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हासेगांव में बसाया गया है एचआईवी विलेज।
रवि ने 2007 में एचआईवी गांव बसाया था, यहां 18 साल से कम उम्र के 50 और उससे ज्यादा के 28 लोग रहते हैं
11 साल में एक भी एचआईवी पॉजिटिव बच्चे की मौत नहीं हुई, गांव में किसी से भेदभाव नहीं
लातूर. महाराष्ट्र के लातूर के रहने वाले रवि बापटले पत्रकार थे। 2007 में उनकी मुलाकात एक एचआईवी पॉजिटिव लड़के से हुई। उसे गांव वालों ने बेदखल कर दिया था। रवि ने बच्चे की बसाहट का जिम्मा उठाया। हासेगांव में अपनी जमीन पर सेवालय आश्रम खोला और बच्चे को यहां ठहराया। यहीं से सिलसिला चल पड़ा। जिन एचआईवी पॉजिटिव लोगों को घर से, गांव से निकाल दिया गया, रवि ने उनके रहने की व्यवस्था की। अलग गांव ही बसा दिया। नाम भी अनूठा दिया- एचआईवी, यानी हैप्पी इंडियन विलेज। गांव के आस-पास के लोग विरोध करते रहे, पर रवि सबको समझाते रहे कि- एचआईवी संक्रामक बीमारी नहीं है। रोगी को अकेला तो नहीं छोड़ सकते। धीरे-धीरे बात समझने वाले भी मिलने लगे और अच्छी पहल आसान होने लगी। अब यहां 18 साल से कम के 50 बच्चे हैं। 18 से ऊपर के भी 28 लोग यहां रह रहे हैं। वयस्कों को व्यवसाय प्रशिक्षण भी दिया जाता है। खास बात ये कि रवि इस पूरे काम के लिए कोई सरकारी अनुदान भी नहीं लेते।
11 साल में एक भी मौत नहीं: पूरा गांव सुबह साथ में व्यायाम करता है। फिर बच्चे स्कूल चले जाते हैं, बड़े प्रशिक्षण पर। शाम को थियेटर होता है। चेकअप के लिए डॉक्टर्स आते रहते हैं। 11 वर्षों में यहां एक भी एचआईवी पॉजिटिव बच्चे की मौत नहीं हुई। 

अब ऐसी कोई संस्था नहीं बने

 जब रवि से पूछा गया कि गांव के साथ-साथ अब तो आपकी संस्था भी काफी बड़ी हो रही है। रवि का जवाब था- ‘मैं नहीं चाहता कि अब ऐसी कोई संस्था बने। ऐसी संस्था बड़ी नहीं, बंद होनी चाहिए। हमें भविष्य में ऐसा समाज बनाना है, जहां कोई बच्चा एचआईवी पॉजिटिव हो ही नहीं। ऐसा समाज, जहां एचआईवी पॉजिटिव लोगों से कोई भेदभाव ना हो। सब साथ रहें।"

आर्ची लेग स्पिनर है, उसकी इतनी कम उम्र में तीन बार ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है
मेक-ए-विश फाउंडेशन की कोशिश से वे ऑस्ट्रेलियाई टीम का हिस्सा बने
भारत के खिलाफ 26 दिसंबर से मेलबर्न में होना है बॉक्सिंग डे टेस्ट
मेलबर्न. भारत के खिलाफ 26 दिसंबर से शुरू होने वाले तीसरे टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलिया की 15 सदस्यीय टीम में सात साल के लेग स्पिनर आर्ची शिलर को भी शामिल किया गया है। आर्ची को टिम पेन के साथ टीम का सह-कप्तान बनाया गया है। उनको अपने देश के बेस्ट क्रिकेटर्स के साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने का यह मौका मेक-ए-विश फाउंडेशन की कोशिश का नतीजा है। यह संगठन मुश्किल हालात का सामना कर रहे बच्चों की इच्छाएं पूरी करने के लिए काम करता है। आर्ची दिल की बीमारी से पीड़ित हैं और उनकी तीन बार ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है। वे बड़े होकर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का कप्तान बनना चाहते हैं, इसीलिए क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) ने उनकी यह इच्छा पूरी की।

कोच लैंगर ने दी थी टीम में शामिल करने की सूचना
आर्ची इस शनिवार को ही सात साल के हुए हैं। उन्होंने अपने जन्मदिन पर यारा पार्क में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान टिम पेन और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के साथ मंच भी साझा किया। ऑस्ट्रेलियाई टीम जब संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज खेल रही थी, तभी आर्ची को कोच जस्टिन लैंगर की ओर से उन्हें टीम में शामिल किए जाने की जानकारी मिली थी।
एडिलेड टेस्ट में अभ्यास सत्र में भी हिस्सा लिया था
आर्ची ने एडिलेड में हुए पहले टेस्ट से पहले ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के साथ अभ्यास सत्र में भी भाग लिया था। आर्ची को इतनी छोटी सी उम्र में ढेरों परेशानियों से जूझना पड़ा है। जब वे तीन महीने के थे, तभी उनका सात घंटे तक दिल का ऑपरेशन हुआ था। छह महीने बाद उनके दिल में फिर से वॉल्व और धड़कन से जुड़ी समस्या सामने आई। इस कारण उनका फिर ऑपरेशन करना पड़ा। पिछले साल दिसंबर में उनकी यह समस्या फिर उभर आई। इस वजह से आर्ची की मेलबर्न में तीसरी बार ओपन-हार्ट सर्जरी हुई।
हम उनके साथ ड्रेसिंग रूम शेयर करने को आतुर : टिम पेन
टिम पेन ने भावुक होते हुए कहा, 'जब आर्ची के पिता ने उससे पूछा कि वह क्या करना चाहता है, तो उसने कहा, 'मैं ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम का कप्तान बनना चाहता हूं।' कभी-कभी हम एक जीवन जीते हैं, यह बहुत अच्छा है, लेकिन तब यह जिंदगी और बेहतर लगती है, जब आपके समूह में कोई ऐसा व्यक्ति होता है, जो वास्तव में प्रेरक हो। उसे (आर्ची) को अपने आसपास रखना बहुत अच्छा है। हम उसके साथ बॉक्सिंग डे टेस्ट की शुरुआत करने को आतुर हैं।'

