ईश्वर दुबे
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Bhilai
शिमला। हिमाचल प्रदेश की ऊंची पहाड़ियों में मध्यम से भारी बर्फबारी जारी रही जबकि राज्य की राजधानी शिमला में इस मौसम की पहली बर्फबारी हुई।उधर उत्तराखंड के मसूरी में सीजन की बर्फ गिरी। बर्फबारी से निवासियों, पर्यटकों और किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। शिमला बर्फ की पतली चादर में लिपटा दिखा जबकि कुफरी और फागु के बीच पांच किलोमीटर का इलाका पूरी तरह से बर्फ से ढंक गया। ठंड के बावजूद पर्यटक और निवासी बर्फ का आनंद लेने के लिए शहर के मध्य में स्थित माल रोड और रिज पर इकट्ठा हुए।
शिमला में बुधवार रात को भारी ओलावृष्टि हुई और उसके बाद रुक-रुक कर बारिश हुई। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, राज्य में छह राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 240 से अधिक सड़कें यातायात के लिए बंद कर दी गई हैं और भारी बर्फबारी एवं बारिश के कारण 677 ट्रांसफार्मर प्रभावित हुए हैं। केंद्र ने कहा कि किन्नौर और लाहौल एवं स्पीति के आदिवासी जिलों में 165 सड़कें अवरुद्ध हैं। कुफरी, फागु और नारकंडा में भारी बर्फबारी के कारण सड़कें अवरुद्ध होने से ढली से आगे शिमला के ऊपरी क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही रुक गई है।
राज्य के 12 में से पांच जिलों में मंगलवार रात से रुक-रुक कर बर्फबारी जारी है और स्थानीय मौसम कार्यालय ने एक फरवरी को पांच जिलों शिमला, कुल्लू, चंबा, किन्नौर और लाहौल एवं स्पीति में अलग-अलग स्थानों पर भारी बर्फबारी और बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं, तीन और चार फरवरी को आंधी तथा बिजली गिरने के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
भारी बर्फबारी के पूर्वानुमान से किसानों और फल एवं सब्जी उत्पादकों को राहत मिली है जिन्हें लंबे समय तक सूखे के कारण फसल का भारी नुकसान हुआ था। कृषि विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि बारिश का मौसम रबी फसलों के लिए फायदेमंद होने की संभावना है।
चेन्नई । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी मुद्रा उल्लंघन मामले की जांच के सिलसिले में चेन्नई की एक प्रमुख सीमेंट निर्माता कंपनी के कार्यालयों पर छापेमारी की है। सूत्रों ने बताया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड के चेन्नई में दो परिसरों और दिल्ली स्थित एक कार्यालय पर छापेमारी की गई। कंपनी ने कहा कि उसने एजेंसी के साथ जांच में सहयोग किया है। कंपनी ने एक बयान में कहा, प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने बुधवार और गुरुवार को चेन्नई में हमारे कॉर्पोरेट कार्यालय का दौरा किया। एजेंसी ने यह पता लगाने के लिए तलाशी ली कि क्या फेमा से जुड़ी कोई अनियमितता है। हमने एजेंसी द्वारा मांगे गए सभी जरूरी दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं। हम उम्मीद करते हैं कि इस जांच का कंपनी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
चुराचांदपुर। मणिपुर के चुराचांदपुर जिले के एक जनजातीय संगठन ने भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने का कड़ा विरोध किया है। संगठन ने कहा कि वह भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र के फैसले का विरोध करेगा। इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने एक बयान में कहा कि संगठन ने जिला मुख्यालय में स्थानीय लोगों के साथ शनिवार को एक सभा का आयोजन किया था। इस दौरान भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच मुक्त आवागमन व्यवस्था को रद्द करने के केंद्र के फैसले का विरोध करने का संकल्प लिया गया। दरअसल मुक्त आवागमन व्यवस्था सीमा के दोनों ओर रहने वाले लोगों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक की यात्रा करने की अनुमति देती है। इसमें भारत के चार राज्य- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम, म्यांमा के साथ 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा के दायरे में आते हैं। संगठन के बयान में कहा गया कि आईटीएलएफ ने कुकी जो समुदाय के लोगों के राजनीतिक भविष्य के लिए मिजोरम सरकार से मुलाकात करने का भी फैसला किया। बता दें कि म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद यहां के 31,000 से अधिक लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। इनमें से ज्यादातर चिन राज्य से हुड़े हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 जनवरी को गुवाहाटी में कहा था कि सरकार भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की मुक्त आवागमन व्यवस्था को समाप्त कर देगी और सीमा पर बाड़ लगाएगी। संगठन द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।
मुंबई । महाराष्ट्र के रत्नागिरी में ठंड नहीं है। यहां का न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। जिससे यह शीत मौसम में आने वाली अच्छी जगह है। यहां पर सर्दियों के मौसम में घूमने के लिए एक आरामदायक विकल्प है। जहां महाराष्ट्र के स्वादिष्ट खाने का आनंद ले सकते हैं। यहां दिल्ली से ट्रेन या फ्लाइट द्वारा जा सकते हैं।
