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चुनाव आयोग ने पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित कर दीं, लेकिन एक हद तक मिजोरम और राजस्थान को छोड़ दें तो कहीं भी यह साफ नहीं है कि लड़ाई का स्वरूप क्या होगा? फिर भी ये चुनाव केन्द्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण होने वाले हैं, इन्हीं चुनावों के परिणाम से आगामी आम चुनाव की तस्वीर भी काफी-कुछ स्पष्ट होने वाली है। क्योंकि ये चुनाव अगले आम चुनाव का माहौल बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। इन चुनावों को एक तरह से अगले आम चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है।

 
मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम इन पांच विधानसभा चुनावों में तीन प्रमुख प्रांत हैं, जिनमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने लगातार पिछले चुनाव जीते हैं। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान 14 वर्षों से मुख्यमंत्री हैं और छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह लगातार 2003 से मुख्यमंत्री हैं। इन पांच राज्यों में से सिर्फ मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है। आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद बने तेलंगाना में दूसरी बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मिजोरम में मुख्य लड़ाई कांग्रेस और मिजो नेशनल फ्रंट की अगुआई वाले मिजोरम डेमोक्रैटिक अलायंस के बीच है जबकि राजस्थान में सीधी लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच होनी है। राजस्थान में श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया मुख्यमंत्री हैं, लेकिन वहां उन्हें कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है।
 
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के चुनावों को सबसे ज्यादा दिलचस्पी से देखा जाएगा, दोनों ही प्रांतों में भाजपा को कांटे की टक्कर झेलनी पड़ सकती है। छत्तीसगढ़ में यह पहला मौका है जब बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरा पक्ष भी मैदान में है। अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस ने बीएसपी से गठबंधन किया है। यह पार्टी पहली बार ही विधानसभा चुनाव का सामना कर रही है, इसलिए इसके वास्तविक प्रभाव के बारे में अभी से कुछ कहना मुश्किल है। बीएसपी की ताकत यहां सीमित ही है, लेकिन उसकी बातचीत पहले कांग्रेस से चल रही थी। इन दोनों पार्टियों का साथ आना कांग्रेस के लिए झटका तो है, पर यह गठबंधन चुनाव नतीजों को किस हद तक प्रभावित करेगा, इस बारे में फिलहाल अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। इन पांचों ही राज्यों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है, लेकिन सशक्त केन्द्रीय नेतृत्व के अभाव में मतदाता कौन-सी करवट लेगा, कहा नहीं जा सकता। कांग्रेस भाजपा शासित राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता विरोधी रुझान का फायदा उठाने की पुरजोर कोशिश में है। अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस अगर इन तीनों बड़े राज्यों में कामयाब होती है तो वह भाजपा की अजेय छवि पर गहरा प्रहार होगा। इन तीनों राज्यों में भाजपा को कांग्रेस से गंभीर चुनौती मिलने के आसार दिख रहे हैं। यही वजह है कि इन चुनावों को 2019 के चुनावी महासमर का सेमीफाईनल माना रहा है।
 
इन पांचों ही राज्यों में अपने अलग-अलग चुनावी मुद्दे हैं लेकिन इन मुद्दों में अब केन्द्रीय मुद्दे भी जगह बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनावों में लोगों की राय अलग-अलग रहती आई है। ऐसा जनता पार्टी की सरकार के समय, इन्दिरा गांधी के शासनकाल में और राजीव गांधी शासनकाल में देखने को मिल चुका है। लेकिन इस बार एक तरफ बिजली, पानी, सड़क, महंगाई, बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों के साथ-साथ रुपए की गिरती कीमत, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम, अर्थव्यवस्था की धीमी गति, साम्प्रदायिक-धार्मिकता के मुद्दे भी अहम हो चुके हैं। राज्यस्तरीय घोटालों के मुद्दे भी अहम बन रहे हैं। राजनीतिक दलों की चादर इतनी मैली है कि लोगों ने उसका रंग ही काला मान लिया है। अगर कहीं कोई एक प्रतिशत ईमानदारी दिखती है तो आश्चर्य होता है कि यह कौन है? पर हल्दी की एक गांठ लेकर थोक व्यापार नहीं किया जा सकता है। भ्रष्टाचार, राजनीतिक अपराधीकरण क्यों नहीं सशक्त चुनावी मुद्दे बनते ? 
 
