राजनीति

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पणजी । गोवा विधानसभा के स्पीकर ने भाजपा में शामिल होने वाले कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
14 सितंबर, 2022 को आठ विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल का दो-तिहाई हिस्सा होने का दावा करते हुए भाजपा में ‘विलय’ की घोषणा की थी। इसके बाद गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गिरीश चोडनकर ने माइकल लोबो, दिगंबर कामत, एलेक्सो सिकेरा, संकल्प अमोनकर, डेलिलाह लोबो, केदार नाइक, राजेश फल्देसाई और रोडोल्फो फर्नांडीस को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए विधानसभा अध्यक्ष रमेश तवाडकर के समक्ष याचिका दायर की थी।
याचिका में चोडनकर ने कहा था कि इन आठ विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा से उस राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ दी थी, जिसकी उम्मीदवारी पर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा था।
स्पीकर ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आठ विधायकों ने कांग्रेस विधायक दल का भाजपा में विलय करने का प्रस्ताव पारित किया था और संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता, विलय के मामले में लागू नहीं होती है।
आठ ‘बागी’ विधायकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने बताया कि दसवीं अनुसूची अन्य राजनीतिक दल में ‘विलय’ की स्वीकृति पर विचार नहीं करती है। वकील ने कहा कि विलय को भाजपा ने स्वीकार कर लिया है, सभी बागी विधायक भाजपा के सदस्य के रूप में विधानसभा में बैठे हैं।
बता दें कि अगर किसी पार्टी के दो तिहाई से अधिक विधायक दूसरी पार्टी में चले जाते हैं, तब यह संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के अपवाद के अंतर्गत आती है। और बागी विधायकों की सदस्यता नहीं जाती।
याचिका को खारिज करते हुए स्पीकर तवाडकर ने कहा कि याचिका में तथ्य हाल ही में उनके द्वारा सुनी गई एक अन्य अयोग्यता याचिका के समान हैं। 14 अक्टूबर को तवाडकर ने इन आठ विधायकों के खिलाफ डोमिनिक नोरोन्हा द्वारा दायर अयोग्यता याचिका को खारिज किया था।
स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा था, ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि विधायक दल के दो-तिहाई सदस्य राजनीतिक दल से असहमत हैं, तो ऐसी असहमति सुरक्षित है और इसके कारण अयोग्यता नहीं होगी।

मुंबई । महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में भाजपा के मना करने के बावजूद अजित पवार ने अपने नेतृत्व वाली राकांपा से जिन नवाब मलिक को टिकट दिया है उन्होंने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। मालिक ने कहा है कि वे चुनाव के दौरान महायुति गठबंधन का झंडा नहीं थामेंगे बल्कि  राकांपा का झंडा उठाएंगे। मालिक ने यह भी कहा कि उनके महाविकास अघाड़ी से मधुर सम्बन्ध हैं।  नवाब मलिक फिलहाल प्रिवेंशन ऑफ मनी-लॉन्ड्रिंग एक्ट  में मेडिकल ग्राउंड पर जमानत पर हैं।

 

 

भाजपा नहीं चाहती थी कि नवाब मलिक को टिकट दिया जाए

दरअसल, ऐसी चर्चाएं थीं कि भाजपा नहीं चाहती थी कि नवाब मलिक को टिकट दिया जाए। उनके हालिया बयानों और उनकी इमेज की वजह से भाजपा ने ये फैसला किया था। इसके लिए अजित पवार पर प्रेशर भी बनाया गया था। टिकट को लेकर अजित पवार काफी समय तक चुप रहे। आखिरकार उन्होंने नवाब मलिक को मानखुर्द विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया। नामांकन के आखिरी दिन नामांकन दाखिल करने के बाद नवाब मलिक ने कहा, मैंने निर्दलीय और राकांपा के पर्चे पर नाम दाखिल किया है। राकांपा का पर्चा वापस होता है, तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा।

 

 

नवाब मलिक अजित पवार के करीबी 

नवाब मलिक अजित पवार के करीबी रहे हैं। उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मलिक जेल से जमानत पर बाहर आए, तो अजित पवार और शरद पवार दोनों गुट उन्हें अपने पाले में शामिल करने को आतुर दिखे। तब छगन भुजबल और अजित पवार नवाब मलिक के घर पहुंचे थे। जबकि शरद पवार गुट के नेता अनिल देशमुख भी उनसे मिलने गए थे। हालांकि, नवाब मलिक ने अजित पवार का साथ चुना।

