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  • सूत्रों के मुताबिक पिछले शुक्रवार को दिल्ली में बैठक हुई
  • एमएसएमई को कर्ज के मुद्दे पर सहमति के संकेत, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के मुद्दे पर स्थिति साफ नहीं
  • आरबीआई और सरकार के बीच कैपिटल फ्रेमवर्क, केंद्रीय बैंक की स्वायतत्ता को लेकर विवाद
     

नई दिल्ली. आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल पिछले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले। सूत्रों से हवाले से सोमवार को यह जानकारी सामने आई। बताया जा रहा है कि मोदी और उर्जित पटेल की मीटिंग में सरकार और रिजर्व बैंक के बीच चल रहे विवाद सुलझाने पर चर्चा हुई। 

 

सूत्रों के मुताबिक ऐसे संकेत मिले हैं कि आरबीआई लघु और मध्यम उद्योगों को कर्ज देने के लिए विशेष इंतजाम कर सकता है। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने और आरबीआई के सरप्लस में से सरकार को रकम जारी करने के मुद्दे पर स्थिति साफ नहीं हो पाई।

आरबीआई का सरप्लस हो सकता है विवाद की वजह

  1.  

    पिछले हफ्ते कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि केंद्र सरकार ने आरबीआई के सरप्लस में से 3.6 लाख करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, आरबीआई ने इसे नहीं माना। उसका कहना था कि इससे माइक्रो इकोनॉमी को खतरा हो सकता है।

     

  2.  

    आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने जवाब देते हुए कहा था कि सरकार को फंड की कोई जरूरत नहीं है। आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।

     

  3.  

    पिछले दिनों सरकार ने आरबीआई की धारा 7 का इस्तेमाल करते हुए रिजर्व बैंक को तीन पत्र भेजे थे। इसके बाद सरकार और आरबीआई के बीच विवाद बढ़ गया। यह खबर भी आई कि सरकार धारा 7 लागू करती है तो उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं।

     

  4.  

    अक्टूबर में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि सरकार को केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता बढ़ानी चाहिए। जो सरकार इसका ध्यान नहीं रखती उसे नुकसान उठाना पड़ता है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि मौजूदा विधानसभा चुनाव साधारण चुनाव नहीं हैं बल्कि देश के लिए "बहुत महत्वपूर्ण" हैं क्योंकि इनमें पार्टी की जीत से नरेंद्र मोदी सरकार की 2019 में सत्ता में वापसी के लिए मजबूत नींव तैयार होगी और पार्टी लंबे समय के लिए "अजेय" हो जाएगी। शाह ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं को वीडियो के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि भारत को महान और विश्वगुरु बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए भाजपा का पंचायत से लेकर संसद तक लंबा और निर्बाध शासन होना चाहिए जैसा कांग्रेस को 30 साल से ज्यादा समय तक मिला था।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बहुत कुछ किया लेकिन दशकों के लंबे कांग्रेस शासनकाल के बाद ‘‘कुव्यवस्था’’ से देश को बाहर निकालने के लिए तथा इसे आर्थिक और सैन्य महाशक्ति बनाने के लिए पांच साल पर्याप्त नहीं हैं। विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में हो रहे हैं और इनमें से तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा सत्ता में है तथा उसका काफी कुछ दांव पर है। भाजपा 2003 से ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता में है। उसके प्रतिद्वंद्वियों का मानना ​​है कि तीन राज्यों में उसके प्रदर्शन में ज्यादा गिरावट आने से अगले साल के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष को नयी ऊर्जा मिल जाएगी।
 
तेलंगाना और मिजोरम दो अन्य चुनावी राज्य हैं। शाह ने मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सिर्फ जीत के लिए काम नहीं करें बल्कि ऐसी भारी जीत के लिए काम करें जिससे मतों की गिनती के दिन भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों का जोश ठंडा हो जाए। उन्होंने कहा कि 2018 के चुनावों को सामान्य चुनाव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। ये देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण चुनाव हैं क्योंकि इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र में दो बार सत्ता में रही है- पहले अटल बिहारी वाजपेयी के तहत और अब मोदी के तहत। मौजूदा सरकार को पुननिर्वाचित करने से देश तेजी से आगे बढ़ेगा। 
 
