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नई दिल्ली । सॉफ्ट ड्रिंक्स बनाने वाली कंपनियों की संस्था इंडिया बेवरेज एसोसिएशन ने कोला को सिन टैक्स कैटगरी से हटाने की मांग की है। इस बारे में जीएसटी काउंसिल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को पत्र लिखा है। जीएसटी काउंसिल की 27 अगस्त को बैठक हो रही है। आईबीए में कोका-कोला, पेप्सिको, पार्ले एग्रो और रेड बुल जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। देश में नॉन अल्कोहॉलिक बेवरेज सेक्टर 70 हजार करोड़ रुपये का है। इसमें सॉफ्ट ड्रिंक्स, पैकेज्ड ड्रिंकिग वाटर और जूस शामिल है। पत्र में कहा गया है कि सेक्टर में पिछले साल की तुलना में 34 फीसदी कमी आने की आशंका है। इन उत्पादों के खपत की एक निश्चित समयसीमा होती है। इसके खराब होने के कारण इंडस्ट्री को पहले ही 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है।
बेवरेज पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ ही 12 फीसदी मुआवजा उपकर लगता है। पत्र में लिखा गया है कि एरटेंट बेबरेज पर 40 फीसदी का सबसे अधिक जीएसटी लगता है। यह फूड्स में एकमात्र प्रोडक्ट कैटगरी है जिस पर कंपनसेशन सेस लगता है। आईबीए ने टैक्स स्लैब को भेदभावपूर्ण बताकर कहा है कि आइसक्रीम और चॉकलेट जैसे शुगर बेस्ड प्रोडक्ट्स पर कम टैक्स लगता है। उसका कहना है कि एरटेंट बेबरेज न तो लग्जरी हैं और न ही सिन प्रोडक्ट।इसके अधिकांश प्रोडक्ट की कीमत 10 से 30 रुपये है। आईबीए ने जूस बेस्ड ड्रिंक्स पर जीएसटी की दर 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी और पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर पर 18 से 12 फीसदी करने की मांग की है।

नई दिल्ली । कोरोना महामारी के बीच कंपनियों ने चालू वित्तवर्ष 2020-21 में अपने कर्मचारियों को औसतन 3.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी है। पिछले वित्त वर्ष में कर्मचारियों का वेतन औसतन 8.6 प्रतिशत बढ़ा था। एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। सर्वे के अनुसार चालू वित्त वर्ष में कर्मचारियों की वेतनवृद्धि में दो चीजों ‘समय’ और कोविड-19 के प्रभाव ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सर्वे में कहा गया है, ‘‘जिन संगठनों ने मार्च, 2020 में लॉकडाउन शुरू होने से पहले वेतनवृद्धि के बारे में फैसला कर लिया था, उन्होंने अन्य कंपनियों की तुलना में अपने कर्मचारियों को अधिक वेतनवृद्धि दी है। वहीं बड़ी संख्या में कंपनियों का मानना है कि कोविड-19 की वजह से 2020-21 में उनकी आमदनी में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आएगी। ऐसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को कमोबेश कम वेतनवृद्धि दी है।कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को देश में राष्ट्रव्यापी बंद लागू किया गया था। मई के अंत में हालांकि अंकुशों में ढील दी गई। लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से कुछ राज्यों में अंकुश जारी रहे। इससे आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं। वर्ष 2020 का दूसरे चरण का श्रमबल और वेतनवृद्धि सर्वे जून, 2020 में शुरू किया गया। इसमें 350 कंपनियों ने भाग लिया। सर्वे के अनुसार, ‘‘10 में से सिर्फ चार कंपनियों ने 2020 में कर्मचारियों को वेतनवृद्धि दी है। 33 प्रतिशत कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। वहीं अन्य कंपनियों ने अभी इस पर फैसला नहीं किया है। इस हिसाब से 2020 में औसत वेतनवृद्धि 3.6 प्रतिशत बैठती है, जो पिछले साल से आधी से भी कम है। पिछले साल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को 8.6 प्रतिशत की वेतनवृद्धि दी थी।’’ सर्वे में कहा गया है कि वेतनवृद्धि का यह आंकड़ा दशकों में सबसे कम है।