इस बार के विधानसभा चुनावों में देखने को मिल रहा है कि राजनीतिक दल धार्मिक प्रतीकों का सहारा भी पहले की तुलना में कहीं अधिक लेने लगे हैं। शायद भाजपा को शिकस्त देने के लिये हिन्दुत्व का मुद्दा भी प्रमुखता से उछल रहा है। यही कारण है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कभी शिवभक्त, कभी नर्मदा भक्त के रूप में पेश किया जा रहा है। राहुल गांधी राज्यस्तरीय मुद्दों को अपने भाषणों में बहुत कम छूते हैं बल्कि उनका सारा जोर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर प्रहार करने का रहता है। एक तरह से ये चुनाव नरेन्द्र मोदी को पछड़ाने की ही सारी जद्दोजहद दिखाई दे रहे हैं। यह विडम्बना ही है कि हर दल एक बड़ी रेखा को मिटाने की बात तो करता है, लेकिन एक बड़ी रेखा खींचने का प्रयास कोई नहीं कर रहा है।
 
भाजपा अपनी अजेय छवि को बरकरार रखने के लिए पूरा प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही केंद्रित रखने की योजना बना रहा है। सत्ता विरोधी लहर से निबटने के लिए इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किनारे ही रखा जा सकता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस अपनी और अपने अध्यक्ष राहुल गांधी की स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिये हरसंभव प्रयास करती हुई दिख रही है। कांग्रेस के लिये यह अग्निपरीक्षा का दौर है कि वह इन चुनावों में कैसा प्रदर्शन करती है। अगर कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो अगले लोकसभा चुनावों में महागठबंधन की दिशा तय होगी और तभी नरेन्द्र मोदी रूपी किले को ध्वस्त करने की बात सोची जा सकती है। नरेन्द्र मोदी एक करिश्मा है और वह आज भी बरकरार है, जब तक प्रधानमंत्री की छवि को प्रभावित नहीं किया जाता तब तक भाजपा को हराने की बात सोचना ही नासमझी होगी। अनेक विरोधी आंधियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत छवि पर कोई आंच नहीं आई है बल्कि देशवासी उन पर पूरा भरोसा कर रहे हैं। कांग्रेस के जीतने की स्थिति में राहुल गांधी की स्वीकार्यता बढ़ेगी और क्षेत्रीय दलों का दबाव कम होगा। लेकिन यह दिवास्वप्न जैसा प्रतीत हो रहा है।
 
विपक्ष के गठबंधन में कांग्रेस की भागीदारी कितनी होगी, इसका अनुमान भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हो जाएगा। अगर कांग्रेस कमजोर साबित हुई तो उसे क्षेत्रीय दलों के आगे अपनी शर्तें मनवाने में दिक्कतों को सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस को आज जैसा केन्द्रीय नेतृत्व चाहिए, वह उसे नहीं मिल पा रहा है, शायद यही कारण है कि जनता चाहकर भी उसे स्वीकार नहीं कर पा रही है। ‘वंश परंपरा की सत्ता’ से लड़कर मुक्त हुई जनता इतनी जल्दी उसे कैसे भूल सकती है? कुछ मायनों में यह अच्छा है कि राजनीति में वंश की परंपरा का महत्व घटता जा रहा है, अस्वीकार किया जा रहा है। इससे कुछ लोगों को दिक्कत होगी जो परिवार की भूमिका को भुनाना चाहते हैं। लेकिन लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छा ही होगा। जनता अब जान गई है कि राजा अब किसी के पेट से नहीं, ‘मतपेटी’ से निकलता है।
 
नरेन्द्र मोदी अपने या भाजपा के पक्ष में जिस तरह के तथ्य प्रस्तुत करते हैं, उनका जवाब न कांग्रेस के पास है और न अन्य दलों के पास। कांग्रेस पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा, वे नामदार हैं, हम कामदार हैं। उनका मकसद एक परिवार का कल्याण है, हमारा लक्ष्य राष्ट्र निर्माण है। बीजेपी विरोधी दलों की कमजोरी पर नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ लोगों की ताकत पर चलती है। यह विश्वास, यह दृढ़ता एवं यह दिशा भाजपा के सामने खड़े किये जा रहे धुंधलकों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। भले ही भारतीय राजनीति का इतिहास रहा है कि आम चुनावों में कोई एक पार्टी जीतकर सत्तारूढ़ हो जाती है लेकिन उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में विपक्ष की सरकारें बनती रही हैं। इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा, भविष्य के गर्भ में हैं।
 
