छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ (17642)

रायपुर, । छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अश्लील सीडी कांड के आरोपित भाजपा नेता कैलाश मुरारका ने सीबीआई कोर्ट में शपथ पत्र देकर खुलासा किया है कि सीडी बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और एक निजी चैनल के मालिक सुरेश गोयल ने कहा था। मुरारका ने सीबीआई से इन दोनों की जांच की मांग भी की है। मुरारका ने कहा कि सीडी मामले की जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को पहले से ही थी। अगस्त 2018 में सीएम हाउस को पता लगा कि सुरेश गोयल ने लवली खनूजा से बातचीत में अश्लील सीडी के लिए 5 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है।

सीएम हाउस के कहने पर वह मुंबई गया था, जहां रिंकू खनूजा ने उसे बताया कि उसके पास मंत्रियों की अश्लील सीडी थी ही नहीं, लेकिन सुरेश गोयल लवली खनूजा के साथ मिलकर कई वर्षों से रमन सिंह को ब्लैकमेल करके पैसा वसूल कर रहा है। रिंकू खनूजा ने उसे सुरेश गोयल के साथ टेलीफोन वार्तालाप की एक आडियो क्लिप भी दी थी। जिसकी ट्रांस्क्रिप्ट उसने शुक्रवार को कोर्ट में प्रस्तुत किया है।

मुरारका ने कोर्ट को बताया कि इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी अरुण बिसेन ने विजय पांड्या के साथ दिल्ली में मुलाकात की थी। यह जानकारी सीबीआई टीम को भी दी थी, लेकिन कोई जांच नहीं हुई। सीबीआई जांच सही दिशा में नहीं है।

रायपुर, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव में जन घोषणापत्र के बूते बड़े संख्याबल के साथ सत्ता में आई कांग्रेस यही फार्मूला लोकसभा चुनाव में भी आजमाने जा रही है। कांग्रेस अब लोकसभा चुनाव के लिए भी लोगों की राय से घोषणापत्र तैयार करने में जुट गई है।

 रायपुर के एक निजी होटल में शनिवार 11.30 बजे से एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया के मुख्य आतिथ्य में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के घोषणापत्र जन आवाज चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस मौके पर जन घोषणापत्र के लिए सुझाव लेने के लिए कोल्लम जिला कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष बिंदू कृष्ण, एआइसीसी के कोआर्डिनेटर अमोद देशमुख के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले के. राजू भी मौजूद रहेंगे।

आयोजन के प्रथम सत्र में हेल्थ केयर, कुपोषण और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के खराब कामकाज, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन, भुखमरी से होने वाली मौतों, स्वास्थ्य सेवाओं तक आम आदमी की पहुंच, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा के निजीकरण, आयुष्मान भारत मिशन की समस्याओं सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। दूसरे सत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के संबंध में भी घोषणापत्र समिति आम

लोगों, शिक्षाविदों, स्वयंसेवी संगठनों की राय लेगी

दोपहर 2.30 बजे समिति वरिष्ठ नेताओं और वरिष्ठ पत्रकारों से भी घोषणापत्र पर राय लेगी। आयोजन में मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, सीडब्ल्यूसी सदस्य, प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति के अध्यक्ष एवं लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू, पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया, प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी, प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन, मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी सहित अन्य कांग्रेस नेता निमंत्रण पर उपस्थित रहेंगे।

देश में 150 जगहों पर होंगे आयोजन

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने बताया कि जनआवाज के माध्यम से कांग्रेस समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित कर उनसे सुझाव लेना चाहती है। इसके लिए देश भर में 150 से अधिक स्थानों पर जन समुदाय और विभिन्न् संगठनांे के लोगों से मिलने का कार्यक्रम बनाया गया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मंशा और उनका दृढ़ विश्वास है कि एक राजनीतिक दल को संवेदनशीलता से देश की जनता की आवाज को सुनना चाहिए। दुर्भाग्य से आज सत्तारूढ़ एनडीए सरकार लोगों की आवाज को न सिर्फ कुचल रही है बल्कि जन भावना का दमन भी कर रही है। उन्होंने बताया कि अगले दो महीने में कांग्रेस की मेनिफेस्टों समिति के 20 समूहों में बंटे सदस्य सार्वजनिक चर्चा, बैठक, विभिन्न् क्षेत्रों के विशेषज्ञों से विचार विमर्श कर उनकी राय जानेंगे।

