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नई दिल्ली । कोविड-19 के कारण इस साल वाहन क्षेत्र प्रभा‎वित हुआ कि ले‎किन भारतीय वाहन क्षेत्र सतर्कता बरतते हुए 2021 को लेकर आश्वानित है। उसे उम्मीद है कि कोरोना वायरस महामारी के बाद की दुनिया बेहतर होगी और वाहन उद्योग फर्राटा भरेगा लेकिन काफी कुछ इस बात पर निर्भर है कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि कैसी रहती है। वाहन उद्योग कोविड-19 महामारी के पहले से नरमी से जूझ रहा था। मार्च के अंत में महामारी की रोकथाम के लिए जब देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया, उस समय भारतीय वाहन उद्योग की मजबूती का परीक्षण हुआ। भारत में वाहन उद्योग की स्थिति का अंदाजा यात्री वाहनों की बिक्री से लगाया जाता है। महामारी के कारण इस साल अप्रैल-जून के दौरान इसमें 78.43 प्रतिशत की गिरावट आई। लगातार नौवीं तिमाही में वाहन बिक्री पर असर पड़ा और 20 साल में क्षेत्र के लिए सबसे लंबे समय तक नरमी की स्थिति रही। एक अनुमान के अनुसार लॉकडाउन के कारण वाहन उद्योग को कारोबार में प्रतिदिन 2,300 करोड़ रुपए से अधिक के कारोबार का नुकसान हुआ। इस अभूतपूर्व संकट के कारण उत्पन्न चुनौतियों से पार पाने के लिए उद्योग ने जहां एक तरफ ग्राहकों को सेवा देने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाया, वहीं लॉकडाउन में ढील के बाद कोविड-19 मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन करते हुए काराखानों में कामकाज को गति दी। साथ ही लागत कम करने और मुफ्त नकद प्रवाह पर गौर किया। सोसाइटी ऑफ इंडिया ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (सियाम) के मुता‎बिक संकट के समय व्यक्तिगत वाहनों की बढ़ती मांग और आर्थिक गतिविधियों को धीरे-धीरे खोले जाने से क्षेत्र में कुछ तेजी आई तथा है उद्योग कुछ खंडों में पुनरूद्धार के संकेत देख रहा है।

हैदराबाद । फिलिपींस में मैक्टन सेबू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के अधिकारी और उसके परिचालक जीएमआर मेगावाइड सेबू एयरपोर्ट कॉरपोरेशन (जीएससीएसी) कथित रूप से देश के एंटी-डंपिंग कानूनों को तोड़ने के चलते जांच के घेरे में आ गए हैं। फिलिपींस के राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनबीआई) को एक शिकायत मिलने के बाद उसके द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि उसके धोखाधड़ी रोधी प्रभाग ने पांच फिलिपींस के नागरिकों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए हैं, जिसमें मैक्टन सेबू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बड़े अधिकारी शामिल हैं। बयान में कहा गया कि इसके अलावा कथित रूप से एंटी डंपिंग कानूनों को तोड़ने के लिए 11 विदेशी नागरिकों को खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं, जिनमें कुछ जीएमआर समूह के हैं। जीएमआर के प्रवक्ता ने आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी।

मुंबई । महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की कृषि उपकरण बनाने वाली इकाई ने एक जनवरी 2021 से अपने ट्रैक्टरों के सभी मॉडलों की कीमतों में बढोतरी करने की घोषणा की है। कंपनी ने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि और अन्य इनपुट लागत के चलते दाम बढ़ाने का फैसला लिया गया है। कंपनी ने कहा है कि ट्रैक्टर्स के कई मॉडल्स में दाम जाने के बारे में बताया जाएगा। बता दें कि पिछले हफ्ते कंपनी ने घोषणा की थी कि वो अगले महीने अपनी पैसेंजर और कमर्शियल वाहनों के दाम में बढ़ोतरी करेगा। ये बढ़े हुए दाम 1 जनवरी से लागू होंगे। ये बढ़े हुए दाम कंपनी के सभी मॉडल्स में लागू होंगे। महिंद्रा के अलावा कई अन्‍य वाहन कंपनियां पहले ही अगले महीने से विभिन्न मॉडल के दाम बढ़ाने की घोषणा कर चुकी हैं। इस महीने की शुरुआत में फोर्ड इंडिया ने कहा था कि इनपुट लागत की भरपाई के लिए 1 जनवरी से अपने वाहनों की कीमत में 3 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी। पिछले सप्ताह रेनो इंडिया ने कहा कि वह जनवरी से सभी मॉडल के दाम में 28,000 रुपये तक की वृद्धि करेगी। इससे पहले देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने ऐलान किया था कि वो 1 जनवरी से अपने वाहनों की कीमत में वृद्धि करेगी।

