध्यम उद्योग को लगाना चाहते हैं। 
 
खास बातें-
  • -- इस लोन को लेने के लिए सारा प्रोसेस ऑनलाइन होगा।
  • -- आवेदक को बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। 
  • -- कम होगा मानवीय दखल
  • -- 21 सरकारी बैंकों से मिलेगा लोन
  • -- देना होगा नाम, ईमेल और मोबाइल नंबर
  • -- नहीं देना होगी रजिस्ट्रेशन फीस
  • -- आवेदकों के खाते में सीधे पहुंचेगा पैसा
  • -- जीएसटी नंबर होना बेहद जरूरी

इंस्पेक्टर राज से मिली मुक्ति

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loan - फोटो : loan
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने 59 मिनट के पोर्टल लांचिंग के एलान के बाद कहा, 'मैंने आपके लिए 59 मिनट ऋण अनुमोदन पोर्टल का फैसला किया है। यानि महज 59 मिनट में एक करोड़ रुपये का लोन मिल जाएगा। इसने एमएसएमई व्यवसायियों को पहले से ही लाभ पहुंच रहा है।'

इस क्षेत्र की इकाइयों को इंस्पेक्टर राज से मुक्ति दिलाने के लिये प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि इंस्पेटक्टर किस फैक्ट्री में निरीक्षण के लिए जाएगा, यह कम्प्यूटरीकृत लॉटरी के माध्यम से तय होगा। इसके साथ ही जांच करने वाले अधिकारी को 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर डालनी होगी।

अब कोई इंस्पेक्टर (निरीक्षक) ऐसे ही कहीं नहीं जा सकेगा। उसे फैक्टरी में जाने का कारण बताना होगा। उन्होंने कहा कि ये फैसले एमएसएमई क्षेत्र और इसमें काम करने वाले उद्यमियों तथा कर्मचारियों की दीपावली को खुशियों से भर देंगे।

ऐसे करना होगा आवेदन
  • -- आपको सबसे पहले https://www.psbloansin59minutes.com/home पर क्लिक करना होगा।
  • -- यहां पर अप्लाई नाउ ऑप्शन पर क्लिक करना होगा। 
  • -- इसके बाद अपना नाम, मोबाइल नंबर और ई-मेल आईडी देना होगा। 
  • -- मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी कोड आएगा, जिसको सबमिट करते ही लोन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 
  • -- प्रक्रिया में आपको सबसे पहले अपना जीएसटी नंबर और आयकर रिटर्न को दाखिल करना होगा। 
  • -- इसके अलावा 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट भी पीडीएफ फॉर्मेट में अपलोड करना होगा। 
  • -- जो लोग कंपनी के मालिक या फिर निदेशक होंगे उनको अपनी बेसिक, निजी और शिक्षा की जानकारी देनी होगी। 
  • -- जानकारी अपलोड होने के बाद 59 मिनट में लोन का अप्रूवल मिल जाएगा। 
  • -- इसके बाद संबंधित बैंक से लोन की राशि आपके बैंक खाते में ट्रांसफर हो जाएगा। 

बिहार का सबसे बड़ा राजनीतिक घराना अब टूटने के कगार पर है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से अलग होने जा रहे हैं। उन्होंने स्थानीय दीवानी अदालत में तलाक की अर्जी लगाई है। हालांकि यह अर्जी एकतरफा ही है, उसपर ऐश्वर्या राय के हस्ताक्षर नहीं हैं। 

 अब तेजप्रताप यादव ने तलाक मामले में बयान देते हुए कहा कि मैं घुट-घुट कर नहीं जी सकता। बता दें कि पांच महीने पहले ही तेजप्रताप और ऐश्वर्या की धूमधाम से शादी हुई थी। इस शादी में लालू यादव भी शामिल हुए थे। फिलहाल वो चारा घोटाला मामले में रांची की जेल में सजा काट रहे हैं, लेकिन तेजप्रताप की शादी में शामिल होने के लिए उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया था। 


तेजप्रताप की तरफ से अदालत में अर्जी दाखिल करने वाले वकील यशवंत कुमार शर्मा ने बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-ए के तहत तलाक मांगा गया है। इस धारा के तहत पति या पत्नी में से कोई भी एकतरफा तरीके से तलाक मांग सकता है। उन्होंने बताया कि तेजप्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या के बीच सामंजस्य नहीं है और इसलिए वे तलाक चाहते हैं। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है। 

तलाक की अर्जी दाखिल करने के बाद दीवानी अदालत परिसर से निकलते वक्त पत्रकारों ने जब तेजप्रताप के काफिले को रुकवाया तो उस वक्त राजद नेता ने अपने माथे पर एक छोटा सा बैंडेज बांध रखा था। हालांकि तेजप्रताप ने पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और जेल में बंद अपने पिता लालू यादव से मिलने के लिए रांची रवाना हो गए, लेकिन उनके कुछ करीबी परिजनों ने जब उन्हें समझाया-बुझाया तो वह बीच रास्ते से ही अपनी मां राबड़ी देवी के आवास लौट गए। 