महाराष्ट्र का मुंबई शहर भी घूमने के लिए बहुत पॉपुलर है। अधिकतर लोग दूर-दूर से यहां घूमने के लिए आते हैं। यहां गेटवे ऑफ इंडिया, चौपाटी घूमने के साथ स्टार के बंगले भी देख सकते हैं। अगर आप लकी रहे तो शायद आपको अपने फेवरेट स्टार को देखने या मिलने का मौका मिल जाए। अगर आप भी सर्दी के मौसम में किसी ऐसी जगह घूमना चाहते हैं जहां आपको सर्दी का एहसास न हो तो मुंबई भी घूम सकते हैं। जब भी विंटर वेकेशन की बात होती है तो सबसे पहले दिमाग में गोवा का नाम आता है। यहां हर साल लाखों पर्यटक घूमने आते हैं। यहां का अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। अगर आप एक पर्फेक्ट विंटर वेकेशन पर जाना चाहते हैं तो गोवा घूमने जा सकते हैं। यहां बीच से लेकर गोवा की नाइट लाइफ एन्जॉय करने का मौका मिलेगा। हैदराबाद में सर्दियों के मौसम में भी तापमान सामान्य रहता है। चार मीनार और मोतियों का विशाल संग्रह इस शहर के मुख्य आकर्षणों में से एक है। एसे में आप सर्दियों में हैदराबाद जाने का प्रोग्राम भी बना सकते हैं।
नई दिल्ली । दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर औरैया जिले के अछल्दा स्टेशन के पास वंदे भारत एक्सप्रेस ने ट्रैक पर पड़े स्लीपर को टक्कर मार दी, इससे यात्रियों में अफरातफरी मच गई। यह घटना शुक्रवार दोपहर की बताई जा रही है जहां रेलवे की ही लापरवाही से वंदे भारत एक्सप्रेस पलटने से बच गई। मिली जानकारी के अनुसार यहां रेलवे की बन रही बाउंड्री के लिए आए सीमेंट के स्लीपरों में एक स्लीपर रेलवे ट्रैक पर पड़ा था, जिससे ट्रेन टक्कर गई और तेज धमाके के साथ पूरी ट्रेन हिल गई। चालक को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन रोकनी पड़ी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अछल्दा स्टेशन के पास डंपर से सीमेंट के स्लीपर लाये गए थे। जिन्हें रेलवे ट्रैक किनारे प्रेशर मशीन की मदद से उतारा जा रहा था, तभी एक स्लीपर रेलवे लाईन पर उतर गया। जिसे बाउंड्री वाल पर काम कर रहे मजदूरों ने हटाने का प्रयास किया लेकिन स्लीपर नहीं हट सका। उसी समय सामने से वंदे भारत ट्रेन आते देख मजदूर वहां से हट गए।
दरअसल दिल्ली से कानपुर की तरफ जा रही 22416 वन्दे भारत भारत एक्सप्रेस ट्रेन बाउंड्री बाल के स्लीपर में टकराने से पूरी ट्रेन हिल गई और यात्री सहम गए। चालक ने इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक दी। ट्रेन को 12 बजकर 2 मिनट पर रोक दिया गया। हालांकि तत्काल वन्दे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के चालक ने स्टेशन मास्टर को घटना की सूचना दी। मौके पर पहुंचे आरपीएफ के जवानों ने लोगों के सहयोग से ट्रेन के पास से स्लीपर को हटवा दिया। इसके बाद करीब 17 मिनट बाद ट्रेन को आगे के लिए रवाना किया गया। इस बीच पीछे से आ रही नई दिल्ली से कानपुर की तरफ जा 12802 पुरषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन को 14 नम्बर गेट के पास रोक दिया गया। डीआरएम कार्यालय ने बताया कि मामले के जांच के आदेश देकर लापरवाही बरतने वाले पर कारर्वाई की जाएगी।
नई दिल्ली। भारतीय वैज्ञानिक और अंतरिक्ष रिसर्च में काफी आगे बढ़ चुके हैं। इसका ताजा उदाहरण जापान का मून लैंडर स्लिम है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेक्सा) का चंद्रमा लैंडर, स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून,20 जनवरी को चंद्रमा पर उतरा। एजेंसी ने गुरुवार को पुष्टि की कि उसने मूल लक्ष्य लैंडिंग साइट से लगभग 55 मीटर पूर्व में ऐसा किया। एजेंसी ने 100 मीटर की सटीकता के साथ लैंडिंग के अपने मुख्य मिशन को पूरा किया।एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा जापान ने भारत के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 की मदद से किया, जिसे तकनीकी रूप से ‘विफल’ माना जाता है। लेकिन जिसका ऑर्बिटर भारत और अन्य देशों के वाहनों का मार्गदर्शन करना जारी रखा है। जेक्सा ने गुरुवार को इसे लेकर एक बयान जारी किया है।
इसरो वैज्ञानिकों ने कहा कि चंद्रयान-2 ने साल 2019 में चंद्रमा पर उतरने का अपना अंतिम उद्देश्य भले ही हासिल नहीं किया हो, लेकिन इसका ऑर्बिटर लगभग पांच सालों से चंद्रमा से महत्वपूर्ण डेटा प्रदान कर रहा है। इसने पिछले साल अपने उत्तराधिकारी चंद्रयान-3 की सफलता को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि ‘हमने चंद्रयान-3 की लैंडिंग की योजना बनाने के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर से प्राप्त फोटो का विश्लेषण किया। इससे हमें वही गलतियां नहीं दोहराने में मदद मिली जो हमने अतीत में की थीं। यह भविष्य के चंद्र मिशनों की योजना बनाने में भी हमारी मदद करता रहेगा।’मालूम हो कि 2 सितंबर, 2019 को, चंद्रयान -2 के लैंडर मॉड्यूल ने चंद्र सतह पर उतरने का प्रयास करने से पहले अंतिम यात्रा शुरू करने के लिए, ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक खुद को अलग कर लिया। हालांकि, कुछ दिनों बाद, 7 सितंबर को, विक्रम लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हालांकि मिशन अपने इच्छित लक्ष्य को हासिल नहीं कर सका, लेकिन ऑर्बिटर पर मौजूद उपकरण तब से चंद्रमा की कक्षा से महत्वपूर्ण डेटा प्रदान कर रहा है।
मुंबई। मुंबई से लखनऊ जाने वाली इंडिगो फ्लाइट में विमान की सीट के नीचे बम होने की झूठी सूचना देने के आरोप में सहार पुलिस ने 27 वर्षीय एक यात्री को गिरफ्तार किया है। मुंबई पुलिस के मुताबिक, आरोपी यात्री ने शुक्रवार 26 जनवरी की रात मुंबई से लखनऊ जाने वाली इंडिगो फ्लाइट नंबर 6ई 5264 विमान में सीट के नीचे बम रखे होने की झूठी अफवाह फैलाई. घटना की जानकारी मिलते ही मुंबई पुलिस और एयरपोर्ट अधिकारी मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की. इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियों द्वारा तुरंत विमान की गहनता से जांच की गई. आखिरकार जांच के बाद पुलिस को कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली. इसके बाद आरोपी यात्री को हिरासत में लिया गया और उसके खिलाफ अफवाह फैलाने और धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया गया. पुलिस आरोपी यात्री के इस कृत्य के पीछे के मकसद की जांच कर रही है।