शाह ने कहा कि 2019 के चुनावों में जीत से भाजपा लंबे समय तक पंचायत से लेकर संसद तक अजेय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें पक्का भरोसा है कि अजेय भाजपा से खुशहाल, सुरक्षित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। 2014 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद पार्टी को कई चुनावों में मिली जीत का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि यह मोदी के नेतृत्व और पार्टी कार्यकर्ताओं की कठोर मेहनत का नतीजा है।
 
उन्होंने कांग्रेस पर घुसपैठियों और नक्सलियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया तथा कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को इन मुद्दों पर अपनी पार्टी का रूख स्पष्ट करना चाहिए। शाह ने कहा कि यदि 2019 में भाजपा सत्ता में आयी तो उसकी सरकार घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी। उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है कि राज्य को कैसे चलाया जाना चाहिए। शाह ने कहा कि चौहान ने "बीमारू" मध्य प्रदेश को एक विकसित राज्य में बदल दिया और उनकी सरकार का मकसद अपने अगले कार्यकाल में इसे देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक बनाना है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह भाजपा के विकास एजेंडे से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से राज्य सरकार के कार्यों, मोदी के संदेश और पार्टी की विचारधारा को हर घर तक पहुंचाने को कहा।
 

भारत की राजनीति में राफेल विवाद ने भूचाल मचा कर रख दिया है। लड़ाकू विमान राफेल की खरीदारी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। राहुल ने कहा की मोदी जी ने राफेल डील में बड़ा घोटाला किया है उन्होंने अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया और अंबानी से बड़ी डील की। विपक्ष ने राफेल को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। राहुल गांधी ने फ्रांस की राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसके बाद दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर खुद सामने आये और उन्होंने  राहुल गांधी के सभी आरोपो को खारिज करते हुए राहुल गांधी के सभी आरोपो का करारा जबाव दिया।

समाचार एजेंसी एनएनआई के साथ दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कई खुलासे भी किये। ट्रैपियर ने कहा कि राफेल डील में दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस ज्वाइंट वेंचर के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट को लेकर मैंने झूठ नहीं बोला। इसके साथ ही ट्रैपियर ने साफ किया कि हमने रिलायंस को खुद चुना, इसके अलावा 30 साझेदार और हैं। राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ''मैं झूठ नहीं बोलता. मैंने जो बात पहले कही और जो बयान दिया बिल्कुल सही हैं। मैं झूठ बोलने के लिए नहीं जाना जाता। मेरे पद पर आप झूठ नहीं बोल सकते।''

 
दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने आगे कहा कि हमाने पहले कांग्रेस पार्टी के साथ भी सौदा किया था लेकिन जो राहुल गांधी ने आरोप लगाए है उससे हमें दुख पहुंचा है। ट्रैपियर ने कहा, ''कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का हमारा लंबा अनुभव है। हमारी पहली डील 1953 में प्रधानमंत्री नेहरू के साथ थी। इसके बाद भी हमने कई प्रधानमंत्रियों के साथ डील की। हम भारत के साथ काम कर रहे हैं, किसी पार्टी के साथ नहीं. हम भारतीय वायुसेना और भारत सरकार को सामरिक उत्पाद जैसे लड़ाकू विमान सप्लाई कर रहे हैं, यही सबसे महत्वपूर्ण है।''
 
दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर के बयान सामने आने के बाद राफेल विवाद एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है कि अब कौन सच्चा है और कौन झूठा। 
 
 
आपको बता दें कि केन्द्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का पूरी तरह पालन किया गया और "बेहतर शर्तों" पर बातचीत की गयी थी। इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की। गौरतलब है कि राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष भाजपा नीत केंद्र सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है। सरकार ने 14 पृष्ठों के हलफनामे में कहा है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है। इस हलफनामे का शीर्षक ‘‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण’’ है। केन्द्र ने राफेल विमानों की खरीद के सौदे की कीमत से संबंधित विवरण सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया। केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने को लेकर अनिच्छुक था और उसने कहा था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत के 31 अक्टूबर के आदेश का पालन करते हुए निर्णय लेने की प्रक्रिया और कीमत का ब्यौरा पेश किया गया। न्यायालय अब दोनों दस्तावेजों पर गौर करेगा और बुधवार को सुनवाई करेगा। एक वरिष्ठ विधि अधिकारी ने बताया कि विभिन्न आपत्तियों के मद्देनजर सौदे के मूल्य का ब्यौरा न्यायालय में एक सीलबंद लिफाफे में दायर किया गया। अधिकारी अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे।

