ईश्वर दुबे
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Bhilai
ईरान में 22 साल की महिला महसा अमिनी की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद हंगामा मच गया है। दरअसल महसा को न्याय दिलाने के लिए कई जगहों पर लोग सड़कों पर उतर आए हैं और महसा की मौत का विरोध कर रहे हैं। यहां तक कि विरोध कर रही महिलाओं ने चेहरे से हिजाब उतारकर अपने कड़े विरोध का प्रदर्शन किया है। गौरतलब है कि ईरान में महसा अमिनी नाम की महिला को हिजाब के नियमों के खिलाफ जाना इतना महंगा पड़ा कि पुलिस हिरासत में उसे जान गंवानी पड़ गई। कुछ महीने पहले महसा को हिजाब हटाने को लेकर ईरान की मोरल पुलिस ने गिरफ्तार किया और लगातार प्रताड़ित किया। पुलिस हिरासत में उसकी तबियत इतनी बिगड़ गई कि वह कोमा में चली गई, उसके बाद महसा की मौत हो गई। इसी को लेकर ईरान में महिलाओं में रोष है।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन आज ब्रिटेन पहुंचेंगे। व्हाइट हाउस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, जो बाइडन व उनकी पत्नी ने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) सुबह ज्वाइंट बेस एंड्रयूज से लंदन के लिए उड़ान भरी।
ब्रिटेन पहुंचने के बाद दोनों महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। इसके बाद दोनों महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के लिए आधिकारिक शोक पुस्तक पर हस्ताक्षर करेंगे। व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि 19 सितंबर को महारानी के अंतिम संस्कार के बाद जो बाइडन वापस अमेरिका के लिए प्रस्थान करेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिकी राष्ट्रपति अपने ब्रिटेन दौरे के दौरान ब्रिटेन की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस से भी मुलाकात कर सकते हैं। यह मुलाकात बेहद खास होने वाली है। गौरतलब है कि हाल ही में लिज ट्रस बोरिस जॉनसन को गद्दी से हटाकर प्रधानमंत्री निर्वाचित हुई हैं।
बता दें कि बाइडन एकमात्र प्रमुख व्यक्ति नहीं हैं जो रानी के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे। अन्य यूरोपीय सम्राटों, राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों के शामिल होने की उम्मीद है। बता दें कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अंतिम संस्कार 19 सितंबर को लंदन के वेस्टमिंस्टर एब्बे में किया जाएगा।
पश्चिम नेपाल के अछाम जिले से बड़े हादसे की खबर आ रही है जहां विभिन्न जगह पर भूस्खलन के कारण कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा 10 लोग लापता हैं और 10 को बचाया गया है। उप मुख्य जिला अधिकारी दीपेश रिजाल ने इस घटना की जानकारी दी है। वहीं आपदा के मद्देनजर गृह मंत्री ने खोज एवं बचाव अभियान के लिए हेलीकॉप्टर तैनात करने का आदेश दिया है।
चीनी शहर चांग्शा में शुक्रवार को एक 42 मंजिला बिल्डिंग में भीषण आग लग गई। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए घटनास्थल पर 36 फायर टेंडर और 280 फायर फाइटर्स मौजूद हैं। कुछ घंटों बाद आग पर काबू पा लिया गया। बिल्डिंग में आग लगने का वीडियो सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। इस वीडियो में बिल्डिंग से आग की लपटें और काला धुंआ आसमान में उड़ता दिखाई दे रहा है। वीडियो में यह भी दिखाई दे रहा है कि बिल्डिंग के बाहर का हिस्सा पूरी तरह से काला हो गया है। इस बिल्डिंग में सरकारी टेलिकोम कंपनी समेत कई अन्य कंपनियों के दफ्तर थे। हालांकि घटना में अभी किसी के हताहत होने की जानकारी सामने नहीं आई है। हुनान प्रांत की राजधानी चांग्शा की आबादी करीब एक करोड़ है।