यह पुल असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच की दूरी को 500 किलोमीटर कम कर देगा। यह दूरी 100 किलोमीटर रह जाएगी।
उद्घाटन से पहले बोगीबील पुल को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया।
शिलान्यास से लेकर अब तक इस पुल को बनाने में 21 साल लगे।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को असम के डिब्रूगढ़ में देश के सबसे लंबे रेल-रोड पुल बोगीबील का उद्घाटन करेंगे। यह ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर और दक्षिण तट को जोड़ेगा। पुल की लंबाई 4.94 किमी है। एक अफसर के मुताबिक- 25 दिसंबर को सरकार गुड गवर्नेंस दिवस मना रही है। इसी मौके पर प्रधानमंत्री देश की जनता को पुल की सौगात देंगे।

देवेगौड़ा ने रखी थी नींव
1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार के प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने पुल का शिलान्यास किया था, वहीं 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसका निर्माण शुरू किया था। पुल के पूरा होने में 5920 करोड़ रुपए की लागत आई।
बीते 16 साल में पुल के पूरा होने की कई डेडलाइन चूकीं। इस पुल से पहली मालगाड़ी 3 दिसंबर को गुजरी। बोगीबील पुल को अरुणाचल से सटी चीन सीमा तक विकास परियोजना के तहत बनाया गया है। भारत-चीन सीमा करीब चार हजार किमी लंबी है।
डिब्रूगढ़ से धेमाजी को जोड़ेगा
बोगीबील पुल इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना बताया जा रहा है। यह असम के डिब्रूगढ़ से अरुणाचल के धेमाजी जिले को जोड़ेगा। इससे असम से अरुणाचल प्रदेश जाने में लगने वाला वक्त 10 घंटे कम हो जाएगा। पुल बनने से डिब्रूगढ़-धेमाजी के बीच की दूरी 500 किमी से घटकर 100 किमी रह जाएगी।
नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे के सीपीआरओ प्रणब ज्योति सरमा के मुताबिक- "ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल बनाना चुनौतीपूर्ण था। इस इलाके में बारिश ज्यादा होती है। सीस्मिक जोन में होने के चलते यहां भूकंप का खतरा भी होता है। पुल कई लिहाज से खास है।''
रेलवे ने बनाया डबल-डेकर पुल, टैंक भी निकल सकेंगे
रेलवे द्वारा निर्मित इस डबल-डेकर पुल से ट्रेन और गाड़ियां दोनों गुजर सकेंगी। ऊपरी तल पर तीन लेन की सड़क बनाई गई है। नीचे वाले तल (लोअर डेक) पर दो ट्रैक बनाए गए हैं। पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि इससे मिलिट्री टैंक भी निकल सकेंगे।

एक तरफ इंसान क्रेडिट और डेबिट के जाल में उलझा हुआ है, तो दूसरी तरफ आये दिन बैंक फ्रॉड की खबरें छायी रहती हैं. एक रिपोर्ट बताती है कि भारत का हर चौथा नागरिक बैंकिंग संबंधी धोखाधड़ी का शिकार है. ऐसे समय में जब देश डिजिटल होने की ओर बढ़ रहा है और कैशलेस अर्थव्यवस्था की बात की जा रही है, तो जरूरी हो जाता है कि ऑनलाइन बैंकिंग प्रणाली से जुड़ी धोखाधड़ी पर रोक लगाने के उपाय ढूंढ़े जायें और उपभोक्ताओं को जागरूक भी किया जाये. इन्हीं बहसों के मद्देनजर आज का विशेष...

ऑनलाइन ठगे जाने में भारतीय शीर्ष पर
 
18 प्रतिशत भारतीय ऑनलाइन बैंकिंग धोखाधड़ी का शिकार हुए 2017 में, वित्तीय सेवा तकनीक प्रदाता कंपनी एफआईएस के अनुसार. इस प्रकार, बीते वर्ष ऑनलाइन ठगी का शिकार होनेवालों में भारतीय अव्वल रहे. भारत के 18 प्रतिशत की तुलना में जर्मनी में आठ और यूनाईटेड किंगडम में 6 प्रतिशत लोग ठगी का शिकार हुए. ऑनलाइन ठगी का शिकार होनेवालों में ज्यादातर भारतीयों की उम्र 27 से 37 वर्ष के बीच थी. इस आयु वर्ग के लगभग 25 प्रतिशत लोगों ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज की.
 
25,800 डिजिटल ठगी के मामले सामने आये 2017 में, परिणामस्वरूप तकरीबन 1.8 बिलियन रुपये (180 करोड़) का नुकसान उठाना पड़ा उपभोक्ताओं को, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के अनुसार.
 
टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग के कारण लोग अब बढ़चढ़ कर बैंकिंग मोबाइल या कंप्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से कर रहे हैं. ऑनलाइन बैंकिंग में ऑनलाइन सामानों और सेवाओं की खरीद-फरोख्त, ऑनलाइन गेमिंग आदि जैसे लेनदेन के व्यवहार भी शामिल हैं. 
 
ऑनलाइन सेवाएं बैंक, विभिन्न ऑनलाइन बाजार, यात्रा सेवाएं आदि प्रदान करने वाली कंपनियां बैंकिंग लेनदेन और खरीद-फरोख्त के लिए अपने वेबसाइट या मोबाइल एप के माध्यम से ग्राहकों को व्यवहार करने की सुविधा प्रदान करती हैं. इन वेबसाइट और मोबाइल एप को इस्तेमाल करते समय ग्राहक इन कंपनियों को अपने व्यक्तिगत प्रोफाइल डाटा तक पहुंचने की अनुमति देते रहते हैं. ये प्रोफाइल डाटा कंपनियों के विश्वास पर उनको दिया जाता है कि उनके पास यह सीमित और सुरक्षित प्रयोग के लिए जमा रहेगा. बैंक ग्राहकों द्वारा इंटरनेट बैंकिंग का जो डाटा जंगल तैयार किया जा रहा है, उस पर सबकी नजर टिकी हुई है. लेकिन, उस जंगल में बैंकिंग ग्राहक कितना सुरक्षित है, इस पर विचार करना बहुत ही जरूरी है. 
 
इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के प्रकार
 
इंटरनेट, ऑनलाइन बैंकिंग या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग दो तरीके से संपन्न किये जा सकते हैं. एक मामले में कार्ड आदि की जरूरत नहीं होती. इस प्रकार की ऑनलाइन बैंकिंग में लेनदेन आईडी अथवा कार्ड और पासवर्ड, ओटीपी, सीवीवी आदि के माध्यम से किया जाता है. इसे बैंकिंग भाषा में ‘कार्ड नॉट प्रजेंट’ कहते हैं.
 
दूसरे प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में कार्ड का प्रयोग आवश्यक है, जैसे कि एटीएम से धन निकासी या बाजार में पीओएस के माध्यम से भुगतान. इन दोनों प्रकार की ऑनलाइन बैंकिंग में अलग-अलग तरह के सुरक्षा उपाय अपनाये जाते हैं. बैंक और ऑनलाइन व्यवसाय करनेवाली कंपनियां लेनदेन और खरीद-फरोख्त को सुरक्षित बनाये रखने के लिए नये-नये सुरक्षा उपाय लागू करती रहती हैं.
 
ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड और सुरक्षा उपाय
 
जिन मामलों में कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती और बैंकिंग के लिए आईडी, पासवर्ड आदि की जरूरत होती है उन मामलों में फ्रॉड करनेवाले कार्ड विवरण आदि लुभावने प्रस्ताव देकर फोन, ईमेल आदि से प्राप्त कर लेते हैं या उन्हें लिंक भेजकर अपने मनचाहे वेबसाइट पर लेनदेन के लिए ले जाते हैं. ग्राहकों को ऐसे संदेश को खोले बिना तत्काल डिलीट करना चाहिए. अपनी सुरक्षा के लिए ग्राहक किसी भी हालत में अपने आईडी पासवर्ड को किसी को भी न दें, बैंक के किसी अधिकारी या कर्मचारी को भी नहीं. 
 
पासवर्ड और उंगलियों की छाप
 
आजकल पेमेंट बैंक और पेमेंट को सुगम बनाने के लिए कई कंपनियां काम कर रही हैं. पेमेंट सेवा देनेवाली कई कंपनियां अपने एप में घुसने के लिए उंगली की छाप के माध्यम से ग्राहक को पहचानने की सुविधा देते हैं. 
 
यह एक सुरक्षित उपाय है. लेकिन यह पासवर्ड आप के ऑनलाइन खाते में डकैती डालने का एक आसान रास्ता है. बैंक और पेमेंट सुविधा प्रदान करने वाली कंपनियां ग्रहकों को मोबाइल नोटिफिकेशन, एसएमएस आदि से लगातार पासवर्ड बदलने को आगाह करती रहती हैं, लेकिन यह पाया गया है कि बहुसंख्यक ग्राहक महीनों अपने पासवर्ड नहीं बदलते. ठग उनपर, बाजार और इंटरनेट पर लगातार नजर रखते हैं और ग्राहक के कीपैड पर उंगलियों की हरकत को भांप लेते हैं. 
 
रिजर्व बैंक द्वारा जारी सुरक्षा उपाय
 
ऑनलाइन बैंकिंग में हो रहे फ्रॉड को लेकर रिजर्व बैंक ने बैंक ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए वर्ष 2017 में 6 जुलाई को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया है. इसे कोई भी रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जाकर पढ़ सकता है. 
 
अपने ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से ग्राहक को अपने खाते में हुए किसी भी लेनदेन या पासवर्ड प्राप्त करने के लिए एसएमएस या ईमेल संदेश पाने के लिए मोबाइल फोन और यदि हो तो ई-मेल पता खाते में अनिवार्य रूप से दर्ज करवाना चाहिए. ग्राहक के खाते से यदि कोई अनाधिकृत लेनदेन हुआ है और गलती या लापरवाही बैंक की है, तो बैंक इस नुकसान की पूरी भरपाई करेगा. 
 
यदि कोई फ्रॉड बैंक या ग्राहक की गलती की वजह से न होकर सिस्टम में कहीं और से हुई गलती के कारण होता है और ग्राहक यदि उसकी सूचना तीन कार्य दिवस के अंदर बैंक को दे देता है, तो ग्राहक को कोई नुकसान नहीं होगा, उसके खाते से हुए ऐसे किसी भी लेनदेन की पूरी भरपाई बैंक करेगा. लेकिन यदि यही सूचना चार से सात कार्य दिवस में बैंक को दी जाती है, तो बैंक अलग-अलग मामलों में अधिकतम पांच हजार से पचीस हजार तक के नुकसान की भरपाई कर सकेगा. यदि सूचना देने में देरी सात दिनों से ज्यादा होती है, तो संबंधित बैंक के बोर्ड से अनुमोदित पॉलिसी के अनुसार नुकसान की भरपाई बैंक कर सकेगा. यदि फ्रॉड ग्राहक की गलती जैसे पासवर्ड आदि दूसरों को बताने के कारण हुआ है, तो उसकी गलती के कारण हुए नुकसान को ग्राहक को स्वयं उठाना पड़ेगा. लेकिन, यदि ग्राहक ने बैंक को तुरंत अपनी गलती की सूचना दे दी है और इस सूचना के बाद यदि कोई फ्रॉड होता है, तो उसकी भरपाई बैंक को करनी पड़ेगी. 
 