नई दिल्ली । हरियाणा विधानसभा चुनाव में अनियमितता के कांग्रेस के  आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। आयोग ने कांग्रेस को  1600 पन्‍नों में जवाब भेजा है। चुनाव आयोग ने पार्टी के हर आरोपों को निराधार, गलत, तथ्यहीन बताया है और  कांग्रेस को पत्र लिखकर हर बार निराधार आरोप लगाने से बचने को कहा है। आयोग ने सामान्य संदेह फैलाने के लिए कांग्रेस की आलोचना की है।

 

 

मतदान और मतगणना जैसे संवेदनशील समय पर गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाने से बचे

चुनाव आयोग ने कांग्रेस से अपील की है कि वह मतदान और मतगणना जैसे संवेदनशील समय पर गैर-जिम्मेदाराना आरोप लगाने से बचे। चुनाव आयोग ने कहा कि ऐसे आरोपों से सार्वजनिक अशांति और अराजकता फैल सकती है। चुनाव आयोग ने पिछले एक साल में 5 विशिष्ट मामलों का हवाला दिया।चुनाव आयोग ने कांग्रेस से बिना सबूत के चुनावी प्रक्रिया पर आदतन हमले करने से बचने को कहा। पत्र में चुनाव आयोग ने लिखा कि पार्टी को चुनाव दर चुनाव निराधार आरोप लगाने से बचने के लिए निर्देशित किया जाता है। चुनाव आयोग ने पार्टी को सामान्य संदेह फैलाने के लिए आड़े हाथों लिया  और इस तरह की प्रवृत्ति को रोकने के लिए दृढ़ और ठोस कदम उठाने का आग्रह किया।

 

 

चुनाव आयोग ने कांग्रेस से शिकायतों की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने को कहा 

चुनाव आयोग ने कांग्रेस से शिकायतों की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने को कहा है। इलेक्शन कमीशन ने कहा कि याणा में चुनावी प्रक्रिया का प्रत्येक चरण ‘त्रुटिहीन’ था। चुनाव आयोग ने 1600 पन्‍नों में कांग्रेस की शिकायतों पर जवाब भेजा है। जिसमें चुनाव आयोग के अधिकारियों की प्रतिक्रिया भी शामिल है।हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने ईवीएम पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि हिसार, महेंद्रगढ़ और पानीपत में 99% बैटरी वाली ईवीएम  में भाजपा जीती है। उन्होंने आरोप लगाया कि 60-70% बैटरी वाली ईवीएम  में कांग्रेस जीती है। 

 

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख मंगलवार को समाप्त हो गई। सीट शेयरिंग के साथ शुरू हुआ विधानसभा चुनाव के इस दंगल में कांग्रेस की तुलना में भाजपा अधिक मजबूत दिख रही है। भाजपा ने सीट शेयरिंग के दौर की पहली लड़ाई में काफी मजबूत दिख रही है। 150 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस के हिस्से में महायुति में सिर्फ 100 सीटें गई हैं।

 

राहुल गांधी इस डील से खुश नहीं

 

हाल ही में सीट शेयरिंग की बातचीत के दौरान यह खबर सामने आई कि राहुल गांधी महाराष्ट्र में पार्टी के नेताओं और इस वार्ता में शामिल केंद्रीय नेताओं से नाराजगी जाहिर की है। वह इस डील से खुश नहीं हैं। उन्होंने सभी को इसके लिए फटकार लगाई है। हालांकि, पार्टी ने इसका खंडन किया था।

 

 

 

विदर्भ से नाराजगी की खबरें सामने आने लगी

 

सीट शेयरिंग को लेकर विदर्भ से नाराजगी की खबरें सामने आने लगी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के एक नेता ने कहा, हम यहां दो कारणों से सीटों के बंटवारे में कमजोर पड़ गए। पहला हमारे प्रदेश के नेताओं के बीच आंतरिक मतभेद। दूसरा कारण यह था कि महायुति की तुलना में हमारे खेमे में शामिल दो क्षेत्रीय सहयोगी हमारे हाईकमान से बेहद सख्त सौदेबाजी की है। उन्होंने कहा, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) दोनों की कांग्रेस आलाकमान तक सीधी पहुंच है। शरद पवार हमेशा सख्त सौदेबाजी करते हैं। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत किसी भी समय राहुल गांधी को फोन कर सकते हैं। गतिरोध की स्थिति में स्थानीय पदाधिकारियों की कोई भूमिका नहीं रह जाती है।उन्होंने कहा कि महायुति में न तो अजित पवार और न ही एकनाथ शिंदे सीधे पीएम मोदी या अमित शाह को फोन कर सकते हैं। यह सौदेबाजी बातचीत के दौरान महाराष्ट्र भाजपा की के पक्ष में गया।