 दस्तावेज में कहा गया है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है और मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने 24 अगस्त, 2016 को उस समझौते को मंजूरी दी जिस पर भारत और फ्रांस के वार्ताकारों के बीच हुयी बातचीत के बाद सहमति बनी थी। 2013 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार थी। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि इसके लिये भारतीय वार्ताकार दल का गठन किया गया था जिसने करीब एक साल तक फ्रांस के दल के साथ बातचीत की और अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सक्षम वित्तीय प्राधिकारी, मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति, की मंजूरी भी ली गयी। 23 सितंबर 2016 को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
 
राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राजग सरकार हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि संप्रग सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी तो उसने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था। दस्तावेज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दोहराए गए आरोपों का भी जिक्र किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन करने के लिए फ्रेंच कंपनी दसाल्ट एविएशन को मजबूर किया ताकि उसे 30,000 करोड़ रुपये ‘‘दिए जा सकें।’’ इसमें कहा गया है कि रक्षा ऑफसेट दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपनी ऑफसेट दायित्वों को लागू करने के लिए अपने भारतीय ऑफसेट सहयोगियों का चयन करने के लिए स्वतंत्र है।

 दस्तावेज में विस्तार से कहा गया है कि क्यों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस सौदे में ऑफसेट पार्टनर बनने में नाकाम रही क्योंकि दसाल्ट के साथ उसके कई अनसुलझे मुद्दे थे। कांग्रेस ने कहा था कि राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सरकार के जवाब से साबित हो गया कि सौदे को अंतिम रूप देने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी नहीं ली गई। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक तरह से सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से विचार-विमर्श नहीं किया गया है।
 
क्या अनुबंध देने के बाद विचार-विमर्श करेंगे या पहले करेंगे?’’। सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार राफेल मामले पर लोगों को गुमराह कर रही है। राफेल सौदे की जांच के लिये अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और फिर अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिकाएं दायर कीं। इसके बाद, आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी अलग से एक याचिका दायर की। पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में एक संयुक्त याचिका दायर की है। 

वाराणसी. वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनगर में बने देश के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल को राष्ट्र के नाम समर्पित किया। मल्टी मॉडल टर्मिनल के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हेलीकॉप्टर गंगा में बने जेटी पर उतरा। यहां से वो पैदल चलते हुए बंदरगाह के टर्मिनल पर पहुंचे।उनके साथ सीएम योगी ओर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी रहे। इस दौरान उन्होंने  निर्माणाधीन प्रशासनिक भवन को भी देखा।  इससे पहले वाराणसी एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व सत्यपाल सिंह के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय ने उनका स्वागत किया। 

जनसभा के बाद देर शाम वह दिल्ली रवाना हो जाएंगे। पीएम के हाथों लोकार्पित होने वाली परियोजनाओं के साथ ही शहर के प्रमुख स्थानों को सजाया संवारा गया है। वाराणसी का मल्टी मॉडल टर्मिनल नदियों पर बना पहला ऐसा टर्मिनल है, जो कंटेनर कार्गो हैंडलिंग में सक्षम होगा।
रामनगर से पीएम मोदी हेलीकॉप्टर से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से वो काफिले के साथ लोकार्पित होने वाली बाबतपुर फोरलेन को देखते हुए वाजिदपुर गांव में सभा स्थल पहुंचेंगे। बाबतपुर से वाजिदपुर के बीच रोड शो में प्रधानमंत्री जनता का अभिवादन करेंगे।
इस दौरान वहां मौजूद लोग पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत करेंगे। रोड शो की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जानकारी के मुताबिक करीब साढे़ तीन बजे प्रधानमंत्री का काफिला बाबतपुर से चलेगा और धीमी रफ्तार से आगे बढ़ेगा। सूत्रों की मानें तो पीएम इस दौरान गाड़ी से उतर कर कुछ दूर तक सड़क पर चहलकदमी भी कर सकते हैं।