इस्राइल ने सीरिया पर हवाई हमला किया है। हमले में 5 सीरियाई सैनिक मारे गए हैं। सरकारी मीडिया के हवाले से समाचार एजेंसी एएफपी ने यह खबर दी है। सीरिया के रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस्राइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और राजधानी के दक्षिण में अन्य स्थानों पर हवाई हमले किए। इनमें पांच सैनिक मारे गए और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। मंत्रालय के एक बयान में कहा कि सीरियाई वायु रक्षा प्रणाली ने हमले को रोक लिया और अधिकांश मिसाइलों को मार गिराने में कामयाब रहे। इस्राइली हमले में दमिश्क हवाईअड्डे की उड़ानों पर क्या असर पड़ा, यह अभी पता नहीं चला है। क्षेत्रीय राजनयिक और खुफिया सूत्रों ने बताया कि सीरिया और लेबनान में सहयोगियों को हथियार पहुंचाने के लिए ईरान द्वारा हवाई आपूर्ति को रोकने के लिए इस्राइल ने सीरियाई हवाई अड्डों पर हमले तेज कर दिए हैं। दोनों पड़ोसी देशों के बीच अक्सर झड़प होती रहती है। दोनों के बीच काफी पुराना विवाद है। गोलान हाइट्स या गोलान पहाड़ियों पर कब्जे को लेकर दोनों में कई बार सैन्य टकराव हो चुका है।
बीजिंग । चीन में प्राकृतिक आपदा का रुप धर ‘मुइफा’ तूफान ने यहां के पूर्वी तट पर रौद्र रूप दिखाया है। इससे पहले, बीती रात तूफान के चलते शंघाई शहर में तेज हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। चीन के राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, बुधवार देर रात तूफान के तट से टकराने के बाद अधिकतम 125 किलोमीटर (77 मील) प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं, लेकिन सुबह तक तूफान कमजोर होकर ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात में बदल गया। बृहस्पतिवार को इसके जियांग्सू प्रांत के पूर्वी हिस्सों की तरफ बढ़ते समय और कमजोर होने का पूर्वानुमान है।
शंघाई क्षेत्र में तूफान से किसी के हताहत होने की खबर नहीं मिली है और गुरुवार को सार्वजनिक परिवहन सेवाएं फिर से शुरू की जा रही हैं। इससे पहले, तूफान के क्षेत्र से गुजरते समय इन सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। सोशल मीडिया पर दक्षिणी शंघाई के निंगबो शहर में जलभराव की तस्वीरें सामने आई हैं। इन तस्वीरों में बीती रात हुई भारी बारिश के बाद कई स्कूटर और कार पानी में डूबी हुई दिख रही हैं।
जियांग्सू में तूफान की दस्तक के साथ भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है और प्रांत के सभी जिलों में बृहस्पतिवार को स्कूल बंद कर दिए गए हैं। राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि गुरुवार सुबह अधिकतम 108 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान है, जो दिन ढलते-ढलते धीरे-धीरे कमजोर होती चली जाएंगी। इस बीच देखा जाए तो शंघाई क्षेत्र में आए तूफान के चलते किसी के हताहत होने या बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है। तूफान के चलते मेट्रो सेवा को भी बंद कर दिया गया था। लेकिन अब इसके कमजोर पड़ने के बाद गुरुवार को सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को फिर से बहाल कर दिया गया है।
सोशल मीडिया पर शेयर तस्वीरों में रात भर हुई भारी बारिश के चलते शंघाई के दक्षिण में स्थित निंगबो शहर में वाटर लॉगिंग की स्थिति पैदा हो गई। कई-कई फीट जमा पानी में स्कूटर और कारें डूब गईं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर केवल कुछ सड़कों को ही बंद करने का जिक्र किया गया है। स्थानीय मीडिया का कहना है कि शंघाई में एक आवासीय परिसर में पूरी रात में 15 सेंटीमीटर (6 इंच) पानी बरसा है।