 बैंक स्तर पर सुरक्षा उपाय
 
ऑनलाइन बैंकिंग लेनदेन को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से लगभग सभी बैंकों ने अपने मोबाइल एप में एक विशेष प्रकार की सुविधा ग्राहकों को दे रखी है. ग्राहक जब चाहे तब अपना इंटरनेट बैंकिंग और डेबिट कार्ड को बंद या ब्लॉक कर सकता है और जब लेनदेन की जरूरत हो, तब इंटरनेट बैंकिंग या डेबिट कार्ड को अनब्लॉक कर खोल सकता है. 

यूपीआई एक सुरक्षित उपाय
 
भारत सरकार ने लेनदेन को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से भीम एेप जारी किया है. यह ऐप नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा रिसर्च कर तैयार किये गये यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस- यूपीआई पर काम करता है. अब सभी बैंक और पेमेंट कंपनी यूपीआई का इस्तेमाल करते हैं. इस पेमेंट एेप को ग्राहक अपने मनचाहा नाम, मोबाइल नंबर आदि नाम से संचालित कर सकते हैं. इस तरह का लेन देन करते समय कभी भी उपभोक्ता का खाता नंबर सामने नहीं आयेगा.
 
जरूरी है जागरूकता
 
ग्राहक के हितों की सुरक्षा रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों और बैंक द्वारा प्रदान किये गये सुरक्षा उपायों के उपयोग से ही संभव है. यह कोई कठिन काम नहीं है यदि ग्राहक स्वयं के हितों के प्रति जागरूक है. ग्राहक स्वयं से ऑनलाइन बैंकिंग सीखे, जिससे कि उसे लेनदेन के लिए अपना आईडी पासवर्ड किसी को न देना पड़े.
 
कार्ड ठगी से लूटी गयी 65 करोड़ से अधिक की राशि
 
911 मामलों में धोखे से डेबिट व क्रेडिट का इस्तेमाल किया गया था 2017-18 के दौरान. इस तरह 65.26 करोड़ रुपये की ठगी की गयी थी धोखबाजों द्वारा.
 
348 मामलों के साथ कार्ड ठगी के सबसे ज्यादा शिकार आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहक हुए 2017-18 में. इस दौरान 7 करोड़ रुपये का गबन किया गया ठगों द्वारा. वहीं, इसी अवधि में भारतीय स्टेट बैंक में कार्ड ठगी के 144 मामले सामने आये, जिसमें 10 करोड़ की राशि धोखेबाजों ने हथिया ली.
 
32 करोड़ की राशि चुरा ली गयी कार्ड ठगी के द्वारा सिटी यूनियन बैंक से 2017-18 के दौरान. इस प्रकार यह बैंक सबसे बड़ी कार्ड ठगी का शिकार हुआ.
 
फोनकॉल द्वारा धोखाधड़ी
 
अपराधी उपभोक्ताओं को फोनकॉल द्वारा भी ठग रहे हैं. आये दिन यह खबर आती रहती है कि उपभोक्ताओं को बैंक अधिकारी बनकर फोन किया जाता है, बैंकिंग संबंधी किसी स्थिति का हवाला देकर, डेबिट कार्ड का नंबर पूछा जाता है, पासवर्ड (वन टाइम पासवर्ड-ओटीपी भी), सीवीवी हासिल करने की कोशिश होती है, और खाते से पैसे चुरा लिये जाते हैं. इन जानकारियों के आधार पर कार्ड क्लोनिंग (नकल), स्किमिंग, स्फूमिंग और कार्ड बदलने सहित आदि आपराधिक कारनामों को अंजाम दिया जाता है. इस तरह ठगे गये लोगों की संख्या लाखों में पहुंच चुकी है. 
 
आरबीआई के नियमानुसार बैंक से जुड़ा कोई भी अधिकारी उपभोक्ता का एटीएम कार्ड नंबर, पिनकोर्ड या ऑनलाइन बैंकिंग आईडी व पासवर्ड नहीं पूछ सकता है. इसलिए, इस तरह का कॉल आने की स्थिति में उपभोक्ताओं को तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए और बैंक व पुलिस से संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा, समय-समय पर अपना एटीएम का पिनकोड भी बदलना चाहिए. लॉटरी या किसी किस्म के इनाम से जुड़े फोनकॉल से भी सतर्क रहना चाहिए और किसी भी तरह की जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए.
 
ऐसे होती है ऑनलाइन व मोबाइल बैंक ठगी

फिशिंग व फ्रॉडुलेंट ई-मेल
 
फिशिंग एक प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी है, जिसमें उपयोगकर्ता को विशिष्ट तरीके से डिजाइन किया गया ईमेल भेजा जाता है और फिर उसके माध्यम से निजी जानकारियां जैसे क्रेडिट कार्ड नंबर, पासवर्ड या खाता से संबंधित अन्य जानकारी चुरा ली जाती है.
 
मालवेयर व वायरस
 
ऑनलाइन धोखाधड़ी के इस तरीके में उपयोगकर्ता के कंप्यूटर में बिना उसकी जानकारी के अनचाहा सॉफ्टवेयर, जिसे मालवेयर कहा जाता है, इंस्टॉल कर दिया जाता है. ऐसा तब होता है जब उपयोगकर्ता किसी विशेष वेबसाइट पर जाता है या वीडियो या फाइल डाउनलोड करता है. इस मालवेयर के माध्यम से यूजर्स की निजी जानकारियां चुरा ली जाती हैं.
 
मोबाइल फ्रॉड
 
इसमें ठगी करनेवाले टैबलेट, स्मार्टफोन सहित दूसरे मोबाइल डिवाइस के माध्यम से यूजर्स की निजी व खाता संबंधी जानकारियों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं. चूंकि आजकल मोबाइल डिवाइस से ऑनलाइन बैंकिग का चलन बढ़ता जा रहा है, ऐसे में ठगी करनेवालों को यूजर्स की बैंकिंग डिटेल अासानी से प्राप्त हो जाती है.
 
टेक्स्ट मैसेज फ्रॉड (स्मिशिंग)
 
इसके जरिये यूजर्स को बहकाने वाले टेक्स्ट मैसेज भेजे जाते हैं, ताकि वे धोखेबाजों की बातों में आकर अपनी वित्तीय व निजी जानकारी साझा कर डालें. ऐसे ज्यादातर मैसेज में लिखा होता है कि किन्हीं कारणों से आपका खाता बंद कर दिया गया है और उसे खोलने के लिए आपको किसी लिंक या नंबर पर संपर्क करने के लिए कहा जाता है. 
 