काशीवासी प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए तैयार

अपने संसदीय क्षेत्र में 2413 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए काशी पूरी तरह तैयार है। दिवाली जैसा माहौल बनाने के लिए शहर में जगह-जगह एलईडी, फसाड और फोकस लाइट लगाई गई हैं। बड़ी इमारतों के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों पर लाइटिंग कर उनकी खूबसूरती निखारी गई है। घाटों पर फसाड लाइट लगाई गई हैं। बाबतपुर फोरलेन, रिंग रोड, रामनगर के मल्टी मॉडल टर्मिनल और दीनापुर एसटीपी को रंगीन लाइट से जगमग कर दिया गया है।
बाबतपुर फोरलेन के पोल पर तिरंगी लाइट लगाई गई है। इसके अलावा फ्लाईओवर के नीचे के फव्वारे चला दिए गए हैं। बनारस की खूबसूरत तस्वीरों को भी जगह-जगह होर्डिंग के माध्यम से दिखाने की कोशिश की गई है। बनारस के पुल, पोल सहित अन्य जगहों पर एलईडी लाइटिंग की गई है। रविवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने चौराहों और महापुरुषों की प्रतिमाओं के पास साफ-सफाई की।  इस बीच रविवार को गांव और शहर में जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को प्रधानमंत्री की वाजिदपुर में होने वाली सभा के लिए निमंत्रण पत्र दिए गए। 

पटना। केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के समर्थकों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान के विरोध में शनिवार को पटना में ‘‘आक्रोश मार्च’’ निकाला। गांधी मैदान से शुरू हुए मार्च को राज भवन पहुंचना था लेकिन पुलिस ने इसे गंतव्य से करीब दो किलोमीटर पहले डाक बंगला रोड चौराहे पर रोक दिया। इस दौरान हुई झड़प में दोनों पक्षों के लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारी कुमार की कथित ‘‘नीच’’ टिप्पणी के खिलाफ बिहार के राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपना चाहते थे।

यह मार्च तब आयोजित किया गया जब एक दिन पहले कुशवाहा ने यह स्पष्ट किया कि रालोसपा ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया है ना कि जनता पार्टी (यूनाइटेड) के साथ। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि कुमार ने रालोसपा प्रमुख को ‘‘नीच’’ कहा तथा उन्होंने मुख्यमंत्री से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग करते हुए नारे लगाए।

नयी दिल्ली। अयोध्या मामले से जुड़े प्रतिवेदनों पर 14 नवंबर को विचार करने से कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरुल हसन रिजवी ने कहा है कि विवादित स्थान पर राम मंदिर बनना चाहिए ताकि देश का मुसलमान ‘सुकून, सुरक्षा और सम्मान’ के साथ रह सके। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उच्चतम न्यायालय को जल्द फैसला करना चाहिए ताकि देश में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके। दरअसल, कुछ मुस्लिम संगठनों ने अयोध्या मामले का हवाला देते हुए आयोग के समक्ष प्रतिवेदन दे रखा है और इस मामले में आयोग से पहल करने की मांग की है।

अल्पसंख्यक आयोग 14 नवंबर को अपनी मासिक बैठक में इन प्रतिवेदनों पर विचार करेगा और फिर देश की शीर्ष अदालत से अयोध्या मामले पर जल्द फैसला सुनाने का आग्रह कर सकता है। रिजवी ने ‘भाषा’ के साथ बातचीत में कहा, ‘‘नेशनल माइनॉरिटी वेलफेयर आर्गनाइजेशन तथा कुछ अन्य संगठनों ने हमारे पास प्रतिवदेन देकर कहा है कि इस वक्त मुस्लिम समाज में डर का माहौल है और ऐसे में आयोग अयोध्या के मामले को लेकर पहल करे ताकि माहौल बेहतर हो सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इन संगठनों का कहना है कि मुस्लिम समाज राम मंदिर बनने दे तथा आगे यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ऐसा कोई दूसरा कोई विवाद खड़ा नहीं होगा।’’

