छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ (17642)

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों के वोटों की गिनती जारी है। शुरुआती रुझानों में कांग्रेस ने जबरदस्त बढ़त बनाई हुई है, जबकि भाजपा इस बार अपना किला बचाने में पूरी तरह से नाकामयाब रही है। 'चाउर वाले बाबा' के नाम से मशहूर प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी जादू इस बार फेल हो गया और भाजपा पूरे प्रदेश में धराशायी हो गई।  
 
अब सवाल ये उठता है कि आखिर क्या कारण हैं कि जो शख्स लगातार 15 सालों तक प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा, लोग उसे 'चाउर वाले बाबा' के नाम से जानते हैं, अचानक उसका जादू कैसे खत्म हो गया? इस सवाल का जवाब जानने से पहले ये जान लेते हैं कि रमन सिंह को आखिर 'चाउर वाले बाबा' क्यों कहा जाता है? 

दरअसल, साल 2003 में रमन सिंह अपने बेहतरीन काम और साफ छवि के चलते चुनाव जीतकर पहली बार प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर बैठे। इसके बाद भी उनके विकास कार्य जारी रहे। इस दौरान उन्होंने प्रदेश के बुनियादी ढांचे पर काम किया, जैसे कि सड़क और बिजली।

इसके अलावा इंसान की जो बुनियादी जरूरत होती है- खाना, उसपर ध्यान दिया और पूरे प्रदेश में एक योजना शुरू की, जिसके तहत गरीबों को 2-3 रुपये किलो चावल बांटा गया। बस यहीं से रमन सिंह का एक नया नाम पड़ा- चाउर वाले बाबा यानी चावल वाले बाबा। चलिए अब जान लेते हैं कि 'चाउर वाले बाबा' यानी रमन सिंह का जादू इस बार प्रदेश में क्यों नहीं चला? 

इसके कई कारण हैं। पहला ये कि साल 2003 से लगातार सत्ता में रही भाजपा को इस बार विरोधी लहर का सामना करना पड़ा। कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए इस बार जीतोड़ मेहनत की और डॉ. रमन सिंह के खिलाफ खूब प्रचार-प्रसार किया, जिसका फायदा भी उन्हें मिला और भाजपा का मजबूत गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में उसका का सूपड़ा साफ हो गया।   

दूसरा कारण है राज्य के किसानों की सरकार के प्रति नाराजगी। राज्य में भले ही रमन सिंह को 'चाउर वाले बाबा' के नाम से जाना जाता हो, लेकिन इस बार की हकीकत कुछ और ही थी। इस बार किसानों की नाराजगी उनपर भारी पड़ी है और किसानों का ये गुस्सा इस बार सरकार के खिलाफ वोट के रूप में निकल कर आया। दरअसल, पिछले कुछ महीनों की बात करें तो पूरे देश के किसानों ने इस बार एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और निश्चित तौर पर इस प्रदर्शन का असर राज्यों पर भी पड़ा। 

सरकार बनाने की चाबी आदिवासियों के हाथ 

छत्तीसगढ़ की सियासत में यह माना जाता है कि चुनाव में जिसके साथ यहां का आदिवासी समुदाय होता है, उसकी सरकार बननी तय है, क्योंकि प्रदेश में आदिवासियों का एक बड़ा वोट बैंक है। बता दें कि छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 सीटों में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो राज्य में भले ही भाजपा ने सरकार बना ली, लेकिन आदिवासी सीटों पर वो अपनी मजबूत पकड़ नहीं बना पाए। साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस ने कुल 29 आदिवासी सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा को महज 11 सीटें मिली थीं। 

इस बार भी आदिवासी इलाकों में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। भाजपा सिर्फ शहरी इलाकों में ही अच्छा प्रदर्शन करती दिख रही है, जबकि आदिवासी बहुल इलाकों में इस बार भी भाजपा पिछड़ती हुई नजर आ रही है। 

नक्सलवाद पर लगाम लगाने में नाकाम रही सरकार 

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद पूरी तरह से हावी है। यहां भाजपा 15 सालों से सत्ता में है, इसके अलावा केंद्र में भी भाजपा की ही सरकार है, लेकिन इसके बावजूद रमन सरकार नक्सलवाद पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हुई। इस बार भी नक्सलवादी क्षेत्रों में लगातार नक्सली हमले होते रहे, लेकिन सबसे खास बात ये रही है कि इस बार इन क्षेत्रों में भारी मतदान भी हुआ। नतीजों से इतना तो साफ जाहिर हो रहा है कि इस बार यहां की जनता रमन सिंह की सरकार के खिलाफ ही थी। 

