ईश्वर दुबे
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Bhilai
प्रयागराज (इलाहाबाद). कुंभ मेला क्षेत्र में किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े का हिस्सा बना। मौजगिरि आश्रम में शनिवार देर रात तक चली चर्चा और पूजा-पाठ के बाद दोनों अखाड़ों के प्रमुखों ने एक मंच पर आने की हामी भरी। कागजी कार्रवाई के बाद तय हुआ कि किन्नर अखाड़ा वर्तमान स्वरूप में ही जूना अखाड़े का हिस्सा बना रहेगा। दोनों अखाड़े 15 जनवरी को शाही स्नान में मौजूद रहेंगे।
किन्नर अखाड़ा प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि इसे अखाड़े में विलय नहीं माना जाए। जूना और किन्नर अखाड़ा एक हुए हैं। हमारे अखाड़े ने जो भी आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और महंत जैसे पद दिए हैं वे बरकरार रहेंगे। हमारा अखाड़ा जूना के सारे नियमों को मानेगा।
करीब 11 घंटे चलेगा 13 अखाड़ों का शाही स्नान
कुंभ का पहला शाही स्नान 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर है। प्रशासन ने सभी 13 अखाड़ों के शाही स्नान का वक्त तय कर दिया है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि ने बताया कि परंपरा के मुताबिक, अखाड़ों का जुलूस निकलेगा। सबसे पहले महानिर्वाणी और सबसे अंत में निर्मल अखाड़े का जुलूस निकलेगा। अखाड़ों का शाही स्नान सुबह 5:15 बजे से शुरू होकर शाम 4:20 बजे तक चलेगा।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह की 352वीं जयंती पर उनकी याद में सिक्का जारी किया। इस मौके पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी उनके साथ मंच पर मौजूद थे। मोदी ने करतारपुर कॉरिडोर को लेकर केंद्र सरकार की पहल को सराहा। उन्होंने कहा कि अब श्रद्धालु बिना वीजा के गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव में शामिल होने के लिए पाकिस्तान स्थित नरोवाल जा सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, “1947 में हमसे जो चूक हुई थी, यह उसका प्रायश्चित है। हमारे गुरु का सबसे महत्वपूर्ण स्थल सिर्फ कुछ ही किलोमीटर दूर था, लेकिन उसे भी अपने साथ नहीं लिया गया। यह कॉरिडोर उस नुकसान को कम करने का प्रमाण है।” इससे पहले मोदी ने ट्वीट कर गुरु गोबिंद सिंह जी को नमन किया।
मोदी जारी कर चुके हैं डाक टिकट
दो साल पहले भी नरेंद्र मोदी ने पटना में गुरु गोबिंद सिंह की याद में डाक टिकट जारी किया था। पिछले साल 30 दिसंबर को मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में उनके गुरु गोबिंद सिंह के बलिदान और देशप्रेम की तारीफ की थी। गुरु गोबिंद सिंह जब सिखों के धर्मगुरु बने तब उनकी उम्र महज नौ साल थी। वे अध्यात्म के ज्ञानी, योद्धा, कवि और दार्शनिक थे।
नई दिल्ली . हमारे देश में प्रति मिनट करीब 70 हजार कॉल ड्रॉप हो रहे हैं। उपभोक्ताओं की इस परेशानी के बीच हास्यास्पद ये है कि 4जी और 5-जी के जमाने में ट्राई इसके लिए मैन्युअली फोन लगा-लगाकर कॉल ड्रॉप चेक कर रहा है। इसे ड्राइव टेस्ट कह रहे हैं। इसके लिए निजी कंपनी को ठेका दिया गया है।
टीमें शहरों के अलग-अलग हिस्सों जैसे फ्लाइओवर, नदी-नाले, रेलवे लाइन के आसपास जाती हैं और कारों में बैठकर अलग-अलग नंबरों पर फोन लगाती हैं। इनसे मिलने वाली इंटरनेट स्पीड, डेटा डाउनलोड और अपलोड स्पीड जैसी क्वालिटी को दर्ज किया जाता है। मजेदार बात यह है कि जिन नम्बरों पर फोन मिलाए जाते हैं वो भी टेलीकॉम कम्पनियों के बताए हुए होते हैं। दिलचस्प यह है कि कॉल ड्राॅप पकड़ने का यह तरीका दुनिया में कहीं नहीं अपनाया जाता।
2% कॉल ड्रॉप का नियम