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मेरी भी यह राय है कि अयोध्या में न कभी मस्जिद बन सकती है, न नमाज हो सकती है। वह स्थान 100 करोड़ हिंदुओं की भावना से जुड़ा है। इसलिए वह जमीन राम मंदिर के लिए हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए ताकि मुसलमान सुकून, सुरक्षा और सम्मान के साथ रहे सकें और देश के विकास में बराबर की भागीदारी कर सकें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘14 नवंबर की बैठक में हम इन प्रतिवेदनों पर चर्चा करेंगे। यह मामला न्यायालय के विचाराधीन है और ऐसे में आयोग सिर्फ यही आग्रह कर सकता है कि मामले में जल्द फैसला सुनाया जाए।’’रिजवी ने कहा, ‘‘इस मामले में मेरा भी यह मानना है कि न्यायालय को जल्द फैसला सुनाना चाहिए ताकि समाज में शांति और भाईचारा मजबूत हो सके।’’

गोण्डा (उ.प्र.)। अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर बनाने के लिये कानून लाने की तेज होती मांग और उस पर भाजपा नेताओं की प्रतिबद्धतापूर्ण प्रतिक्रियाओं के बीच इसी पार्टी की सांसद सावित्री बाई फुले ने उस स्थान पर भगवान बुद्ध की प्रतिमा प्रतिष्ठापित करने की मांग की है। बहराइच से भाजपा की सांसद सावित्री ने शुक्रवार रात यहां एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश पर अयोध्या में जब विवादित स्थल पर खुदाई की गयी थी, तो वहां तथागत से जुड़े अवशेष निकले थे। इसलिए अयोध्या में तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं साफ करना चाहती हूँ कि बुद्ध का भारत था। अयोध्या बुद्ध का स्थान है। इसलिए वहां तथागत बुद्ध की ही प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए।’’
 
संघ के प्रचारक एवं भाजपा के राज्य सभा सदस्य राकेश सिन्हा द्वारा राम मंदिर निर्माण के पक्ष में एक निजी विधेयक लाए जाने संबंधी सवाल पर पार्टी सांसद ने कहा, ‘‘भारत का संविधान धर्म निरपेक्ष है, जिसमें सभी धर्मों की सुरक्षा की गारंटी दी गयी है। संविधान के तहत ही देश चलना चाहिए। सांसद या विधायक को भी संविधान के तहत ही चलना चाहिए।’’ भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब साधु-संत तथा विभिन्न तथाकथित हिन्दूवादी संगठन अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये कानून बनाने के लिये सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या के विवादित स्थल मामले पर नियमित सुनवाई अगले साल जनवरी तक टाले जाने के बाद से शुरू हुई इस कवायद के बाद भाजपा नेता राम मंदिर निर्माण को लेकर अपनी संकल्पबद्धता जाहिर करने वाले बयान दे रहे हैं। 

 

भारतीय पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी को साहस के लिए लंदन प्रेस फ्रीडम अवार्ड 2018 से सम्मानित किया गया है। सत्ताधारी भाजपा की आईटी सेल को लेकर खोजी पत्रकारिता के लिए उन्हें इस अवार्ड के लिए चुना गया।

 

‘आई एम ट्रोल: इनसाइड द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ द बीजेपी डिजिटल आर्मी’ की लेखिका स्वतंत्र पत्रकार स्वाति ने इटली, मोरक्को और तुर्की के पत्रकारों को हराकर यह पुरस्कार जीता। 
पुरस्कार जीतने पर स्वाति ने कहा, ‘यह मेरे लिए काफी अहमियत रखता है। मुझे नहीं लगता कि पत्रकारों ने अपना काम करना बंद कर दिया है, लेकिन पूरे दुनिया की सरकारें अपनी आलोचना को लेकर असहिष्णु हो गई हैं।

मुझे ऑनलाइन काफी धमकियां दी गईं, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की। अगर मैं ऐसा करती तो अपना काम नहीं कर पाती।’ इस कार्यक्रम का आयोजन गुरुवार रात रिपोर्ट्स सैंस फ्रंटियर्स (आरएसएफ) और रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स ने किया था। 

