छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ (17642)

राफेल डील को लेकर कांग्रेस लगातार भाजपा पर वार करती रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राफेल डील को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुली बहस की चुनौती दी है। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान राहुल गांधी राफेल डील को खास तौर पर मुद्दा बना रहे हैं। छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी को बहस की चुनौती दी। राहुल गांधी ने कहा, "मैं मोदी जी को चैलेंज करता हूं कि कहीं भी, किसी भी जगह, किसी भी प्रदेश में मेरे साथ स्टेज पर आकर 15 मिनट के लिए राफेल पर डिबेट कर लें। 

 15 मिनट मुझे बोलने दें और 15 मिनट मोदी जी बोलें। राहुल ने आगे ये भी बताया कि वो किन मुद्दों पर पीएम से बहस करेंगे।  राहुल ने कहा मैं एचएएल के बारे में बोलूंगा, मैं जो फ्रांस के राष्ट्रपति ने बोला है उसके बारे में बोलूंगा।" "मैं बोलूंगा कि 526 करोड़ रुपये का हवाई जहाज नरेंद्र मोदी जी ने 1600 करोड़ रुपये में खरीदा। मैं बोलूंगा कि उन्होंने कोई भी प्रोसिजर फॉलो नहीं किया। मैं बोलूंगा कि रक्षामंत्री ने साफ कहा है कि ये डील मैंने नहीं प्रधानमंत्री ने की है। 


मैं बोलूंगा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने साफ बताया कि नरेंद्र मोदी ने बोला कि किसको कॉन्ट्रेक्ट मिलना चाहिए।" राहुल ने आरोप लगाया कि मोदी ने किसानों के पास कालाधन होने की बात कहकर अन्नदाताओं का अपमान किया है। गांधी ने प्रधानमंत्री के इस कथित बयान से जुड़ा वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया, ‘क्या आपने माल्या, ‘मेहुल भाई’, नीरव मोदी को गेहूं उगाते देखा है? मोदीजी किसान का अपमान मत करिए।

  दुर्ग। दुर्ग शहर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा पिछले पांच साल से विधायक हैं इसके पूर्व दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित वर्तमान में सांसद के पद पर सुशोभित हैं लेकिन दुर्ग शहर के विकास में वोरा परिवार की कोई भूमिका नहीं दिखाई देता है। एक भी एैसा बड़ा विकास कार्य वोरा परिवार गिना दें जिसे वोरा परिवार नें दुर्ग में करवाया हो। कांग्रेस के पचास साल के शासन में दुर्ग शहर का कोई भी विकास नहींहो सका और यह सच्चाई है कि भाजपा शासनकाल में दुर्ग शहर में अभूतपूर्व विकास कार्य संपन्न हुए। तात्कालीन महापौर सरोज पांडेय के कार्यकाल में तथा मंत्री हेमचंद यादव के समय बड़ी तेजी के साथ दुर्ग शहर का स्वरुप परिवर्तित हुआ। वर्तमान में वोरा परिवार के प्रत्याशी अरुण वोरा को जनता को बताना होगा कि उनके कार्यकाल में क्या क्या बड़े विकास कार्यों को उन्होने करवाया है या करवाने का प्रयास किया है। मोतीलाल वोरा चाहते तो पूर्व में ही दुर्ग का कायाकल्प करने की ताकत रखते थे परंतु उन्होनें दुर्ग के लिए तो दूर की बात छत्तीसगढ के लिए भी कुछ नहीं किया। छत्तीसगढ राज्य बनने के बाद अजीत जोगी के शासन में युवा आयोग के अध्यक्ष रहते हुए भी अरुण नें कोई कार्य नहीं करवाया जिसे वे अपनी उपलब्धि बता सकें। दुर्ग में धमधानाका का पुल ही कांग्रेस की निशानी है। दुर्ग वायशेप ब्रिज, शिवनाथ पुल, दुर्ग की सड़कें, नालियां सभी विकास कार्य भाजपा और भाजपा विधायक, महापौर सांसद की देन है। कांग्रेस के प्रत्याशी दुर्ग में किस विकास कार्य के लिए वोट मांग रहे हैं समझ से परे है। विकास कार्य के लिए सोच की आवश्यकता होताी है जो वोरा परिवार में कहीं भी परिलक्षित नहीं होता है। अरुण वोरा के लिए बाबू जी के अलावा दुर्ग में कोई सहारा नहीं हैं। पिछले चुनाव में बाबूजी नें जनता के पास जाकर इज्जत बचा लेने की गुहार लगाई थी, हेमचंद यादव हारे फिर से इज्जत की खातिर बड़े नेता होने के बावजूद दुर्ग से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं एैसे में जनता कब तक एक वरिष्ठ नेता की इज्जत की खातिर अपने विकास को दांव पर लगाएगी? इधर अरुण वोरा अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रहे हैं जीतने की खुशी अभी से मना रहे हैं उन्हे जनता के बीच जाने की जरुरत है। जनता को नेता चाहिए किसी परिवार की इज्जत नहीं बचानी है लोग बोलना शुरु कर दिए हैं कि दुर्ग अब किसी पप्पू प्रत्याशी को बर्दास्त करने के मूड में नहीं है जो बाबूजी की गोद में अभी भी पड़ा हुआ है बाबू जी से पूछे बगैर कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। पूरा चुनाव प्रचार में वोरा परिवार जुटा हुआ है। रायपुर से गोविंदलाल वोरा का परिवार चुनाव संचालन कर रहे हैं। जमीनी नेता असमंजस की स्थिति में हैं एैसे में जीत कैसे होगी। कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ अंडरकरंट यह है कि कांग्रेसियों का वोट भी जनता कांग्रेस जे के प्रत्याशी प्रताप मध्यानी के पक्ष में पड़ सकता है। भाजपा के कैडर वोट हैं जो दुर्ग में स्थायी है किसी का नुकसान हो रहा है तो वह हैं अरुण वोरा। त्रिकोणीय संघर्ष में कांग्रेस प्रत्याशी अरुण वोरा की हार होगी एैसा जनता जनार्दन का कहना है।