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को नामांकन भरने का अंतिम दिन था। ऐन वक्त तक सीट बंटवारें पर सियासी संग्राम चलता रहा। इसके बाद भी सीटों पर उलझन बनी रही। स्थिति ऐसी बनी कि प्राइवेट जेट से एबी फॉर्म भेजना पड़ा। मंगलवार शाम तीन बजे तक नामांकन दाखिल करना अनिवार्य था, लेकिन शिवसेना शिंदे गुट के भीतर अंतिम समय तक सीट बंटवारे को लेकर असमंजस बना रहा। इस स्थिति से निपटने के लिए पार्टी ने नासिक के अपने उम्मीदवारों को एबी फॉर्म पहुंचाने के लिए प्राइवेट जेट का सहारा लिया। शिवसेना के जिला अध्यक्ष अजय बोराटे ने प्राइवेट जेट के माध्यम से एबी फॉर्म भेजे जाने की पुष्टि की और कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि उम्मीदवार समय पर नामांकन भर सकें।धनराज महाले को डिंडोरी सीट के लिए और राजश्री अहीरराव को देवलाली सीट के लिए एबी फॉर्म थमाया गया। ये दोनों उम्मीदवार बाद में अपने-अपने नामांकन दाखिल कर चुके हैं। 

 

 

महाविकास अघाड़ी में, देवलाली सीट शिवसेना के उद्धव गुट को मिली 

महाविकास अघाड़ी में, देवलाली सीट शिवसेना के उद्धव गुट को मिली है, जहां से योगेश घोपाल मैदान में हैं। दूसरी ओर, डिंडोरी सीट एनसीपी शरद गुट को मिली है। शिवसेना के जिला अध्यक्ष अजय बोराटे ने प्राइवेट जेट के माध्यम से एबी फॉर्म भेजे जाने की पुष्टि की और कहा कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि उम्मीदवार समय पर नामांकन भर सकें। इस चुनावी ड्रामे के बीच, महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि ये समीकरण चुनाव परिणामों को कैसे प्रभावित करेंगे। एनसीपी के नवाब मलिक को चुनावी मैदान में उतारने के निर्णय के बाद, दोनों पार्टियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई। नवाब मलिक को एनसीपी की ओर से मनखुर्द शिवाजी नगर सीट से टिकट दिया गया है, जो कि गठबंधन के तहत शिवसेना को मिली थी। इस पर शिवसेना ने यहां से सुरेश कृष्ण पाटिल को उम्मीदवार घोषित किया। नवाब मलिक की एंट्री के बाद से स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है, जिसके चलते शिवसेना ने एनसीपी की दो सीटों पर भी उम्मीदवार उतारने का फैसला लिया। दिलचस्प बात यह है कि महायुति में सीट बंटवारे के तहत ये दोनों सीटें अजीत पवार की एनसीपी को मिली थीं। एनसीपी की उम्मीदवार सरोज अहिरे ने देवलाली सीट से नामांकन दाखिल किया है, जबकि विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरी जिरवाल ने डिंडोरी से नामांकन भरा है।

 

नई दिल्ली ।  आम आदमी पार्टी (आप) ने घोषणा की है कि वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाग नहीं लेगी। पार्टी की ओर से बताया गया है कि आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करेंगे।

 

आप के सांसद संजय सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, महाराष्ट्र चुनाव में हमारे नेता अरविंद केजरीवाल एमवीए के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करेंगे। आप इस बार चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी।

 

पहले चर्चा थी कि आप महाराष्ट्र चुनाव में भाग ले सकती है और एक सीट, खासकर मालाबार हिल से अपना उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही थी। लेकिन अब पार्टी ने महाराष्ट्र चुनाव न लड़ने का औपचारिक ऐलान कर दिया है।

नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विपक्षी दलों के उन आरोपों का खंडन किया है जिसमें बीजेपी के साथ गतिरोध की बात कही जा रही है। आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने दोनों संगठनों को एक बड़े परिवार का हिस्सा बताते हुए दोहराया कि दोनों के बीच एकता बरकरार है। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस और बीजेपी के बीच कोई भी असहमति आंतरिक मामला है और इसे पारिवारिक और संगठनात्मक स्तर पर संभाला जाना चाहिए।

 