इस बीच मौसम विभाग ने जिआंगसू प्रांत में आंधी के साथ-साथ भारी बारिश होने की चेतावनी भी जारी की है। इसके चलते प्रांत के सभी जिलों ने गुरुवार को स्कूल बंद रखने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि गुरुवार सुबह अधिकतम हवाएं 108 किलोमीटर (67 मील) प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं। लेकिन दिन ढलते-ढलते इसके और कमजोर पड़ने की प्रबल संभावना है। केंद्र के मुताबिक गुरुवार रात के बाद तूफान के शेडोंग प्रांत से टकराने से पहले पीले सागर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिसके चलते वह करीब 25 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ेगा।
लंदन । आजकल हर उम्र के लोग किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। सर्दी, जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा हैं। दुनियाभर में इन बीमारियों की वजह से हर साल करोड़ों लोग जान गंवा रहे हैं। मेडिकल साइंस की तमाम कोशिशों के बावजूद बीमारियों पर लगाम नहीं लग पा रही। आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? एक हालिया स्टडी में बीमारियां फैलने की सबसे बड़ी वजह का खुलासा हुआ है।
मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ती बीमारियों की सबसे बड़ी वजह क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन है। स्टडी में पता चला है कि दुनियाभर में इंसानों को प्रभावित करने वाली 375 संक्रामक बीमारियों में से 58 फीसदी डिजीज का प्रकोप क्लाइमेट चेंज की वजह से बढ़ गया है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जलवायु संबंधी खतरों को बढ़ा रहा है, जिसके कारण इंसान मौत के मुंह में जा रहे हैं। बैक्टीरिया और वायरस फैलने के लिए क्लाइमेट में बदलाव काफी हद तक जिम्मेदार हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में अगर क्लाइमेट चेंज को लेकर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तब परिस्थितियां ज्यादा गंभीर होगी हैं।
शोधकर्ताओं ने इन्फ्लुएंजा, मलेरिया और सार्स जैसे रोगों को प्रभावित करने वाले जलवायु खतरों की तलाश में 77000 से ज्यादा स्टडीज की जांच की। इसमें पता चला कि ज्यादा गर्मी, सूखा, जंगल की आग, अत्यधिक वर्षा, बाढ़, तूफान. समुद्र के लेवल में वृद्धि, महासागरीय जलवायु परिवर्तन और भूमिगत बदलाव बीमारियों की प्रमुख वजह बनकर सामने आए हैं।इन कारणों की वजह से मलेरिया, इंफ्लुएंजा, सार्स, अस्थमा, स्किन एलर्जी जैसे रोग गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन रहे हैं।
बीजिंग । चीन चांद पर खेती करने की योजना बना रहा है। चीन ने चांद पर की फॉस्फेट खनिज की खोज कर ली है जो उसको खेती करने में मदद करेगा। यह खनिज फॉस्फेट है जो चांद पर क्रिस्टल के रूप में मिला है। इन तत्व को चेंजसाइट का नाम दिया गया है। इसके साथ ही अमेरिका और रूस के बाद चीन तीसरा ऐसा देश बन गया है जिसने चांद पर नए तत्व की खोज की है।
चीन से पहले अमेरिका और रूस ही ऐसे दो देश हैं जिन्होंने चांद पर एक नया खनिज खोजा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रिस्टल के रूप में फॉस्फेट 2020 में चांद से वापस लाए गए सैंपल में पाया गया है। चीन का चांग’ए-5 प्रोब 17 दिसंबर, 2020 को चीन के पहले चंद्रमा के नमूनों के साथ पृथ्वी पर लौटा था। शोधकर्ताओं के मुताबिक चेंजसाइट- (वाय) नामक स्तंभ क्रिस्टल फॉस्फेट खनिज है, जिसे चट्टान और मिट्टी के नमूनों में पहचाना गया था, जिसे 2020 में चंद्र सतह से वापस लाया गया था। चीन के नेशनल न्यूक्लियर कॉर्प के प्रमुख संस्थानों में से एक, बीजिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ यूरेनियम जियोलॉजी के अनुसार, खनिज को 140,000 से अधिक छोटे कणों से शोधकर्ताओं द्वारा सावधानीपूर्वक अलग किया गया था और फिर उन्नत खनिज विधियों की एक श्रृंखला के माध्यम से विश्लेषण किया गया था।