नई दिल्ली। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों 25-26 जनवरी को 2 दिन के राजकीय दौरे पर भारत आए थे। इस दौरान भारत-फ्रांस के बीच कई समझौते हुए। पीएम नरेंद्र मोदी और मैक्रों ने दोनों देशों में डिफेंस इंडस्ट्रियल सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई। साथ ही इसके लिए रोडमैप भी तैयार किया गया। दोनों नेताओं ने स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन और उसके पुर्जों को भारत में ही बनाने के लिए हुए समझौते का स्वागत किया।
उन्होंने इस प्रोजेक्ट की प्रोग्रेस का भी मुआयना किया। साथ ही भारत में राफेल फाइटर जेट के इंजनों के लिए सेफरान कंपनी की तरफ से रखरखाव, मरम्मत और इसके ऑपरेशन की फेसिलिटी तैयार करने के लिए हुए समझौते का भी स्वागत किया गया। इसके अलावा सेफरान कंपनी आईएमआरएच हेलिकॉप्टर इंजन बनाने के लिए भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के बीच जॉइंट वेंचर करेगी।
वडोदरा में बनेंगे एच125 सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर
टाटा ग्रुप और फ्रांस की एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी एयरबस के बीच भी अहम समझौता हुआ। इसके तहत दोनों कंपनी साथ मिलकर भारत में एच125 सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर बनाएंगी। ये हेलीकाप्टर कॉमर्शियल यूज के लिए बनाए जाएंगे। टाटा ग्रुप की टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड कंपनी इन हेलीकॉप्टरों के लिए असेम्बली लाइन मैनेज करेगी। ये हेलीकाप्टर गुजरात के वडोदरा में मैन्युफैक्चर किए जाएंगे। यहां पहले से ही टाटा और एयरबस मिलकर 40 सी295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बना रहीं हैं। इन सिंगल इंजन एच130 हेलिकॉप्टरों का उपयोग मेडिकल एयरलिफ्ट, सर्विलांस मिशन, वीआईपी ड्यूटीस और साइटसीइंग सर्विसेज के लिए किया जाएगा।
क्या है स्कॉर्पीन क्लास सबमरीन का समझौता
इससे पहले पिछले साल पीएम मोदी के फ्रांस दौरे पर मेक इन इंडिया के तहत मझगांव डॉकयाड्र्स लिमिटेड में 3 और स्कॉर्पीन (कलवारी) क्लास अटैक की पनडुब्बियों को बनाने के लिए समझौता हुआ था। भारत ने 2005 में फ्रांस के नेवल ग्रुप से स्कॉर्पीन-क्लास सबमरीन बनाने के लिए 3.75 अरब डॉलर यानी करीब 28.6 हजार करोड़ का समझौता किया था। इन सबमरीन को पब्लिक सेक्टर की कंपनी मझगांव डॉकयाड्र्स लिमिटेड ने फ्रांस के सहयोग से देश में ही बनाया है।
डिफेंस रिसर्च में साझेदारी के लिए साइन होंगे एमओयू
इसके बाद ये इंजन भारत में ही तैयार हो सकेंगे। फ्रांस के डायरेक्टर जनरल ऑफ आर्मामेंट और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के बीच भी डिफेंस रिसर्च में साझेदारी को लेकर बातचीत जारी है। दोनों ही संस्थान जल्दी ही इसको लेकर रूश साइन करेंगे। भारत-फ्रांस के बीच रक्षा क्षेत्र में हुए समझौतों को आत्मनिर्भर भारत मिशन के लिए अहम माना जा रहा है। यह भारतीय सेनाओं को इंडिपेंडेंट बनाने के लिए भी अहम कदम है। साथ ही 2047 तक विकसित भारत के टारगेट को लेकर भी भारत-फ्रांस ने साइंस, तकनीक और डिजिटल डेवलपमेंट में साझेदारी पर चर्चा की।
चित्तौड़गढ़ । राजस्थान के चितौड़गढ़ में एक प्रेम कहानी को लेकर जबर्दस्त हंगामा हो गया। आरोप है कि युवक अपनी प्रेमिका को भगा ले गया। इसके बाद गुस्साए युवती के परिजन प्रेमी के घर पहुंचे और वहां आग लगा दी। मामले की जानकारी मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिस पहुंची और हालात को संभाला। फिलहाल पुलिस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मामला दो समुदायों से जुड़ा हुआ है।
युवती के परिजनों का आरोप था कि वहां का एक युवक उनकी लड़की को भगा ले गया। इस बात को लेकर खफा हुए युवती के परिजन मुड्डा गांव पहुंचे। उस समय युवती के प्रेमी युवक के घर पर कोई नहीं था। यह देखकर वे और गुस्सा गए और उन्होंने घर को आग लगा दी। आग से युवक के मकान में रखा सामान जलकर खाक हो गया। इस बीच आरोपी वहां से फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
पुलिस के मुताबिक इस संबंध में लड़की के परिजनों ने दो दिन पहले मामला दर्ज कराया था। पुलिस मामले की जांच में जुटी थी कि उससे पहले ही युवती के परिजनों ने यह वारदात कर डाली। पुलिस ने युवती को बरामद कर परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है। अब युवक के परिजनों ने युवती के परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार! 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। जब मैं पीछे मुड़कर यह देखती हूं कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने कितनी लंबी यात्रा की है, तब मेरा हृदय गर्व से भर जाता है। हमारे गणतंत्र का 75वां वर्ष, कई अर्थों में, देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है।' उन्होंने कहा कि यह उत्सव मनाने का विशेष अवसर है, जैसे हमने स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान अपने देश की अतुलनीय महानता और विविधतापूर्ण संस्कृति का उत्सव मनाया था। जब संसद ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया तो हमारा देश, स्त्री-पुरुष समानता के आदर्श की ओर आगे बढ़ा। मेरा मानना है कि 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम', महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इससे हमारे शासन की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी। जब सामूहिक महत्व के मुद्दों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, तब हमारी प्रशासनिक प्राथमिकताओं का जनता की आवश्यकताओं के साथ बेहतर सामंजस्य बनेगा।
