ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
लखनऊ। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिये वर्ष 1992 जैसा ही आंदोलन शुरू करने के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के इरादे को मुल्क के लिये बेहद खतरनाक बताते हुए आज कहा कि मंदिर को लेकर अचानक तेज हुई गतिविधियां पूरी तरह राजनीतिक हैं। एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने बातचीत में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हिन्दूवादी संगठनों द्वारा अचानक तेज की गयी गतिविधियों के बारे में कहा कि जहां तक मंदिर निर्माण को लेकर तथाकथित हिन्दूवादी संगठनों में बेचैनी का सवाल है, तो साफ जाहिर है कि यह सियासी है। आगामी लोकसभा चुनाव को सामने रखकर यह दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन वे संगठन दरअसल क्या करेंगे, अभी तक इसका सही अंदाजा नहीं है।
केंद्र सरकार पर लगातार राम मंदिर निर्माण के लिए साधु-संत दबाव बना रहे हैं। शुक्रवार को आरएसएस के सरकार्यवाह ने भी सरकार से इस मसले पर अध्यादेश लाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि न्यायालय से न्याय मिलने में देरी हो रही है और सभी चाहते हैं कि राम मंदिर बने। इस मामले पर अब उच्चतम न्यायालय के पूर्व जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर का बयान आया है। उनका कहना है कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार इसपर कानून बना सकती है।
जस्टिस चेलमेश्वर ने कांग्रेस पार्टी से जुड़े संस्थान ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस की एक परिचर्चा सत्र के दौरान कहा कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित होने के बावजूद सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बना सकती है। उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रिया द्वारा अदालती फैसलों में अवरोध पैदा करने के उदाहरण पहले भी रहे हैं। जस्टिस चेलमेश्वर ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक कानून बनाने की मांग संघ परिवार में बढ़ती जा रही है।
इस साल की शुरुआत में जस्टिस चेलमेश्वर उच्चतम न्यायालय के उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में शामिल थे जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के कामकाज के तौर-तरीके पर सवाल उठाए थे। शुक्रवार को परिचर्चा सत्र में जब चेलमेश्वर से पूछा गया कि उच्चतम न्यायालय में मामला लंबित रहने के दौरान क्या संसद राम मंदिर के लिए कानून पारित कर सकती है, इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘यह एक पहलू है कि कानूनी तौर पर यह हो सकता है (या नहीं)। दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं)। मुझे कुछ ऐसे मामले पता हैं जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रिया ने उच्चतम न्यायालय के निर्णयों में अवरोध पैदा किया था।’ चेलमेश्वर ने कावेरी जल विवाद पर उच्चतम न्यायालय का आदेश पलटने के लिए कर्नाटक विधानसभा द्वारा एक कानून पारित करने का उदाहरण दिया। उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा के बीच अंतर-राज्यीय जल विवाद से जुड़ी ऐसी ही एक घटना का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘देश को इन चीजों को लेकर बहुत पहले ही खुला रुख अपनाना चाहिए था। यह (राम मंदिर पर कानून) संभव है, क्योंकि हमने इसे उस वक्त नहीं रोका।’
बिहार का सबसे बड़ा राजनीतिक घराना अब टूटने के कगार पर है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय से अलग होने जा रहे हैं। उन्होंने स्थानीय दीवानी अदालत में तलाक की अर्जी लगाई है। हालांकि यह अर्जी एकतरफा ही है, उसपर ऐश्वर्या राय के हस्ताक्षर नहीं हैं।
तेजप्रताप की तरफ से अदालत में अर्जी दाखिल करने वाले वकील यशवंत कुमार शर्मा ने बताया कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-ए के तहत तलाक मांगा गया है। इस धारा के तहत पति या पत्नी में से कोई भी एकतरफा तरीके से तलाक मांग सकता है। उन्होंने बताया कि तेजप्रताप और उनकी पत्नी ऐश्वर्या के बीच सामंजस्य नहीं है और इसलिए वे तलाक चाहते हैं। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है।