चेंजसाइट- (वाय) चंद्र मेरिलाइट की श्रेणी में आता है, जो चंद्र चट्टानों और उल्कापिंडों में पाया जाने वाला खनिज है, और 1969 में अपोलो 11 मिशन के दौरान पहले नमूने एकत्र किए जाने के बाद से मनुष्यों द्वारा पाया जाने वाला छठा नया खनिज है और मानव शरीर के लिए उच्च स्तर पर फॉस्फोरस का संपर्क हानिकारक हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अतिरिक्त फास्फोरस शरीर में परिवर्तन का कारण बनता है जो आपकी हड्डियों से कैल्शियम को बाहर निकालता है, जिससे वे कमजोर हो जाते हैं। चंद्रमा पर, हालांकि, यह तत्व अंतरिक्ष के नायकों को चंद्र सतह पर खेती करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। हालांकि, फॉस्फेट को चंद्रमा पर पनपने के लिए जाना जाता है, लेकिन यह पहली बार है जब मनुष्यों ने इसे एक स्तंभ क्रिस्टल में देखा है।
फॉस्फेट, जो पृथ्वी पर भी पाया जाता है, फॉस्फोरस का प्राकृतिक स्रोत है, एक ऐसा तत्व जो पौधों को उनके विकास और विकास के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों का एक चौथाई प्रदान करता है।फॉस्फेट, जो पृथ्वी पर पाया जाता है, पौधे की वृद्धि के लिए एक आवश्यक तत्व है – लेकिन क्रिस्टल के रूप में इसके गुणों की पहचान अभी तक नहीं की जा सकी है। नए खनिज में गुण हैं तो इसका उपयोग पृथ्वी पर किया जा सकता है।
सियोल। कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड केयर एंड एजुकेशन ने 1 से 7 साल के उम्र के बच्चों के साथ 1,500 माता-पिता पर सर्वे किया। सर्वे में 70.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को रोजमर्रा के कामों को संभालने के लिए घर पर स्मार्टफोन सौंपे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल अगस्त में किए गए सर्वे की रिपोर्ट संस्थान ने हाल ही में प्रकाशित की है। उत्तरदाताओं में से 74.3 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने अपने बच्चों को सार्वजनिक गतिविधियों के दुष्प्रभाव से दूर रखने के लिए स्मार्टफोन दिया, जबकि 52 प्रतिशत ने शैक्षिक उद्देश्यों का हवाला दिया। सर्वे के अनुसार, 12 से 18 महीने की उम्र में पहली बार स्मार्टफोन के संपर्क में आने वाले बच्चों की दर 20.5 प्रतिशत थी। वहीं 18 से 24 महीने की उम्र के बच्चों का प्रतिशत 13.4 प्रतिशत है। बच्चों द्वारा स्मार्टफोन, टैबलेट या कंप्यूटर इस्तेमाल करने की अवधि प्रति सप्ताह 55.3 मिनट था।
सर्वे के अनुसार, वीकेंड में यह 97.6 मिनट दर्ज किया गया है। सर्वे के नतीजे देश में युवाओं में स्मार्टफोन की बढ़ती लत की समस्या को दर्शाता है।साल 2020 में विज्ञान और आईसीटी मंत्रालय द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, 35.8 प्रतिशत किशोर और 27.3 प्रतिशत बच्चे स्मार्टफोन पर निर्भर होते जा रहे हैं। यह सर्वे देश में युवाओं के बीच स्मार्टफोन की बढ़ती लत के एक ग्राफ को भी दर्शाता है।
लॉस एंजिलिस । कोविड-19 महामारी के वायरस से संक्रमण से बचाव के लिए नाक से दी जाने वाली एंटी-वायरल दवा के विकास को लेकर शोधकर्ताओं के तथ्य सामने आए हैं। जो संक्रमित पशुओं से सार्स-सीओवी2 के प्रसार को कम तथा इसके संक्रमण को सीमित कर सकती है। जब लोगों की जांच में कोविड-19 होने का पता चलता है तब तक वायरस उनके श्वसन तंत्र में पैठ बना चुका होता है। वहीं लोग हर सांस के साथ अदृश्य संक्रामक तत्वों को शरीर से बाहर निकालते हैं। इस समय कोविड-19 के उपचार वाली दवाएं वायरस के प्रकोप से होने वाले लक्षणों पर केंद्रित हैं लेकिन उनसे संक्रमण को फैलने से रोकने की दिशा में बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलती।