  • एम-777 होवित्जर तोप रासायनिक हमले को भांपने में सक्षम
  • पाकिस्तान और चीन की सीमा जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में होवित्जर बेहद कारगर
  • सेना में के-9 वज्र तोप भी शामिल, इसे भारतीय निजी क्षेत्र ने बनाया

मुंबई. भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा हो गया है। महाराष्ट्र के दवलाली में शुक्रवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में सेना को एम-777 होवित्जर तोप और के-9 वज्र तोप सौंपी गईं। इस मौके पर सेना प्रमुख विपिन रावत भी मौजूद रहे। होवित्जर तोप की मारक क्षमता 40-50 किलोमीटर है। इसी तरह के-9 28 से 38 किलोमीटर तक की रेंज में सटीक निशाना साध सकती है।

 होवित्जर की 7 रेजीमेंट बनेंगी

थल सेना 145 एम 777 होवित्जर की सात रेजीमेंट भी बनाने जा रही है। इन तोपों की आपूर्ति अगस्त 2019 से शुरू हो जाएगी और यह पूरी प्रक्रिया 24 महीने में पूरी होगी। इसे हेलीकॉप्टर या विमान के जरिए एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। होवित्जर अमेरिका में बनी बेहद हल्की तोप है। इसे अफगानिस्तान और इराक युद्ध में इस्तेमाल किया जा चुका है। अभी इसका इस्तेमाल अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं।

 2020 तक सौंपी जाएंगी 100 के-9

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने संवाददाताओं से कहा कि के-9 वज्र के प्रोजेक्ट पर 4,366 करोड़ रुपए और एम-777 होवित्जर के प्रोजेक्ट पर 5070 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं। यह काम नवंबर 2020 तक पूरा होगा। सेना को के-9 श्रेणी की 100 तोपें सौंपी जानी है। इस महीने 10 तोपें सौंपी जाएंगी। अगली 40 तोपें नवंबर 2019 में और बाकी 50 तोपें नवंबर 2020 तक सौंपी जाएंगी।

 जुलाई तक पूरी हो जाएगी रेजीमेंट

के-9 वज्र 30 सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है। इसकी पहली रेजीमेंट जुलाई 2019 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसे भारतीय निजी क्षेत्र ने तैयार किया है।

नोटबंदी के दो वर्ष पूरे हो गये हैं। अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित बनाने की दिशा में सरकार द्वारा जो भी कदम उठाए गए उनमें नोटबंदी एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम है। सबसे पहले सरकार ने देश के बाहर काले धन पर निशाना साधा। संपत्ति धारकों को दंड कर के भुगतान पर उस पैसे को वापस लाने के लिए कहा गया। जो लोग ऐसा करने में असफल रहे हैं उन पर ब्लैक मनी एक्ट के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है। दूसरे देशों में मौजूद सभी बैंक अकाउंट्स और संपत्तियों का विवरण सरकार तक पहुंचा है, जिसके परिणामस्वरूप नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई हुई।
 
तकनीकी का इस्तेमाल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों पर रिटर्न दाखिल करने और टैक्स बेस का विस्तार करने के लिए किया गया है। कमजोर वर्ग भी देश की औपचारिक अर्थव्यवस्था का हिस्सा हों, यह सुनिश्चित करने की दिशा में वित्तीय समावेशन एक और महत्वपूर्ण कदम था। जन धन खातों के जरिए अधिक से अधिक लोग बैंकिंग प्रणाली से जुड़ चुके हैं। आधार के जरिए सरकारी सहायता का प्रत्यक्ष और पूरा लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंच रहा है। जीएसटी के जरिए अप्रत्यक्ष करों के भुगतान की प्रक्रिया को सरल बनाना सुनिश्चित किया गया।
 