नई ‎दिल्ली । भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अप्रवासी भारतीयों को भारत में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जारी डिपॉजिटरी रसीद रखने के लिए नियमों में कुछ राहत प्रदान की। सेबी के नए नियमों के मुताबिक अप्रवासी भारतीय अब कर्मचारी शेयर विकल्प योजनाओं (ईसॉप्स), बोनस निर्गम और राइट्स इश्यू के तहत भी डिपॉजिटरी रसीदें रख सकते हैं। सेबी ने अक्टूबर 2019 में अप्रवासी भारतीयों के भारत में सूचीबद्ध कंपनियों के डिपॉजिटरी रसीद खरीदने पर रोक लगा दी थी। सेबी ने अपने परिपत्र में कहा कि यदि डिपॉजिटरी रसीद अप्रवासी भारतीयों को शेयर आधारित कर्मचारी लाभ योजनाओं के रूप में जारी की जाती है तो उन पर यह रोक काम नहीं करेगी। इसी तरह राइट्स इश्यू या बोनस निर्गम के रूप में भी अप्रवासी भारतीयों को डिपॉजिटरी रसीद जारी की जा सकती है।

नई दिल्ली । नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने बुधवार को कहा कि उसने रूपे कार्ड में ऐसी सुविधाएं जोड़ी हैं, जो सीमित इंटरनेट उपलब्धता वाले क्षेत्रों में भी ऑफलाइन लेनदेन को संभव बनाएगा। साथ ही सुविधाजनक खुदरा लेनदेन के लिए वॉलेट सुविधा की पेशकश भी की गई है। एनपीसीआई ने कहा कि रूपे कार्डधारक सीमित नेटवर्क वाले क्षेत्रों में पीओएस बिक्री के केंद्रों पर संपर्करहित ऑफलाइन भुगतान कर सकते हैं और रूपे कॉन्टेक्टलेस के रूप में वॉटेल की अतिरिक्त सुविधा से रोजमर्रे का खुदरा लेनदेन किया जा सकता है। एनपीसीआई ने कहा कि इन अतिरिक्त सुविधाओं से रूपे कार्डधारक के लिए लेनदेन के अनुभव बेहतर हुए हैं। रूपे एनसीएमसी कार्ड के साथ ग्राहक तेजी से लेनदेन के लिए धन संग्रहित कर सकते हैं और कमजोर कनेक्टिविटी होने पर भी लेनदेन कर सकते हैं।

नए साल में कार और बाइक खरीदारों को महंगाई का झटका लगने वाला है. अब हीरो मोटोकॉर्प ने भी 1 जनवरी से अपनी मोटरसाइकिलों के दाम में 1,500 रुपये तक की बढ़त करने का ऐलान किया है. कंपनी का कहना है कि उसे कच्चे माल की बढ़ी लागत की वजह से दाम बढ़ाने को मजबूर होना पड़ा है. इसके पहले मारुति, महिंद्रा जैसी कंपनियां अपने कारों और अन्य वाहनों के दाम बढ़ाने का ऐलान कर चुकी हैं.

कई कंपनियों के वाहन महंगे

देश की 4 बड़ी Auto कंपनियां अपनी कारों, एसयूवी के दाम बढ़ाने जा रही है. इनमें मारुति, महिंद्रा, किया, ह्युंदै शामिल हैं. ये कंपनियां जनवरी 2021 से अपनी कारें महंगी कर सकती है. गौरतलब है कि साल की शुरुआत में ज्यादातर कंपनियां अपने प्रॉडक्ट्स की कीमत में इजाफा करती हैं.

क्या कहा हीरो मोटोकॉर्प ने

हीरो मोटोकॉर्प ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को बताया है, 'कमोडिटी की लागत के बढ़ते असर की आंशिक भरपाई के लिए हम अपने उत्पादों को 1 जनवरी, 2021 से अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ा रहे हैं.'

क्यों बढ़ रही कीमत

कंपनी ने कहा कि यह बढ़त अलग-अलग मॉडल के हिसाब से अलग-अलग होगी और इसका ब्योरा जल्दी ही डीलर्स तक भेज दिया जाएगा. हीरो का कहना है कि स्टील, एल्युमिनियम, प्लास्टिक और बहुमूल्य धातुओं जैसे कच्चे माल की लागत में लगातार बढ़त हो रही है. कंपनी ने कहा कि उसने लीप-2 अम्ब्रेला के तहत अपने बचत कार्यक्रम को तेज किया है और ग्राहकों पर बढ़ी लागत का असर कम से कम डालने की कोशिश करेगी.