वहीं, मीडिया खबरों के मुताबिक लालू यादव अपने परिवार की टूट की इस खबर से गहरे सदमे में हैं। बताया जा रहा है कि उनकी तबीयत और खराब हो गई है। फिलहाल वो रांची के एक अस्पताल में भर्ती हैं। इस बीच खबर आ रही है कि तेजप्रताप आज अपने पिता लालू यादव से मुलाकात कर सकते हैं। वो रांची रवाना भी हो चुके हैं। 

'मी टू' अभियान के तहत यौन उत्पीड़न मामले में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर जिस महिला पत्रकार ने रेप का आरोप लगाया था, अब उसने इस मामले अपना पक्ष रखा है। पत्रकार ने कहा है कि उनके और एमजे अकबर के बीच सहमति से संबंध नहीं बने थे। 

 महिला पत्रकार का कहना है कि जबरदस्ती और ताकत का गलत इस्तेमाल कर बनाए गए संबंध कभी सहमति वाले नहीं हो सकते हैं। 


बता दें कि एमजे अकबर पर अमेरिका की नागरिक और नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) की चीफ बिजनेस एडिटर ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। उनके इस आरोप पर शुक्रवार को एमजे अकबर ने सफाई देते हुए कहा था कि महिला पत्रकार और वह एक आपसी रजामंदी वाले रिश्ते में थे।

उन्होंने कहा था, 'हमारा यह रिश्ता कुछ महीनों तक चला। इस रिश्ते की वजह से लोगों को बात करने का एक मौका मिला और इसका असर मेरे घर पर पड़ा। हालांकि इस रिश्ते का अंत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा।'

वहीं, अकबर की पत्नी मल्लिका ने भी अपने पति की बात का समर्थन करते हुए आरोपों को झूठ बताया है। उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं पता कि आखिर महिला पत्रकार ने यह झूठ क्यों कहा, लेकिन यह झूठ है। 

पत्रकार ने ट्वीट के जरिए एमजे अकबर की सफाई पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने लिखा है, 'मैं उस समय 20 साल की एक महत्वाकांक्षी पत्रकार थी और अकबर के नेतृत्व वाले अखबार में काम कर रही थी। अकबर मेरे और अन्य महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जिम्मेदारी लेने के बजाय एक सीरियल यौन दुर्व्यवहार करने वाले की तरह संबंध को सहमति वाला बता रहे हैं। मैं अपने आरोपों पर कायम हूं और आगे भी सच्चाई बयां करती रहूंगी ताकि अन्य महिलाएं भी जो अकबर के द्वारा यौन प्रताड़ित की गई हैं, वो खुलकर सच्चाई बयां कर सकें।' 

उच्चतम न्यायालय ने बोफोर्स मामले में हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका खारिज की । न्यायालय ने कहा कि बोफोर्स मामले में उच्च न्यायालय द्वारा हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी के संबंध में सीबीआई ने जो दलील दी है उससे वह संतुष्ट नहीं है। न्यायालय ने कहा कि अपील दायर करने में हुई 4,500 दिन से भी ज्यादा की देरी को माफ करने के संबंध में सीबीआई द्वारा बताए गए कारण तर्कसंगत नहीं हैं।

 

उच्चतम न्यायालय ने 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स घोटाला मामले में हिन्दुजा बंधुओं समेत सभी आरोपियों को आरोप मुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बोफोर्स मामले में उच्च न्यायालय द्वारा हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी के संबंध में सीबीआई ने जो आधार बताए हैं उससे वह संतुष्ट नहीं है।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के इसी फैसले के खिलाफ अधिवक्ता अजय अग्रवाल की याचिका लंबित है और सीबीआई अपनी सभी दलीलें उसमें दे सकती है। भारत और बोफोर्स तोपों का निर्माण करने वाली स्वीडन की कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 24 मार्च, 1986 को 155 एमएम के 400 हॉवित्जर तोपों की खरीद का सौदा हुआ था।

हालांकि भाजपा नेता अजय अग्रवाल द्वारा 2005 में इसी मामले पर दाखिल याचिका पर अभी न्यायालय में सुनवाई होनी बाकी है। लेकिन अग्रवाल की अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्षकार होने पर सवाल उठाए थे। 

तीन तलाक पर अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। केरल स्थित मुस्लिम संगठन समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने का अनुरोध किया था। 

 मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। 


बता दें कि मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश 19 सितंबर को अधिसूचित किया गया था। इससे पहले, इस अध्यादेश को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दी थी। ‘तलाक-ए-बिद्दत’ के नाम से प्रचलित एक बार में तीन तलाक की प्रथा में एक मुस्लिम शौहर एक ही बार में तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है। 