नियमों के तहत कॉल ड्राॅप 2% से अधिक नहीं होनी चाहिए और कॉल सेटिंग 95% से अधिक हो। ऐसा न होने पर जुर्माने की व्यवस्था है। लेकिन ड्राइव टेस्ट के डेटा को जुर्माने का आधार भी नहीं बनाया जाता। पिछले एक साल में ही कम से कम 50 शहरों में 15 से 20 हजार किमी के रूट पर कारें चलाकर फोन ऑपरेटरों के मोबाइलों पर कॉल लगाई गईं। ताकि यह जाना जा सके कि जो दावे टेलीकॉम प्रोवाइडर अपनी रिपोर्ट में करते हैं, उनमें कितनी सच्चाई है।
'ऑपरेटरों को आईना दिखाना चाहते हैं'
इस बारे में दैनिक भास्कर ने टेलीकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी (ट्राई) के अध्यक्ष आरएस शर्मा से पूछा तो उन्होंने कहा कि टेलीकॉम कम्पनियों से उनके नेटवर्क का अपार डाटा उन्हें टावरों से मिल रहा है। लेकिन, उसकी सत्यता की बारीकी से पड़ताल करना समंदर को छानने के समान है। ट्राई प्रमुख ने कहा कि सैम्पल को पेनल्टी का पैमाना नहीं बनाया जा सकता लेकिन उसके आंकड़ों से हम पारदर्शिता चाहते हैं और ऑपरेटरों को आईना दिखाना चाहते हैं।
'कॉल साइलेंट जोन में चली जाती है'
ड्राइव टेस्ट को हास्यास्पद बताते हुए टेलीकम्युनिकेशन एक्सपर्ट अनिल कुमार कहते हैं कि मोबाइल सेवा ऑपरेटरों ने कॉल ड्राॅप्स दर्ज न होने देने के लिए भी तरीके खोज लिए हैं। कॉल साइलेंट जोन में चली जाती है। कॉल लगाओ तो देर तक चुप्पी रहती है। कुछ देर बाद उस फोन पर नोटिफिकेशन चला जाता है। ये कॉल ड्राॅप्स नार्म्स को चकमा देने के तरीके ही हैं। दुनियाभर में कॉल ड्राॅप्स होते ही नहीं हैं तो वहां इसे जज करने के तरीके भी नहीं हैं।
भारत की निराली समस्या
यह भारत की निराली समस्या है, जो 3जी आने के बाद से शुरू हुई। इसका समाधान ड्राइव टेस्ट नहीं आप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने से ही होगा। दूरसंचार राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का कहना है कि यह सुझाव अच्छा है। इसके लिए सरकार ट्राई एक्ट में संशोधन पर विचार करेगी। फिलहाल इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने एक स्थगन आदेश दिया हुआ है। फैसला होने पर सरकार उसका पूरा पालन करेगी।
स्वास्थ्य के क्षेत्र की ही चर्चा की जाए। देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। इलाज महंगा होने के कारण गरीब आदमी की पहुंच से बहुत दूर है। अनेकों लोग संसाधनों के अभाव में बिना इलाज के ही दम तोड़ जाते हैं।
स्वतंत्रता के पश्चात देश में सरकारों ने आम आदमी को केंद्र में रखकर तमाम जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की और कई नारे दिए। मगर सरकारों की नीति और नियत साफ ना होने के कारण तमाम योजनाएं ढकोसला ही साबित हुई हैं। इन योजनाओं ने आम आदमी के बजाय योजनाकारों को ही लाभ पहुंचाया और उनकी संपन्नता में बढ़ोतरी की।
क सुंदर सा घर हो अपना- इस बात का सपना तो बहुत लोग देखते हैं, लेकिन इसे साकार करने के लिए माकूल जुगत बहुत कम लोग ही बिठा पाते हैं। ऐसा इसलिए कि किसी के पास नियमित आय का अभाव होता है तो किसी के पास ऋण जमानत दाता का।
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि लिव-इन पार्टनर के बीच सहमति से बना शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं होता, अगर व्यक्ति अपने नियंत्रण के बाहर की परिस्थितियों के कारण महिला से शादी नहीं कर पाता है। शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र की एक नर्स द्वारा एक डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराई गई प्राथमिकी को खारिज करते हुए यह बात कही। दोनों ‘कुछ समय तक’ लिव-इन पार्टनर थे।