उन्होंने कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृतकाल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। यह एक युगांतकारी परिवर्तन का कालखंड है। हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान, महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी। ये कर्तव्य, आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में, प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं। इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी का स्मरण होता है। बापू ने ठीक ही कहा था, 'जिसने केवल अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है। केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है।' उन्होंने कहा कि एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश विदेशी शासन से मुक्त हो गया। लेकिन, उस समय भी देश में सुशासन तथा देशवासियों में निहित क्षमताओं और प्रतिभाओं को उन्मुक्त विस्तार देने के लिए, उपयुक्त मूलभूत सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को स्वरूप प्रदान करने का कार्य चल ही रहा था। संविधान सभा ने सुशासन के सभी पहलुओं पर लगभग तीन वर्ष तक विस्तृत चर्चा की और हमारे राष्ट्र के महान आधारभूत ग्रंथ, यानी भारत के संविधान की रचना की। आज के दिन हम सब देशवासी उन दूरदर्शी जन-नायकों और अधिकारियों का कृतज्ञता-पूर्वक स्मरण करते हैं जिन्होंने हमारे भव्य और प्रेरक संविधान के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया था। उन्होंने कहा, 'कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना 'हम, भारत के लोग', इन शब्दों से शुरू होती है। ये शब्द, हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात् लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसीलिए भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहा जाता है।
'आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर'
मुर्मू ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, गणतंत्र दिवस हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब हम उनमें से किसी एक बुनियादी सिद्धान्त पर चिंतन करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से अन्य सभी सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है। संस्कृति, मान्यताओं और परम्पराओं की विविधता, हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम है। हमारी विविधता का यह उत्सव, समता पर आधारित है, जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है। यह सब स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव हो पाता है। इन मूल्यों और सिद्धांतों की समग्रता ही हमारी भारतीयता का आधार है। डॉक्टर बीआर आंबेडकर के प्रबुद्ध मार्गदर्शन में प्रवाहित, इन मूलभूत जीवन-मूल्यों और सिद्धांतों में रची-बसी संविधान की भावधारा ने, सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय के मार्ग पर हमें अडिग बनाए रखा है।'
कर्पूरी ठाकुर का भी किया जिक्र
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है। मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे, कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है। कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए, मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।'
G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे राष्ट्रीय त्योहार ऐसे महत्वपूर्ण अवसर होते हैं, जब हम अतीत पर भी दृष्टिपात करते हैं और भविष्य की ओर भी देखते हैं। पिछले गणतंत्र दिवस के बाद के एक वर्ष पर नजर डालें तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। G20 से जुड़े आयोजनों में जन-सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन आयोजनों में विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं, बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था। उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर-राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है। G20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को भी बढ़ावा मिला, जिससे अंतर-राष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व का समावेश हुआ।'
राम मंदिर पर कही यह बात
राष्ट्रपति ने कहा, 'इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे। उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है। यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।'
अंतरिक्ष जगत की उपलब्धियां गिनाईं