  • नेता प्रतिपक्ष के चयन के चलते भाजपा की ओर से सिर्फ विधायक पुन्नू लाल मोहिले ही विधानसभा पहुंचे
  • अंबिका सिंहदेव ने अंग्रेजी में और चिंतामणि महाराज ने संस्कृत में ली शपथ 

रायपुर. छत्तीसगढ़ की 5वीं विधानसभा का सत्र शुक्रवार से शुरू हो गया। पहले दिन की कार्यवाही बिना विपक्ष के ही शुरू हुई। नेता प्रतिपक्ष के चयन के चलते भाजपा की ओर से सिर्फ विधायक पुन्नू लाल मोहिले ही विधानसभा पहुंचे। इस दौरान विधायकों को शपथ दिलाई गई। कार्यवाही 7 जनवरी (सोमवार) तक के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा का शीत सत्र 11 जनवरी तक चलेगा। 

 

प्रोटेम स्पीकर ने सबसे पहले सीएम को दिलाई शपथ
सबसे पहले दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजली दी गई। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर रामपुकार सिंह ने सदस्यों को शपथ दिलाई। सबसे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शपथ ग्रहण की। उन्होंने राजभाषा छत्तीसगढ़ी में शपथ ली। खास बात यह रही कि विधानसभा में छत्तीसगढ़ी के साथ-साथ विधायकों और मंत्रियों ने अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी में भी शपथ ली। दुर्घटना में चोटिल होने की वजह से मोहले ने अपनी जगह पर ही बैठकर शपथ ली। 

 अंबिका सिंहदेव ने अंग्रेजी, चिंतामणि ने संस्कृत में ली शपथ
अंबिका सिंहदेव ने अंग्रेजी में शपथ ली, जबकि चिंतामणि महाराज ने संस्कृत में। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर रामपुकार सिंह ने भी उन्हें संस्कृत में ही जवाब दिया। उन्होंने चिंतामणि महाराज को धन्यवादम कहा। मंत्री टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, अनिला भेड़िया, सत्यनारायण शर्मा, धनेन्द्र साहू, रश्मि सिंह, रामकुमार यादव, चरणदास महंत, केशव प्रसाद चंद्रा विनोद चंद्राकर, अनिता योगेन्द्र शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने भी छत्तीसगढ़ी में शपथ ली। बाकी के विधायकों को हिंदी में शपथ दिलाई गई। 

 विधानसभा अध्यक्ष ने दिलाई भाजपा विधायकों को शपथ

भाजपा के सभी विधायक देरी से विधानसभा पहुंचे। जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत ने शपथ दिलाई। भाजपा विधायक शिवरत शर्मा, धरमलाल कौशिश, रजनीश कुमार सिंह, डॉ. कृष्ण मूर्ती बांधी, सौरभ सिंह, बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ी में शपथ ग्रहण की। वहीं विधायक नारायण चंदेल, डमरूधर पुजारी, अजय चंद्राकर, रंजना दिपेंद्र साहू, विद्या रतन भासीन, पूर्व सीएम रमन सिंह, ननकीराम कंवर और बस्तर के अकेले विधायक भीमा मंडावी ने हिंदी में शपथ लिया है

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में आज अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रकिया पूरी हुई। सिर्फ एक विधायक डॉ चरणदास महंत ने नामांकन दाखिल किया था। इसी के साथ उन्हें निर्विरोध इस पद पर चुन लिया गया।

सक्ती विधानसभा सीट से विधायक डॉ चरणदास महंत ने शुक्रवार को पांच सेट में अपना नामांकन दाखिल किया था। उनके अलावा और किसी भी दावेदार ने नामांकन दाखिल नहीं किया था। कांग्रेस की ओर से भूपेश बघेल, रविन्द्र चौबे, शिव डहरिया ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा और ताम्रध्वज साहू, प्रेमसाय सिंह और कवासी लखमा उनके समर्थक बने। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की ओर से विधायक धर्मजीत सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा और रेणु जोगी ने समर्थन किया। भाजपा की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा था। शनिवार को विधानसभा के पहले सत्र की पहली बैठक के पहले दिन उन्हें निर्विरोध रूप से अध्यक्ष चुना गया और उन्होंने विधानसभा में अपनी आसंदी ग्रहण की।