नकद की भूमिका
 
भारत नकदी के वर्चस्व वाली अर्थव्यवस्था थी। नकद लेन-देन में, लेने वाले और देने वाले का पता नहीं लगाया जा सकता। इसमें बैंकिंग प्रणाली की भूमिका पीछे छूट जाती है और साथ ही टैक्स सिस्टम भी बिगड़ता है। नोटबंदी ने नकद धारकों को सारा कैश बैंकों में जमा करने पर मजबूर किया। बैंकों में नकद जमा होने और किसने जमा किए, ये पता चलने के परिणामस्वरूप 17.42 लाख संदिग्ध खाता धारकों की पहचान हो सकी। नियमों का उल्लंघन करने वालों को दंड कार्रवाई का सामना करना पड़ा। बैंकों में ज्यादा धन जमा होने से बैंकों की ऋण देने की क्षमता में भी सुधार हुआ। आगे निवेश के लिए इस धन को म्यूचुअल फंड में बदल दिया गया। ये कैश भी औपचारिक प्रणाली का हिस्सा बन गया।
 
गलत तर्क
 
नोटबंदी की एक बे-तर्क आलोचना यह है कि लगभग पूरा नकद बैंकों में जमा हो गया है। नोटबंदी का उद्देश्य नकदी की जब्ती नहीं था। नोटबंदी का उद्देश्य था कैश को औपचारिक अर्थव्यवस्था में शामिल कराना और कैशधारकों को टैक्स सिस्टम में लाना। भारत को नकद से डिजिटल लेनदेन में स्थानांतरित करने के लिए सिस्टम में बदलाव की ज़रूरत है। इसका स्पष्ट रूप से उच्च कर राजस्व और उच्च कर आधार पर असर होगा।
 
डिजिटलीकरण पर प्रभाव
 
‘द यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस’ यानि एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) 2016 में लॉन्च किया गया था जिसके जरिए दो मोबाइल धारकों के बीच वास्तविक समय में भुगतान संभव है। इसके जरिए हुआ लेन-देन अक्टूबर 2016 के 0.5 अरब रुपयों से बढ़कर सितंबर 2018 में 598 अरब रुपये पहुंच गया। भारत इंटरफेस फॉर मनी यानि भीम (बीएचआईएम) एनपीसीई द्वारा विकसित किया गया एक ऐप है, जिसमें यूपीआई का उपयोग कर त्वरित भुगतान किया जाता है। इस समय करीब 1.25 करोड़ लोग लेनदेन के लिए भीम ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। भीम ऐप के जरिए लेनदेन सितंबर 2016 के 0.02 अरब रुपये से बढ़कर सितंबर 2018 में 70.6 अरब रुपये हो गया। जून 2017 में यूपीआई के जरिए हुए कुल लेनदेन में भीम ऐप की हिस्सेदारी लगभग 48% है।
 
रुपे कार्ड का उपयोग प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) और ई-कॉमर्स दोनों में किया जाता है। इसके जरिए प्वाइंट ऑफ सेल में नोटबंदी से पहले 8 अरब रुपयों का लेनदेन हुआ था वहीं सितंबर 2018 में यह बढ़कर 57.3 अरब रुपये हो गया और ई-कॉमर्स में ये आंकड़ा 3 अरब रुपयों से बढ़कर 27 अरब रुपये हो गया।
 
आज यूपीआई और रुपे कार्ड की स्वदेशी भुगतान प्रणाली के आगे वीजा और मास्टरकार्ड भारतीय बाजारों में अपनी हिस्सेदारी खो रहे हैं। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से होने वाले भुगतान में यूपीआई और रूपे की हिस्सेदारी अब 65% तक पहुंच चुकी है।
 
प्रत्यक्ष करों पर प्रभाव
 
नोटबंदी का प्रभाव व्यक्तिगत इनकम टैक्स कलेक्शन पर भी देखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तीय वर्ष 2018-19 (31-10-2018 तक) इनकम टैक्स कलेक्शन में 20.2% बढ़ोतरी देखी गई है। कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन भी 19.5% अधिक रहा। नोटबंदी से दो साल पहले जहां प्रत्यक्ष कर कलेक्शन में क्रमशः 6.6% और 9% की वृद्धि हुई, वहीं नोटबंदी के बाद के दो वर्षों- 2016-17 में 14.6% और 2017-18 में 18% की वृद्धि दर्ज हुई।
 
