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नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने यहां एक अदालत के समक्ष दावा किया है कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व नेता कन्हैया कुमार ने सरकार के खिलाफ नफरत और असंतोष भड़काने के लिए 2016 में भारत विरोधी नारे लगाए थे। अदालत इस मामले में दाखिल आरोपपत्र पर 19 जनवरी को विचार करेगी। पुलिस ने आरोपपत्र में कई गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए कहा है कि नौ फरवरी 2016 को विश्वविद्यालय परिसर में कन्हैया प्रदर्शनकारियों के साथ चल रहे थे और काफी संख्या में अज्ञात लोग नारेबाजी कर रहे थे। 

 

 गौरतलब है कि संसद हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरू को दी गई फांसी की बरसी पर विश्वविद्यालय परिसर में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। अदालत 19 जनवरी को आरोपपत्र पर विचार करेगी। यह मामला मंगलवार के लिए सूचीबद्ध था लेकिन संबद्ध न्यायाधीश के अवकाश पर रहने को लेकर मामले की सुनवाई अगली तारीख के लिए मुल्तवी कर दी गई। आरोपपत्र के मुताबिक गवाहों ने यह भी कहा कि कन्हैया घटनास्थल पर मौजूद था जहां प्रदर्शनकारियों के हाथों में अफजल के पोस्टर थे। ‘‘अंतिम रिपोर्ट में कहा गया है कि कन्हैया ने सरकार के खिलाफ नफरत और असंतोष भड़काने के लिए खुद
इसमें कहा गया है कि एजेंसी ने जिन साक्ष्यों को शामिल किया है उनमें जेएनयू की उच्चस्तरीय कमेटी, जेएनयू के कुलसचिव भूपिंदर जुत्सी का बयान और मोबाइल फोन रिकार्डिंग (जिसमें कुमार को कार्यक्रम के रद्द होने को लेकर बहस करते सुना गया) शामिल है। इसमें कहा गया है, ‘‘कन्हैया ने उनसे (जुत्सी) से यह भी कहा कि इजाजत के बगैर भी कार्यक्रम करेंगे।’’ पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य के बारे में कहा कि उन्होंने भारत विरोधी नारे लगाए थे। आरोपपत्र में कहा गया है कि कई वीडियो में उमर खालिद को नारे लगाते देखा गया है जिससे उसकी मौजूदगी की पुष्टि हुई है। उसके मोबाइल फोन की लोकेशन का भी बतौर साक्ष्य इस्तेमाल किया गया। 

जमुई (बिहार)। जिले में चकाई थाना क्षेत्र के गुरूरबाद गांव में कथित माओवादियों के एक दस्ते ने पुलिस मुखबिरी के संदेह में मंगलवार देर रात दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी। इस हमले में एक महिला घायल हुई है। चकाई के थानाप्रभारी चंदेश्वर पासवान ने बुधवार को बताया कि कल देर रात करीब आठ हथियारबंद माओवादियों के दस्ते ने घर में घुस कर बरमोरिया पंचायत के ग्राम कचहरी सचिव मोहम्मद उस्मान (40) और उनके पड़ोसी मोहम्मद गुलाम (38) की गोली मारकर हत्या कर दी।

 

 उन्होंने बताया कि इस हमले में उस्मान की पत्नी सबरीन खातून को हाथ में गोली लगी है। उन्हें चकाई रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दस्ता दोनों की हत्या करने के बाद मौके से फरार हो गया। उनकी ओर से मौके पर छोड़े गए एक पर्चें में लिखा है ‘पुलिस के लिए मुखबिरी करने का यही अंजाम होता है।’।
मौके से मिले पर्चे के आधार पर स्थानीय पुलिस सूत्रों ने बताया कि यह हथियारबंद दस्ता प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का था। पासवान ने बताया कि पुलिस और सीआरपीएफ की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।