काम आया कांग्रेस का वादा 

चूंकि सूबे के किसान पहले से ही भाजपा सरकार से नाराज थे, इसका फायदा कांग्रेस ने खूब उठाया। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि किसानों के सभी कर्ज माफ कर दिए जाएंगे। उनका यह वादा उनके लिए वरदान साबित हुआ और राज्य में रमन सिंह की सरकार का पत्ता साफ हो गया। 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने सबको चौकाते हुए विधानसभा चुनावों में जीत की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कांग्रेस के लिए बड़ा सवाल यही है कि आखिर राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। सूत्रों की मानें CM की रेस में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष भूपेश बघेल का नाम सबसे आगे चल रहा है। यही सवाल पर प्रदेश प्रभारी पी एल पुनीया से पूछा गया तो उन्होंने इस बात से इनकार नहीं किया। 

उधर राज्य में कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाना शुरू कर दिया है। कार्यकर्ता इस जीत के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भूपेश बघेल का धन्यवाद कर रहे हैं। भूपेश बघेल पर चुनाव से पहले कई आरोप भी लगे थे और उन्हें CD कांड में जेल भी जाना पड़ा था। 

एफसीआई गोदाम में 11 दिसंबर को होने वाले मतगणना कार्य के दौरान गणना के सुपरवाइजर की सामान्य केलकुलेटर अपने साथ ले जा सकेंगे, राजनीतिक दलों के अभिकर्ताओं को इसकी अनुमति नहीं होगी। वहीं गणना में लगे अधिकारियों व कर्मचारियों को अंग्रेजी के अंकों का इस्तेमाल करते हुए गणना करने की समझाइश दी गई है ताकि असुविधा न हो। दूसरे चरण के प्रशिक्षण में रविवार को जिला निर्वाचन अधिकारी भीम सिंह ने सभी अधिकारियों व कर्मचारियों को गणना कार्य में जरा भी लापरवाही नहीं बरतने की सीख देते हुए गलती होने पर कार्रवाई करने की चेतावनी भी दी।

कलेक्टोरेट सभाकक्ष राजनांदगांव में मतगणना कार्य के संबंध में लगे अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में रिटर्निंग एवं सहायक रिटर्निंग ऑफिसर, गणना पर्यवेक्षक, गणना सहायक, माइक्रो ऑब्जर्वर आदि अधिकारी-कर्मचारियों को पूरे मतगणना प्रक्रिया के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई। विधानसभा क्षेत्र डोंगरगढ़ के सामान्य प्रेक्षक वी संपत, उप जिला निर्वाचन अधिकारी ओंकार यदु, एडीएम एके वाजपेयी, आयुक्त नगर निगम अश्वनी देवांगन सहित अधिकारी उपस्थित थे।

पान, गुटखा भीतर नहीं ले सकते : मतगणना स्थल में किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा पान, गुटका, धूम्रपान पूर्णत: वर्जित होगा।

कोई भी बख्शे नहीं जाएंगे

कलेक्टर ने निर्वाचन कार्य में लगे सभी अधिकारी-कर्मचारियों को मतगणना के दौरान अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी सजगता एवं सावधानी के साथ करने को कहा। उन्होंने कहा कि मतगणना कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही एवं गलती बिल्कुल भी क्षम्य नहीं होगा। उन्होंने अधिकारी-कर्मचारियों को मतगणना के संबंध में निर्वाचन आयोग से प्राप्त निर्देशों के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारियां दी।

बिलासपुर. हाईकोर्ट ने छत्तीसगढ़ टेक्नीकल एजुकेशन (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम 2002 के तहत तीन साल की संविदा पर नियुक्त होने के बाद से प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों में सालों से कार्यरत 79 सहायक प्राध्यापकों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी प्रस्तुत करने के तीन माह के भीतर नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। 

सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त करते हुए चीफ जस्टिस की बेंच ने सुनाया फैसला  राज्य सरकार ने नई नियुक्ति करने के लिए विज्ञापन जारी किया था, इसके खिलाफ याचिकाएं सिंगल बेंच ने खारिज कर दी थी। चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच ने अपील मंजूर करते हुए सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है। 
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    राज्य सरकार ने प्रदेश में संचालित इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के लिए 8 जुलाई 2002 को छत्तीसगढ़ टेक्नीकल एजुकेशन तीन वर्षीय संविदा सेवा (भर्ती एवं सेवा शर्तें) नियम 2002 जारी किया। इस नियम के तहत नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया।