उन्होंने कहा कि इसी अवधि में भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना। चंद्रयान-3 के बाद ISRO ने एक सौर मिशन भी शुरू किया। हाल ही में आदित्य L1 को सफलतापूर्वक 'Halo Orbit' में स्थापित किया गया है। भारत ने अपने पहले एक्स-रे Polarimeter Satellite, जिसे एक्सपोसैट कहा जाता है, के प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत की है। यह सैटेलाइट, अंतरिक्ष के 'ब्लैक होल' जैसे रहस्यों का अध्ययन करेगा। वर्ष 2024 के दौरान अन्य कई अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाई गई है। यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अनेक नई उपलब्धियां हासिल की जाने वाली हैं। हमारे प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, 'गगनयान मिशन' की तैयारी सुचारु रूप से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि हमें अपने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों पर सदैव गर्व रहा है, लेकिन अब ये पहले से कहीं अधिक ऊंचे लक्ष्य तय कर रहे हैं और उनके अनुरूप परिणाम भी हासिल कर रहे हैं। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्य, संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका को और अधिक विस्तार तथा गहराई प्रदान करना है। ISRO के कार्यक्रम के प्रति देशवासियों में जो उत्साह दिखाई देता है उससे नई आशाओं का संचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों ने, युवा पीढ़ी की कल्पना शक्ति को नए पंख दिए हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे बच्चों और युवाओं में, बड़े पैमाने पर, विज्ञान के प्रति रुझान बढ़ेगा तथा उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होगा। अन्तरिक्ष विज्ञान की इन उपलब्धियों से युवाओं, विशेषकर युवा महिलाओं को यह प्रेरणा मिलेगी कि वे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपना कार्यक्षेत्र बनाएं।
'आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा भारत'
उन्होंने कहा कि आज का भारत, आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। सुदृढ़ और स्वस्थ अर्थव्यवस्था इस आत्मविश्वास का कारण भी है और परिणाम भी। हाल के वर्षों में, सकल घरेलू उत्पाद की हमारी वृद्धि दर, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रही है। ठोस आकलन के आधार पर हमें पूरा विश्वास है कि यह असाधारण प्रदर्शन, वर्ष 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगा। यह बात मुझे विशेष रूप से उल्लेखनीय लगती है कि जिस दूरगामी योजना-दृष्टि से अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त हुई है, उसी के तहत विकास को हर दृष्टि से समावेशी बनाने के लिए सुविचारित जन कल्याण अभियानों को भी बढ़ावा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि महामारी के दिनों में, समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए लागू योजनाओं का दायरा, सरकार ने बढ़ा दिया था। बाद में, कमजोर वर्गों की आबादी को संकट से उबरने में सहायता प्रदान करने हेतु इन कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखा गया। इस पहल को और अधिक विस्तार देते हुए, सरकार ने 81 करोड़ से अधिक लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संभवतः, इतिहास में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा जन-कल्याण कार्यक्रम है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सभी नागरिकों के जीवन-यापन को सुगम बनाने के लिए अनेक समयबद्ध योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं। घर में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता से लेकर अपना घर होने के सुरक्षा-जनक अनुभव तक, ये सभी बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएं हैं, न कि विशेष सुविधाएं। ये मुद्दे, किसी भी राजनीतिक या आर्थिक विचारधारा से परे हैं और इन्हें मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए। सरकार ने, केवल जन-कल्याण योजनाओं का विस्तार और संवर्धन ही नहीं किया है, अपितु जन-कल्याण की अवधारणा को भी नया अर्थ प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हम सभी उस दिन गर्व का अनुभव करेंगे जब भारत ऐसे कुछ देशों में शामिल हो जाएगा जहां शायद ही कोई बेघर हो। समावेशी कल्याण की इसी सोच के साथ 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' में डिजिटल विभाजन को पाटने और वंचित वर्गों के विद्यार्थियों के हित में, समानता पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण को समुचित प्राथमिकता दी जा रही है। 'आयुष्मान भारत योजना' के विस्तारित सुरक्षा कवच के तहत सभी लाभार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य है। इस संरक्षण से गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों में एक बहुत बड़ा विश्वास जगा है।
खेल जगत पर कही यह बात
उन्होंने कहा कि हमारे खिलाड़ियों ने अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान बढ़ाया है। पिछले साल आयोजित एशियाई खेलों में हमने 107 पदकों के नए कीर्तिमान के साथ इतिहास रचा और एशियाई पैरा खेलों में हमने 111 पदक जीते। यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि महिलाएं, हमारी पदक तालिका में बहुत प्रभावशाली योगदान दे रही हैं। हमारे श्रेष्ठ खिलाड़ियों की सफलता से बच्चों को विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरणा मिली है, जिससे उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है। मुझे विश्वास है कि नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे खिलाड़ी, आगामी पेरिस ओलिंपिक में और भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