उस विशेष लिंक या नंबर पर संपर्क करने के बाद यूजर्स से बैंक खाते की डिटेल मांगी जाती है. डिटेल व पिन नंबर साझा करने के बाद यूजर्स ठगी का शिकार हो जाते हैं.
 
कस्टमर की जवाबदेही
 
अगर कस्टमर की लापरवाही की वजह से कोई फ्रॉड का मामला आता है, तो निश्चित उसकी कीमत चुकानी पड़ती है. अगर आपके जाने-अनजाने में किसी ने पिन नंबर या पासवर्ड का गलत इस्तेमाल कर लिया है, तो आपके पास बचाव का विकल्प है. आरबीआई के नियमानुसार, खाते से गलत निकासी की सूचना सात कार्यदिवस के भीतर (तीन दिनों के बाद भीतर देने की कोशिश करें) बैंक को देते हैं, तो कस्टमर को कुल निकासी राशि पर सहूलियत दी जाती है. 
 
आरबीआई के अनुसार, ऐसी स्थिति में बैंक बचत बैंक जमाखाते पर 5000 रुपये, अन्य बचत खातों पर 10000 रुपये, प्री-पेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट, गिफ्ट कार्ड पर 10000 रुपये, करेंट अकाउंट्स/ कैश क्रेडिट/ ओवर ड्रॉफ्ट (365 दिनों की अवधि में घटित फ्रॉड) पर 10000 रुपये, क्रेडिट (पांच लाख की लिमिट के साथ) पर 10000 रुपये, अन्य करेंट/ कैश क्रेडिट/ ओवर ड्रॉफ्ट अकाउंट्स पर 25000 रुपये और क्रेडिट कार्ड (5 लाख से ऊपर लिमिट पर) पर 25000 रुपये की अधिकतम लायबिलिटी होती है. अगर रिपोर्ट की अवधि सात दिन से अधिक की है, तो कस्टमर लायबिलिटी का निर्धारण बैंक के बोर्ड द्वारा निर्धारित नीतियों के मुताबिक होगा.

धन वापसी की क्या है प्रक्रिया
 
कस्टमर के खाते से अवांछित इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट करने के दस दिनों के भीतर बैंक को रिवर्स या क्रेडिट करना होता है. डेबिट कार्ड या बैंक अकाउंट फ्रॉड होने की स्थिति में बैंक को यह सुनिश्चित करना होता है कि कस्टमर को ब्याज का नुकसान न हो. अगर क्रेडिट कार्ड की वजह से ट्रांजेक्शन हुआ है, तो कस्टमर पर ब्याज का अतिरिक्त बोझ नहीं डाला जा सकता है. अगर धोखाधड़ी का मामला बैंक के संज्ञान है, तो उसकी शिकायत के 90 दिनों के भीतर हल करना होगा.
 
त्वरित सिस्टम की व्यवस्था
 
आईबीआई के सर्कुलर के मुताबिक, ग्राहक फ्रॉड की शिकायत दर्ज करा सकें, इसके लिए बैंकों को एसएमएस, ई-मेल, आईवीआर आदि की 24/7 कस्टमर सर्विस उपलब्ध करानी होगी. एसएमएस या ई-मेल अलर्ट के माध्यम से त्वरित प्रतिक्रिया या रिप्लाई की नयी व्यवस्था सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी बैंकों को सौंपी गयी है. शिकायत दर्ज कराने के लिए ग्राहकों को वेब पेज या ई-मेल एड्रेस खोजने की जरूरत नहीं होगी.
क्रेडिट कार्ड फ्रॉड से बचने के लिए बरतें सावधानी
 
डिजिटल इकोनॉमी के भले ही बेशुमार फायदे हों, लेकिन जिस तेजी से डिजिटल ट्रांजेक्शन से जुड़े फ्रॉड बढ़ रहे हैं, ऐसे में ज्यादा अलर्ट होने की जरूरत है. ज्यादातर भुगतान अब क्रेडिट कार्ड से होने लगे हैं, ऐसे में अगर हम सावधानी बरतें, तो फ्रॉड से बच सकते हैं.
 
सीवीवी न करें साझा : ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (सीवीवी) नंबर की जरूरत होती है, जो कार्ड के पिछले हिस्से पर प्रिंट होती है. इसे किसी के साथ साझा नहीं करना चाहिए. बिना सीवीवी नंबर के पेमेंट की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती है. अगर आप किसी अनजाने व्यक्ति के साथ इसे साझा कर रहे हैं, तो आप उसे कार्ड के गलत इस्तेमाल का आमंत्रण दे रहे हैं.
 
दोनों ओर की फोटोकॉपी न साझा करें : क्रेडिट कार्ड के दोनों तरफ की फोटोकॉपी कभी साझा न करें. कार्ड पर छपे सीवीवी की मदद से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन पूरा होता है. अगर किसी के पास पर्याप्त जानकारी उपलब्ध है, तो वह गलत इस्तेमाल कर सकता है.
 
सुरक्षित और विश्वसनीय वेबसाइट का ही करें इस्तेमाल : अपने क्रेडिट कार्ड की डिटेल किसी अनजान व संदिग्ध वेबसाइट पर साझा न करें. ऑनलाइन शॉपिंग करते समय विशेष सावधानी बरतें. आपके खाते की डिटेल मांग रहे किसी भी ई-मेल के लिंक पर क्लिक न करें. प्रतिष्ठित कंपनियां आपको सीधे वेबसाइट पर जाने की सलाह देती हैं.
 
कार्ड चोरी पर तुरंत दर्ज करायें शिकायत : अगर आप कार्ड चोरी या गुम हो गया है, तो इसकी तुरंत जानकारी अपने बैंक को दें. आप सीधे 24/7 कस्टमर केयर नंबर पर अपनी शिकायत कर कार्ड को डिएक्टिवेट करा सकते हैं.