नई दिल्ली । आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस ने भारती एंटरप्राइजेज प्रवर्तित भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस के अधिग्रहण के लिए पक्का करार किया है।यह पूर्णत: शेयरों की अदला-बदली का सौदा होगा। भारती एंटरप्राइजेज के पास फिलहाल भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी फ्रांसीसी बीमा कंपनी एक्सा के पास है।आईसीआईसीआई बैंक प्रवर्तित साधारण बीमा कंपनी ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के निदेशक मंडल की 21 अगस्त को हुई बैठक में भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस (विघटित कंपनी)और पहली कंपनी तथा उनके संबंधित शेयरधारकों और ऋणदाताओं के बीच लेन-देन ‘व्यवस्था’ को मंजूरी दी गई। विभाजन के बाद भारती एंटरप्राइजेज और एक्सा दोनों साधारण बीमा कारोबार से बाहर निकल जाएंगी तथा भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस का काम समाप्त हो जाएगा। आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और भारती एक्सा ने संयुक्त बयान में कहा कि सौदे के तहत भारती एक्सा के शेयरधारकों को कंपनी के प्रत्येक 115 शेयरों पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड के दो शेयर मिलेगा। शेयर आदान-प्रदान अनुपात की सिफारिश स्वतंत्र मूल्यांककों ने की है। दोनों कंपनियों के बोर्ड ने इस मंजूरी दी है। बयानमें कहा गया है कि इस सौदे के बाद कंपनी की वित्तीय-गणना के आधार पर बाजार हिस्सेदारी 8.7 प्रतिशत होगी। कंपनी ने सौदे के मूल्य की जानकारी नहीं दी है।

वाशिंगटन । भारत-अमेरिका कंपनी जगत की प्रमुख हस्ती मुकेश अघी ने कहा है कि भारत को बड़े विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पर्यावरणीय, सामाजिक, राजकीय (ईएसजी) मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। उनका कहना है कि देश को सालाना आठ-नौ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए निरंतर कम से कम 100 अरब डॉलर वार्षिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) हासिल करना होगा।अघी भारत -अमरीका रणनीतिक भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि विश्व में सालाना 45 हजार अरब डॉलर का निवेश होता है।
इसमें से 12 हजार अरब डॉलर के निवेश के पीछे पर्यावरणीय, सामाजिक, राजकीय कारक काम कर रहे होते हैं। अघी ने कहा, ‘भारत यदि बड़े पैमाने पर दीर्घकालिक निवेश करने वाले संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करना चाहता है, तब उस ईएसजी कारकों पर गौर करने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि ‘इन मुद्दों पर रैंकिंग में भारत अब बहुत नीचे 130-133वें स्थान पर है।... अब केवल विश्वबैंक की रैंकिंग ही नहीं देखी जाती। निवेशक उन कंपनियों को पुरस्कृत कर रहे हैं जो ईएसजी कारकों को ध्यान में रखती हैं।उन्होंने कहा कि भारत को आठ-नौ प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करनी है, तो देश को निरंतर कम से कम 100 अरब डॉलर वार्षिक का निवेश आकर्षित करना होगा।

नई दिल्ली । सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ऑयल इंडिया लि.(ओआईएल) को चालू वित्तवर्ष की पहली अप्रैल-जून की तिमाही में शुद्ध घाटा हुआ है। कच्चे तेल की कीमतें उत्पादन लागत से नीचे आने की वजह से कंपनी को घाटा हुआ है। कंपनी के इतिहास में यह दूसरा मौका है,जब तिमाही के दौरान घाटा हुआ है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ऑयल इंडिया को 248.61 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। इसके पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में कंपनी ने 624.80 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। ऑयल इंडिया के निदेशक वित्त हरीश माधव ने कहा, ऑयल इंडिया के इतिहास में यह दूसरा तिमाही घाटा है। इससे पहले 2018-19 में कंपनी को तिमाही घाटा हुआ था।उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह कीमतों में गिरावट है। इस दौरान कंपनी को प्रत्येक बैरल तेल के उत्पादन पर 30.43 डॉलर की कीमत की प्राप्ति हुई। वहीं एक साल पहले समान तिमाही में कंपनी को प्रत्येक बैरल उत्पादन पर 66.33 डॉलर प्राप्त हुए थे। माधव ने कहा, हमारी उत्पादन लागत 32-33 डॉलर प्रति बैरल बैठती है।कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट पहली तिमाही में घाटे की मुख्य वजह है।ऑयल इंडिया ने अप्रैल-जून की तिमाही में 7.5 लाख टन कच्चे तेल का उत्पादन किया। एक साल पहले समान तिमाही में कंपनी का कच्चे तेल का उत्पादन 8.1 लाख टन रहा था। इसी तरह कंपनी का प्राकृतिक गैस का उत्पादन भी मामूली घटकर 68 करोड़ घनमीटर रह गया, जो 2019-20 की पहली तिमाही में 71 करोड़ घनमीटर रहा था। माधव ने बताया कि पहली तिमाही में प्राकृतिक गैस के उत्पादन पर प्राप्ति घटकर 2.39 डॉलर प्रति इकाई या एमएमबीटीयू रह गई, जो पहले 3.23 डॉलर प्रति इकाई रही थी। ऑयल इंडिया की गैस के उत्पादन की लागत 2.3 डॉलर प्रति इकाई रहा। माधव ने कहा कि गैस के उत्पादन पर प्राप्ति ठीक रही, लेकिन तेल के उत्पादन पर प्राप्ति घटने की वजह से कंपनी को नुकसान हुआ।