दुनिया में चल रहे युद्धों पर भी बोलीं
राष्ट्रपति ने कहा, 'प्यारे देशवासियो, हाल के दौर में विश्व में अनेक स्थलों पर लड़ाइयां हो रही हैं और दुनिया के बहुत से हिस्से हिंसा से पीड़ित हैं। जब दो परस्पर विरोधी पक्षों में से प्रत्येक मानता है कि केवल उसी की बात सही है और दूसरे की बात गलत है, तो ऐसी स्थिति में समाधान-परक तर्क के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहिए। दुर्भाग्य से तर्क के स्थान पर, आपसी भय और पूर्वाग्रहों ने भावावेश को बढ़ावा दिया है, जिसके कारण अनवरत हिंसा हो रही है। बड़े पैमाने पर मानवीय त्रासदियों की अनेक दुखद घटनाएं हुई हैं, और हम सब इस मानवीय पीड़ा से अत्यंत व्यथित हैं। ऐसी परिस्थितियों में, हमें भगवान बुद्ध के सारगर्भित शब्दों का स्मरण होता है: न हि वेरेन वेरानि, सम्मन्तीथ कुदाचनम् अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तनो। इसका भावार्थ है: 'यहां कभी भी शत्रुता को शत्रुता के माध्यम से शांत नहीं किया जाता है, बल्कि अ-शत्रुता के माध्यम से शांत किया जाता है। यही शाश्वत नियम है।'
उन्होंने कहा कि वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक, भारत ने सदैव एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अहिंसा केवल एक आदर्श मात्र नहीं है जिसे हासिल करना कठिन हो, बल्कि यह एक स्पष्ट संभावना है। यही नहीं, अपितु अनेक लोगों के लिए यह एक जीवंत यथार्थ है। हम आशा करते हैं कि संघर्षों में उलझे क्षेत्रों में, उन संघर्षों को सुलझाने तथा शांति स्थापित करने के मार्ग खोज लिए जाएंगे।
भारत की इस उपलब्धि पर जताई खुशी
उन्होंने कहा कि वैश्विक पर्यावरण संकट से उबरने में भी भारत का प्राचीन ज्ञान, विश्व-समुदाय का मार्गदर्शन कर सकता है। भारत को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने में अग्रणी योगदान देते हुए और ग्लोबल क्लामेट एक्शन को नेतृत्व प्रदान करते हुए देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। भारत ने, पर्यावरण के प्रति सचेत जीवन- शैली अपनाने के लिए, 'LiFE Movement' शुरू किया है। हमारे देश में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का सामना करने में व्यक्तिगत व्यवहार-परिवर्तन को प्राथमिकता दी जा रही है तथा विश्व समुदाय द्वारा इसकी सराहना की जा रही है। हर स्थान के निवासी अपनी जीवन-शैली को प्रकृति के अनुरूप ढालकर अपना योगदान दे सकते हैं और उन्हें ऐसा करना ही चाहिए। इससे, न केवल भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी बल्कि, जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
AI का भी किया जिक्र
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारी स्वाधीनता के सौ वर्ष पूरे होने तक की, अमृत काल की अवधि के दौरान अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन भी होने जा रहे हैं। Artificial Intelligence और Machine Learning जैसे तकनीकी बदलाव, असाधारण गति के साथ, सुर्खियों से बाहर आकर, हमारे दैनिक जीवन का अंग बन गए हैं। कई क्षेत्रों में भविष्य से जुड़ी आशंकाएं चिंतित करती हैं, लेकिन अनेक उत्साह-जनक अवसर भी दिखाई देते हैं, विशेषकर युवाओं के लिए। हमारे युवा, वर्तमान की सीमाओं से परे जाकर नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। उनके मार्ग से बाधाओं को दूर करने और उन्हें अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना है। हमारी युवा पीढ़ी चाहती है कि सभी को अवसर की समानता प्राप्त हो। वे समानता से जुड़े पुराने शब्दजाल नहीं चाहते हैं बल्कि, समानता के हमारे अमूल्य आदर्श का यथार्थ रूप देखना चाहते हैं।
'युवाओं के आत्मविश्वास के बल पर ही भावी भारत का निर्माण हो रहा'
उन्होंने कहा कि वास्तव में हमारे युवाओं के आत्मविश्वास के बल पर ही भावी भारत का निर्माण हो रहा है। युवाओं के मनो-मस्तिष्क को संवारने का कार्य हमारे शिक्षक-गण करते हैं जो सही अर्थों में राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं। मैं अपने उन किसानों और मजदूर भाई-बहनों के प्रति आभार व्यक्त करती हूं जो, चुपचाप मेहनत करते हैं तथा देश के भविष्य को बेहतर बनाने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं।
सशस्त्र बलों, पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों का अभिनंदन
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के पावन अवसर की पूर्व संध्या पर, सभी देशवासी हमारे सशस्त्र बलों, पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों का भी कृतज्ञता-पूर्वक अभिनंदन करते हैं। उनकी बहादुरी और सतर्कता के बिना, हम उन प्रभावशाली उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर सकते थे जो हमने हासिल कर ली हैं।
न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों को भी शुभकामनाएं
राष्ट्रपति ने कहा, 'अपनी वाणी को विराम देने से पहले, मैं न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों को भी शुभकामनाएं देना चाहती हूं। विदेशों में नियुक्त भारतीय मिशनों के अधिकारियों और प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों को मैं गणतंत्र दिवस की बधाई देती हूं। आइए, हम सब यथाशक्ति राष्ट्र और देशवासियों की सेवा में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प करें। इस शुभ संकल्प को सिद्ध करने के प्रयास हेतु आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!
धन्यवाद! जय हिन्द! जय भारत!'