नयी दिल्ली। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सरकार बनाएगी और किसी को भी उनका जनादेश हड़पने का प्रयास नहीं करना चाहिए। सिलसिलेवार ट्वीट में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि समूचे देश ने संविधान और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के मतदाताओं को मुबारकवाद दी है। 

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस तीनों राज्यों में सरकार बनाएगी। ना तो भाजपा को और ना ही राज्यपालों को, किसी को भी तीनों राज्यों में जनादेश हड़पने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। भाजपा को अपनी हार स्वीकार करनी चाहिए।’ चिदंबरम ने कहा कि सबके लिए एक सीख है। कठिन मेहनत को कम करके मत आंकिए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हार नहीं मानी। भाजपा के धन और सत्ता बल के खिलाफ उन्होंने लड़ाई लड़ी और उन्हें जीत मिली। 

यी दिल्ली। पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए जारी मतगणना के रुझानों पर आम आदमी पार्टी (आप) ने प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि 2019 में भारत “भाजपा मुक्त” हो जाएगा। ताजा रुझानों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजस्थान और कांग्रेस में अपनी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से पीछे है जबकि मध्यप्रदेश में उसके और विपक्षी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर है। अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं और इन विधानसभा चुनावों को आम चुनावों से पहले एक सेमीफाइनल मुकाबला बताया जा रहा है। 

 

 
आप के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, “2019 भाजपा मुक्त भारत होगा।” उन्होंने कहा, “विधानसभा चुनावों के परिणाम इस बात का संकेत हैं कि लोग जुमलों से आजिज आ चुके हैं।” सिंह ने कहा कि भाजपा को अपने काम के आधार पर वोट मांगने चाहिए न कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के नाम पर। आप नेता ने कहा कि किसान, महिलाएं, युवा, व्यापारी भाजपा की नीतियों से “नाखुश” थे और इसी वजह से वह उन राज्यों में जनाधार खोती नजर आ रही है जिनपर उसका शासन था।
 
 
चुनावों में आप के प्रदर्शन पर सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी ने सीमित संसाधनों एवं अपने नेतृत्व के बूते चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए शुरूआत है। हमारे स्थानीय नेतृत्व ने सीमित संसाधनों के साथ चुनाव लड़ा और कड़ी मेहनत की।’’ आप ने छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना एवं मध्यप्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे थे।

मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी दमखम के साथ लड़ा। इन चुनावों में भाजपा ने दिग्ग्जों को चुनाव प्रचार के लिए उतारा। इन्हीं प्रचारकों में से एक थे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। योगी आदित्‍यनाथ ने इन राज्‍यों में कुल 70 सभाएं कीं थी। पर जिस तरीके के शुरुआती रुझान देखने को मिल रहे हैं उसके बाद कहीं से ऐसा नहीं लग रहा कि इन चुनावों में योगी आदित्यनाथ का जादू चला है।

 
छत्तीसगढ़ में तो रमन सिंह ने योगी के पैर छुने के बाद अपना नामांकन भरा था। योगी ने राजस्थान में सबसे ज्यादा 26 चुनावी सभाएं कीं, छत्तीसगढ़ में 19 और MP में 17 सभाएं कीं। तेलंगाना में सिर्फ योगी की 8 सभाएं हुईं। फिलहाल मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी राज्यों में भाजपा की हालत पतली है। छत्तीसगढ़ में तो भाजपा की हालत आर बी शर्मनाक हो गई है। 

मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों के बाद आज मतगनणा जारी है। लेकिन सबसे दिलचस्प आकड़े मध्य प्रदेश और राजस्थान से आ रहे हैं जहां किसी भी पार्टी को बहुमत मिलती नहीं दिख रही है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस को सरकार गठन के लिए अन्य की जरूरत पड़ेगी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए दोनों दल समर्थन जुटाने की कोशिश में जुट गई है। फिलहाल मध्य प्रदेश और राजस्थान में मायावती की पार्टी बसपा को कुछ सीटें मिलती दिख रही है। ऐसे में

फिलहाल कांग्रेस और भाजपा उनसे संपर्क करने में जुट गई हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद मायावती से बात की है। बसपा सूत्रों कि मानें तो मायावती भाजपा को समर्थन देने के मू़ड में नहीं है। मायावती ने जोड़तोड़ की आशंकाओं को देखते हुए अपने जीतने वाले विधायकों को दिल्ली बुला लिया है। फिलहाल मध्य प्रदेश में बसपा को 4 सीटें और राजस्थान में 3 सीटें मिलती दिख रही हैं। 

लंदन. भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (62) के प्रत्यर्पण मामले में लंदन की वेस्टमिंस्टर अदालत सोमवार को फैसला सुना सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत आने पर माल्या को डर है कि राजनीति की वजह से निष्पक्ष सुनवाई नहीं होगी। उस पर नए आरोप भी लग सकते हैं।

 

 माल्या पर भारतीयों बैंकों के 9,000 करोड़ रुपए बकाया हैं। वह मार्च 2016 में लंदन भाग गया था। भारत ने पिछले साल फरवरी में यूके से उसके प्रत्यर्पण की अपील की थी। भारत में फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर अप्रैल 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड में माल्या की गिरफ्तारी हुई लेकिन, जमानत पर छूट गया। उसके प्रत्यर्पण का मामला 4 दिसंबर 2017 से लंदन की अदालत में चल रहा है।

माल्या के पास प्रत्यर्पण के फैसले को 14 दिन में चुनौती देने का अधिकार होगा

  1.  