देश के लोकतंत्र ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि बुलेट पर बैलेट की चोट से करारा जबाव दिया जा सकता है। छत्तीसगढ़ की पहले चरण के 18 विधानसभा सीटों में नक्सल प्रभावित सीटों पर जिस तरह से बहां के मतदाताओं ने निर्भिक होकर मुखरता से मतदान में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है वह निश्चित रुप से लोकतंत्र की विजय है। खासबात यह कि यह सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। सुकमा, दंतेवाड़ा और बस्तर की सीटों पर मतदाताओं ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और मतदान का प्रतिशत 70 फीसदी को पार कर गया। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में 70 प्रतिशत मतदान इसलिए मायने रखता है कि मतदाताओं की बेरुखी के चलते देश के कई सामान्य सीटों पर मतदान का प्रतिशत लगभग 70 फीसदी रह पाता है। सही मायने में देखा जाए तो इसका सारा श्रेय इस क्षेत्र के आम मतदाताओं को जाता है जिन्होंने नक्सलियों की लाख चेतावनियों को सीरे से खारिज कर यह संदेश देने का प्रयास किया है कि क्षेत्र का विकास अंशाति फैलाने से नहीं लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुनी हुई सरकार के माध्यम से ही हो सकता है। चुनाव आयोग,सुरक्षा बलों और सरकार को भी इस मायने में धन्यवाद देना होगा कि लाख बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद सफलतापूर्वक मतदान संपन्न कराया गया।
 