तलाक की अर्जी दाखिल करने के बाद दीवानी अदालत परिसर से निकलते वक्त पत्रकारों ने जब तेजप्रताप के काफिले को रुकवाया तो उस वक्त राजद नेता ने अपने माथे पर एक छोटा सा बैंडेज बांध रखा था। हालांकि तेजप्रताप ने पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया और जेल में बंद अपने पिता लालू यादव से मिलने के लिए रांची रवाना हो गए, लेकिन उनके कुछ करीबी परिजनों ने जब उन्हें समझाया-बुझाया तो वह बीच रास्ते से ही अपनी मां राबड़ी देवी के आवास लौट गए।
वहीं, मीडिया खबरों के मुताबिक लालू यादव अपने परिवार की टूट की इस खबर से गहरे सदमे में हैं। बताया जा रहा है कि उनकी तबीयत और खराब हो गई है। फिलहाल वो रांची के एक अस्पताल में भर्ती हैं। इस बीच खबर आ रही है कि तेजप्रताप आज अपने पिता लालू यादव से मुलाकात कर सकते हैं। वो रांची रवाना भी हो चुके हैं।
'मी टू' अभियान के तहत यौन उत्पीड़न मामले में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर जिस महिला पत्रकार ने रेप का आरोप लगाया था, अब उसने इस मामले अपना पक्ष रखा है। पत्रकार ने कहा है कि उनके और एमजे अकबर के बीच सहमति से संबंध नहीं बने थे।
बता दें कि एमजे अकबर पर अमेरिका की नागरिक और नेशनल पब्लिक रेडियो (एनपीआर) की चीफ बिजनेस एडिटर ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। उनके इस आरोप पर शुक्रवार को एमजे अकबर ने सफाई देते हुए कहा था कि महिला पत्रकार और वह एक आपसी रजामंदी वाले रिश्ते में थे।
उन्होंने कहा था, 'हमारा यह रिश्ता कुछ महीनों तक चला। इस रिश्ते की वजह से लोगों को बात करने का एक मौका मिला और इसका असर मेरे घर पर पड़ा। हालांकि इस रिश्ते का अंत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा।'
वहीं, अकबर की पत्नी मल्लिका ने भी अपने पति की बात का समर्थन करते हुए आरोपों को झूठ बताया है। उन्होंने कहा है कि मुझे नहीं पता कि आखिर महिला पत्रकार ने यह झूठ क्यों कहा, लेकिन यह झूठ है।
पत्रकार ने ट्वीट के जरिए एमजे अकबर की सफाई पर अपना पक्ष रखा है। उन्होंने लिखा है, 'मैं उस समय 20 साल की एक महत्वाकांक्षी पत्रकार थी और अकबर के नेतृत्व वाले अखबार में काम कर रही थी। अकबर मेरे और अन्य महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों की जिम्मेदारी लेने के बजाय एक सीरियल यौन दुर्व्यवहार करने वाले की तरह संबंध को सहमति वाला बता रहे हैं। मैं अपने आरोपों पर कायम हूं और आगे भी सच्चाई बयां करती रहूंगी ताकि अन्य महिलाएं भी जो अकबर के द्वारा यौन प्रताड़ित की गई हैं, वो खुलकर सच्चाई बयां कर सकें।'
उच्चतम न्यायालय ने बोफोर्स मामले में हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका खारिज की । न्यायालय ने कहा कि बोफोर्स मामले में उच्च न्यायालय द्वारा हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी के संबंध में सीबीआई ने जो दलील दी है उससे वह संतुष्ट नहीं है। न्यायालय ने कहा कि अपील दायर करने में हुई 4,500 दिन से भी ज्यादा की देरी को माफ करने के संबंध में सीबीआई द्वारा बताए गए कारण तर्कसंगत नहीं हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स घोटाला मामले में हिन्दुजा बंधुओं समेत सभी आरोपियों को आरोप मुक्त करने वाले उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बोफोर्स मामले में उच्च न्यायालय द्वारा हिन्दुजा बंधुओं को आरोप मुक्त किए जाने के खिलाफ अपील दायर करने में हुई देरी के संबंध में सीबीआई ने जो आधार बताए हैं उससे वह संतुष्ट नहीं है।
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय के इसी फैसले के खिलाफ अधिवक्ता अजय अग्रवाल की याचिका लंबित है और सीबीआई अपनी सभी दलीलें उसमें दे सकती है। भारत और बोफोर्स तोपों का निर्माण करने वाली स्वीडन की कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 24 मार्च, 1986 को 155 एमएम के 400 हॉवित्जर तोपों की खरीद का सौदा हुआ था।
हालांकि भाजपा नेता अजय अग्रवाल द्वारा 2005 में इसी मामले पर दाखिल याचिका पर अभी न्यायालय में सुनवाई होनी बाकी है। लेकिन अग्रवाल की अर्जी पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके पक्षकार होने पर सवाल उठाए थे।