     

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    पूरी प्रक्रिया और आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए इंजीनियरिंग कॉलेजों में सहायक प्राध्यापकों और पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में व्याख्याता के पदों पर तीन वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्तियां की गई, इसमें गोपी साव, बीएस कंवर, डॉ. रानी पुष्पा बघेल, संजीव कुमार सिंह सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों का चयन किया गया। 

     

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    तीन वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त होने से बाद से वे लगातार कार्यरत हैं। राज्य सरकार ने इन पदों पर नियमित भर्ती करने के लिए 2015 में विज्ञापन जारी किया। हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिकाएं प्रस्तुत की गईं। कुछ याचिकाओं में जहां 2015 में जारी विज्ञापन को निरस्त करने की मांग की गई थी, वहीं अन्य याचिकाकर्ताओं ने सालों से संविदा पर कार्यरत होने का हवाला देते हुए नियमित करने का निर्देश देने की मांग की थी। 

     

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    सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने जनवरी 2017 में याचिकाएं खारिज कर दी थीं, इसके खिलाफ 79 अपील प्रस्तुत की गई थी। अपीलों पर चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त करते हुए अपील प्रस्तुत करने वाले 79 अभ्यर्थियों को नियमित करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने आदेश की कॉपी प्रस्तुत करने के तीन माह के भीतर नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश भी दिए हैं।

     

  6. कोर्ट उनके साथ जिनकी आजीविका संकट में 

     

    हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति अधिसूचना के तहत विज्ञापन जारी करने के बाद सभी नियम, प्रक्रिया और आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए की गई थी। याचिकाकर्ता किराए पर कार्य नहीं कर रहे थे। कोर्ट की जिम्मेदारी है कि उनके पक्ष में रहे जिनके जीवन और आजीविका पर संकट है। 

रायपुर . राज्य में पहली बार 1.07 लाख पोस्टल व सर्विस वोटों की गिनती की जाएगी। ऐसा इसलिए क्योंकि पहली बार इतनी संख्या में सरकारी कर्मचारियों ने डाक मतपत्रों व ईटीपीबीएस के जरिए मतदान किया है। 

 

यही वजह है कि 11 दिसंबर को  सुबह 7 बजे तक  मतगणना स्थल तक डाक मतपत्रों को   पहुंचाने के लिए सभी जिलों में डाकियों को स्पेशल पास भी दिए गए हैं।  प्रदेश के बाहर सरकारी ड्यूटी में तैनात राज्य के मतदाताओं को पहली बार ईटीपीबीएस के तहत ऑनलाइन भेजे गए थे। राज्य के बाहर से इसके जरिए वोट देने वाले कर्मचारियों की तादाद 14,720 है। ईटीबीएस ऑनलाइन जारी करते वक्त ऐसे कर्मचारियों को एक पिन नंबर भी जारी किया गया था।

 वहीं ऑनलाइन भेजे गए सर्विस वोटों के लिए एक बार कोड भी दिया गया है, जबकि चुनाव ड्यूटी करने वाले सरकारी कर्मचारियों में से 88,141 कर्मचारियों को डाक मतपत्र जारी किए थे। पिछले चुनाव में करीब 56 हजार कर्मचारियों को डाक मतपत्र जारी किए गए थे। इस बार 1.15 लाख आवेदन आए थे। इनमें से जानकारी अपूर्ण होने की वजह से करीब 8 हजार आवेदन निरस्त कर दिए गए थे। कर्मचारी के डाक के जरिए दिए गए  पोस्टल बैलेट की गोपनीयता पूरी तरह सुरक्षित की जाती है। आम लोगों की तरह सरकारी कर्मचारी का वोट भी गोपनीय रहता है। इसके लिए काउंटिंग के दिन जब पोस्टल वोट गिने जाते हैं तो सबसे पहले घोषणा पत्र यानी सरकारी कर्मचारी के सर्टिफिकेट को एक बार देखकर सुनिश्चित करने के बाद उसे अलग रख दिया जाता है और वोटों को मिक्स करके गिना जाता है।

रायपुर . सीडी कांड मामले में मतगणना के दूसरे ही दिन बुधवार को सीबीआई स्पेशल कोर्ट में सुनवाई है। इसमें सीडी कांड के आरोपी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, कारोबारी विजय भाटिया, पत्रकार विनोद वर्मा और भाजपा से निष्कासित कैलाश मुरारका पेश होंगे।