न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने हाल में दिए गए एक फैसले में कहा, ‘बलात्कार और सहमति से बनाए गए यौन संबंध के बीच स्पष्ट अंतर है। इस तरह के मामलों को अदालत को पूरी सतर्कता से परखना चाहिए कि क्या शिकायतकर्ता वास्तव में पीड़िता से शादी करना चाहता था या उसकी गलत मंशा थी और अपनी यौन इच्छा को पूरा करने के लिए उसने झूठा वादा किया था क्योंकि गलत मंशा या झूठा वादा करना ठगी या धोखा करना होता है।’
पीठ ने यह भी कहा, ‘अगर आरोपी ने पीड़िता के साथ यौन इच्छा की पूर्ति के एकमात्र उद्देश्य से वादा नहीं किया है तो इस तरह का काम बलात्कार नहीं माना जाएगा।’ प्राथमिकी के मुताबिक विधवा महिला चिकित्सक के प्यार में पड़ गई थी और वे साथ-साथ रहने लगे थे। पीठ ने कहा, ‘इस तरह का मामला हो सकता है कि पीड़िता ने प्यार और आरोपी के प्रति लगाव के कारण यौन संबंध बनाए होंगे न कि आरोपी द्वारा पैदा किए गलतफहमी के आधार पर या आरोपी ने चाहते हुए भी ऐसी परिस्थितियों के तहत उससे शादी नहीं की होगी जिस पर उसका नियंत्रण नहीं था। इस तरह के मामलों को अलग तरह से देखा जाना चाहिए।’
अदालत ने कहा कि अगर व्यक्ति की मंशा गलत थी या उसके छिपे इरादे थे तो यह स्पष्ट रूप से बलात्कार का मामला था। मामले के तथ्यों का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि वे कुछ समय से साथ रह रहे थे और महिला को जब पता चला कि व्यक्ति ने किसी और से शादी कर ली है तो उसने शिकायत दर्ज करा दी। पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि अगर शिकायत में लगाए गए आरोपों को उसी रूप में देखें तो आरोपी (डॉक्टर) के खिलाफ मामला नहीं बनता है।’ व्यक्ति ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था जिसने उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वरिष्ठ अधिवक्त प्रशांत भूषण ने राफेल मुद्दे पर 14 दिसंबर को आए उच्चतम न्यायालय के फैसले की समीक्षा के लिए बुधवार को सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर की। न्यायालय ने अपने 14 दिसंबर के फैसले में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली सभी जनहित याचिकाओं को खारिज कर दिया था। पुनर्विचार याचिका में तीनों ने आरोप लगाया है कि फैसला ‘‘सरकार की ओर से बिना हस्ताक्षर के सीलबंद लिफाफे में सौंपे गए स्पष्ट रूप से गलत दावों पर आधारित था।’’ उन्होंने याचिका पर सुनवाई खुली अदालत में करने का अनुरोध भी किया है।
तिरुवनंतपुरम. केरल के सबरीमाला मंदिर में बुधवार तड़के 50 साल से कम उम्र की दो महिलाओं ने प्रवेश किया। इसके बाद मंदिर का शुद्धिकरण किया गया। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने महिला श्रद्धालुओं को पूरी सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट से सबरीमाला मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने के लगभग तीन महीने बाद पहली बार महिलाओं ने सबरीमाला में भगवान अयप्पा के दर्शन किए। मंदिर के 800 साल के इतिहास में पहली बार दो महिलाओं ने यहां प्रवेश कर भगवान अयप्पा की पूजा की है।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाओं के नाम बिंदु और कनकदुर्गा हैं। उनकी उम्र 40 से 50 साल के बीच बताई जा रही है। दोनों महिलाएं पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर में घुसीं और सुबह 3:45 बजे पूजा-अर्चना की। इन दोनों महिलाओं ने पिछले महीने भी मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी।
दौड़ती हुई मंदिर के अंदर पहुंचीं
