ईश्वर दुबे
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मुंबई। आख़िरकार लंबे जद्दोजहद के बाद गुरुवार को महाराष्ट्र में महाशपथ ग्रहण समारोह हो गया और देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस ने 21वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लिया। बता दें कि वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। वहीं एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने राज्य के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल सी।पी। राधाकृष्णन ने फडणवीस को मुख्यमंत्री एवं शिंदे तथा पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। मुंबई के ऐतिहासिक आजाद मैदान में आयोजित किए गए इस महाशपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चव्हाण, निर्मला सीतारमण, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई मंत्री शामिल हुए। साथ ही 19 मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी इस समारोह का हिस्सा बने। राजनीतिक क्षेत्रों के अलावा व्यापार, फिल्मी और खेल जगत की भी कई हस्तियां मौजूद रहीं। इनमें मुकेश अंबानी और नीता अंबानी, कुमार मंगलम बिरला, अजय पिरामल, उदय कोटक, गीतांजलि किर्लोस्कर, मानसी किर्लोस्कर, अभिनेता सलमान खान, शाहरुख खान, संजय दत्त, रणबीर कपूर, रणवीर सिंह, मशहूर फिल्मकार बोनी कपूर उनकी बेटी जानह्वी कपूर और बेटे अर्जुन कपूर, अमृता फडणवीस, क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर तथा उनकी पत्नी अंजलि भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई। वहीं आजाद मैदान में हुए शपथ ग्रहण समारोह में 40000 से अधिक लोग शामिल हुए। शपथ ग्रहण समारोह को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। 4 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था। इनमें से 3,500 पुलिसकर्मी और 520 पुलिस अधिकारी शामिल थे।
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने चुनावी राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की है। उन्होंने इस बारे में आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है। संयास लेने का कारण गोयल ने बढ़ती उम्र को बताया है। इसके साथ ही गोयल ने पार्टी और समाज की सेवा जारी रखने का आश्वासन भी दिया है।दिल्ली विधानसभा के स्पीकर रामनिवास गोयल ने पार्टी व विधायकों का आभार जताते हुए राजनीति से सन्यास लेने संबंधी पत्र में लिखा है, कि पिछले 10 सालों से शहादरा विधानसभा के विधायक और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में मैंने अपने दायित्व निभाए। पार्टी और विधायकों ने मुझे जो सम्मान दिया, उसके लिए मैं आभारी हूं। बढ़ती उम्र के कारण मैं चुनावी राजनीति से दूर होना चाहता हूं। हालांकि, पार्टी में रहते हुए मैं सेवा करता रहूंगा और जो भी दायित्व सौंपा जाएगा, उसे निभाने का प्रयास करूंगा। गोयल के इस पत्र पर दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रामनिवास गोयल जी का चुनावी राजनीति से अलग होना एक बड़ा क्षण है। उनका मार्गदर्शन हमें सदन के भीतर और बाहर हमेशा प्रेरित करता रहा है। उनका अनुभव और सेवाएं पार्टी के लिए हमेशा मूल्यवान रहेंगी। वह हमारे परिवार के अभिभावक थे, हैं, और हमेशा रहेंगे।
किसानों के मुद्दों पर केंद्र और राज्यों की सक्रियता बढ़ी, जल्द हो सकता है बड़ा फैसला