नयी दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक ईसाई संगठन के कार्यक्रम में कहा कि ‘‘हम जीतें या हारें, हम लोगों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे’’। उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में सामूहिक धर्मांतरण रुकना चाहिए। सिंह ने कहा कि वह किसी भी धर्म के अनुसरण की आजादी का समर्थन करते हैं लेकिन उनकी राय है कि सामूहिक धर्मांतरण किसी भी देश के लिए चिंता की बात है और इसलिए इस विषय पर बहस जरूरी है। उन्होंने कहा कि जहां तक सरकार की बात है तो किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा। राष्ट्रीय ईसाई महासंघ द्वारा आयोजित समारोह में गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैंने कभी अपने जीवन में जाति, वर्ण और धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया है। हमें वोट मिलें या नहीं मिलें। हम सरकार बनाएं या नहीं बनाएं। हम जीतें या हारें। लेकिन हम लोगों के बीच भेदभाव नहीं करेंगे। यही हमारे प्रधानमंत्री का कहना है।’’ 

 

 सिंह ने कहा कि बिना प्रेम के कोई भी सत्ता और शासन में नहीं रह सकता। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी प्रेम से ही शासन कर सकता है। कोई दूसरा तरीका नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं ईसाई समुदाय को लेकर एक चीज और कहूंगा। हम किसी के खिलाफ आरोप नहीं लगाना चाहते। आपने भी सुना होगा। अगर कोई व्यक्ति किसी धर्म को अपनाना चाहता है तो उसे ऐसा करना चाहिए। इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लेकिन अगर सामूहिक धर्मांतरण शुरू होता है, तो बड़ी संख्या में लोग धर्म बदलना शुरू कर देते हैं, तो यह किसी भी देश के लिए चिंता की बात हो सकती है।’’ सिंह ने कहा कि ब्रिटेन और अमेरिका समेत लगभग सभी देशों में अल्पसंख्यक धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग करते हैं। भारत में मैं देखता हूं कि बहुसंख्यक मांग करते हैं कि धर्मांतरण विरोधी कानून होना चाहिए। तो यह चिंता की बात है। ऐसा नहीं होना चाहिए।
 
उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के बीच डर की भावना भरने की कोशिशें हो रही हैं। कहा जा रहा है कि ‘‘भाजपा आ गई। अब गड़बड़ होगा। ये होगा, वो होगा। हम डर की भावना भरकर देश नहीं चलाना चाहते। हम विश्वास के साथ देश चलाना चाहते हैं। किसी के अंदर अलगाव की भावना नहीं होनी चाहिए। यही हमारी कोशिश रहेगी।’’ उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राजग सरकार को बदनाम करने की कोशिशें हो रही हैं। सिंह ने कहा, ‘‘हाल ही में चर्चों पर पत्थर फेंके गये। कुछ पादरी मेरे पास आये और सुरक्षा मांगी। मैंने उन्हें भरोसा दिलाया कि इसमें शामिल सभी लोगों को दंडित किया जाएगा। मैंने उन्हें सुरक्षा का भरोसा भी दिलाया। लेकिन विधानसभा चुनावों से एक महीने पहले पथराव शुरू हुआ और इसके एक महीने बाद रुक गया। इस पर आप क्या कहेंगे। यह किसकी साजिश है?’’

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव की नियुक्ति को चुनौती देने वाली एनजीओ की याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एन एल राव और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ के समक्ष बुधवार को इस मामले का तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया था। याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन ‘कॉमन कॉज’ और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ मामले की सुनवाई शुक्रवार को करने का अनुरोध किया।

 

 न्यायमूर्ति गोगोई ने भूषण से कहा कि इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को करना ‘‘निश्चित ही असंभव’’ है और सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी। सीबीआई के नए निदेशक की नियुक्ति होने तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक राव को 10 जनवरी को अंतरिम प्रमुख का प्रभार सौंपा गया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने आलोक कुमार वर्मा को भ्रष्टाचार और कर्तव्य की उपेक्षा के आरोपों के कारण जांच एजेंसी के प्रमुख पद से हटा दिया था। इस समिति में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के प्रतिनिधि के रूप में न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी भी थे।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने देशद्रोह से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को खत्म करने की पैरवी करते हुए बुधवार को कहा कि वर्तमन में इस औपनिवेशिक कानून की जरूरत नहीं है।