 

 इस मामले में आरोपी विजय पांड्या की अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। कोर्ट ने उसके खिलाफ एक महीना पहले ही गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। सीबीआई उसकी तलाश कर रही है। आरोपी मामला फूटने के बाद से फरार है। 

सीबीआई ने उसकी तलाश में रायपुर से लेकर मुंबई तक छापेमारी की है, पर कहीं भी वह नहीं मिला है। पांड्या पूरे मामले में मुख्य भूमिका है। उसने ही सीडी टेंपर करने के लिए स्टूडियो संचालक मानस साहू से मुलाकात कराई थी। जब पोर्न वीडियो को टेंपर किया जा रहा था, तो वह भी स्टूडियो में बैठा हुआ था। वह मृत कारोबारी रिंकू खनूजा का दोस्त है।

 

सभी आरोपियों को हर सुनवाई में उपस्थित होने और देश नहीं छोड़ने की शर्त पर कोर्ट ने जमानत दी है। इसलिए उन्हें हर पेशी में उपस्थित होना जरूरी है। अगर पेशी में उपस्थित नहीं हो पाए तो उसका पर्याप्त आधार कोर्ट में बताना होगा। आरोपी पांड्या की गिरफ्तारी नहीं होने के कारण कोर्ट ने भी चार्जशीट पर बहस शुरू नहीं की है।

 

 आरोपी के पकड़े जाने पर ही सीबीआई के द्वारा पेश किए गए फाइनल चार्जशीट पर बहस होगी। सीबीआई और बचाव पक्ष के वकील आरोप पत्र पर बहस करेंगे। उसके बाद गवाही शुरू होगी। इस मामले में सौ लोगों को गवाह बनाया गया है। सभी को बारी-बारी कोर्ट बुलाया जाएगा। सीडी कांड में सीबीआई की जांच अभी भी जारी है। इसमें नया साक्ष्य मिलने पर सीबीआई पूरक चालान पेश कर सकती है। सबूत के आधार पर गवाहों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।  हालांकि रायपुर से सीबीआई के सभी अधिकारी और कर्मचारी लौट गए हैं। जांच टीम का कोई भी सदस्य यहां नहीं है।

 

ढाई माह पहले पेश हुई थी फाइनल चार्जशीट : सीबीआई ने 24 सितंबर को सीडी कांड की फाइनल चार्जशीट पेश की थी। सीबीआई ने अपनी पड़ताल के आधार पर पांच आरोपी बनाए हैं, जिनके खिलाफ चार्जशीट पेश की गई है। छठवें आरोपी की मौत के कारण उसके खिलाफ चार्जशीट पेश नहीं की गई। इसमें कैलाश मुरारका को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जिसने पोर्न वीडियो में मंत्री राजेश मूणत का चेहरा लगाने के लिए पैसा दिया।

 

सीडी बनाने वह खुद मुंबई गया था। मृत कारोबारी रिंकू और फरार आरोपी पांड्या ने मिलकर सीडी बनाया था। पत्रकार विनोद वर्मा ने टेंपर सीडी की दिल्ली में एक हजार कॉपी कराई। उसमें से पांच सौ सीडी विजय भाटिया को दी गई, जिसे लेकर वे रायपुर आ गए। इसी सीडी को वायरल करने का आरोप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल पर है। सीडी कांड में सभी ने मिलकर साजिश रची थी। दिल्ली के होटल में उनकी बैठक भी हुई थी। सभी के फुटेज सीबीआई ने कोर्ट में जमा किए है।

पांच राज्यों के चुनाव नतीजे मंगलवार हो आ जाएंगे। यदि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की सत्ता गई तो उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। दरअसल कांग्रेस इस ताक में है कि उसकी सरकार बनी तो राज्य के चर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच भ्रष्टाचार निवारण ब्यूरो, आर्थिक अपराध शाखा और सीबीआई से कराएगी।
 
 
इस मामले में सामने आई एक डायरी ने कांग्रेस को भाजपा पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। पार्टी के मुताबिक डायरी में मुख्यमंत्री और उनके परिजन सहित कई मंत्री और वरिष्ठ नौकरशाहों के नाम कोड वर्ड में अंकित हैं। इस मामले में कई महीने बाद खासकर चुनाव के दौरान जांच एजेंसियां कुछ बड़े नौकरशाह के खिलाफ सक्रिय हुईं। इससे पहले छोटे कर्मचारी और अधिकारी ही जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे। 