दरअसल नक्सलियों ने इस बार अधिक भय का वातावरण बनाकर चुनावों को प्रभावित करने का प्रयास किया। सुरक्षा बलों पर लगातार हमलें किए गए वहीं लोगों को चुनाव में भाग लेने के गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनियां दी। नक्सली इस बार अधिक आक्रामक होकर चुनावों को प्रभावित करना चाहते थे। इन दिनों में सुरक्षा बलों पर अधिक हमलें हुए। मतदान करने वालों के हाथ जिस्म से अलग करने की चेतावनी दी गई। गंभीर परिणाम भुगतने को तैयार रहने को कहा गया। सुरक्षाबलों पर लगातार हमलें इनकी रणनीति का हिस्सा था पर ना सुरक्षा बलों ने हार मानी और ना ही मतदाताओं ने। दरअसल देखा जाए तो आदिवासियों के रहनुमा बनने की दुहाई देने वाले नक्सलियों का असली चेहरा सामने आ चुका है। चुनावों से पहले नक्सलियों ने जबरदस्त भय का वातावरण बनाने के प्रयास किए। मतदान के दिन भी सुरक्षा बलों पर बड़ा हमला कर भय का वातावरण बनाने की कोशिश की गई पर जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर बुलेट को बैलेट से करारा जबाव दिया है। देखा जाए तो क्षेत्रवासियों के विकास की सबसे बड़ी बाधा नक्सली ही हो गए हैं। सड़क, शिक्षा−स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं क्षेत्र में नहीं पहुंचाने देना ही इनका मकसद रह गया। नक्सलियों किसी भी हालत में इस क्षेत्र में विकास नहीं देखना चाहते। इसका एक बड़ा कारण विकास आएगा तो इनकी दुकान उठ जाएगी रहा है। लोगों के यह बात समझ में आने लगी है। 
 
दरअसल लोकतंत्र की यह खूबी भी है और इसे सबसे बड़ी सफलता माना जाना चाहिए कि लोगों के समझ में आने लगा है कि उनका हित हिंसा का साथ देने में या हिंसक प्रवृतियों के आगे नतमस्तक होने में नहीं अपितु लोकतांत्रिक तरीके से अपना नेता चुनकर विधायिका में भेजकर विकास की गंगा का प्रवाह क्षेत्र में लाने में है। शिक्षा,स्वास्थ्य, सहज आवागमन के लिए सड़कों और आवागमन के साधनों की सहज उपलब्धता उन्हें मुख्य धारा से जोड़ सकती है। यह उनके समझ में आने लगा है यही कारण है कि भय और आतंक का माहौल होने के बावजूद लोगों में नक्सलियों का विरोध करने का साहस आया है। सुरक्षा बलों के साहस की भी सराहना करनी होगी कि नक्सलियों के दुर्दांत इरादों का बहादुरी से मुकाबला कर रहे हैं। लोगों में विश्वास जगाने में सफल रहे हैं। अब अगले चरण का मतदान 20 नवंबर को होने जा रहा है। आशा की जानी चाहिए कि छत्तीसगढ़ के मतदाता और अधिक मुखरता से 20 तारीख के मतदान में हिस्सा लेंगे। पहले चरण के खासतौर से नक्सल प्रभावित इलाकों के मतदान से सरकार और नक्सलियों के लिए भी साफ संदेश है। सरकार के लिए यह संदेश है कि लोग विकास में विश्वास रखते हैं, यही कारण है कि लाख चेतावनियों के बावजूद मतदान में हिस्सा लेकर मताधिकार का उपयोग कर रहे हैं ऐसे में चुनावों के बाद किसी भी दल की सरकार बने उस सरकार की प्राथमिकता इस क्षेत्र के विकास, आधारभूत सुविधाओं के विस्तार सहित क्षेत्र को मुख्यधारा में लाने के कार्यों को प्राथमिकता देनी होगी वहीं नक्सलियों के लिए भी साफ संदेश है कि उन्हें भी हिंसा का रास्ता छोड़कर लोकतंत्र की मजबूती और क्षेत्र के नागरिकों तक आधारभूत सुविधाओं के साथ मुख्य धारा में लाने के कार्य में भागीदार बनना चाहिए। 
 
देखा जाए तो सुकमा हो या दंतेवाड़ा या बस्तर यहां के लोगों ने जिस तरह से घर से निकल कर मतदान केन्द्र आकर अपने मताधिकार के प्रयोग से साहस का परिचय दिया है वह काबिले तारीफ है। वहीं हिंसक ताकतों को साफ संदेश दिया गया है कि बुलेट का जबाव बैलेट से आसानी से दिया जा सकता है। बुलेट पर बैलेट से विजय पाई जा सकती है। यही हमारे लोकतंत्र की खूबी है और यही लोकतंत्र का सौंदर्य। 
 