 उनका यह बयान उस वक्त आया है जब जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में दो साल पहले हुई कथित नारेबाजी के मामले में दिल्ली पुलिस ने हाल ही में कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है जिसमें धारा 124ए भी लगाई गयी है। सिब्बल ने ट्वीट किया, 'देशद्रोह के कानून (आईपीसी की धारा 124ए) को खत्म किया जाए। यह औपनिवेशिक है।'।
उन्होंने कहा, 'असली देशद्रोह तब होता है जब सत्ता में बैठे लोग संस्थाओं के साथ छेड़छाड़ करते हैं, कानून का दुरुपयोग करते हैं, हिंसा भड़काकर शांति एवं सुरक्षा की स्थिति खराब करते हैं।' सिब्बल ने कहा, 'इन लोगों को 2019 (लोकसभा चुनाव) में दंडित करिये। सरकार बदलो, देश बचाओ।'

जयपुर। राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सोमवार को कहा कि देश में केवल कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा को चुनौती दे सकती है और उसे हरा सकती है। साथ ही पायलट ने विश्वास जताया कि कांग्रेस की अगुवाई वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) केंद्र में अगली सरकार बनाएगा। पायलट ने कहा कि संवैधानिक संस्थानों को नष्ट करने में अपनी सारी ताकत लगा देने वालों को हराने के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों को साथ आना होगा।

अपने निवास पर संवाददाताओं से बातचीत में पायलट ने कहा, ‘प्रमुख घटक दलों के टूटने से जहां राजग कमजोर हुआ है वहीं संप्रग के सहयोगी दलों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया है।’ उन्होंने कहा कि 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व में संप्रग सरकार बनाएगा। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बसपा तथा अन्य दलों के साथ सीटों को लेकर गठजोड़ नहीं होने पर पायलट ने कहा कि कांग्रेस को कभी कमजोर नहीं आंकना चाहिए।

पायलट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में हम सभी 80 सीटों पर लड़ेंगे। 2009 में कांग्रेस ने 22-23 सीटें जीतीं थीं तो कांग्रेस को कभी भी कमजोर नहीं आंकना चाहिए। जैसा राहुल गांधी ने कहा है कि वे उस गठबंधन का सम्मान करते हैं लेकिन कांग्रेस अपने दम पर लड़ेगी और अच्छी सीटें जीतेगी। पायलट ने कहा, ‘भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर अगर कोई पार्टी चुनौती देकर हरा सकती है तो वह कांग्रेस पार्टी है। सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलों को देशहित में, हिंदुस्तान की भलाई के लिए, (संवैधानिक) संस्थानों को खत्म करने में लगी ताकतों को परास्त करने के लिए मिलकर काम करना होगा।’

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पायलट ने कहा कि बीते पांच साल में संप्रग का कुनबा लगातार बढ़ता रहा है वहीं राजग के घटक दल उससे छिटकते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘(लोकसभा) चुनाव दूर नहीं है और जिस प्रकार से भाजपा के खेमे में खलबली मची है उससे साफ दिखता है कि भाजपा ये चुनाव हारने जा रही है। राजग का गठबंधन लगातार कमजोर हुआ है और बीते पांच साल में आठ से दस पार्टियां उसका साथ छोड़ चुकी हैं। चाहे वह देवेगौड़ा हों, शरद पवार हों, चंद्रबाबू नायडू हों या एम के स्टालिन... ये सभी राहुल गांधी के नेतृत्व में अपना भरोसा जता चुके हैं और 2019 में संप्रग की सरकार केंद्र में बनने जा रही है।’

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में उन्होंने कहा कि तीन राज्यों में जिस प्रकार से कांग्रेस की सरकारें बनी हैं... यह आने वाले लोकसभा चुनाव का भी संकेत है। 15 तारीख से हम लोग हर लोकसभा क्षेत्र के प्रमुख नेताओं तथा कार्यकर्ताओं से जयपुर में मुलाकात करेंगे और लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों का पैनल तैयार कर बहुत जल्द दिल्ली भेजेंगे।