डॉ महंत के इस पद पर निर्वाचन के बाद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ नेता और विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि उनके व्यक्तित्व से हम सभी परीचित हैं। वे सबको साथ लेकर चलने वाले नेता हैं। वैसे भी सदन में आसंदी पर बैठने वाले अध्यक्ष किसी पार्टी के नेता नहीं होते। हमें भरोसा है कि डॉ महंत के इस पद पर होने से सदन की कार्रवाई बिना बाधा के चल सकेगी। इससे हम जनहित के मुद्दों को सदन में मजबूती के साथ उठा सकेंगे।

डॉ महंत अपनी सौम्य छवि और सबको साथ लेकर चलने वाले व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। डॉ महंत कांग्रेस के एक अनुभवी नेता हैं और उनका राजनीतिक करियर भी काफी पुराना है। वे 1980 से 90 के बीच दो बार विधायक रहे। 1993 से 98 के बीच मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे। वर्ष 1998 में वे 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। डॉ महंत वर्ष 2006 से 2008 के बीच प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। 2009 में वे पंद्रहवीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में वे खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री रहे। साल 2014 में वे कोरबा सीट से चुनाव हार गए थे। अभी वे चांपा-जांजगीर जिले की सक्ती विधानसभा सीट से विधायक हैं।

रायपुर। नवगठित 5वीं छत्तीसगढ़ विधानसभा का पहला शत्र आज से शुरू हुआ। इसी के साथ कांग्रेस के नेतृत्व में बनी सरकार ने काम काज शुरू कर दिया है। पहले दिन नव निर्वाचित विधायकों ने विधानसभा में पद और गोपनीयता की शपथ ली। इधर दूसरी तरफ भाजपा, नेता प्रतिपक्ष को लेकर उलझी रही और अंतत: विधायक दल की बैठक में धर्मलाल कौशिक को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पास हुआ। उधर विधानसभा में सदस्य शपथ ग्रहण कर रहे थे, इसी बीच नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा हुई। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक अपनी शांत और सौम्य छवि के लिए जाने जाते हैं। वे छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने भाजपा विधायक दल की बैठक में इनके नाम की घोषणा की।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए भाजपा के कई नेताओं ने अपनी दावेदारी रखी थी। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह सहित बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और पूर्व गृहमंत्री ननकी राम कंवर ने अपनी दावेदारी पेश की थी। इस दावेदारी में धर्मलाल कौशिक का नाम अंतिम दौर में सामने आया था। विधायक दल की बैठक में ही उनके नाम पर मुहर लगी। भाजपा नेता धर्मलाल कौशिक बिल्हा से विधायक हैं। वे पेशे से अधिवक्ता रहे हैं और वर्ष 1990 में सबसे पहले भाजपा के बिल्हा मंडल में महामंत्री बनाए गए थे।

छत्तीसगढ़ के भिलाई में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. जहां एक मां ने अपने बेटे की हरकतों से तंग आकर उसे खुद पुलिस के हवाले कर दिया. दरअसल, वो मां अपने बेटे की चोरी की आदत और बुरी संगति से बहुत परेशान रहती थी. आए दिन उसे शमिंदगी का सामना करना पड़ता था. बेटे को सही रास्ते पर लाने के लिए खुद उस मां ने उसे सलाखों के पीछे भिजवा दिया.

मामला भिलाई के गुरु घासीदास नगर का है. जहां गीता दुबे नामक महिला अपने बेटे और बेटी के साथ रहती है. वह मेहनत-मजदूरी करके अपना घर चलाती है. कुछ समय पहले ही उसने अपनी बेटी की शादी कर दी थी. अब वो और उसका 19 वर्षीय बेटा साथ रहते हैं.

बीमारी के कारण करीब पांच साल पहले गीता के पति की मौत हो गई थी. तभी से परिवार का बोझ उसके कंधों पर आ गया. वो सुबह काम पर निकल जाती है और देर शाम को लौटती है. इसी दौरान उसका बेटा सूरज अपराधी किस्म के कुछ लोगों के संपर्क में आ गया. जहां वो चोरी करना सीखा गया और नशा भी करने लगा.

गीता ने बेटे को कई बार प्यार से समझाया. नहीं माना तो उसकी पिटाई भी की. लेकिन वो नहीं माना. उसे नशे की लत लग गई. लाख कोशिशों के बाद भी जब सूरज सीधे रास्ते पर नहीं आया तो उसकी मां ने उसे जेल भिजवाने में ही भलाई समझी.