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा
चुनाव आयोग ने शनिवार को छत्तीसगढ़ सरकार को कांग्रेस के नेताओं का स्टिंग ऑपरेशन करने के लिये कथित रूप से पैसों की पेशकश करते पकड़े गये राज्य के जनसंपर्क आयुक्त को पद से हटाकर स्थानांतरित करने को कहा है। आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार में जनसंपर्क विभाग के सचिव और आयुक्त एस राजेश टोप्पो को पद से हटाने का आदेश जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के दौरान दूसरे और अंतिम चरण में 72 सीटों के लिये 20 नवंबर को मतदान होगा।
 
टोप्पो को कथित तौर पर एक ऑडियो टेप में किसी पत्रकार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के लिये अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुये वीडियो टेप बनाने के लिये कहते सुना जा सकता है। इसके एवज में उन पर कथित रूप से पैसों की पेशकश करने का भी आरोप है। प्रवक्ता ने बताया ‘‘आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने अनुचित भाषा का इस्तेमाल तो किया ही है, साथ में यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार को भी दर्शाता है।’’ राज्य में चुनाव के पहले चरण के लिये 18 सीटों पर मतदान गत 12 नवंबर को हो चुका है। 
रायपुर। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी जो कहती है उसे करके दिखाती है, कभी झूठा वादा नहीं करती है। गांधी ने आज सरगुजा क्षेत्र के कोरिया जिले में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आप मेरे भाषण देख सकते हैं कि कहीं उसमें कोई झूठ बोला हो या राहुल गांधी ने कोई वादा किया जिसे पूरा नहीं किया गया हो। प्रधानमंत्री के खिलाफ तीखा हमला करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मोदी जी ने कहा था कि काले धन के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। जिन्होंने अपने तकिए के नीचे, घर में पैसा बचा के रखा था वे सब चोर थे। और मोदी जी ने उन सब चोरों के खिलाफ कार्रवाई की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपको बता दूं आपने चोरी नहीं की है। चोरी उस व्यक्ति ने की है जो आपको चोर कह रहा है। उसका नाम नरेंद्र मोदी है।’’
 
कांग्रेस की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हमने कभी झूठा वादा नहीं किया। हमने जो कहा था वह किया। हमने मनरेगा दिया, भोजन का अधिकार दिया और सूचना का अधिकार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की संप्रग सरकार ने किसानों का 70 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया। मेरी बात मत सुनो, मेरा रिकॉर्ड देखों। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की सरकार आने पर 10 दिन के भीतर हर किसान का कर्ज माफ हो जाएगा। रमन सिंह जी ने दो साल का बोनस छीना हम उसे भी किसानों को देंगे। यह छत्तीसगढ़ के किसानों को तोहफा नहीं है। यह किसान का पैसा है जो हम वापस लौटाएंगे।
 
गांधी ने कहा, ‘‘हमसे पूछा जाता है कि पैसा कहां से आएगा। आप जानते हैं कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी 45 हजार करोड़ रुपये लेकर भागे हैं। मोदी जी ने राफेल सौदे में अनिल अंबानी को 30 हजार करोड रुपए दिलवाए। छत्तीसगढ़ के किसानों का कर्ज माफ करने का पैसा विजय माल्या, नीरव मोदी, अंबानी जैसे लोगों से आएगा।" उन्होंने कहा कि आजकल मोदी भ्रष्टाचार की बात नहीं करते हैं। ‘‘पाकिस्तान में नवाज शरीफ प्रधानमंत्री था पनामा पेपर में उसका नाम निकला। पाकिस्तान में नवाज शरीफ को जेल की सजा हो गई लेकिन छत्तीसगढ़ में रमन सिंह के बेटे ने विदेशी बैंक में पैसा डाला। कोई सजा नहीं हुई, कोई जांच नहीं हुई।’’गांधी ने वादा किया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर सरकारी महकमों में खाली पड़े पदों को भरा जाएगा। छत्तीसगढ़ में हो रहे विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के लिए इस महीने की 20 तारीख को मतदान होगा।

धुआंधार चुनाव प्रचार पर निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में कांग्रेस और खास तौर पर गांधी परिवार को लेकर खासे हमलावर नजर आए।

 सितंबर 2013 में मोदी जब प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल थे, तब अंबिकापुर में ही लाल किला नुमा मंच तैयार किया था। जब मोदी ने यहां से भाषण दिया, तब इस मुद्दे ने काफी सियासी सुर्खियां बटोरी थीं। । पीएम मोदी ने अपनी बात वहीं से शुरू की।