 

जम्मू। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आतंकवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़ने की सोमवार को अपील करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि उनका प्रशासन उनके पुनर्वास के लिए जो भी हो सकेगा करेगा। मलिक ने एक कार्यक्रम के इतर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘आपरेशन आल आउट जैसा यहां कुछ भी नहीं है। कुछ लोग इस गलत शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि ये बच्चे (आतंकवादी) वापस लौटें और हम जो कुछ भी उनके लिए कर सकते हैं, करने के लिए तैयार हैं।’ वह कुछ राजनेताओं द्वारा ‘आपरेशन ऑल आउट’ रोकने और कश्मीर घाटी में हत्या की जांच की मांग करने के आलोक में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

मलिक ने कहा कि जब कोई आतंकवादी कहीं भी गोली चलाता है और विस्फोटक फेंकता है- तो ऐसा नहीं हो सकता है कि आप गोली चलायें और हम आपको फूल और गुलदस्ता भेजें। हमारी तरफ से ‘आपरेशन आल आउट’ नहीं चलाया जा रहा है। उन्हें (आतंकवादियों को) यह रास्ता छोड़ देना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें कुछ नहीं मिलेगा। आपरेशन आल आउट की तरह कुछ भी नहीं है।’ नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश में अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो वह राज्य में हुई हत्याओं के लिए वह अलग से एक आयोग का गठन करेंगे, राज्यपाल ने कहा कि वह रोज कुछ न कुछ बयानबाजी करते रहते हैं।


राज्यपाल ने कहा कि वह एक वरिष्ठ राजनेता हैं इसलिए उनके बारे में टिप्पणी करना अच्छा नहीं है। मलिक ने कहा कि मुख्यधारा के राजनेताओं की राजनीतिक जरूरतें हैं और हमारे देश में वोट के लिए लोग किसी हद तक जा सकते हैं। कुछ राजनेताओं के हालिया बयान के बारे में पूछे जाने पर मलिक ने कहा, ‘वे सब राजनेता हैं और उनकी राजनीतिक जरूरतें हैं। लोग वोट के लिए इस देश में बहुत दूर जा सकते हैं। मैं सबकी जरूरतों का समझता हूं और उनका सम्मान करता हूं।’ राज्य में विधानसभा चुनावों के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल ने कहा कि उनका प्रशासन इसके लिए तैयार है। राज्यपाल ने कहा कि हम चुनावों के लिए तैयार हैं और जब निर्वाचन आयोग इसका निर्णय करेगा हम चुनाव करायेंगे। इस बीच मलिक ने स्थानीय राजिंदर पार्क में बने संगीतमय फव्वारा और जिम का उद्घाटन किया। इसका निर्माण जम्मू कश्मीर बैंक ने करवाया है।

अहमदाबाद। भाजपा नीत गुजरात सरकार ने सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण सोमवार को लागू किया। इसके साथ ही गुजरात इस नए प्रावधान को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। संसद ने 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक को पिछले सप्ताह मंजूरी दे दी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को इसे मंजूरी दे दी थी।

 

 
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने रविवार को घोषणा की थी कि उनकी सरकार 14 जनवरी से आरक्षण प्रावधान लागू करेगी। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि गुजरात सरकार ने 14 जनवरी 2019 से 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण लाभ लागू करने का फैसला किया है। इसे उन सभी जारी भर्ती प्रक्रियाओं में लागू किया जाएगा जिनमें फिलहाल केवल विज्ञापन प्रकाशित किए गए हैं और परीक्षा का पहला चरण अभी होना शेष है।’’
 