नई दिल्ली। देशभर में एक बार फिर किसान आंदोलन तेज होता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश के नोएडा में किसानों द्वारा किए गए धरना प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए लगभग 160 प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने रिहा कर दिया। इसके बाद किसान नेताओं ने यमुना एक्सप्रेसवे के जीरो प्वाइंट पर एक पंचायत आयोजित की और धरना प्रदर्शन जारी रखने का निर्णय लिया। ऐसे में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समझाईश के साथ फटकार लगाई थी, जिसका असर भी देखने को मिला है। इससे राज्य व केंद्र सरकार द्वारा किसानों को लेकर कोई बड़ा फैसला लेने की उम्मीद जागी है।किसानों के बढ़ते असंतोष के बीच केंद्र और राज्य सरकारें सक्रिय हो गई हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर किसानों की मांगों पर चर्चा की है। इससे पहले किसानों के मुद्दे पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कृषि मंत्री को लेकर दिया गया बयान भी सुर्खियों में रहा है। उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि किसानों के मुद्दों का सिर्फ राजनीतिकरण किया जा रहा है और वास्तविक समाधान की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं एक कार्यक्रम में धनखड़ ने एक कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री से सीधे सवाल कर उन्हें फटकार लगाई थी।
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (एएलपीआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की पार्टी के गया युवा लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास) विंग की पूरी कमेटी ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इन्होंने पार्टी में नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है। यह चिराग के लिए एक झटका है।
इस संबंध में लोजपा (रामलिवास) के युवा विंग के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में युवा लोजपा के जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार ने आरोप लगाया है कि पार्टी में नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिया जा रहा है, बल्कि एक विशेष पक्ष के लिए ही ध्यान दिया जाता है, जबकि चिराग पासवान बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा देते हैं, लेकिन इसके विपरीत उनकी पार्टी में खास पक्ष की ही सुनी जाती है। मुकेश ने कहा कि हम लोग पिछले दस सालों से पार्टी से जुड़े हैं लेकिन अपनी ही पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं जिससे मन ऊब चुका है। बीमारी हो या कोई समस्या, पार्टी के सीनियर लोगों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आता। इसलिए लगभग 100 से भी ज्यादा की संख्या में युवा लोजपा की कमेटी ने इस्तीफा दिया है। इसको लेकर अभी चिराग पासवान की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
नई दिल्ली,। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर जताई है। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 फीसदी के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह खुद ही खत्म हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना जरूरी है।
नागपुर में एक सम्मेलन में भागवत ने कहा कि कुटुंब यानी परिवार समाज का हिस्सा है और हरेक कुटुंब इसकी इकाई है। भागवत ने भले ही ये संकेत हिंदुओं के संदर्भ में दिया है, लेकिन हकीकत ये है कि आज महंगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहा आम आदमी के लिए तीन-तीन बच्चे पैदा करना और उनका पालन-पोषण करना कितना मुश्किल हो सकता है। जहां एक बच्चे के पालन पर ही अच्छा खासा खर्च होता है। जानते हैं कि देश में बच्चे पालना कितना महंगा हो सकता है।
इस साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 फीसदी थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 फीसदी रह गई। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 फीसदी हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।
भारत में बच्चे के पालन-पोषण का बजट जगह, लाइफस्टाइल और व्यक्तिगत पसंद सहित कई तरह के फैक्टर्स पर निर्भर करता है। एक अध्ययन के मुताबिक एक बच्चे के जन्म से लेकर 18 साल तक के पालन-पोषण की अनुमानित लागत 30 लाख से लेकर 1.2 करोड़ रुपए तक आती है। यह शहरों और गांवों में परिस्थितियों के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है।