तीन तलाक पर अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। केरल स्थित मुस्लिम संगठन समस्त केरल जमीयतुल उलेमा ने इस अध्यादेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए इसे निरस्त करने का अनुरोध किया था।
बता दें कि मुस्लिम महिला (विवाह के अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश 19 सितंबर को अधिसूचित किया गया था। इससे पहले, इस अध्यादेश को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दी थी। ‘तलाक-ए-बिद्दत’ के नाम से प्रचलित एक बार में तीन तलाक की प्रथा में एक मुस्लिम शौहर एक ही बार में तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहकर अपनी पत्नी को तलाक दे सकता है।
पिछले महीने जारी अध्यादेश के अंतर्गत तीन तलाक को गैरकानूनी और शून्य घोषित करते हुए इसे दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया है। ऐसा करने पर पति को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। हालांकि इस कानून के दुरुपयोग की आशंका को दूर करते हुए सरकार ने इसमें आरोपी के लिए जमानत का प्रावधान करने जैसे कुछ सुरक्षा उपाय भी किए हैं।
नई दिल्ली. अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए रहा। जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी बार 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्शन रहा है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में जीएसटी से सरकार को 1.03 लाख करोड़ रुपए मिले थे। सितंबर में यह कलेक्शन 94,442 करोड़ रुपए था। एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू हुआ था।
सरकार को नवंबर-दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद थी। लेकिन, अक्टूबर में ही उसे कामयाबी मिल गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जीएसटी की कम दरों, देशभर में एक टैक्स की व्यवस्था और दूसरे टैक्स सुधारों की वजह से यह कामयाबी मिली।
अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए
सीजीएसटी | 16,464 करोड़ रुपए |
एसजीएसटी | 22,826 करोड़ रुपए |
आईजीएसटी | 53,419 करोड़ रुपए |
सेस | 8,000 करोड़ रुपए |
अक्टूबर में सेटलमेंट के बाद केंद्र सरकार को 48,954 करोड़ रुपए और राज्यों को 52,934 करोड़ रुपए मिले। वित्त मंत्रालय के मुताबिक सितंबर महीने के लिए कुल 67.45 लाख जीएसटीआर दाखिल किए गए।
केरल में टैक्स कलेक्शन 44% बढ़ा
राज्य | टैक्स कलेक्शन ग्रोथ |
केरल | 44% |
झारखंड | 20% |
राजस्थान | 14% |
उत्तराखंड | 13% |
महाराष्ट्र | 11% |
पिछले महीनों में जीएसटी के आंकड़े
महीना | जीएसटी कलेक्शन (रुपए करोड़) |
सितंबर | 94,442 |
अगस्त | 93,960 |
जुलाई | 96,483 |
जून | 95,610 |
मई | 94,016 |
अप्रैल | 1,03,458 |
वर्ल्ड बैंक ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी से आया
बुधवार को जारी हुई वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत को 77वीं रैंक दी गई। भारत की रैंकिंग में एक साल में 23 पायदान का सुधार हुआ। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी के जरिए आया है। पिछले साल की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया था। जीएसटी ने कारोबार की शुरुआत करना आसान बना दिया है, क्योंकि इसमें कई सारे एप्लीकेशन फॉर्म को इंटिग्रेट कर एक सिंगल जनरल इनकॉर्पोरेशन फॉर्म लाया गया है। इससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज हुई है।
नई दिल्ली. अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए रहा। जीएसटी लागू होने के बाद दूसरी बार 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कलेक्शन रहा है। इससे पहले इसी साल अप्रैल में जीएसटी से सरकार को 1.03 लाख करोड़ रुपए मिले थे। सितंबर में यह कलेक्शन 94,442 करोड़ रुपए था। एक जुलाई 2017 को देश में जीएसटी लागू हुआ था।
सरकार को नवंबर-दिसंबर में जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर जाने की उम्मीद थी। लेकिन, अक्टूबर में ही उसे कामयाबी मिल गई। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि जीएसटी की कम दरों, देशभर में एक टैक्स की व्यवस्था और दूसरे टैक्स सुधारों की वजह से यह कामयाबी मिली।