‘छोटी मछलियों का शिकार कर बड़ों को बचा रहीं जांच एजेंसी’

जांच एजेंसियों को पिछले साल तब बिलासपुर हाईकोर्ट से झटका लगा, जब उनकी ओर से पेश किए गए तीन सरकारी गवाहों को अदालत ने आरोपी बनाने का आदेश दिया था। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस घोटाले का संज्ञान लिया था। 

घोटाले से जुड़ी डायरी सामने लाने वाले आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे के मुताबिक यह हजारों करोड़ रुपये का घोटाला है और इसमें सरकार के शीर्ष पर बैठे नेता, अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं। जांच एजेंसियां बड़े लोगों के बदले छोटी मछलियों का शिकार कर मामले पर पर्दा डाल रही हैं। आरोपों के घेरे में रहे शीर्ष नेता व नौकरशाहों से पूछताछ तक नहीं हुई है।

कोरबा 7 दिसम्बर । बिलासपुर के कांग्रेस भवन में बिलासपुर संभाग के 19 विधानसभा के प्रत्याशी एवं उनके मतगणना अभिकर्ताओं को वोट गिनती की बारीकियां बताई गई।

पूर्व महापौर किरणमयी नायक एवं उनके टीम के सदस्यों ने मतों की गिनती के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना हैै व कहां-कहां गड़बडिय़ां हो सकती है तथा मतगणना एजेंटों को कब और क्या-क्या सामग्री लेकर जाना होता है की सम्पूर्ण जानकारी दी। किरणमयी नायक ने कहा कि 11 दिसम्बर को जनता के समर्थन की कहीं गड़बड़ी ना होने पाए इस हेतु मतगणना अभिकर्ता को अपने-अपने टेबल पर मुस्तैद रहना होगा। अभिकर्ता अपने-अपने प्रत्याशी के भाग्य विधाता हैं जो 11 दिसम्बर को उनकी तकदीर बदलेंगे। वरिष्ठ पत्रकार रूचिर गर्ग, वरिष्ठ कांग्रेस नेता शैलेन्द्र खण्डेलवाल आदि ने भी मतगणना की बारीकियों को समझाया।

रायपुर, 07 दिसंबर । मतगणना की तिथि नजदीक आते ही जहां राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो गई हैं तो वहीं ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका पर कांग्रेस के कार्यकर्ता स्ट्रांग रूम परिसर में चौबीस घंटे पहरा दे रहे हैं। इसी कड़ी में कल रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय ने भी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाते हुए यहां रात बिताई। रायपुर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी विकास उपाध्याय ने कहा कि जिस तरह से अभनपुर, धमतरी, जगदलपुर की घटना सामने आई है, इससे ईवीएम में छेड़छाड़ की आशंका काफी बढ़ गई है। इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने एक षडय़ंत्रकारी राजनीतिक दल भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा है। श्री उपाध्याय ने कहा कि इतिहास में देखें तो जिस तरह कर्नाटका और गुजरात में भाजपा के नेताओं पर ईवीएम से छेड़छाड़ कराने का आरोप लग चुका है, इससे समझा जा सकता है कि भाजपा किस तरह से जनादेश को बदलने के लिए षडय़ंत्र रचती है। उन्होंने कहा कि यहां सेजबहार के इंजीनियरिंग कालेज में कांग्रेस के कार्यकर्ता  20 नवंबर से लगातार चौकसी कर रहे हैं। कांग्रेस के कार्यकर्ता यहां बारी-बारी से चौबीसों घंटे पहरा दे रहे हैं। इसके बाद भी षडय़ंत्र करने वाले बाज नहीं आ रहे हैं।

त्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों ने अपने दो पूर्व साथियों की हत्या कर दी है। जिनकी हत्या की गई है वह दोनों वर्तमान में पुलिस के लिए काम करते थे। बता दें बस्तर एक नक्सल प्रभावित जिला है।

 

बस्तर जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले के दरभा थाना क्षेत्र के पखनार गांव के साप्ताहिक बाजार में नक्सलियों ने मंगलवार शाम जल्लू और भीमा नामक व्यक्तियों की धारदार हथियार से हत्या कर दी। जल्लू और भीमा ने दो वर्ष पहले आत्मसमर्पण किया था। इस वक्त दोनों गोपनीय सैनिक के रूप में काम कर रहे थे।

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि जल्लू और भीमा शाम को पखनार बाजार में थे तभी नक्सलियों के एक दल ने उन पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया।

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