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा की टॉप लीडरशिप को विभाजनकारी रणनीति अपनाने वाली बता देशभर में मस्जिदों और दरगाहों के सर्वेक्षण कराने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने इस बीच कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का विरोध कर रहे हैं और इसका विरोध करना जारी रखा जाएगा। उन्होंने भाजपा से संघ प्रमुख के 2022 के बयान का जिक्र करते हुए भाजपा के टॉप लीडर्स से उसे मानने की बात कही।
आखिर क्यों दिया खडगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के टॉप लीडर्स से मोहन भागवत के 2022 के उस बयान पर ध्यान देने को कहा, जिसमें आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का भी हवाला दिया, जिसे धार्मिक स्थलों की 1947 जैसी स्थिति बनाए रखने के लिए खासतौर पर बनाया गया था। खड़गे की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हुई हिंसा के बाद पूरे देश में तनाव की स्थिति बनने लगी थी, जिसे लेकर विपक्ष एक बार फिर भाजपा लीडरशिप के खिलाफ लामबंद होती दिखी है। यहां दिल्ली में आयोजित एक रैली के दौरान खड़गे ने कहा, कि पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं एक हैं तो सेफ हैं, लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात जरुर करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देने जैसे हैं। खड़गे ने कहा कि आपके नेता मोहन भागवत ने तो कहा है कि अब जबकि राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों का सर्वे करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा कर रहे हैं? खड़गे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देंगे, जो मुसलमानों ने बनवाई थीं।
मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अभी भी मुख्यमंत्री पद का फैसला नहीं हो सका है। महायुति गठबंधन में सीएम और अन्य प्रमुख पदों को लेकर असमंजस बरकरार है। इसी बीच कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे की तबीयत फिर खराब होने और अजित पवार के दिल्ली जाने से स्थिति और पेचीदा हो गई है। एकनाथ शिंदे के गले में संक्रमण और बुखार की शिकायत हो गई है। बीमार होने के कारण उन्होंने अपनी सभी आधिकारिक बैठकें रद्द कर दी हैं। शिंदे फिलहाल ठाणे में अपने घर पर ही हैं और मुख्यमंत्री आवास नहीं लौटे हैं।
नई दिल्ली। राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा हमेशा ही छाया रहा है। कई बार टिकट वितरण के दौरान भी यह मुद्दा विवाद का कारण बन जाता है। कोई बेटे के लिए टिकट मांगता है तो कोई भतीजे,पत्नी या किसी रिश्तेदार के लिए अड़ जाता है। विवाद बढ़ते हैं और झगड़े भी होते हैं,लेकिन परिवारवाद का प्रभाव कम होता नजर नहीं आता है। लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर, लोकसभा और राज्यसभा में इसे बखूबी देखा जा सकता है। आज गुरुवार को वायनाड से चुनकर आईं प्रियंका गांधी ने शपथ और विधिवत तरीके से सांसद बन गई। अब इसके साथ ही गांधी परिवार का कुनबा संसद में मजबूत हो गया। गांधी परिवार के अलावा भी कई ऐसी फैमिली हैं, जिसके कई सदस्य लोकसभा और राज्यसभा में हैं। इन परिवारों में यूपी से अखिलेश यादव, उनकी पत्नी डिंपल यादव, भतीजे तेज प्रताप यादव, बदायूं से धर्मेंद्र यादव, फिरोजाबाद से अक्षय यादव शामिल हैं।
शरद पवार का राज्यसभा का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर
अखिलेश यादव और उनके परिवार की लालू यादव से रिश्तेदारी भी है। ऐसे ही बिहार की पूर्णिया सीट के सांसद पप्पू यादव और उनकी पत्नी रंजीता रंजन भी राज्यसभा की सांसद है। रंजीता रंजन को 2022 में ही छत्तीसगढ़ सीट से राज्यसभा भेजा गया था। लंबे समय तक रायबरेली से सांसद रहीं सोनिया गांधी भी अब राज्यसभा में हैं, जबकि उनके बेटे और बेटी अब लोकसभा के मेंबर हैं। शरद पवार भी राज्यसभा के सांसद हैं, जबकि उनकी बेटी सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा सीट से मेंबर हैं। हालांकि शरद पवार का राज्यसभा का