-ललित गर्ग

मुंबई. अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को एरिक्सन का बकाया चुकाने के लिए 15 दिसंबर तक वक्त मिल गया है। 550 करोड़ रुपए के इस मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि आरकॉम को उसके असेट बेचने में आ रही दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए भुगतान का समय बढ़ाया जा रहा है। लेकिन, इसके बाद डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी।
आरकॉम को 30 सितंबर तक भुगतान करना था
सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम को सालाना 12% ब्याज चुकाने के भी आदेश दिए। पिछले आदेश के मुताबिक आरकॉम को 30 सितंबर तक एरिक्सन को 550 करोड़ रुपए का भुगतान करना था लेकिन, कंपनी नाकाम रही। उसने 60 दिन का अतिरिक्त समय मांगा।
कोर्ट के आदेश के बावजूद भुगतान नहीं करने पर एरिक्सन ने अनिल अंबानी के खिलाफ अदालत की अवमानना करने की याचिका भी लगा दी। इस पर 15 दिसंबर को सुनवाई होगी।
स्वीडन की टेलीकॉम उपकरण निर्माता कंपनी एरिक्सन और आरकॉम के बीच विवाद 4 साल पुराना है। आरकॉम ने 2014 में उसका टेलीकॉम नेटवर्क संभालने के लिए एरिक्सन से 7 साल की डील की थी।
एरिक्सन का कहना है कि अपनी सेवाओं के बदले आरकॉम पर उसका 1,600 करोड़ रुपए का भुगतान बनता है। लेकिन, अनिल अंबानी की कंपनी ने पेमेंट नहीं किया।
एरिक्सन ने आरकॉम के खिलाफ दिवालिया कोर्ट में याचिका लगा दी। कोर्ट में समझौते के तहत आरकॉम 550 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए राजी हुई थी।
जियो को असेट बेच रही है आरकॉम
आरकॉम का कहना है कि अपने असेट की बिक्री से जो पैसा मिलेगा उससे वह एरिक्सन का बकाया चुकाएगी। आरकॉम अपने असेट रिलायंस जियो को बेच रही है। लेकिन, दूरसंचार विभाग से स्पेक्ट्रम बिक्री की मंजूरी नहीं मिल पाई है।
दूरसंचार विभाग आरकॉम से 2947.68 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी मांग रहा है। स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज के तौर विभाग यह गारंटी चाहता है। आरकॉम पर 46,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। अपने असेट और स्पेक्ट्रम की बिक्री से उसे 18,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।

मुंबई. सबरीमाला पर जारी विरोध और विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि पूजा करने का अधिकार सभी को है, लेकिन अपमान करने का नहीं। स्मृति ने मुंबई में ऑब्जर्वर रिसर्च ऑर्गनाइजेशन और ब्रिटिश डिप्टी हाईकमीशन की 'यंग थिंकर्स' कॉन्फ्रेंस में बोल रही थीं।
स्मृति ने कहा- ये सीधा-सा कॉमन सेंस है। क्या आप माहवारी के ब्लड में भीगा सैनेटरी पैड लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगे? आप ऐसा नहीं करेंगे। और आपको लगता है कि आप मंदिर जाते वक्त ऐसा करेंगे तो ये सम्मानजनक होगा? यही फर्क है और यह मेरी निजी राय है। हालांकि, स्मृति ने आगे कहा कि वे केंद्रीय मंत्री हैं और सबरीमाला में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुलेआम नहीं बोल सकती हैं।
मैं हिंदू, जिसकी शादी पारसी से हुई- स्मृति
कॉन्फ्रेंस में स्मृति से सबरीमाला में हुए प्रदर्शन पर सवाल किया गया। स्मृति ने कहा- ‘‘मैं एक हिंदू हूं, जिसका विवाह एक पारसी से हुआ है। मैंने ये तय किया है कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म का पालन करें। मेरे दोनों बच्चों ने अपना नवजोत (पारसी अनुष्ठान) किया है। जब मैं अपने नवजात बच्चे को अंधेरी स्थित सूर्य मंदिर लेकर गई, तब मुझे अपने बच्चे को अपने पति को सौंपना पड़ा। मुझसे वहां से हटने को कहा गया। मैं कार में बैठकर इंतजार करती रही।’’ स्मृति के पति जुबिन ईरानी पारसी हैं। वे दिल्ली के व्यवसायी थे और अब मुंबई शिफ्ट हो चुके हैं। उनके बेटे का नाम जौहर और बेटी का नाम जोइश है।
5 दिन में सबरीमाला में कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी
सबरीमाला मंदिर 17 अक्टूबर को खोला गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर में 10 से 50 साल की कोई महिला प्रवेश नहीं कर सकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए और ये हिंसक भी हो उठे थे। चार महिलाओं समेत केरल की एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा ने मंदिर में प्रवेश की कोशिश की। लेकिन, विरोध की वजह से उन्हें लौटना पड़ा।
ब्रह्मचारी माने जाते हैं भगवान अयप्पा
12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। माना जाता है कि वे ब्रह्मचारी हैं। ऐसे में यहां पीरियड की उम्र (10 से 50 साल) वाली महिलाओं का प्रवेश 800 साल से प्रतिबंधित था। सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्व क्षेत्र में है।