    माल्या की 5 दलील 

     

    • माल्या का कहना है कि उसके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित है। उसने एक रुपया भी उधार नहीं लिया। किंगफिशर एयरलाइंस ने लोन लिया था। कारोबार में घाटा होने की वजह से लोन की रकम खर्च हो गई। वह सिर्फ गारंटर था और यह फ्रॉड नहीं है।   
    • वह कर्ज का 100% मूलधन चुकाने को तैयार है। उसने साल 2016 में कर्नाटक हाईकोर्ट में भी यह ऑफर दिया था। उसका कहना है कि रकम चुराकर भागने की बात गलत है। उसे बैंक डिफॉल्ट का पोस्टर बॉय बना दिया गया है।
    • माल्या ने यह भी कहा था कि साल 2016 में उसने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखकर जांच कमेटी गठित करने की मांग की थी लेकिन, कोई जवाब नहीं मिला। 
    • माल्या ने यह भी कहा था कि भारतीय जेलों की हालत अच्छी नहीं है। इसके बाद यूके की अदालत ने भारत से जेल का वीडियो मांगा था। भारत ने मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर 12 का वीडियो भेजा था, जहां माल्या को रखा जाएगा। वीडियो देखने के बाद यूके की कोर्ट ने संतुष्टि जताई थी। 
    • मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रत्यर्पण पर फैसले से पहले माल्या ने यह भी कहा है कि राजनीति की वजह से उसे भारत में न्याय मिलने के आसार कम हैं। उसके खिलाफ नए आरोप लग सकते हैं।

     

  2.  

    भारतीय जांच एजेंसियों की दलील

     

    माल्या ने जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाया। वह प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भगोड़ा घोषित है। उस पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। वह ब्रिटेन के कानून के मुताबिक भी आरोपी है।

     

  3. अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हुई

     

    मार्च 2012 में माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस ने यूरोप और एशिया के लिए फ्लाइट्स बंद कर दीं। घरेलू बाजार में जहां किंगफिशर हर दिन 340 फ्लाइट्स ऑपरेट करती थीं, उन्हें घटाकर 125 कर दिया गया। लेकिन यह फॉर्मूला 8 महीने भी नहीं चला। अक्टूबर 2012 में किंगफिशर की सारी फ्लाइट्स बंद हो गईं।

     

  4.  

    साल 2013-14 तक एयरलाइंस का घाटा बढ़कर 4,301 करोड़ रुपए हो चुका था। इसी साल माल्या दुनिया के टॉप-100 अमीरों की लिस्ट से बाहर हो गया। लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर ब्याज बढ़ता गया। मार्च 2016 तक माल्या 9,000 करोड़ रुपए का कर्जदार हो गया और विदेश भाग गया।

     

  5.  

    आर्थिक अपराध के 18 मामलों में 23 भगोड़ों का प्रत्यर्पण बाकी 

     

    भारत की 48 देशों के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि है। साल 2014 से अब तक आर्थिक अपराध के मामलों में सिर्फ 5 अपराधियों का प्रत्यपर्ण हो पाया है। 23 भगोड़ों को अभी तक नहीं लाया जा सका है। इनके लिए संबंधित देशों से प्रत्यर्पण की अपील की जा चुकी है।

     

    आर्थिक अपराधों से जुड़े प्रत्यर्पण के 3 बड़े मामले

    आरोपी मामला जिस देश से प्रत्यर्पण होना है
    विजय माल्या बैंक लोन ब्रिटेन
    नीरव मोदी पीएनबी घोटाला ब्रिटेन
    मेहुल चौकसी पीएनबी घोटाला एंटीगुआ
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो गये हैं और इन चुनावों के जो परिणाम आयेंगे वे आने वाले समय में भारत की राजनीति की दिशा तय करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इन चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिये ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ की आशंका करते हुए ट्विट किया और प्रत्येक कांग्रेसी को ईवीएम मशीनों की पहरेदारी पूरी मुस्तैदी से करनी चाहिए। उसकी वजह यह है कि संवैधानिक संस्थाओं पर पदासीन अधिकारियों पर सत्ता से प्रभावित होने की संभावनाओं से नकारा नहीं जा सकता। इसका अर्थ क्या यही लगाया जाये कि लोगों का लोकतान्त्रिक प्रणाली के आधारभूत स्तम्भ ‘चुनाव आयोग’ पर से भरोसा उठ चुका है ? अगर ऐसा है तो बड़ा प्रश्न यह है कि लोकतंत्र को शुद्ध सांसें कैसे मिलेंगी ? लोकतंत्र श्रेष्ठ प्रणाली है। पर उसके संचालन में शुद्धता हो। लोक जीवन में लोकतंत्र प्रतिष्ठापित हो और लोकतंत्र में लोक मत को अधिमान मिले।
 
 
लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण पहलू चुनाव है, यह राष्ट्रीय चरित्र का प्रतिबिम्ब होता है। लोकतंत्र में स्वस्थ मूल्यों को बनाए रखने के लिये चुनाव की स्वस्थता एवं पारदर्शिता अनिवार्य है। इनको बनाये रखने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है। उसको इससे कोई मतलब नहीं होता कि चुनावों में हार-जीत किस पार्टी की होगी, उसका मतलब केवल इससे रहता है कि मतदाताओं के मत की पवित्रता से किसी प्रकार का समझौता नहीं होगा। बेशक ईवीएम मशीनों को लेकर विपक्षी दल पिछले लम्बे अरसे से आशंकाएं व्यक्त कर रहे हैं। सच्चाई यह भी है कि भले ही इन मशीनों का प्रयोग विभिन्न राज्यों के चुनावों में मौजूदा भाजपा सरकार के सत्ता में रहते हुआ है और इनमें से कुछ राज्यों में विपक्षी कांग्रेस पार्टी की सरकार भी बनी है। बावजूद इसके सच्चाई यह भी है कि हर चुनाव में आयोग के पास मतदान में धांधली होने की शिकायतें बढ़ी हैं।
 