अमेरिका के ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने पूर्व में संक्रामक रोगों के उपचार के लिए अनोखा तरीका इजाद किया जिसमें एक खुराक में नाक से दवा दी जाती है जो सार्स-सीओवी2 के गंभीर संक्रमण से बचाव करती है। ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंसेस’ पत्रिका में प्रकाशित एक नये अध्ययन में वे दर्शाते हैं कि ‘थेरप्यूटिक इंटरफियरिंग पार्टिकल’ (टीआईपी) नामक यह उपचार संक्रमित पशुओं से वायरस के संक्रमण को कम करता है और इसके प्रसार को सीमित भी करता है। अनुसंधानकर्ता लियोर वीनबर्गन ने कहा, ‘ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो एंटीवायरल और टीकों के लिए सांस के जरिये फैलने वाले वायरस के संक्रमण को सीमित करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘यह अध्ययन दिखाता है कि टीआईपी की एक खुराक में नाक से दी जाने वाली दवा पशुओं से वायरस के प्रसार को कम करती है।’
वीनबर्गर और अनुसंधानकर्ता सोनाली चतुर्वेदी ने सार्स-सीओवी2 से ग्रस्त चूहों का उपचार एंटीवायरल टीआईपी से किया और फिर उनकी नाक में रोजाना वायरस की संख्या मापी। उन्होंने देखा कि जिन चूहों का उपचार नहीं किया गया है, उनकी तुलना में उपचार वाले चूहों की नाक में हर बार वायरस कम गिने गये। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ट्रेडोस एडनॉम घेब्रेयसस ने कहा है कि वैश्विक स्तर पर हर 44 सेकेंड में अभी भी एक शख्स की जान कोविड 19 के चलते हो रही है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने इसको लेकर कहा, ‘यह वायरस आसानी से खत्म नहीं होगा। रिपोर्ट किए गए मामलों और मौतों में वैश्विक गिरावट जारी है। यह बहुत उत्साहजनक है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ये रुझान बने रहेंगे।’ घेब्रेयियस ने जो आंकड़ा जारी किया वह कम चौंकाने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, ‘फरवरी के बाद से साप्ताहिक रिपोर्ट की मौतों की संख्या में 80 फीसद से अधिक की गिरावट हो सकती है।
कीव । यूक्रेन-रूस जंग को 6 महीने से ज्यादा होने को है, देश के चारों तरफ तबाही ही है लेकिन अब यूक्रेन के शुभचिंतकों के लिए अच्छी खबर है कि वह रूसी सैनिकों को क्षेत्र से खदेड़ रहें हैं। पश्चिम से हथियारों की भी आपूर्ति हो रही है और अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यूक्रेन को अतिरिक्त सहायता के रूप में 1.4 अरब डॉलर का आवंटन किया है और इससे पहले यूरोपीय संघ की परिषद ने 9 सितंबर को यूक्रेन को 9 बिलियन यूरो पैकेज यानी 578 अरब 10 करोड़ 20 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने ट्विटर पर बताया कि आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा के साथ फोन पर बातचीत हुई है। उन्होंने 1.4 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता के आवंटन के लिए धन्यवाद कहा और यूक्रेन की वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए भविष्य के सहयोग पर चर्चा की। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्यकारी बोर्ड ने यूक्रेन में हो रही जंग के कारण पूरी दुनिया में खाने-पीने के सामानों की बढ़ती महंगाई से दबाव का सामना करने वाले देशों को इमरजेंसी फंड देने के लिए एक योजना पर विचार किया। आईएमएफ की यह योजना रूस के हमले का शिकार हुए यूक्रेन और उसके कारण परेशान हो रहे दूसरे देशों को खाद्य पदार्थों की कीमतों की महंगाई का सामना करने में मदद करेगी।
सिडनी । पेट एनिमल यानि पालतू जानवरों लेकर लोग आश्वस्त होते है कि वे उन पर हमला नहीं करेंगे। पर अब कई मामले सामने आते हैं लेकिन कभी कभी ऐसा भी होता है कि पालतू जानवर अपने मालिक को ही मारकर खा जाते हैं। ऐसा ही एक मामला ऑस्ट्रेलिया से सामने आया है जहां एक पालतू कंगारू अचानक उस समय हिंसक हो गया जब वह अपने मालिक के साथ था। कंगारू ने उस पर बुरी तरह आक्रमण किया और उसे ही मार डाला। अब पुलिस इस कंगारू को सजा देगी। दरअसल, यह घटना ऑस्ट्रेलिया के एक शहर की है। रिपोर्ट के मुताबिक यह कंगारू पालतू जरूर था लेकिन यह एक जंगली कंगारू था। इसको एक 77 साल के शख्स ने पाल रखा था। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस के एक बयान के मुताबिक मालिक यानी मृतक का शव पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के रेडमंड के कम आबादी वाले एक शहर में पड़ा मिला।