राज्य सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा था, “14 जनवरी को उत्तरायण शुरू होने के साथ सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा।”इसमें कहा गया था कि आरक्षण की नयी व्यवस्था उन दाखिलों और नौकरियों के लिये भी प्रभावी होगी जिनके लिये विज्ञापन 14 जनवरी से पहले जारी हुआ हो लेकिन वास्तविक प्रक्रिया शुरू न हुई हो। ऐसे मामलों में दाखिला प्रक्रिया और नौकरियों के लिये नए सिरे से घोषणाएं की जाएंगी। विज्ञप्ति में कहा गया था कि जो भर्ती या दाखिला प्रक्रिया - परीक्षा या साक्षात्कार- 14 जनवरी से पहले शुरू हो चुकी हैं, उनमें 10 फीसदी आरक्षण लागू नहीं होगा। 

 

नयी दिल्ली। एम नागेश्वर राव की केन्द्रीय जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में नियुक्ति को चुनौती देते हुये सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी। गैर सरकारी संगठन ‘कामन काज’ ने यह जनहित याचिका दायर की है और इसमें जांच ब्यूरो के अंतरिम निदेशक के रूप में एम नागेश्वर राव की नियुक्ति निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। 

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर इस याचिका में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान कानून, 1946 की धारा 4ए के तहत लोकपाल और लोकायुक्त कानून, 2013 में किये गये संशोधन में प्रतिपादित प्रक्रिया के अनुसार केन्द्र को जांच ब्यूरो का नियमित निदेशक नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा-बसपा के गठबंधन का राज्य की राजनीति पर कोई असर नहीं होने का दावा करते हुए रविवार को कहा कि अच्छा है कि दोनों दल एक हो गये हैं। अब भाजपा को इन्हें कायदे से ‘निपटाने‘ में मदद मिलेगी। योगी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘सपा-बसपा के गठबंधन का मतलब, भ्रष्टाचारी, जातिवादी मानसिकता वाले अराजक और गुंडों को सीधे-सीधे सत्ता देकर जनता को उसके भाग्य पर छोड़ देने जैसा है। मैं कह सकता हूं कि इस गठबंधन का प्रदेश की राजनीति पर कोई असर नहीं होने वाला है। अच्छा हुआ दोनों एक हो गये हैं। हमें मदद मिलेगी कायदे से इनको निपटाने के लिये।’’ 

 

 दिल्ली में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में महागठबंधन का बार-बार जिक्र किये जाने के औचित्य के बारे में योगी ने कहा ‘‘गठबंधन कोई चुनौती नहीं है। मैं सपा मुखिया अखिलेश यादव से पूछना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री के रूप में पिछली बार वह (सपा संस्थापक) मुलायम सिंह यादव को आगे कर रहे थे। वह स्पष्ट करें कि इस बार प्रधानमंत्री पद के लिये उनकी नजर में मुलायम हैं या बसपा प्रमुख मायावती। चुनाव के पहले नेता भी स्पष्ट होने चाहिये। नेतृत्वविहीन गठबंधन को जनता खारिज करेगी।’’ उन्होंने यहां तक कहा ‘‘सपा और बसपा अलग-अलग पार्टी क्यों हैं, दोनों का विलय कर दीजिये।’’ 
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि सपा और बसपा ने वर्ष 1993 से लेकर 1995 तक उत्तर प्रदेश में मिलकर सरकार चलायी। दूसरा, सपा और बसपा को प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने का अवसर भी मिला। उनकी कार्यपद्धति को सबने देखा। इन्होंने समाज में जातिवाद का जहर घोला, भ्रष्टाचार और दंगों की आग में प्रदेश को झोंका। योगी ने अयोध्या विवाद के बारे में कहा कि भाजपा ने पहले ही कहा था कि वह संवैधानिक दायरे में रहकर इस समस्या का समाधान करेगी। हम फिर कह रहे हैं कि मामला उच्चतम न्यायालय में है। हम उससे बार-बार अपील कर रहे हैं कि इस मामले को देश के सौहार्द के विकास के लिये अविलम्ब इसका निपटारा होना चाहिये। इसका समाधान भी कोई करेगा तो भाजपा ही करेगी। जिन लोगों ने समस्या पैदा की है वह इसका समाधान नहीं कर सकते।
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