 

इसी कोशिश में वह पुलिस थाने जा पहुंची. पहले पुलिस ने उसे घरेलू मामले का हवाला देकर बहला दिया. लेकिन इसके बाद भी गीता नहीं मानी. उसने आला अधिकारियों को अपने बेटे की हरकतों से अवगत कराया. तब जाकर थाना पुलिस हरकत में आई और उसके बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

 

रायपुर। राज्य की नई सरकार ने बुधवार की देर रात अभी तक का सबसे बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए अजय सिंह को मुख्य सचिव पद से हटा दिया। अब वरिष्ठ आईएएस सुनील कुजूर मूल निवासी छोटानागपुर (झारखंड) को छत्तीसगढ़ का नया मुख्य सचिव बनाया गया है। प्रदेश के 18 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब सरकार ने आदिवासी समाज के किसी अफसर को मुख्य सचिव नियुक्त किया है। इससे पहले मिंज व नारायण सिंह समेत एक दो अन्य अफसर अपर मुख्य सचिव के पद तक पहुंचे जरूर, लेकिन राज्य के मुख्य सचिव नहीं बन पाए थे।

बहरहाल, राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार 1983 बैच के आईएएस अधिकारी अजय सिंह को अब राजस्व मंडल बिलासपुर का अध्यक्ष बनाया गया है। 1986 बैच के आईएएस सुनील कुजूर अभी तक कृषि उत्पादन आयुक्त के साथ अपर मुख्य सचिव कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी तथा वाणिज्य एवं उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम विभाग देख रहे थे।

राज्य सरकार ने अभी तक राजस्व मंडल बिलासपुर के अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे वरिष्ठ आइएएस केडीपी राव को कृषि उत्पादन आयुक्त और अपर मुख्य सचिव कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी के पद पर पदस्थ किया है।

सुनील कुजूर के दूसरे विभाग अपर मुख्य सचिव वाणिज्य एवं उद्योग तथा सार्वजनिक उपक्रम विभाग का अतिरिक्त कार्यभार वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव अमिताभ जैन को सौंपा गया है। ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद प्रमुख पदों पर अधिकारियों की लगातार अदला बदली की जा रही है।

पुलिस महकमे में आमूलचूल बदलाव के बाद सरकार ने अब राज्य प्रशासन में सर्वोच्च स्तर का बदलाव किया है। हालांकि प्रदेश में नई सरकार के गठन के साथ ही मुख्य सचिव के तबादले के कयास लगाए जा रहे थे, फिर भी 15 दिनों के भीतर इस तरह का बड़ा फैसला एक बड़ा संदेश देने के लिए है।

आज ही बस्तर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष आदिवासी समाज से बनाए जाने की भूपेश की घोषणा के बाद यह फैसला आदिवासियों के बीच सकारात्मक संदेश देने का सशक्त प्रयास है। दरअसल कांग्रेस अपने इस नारे को सार्थक करने में जी-जान से जुट गई है -'वक्त है बदलाव का।

राजनांदगांव। मामूली विवाद के बाद पिता को मौत के घाट उतारने वाले आरोपी पुत्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। बाघनदी क्षेत्र के ग्राम बंजारी की है। 21 दिसंबर को सेवाराम व उसके पुत्र तोरण पटेल के बीच किसी बाद को लेकर विवाद हो गया। विवाद के बाद पुत्र तोरण आवेश में आकर अपने पिता सेवाराम पर बासुला से दो ताबड़तोड़ वार कर दिया।

पुत्र के वार से पिता बुरी तरह से घायल हो गया था। उपचार के लिए उसके सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया जा रहा था। इसीबीच सेवाराम ने दम तोड़ दिया। आरोप से बचने आरोपी पुत्र ने पूरे मामले को सड़क दुर्घटना में तब्दील कर दिया। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की।

जांच में पूरा माजरा समझ आ गया। पूछताछ के बाद आरोपी पुत्र ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पुलिस आरोपी पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र शुरू होने में सिर्फ 24 घंटे बाकी है, लेकिन भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो पाया है। छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब विधायकों की शपथ का कार्यक्रम तय होने के बाद भी नेता प्रतिपक्ष की घोषणा नहीं हो पाई है।