दोनों महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने के सीसीटीवी फुटेज सामने आए हैं। वे दौड़ती हुए मंदिर के अंदर जाती नजर आ रही हैं। दोनों महिलाएं उत्तरी केरल की रहने वाली हैं। उनके परिवारों को एहतियातन सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया है। मुख्यमंत्री विजयन ने दोनों महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने की घटना की पुष्टि की। विजय ने कहा कि पहले ये महिलाएं ट्रैकिंग नहीं कर पाई थीं। इस बार वे कामयाब रहीं। बिंदु ने बाद में मीडिया को बताया कि हमने मंगलवार को ही पुलिस से संपर्क साधा था। इसके बाद हमें मदद का आश्वासन दिया गया। वहीं, कनकदुर्गा के भाई भरतन ने कहा कि उनकी बहन पिछले हफ्ते ही किसी काम का बहाना बताकर तिरुवनंतपुरम से निकली थी।
एक दिन पहले महिलाओं ने बनाई थी 620 किमी लंबी श्रृंखला
सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने वालों के खिलाफ महिलाओं ने मंगलवार को 620 किमी लंबी श्रृंखला बनाई थी। यह श्रृंखला कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक बनाई गई। यह 14 जिलों से होकर गुजरी। साथ ही करीब 150 से अधिक सामाजिक संगठन भी शामिल हुए।
800 साल से चली आ रही प्रथा
28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश देने की इजाजत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे पहले यहां 10 से 50 साल उम्र की महिला के प्रवेश पर रोक थी। यह प्रथा 800 साल पुरानी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरे राज्यभर में विरोध हुआ।
आदेश के बाद 3 बार खुला मंदिर
आदेश के बाद 16 नवंबर को तीसरी बार मंदिर खोला गया। मंदिर 62 दिनों की पूजा के लिए खुला, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी विरोध के चलते 1 जनवरी तक कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी।
मुंबई. अभिनेता, डायलॉग राइटर और स्क्रिप्ट राइटर कादर खान का सोमवार को 81 साल की उम्र में कनाडा में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे और चार महीने से अस्पताल में भर्ती थे। बेटे सरफराज ने उनके निधन की पुष्टि की। कनाडा में ही उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
अमिताभ बच्चन ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘"कादर खान प्रतिभा के धनी और फिल्मों के लिए समर्पित कलाकार थे। वे गजब के लेखक थे। मेरी ज्यादातर कामयाब फिल्में उन्हीं ने लिखीं। वे मेरे अजीज दोस्त रहे। वे गणितज्ञ भी थे।'' अमिताभ और कादर ने ‘दो और दो पांच’, ‘अदालत’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘सुहाग’, ‘कुली’, ‘कालिया’, ‘शहंशाह’ और ‘हम’ समेत 21 फिल्मों में साथ बतौर अभिनेता या डायलॉग-स्क्रिप्ट राइटर काम किया था।
डिसऑर्डर से पीड़ित थे
कादर को प्रोग्रेसिव सुप्रान्यूक्लीयर पाल्सी डिसऑर्डर हो गया था। यह शरीर की गति, चलने के दौरान बनने वाले संतुलन, बोलने, निगलने, देखने, मनोदशा और व्यवहार के साथ सोच को प्रभावित करता है। यह डिसऑर्डर मस्तिष्क में नर्व सेल्स के नष्ट होने के कारण होता है। कादर खान पिछले कई साल से कनाडा में ही अपने बेटे-बहू सरफराज और शाइस्ता के साथ रह रहे थे। बीते कुछ वक्त से सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। 2017 में उनके घुटने की सर्जरी हुई थी। तब से वे ज्यादा देर तक चलने में डरते थे, उन्हें लगता था कि वे गिर जाएंगे।
1973 से की थी फिल्मों में शुरुआत