मुंबई। यूँ तो मोबाइल फोन का आविष्कार मानव जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। मोबाइल ने मानव जीवन में सामाजिक और भौगोलिक दूरियों को काफी हद तक कम कर दिया है। हालांकि मोबाइल फोन ने पूरी जिंदगी पर कब्ज़ा भी कर लिया है. भोजन, वस्त्र और मकान मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ थीं। लेकिन अब इसमें एक नई जरूरत जुड़ गई है, वो है हमारा मोबाइल फोन. एक समय भोजन न मिले तो अच्छा रहेगा। लेकिन आलम ये हो गया है कि हर किसी को मोबाइल फोन के बिना आराम नहीं है. क्या आपको भी सारा दिन मोबाइल फोन हाथ में लेकर बैठे रहने की आदत है? इसलिए समय रहते सावधान हो जाएं. दरअसल कोरोना संक्रमण के बाद अब देश में स्मार्टफोन जॉम्बी नाम की बीमारी तेजी से बढ़ रही है।
वर्तमान समय में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को हम नकार नहीं सकते। यदि किसी को तुरंत संपर्क करना हो या संदेश भेजना हो तो मोबाइल का उपयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके अलावा खाने से लेकर शॉपिंग तक सब कुछ मोबाइल फोन की एक क्लिक से आसान हो गया है। लेकिन अब मोबाइल फोन का चलन बहुत ज्यादा हो गया है. काम के अलावा हम लगातार मोबाइल फोन देखते रहने के आदी हो चले हैं। जब कोई काम न हो, कार या ट्रेन से यात्रा करते समय, यहां तक कि सड़क पर चलते समय भी हर किसी का दिमाग अपने मोबाइल फोन में ही रहता है। मोबाइल फोन देखते हुए सड़क पार करते समय दुर्घटना की कई घटनाएं सामने आई हैं।
सोशल मीडिया पर जो पोस्टर वायरल हो रहा है उसमें दो लोगों को दिखाया गया है. ये दोनों शख्स सामने या इधर-उधर देखने की बजाय मोबाइल फोन देखते हुए सड़क पार करते नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि जिन लोगों को यह आदत होती है उन्हें स्मार्टफोन जॉम्बी कहा जाता है। 19 जनवरी को बेंगलुरु शहर में यह पोस्टर लगाया गया था. इसके बाद ये पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस पर कई यूजर्स ने कमेंट किए हैं.
अहमदाबाद | देशभर में मातृ गया तीर्थ के रूप में विख्यात उत्तर गुजरात के सिद्धपुर में अब श्राद्ध समेत तर्पण विधि के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकेगी| आगामी 1 फरवरी 2024 से ऑनलाइन बुकिंग सेवा का प्रारंभ होगा| सिद्धपुर उत्तर गुजरात के पाटण जिला स्थित है, जहां मातृ गया के लिए देशभर से लोग आते हैं| गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड (जीपीवायवीबी) द्वारा संचालित मातृ गया तीर्थ अति प्राचीन, ऐतिहासिक, धार्मिक और नगरी सिद्धपुर में देश के किसी भी राज्य में रहनेवाले श्रद्धालु मातृ गया श्राद्ध के लिए आते हैं| खासकर कार्तिक की कृष्ण पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक के विश्वपंचक पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु सिद्धपुर स्नान, दान और पिंडदान कर मातृ-पितृओं को संतुष्ट करने के आनंद का अनुभव करते हैं|
सिद्धपुर आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए गुजरात सरकार ने बड़ा फैसला किया है| जीपीवायवीबी के सचिव आरआर रावल ने बताया कि सिद्धपुर के महत्वपूर्ण मातृ गया तीर्थ को गुजरात सरकार के जीपीवायवीबी ने अत्यंत सुविधायुक्त बनाया है और श्राद्ध विधि के लिए आनेवाले देशभर के श्रद्धालुओं को कोई असुविधा ना हो इसके लिए ‘ऑनलाइन क्यू मैनेजमेंट सिस्टम’ पोर्टल तैयार किया गया है| यह पोर्टल 1 फरवरी 2024 से कार्यरत हो जाएगा| सिद्धपुर के बिंदू सरोवर में श्राद्ध विधि करने के इच्छुक श्रद्धालु बोर्ड की वेबसाइट https://yatradham.gujarat.gov.in अथवा एन्ड्रोइड एप्लिकेशन Yatradham Of Gujarat (YOG) के मार्फत या फिर स्थल पर ही रजिस्ट्रेशन ऑफिस में ऑफलाइन पंजीकरण करवा टोकन फीस का भुगतान ‘पीओएस मशीन’ के जरिए कर सकते हैं| पंजीकरण के बाद उन्हें श्रद्धा विधि की सुविधा सरलता से उपलब्ध होंगी| इस पोर्टल पर स्पेशल होल रजिस्ट्रेशन, प्रति परिवार रजिस्ट्रेशन, स्थानीय नागरिकों के लिए दर्शन सुविधा, स्थानीय नागरिकों को श्राद्ध विधि जैसी महत्वपूर्ण सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं| देश में कहीं से कोई श्राद्ध विधि करना चाहता है तो वह इस पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा नंबर प्राप्त कर सकता है| बिंदू सरोवर पर किस तारीख, कितने समय और किस स्थल पर उसकी विधि की जाएगी वह भी पोर्टल पर निर्धारित किया जा सकेगा| ऑनलाइन पीओएस मशीन के मार्फत 100 प्रतिशत डिजिटल भुगतान किया जा सकेगा|