मुंबई । राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ दिवालिया कानून की व्यक्तिगत गारंटी धारा के तहत 1,200 करोड़ रुपये वसूलने के लिए दिवाला प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। अनिल अंबानी ने अगस्त 2016 में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल को दिए गए ऋण की व्यक्तिगत गारंटी दी थी।
एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने 20 अगस्त को दिए अपने आदेश में कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशंस और रिलायंस इंफ्राटेल दोनों जनवरी 2017 में और उसके आसपास कर्ज की किस्तें चुकानें में असफल रहीं। दोनों ऋण खाते को पुरानी तारीख से 26 अगस्त 2016 से प्रभावी रूप से गैर निष्पादित खाते (एनपीए) के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया था। एनसीएलटी ने एक समाधान पेशेवर की नियुक्ति का आदेश दिया और एसबीआई को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा। इस बीच अंबानी के प्रवक्ता ने कहा,अंबानी अभी एनसीएलटी की मुंबई पीठ के 20 अगस्त 2020 को दिए आदेश की समीक्षा कर रहे हैं। वह समाधान पेशेवर नियुक्त किए जाने के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के पास याचिका दायर करने को लेकर परामर्श ले रहे हैं।

नई दिल्ली । कोरोना काल में पिछले पांच महीने से ज्यादातर कंपनियों के अधिकतम कर्मचारी घरों से काम कर रहे हैं। ऐसे में कंपनियों के लिए ऑफिस स्पेस का मतलब नहीं रह गया है। शायद इसी कारण इंडियन कॉर्पोरेट्स और मल्टी नेशनल कंपनियों ने 2020 की पहली छमाही में करीब 6 मिलियन स्क्वेयर फीट ग्रेड ए कमर्शल ऑफिस स्पेस खाली किया है। यह करीब 78 फुटबॉल ग्राउंड के बराबर है। इसमें आधे से ज्यादा ऑफिस स्पेस बेंगलुरू में खाली किए गए हैं। बेंगलुरू में बहुत तेजी से कॉर्पोरेट ऑफिस खुल रहे थे। कॉर्पोरेट ऑफिस लीज के मामले में बेंगलुरू नंबर वन पर है और कोरोना काल से पहले यहां स्पेस का काफी अभाव था, जिसके कारण रेंट भी काफी ज्यादा होता है। असेंचर का बेंगलुरू में प्रजेंस बहुत ज्यादा है। उसने करीब 0.8 मिलियन स्क्वेयर फीट ऑफिस स्पेस खाली किया है। इसके अलावा स्विगी ने 0.3 मिलियन स्क्वेयर फीट, 0.2 मिलियन स्क्वेयर फीट, जनरल इलेक्ट्रेक 0.2 मिलियन स्क्वेयर फीट, रिलायंस कैपिटल 0.7 मिलियन स्क्वेयर फीट, यूनिमोनी ग्लोबल 0.08 मिलियन स्क्वेयर फीट और सदरलैंड ग्लोबल 0.05 मिलियन स्क्वेयर फीट जगह खाली किया है।IBM बेंगलुरू में करीब 5 मिलियन स्क्वेयर फीट ऑफिस स्पेस रखा है। वह भी इसमें बदलाव को लेकर नेगोसिएशन कर रहा है। वर्कप्लेस सलूशन फर्म, वे‎स्टियन ग्लोबल के एशिया-पैसिफिक सीईओ श्रीनिवास राव ने कहा कि एक सीट की एक महीने की कॉस्टिंग करीब 15 हजार रुपये आती है। अभी ज्यादातर कर्मचारी घर से काम करते हैं। ऐसे में कंपनियां ऑफिस स्पेस पर विचार कर रही हैं।