पिछले महीने जारी अध्यादेश के अंतर्गत तीन तलाक को गैरकानूनी और शून्य घोषित करते हुए इसे दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया है। ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। हालांकि इस कानून के दुरुपयोग की आशंका को दूर करते हुए सरकार ने इसमें आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान करने जैसे कुछ सुरक्षा उपाय भी किए हैं। 

  • अक्टूबर से पहले अप्रैल में भी जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था
  • वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भी कहा गया कि जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ

नई दिल्ली. अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए रहा। जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी बार 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्शन रहा है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में जीएसटी से सरकार को 1.03 लाख करोड़ रुपए मिले थे। सितंबर में यह कलेक्शन 94,442 करोड़ रुपए था। एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू हुआ था।

 

सरकार को नवंबर-दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद थी। लेकिन, अक्टूबर में ही उसे कामयाबी मिल गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जीएसटी की कम दरों, देशभर में एक टैक्स की व्यवस्था और दूसरे टैक्स सुधारों की वजह से यह कामयाबी मिली।

 

अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए

सीजीएसटी 16,464 करोड़ रुपए
एसजीएसटी 22,826 करोड़ रुपए
आईजीएसटी 53,419 करोड़ रुपए
सेस 8,000 करोड़ रुपए

 

अक्टूबर में सेटलमेंट के बाद केंद्र सरकार को 48,954 करोड़ रुपए और राज्यों को 52,934 करोड़ रुपए मिले। वित्त मंत्रालय के मुताबिक सितंबर महीने के लिए कुल 67.45 लाख जीएसटीआर दाखिल किए गए।

 

केरल में टैक्स कलेक्शन 44% बढ़ा

राज्य टैक्स कलेक्शन ग्रोथ
केरल 44%
झारखंड 20%
राजस्थान 14%
उत्तराखंड 13%
महाराष्ट्र 11%

 

पिछले महीनों में जीएसटी के आंकड़े

महीना जीएसटी कलेक्शन (रुपए करोड़)
सितंबर 94,442
अगस्त 93,960
जुलाई 96,483
जून 95,610
मई 94,016
अप्रैल 1,03,458

 

वर्ल्ड बैंक ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी से आया

बुधवार को जारी हुई वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत को 77वीं रैंक दी गई। भारत की रैंकिंग में एक साल में 23 पायदान का सुधार हुआ। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी के जरिए आया है। पिछले साल की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया था। जीएसटी ने कारोबार की शुरुआत करना आसान बना दिया है, क्योंकि इसमें कई सारे एप्लीकेशन फॉर्म को इंटिग्रेट कर एक सिंगल जनरल इनकॉर्पोरेशन फॉर्म लाया गया है। इससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज हुई है।

  • अक्टूबर से पहले अप्रैल में भी जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था
  • वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भी कहा गया कि जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ

नई दिल्ली. अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए रहा। जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी बार 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्शन रहा है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में जीएसटी से सरकार को 1.03 लाख करोड़ रुपए मिले थे। सितंबर में यह कलेक्शन 94,442 करोड़ रुपए था। एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू हुआ था।

 

सरकार को नवंबर-दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद थी। लेकिन, अक्टूबर में ही उसे कामयाबी मिल गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जीएसटी की कम दरों, देशभर में एक टैक्स की व्यवस्था और दूसरे टैक्स सुधारों की वजह से यह कामयाबी मिली।

 

अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए

सीजीएसटी 16,464 करोड़ रुपए
एसजीएसटी 22,826 करोड़ रुपए
आईजीएसटी 53,419 करोड़ रुपए
सेस 8,000 करोड़ रुपए

 

अक्टूबर में सेटलमेंट के बाद केंद्र सरकार को 48,954 करोड़ रुपए और राज्यों को 52,934 करोड़ रुपए मिले। वित्त मंत्रालय के मुताबिक सितंबर महीने के लिए कुल 67.45 लाख जीएसटीआर दाखिल किए गए।

 

केरल में टैक्स कलेक्शन 44% बढ़ा

राज्य टैक्स कलेक्शन ग्रोथ
केरल 44%
झारखंड 20%
राजस्थान 14%
उत्तराखंड 13%
महाराष्ट्र 11%

 

पिछले महीनों में जीएसटी के आंकड़े

महीना जीएसटी कलेक्शन (रुपए करोड़)
सितंबर 94,442
अगस्त 93,960
जुलाई 96,483
जून 95,610
मई 94,016
अप्रैल 1,03,458

 

वर्ल्ड बैंक ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी से आया

बुधवार को जारी हुई वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत को 77वीं रैंक दी गई। भारत की रैंकिंग में एक साल में 23 पायदान का सुधार हुआ। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी के जरिए आया है। पिछले साल की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया था। जीएसटी ने कारोबार की शुरुआत करना आसान बना दिया है, क्योंकि इसमें कई सारे एप्लीकेशन फॉर्म को इंटिग्रेट कर एक सिंगल जनरल इनकॉर्पोरेशन फॉर्म लाया गया है। इससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज हुई है।

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