उन्होंने कहा, "जिन लोगों ने अंबिकापुर के छोटे-छोटे लोगों को लाल किले की प्रतिकृति बनाने मात्र से उन्हें नोंच लिया था, उनके खिलाफ अनाप-शनाप बातें कहीं थीं, अंबिकापुर के लोगों, ऐसे लोगों को सजा देने का मौका आया है। जिन्होंने अंबिकापुर को ऐसे बदनाम किया, उन्हें चुन-चुनकर घर भेजना होगा। जिस राजपरिवार को एक ही परिवार के गुण गाने का शौक लग गया है, उन्हें अंबिकापुर के लोग ही गहरी चोट पहुंचा सकते हैं।"

पीएम मोदी ने दिग्विजय सिंह पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिग्गी राजा अविभाजित मध्यप्रदेश के वक्त छत्तीसगढ़ सिर्फ खास वजहों से आते थे। उन दिनों में कांग्रेस के 60 फीसदी से भी ज्यादा वादे पूरे नहीं हो सके।

राहुल और सोनिया पर हल्ला बोलते हुए मोदी ने कहा, "लगता है कि अंग्रेज उनके परिवार का नाम लिख कर गए थे। 440 से 40 रह गए। उनके दिमाग में नहीं बैठता कि गरीब मां का बेटा अंग्रेजों से उन्हें जो विरासत में कुर्सी मिली थी, उस पर कैसे बैठ गया। हिंदुस्तान के लोकतंत्र ने एक परिवार को ठेका नहीं दिया है। पहली चारी पीढ़ी ने क्या काम किया, इसका हिसाब देना होगा।"

शशि थरूर ने हाल ही में कहा था कि पंडित नेहरू की वजह से ही मोदी, प्रधानमंत्री बन सके क्योंकि उन्होंने ऐसा संस्थागत ढांचा खड़ा किया था जिसमें कोई भी इस उच्च पद पर पहुंच सके। मोदी ने इसका जिक्र करते हुए कहा, "अगर आपके भीतर लोकतंत्र की इतनी ही परंपरा है तो एक बार बस पांच साल के लिए गांधी परिवार के बाहर किसी व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष बना दें।"

मोदी ने  पहले चरण में हुई बंपर वोटिंग की तारीफ करते हुए कहा, "पहले चरण में बम, बंदूक का भय दिखाया गया लेकिन बस्तर की जनता ने वोटिंग मशीन पर उंगली दबाकर इसका जवाब दिया। देश के लोकतंत्र को समर्पित ऐसे नागरिकों को सलाम है।"

पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्ज्वला योजना का भी जिक्र अपने भाषण में किया। 
आज के भाषण की खास बात ये भी रही कि पीएम मोदी न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए भी माहौल बनाते दिखे। उन्होंने गांधी परिवार पर एक के बाद एक कई हमले बोले। बयानों का जवाब दिया। ये सीधी लड़ाई की जमीन तैयार करने का संकेत है। 

सरगुजा संभाग में कुल 14 सीटें हैं। छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होना है। नतीजे 11 दिसंबर को आएंगे।

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी ने भाजपा को समर्थन की अटकलों पर पूर्ण विराम लगा दिया। सियासी हलकों में चल रही खबरों पर उन्होंने कहा, "मैं सपने में भी नहीं सोच सकता कि भाजपा के साथ गठबंधन करूं, मैं उनको किसी शर्त पर समर्थन नहीं दूंगा और न ही उनसे समर्थन लूंगा।"

 मीडिया से बातचीत करते हुए अजीत जोगी ने अपने बयान मे कहा कि वो सूली पर चढ़ना पसंद करेंगे, लेकिन भाजपा के साथ कभी नहीं जाएंगे। दरअसल, ये सारा हंगामा इसलिए मचा है क्योंकि पहले जोगी ने कहा था कि राजनीति में किसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, बहुमत न मिलने की स्थिति में वो भाजपा के साथ जा सकते हैं। दो दिन पहले, राजनाथ सिंह उनके गढ़ मरवाही में प्नचार करते हुए कहा था कि अगर जोगी को राजनीति करनी थी तो भाजपा में आ जाते, जबरन परेशान हो रहे हैं। 