हाल यह है कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक पर्यवेक्षक तक की घोषणा नहीं की है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश और राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के लिए पर्यवेक्षक की घोषणा होनी है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के पर्यवेक्षक की घोषणा अटक गई है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक से बताया कि पहले पर्यवेक्षक के नाम की घोषणा दिल्ली से होगी। जब पर्यवेक्षक यहां आएंगे तब ही नेता प्रतिपक्ष तय होंगे। ये प्रक्रिया कब तक होगी, इस पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो पर्यवेक्षक नहीं आने के कारण विधायकों के शपथ के बाद भी नेता प्रतिपक्ष की घोषणा हो सकती है।

वर्ष 2013 में विधायकों के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही कांग्रेस ने टीएस सिंहदेव को नेता प्रतिपक्ष घोषित कर दिया था। विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद गौरीशंकर अग्रवाल ने विधानसभा में भाषण दिया। इसके बाद टीएस सिंहदेव ने विधानसभा को संबोधित किया था। इस दौरान वे बंद गले का कोट पहनकर विधानसभा पहुंचे थे।

रमन-बृजमोहन में फंसा पेच

नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के बीच पेच फंस गया है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो करीब 11 विधायकों ने बृजमोहन अग्रवाल को नेता प्रतिपक्ष बनाने के लिए केंद्रीय संगठन से सिफारिश की है। इसमें आदिवासी विधायक ननकीराम कंवर भी शामिल हैं। बृजमोहन अग्रवाल पार्टी विधायकों में सबसे वरिष्ठ हैं और लगातार चुनाव जीत रहे हैं। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व अगर आदिवासी नेता प्रतिपक्ष का प्रस्ताव देता है, तो बृजमोहन खेमा ननकीराम कंवर का समर्थन करेगा।

नेता प्रतिपक्ष के लिए क्या है नियम

विधानसभा सचिव चंद्रशेखर गंगराड़े ने बताया कि विधायकों के शपथ ग्रहण से पहले नेता प्रतिपक्ष की जानकारी देने का कोई प्रावधान नहीं है। विपक्ष के नेता की जब जानकारी दी जाती है, विधानसभा में उसकी सूचना जारी कर दी जाती है। विधानसभा अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद नेता प्रतिपक्ष की जानकारी आवश्यक होती है। उन्होंने बताया कि चार जनवरी के बाद भी भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष की जानकारी दी जा सकती है।

रायपुर। पिछली भाजपा सरकार के समय लगातार लूप लाइन में रहे अपर मुख्य सचिव आईएएस केडीपी राव कि मंत्रालय वापसी हो गई है। गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से केडीपी राव को रमन सरकार ने मंत्रालय से बाहर रखा था। इसके पीछे वजह थी कि केडीपी राव को कुछ साल पहले जब बिलासपुर कमिश्नर बनाया गया तो उन्होंने पदस्थापना को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद लगातार सरकार और केडीपी राव के बीच कश्मकश चलती रही। इस बीच उन्हें लगातार मंत्रालय से बाहर रखा गया।

 

विदित हो कि राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष केडीपी राव प्रमुख सचिव से प्रमोट होकर अप्रैल 2018 में अपर मुख्य सचिव बन गए। 1988 बैच के आईएएस केडीपी राव राज्य के छठवें अपर मुख्य सचिव होंगे। विवेक ढांड के रिटायरमेंट लेने के बाद अपर मुख्य सचिव का एक पद खाली हुआ था।

 

24 अप्रैल 2018 को मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव के पद के लिए डीपीसी हुई थी, जिसमें राव के नाम पर मुहर लगी थी। मुख्य सचिव अजय सिंह ने राव के प्रमोशन का आदेश जारी किया था। केडीपी राव एक तेजतर्रार ईमानदार अधिकारी हैं। वे छत्तीसगढ़ में छठवें अपर मुख्य सचिव हैं।

बिलासपुर कमिश्नर के पदस्थापना के बाद शुरू हुआ था विवाद

 

वर्ष 2014 केडीपी राव को बिलासपुर कमिश्नर बनाया गया था। उनका मानना था कि यह पद उनके अनुकूल नहीं है लिहाजा बहुत जद्दोजहद के बाद उन्होंने यहां जॉइनिंग दी थी, तब से वे पिछली सरकार के हिट लिस्ट में आ गए थे। केडीपी राव का कार्यकाल नवंबर 2019 तक है, लिहाजा अब उनकी मंत्रालय वापसी के बाद नई सरकार भी चर्चा में आ गई है।

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