हमारी लोकतंत्र प्रणाली में तंत्र ज्यादा और लोक कम रह गया है, यह एक सोचनीय स्थिति है। यह प्रणाली उतनी ही अच्छी हो सकती है, जितने कुशल चलाने वाले होते हैं। आज बड़े-बड़े राष्ट्रों के चिन्तन, दर्शन व शासन प्रणाली में परिवर्तन आ रहे हैं। सत्ता परिवर्तन हो रहे हैं। अब तक जिस विचारधारा पर चल रहे थे, उसे किनारे रखकर नया रास्ता खोज रहे हैं। परिवर्तन अच्छी बात है, लेकिन जरूरत इस बात की है कि अधिकारों का दुरुपयोग नहीं हो, मतदाता स्तर पर भी और प्रशासक स्तर पर भी। लोक चेतना जागे। ताकि चुनाव की पवित्रता को धुंधलाने के प्रयास करने वाले दो बार सोचें। जाहिर तौर पर चुनाव आयोग किसी भी सरकार के अधीन चलने वाले शासन तन्त्र के माध्यम से ही अपना काम करता है, फर्क सिर्फ यह आता है कि चुनावों के दौरान पूरा प्रशासन तन्त्र संविधान के प्रावधानों के तहत चुनाव आयोग का ताबेदार हो जाता है और चुनाव आयोग पूरी तरह लालच से दूर रहते हुए भय रहित व निडर होकर मतदाताओं द्वारा डाले गये मत की सुरक्षा के संवैधानिक दायित्व से बन्धा रहता है। इसलिये संविधान के अन्तर्गत बनी आचार संहिता मुखर हो, प्रभावी हो। केवल पूजा की चीज न हो। उनकी जगह हिंसा और घृणा, सत्ता एवं दबाव की अलिखित आचार संहिता न बने। रास्ता बताने वाले रास्ता पूछ रहे हैं। और रास्ता न जानने वाले नेतृत्व कर रहे हैं। दोनों ही भटकाव की स्थितियां हैं। जन भावना लोकतंत्र की आत्मा होती है। लोक सुरक्षित रहेगा तभी तंत्र सुरक्षित रहेगा।
जनादेश में किसी प्रकार का भी घालमघेल किसी भी स्तर पर करने की कोई भी गुंजाइश हमारी चुनाव प्रणाली में नहीं है। यही वजह थी कि भारत का संविधान देते हुए इसके प्रस्तावक बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि हम प्रत्येक वयस्क के मत के अधिकार के साथ जो लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली अपनाने जा रहे हैं उसके चार मजबूत स्तम्भ होंगे। विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका व चुनाव आयोग। लोकतंत्र के दो मजबूत पैर न्यायपालिका और कार्यपालिका स्वतंत्र रहें। एक दूसरे को प्रभावित न करें।
 
ईवीएम मशीनों को लेकर उठने वाला यह सवाल अपनी जगह पूरी तरह वाजिब और गौर करने लायक है कि जब मतपत्रों की जगह मशीनों से मतदान कराने का फैसला लिया गया तो इसका मूल कारण यह था कि इनकी मार्फत मतगणना की प्रक्रिया को दिनों की जगह कुछ घंटों में ही निपटाया जा सकता है लेकिन मतदान होने के बाद इनकी सुरक्षा के इन्तजाम को पूरी तरह दोषरहित बनाने में चुनाव आयोग ने अपेक्षित कदम नहीं उठाये हैं, इसलिये उनकी निष्पक्षता एवं पारदर्शिता बार-बार चर्चा का विषय बनती रही है, इसको निर्दोष साबित करना चुनाव आयोग का सबसे बड़ा दायित्व है और जिम्मेदारी भी। इसकी प्रक्रिया में नैतिकता अनिवार्य शर्त है। चुनाव के समय हर राजनैतिक दल अपने स्वार्थ की बात सोचता है तथा येन-केन-प्रकारेण चुनाव परिणामों को अपने पक्ष में करना चाहता है। यही कारण है कि इसमें नीति और नैतिकता की बात बहुत पीछे छूट जाती है। सत्ताकांक्षी एवं दुराग्रही ऐसे कदम उठाते हैं कि गांधी बहुत पीछे रह जाता है। जो सद्प्रयास किये जाते हैं, वे निष्फल हो रहे हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती देने में मुक्त मन से सहयोग नहीं दिया गया तो कहीं हम अपने स्वार्थी उन्माद में कोई ऐसा धागा नहीं खींच बैठें, जिससे लोकतंत्र की धवलता का पूरा कपड़ा ही उधड़ जाये। अब यह सोचना चुनाव आयोग का काम है कि वह लोकतंत्र की अस्मिता को कैसे बचाये रखता है ?
 
 
मौजूदा परिदृश्यों में चुनाव आयोग की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है, उसे ही वह इमारत बनानी है जिसमें शेष तीनों स्तम्भ अपनी-अपनी सक्रिय भूमिका निभायेंगे। अतः चुनाव आयोग को संविधान में पूरी स्वतन्त्रता दी गई और राजनैतिक दलों की संवैधानिक स्थिति तय करने का अधिकार दिया गया। उसका सरकार से केवल इतना ही नाता रखा गया कि उसकी प्रशासनिक व आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहे। अतः बिना शक यह माना जा सकता है कि जनता की सरकार जनता के लिये स्थापित कराने का दायित्व चुनाव आयोग का ही है। इस प्रक्रिया के दौरान जब हम विसंगतियों को देखते हैं तो मतदाताओं के विश्वास आहत होता है। विशेषकर ईवीएम मशीनों की गड़बड़ियों को लेकर मध्य प्रदेश में मतदान होने के बाद जिस तरह ईवीएम मशीनों के रखरखाव में लापरवाही बरतने के वाकये सामने आये हैं उनसे चिन्ता होना इसलिए वाजिब है क्योंकि चुनाव आयोग की निगरानी में खलल डालने के प्रयास हुए हैं। चुनाव आयोग के सामने एक गंभीर चुनौती है कि वह अपने दायित्व को पूर्ण विश्वसनीयता, ईमानदारी एवं जिम्मेदारी से निभाये। वही सशक्त माध्यम है जिससे लोक के लिए, लोक जीवन के लिए, लोकतंत्र को शुद्ध सांसें मिलेंगी। लोक जीवन और लोकतंत्र की अस्मिता को गौरव मिलेगा।
 
-ललित गर्ग
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