कार्यकाल अब समाप्ति की ओर है। यही नहीं अखिलेश यादव के चाचा रामगोपाल यादव भी राज्यसभा के सदस्य हैं। वहीं शिवपाल यादव यूपी विधानसभा के सदस्य हैं। विधानसभाओं में परिवार देखें तो बिहार में तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव और उनकी मां रबड़ी देवी विधायक हैं। तेजस्वी तो फिलहाल नेता विपक्ष भी हैं, जो दो बार राज्य के डिप्टी सीएम रह चुके हैं। इसी तरह तमिलनाडु में सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि भी राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में अजित पवार, उनके भतीजे रोहित पवार विधानसभा के मेंबर चुने गए हैं।हिमाचल प्रदेश में तो सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर भी विधायक हैं। उन्हें हाल ही में उपचुनाव में उतारा गया था, जिसमें उन्हें जीत मिली थी। अब बात झारखंड की करें तो हेमंत सोरेन के अलावा उनकी पत्नी भी झामुमो से विधायक बनी हैं। झामुमो को कुल 34 सीटें हासिल हुई हैं। अब बात भाजपा नेता राजनाथ सिंह की करें तो वह रक्षा मंत्री हैं, जबकि बेटे पंकज सिंह यूपी विधानसभा के सदस्य हैं और नोएडा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
नई दिल्ली। अमेरिका के एक कथित फर्जीवाड़े के मामले में उद्योगपति गौतम अडानी का नाम आपने के बाद विपक्ष,एनडीए सरकार पर हमलावर है। नतीजा ये हुआ कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दो दिन पूरी तरह से हंगामे की भेंट चढ़ गए हैं। गौतम अडानी के मुद्दे पर विपक्षी सांसद हंगामा कर रहे हैं। कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही है। हालांकि संसद सत्र के दौरान इंडिया गठबंधन में फूट दिखने लगा है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस मामले में अलग रुख अपनाया है और पार्टी के नेताओं ने संसद में अन्य मुद्दों को उठाने की जरूरत पर जोर दिया है।
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा में नेता डेरेक ओब्रायन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, टीएमसी चाहती है कि संसद चले ताकि लोगों के मुद्दों को उठाया जा सके। उनका कहना था कि अदानी मुद्दे को लेकर संसद में हो रहे व्यवधानों के कारण अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है। लोकसभा सदस्य काकोलि घोष दस्तीदार ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, टीएमसी संसद के कामकाजी होने की चाहत रखती है। हम नहीं चाहते कि कोई एक मुद्दा संसद को प्रभावित करे। हमें इस सरकार की विफलताओं को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।तृणमूल कांग्रेस की रणनीति कांग्रेस की ओर से किए जा रहे विपक्षी हमलों से अलग है। टीएमसी पश्चिम बंगाल के कुपोषण, बेरोजगारी, मणिपुर, पूर्वोत्तर की स्थिति, खाद्य सामग्री की कमी और अपराजिता (महिला सुरक्षा) बिल के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरना चाहती है। आपको बता दें कि अपराजिता बिल बंगाल विधानसभा से पास हो चुका है लेकिन राज्यपाल द्वारा रोका गया है। पार्टी का कहना है कि वे इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास ले जाएगी और 30 नवंबर को इस मुद्दे पर राज्यव्यापी अभियान चलाएगी।
मुंबई। मुंबई में शुक्रवार को होनी वाली महायुति की अहम बैठक टाल दी गई है। सूत्रों के मुताबिक कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे अचानक सातारा चले गए हैं। अब महायुति की बैठक 1 दिसंबर रविवार को हो सकती है। इस बैठक में दो ऑब्जर्वर्स की मौजूदगी में महाराष्ट्र सीएम के नाम का ऐलान किया जाएगा। बीजेपी मराठा चेहरे पर भी विचार कर सकती है।