22 अक्टूबर 1937 को कादर खान काबुल में एक भारतीय-कनाडाई परिवार में पैदा हुए थे। 1973 में उन्होंने यश चोपड़ा की फिल्म ‘दाग’ से करियर की शुरुआत की। 1970 और 80 के दशक में उन्होंने कई फिल्मों के लिए कहानियां लिखीं। स्क्रिप्ट राइटिंग शुरू करने से पहले वे मुंबई के एमएच साबू सिद्दीक इंजीनियरिंग कॉलेज में सिविल इंजीनियरिंग के लेक्चरर थे। परिवार में उनकी पत्नी अजरा और दो बेटे सरफराज और शहनवाज खान हैं।
अमिताभ, जया प्रदा और अमरीश पुरी के साथ फिल्म बनाना चाहते थे
एक इंटरव्यू के दौरान कादर खान ने बताया था, ‘"मैं अमिताभ बच्चन, जया प्रदा और अमरीश पुरी को लेकर फिल्म 'जाहिल' बनाना चाहता था। उसका डायरेक्शन भी मैं खुद ही करना चाहता था, लेकिन खुदा को शायद कुछ और ही मंजूर था। इसी बीच 'कुली' की शूटिंग के दौरान अमिताभ को चोट लग गई। वे महीनों अस्पताल में भर्ती रहे। अमिताभ के अस्पताल से वापस आने के बाद मैं दूसरी फिल्मों में व्यस्त हो गया। अमिताभ भी राजनीति में चले गए। उसके बाद मेरी और अमिताभ की यह फिल्म हमेशा के लिए ठंडे बस्ते में चली गई।’’
1983 में आई फिल्म ‘कुली’ कादर खान के करियर की सुपरहिट फिल्मों में शामिल है। मनमोहन देसाई के बैनर तले बनी इस फिल्म में अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। यह फिल्म सुपरहिट रही थी।
शक्ति कपूर के साथ कादर खान की जोड़ी काफी पसंद की गई। दोनों ने करीब 100 फिल्मों में साथ काम किया। 1982 और 1993 में आई फिल्मों ‘मेरी आवाज सुनो‘ और ‘अंगार’ में बेस्ट डायलॉग के लिए कादर खान को फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और सिनेमा में योगदान के लिए उन्हें साल 2013 में साहित्य शिरोमणि पुरस्कार भी मिला था।
बुलंदशहर. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के मामले में मंगलवार को एक और आरोपी कलुआ को गिरफ्तार किया गया। एसएसपी प्रभाकर चौधरी के मुताबिक, मुख्य आरोपी प्रशांत नट के साथ कलुवा भी इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या में शामिल था। उसने इंस्पेक्टर के सिर पर कुल्हाड़ी से वार किया था। पुलिस कलुआ से पूछताछ कर रही है। आरोपी कलुआ। बीते साल 3 दिसंबर को स्याना कोतवाली इलाके के चिंगरावठी गांव में गोकशी के बाद हिंसा भड़क गई थी। इसमें स्याना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और सुमित नामक युवक की गोली लगने से मौत हो गई थी। पुलिस ने अब तक इस कांड में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपी प्रशांत नट भी गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस के मुताबिक, प्रशांत ने ही इंस्पेक्टर को गोली मारी थी। एसएसपी चौधरी ने बताया कि कलुआ के बुलंदशहर के एक गांव में मौजूद होने की सूचना मिली थी। पुलिस ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। स्थानीय अदालत घटना में फरार आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर चुकी है। उत्तरप्रदेश एसआईटी भी मामले की जांच कर रही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी को हरकत-उल-हर्ब ए इस्लाम के सक्रिय होने का अंदेशा
यूपी के अमरोहा पहुंची एनआईए टीम ने इनपुट के आधार पर जानकारियां जुटाईं
लखनऊ/ दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार को उत्तरप्रदेश और दिल्ली में 16 जगहों पर तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान 10 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया।
एजेंसी को शक है कि आतंकी संगठन आईएसआईएस जैसा मॉड्यूल हरकत-उल-हर्ब ए इस्लाम सक्रिय हो रहा है। इसके बाद ही इनपुट के आधार पर उत्तरप्रदेश के अमरोहा के सैदपुरइम्मा गांव और दिल्ली के जाफराबाद में छापेमारी की गई। यूपी एटीएस के आईजी असीम अरुण ने बताया कि बुधवार को एनआईए के साथ संयुक्त ऑपरेशन चलाया गया। संदिग्धों पर एजेंसी की काफी वक्त से नजर थी। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में बम धमाकों की साजिश रचने के आरोप में अमरोहा से 5 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया। वहीं, अन्य 5 को पूर्वोत्तर दिल्ली से हिरासत में लिया गया।