अप्रैल-जून के आम चुनावों से पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बयान की ओर इशारा करते हुए होसबोले ने कहा कि ऐसे मुद्दों को सार्वजनिक मंच पर बोलने की जरुरत नहीं है। हम एक परिवार का हिस्सा हैं। इसे आंतरिक रूप से संबोधित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनके बयान के बाद वे नड्डा के घर पर मिले और साथ में भोजन भी किया था। होसबोले ने सौहार्दपूर्ण संबंधों की पुष्टि की और किसी भी तरह की कड़वाहट की धारणा को खारिज कर दिया है।

 

होसबोले के बयान आरएसएस और बीजेपी के बीच राजनीतिक विभाजन के बारे में बढ़ती अटकलों की पृष्ठभूमि में आए हैं। होसबोले के मुताबिक दोनों संगठनों के बीच संबंध निर्भरता का नहीं बल्कि आत्मनिर्भरता का है। प्रत्येक को व्यापक लक्ष्यों और राष्ट्रीय हित में संरेखित करते हुए अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरएसएस किसी भी राजनीतिक समूह के प्रति दुश्मनी नहीं रखता है। उन्होंने कहा कि हम किसी के लिए नफरत नहीं फैलाते हैं। हम सभी को आमंत्रित करते हैं। यहां तक कि राहुल गांधी को भी, कि वे आकर हमसे बात करें। 

 

यह संदेश मौजूदा राजनीतिक माहौल में खास है। राहुल गांधी हमेशा अपने राजनीतिक भाषणों में आरएसएस का जिक्र करते हैं और देश में कथित सांप्रदायिक वैमनस्य के लिए संगठन को जिम्मेदार ठहराते हैं। होसबोले ने राहुल गांधी के मोहब्बत की दुकान वाले बयान पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग प्यार और एकता की बात करते हैं, लेकिन वे आरएसएस के साथ बातचीत करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह अनिच्छा उन आदर्शों को कमजोर करती है जिन्हें वे विकसित करने का दावा करते हैं।

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपने बागी नेताओं को मनाने के लिए ऑपरेशन बागी क्लीन शुरू कर दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता खुद घर-घर जाकर नाराज नेताओं को समझा रहे हैं। पार्टी नेतृत्व की कोशिश है कि नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि से पहले ज्यादा से ज्यादा बागियों को पार्टी में वापस लाया जा सके।

 

बीजेपी चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान, सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा और केंद्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पार्टी ने डॉ. रवींद्र कुमार राय को प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर उनकी नाराजगी दूर कर दी है। डॉ. राय गिरिडीह जिले से टिकट की चाहत रखते थे और निर्दलीय चुनाव में उतरने की बात कह रहे थे। उन्होंने बाद में पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा जताई और प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष का पद स्वीकार किया। बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा ने मनाने में भी सफल रही। मेनका ने अपना इस्तीफा भी वापस ले लिया।

 

हालांकि, इसके बावजूद बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) में शामिल हो गए। इनमें लुईस मरांडी, गणेश महाली, पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, अनंत राम टुडू और विधायक केदार हाजरा शामिल हैं। 

 

जेएमएम ने इन नेताओं को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार बनाने का ऐलान भी कर दिया है। इस बीच कई नाराज बीजेपी नेताओं ने पार्टी से बगावत करते हुए निर्दलीय या अन्य दलों के समर्थन से नामांकन दाखिल कर दिया है। रांची से बीजेपी नेता मुनचुन राय, उत्तर यादव और संदीप वर्मा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भर दिया है। कांके से कमलेश राम ने भी अपना नामांकन दाखिल किया, जिन्हें मनाने के लिए असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा खुद मिले।

 

गुमला में मिसिर कुजूर के मामले में भी भाजपा के वरिष्ठ नेता पहुंचे, जो पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे। मधुपुर के पूर्व विधायक राज पलिवार को मनाने के लिए प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी पहुंचे। धनवार से निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरे निरंजन राय को मनाने सांसद निशिकांत दुबे पहुंचे। बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत कई अन्य नेताओं को मनाने का प्रयास किया है, जिनमें जुगसलाई से एनडीए प्रत्याशी रामचंद्र सहिस और घाटशिला सीट के पूर्व बीजेपी प्रत्याशी लखन मार्डी शामिल हैं। बीजेपी की ये कोशिशें आने वाले चुनावों में पार्टी की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।

पटना । बिहार की राजनीति में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपराध, बेरोजगारी, पलायन और आरक्षण जैसे मुद्दों को उठाकर फिर से सक्रियता दिखाई है। लेकिन पार्टी की ये गतिविधियां केवल चुनावी रणनीति तक सीमित नहीं रह गई हैं; इसके पीछे एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को महागठबंधन में वापस लाना है।

 

 