भिलाई ब्रेकिंग?
खुर्सीपार में पकड़ाई भाजपा की शराब, मंत्री के करीबी श्यामसुंदर राव ने अपने घर के बाजू सार्वजनिक कमरे में रखवाया था 55 पेटी शराब
फ्लाइंग स्क्वाड ने सूचना मिलने पर की कार्यवाही

कार्यवाही के दौरान मौके से बरामद हुवी भाजपा की प्रचार सामग्री
कल इसी वार्ड में चली थी श्याम सुन्दर ने करवाई थी मटन पार्टी, आज के कार्यक्रम में फिरा पानी

 भिलाई। दुर्ग जिले की हाईप्रोफाईल सीट भिलाईनगर से भाजपा के प्रेमप्रकाश पांडेय और कांग्रेस के युवा प्रत्याशी देैवेंद्र यादव का मध्य कांटे की टक्कर है। इस सीट से युवा चेहरे को प्रत्याशी बनाकर कांग्रेस ने चुनाव को काफी रोचक और बना दिया है। सोशल मीडिया में एक दूसरे के उपर प्रहार जारी है तथा कई प्रकार के आरोप प्रत्यारोप निरंतर जारी है जिसे जनता देख समझ रही है तथा किस प्रत्याशी को मत देना है उसके लिए पूर्व आकल कर रही है। कांटे की टक्कर इसलिए क्योंकि भिलाईनगर विधानसभा क्षेत्र की जनता को प्रदेश में सबसे शिक्षित जनता के रुप में जाना जाता है। भिलाई इस्पात संयंत्र में कार्यरत कर्मचारियों, अधिकारियों के अलावा खुर्सीपार तथा अन्य दीगर क्षेत्रों की जनता भी शामिल हैं जिन्हें अपना विकास पुरुष चुनना है। भिलाई विधायक के रुप में प्रेमप्रकाश के द्वारा किए गए विकास कार्यों को नकारा नहीं जा सकता है वहीं दूसरी ओर वे मंत्री के ओहदे पर काबिज रहके कार्यों को सरकार के बलबूते पर निष्पादित करवाने में सफल रहे। वहीं दूसरी ओर विपक्ष में रहने के बावजूद कांग्रेस के निर्वाचित महापौर के रुप में देवेंद्र यादव नें अल्प अधिकार रहने के बाद भी जनता के सुख दुख में सदैव सहभागी रहते हुए विकास कार्यों को निगम महापौर के रुप में आगे बढाया है। महापौर देवेंद्र यादव के प्रयासों के कारण ही डेंगू पर रोकथाम करने में प्रशासन सफल हुआ, भिलाई डेंगू से मुक्त हुआ। महामारी के दौर में भी देवेंद्र यादव एक एक अस्पताल में जाकर मरीजों का हाल जानते रहे तथा प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करके सहयोग की मांग कर डाली। महापौर देवेंद्र यादव में कुछ कर गुजरने का जज्बा जनता को समझ में आ चुका है। कुछ कर गुजरने का जज्बा प्रेमप्रकाश पांडेय में भी है वे जो ठान लेते हैं करके रहते हैं। भिलाई में प्रेमप्रकाश पांडेय को टक्कर देने के लिए युवा देवेंद्र यादव के सामने आने से उनकी जीत की राह में कांटे की टक्कर जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसे जनता जनार्दन भी स्वीकार कर रही है। बहरहाल प्रेमप्रकाश और देवेंद्र यादव दोनों को जनता का अपार जनसमर्थन चुनावी प्रचार के दौरान देखने को मिल रहा है। कहते हैं चुनाव में अंतिम समय में बाजी पलट जाती है देखते हैं कौन प्रत्याशी बाजी मार ले जाएगा और कौन हार का स्वाद चखेगा। इसी क्रम में देवेंद्र यादव के खिलाफ 9 आपराधिक मामलों की जानकारी सोशल मीडिया में डाली गई है तथा प्रेमप्रकाश को अफवाह वाले बाबा तथा दंभी नेता के रुप में चित्रित किया जा रहा है। वोट के लिए एक दूसरे के समर्थन सोशल मीडिया को हथियार बनाए हुए हैं। जबकि साफ तौर पर देवेंद्र के उपर दर्ज सभी मामले राजनीतिक जुलुस धरना के लिए दर्ज अपराध हैं जो कि विपक्ष में बैठे सक्रिय नेता के लिए आम बात है। दूसरी ओर प्रेमप्रकाश के बड़े विकास कार्यों को जनता सदैव याद रखी हुई है। वृहद पेयजल योजना, आई आई टी, स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्व. सहित कई बड़े विकास कार्यों की लंबी फेहरिश्त है। एैसे में दोनों प्रत्याशियों को कमतर आंकना भूल होगी। भिलाईनगर में 40000 युवा वोटर्स हैं, जो कि चुनाव की दशा और दिशा बदलने की ताकत रखते हैं। प्रेमप्रकाश और देवेंद्र दोनों में युवाओं जैसा जोश है युवा वर्ग की पसंद पर चुनाव परिणाम निधारित होना तय हो जायेगा। देखना यह कि महिलाओं का किसको सपोर्ट है भिलाईनगर में महिलाओं का वोट भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की ताकत रखता है। शिक्षित क्षेत्र में चुनाव में बाजी पलटने के लिए किसी का वश नहीं चलता यह इतिहास गवाह है कि शिक्षित व्यक्तियों का वोट योग्यता, व्यवहार कुशलता, विकास कार्यों के प्रतिनिधि को ही जाएगा। परंपरागत रुप से प्रेमप्रकाश के खिलाफ चुनाव लडने वाले बी.डी. कुरैशी और प्रेमप्रकाश कभी दुबारा चुनाव नहीं जीत सके। पांच साल के बाद सदैव परिवर्तन हुआ है। भिलाई की जनता नें कभी किसी को दुबारा मौका नहीं दिया। लगातार चुनाव जीतने के लिए भिलाई में जनता का लाडला अभी तक उत्पन्न नहीं हो सका। इस बार देखना यह कि किसे जिताकर जनता अपना विधायक चुनती है?