नई दिल्ली । राजधानी में रेलवे लाइन किनारे अवैध रूप से बसी झुग्गियों में रहने वाले बदमाशों ने रेलवे यात्रियों का जीना मुहाल कर रखा है। रेलवे की जमीन पर कब्जा कर लोगों ने यहां पक्की झुग्गियां बना रखी हैं। इन झुग्गियों के पास रात तो दूर दिन में भी जैसे ही कोई ट्रेन सिग्नल न मिलने के कारण रुकती है अथवा धीमी हो जाती है। झुग्गियों में रहने वाले असामाजिक तत्व रेलवे यात्रियों के पर्स, मोबाइल व सोने की चेन आदि झपट कर फरार हो जाते हैं। चलती ट्रेन में भी बदमाश यात्रियों को शिकार बना डालते हैं। इतना ही नहीं बदमाश ट्रेनों में चढ़कर यात्रियों से लूटपाट व चोरी की वारदात भी करते हैं। सबसे अधिक वारदात दया बस्ती के पास होती है, क्योंकि यहां रेलवे लाइन किनारे हजारों की संख्या में अवैध रूप से झुग्गियां बसी हैं। ताजा हैरान करने वाला मामला भी दया बस्ती का ही सामने आया है। सिग्नल न मिलने के कारण दया बस्ती के पास रुकी आला हजरत ट्रेन में सवार एक अधेड़ सामान लेकर एक बागी के दरवाजे पर आकर खड़े हो गए थे। तभी एक झपटमार ने उनका एक बैग झपट लिया। छीना झपटी के दौरान वे नीचे गिर पड़े तभी ट्रेन भी चल पड़ी, जिससे उनके दोनों पैर कट गए। जानकारी के अनुसार, पीड़ित का नाम गंगजी(56) है। वह परिवार के साथ शास्त्री नगर में रहते हैं। गंगजी के बेटे कमल ने बताया कि बीते 16 जनवरी को वह पिता गंगजी, मां व सात साल की बहन के साथ गुजराज गया था। 17 जनवरी को वे लोग वापस दिल्ली लौट आए। दोपहर करीब 2.30 बजे सिग्नल न मिलने के कारण आला हजरत ट्रेन दया बस्ती के पास रुक गई थी। तभी गंगजी सामान लेकर गेट पर आकर खड़े हो गए थे ताकि स्टेशन आते ही वे लोग जल्द सामान लेकर उतर सके। उसी दौरान एक झपटमार ने उनके हाथ से बैग झपट लिया। छीना झपटी के दौरान गंगजी ट्रेन से नीचे गिर गए। तभी अचानक ट्रेन चल पड़ी। जिससे उनके दोनों पैरों पर रेल के पहिए गुजरने से पैर कट गए। आनन-फानन उनके बेटे ने चेन खींचकर ट्रेन रुकवाई।
अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की धूम हर देश से लेकर विदेशों तक दिखाई दे रही है। इस मौके पर भारत को दुनिया के कई देशों से बधाई आ रही है। सैकड़ों जगहों पर प्राण प्रतिष्ठा की लाइव स्ट्रीमिंग की गई और कई जगह पूजा-पाठ और कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इसी बीच, न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री की ओर से भारत को बधाई दी गई है। उन्होंने कहा कि इस मौके पर मैं न्यूजीलैंड में रहने वाले भारतीयों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देता हूं।
न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री टॉड मैक्ले कहते हैं, "मैं इस तरह की महत्वपूर्ण उपलब्धि (श्री राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह) के लिए न्यूजीलैंड में सभी भारतीयों और दुनिया भर के प्रवासी भारतीयों को अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं। प्रधानमंत्री मोदी आपका न्यूजीलैंड के साथ दोस्ती के लिए धन्यवाद। प्रधानमंत्री मोदी दुनिया के पहले नेता थे, जिन्होंने हमारे प्रधानमंत्री को अपना पद संभालने के बाद बधाई दी थी। हम एक साथ मिलकर काम करने के लिए बहुत उत्सुक हैं। बधाई यह सभी भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।"
इससे पहले न्यूजीलैंड के रेग्यूलेशन मंत्री डेविड सिमॉर राम मंदिर समारोह को लेकर काफी उत्साहित दिख रहे थे। उन्होंने पीएम मोदी को बधाई देते हुए कहा, "पूरे भारत को जय श्री राम! इस शानदार स्मारक के उत्सव की खासकर पीएम मोदी सहित भारत के सभी लोगों को बधाई। पीएम के नेतृत्व में 500 वर्षों के बाद इस राम मंदिर निर्माण को संभव हो पाया है और ये हजारों साल तक रहेगा। ये इस बात का सुबूत है कि वास्तव में लोग क्या कर सकते हैं।"
वहीं, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर न्यूजीलैंड की एथनिक कम्यूनिटीज मंत्री मेलिसा ली का कहना है, "मैं दुनिया भर के भारतीय प्रवासियों को अयोध्या में राम मंदिर समारोह के लिए शुभकामनाएं देती हूं, खासकर न्यूजीलैंड के भारतीयों को। 500 साल बाद बनने वाले राम मंदिर के लिए पीएम मोदी सहित में पूरे भारत को इस अद्भुत मंदिर के लिए बधाई देती हूं।"
इजरायली राजदूत ने दी बधाई
इससे पहले इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने भी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक पोस्ट शेयर किया था। उन्होंने इस पोस्ट में राम मंदिर का लकड़ी का मॉडल रखा था और साथ ही कहा, "मैं राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर भारत के लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। यह दुनियाभर के लिए ऐतिहासिक क्षण है। मैं अयोध्या राम मंदिर के दर्शन के लिए बेहद उत्सुक हूं।"