मऊ के घोसी से भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर
लखनऊ। उत्तरप्रदेश के मऊ जिले के घोसी से भाजपा सांसद हरिनारायण राजभर ने रामलला के लिए प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत आवास मांगा। उन्होंने कहा- फैजाबाद के डीएम को भी मैं पत्र लिखूंगा कि प्रभु श्रीराम के लिए प्रधानमंत्री आवास मुहैया कराया जाए। मोदी सरकार की मंशा है कि कोई बिना छत के न रहे। प्रभु राम तिरपाल में हैं। उनको भी प्रधानमंत्री आवास मिलना चाहिए।
सांसद ने यह भी कहा कि बाबरी ढांचे को गिराने के लिए जिस तरह की कारसेवा हुई थी, ठीक उसी तरह की कारसेवा राम मंदिर निर्माण के लिए होनी चाहिए। यह भी कहा कि लोगों की आस्था का फैसला सुप्रीम कोर्ट और सरकार नहीं कर सकती।
सरकार और गृहमंत्री से नहीं मिला जवाब
उन्होंने बताया, 'Óसंसदीय बोर्ड की बैठक में भी हमने इस मुद्दे को उठाया था। पूछा था कि राम मंदिर का निर्माण कब तक होगा? कोई जवाब नहीं मिला। गृहमंत्री से भी मिला था, लेकिन उन्होंने भी कोई उचित जवाब नहीं दिया। देश में करोड़ों हिन्दुओं को राम मंदिर निर्माण के लिए खुद आगे आकर एक और कारसेवा करनी चाहिए।ÓÓ
पंडित अभिषेक गौतम को शहीदों के नाम और चित्र बनवाने में 14 दिन लगे
वे अब शहीद जवानों के घर भी जा रहे हैं, 5 परिवारों से मिल भी चुके
बीकानेर (परिमल हर्ष). उत्तरप्रदेश के हापुड़ के रहने वाले पंडित अभिषेक गौतम ने अपने शरीर पर कारगिल में शहीद हुए 580 जवानों के नाम गुदवाए हैं। उन्होंने इंडिया गेट, शहीद स्मारक, स्वतंत्रता सेनानियों समेत 11 महान हस्तियों के चित्र भी अंकित करवाए हैं। अभिषेक कहते हैं कि इस काम से मुझे सुकून मिला है। मेरी तरफ से उनके लिए यह श्रद्धांजलि है। मेरी कोशिश शहीद जवानों के परिवार वालों से मिलने की है। अभिषेक के इस काम की वजह से लोग उन्हें चलता-फिरता वॉर मेमोरियल कहने लगे हैं।
एमबीए किया है अभिषेक ने
अभिषेक बताते हैं कि उन्होंने कारगिल दिवस ( 26 जुलाई) से अपने शरीर पर शहीद जवानों के नाम गुदवाने शुरू किए थे। लगातार 14 दिन में यह मिशन पूरा हो पाया। गौतम रविवार को एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने बीकानेर पहुंचे थे।
अभिषेक ने इस काम में एक महीने की सैलरी लगा दी। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ऐसा करने में कुल कितना पैसा खर्च हुआ। उन्होंने कहा कि इससे मैंने जो काम किया है, उसकी वैल्यू कम हो जाती है। उन्होंने एमबीए तक की पढ़ाई की है।
दोस्तों और डॉक्टर ने मना किया था
अभिषेक बताते हैं कि इस काम के लिए उनके डॉक्टर और दोस्तों ने मना किया था। परिवार के सदस्यों ने भी रोकने की कोशिश की, लेकिन मैं नहीं माना। बाद में सभी ने मेरा सपोर्ट करना शुरू कर दिया।
अभिषेक शहीद जवानों के परिवार से मिलने के लिए उनके घर भी जा रहे हैं। अब तक वे करीब पांच परिवारों से मिल चुके हैं। वे बताते हैं कि देश के लिए जान देना बहुत गर्व की बात है। जवानों के परिवार वालों ने मेरे काम को सराहा है।
इनके चित्र शरीर पर बनवाए: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, महाराणा प्रताप, महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, शिवाजी, चाणक्य, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद आदि।