सितंबर की तिमाही में अच्छी बिक्री

जुलाई से सितंबर की तिमाही में हीरो मोटोकॉर्प के नेट प्रॉफिट में 8.99 फीसदी का इजाफा हुआ था और उसे कुल 953.45 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था. इस दौरान कंपनी की आय 23.7 फीसदी बढ़कर 9,367 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी थी. कंपनी ने सितंबर तिमाही में कुल 18.22 लाख वाहन बेचे हैं.

अमेरिका ने भारत के प्रति सख्त रुख दिखाते हुए इसे भी चीन, ताइवान जैसे दस देशों के साथ 'करेंसी मैनुपुलेटर्स' यानी मुद्रा में हेरफेर करने वाले देशों की 'निगरानी सूची' में डाल दिया है. अमेरिका ने भारत ​सहित जिन दस देशों को इस सूची में डाला है. वे सभी इसके बड़े व्यापारिक साझेदार हैं. इस निगरानी सूची में भारत, चीन, ताइवान के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, इटली, सिंगापुर, थाइलैंड और मलेशिया शामिल हैं. अमेरिका ने वियतनाम और स्विट्जरलैंड को पहले ही करेंसी मैनिपुलेटर्स की श्रेणी में रखा है. अमेरिका के वित्त मंत्रालय ने बुधवार को कांग्रेस में पेश अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है.

क्या कहा गया रिपोर्ट में

जून 2020 तक की इसकी पिछली चार तिमाहियों में अमेरिका के चार प्रमुख व्यापारिक साझेदार देशों-भारत, वियतनाम, स्विट्जरलैंड और सिंगापुर ने लगातार अपने विदेशी मुद्रा विनिमिय बाजार में दखल दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वियतनाम और स्विट्जरलैंड ने संभावित रूप से अनुचित मुद्रा दस्तूर या अतिशय बाहरी असंतुलन की पहचान की है जिनका अमेरिका की तरक्की पर असर पड़ा है या जिन्होंने अमेरिकी कामगारों और कंपनियों को नुकसान पहुंचाया है.

अमेरिकी कारोबारों की रक्षा के लिए कदम!

अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन टी म्नुचिन ने कहा, 'वित्त मंत्रालय ने अमेरिकी कामगारों और कारोबारों के आर्थिक तरक्की तथा अवसरों की रक्षा के लिए आज एक मजबूत कदम उठाया है.'अमे​रिकी वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दस देशों पर खास निगरानी रखने की जरूरत है और ताइवान, थाइलैंड तथा भारत को इस सूची में जोड़ा जा रहा है. गौरतलब है कि रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 की दूसरी छमाही में भारत द्वारा विदेशी मुद्रा की खरीद में तेजी आयी है. इसी तरह 2020 की पहली छमाही में भी भारत ने शुद्ध रूप से विदेशी मुद्रा की खरीद बनाए रखी है.

साल 2020 बीतने वाला है. सदियों तक इस साल को याद किया जाएगा. साल के शुरुआत में कोरोना महामारी ने दस्तक दी, और आखिर तक इसका कहर जारी है. कोरोना की वजह से हर तरह की गतिविधियां थम गईं. इस महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन जैसे कड़े फैसले लेने पड़े. इस महामारी ने जन-धन दोनों को हानि पहुंचाई है.
कोरोना की वजह से आर्थिक मोर्चे पर सबसे तेज झटका लगा. मार्च में कोरोना खौफ की वजह से शेयर बाजार बिखर गया. ऐसा बिखरा कि निवेशकों में हाहाकार मच गया. शेयर बाजार ने निवेशकों को एक तरह से कंगाल कर दिया. किसी को उम्मीद नहीं थी कि बाजार में इतनी जल्दी रौनक लौटेगी. लेकिन अगर इस साल के शुरुआत में निवेशक कंगाल हुए और साल के जाते-जाते निवेशक मालामाल भी हो गए

इस सीजन में चीनी निर्यात पर केंद्र सरकार सब्सिडी देगी. कैबिनेट ने बुधवार को यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इस बार सीधे किसानों को सब्सिडी मिलेगी. इसके अलावा टेलीकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी करने का भी निर्णय लिया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट में बुधवार को हुए CCEA फैसलों की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सरकार ने इस साल 60 लाख टन चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है जो सीधे किसानों के खाते में जाएगी.