अक्टूबर में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख 710 करोड़ रुपए
सीजीएसटी | 16,464 करोड़ रुपए |
एसजीएसटी | 22,826 करोड़ रुपए |
आईजीएसटी | 53,419 करोड़ रुपए |
सेस | 8,000 करोड़ रुपए |
अक्टूबर में सेटलमेंट के बाद केंद्र सरकार को 48,954 करोड़ रुपए और राज्यों को 52,934 करोड़ रुपए मिले। वित्त मंत्रालय के मुताबिक सितंबर महीने के लिए कुल 67.45 लाख जीएसटीआर दाखिल किए गए।
केरल में टैक्स कलेक्शन 44% बढ़ा
राज्य | टैक्स कलेक्शन ग्रोथ |
केरल | 44% |
झारखंड | 20% |
राजस्थान | 14% |
उत्तराखंड | 13% |
महाराष्ट्र | 11% |
पिछले महीनों में जीएसटी के आंकड़े
महीना | जीएसटी कलेक्शन (रुपए करोड़) |
सितंबर | 94,442 |
अगस्त | 93,960 |
जुलाई | 96,483 |
जून | 95,610 |
मई | 94,016 |
अप्रैल | 1,03,458 |
वर्ल्ड बैंक ने कहा- भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी से आया
बुधवार को जारी हुई वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में भारत को 77वीं रैंक दी गई। भारत की रैंकिंग में एक साल में 23 पायदान का सुधार हुआ। वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी के जरिए आया है। पिछले साल की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया था। जीएसटी ने कारोबार की शुरुआत करना आसान बना दिया है, क्योंकि इसमें कई सारे एप्लीकेशन फॉर्म को इंटिग्रेट कर एक सिंगल जनरल इनकॉर्पोरेशन फॉर्म लाया गया है। इससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज हुई है।
नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दावों पर तंज कसते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि ग्रामोफोन की तरह उनकी पिन अटक गई है जिसके कारण वह ऐसी बचकानी बाते कर रहे हैं और लोग उनके दावों का मजाक उड़ाते हैं।
दी ने कहा कि इनको समझ नहीं आ रहा है कि वक्त बदल गया है, जनता को मूर्ख समझना बंद करें। ‘‘ इस प्रकार की बचकानी बातें किसी के गले नहीं उतरती है और लोग मजाक उड़ाते हैं।’’ भाजपा के एक कार्यकर्ता द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी चिंता न करें। पहले ग्रामोफोन के रिकार्ड में पिन अटक जाती है तो कुछ ही शब्द बार बार सुनाई देती है। ऐसे ही कुछ लोग भी होते हैं जिनकी पिन अटक जाती है । एक ही चीज दिमाग में भर जाती है जो बार बार एक ही बात बोलते हैं। ऐसे में इन बातों का मजा उठाना चाहिए, आनंद लेना चाहिए। मोदी ने कहा, ‘‘ चुनाव की आपाधापी में इन चीजों का आनंद उठायें।’’सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय की जजों की रिक्तियों को लेकर खिंचाई की है। बता दें कि अदालतों में 200 से अधिक जजों की नियुक्तियां होनी हैं लेकिन भर्ती प्रक्रिया में लगातार हो रही देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज सख्त दिखाई दिया और दिल्ली उच्च न्यायालय की खिंचाई कर दी।
जजों की नियुक्ति को लेकर यह टकराव नई नहीं है। न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच भी इस मामले में सीधा टकराव होता दिखाई दे रहा है। जजों की रिक्तियों के मामले को लेकर न्यायाधीश मदन बी लोकुर और अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के बीच जमकर बहस भी हो चुकी है।
मणिपुर के एक मामले की यह सुनवाई इसी साल मई माह में हुई थी। सुनवाई के दौरान न्यायाधीश लोकुर ने के के वेणुगोपाल से पूछा कि फिलहाल उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति को लेकर कोलेजियम की कितनी सिफारिश लम्बित हैं? केके ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी जुटानी पड़ेगी।
के के वेणुगोपाल के इस जवाब से नाराज जस्टिस लोकुर ने कहा कि सरकार के साथ यही दिक्कत है मौके पर सरकार कहती है कि जानकारी लेनी होगी। इस पर केके ने कहा कि कोलेजियम को बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए। ज्यादा नामों की सिफारिश भेजनी चाहिए।
बता दें कि फिलहाल 200 जजों के पद खाली हैं। जिसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने आज उच्च न्यायालय को फटकार लगाई है।
रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर लगातार झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार गरीबों के लिए बनाई गई योजनाओं के जरिए लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने में सफल रही है। इसी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष के पास झूठ बोलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। गांधी का बिना नाम लिए पीएम ने उन्हें लोगों को बेवकूफ ना बनाने के लिए कहा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि लोग उनकी बचकाना चीजों को स्वीकार नहीं करेंगे। मोदी ने विपक्षी पार्टी के अध्यक्ष पर यह हमला मछलीशहर, राजसमंद, महासमुंद, सतना और बैतूल के कार्यकर्ताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बातचीत में किया। चुनावी रैली के दौरान राहुल के मध्यप्रदेश के हर जिले में मोबाइल फैक्ट्री खोलने के दावे पर बैतूल के भाजपा कार्यकर्ता ने एक सवाल किया।
जिसके जवाब में पीएम ने कार्यकर्ताओं से कहा- 'चिंता न करें, वह जो कहते हैं उसका आनंद लें। यदि वह बैतूल आंएगे तो यही बात दोहराएंगे। इससे पहले ग्रामोफोन रिकॉर्ड किए जाते थे। जब कभी पिन ग्रामोफोन में अटक जाती थी तो केवल एक शब्द बार-बार सुनाई देता था। यह ऐसे लोग हैं जिनकी पिन अटक गई है और वह शब्दों को दोहराते रहते हैं। चुनाव के समय आपको इस तरह की चीजों का आनंद उठाना चाहिए। उन्हें (राहुल गांधी) पता नहीं है कि समय बदल चुका है। जनता को बेवकूफ बनाना बंद कीजिए। वह इस तरह की बचकाना चीजों को स्वीकार नहीं करते हैं। उनका मजाक उड़ाते हैं।'
मोदी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि 2014 के बाद मोबाइल का आविष्कार हुआ। उन्होंने कहा, 'मोबाइल 2014 से पहले भी अस्तित्व में थे लेकिन मैं उन लोगों से एक सवाल करना चाहता हूं जिन्होंने बहुत सालों तक देश पर राज किया। उनके शासन के दौरान भारत में मोबाइल निर्माण की केवल दो यूनिट क्यों थी?' उन्होंने कहा कि भारत अब मोबाइल निर्माण में विश्व के अग्रणी देशों में से एक है। कांग्रेस अध्यक्ष पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्होंने लंबे समय तक देश पर राज किया उन्होंने वन रैंक वन पेंशन के लिए कुछ नहीं किया।
पीएम मोदी ने कहा, 'उन्होंने वन रैंक वन पेंशन के बारे में सुना तक नहीं था। उन्हें चिंता इस बात की है कि सुरक्षाबल हमारे साथ हैं। वह मोदी से प्यार करते हैं। इसलिए उनके पास झूठ फैलाने के अलावा कुछ कहने को नहीं है।' कार्यकर्ताओं ने जब मोदी से पूछा कि विपक्ष की अभद्र भाषा पर उन्हें किस तरह की प्रतिक्रिया देनी चाहिए तो पीएम ने कहा कोई आपको वही देता है जो उसके पास होता है।
तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू गुरुवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के साथ मुलाकात करेंगे। इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि टीडीपी भाजपा के खिलाफ बन रहे मोर्चे में शामिल होंगे। रिपोर्ट्स के अनुसार नायडू नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्स) के सीताराम येचुरी से भी 2019 के महागठबंधन के लिए मुलाकात करेंगे।
टीडीपी ने इस साल एनडीए से अपना नाता तोड़ लिया था। इसकी वजह था केंद्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा ना देना। इसके बाद टीडीपी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) से अलग हो गया और पार्टी ने केंद्र की आलोचना करने का एक भी मौका नहीं छोड़ा। मानसून सत्र के दौरान टीडीपी ने अपने घोर विरोधी वाईएसआर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को समर्थन दिया था।
2014 चुनाव से पहले चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ जाने का फैसला लिया था और नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री के तौर पर समर्थन किया था। हालांकि इस साल की शुरुआत में वह गठबंधन से अलग हो गए। वहीं तेलंगाना में दिसबंर में चुनाव होने वाले हैं। राज्य की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति को हराने के लिए टीडीपी और कांग्रेस पहले ही साथ आ चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए भी दोनों हाथ मिला सकते हैं।