इस बैठक के बाद महायुति की बैठक बुलाई जाएगी। इससे पहले गुरुवार रात एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार ने करीब ढाई घंटे तक गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की थी। एकनाथ शिंदे ने आधे घंटे तक शाह से अकेले मुलाकात की। सूत्रों ने बताया कि हाईकमान ने शिंदे को डिप्टी सीएम या केंद्र में मंत्री पद का ऑफर दिया है। शिंदे केंद्रीय मंत्री बनने का मन बनाते हैं तो उनके गुट से किसी अन्य नेता को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक शिंदे पोर्टफोलियो बंटवारे की सूची अमित शाह को दे चुके हैं। अब शिंदे बीजेपी को फैसला लेने के लिए वक्त देना चाहते हैं इसीलिए वे अपने गांव रवाना हो गए हैं। बीजेपी मराठा नेताओं पर भी विचार कर रही माना जा रहा है कि सीएम चुनने में जातीय गणित की बड़ी भूमिका हो सकती है, क्योंकि 288 सीटों की विधानसभा में मराठा समुदाय के विधायक बड़ी संख्या में हैं। देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण हैं। ऐसे में बीजेपी नेतृत्व सीएम के लिए कुछ मराठा नेताओं पर भी विचार कर रहा है। सूत्रों की मानें तो आरएसएस ने दबाव बढ़ाया तो फडणवीस के सीएम बनने की संभावना ज्यादा है।
मुंबई,। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हार के बाद महाविकास अघाड़ी (एमवीए) में बगावत देखने को मिल रही हैं। शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे ने कांग्रेस पर अति आत्मविश्वास होने का आरोप लगाया है। दानवे ने दावा किया कि कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में सफलता के बाद अपने सहयोगी दलों शिवसेना(यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार) को महत्व देना बंद कर दिया था।
विधानसभा चुनाव में एमवीए को महाराष्ट्र की 288 सीटों में से केवल 46 सीटों पर जीत हासिल की है, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार) को 10 सीटें मिली हैं, जबकि एमवीए को लोकसभा चुनाव में 48 सीटों में से 30 सीटें मिली थीं। शिवसेना नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ओवरकॉन्फिडेंस में थी। जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और महाराष्ट्र में स्थिति कांग्रेस के लिए अनुकूल थी। झारखंड में जेएमएम ने अपनी ताकत के दम पर बहुत अच्छा काम किया है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हरियाणा में अपनी शुरुआती बढ़त गंवा दी और सत्ता विरोधी लहर से जूझने के बावजूद बीजेपी को लगातार तीसरी बार जीत दिलाई. जम्मू और कश्मीर में कांग्रेस जम्मू क्षेत्र में पैठ बनाने में विफल रही, जिससे वहां बीजेपी को जीत मिली। हालांकि, उसके इंडिया ब्लॉक के सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने उसके समर्थन से सरकार बना ली है। झारखंड में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सरकार बनाई, जेएमएम को 81 में से 34 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 16 सीटें मिलीं थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने सहयोगियों को महत्व नहीं दे रही है और सीट बंटवारे पर आखिरी दिन तक चर्चा हुई। इससे गठबंधन को नुकसान हुआ। इसकी वजह से कई सीटों पर कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की जमानत भी नहीं बचा सकी है।
शिवसेना नेता ने दावा किया कि कुछ कांग्रेस नेताओं ने चुनाव जीतने से पहले ही विभागों पर विचार-विमर्श शुरू कर दिया था, जबकि दस नेता मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक थे। उन्होंने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे एमवीए के सीएम पद के चेहरे होते तो 2-5 फीसदी वोट उसके पक्ष में आते 2019 से 2022 तक मुख्यमंत्री के रूप में उनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण जनता की राय ठाकरे के पक्ष में थी.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन सीटों पर शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव लड़ा, वहां वोट शेयर बढ़ा और पार्टी के उम्मीदवारों ने उद्धव ठाकरे से कहा कि पार्टी अपने दम पर महाराष्ट्र में सत्ता में आने के लिए अधिक सीटों के लिए संघर्ष करेगी। एक सवाल का जवाब देते हुए दावे किया कि हमने कभी नहीं कहा कि शिवसेना (यूबीटी) एमवीए छोड़ रही है। शिवसेना (यूबीटी) को सभी 288 विधानसभा सीटों पर अपनी ताकत बढ़ानी चाहिए।