करीब 26,800 करोड़ रुपये की सब्सिडी

उन्होंने कहा कि पहले घोषित सब्सिडी में से 5,361 करोड़ रुपये एक हफ्ते में​ किसान के खाते में जमा होगा और इसके बाद 3500 करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी. इसके बाद 18,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी निर्यात के बाद सीधे किसानों के खाते में जमा होगी. इससे 5 करोड़ किसान फायदेमंद होंगे और चीनी उद्योग के करीब 5 लाख मजदूरों के भी फायदे की यह बात होगी. उन्होंने बताया कि इस साल चीनी की खपत करीब 260 लाख टन और उत्पादन 310 लाख टन होगा. इससे चीनी बिक्री को काफी बढ़ावा मिलेगा.

स्पेक्ट्रम की नीलामी

संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बताया कि सरकार ने स्पेक्ट्रम की नीलामी करने का निर्णय लिया है. 2251 मेगाहर्ट्ज का कुल स्पेक्ट्रम नीलाम होगा. यह 700,800,900, 1800,2100, 2100, 2300 और 2500 मेगाहर्ट्ज के बैंड की नीलामी होगी. इस महीने आवेदन आमंत्रित करने का नोटिस जारी होगा और मार्च में इस नीलामी को क्रियान्वित कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पिछला स्पेक्ट्रम का आवंटन चार साल पहले हुआ था. इसलिए अब चार साल बीत जाने की वजह से इंडस्ट्री की तरफ से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी. इसकी नियम और शर्तें वहीं होंगी, जो साल 2016 में थी. इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक नेशनल सिक्योरिटी डायरेक्टिवि ऑफ टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर की स्थापना का निर्णय लिया है. इसके द्वारा इस बात की पहचान की जाएगी कि टेलीकॉम इक्विपमेंट भरोसेमंद स्रोत से है या नहीं.

पिछले साल भी मिली थी सब्सिडी

सितंबर में खत्म हुए ​पिछले सीजन में जो सब्सिडी दी गयी थी उसकी वजह से शुगर मिलों ने रिकॉर्ड 57 लाख टन का निर्यात किया था. ऑल इंडिया सुगर ट्रेडर्स एसोसिएशन का कहना था कि इस सीजन में सब्सिडी का ऐलान न होने से निर्यात धीमा हो गया है. सरकार के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें घटकर 17 अमेरिकी सेंट प्रति पौंड से 14 यूएस सेंट प्रति पौंड हो सकती हैं. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है. महाराष्ट्र में कारखाना से निकले चीनी का रेट 31,000 रुपये प्रति टन के आसपास है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह 33,500 रुपये के आसपास है.

मुंबई । कोरोना महामारी के कारण लुढ़की भारतीय अर्थव्यवस्था अब वापस अपने ट्रैक पर आ गई है। बता दें कि पूर्व कोविड-19 के बीच उद्योग जगत हरे निशान पर पहुंचता जा रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ट्रैक किए गए 48 में से 30 उच्च-आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक पूर्व-कोविड स्तरों पर लौट आए हैं। इसमें वाहन और दोपहिया बिक्री, और बीमा प्रीमियम, ने भी तेजी दिखाई है। तेल की खपत और इस्पात उत्पादन में सुधार निर्माण, बुनियादी ढांचे, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं की बढ़ती मांग को भी दर्शाता है। इस महामारी के बीच उपभोक्ता न केवल आवश्यक वस्तुएं खरीद रहे हैं, बल्कि कपड़े, ज्वैलरी, क्रॉकरी और खाद्य पदार्थ भी खरीद रहे हैं। साथ ही उपभोक्ता अब इस महामारी के बीच बाहर खाना खाने में भी खर्च कर रहे हैं। बाजार जानकारों का कहना है ‎कि कई लोगों ने पिछले नौ महीनों में बाहर खाने, खरीदारी या छुट्टियों पर पैसा खर्च नहीं किया है, जिससे उन्होंने कई पैसे सेव किए, यहीं कारण है कि अब लोगों में खरीदारी करने की उत्सुकता काफी बढ़ गई है। कोरोना लॉकडाउन के दौरान लोगों ने जरूरतों के सामानों का काफी स्टॉक बनाया जिसमें कमी तो आई लेकिन अब बड़े पैक का डिमांड दोबोरा बढ़ गया है। सॉस और केचप, पानी की बॉटल, सेनीटाइजर के सामान जैसे में काफी तेजी से वृद्धि हुई है। वहीं महामारी की शुरुआत में इन सभी चीजों की मांग में गिरावट हो गई थी या कम हो गई थी।

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