(हमारे प्रतिनिधि) दुर्ग। दुर्ग की सीट में वर्तमान विधायक अरुण वोरा के लिए एक चुनौती के रुप में खड़े हुए जनता कांग्रेस जे के प्रत्याशी प्रताप मध्यानी अपने चुनाीव प्रचार में काफी आगे निकलते हुए कड़ी टक्कर दे रहे हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी चंद्रिका चंद्राकर इस चुनावी रेस में पिछड़ती हुई नजर आ रही हैं। दुर्ग में अरुण वोरा की पहचान केवल बाबूजी (मोतीलाल वोरा) के नाम से होती है उनका हर कार्य बाबूजी से पूछकर बताता हूँ घिसा पिटा जवाब सुनकर मतदाता अब परिवर्तन करने के मूड में नजर आ रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में भीड़ तो अवश्य जुट रही है परंतु इस भीड़
 को मत के रुप में परिवर्तित करना चुनाव में अरुण वोरा के के लिए टेढी खीर साबित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर पिछले महापौर चुनाव में प्रताप मध्यानी नें जनता के बीच जो पैठ बनाई है उन्हे उसका फायदा मिलने लगा है। अरुण वोरा और प्रताप मध्यानी के बीच कांटे की टक्कर है भाजपा की स्थिति तीसरे पायदान पर आ टिकी हुई है। भाजपा प्रत्याशी के लिए राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय पूरा जोर दुर्ग में लगा रही हैं परंतु मतदाता और कार्यकर्ता थोपे गए प्रत्याशी को बर्दाश्त नहीं कर रही है।          विधानसभा में सक्रियता के मामले में प्रताप मध्यानी अन्य दोनों प्रत्याशियों से आगे हैं। अपनी क्षमता से निर्णय लेते हैं तथा वहीं दूसरी ओरर अरुण वोरा इसके विपरीत राजनीति में बाबूजी के अलावा किसी को तवज्जो नहीं देते शायद यही कारण है कि चुनावी मैनेजमेंट पूरी तरह से ध्वस्त होता दिखाई दे रहा है। मतदाता इस बार परिवर्तन करने के मूड में हैं।

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