नई दिल्ली । विमानन क्षेत्र के नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने कहा कि वह एक ई-गवर्नेंस योजना को लागू कर रहा है जिसके तहत इस वर्ष के अंत तक सभी तरह की मंजूरी और लाइसेंस ऑनलाइन प्रदान किए जाएंगे। डीजीसीए ने एक बयान में कहा कि पायलट लाइसेंसिंग, मेडिकल परीक्षाओं से संबंधित सेवाएं और उड़ान प्रशिक्षण संगठनों से संबंधित सेवाएं पहले ही ऑनलाइन ई-गवर्नेंस योजना के तहत ईजीसीए नाम से पेश कर दी गई हैं। इसमें कहा गया है, डीजीसीए के शेष कार्यों में ऑपरेटरों के लिए  परिचालन मंजूरी देने अथवा उसका नवीकरण, एएमई (विमान रखरखाव इंजीनियर) लाइसेंसिंग और संगठनों का स्वीकृति आदि शामिल हैं। डीजीसीए ने कहा कि यह परियोजना चार चरणों में लागू की जा रही है और इसके इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। नियामक ने कहा ईजीसीए परियोजना के लिए टाटा कंसल्टेंसी सविर्सिज (टीसीएस) को सेवा प्रदाता के तौर पर और प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) को परियोजना प्रबंधन सलाहकार के तौर शामिल किया गया है।

नई दिल्ली । केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग से मौजूदा नीतियों और उपयुक्त माहौल का लाभ उठाते हुये भारत में निर्मित नवोन्मेषी उत्पाद तैयार कर देश को सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में दुनिया का प्रमुख केन्द्र बनाने का आह्वान किया। उन्होंने वीडियो कांफ्रेंस समाधान विकसित करने के लिए आयोजित प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा करते हुए कहा कि इसे (प्रतियोगिता) असाधारण प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने कहा कि आर्थिक चुनौतियों तथा कोरोना वायरस महामारी की दिक्कतों के बाद भी भारत के आईटी व संचार क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश आया है। ऐसा इस कारण संभव हुआ क्योंकि दुनिया भारत पर भरोसा करती है। प्रसाद ने कहा कि भारत पहले ही सॉफ्टवेयर सेवाओं में अपनी क्षमता साबित कर चुका है और अब भारत को सॉफ्टवेयर उत्पादों के क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बनने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा ‎कि दुनिया भारत को बड़ी उम्मीद से देख रही है। मैं चाहूंगा कि नवोन्मेषी इस बारे में सोचें, हम पहले ही एक सॉफ्टवेयर उत्पाद नीति लेकर आ चुके हैं और एक उत्साहजनक पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है। मैं सॉफ्टवेयर समुदाय से आग्रह करूंगा कि वे नवोन्मेष व स्टार्टअप के क्षेत्र में भारत की स्थिति का लाभ उठाएं और देश को सॉफ्टवेयर उत्पादों का एक बड़ा केंद्र बनाएं।

मुंबई । ‎रिलायंस के जियो फाइबर में सऊदी अरबिया पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआइएफ) एक अरब डॉलर (करीब 7500 करोड़ रुपए) का ‎निवेश कर सकती है। जानकारी के मुता‎बिक सऊदी अरब का सॉवरिन वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ) अपने 300 अरब डॉलर के पोर्टफोलियो में वक्त के हिसाब से बदलाव लाने जा रहा है। यह फंड सिलिकॉन वैली की बड़ी कंपनियों, एविएशन सेक्टर और ऑयल कंपनियों में किए अपने निवेश को धीरे-धीरे कम कर रहा है। पिछले दिनों खबर आई थी कि अबूधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) जियो के फाइबर कारोबार में दोबारा निवेश को लेकर तैयारी कर रहा है। इसके बाद से ही पीआईएफ जियो के फाइबर कारोबार में रु‎चि दिखा रहा है। एडीआईए और पीआईएफ दोनों ही पहले ही जियो प्लैटफॉर्म्स में मिलकर 2.2 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी है। जियो में विनिवेश के जरिए मुकेश अंबानी ने 13 निवेशकों से अब तक कुल 20.8 अरब डॉलर जुटाए हैं। फाइबर कारोबार में निवेश को लेकर ना तो रिलायंस और ना ही पीआईएफ की तरफ से किसी तरह का जवाब आया है। सऊदी अरामको भी रिलायंस के रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल बिजनस में निवेश करना चाह रही है और इस दिशा में बहुत तेजी से बातचीत जारी है। इस तरह अलग-अलग सेक्टर में निवेश की मदद से मुकेश अंबानी और सऊदी के क्रॉउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान स्ट्रैटिजीक पार्टनरशिप की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

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