इस बीच कांग्रेस के अंदर भी आत्ममंथन जारी है, जहां पार्टी के वरिष्ठ नेता हार के कारणों की समीक्षा कर रहे हैं। एमवीए की इस हार ने गठबंधन के भीतर समन्वय और रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे भविष्य में गठबंधन की एकजुटता पर भी संदेह उत्पन्न हो रहा है।
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव सेना के गठजोड़ को करारी हार मिली है। अब तक महाविकास अघाड़ी के नेता इस हार को स्वीकार नहीं कर पाए हैं। संजय राउत का कहना है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने चाहिए। इस बीच शरद पवार की एनसीपी के सीनियर नेता जितेंद्र अव्हाड ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी हार के लिए कोई एक कारण नहीं मान सकते। उन्होंने कहा, कोई एक कारण सामने नहीं आ रहा है। चुनाव के बाद कुछ बदला नहीं था। बेरोजगारी और महंगाई में इजाफा हुआ है। अव्हाड ने कहा, एक परिवार में 32 वोट हैं। उन सभी लोगों ने अपने घर के कैंडिडेट को वोट दिया है। फिर भी उसे जीरो वोट दिखाया है। ऐसा कैसे हो सकता है? इससे पहले संजय राउत ने मांग उठाई थी कि दोबारा चुनाव होने चाहिए और वोटिंग बैलेट पेपर से कराई जाए। राउत ने कहा, ‘ईवीएम को लेकर हमें करीब 450 शिकायतें मिलीं। बार-बार आपत्ति जताए जाने के बावजूद इन मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हम कैसे कह सकते हैं कि ये चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए? इसलिए मेरी मांग है कि नतीजों को रद्द किया जाए और दोबारा चुनाव मत पत्रों के जरिए कराए जाएं।
डोंबिवली में ईवीएम की गिनती में विसंगतियां पाई गईं
उन्होंने कहा कि नासिक में एक उम्मीदवार को कथित तौर पर केवल चार वोट मिले, जबकि उसके परिवार के 65 वोट थे। उन्होंने कहा कि डोंबिवली में ईवीएम की गिनती में विसंगतियां पाई गईं और चुनाव अधिकारियों ने आपत्तियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। शिवसेना यूबीटी के नेता ने कुछ उम्मीदवारों की भारी जीत की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘उन्होंने ऐसा कौन सा क्रांतिकारी काम किया जो उन्हें 1.5 लाख से अधिक वोट मिले? यहां तक कि हाल में पार्टी बदलने वाले नेता भी विधायक बन गए। इससे संदेह पैदा होता है। पहली बार शरद पवार ने ईवीएम पर संदेह व्यक्त किया है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।बहिन योजना का कोई इतना असर नहीं होता है। जैसे चंद्रपुर की सीट आप देखेंगे तो वह हमने 2 लाख 40 हजार के अंतर से जीती थी। अब आप देखिए कि वह 2 लाख 40 हजार तो गए ही उसके ऊपर 1 लाख वोट और कैसे चले गए। ऐसा नहीं हो सकता। यहां तक कि जीते हुए विधायकों ने भी कहा कि साहब हम जीतकर आए हैं, लेकिन कहीं न कहीं ईवीएम का बड़ा मसला है।
मुंबई। महाराष्ट्र की महासियासत फिलहाल थमती नहीं दिख रही है। यहां चुनावी जंग महायुति ने जीती है लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा? इसको लेकर कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। यहां के तीन दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस,अजित पवार और एकनाथ शिंद सीएम की आस लगाए हुए है। खबरें आ रहीं हैं देवेंद्र फडणवीस को ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इन खबरों चलते ही सीएम एकनाथ शिंदे के समर्थकों में नाराजगी बढ़ी और भीड़ के साथ मुंबई आने की खबरें फैल गईं। इसके बाद खुद शिंदे ने अपने समर्थकों से अपील करते हुए कहा कि मेरे घर पर एकत्रित न हों। वहीं दूसरी तरफ अजित पवार मामले को गंभीरता से समझ रहे हैं और फिलहाल न्यूट्रल हैं और देवेंद्र को पूरा यकीन है कि सीएम वे ही बनेंगे। कुल मिलाकर भीतर ही भीतर नाराजगी तो है,लेकिन उसे बाहर नहीं आने दे रहे हैं। जब भी सीएम तय होगा बगावत के सुर सुनाई देने की पूरी आशंका है। महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर सस्पेंस बरकरार