इसी तरह वर्ष 2017-18 में इनकम टैक्स रिटर्न 6.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25% अधिक है। इस साल, 31-10-2018 तक 5.99 करोड़ रुपये का रिटर्न दाखिल किया जा चुका है जो पिछले वर्ष की इस तारीख तक की तुलना में 54.33% अधिक है। इस साल 86.35 लाख नये करदाता भी जुड़े हैं।
 
मई 2014 में जब वर्तमान सरकार चुनी गई, तब इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों की कुल संख्या 3.8 करोड़ थी। इस सरकार के पहले चार वर्षों में यह संख्या बढ़कर 6.86 करोड़ हो गई है। इस सरकार के पहले पांच वर्ष पूरे होने तक हम निर्धारिती आधार को दोगुना करने के करीब होंगे।
 
अप्रत्यक्ष कर पर प्रभाव
 
नोटबंटी और जीएसटी के लागू होने से नकद लेनदेन बड़े पैमाने पर खत्म हुआ है। डिजिटल लेनदेन में बढ़ावा साफ देखा जा सकता है। इससे अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचा है, करदाताओं की संख्या बढ़ी है। जीएसटी लागू होने के बाद करदाताओं का आंकड़ा पहसे के 60 लाख 40 हजार से बढ़कर 1 करोड़ 20 लाख हो गया। नेट टैक्स के हिस्से के रूप में दर्ज वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक खपत अब बढ़ी है। इसने अर्थव्यवस्था में अप्रत्यक्ष कर वृद्धि को बढ़ावा दिया है। इससे केंद्र और राज्य दोनों को फायदा हुआ है। जीएसटी के बाद प्रत्येक राज्य को हर साल कराधान में अनिवार्य 14% की वृद्धि हो रही है। तथ्य यह है कि निर्धारकों को अपने कारोबार की घोषणा अब न केवल अप्रत्यक्ष कर के प्रभावित आंकड़े के साथ करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि कर निर्धारण में उनसे उत्पन्न आयकर का खुलासा किया गया है। 2014-15 में जीडीपी अनुपात पर अप्रत्यक्ष कर 4.4% था। जीएसटी के बाद यह कम से कम 1 प्रतिशत अंक बढ़कर 5.4% तक चढ़ गया है।
 
छोटे करदाताओं को 97,000 करोड़ रुपये, जीएसटी निर्धारकों को 80,000 करोड़ रुपये की वार्षिक आयकर राहत देने के बावजूद टैक्स कलेक्शन बढ़ा है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों करों की दरें कम कर दी गई हैं, लेकिन टैक्स कलेक्शन बढ़ गया है। टैक्स बेस का विस्तार किया गया है। प्री-जीएसटी 31% कर दायरे में आने वाली 334 वस्तुओं पर कर कटौती देखी गई है।
 
सरकार ने इन संसाधनों का इस्तेमाल बेहतर बुनियादी ढांचा निर्माण, सामाजिक क्षेत्र और ग्रामीण भारत के विकास के लिए किया है। इससे बेहतर क्या हो सकता है कि आज गांव सड़कों से जुड़ें हैं, हर घर बिजली पहुंच रही है, ग्रामीण स्वच्छता दायरा 92% पहुंच चुका है, आवास योजना सफल हो रही है, 8 करोड़ गरीब घरों तक गैस कनेक्शन पहुंचा है। दस करोड़ परिवारों को आयुष्मान भारत का लाभ मिल रहा है। सब्सिडी वाले भोजन पर 1,62,000 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, किसानों के लिए एमएसपी में 50% की वृद्धि और सफल फसल बीमा योजना। यह अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण है जिससे 13 करोड़ उद्यमियों को मुद्रा लोन मिला है। सातवां वेतन आयोग चंद हफ्तों के भीतर लागू किया गया था और वन रैंक वन पेंशन का वादा पूरा किया गया। अधिक व्यवस्थित अर्थव्यवस्था यानि अधिक राजस्व, गरीबों के लिए अधिक संसाधन, बेहतर बुनियादी ढांचा, और हमारे नागरिकों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन।
 
-अरुण जेटली
(लेखक केंद्रीय वित्त मंत्री हैं)

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