पुलिस के प्रवक्ता ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि शख्स पर दिन में कंगारू ने हमला किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि कंगारू भी वहीं मौजूद था। बताया गया कि जहां पर शख्स का शव था ठीक उसी जगह एक कंगारू भी खड़ा था। इतना ही नहीं एम्बुलेंस चालक दल को शव के नजदीक पहुंचने से कंगारू रोक भी रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने कहा कि उन्हें कंगारू को गोली मारनी पड़ेगी क्योंकि अब यह किसी के ऊपर भी हमला कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि यह कार्रवाई निमानुसार ही की जाएगी। पुलिस ने कहा कि कंगारू को एक जंगली जानवर माना जाता है लेकिन आदमी ने इसे पालतू जानवर के रूप में रखा हुआ था।
फिलहाल पुलिस ने बताया कि अभी तक कंगारू की प्रजाति की पहचान नहीं हुई है लेकिन इतना जरूर है कि यह जंगली है। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने कहा कि देश में कंगारू द्वारा आखिरी घातक हमला 1936 में रिपोर्ट किया गया था। इसके बाद से यह मामला सामने आया है। फिलहाल मामले की जांच शुरू हो गई है।
लंदन । ब्रिटेन के शाही परिवार की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का अवसान पूरी दुनिया के साथ उनके परिजनों के लिए लिए बड़ा आघात है। महारानी पार्थिव देह के लिए उपयोग में लिया गया ताबूत कथित तौर पर तीन दशक से अधिक समय पहले तैयार किया गया था। रानी के ताबूत को कम से कम 32 साल पहले अंग्रेजी ओक की लकड़ी से बनाया गया था, जो आजकल दुर्लभ है। अब ज्यादातर लकड़ी के ताबूत अमेरिकी ओक से बन रहे हैं। यह चारों ओर से शीशा से बना हुआ है, यह एक शाही परंपरा है जो शव को कब्र में दफनाने के बाद लंबे समय तक संरक्षित रखने में मदद करती है।
एक खबर के अनुसार कहा जाता है कि शीशा ताबूत को वायुरोधी बनाता है, जिससे नमी को अंदर जाने से रोकने में मदद मिलती है लेकिन यह काफी भारी हो जाता है। ताबूत को हिलाने के लिए आठ पालबियरों की आवश्यकता होती है। यह दिवंगत रानी के पति प्रिंस फिलिप के लिए बनाई गई एक अन्य से मेल खाती है जिनकी पिछले साल मृत्यु हो गई थी और उन्हें कब्र में दफनाया गया था। ताबूत को विशेष रूप से इसके ढक्कन पर सुरक्षित रूप से कीमती फिटिंग रखने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें इंपीरियल स्टेट क्राउन, ओर्ब और राजदंड शामिल होते हैं, जो सम्राट की शक्तियों के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ताबूत पर पीतल के हैंडल भी विशिष्ट रूप से शाही ताबूत के लिए डिजाइन किए गए हैं।
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताबूत बीते रविवार को पहली बार सामने आया, जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। ताबूत को स्कॉटिश शाही मानक और बाल्मोरल एस्टेट के बगीचों से सफेद हीदर, दहलिया और मीठे मटर की एक माला के साथ कवर किया गया था। यह रविवार रात स्कॉटिश राजधानी एडिनबर्ग में होलीरूडहाउस के महल में रुका था। महारानी एलिजाबेथ का पार्थिव शरीर सोमवार को खुली ताबूत गाड़ी में यात्रा करने के बाद बुधवार तक लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में पहुंचेगा।
लंदन । वैज्ञानिक मिशनों के समर्थन में चंद्रमा पर खनन की अनुमति के लिए ‘आर्टेमिस समझौतों’ के प्रभाव में आने से अंतरराष्ट्रीय कानून में नया अध्याय जुड़ गया है। हाल ही में हुए अंतरराष्ट्रीय समझौतों के बाद अमीर देश कानूनी तरीके से चंद्रमा पर और अंतरिक्ष में अन्य पिंडों पर अपने वैज्ञानिक मिशनों के समर्थन में खनन कर सकते हैं। अमेरिका ने अपने अपोलो मिशन के करीब 50 वर्ष बाद 2020 में चंद्रमा पर मनुष्य भेजने की योजना की घोषणा की थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार अपोलो की जुड़वां बहन के नाम वाली आर्टेमिस योजना चंद्रमा पर और चंद्रमा की परिक्रमा करते स्टेशन ‘गेटवे’ पर मनुष्य की स्थाई मौजूदगी से जुड़ी है।