है। इसी बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि कोई भी उनके आवास वर्षा या कहीं और समर्थन के लिए एकत्र न हों। शिंदे ने एक्स पर एक पोस्ट किया, इसमें उन्होंने कहा कि महायुति की बड़ी जीत के बाद राज्य में एक बार फिर हमारी सरकार बनने जा रही है। महायुति के रूप में हमने एक साथ चुनाव लड़ा और आज भी साथ हैं। मेरे प्रति प्रेम के कारण कुछ समूहों ने एक साथ मुंबई आने की अपील की है, मैं आपके प्यार के लिए बहुत आभारी हूं। हालांकि मैं किसी से भी इस तरह से एक साथ आने और मेरा समर्थन करने की अपील नहीं करता। एक बार फिर मेरा विनम्र अनुरोध है कि शिवसेना के कार्यकर्ता मेरे आवास वर्षा या कहीं और एकत्र न हों। महायुति एक मजबूत और समृद्ध महाराष्ट्र के लिए मजबूत रही है और आगे भी मजबूत रहेगी। खबरों के मुताबिक महाराष्ट्र में नई सरकार का गठन महायुति की शानदार जीत के तुरंत बाद संभव लग रहा था, लेकिन शिवसेना के इस आग्रह के कारण यह थोड़ा टल गया है कि एकनाथ शिंदे ही मुख्यमंत्री बने रहें। चुनाव के नतीजे आने के बाद चर्चा थी कि विधानसभा में अपनी पार्टी को अब तक की सबसे ज्यादा सीटें दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले देवेंद्र फडणवीस सोमवार को ही शपथ ले लेंगे, लेकिन महायुति नेताओं के बीच अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर आम सहमति नहीं बन पाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि दिल्ली पहुंचे फडणवीस, शिंदे और अजित पवार राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं, ताकि मुख्यमंत्री पद पर गतिरोध को दूर किया जा सके।
रांची । ईडी के समन की अवहेलना के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को रांची की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट से मंगलवार को झटका लगा है। एमपी-एमएलए अदालत ने ईडी की ओर से मामले में दायर मुकदमे में सोरेन को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति से छूट देने से मना कर दिया है। सोरेन ने 5 जुलाई को अदालत में याचिका दाखिल कर दरख्वास्त की थी कि ईडी की ओर से समन अवहेलना का आरोप लगाकर उनके खिलाफ जो शिकायतवाद दायर की है, उसमें सुनवाई के दौरान उन्हें व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति से छूट दी जाए। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश सार्थक शर्मा की अदालत ने सोरेन की याचिका पर सुनवाई और दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद 11 नवंबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
सोरेन ने ईडी की ओर से भेजे गए समन का उल्लंघन किया
अब अदालत ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को मामले में व्यक्तिगत रूप से बुलाया है और चार दिसंबर की तारीख निर्धारित की है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना है कि सोरेन ने ईडी की ओर से भेजे गए समन का उल्लंघन किया। ईडी की ओर से सीजेएम कोर्ट में 19 फरवरी को शिकायतवाद दर्ज कराया गया था। इसमें एजेंसी ने बताया है कि जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए सोरेन को दस समन भेजे गए थे, लेकिन वे दो समन पर उपस्थित हुए। यह पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की धारा 63 एवं आईपीसी की धारा 174 के तहत गैरकानूनी है। कोर्ट ने मामले में सुनवाई के बाद 4 मार्च को संज्ञान लिया था। बाद में यह मामला एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था। बता दें कि रांची के बड़गाईं अंचल से संबंधित जमीन घोटाले को लेकर ईडी ने हेमंत सोरेन को पहली बार 14 अगस्त 2023 को हाजिर होने के लिए समन भेजा गया था। इसके बाद इसी वर्ष उन्हें 19 अगस्त, 1 सितंबर, 17 सितंबर, 26 सितंबर, 11 दिसंबर, 29 दिसंबर को और 2024 में 13 जनवरी, 22 जनवरी और 27 जनवरी को समन भेजे गए थे। दसवें समन पर उनसे 31 जनवरी को पूछताछ हुई थी और इसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था।