राजद नेताओं ने नीतीश को भाजपा की नीतियों से भयभीत कर उन्हें महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। सांसद मीसा भारती ने नीतीश के बयान पर प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने कहा था कि वह भाजपा के साथ ही रहने वाले है। मीसा ने सवाल उठाया, नीतीश की गारंटी कौन लेगा? इस तरह के बयानों से यह स्पष्ट होता है कि राजद के भीतर नीतीश की नीतियों पर संदेह कायम है। राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने नीतीश के प्रति सकारात्मकता दिखाकर कहा कि वे देशद्रोहियों के साथ नहीं रहने वाले हैं, और विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन में लौट आने वाले है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नीतीश को भाजपा के साथ रहने के कारण रात में नींद नहीं आती और वह अपनी गलती पर विचार करते हैं।

 

 

राजद सुप्रीमो और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव भी बिहार के चुनावी गणित को अच्छी तरह समझते हैं। उनका मानना है कि वर्तमान में जीत उसी दिशा में होगी जहां नीतीश कुमार रहने वाले है। नीतीश के पास कुर्मी, कुशवाहा, धानुक मतों के साथ-साथ अतिपिछड़ों का एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। इसकारण लालू का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नीतीश महागठबंधन में शामिल हों। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने यह तय किया है कि यदि नीतीश आते हैं, तब उनकी शर्तों पर चर्चा की जाएगी। इससे भाजपा की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। आने वाले चुनावों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नीतीश कुमार भाजपा के साथ रहते हैं, या फिर महागठबंधन में लौटते है। राजद की सक्रियता और नीतीश के प्रति उनकी उम्मीदें इस बात का संकेत देती हैं कि बिहार की राजनीति में आगामी दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं।

वायनाड ।    कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए अपना नामांकन का पर्चा भरा। इस दौरान उसके साथ स्थानीय नेता भी मौजूद रहे। पर्चा भरने के बाद उन्होंने एक रोड-शो किया। इस रोड-शो में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी में मौजूद हैं। बता दें कि वायनाड लोकसभा उपचुनाव के लिए जहां कांग्रेस ने प्रियंका गांधी वाड्रा को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने नव्या हरिदास को उम्मीदवार बनाया। नव्या ने पहले ही कांग्रेस को कड़े मुकाबले की चुनौती दे चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि आगामी उपचुनाव में प्रियंका गांधी को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।प्रियंका गांधी के नामांकन पर कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने कहा, "आप जो ऊर्जा यहां देख रहे हैं, यह कुछ ऐसा है, जिसका हम सभी इंतजार कर रहे थे। हम चाहते थे कि प्रियंका गांधी किसी भी सीट से चुनाव लड़े, लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं सोचा था कि किस्मत हमारे पास चलकर आएगी। हम सभी उत्साहित हैं। हर तरफ उत्साह है। यह वायनाड और केरल के लिए दोहरा सौभाग्य है, क्योंकि इसे अब स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा- प्रियंका गांधी वाड्रा, लोकसभा की सदस्य, वायनाड, केरल।"

 

नव्या हरिदास ने प्रियंका गांधी को दी चुनौती

 

हाल ही में भाजपा उम्मीदवार नव्या हरिदास ने वायनाड लोकसभा उपचुनाव को लेकर मीडिया से बात की थी। उन्होंने कहा,"मेरी प्रतिद्वंद्वी प्रियंका गांधी हैं। मैं केवल इतना कहना चाहूंगी कि वायनाड में कांग्रेस को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। राहुल गांधी ने रायबरेली की सीट बरकरार रखने के लिए वायनाड की सीट छोड़ दी थी। जब वायनाड के लोगों को भूस्खलन का सामना करना पड़ा, तो उनके पास इन मुद्दों को उठाने के लिए संसद में कोई प्रतिनिधि नहीं था।"

 

प्रियंका गांधी का पहला चुनाव 

 

नव्या ने आगे कहा,  "पिछले पांच वर्षों में राहुल गांधी ने शायद ही इस निर्वाचन क्षेत्र का दौरा किया हो। वे यहां के लोगों के मुद्दों को उठाने में भी नाकाम रहें। यह मेरा पहला लोकसभा चुनाव होगा।" उन्होंने यह भी कहा था कि वायनाड गांधी परिवार के लिए सिर्फ एक दूसरी सीट है। बता दें कि प्रियंका गांधी के साथ नव्या हरिदास का भी यह पहला चुनाव होगा। 13 नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव में एलडीएफ ने भी उम्मीदवार खड़ा किया। उन्होंने सत्यन मोकेरी को अपना उम्मीदवार बनाया है।

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