दीर्घकालिक मानवीय मिशनों की निरंतरता के लिए आर्टेमिस में अंतरिक्ष के संसाधनों के उपयोग की परिकल्पना है। उदाहरण के लिए ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन के लिए चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी में खनन। ऑक्सीजन सांस लेने में कारगर हो सकती है और हाइड्रोजन पेयजल तथा रेडियेशन शील्ड के लिहाज से उपयोगी है। ऑक्सीजन और हाइड्रोजन अंतरिक्ष यात्रा के लिए आवश्यक प्रणोदक (प्रपलेंट) के भी मौलिक तत्व हैं। मौजूदा अंतरिक्ष संधियां अंतरिक्ष के संसाधनों के उपयोग का विनियमन नहीं करतीं और न ही वे इस पर रोक लगाती हैं। अमेरिका की 1967 की बाहरी अंतरिक्ष संधि को सबसे व्यापक रूप से अपनाया गया है। इसके अनुसार विभिन्न देश अंतरिक्ष में चंद्रमा या अन्य चीजों के हिस्सों पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकते।
आर्टेमिस में मिशन के समर्थन में अंतरिक्ष के संसाधनों के उपयोग के लिए कानूनी आधार स्पष्ट किया गया है। कानूनी तौर पर कहें तो समझौते को संधि नहीं कहा जा सकता। उनमें अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यता नहीं होती। ये समझौते केवल अमेरिका और उन अन्य देशों पर लागू होते हैं तो आर्टेमिस के विभिन्न मिशन में भाग लेना चाहते हैं। हालांकि आर्टेमिस समझौतों की कानूनी अहमियत जरूर है। आर्टेमिस समझौतों में कुछ प्रावधान अंतरिक्ष संधि की व्याख्या करते हैं और इस तरह निष्पक्षता की बात आती है। समझौतों के अनुसार जो देश चंद्रमा के संसाधनों का दोहन कर रहे हैं या खनन कर रहे हैं, उनका उन संसाधनों पर कोई संपत्ति संबंधी अधिकार नहीं होता। इस रूप में देखें तो आर्टेमिस समझौता राष्ट्रीय विनियोग और उपयोग के संदर्भ में बाहरी अतरिक्ष संधि के प्रावधानों के दायरे में आता है।
व्यावहारिक रूप से देखें तो अंतरिक्ष संसाधनों का उपयोग कौन और किन परिस्थितियों में कर सकता है, इसे तय करने के लिए कोई नियामक रूपरेखा नहीं होने पर आर्टेमिस समझौता पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर अंतरिक्ष के संसाधनों के उपयोग का समर्थन करता है। परिणाम स्वरूप वित्तीय और प्रौद्योगिकीय रूप से संपन्न देशों को इससे लाभ होगा, वहीं अल्प विकसित या अंतरिक्ष के लिहाज से उभरते देशों को इससे लाभ नहीं होगा या कहें तो कम से कम सीधा लाभ नहीं होगा। आर्टेमिस समझौते का एक और प्रावधान बाहरी अंतरिक्ष संधि के पाठ के ब्योरे से संबंधित है।
इसके अनुसार चंद्रमा पर गतिविधियां संचालित करने वाले देशों को एक ‘सुरक्षित क्षेत्र’ बनाना होगा, ताकि अन्य देशों की गतिविधियों के साथ किसी तरह के नुकसानदेह हस्तक्षेप से बचा जा सके। अंतरिक्ष संधि में सुरक्षित क्षेत्र का उल्लेख नहीं है। इसमें केवल यह प्रावधान है कि देशों को अंतरिक्ष में गतिविधियां चला रहे अन्य देशों का सम्मान करते हुए अपने क्रियाकलाप करने होंगे। आर्टेमिस समझौतों में नई अवधारणाएं भी हैं।
पृथ्वी पर ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण निर्विवाद होता है, वहीं बाहरी अंतरिक्ष में किसी ऐतिहासिक स्थल का निर्धारण करने का कोई पूर्व उदाहरण नहीं है। यदि कोई देश एकपक्षीय तरीके से चंद्रमा के किसी क्षेत्र को ऐतिहासिक मूल्य वाला घोषित करता है तो यह गैर-विनियोग के सिद्धांत का उल्लंघन हो सकता है। मसलन अमेरिका अपोलो 11 के उतरने के स्थान और नील आर्मस्ट्रांग के जूतों के निशान को ऐतिहासिक महत्व का घोषित कर सकता है और उसके आसपास सुरक्षित क्षेत्र बना सकता है। हालांकि इस तरह की कार्रवाई चंद्रमा पर एक क्षेत्र के वस्तुत: उपयोग के समान हो सकती है।