नरसिंहपुर। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अमृतसर में हुए रेल हादसे के बाद कहा है कि जहां अपूज्यों की पूजा और पूज्यों का तिरस्कार होता है वहां ऐसे हादसे होते हैं। दशहरे के दिन प्रधानमंत्री राम मंदिर की जगह शिर्डी में एक मुस्लिम की पूजा करने गए थे। अगर वे इस दिन वहां जाकर पूजा नही करते तो शायद इतना बड़ा हादसा ना होता। उन्होंने कहा कि मोदी को प्रधानमंत्री बने चार साल से ज्यादा का समय हो गया है। लेकिन वो एक बार भी अयोध्या नहीं गए। 

 

शकंराचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री देश के राजा के समान होता है। उसके हर कर्म का असर देश पर पड़ता है। अगर राजा के कर्म अच्छे हैं तो प्रजा सुखी होती है और वहीं राजा के कर्म बुरे हैं तो जनता हमेशा परेशान रहती है। प्रधानमंत्री हिंदुत्व के चेहरे के जरिए पद तक पहुंचे हैं। लेकिन पद पर पहुंचने के बाद उनका हिंदुत्व का चेहरा गायब हो गया। कभी गुजरात में टोपी पहनने से मना करने वाले मोदी अब कबीर की मजार पर जाकर चादर चढ़ा रहे हैं। 

 

सरकार राम मंदिर नहीं बना सकती: उन्होंने कहा कि मोदी ने देश की जनता को वचन दिया था, उसको अपने कार्यकाल में अभी तक पूरा नही किया, इसलिए आगे उन पर कैसे विश्वास करके चलें। अयोध्या में राम मंदिर बनने के विश्वास पर लोगों ने भाजपा को वोट दिया था। लेकिन जनता का ये सपना अभी तक पूरा नहीं हुआ। कोई भी सरकार राम मंदिर नहीं बना सकती, क्योंकि शपथ लेते समय मंत्री धर्मनिरपेक्षता की शपथ लेते हैं। धर्म निरपेक्षता की शपथ लेने वाला राम मंदिर का निर्माण नहीं कर सकता। मोहन भागवत के राममंदिर मुद्दे पर अध्यादेश आने की बात पर शंकराचार्य ने कहा कि यह देश की जनता को गुमराह करने वाली बात की जा रही है।


आरएसएस को दी सलाह: शंकराचार्य ने आरएसएस के हिंदू एजेंडा पर सवाल उठाते हुए कहा कि संघ की शाखाओं में हिंदू संस्कार पढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि संघ के शीर्ष नेतृत्व से जिस तरह की बयानबाजी होती है, उससे यह लगता है कि संघ को सनातन वैदिक संस्कार जो हिंदू धर्म कहलाते हैं, इसका उसको पता ही नहीं है। संघ हिंदुत्व को लेकर देश में भ्रम फैलाने का कार्य कर रहा है, इसलिए संघ के पदाधिकारियों को हिंदू संस्कारों को जानने की आवश्यकता है। शंकराचार्य ने कहा कि संघ को यही पता नहीं है कि सांई परमात्मा हैं या राम परमात्मा हैं। दोनों तो परमात्मा हो नहीं सकते।

मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक रैली में रविवार को भाजपा पर हमला करते हुए दावा किया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को ‘‘किसी भी राजनीतिक गठबंधन की जरूरत नहीं’’ है। उद्धव ने रविवार को शिरडी और अहमदनगर में सार्वजनिक सभाएं की। वह पूरे राज्य में रैलियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जब अटल जी (अटल बिहारी वाजपेयी) की सरकार केंद्र में थी तो उन्हें कई राजनीतिक मित्रों का समर्थन प्राप्त था। (लेकिन) मौजूदा सरकार को किसी भी राजनीतिक गठबंधन की जरूरत नहीं है।' 

उद्धव ने लोगों से प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए जा रहे दावों का सच तलाशने की अपील की। उन्होंने कहा, “मैं अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियों से प्रभावित लोगों का पता लगाने के लिए कह रहा हूं। आप अपनी जानकारियों के साथ पीएम मोदी की एक तस्वीर लगाएं और लोगों को तय करने दें।’’ फैलाने’’ को लेकर भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि वह चुनावी फायदे की खातिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाती है। शिरडी में एक रैली को संबोधित करते हुए उद्धव ने भाजपा से मतभेदों के बावजूद केंद्र एवं महाराष्ट्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकारों में शिवसेना के साझेदार बने रहने पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसी चीजें कराने के लिए सत्ता में हूं जिससे लोगों को फायदा हो। मैं उनमें से नहीं हूं जो सत्ता के सामने अपनी दुम हिलाए। मैं सत्ता का भूखा नहीं हूं।’’
 

 

जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस का रिमोट गाँधी परिवार के चार लोगों के हाथ में है जबकि भाजपा का रिमोट उसके कार्यकर्ताओं के हाथ में है। भाजपा जो भी कार्य करती है, वह कार्यकर्ताओं की सहमति से ही करती है। राजे ने कहा कि कांग्रेस घबराई हुई है, इसलिए राहुल गांधी को विधानसभा स्तर की बैठकें करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 

राहुल पर वार
वसुंधरा ने कहा कि अच्छा है राहुल विधानसभा स्तर की ज्यादा से ज्यादा बैठकें करें क्योंकि वे जहां-जहां जाएंगे, वहां भाजपा और अधिक मजबूत होगी। जयपुर में रायशुमारी के दूसरे चरण के दूसरे दिन कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए राजे ने राहुल गाँधी का जिक्र करते हुए कहा कि राहुल गाँधी ने जहाँ-जहाँ भी सभाएं की हैं, वहाँ ‘‘कमल’’ ही खिलेगा।
कांग्रेस के 50 साल और भाजपा के वर्तमान पांच साल के कार्यों में जमीन और आसमान का अन्तर देखने को मिलेगा। राजे ने कहा कि भाजपा ने कम से कम राहुल गांधी को मंदिरों में जाना तो सीखा दिया। आज वो लोग मंदिर जाने लगे हैं जो हमारे मंदिर जाने पर सवाल उठाते थे। कहते थे, इनकी सरकार तो भगवान भरोसे चलती है। हां मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मेरी सरकार भगवान के आशीर्वाद से ही चलती है।
 
गिनाए विकास कार्य
उन्होंने कहा कि भाजपा ने वर्तमान 5 वर्षों में जितने विकास कार्य किए हैं, कांग्रेस ने अपने 50 साल में अब तक नहीं किये। भाजपा के विकास कार्यों का आज के दौर में चहुँ ओर गुणगान हो रहा है। यही बात लेकर कार्यकर्ता जनता के मध्य जाएं। निम्न से लेकर उच्च वर्ग भी भाजपा की लोककल्याणकारी योजनाओं से बेहद खुश हैं। एक बार कांग्रेस-एक बार भाजपा की बात को नकारते हुए राजे ने कहा कि ‘‘मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करती हूँ।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में जिस तरह विकास हुआ है, ठीक उसी तरह राजस्थान में भी विकास हुआ है एवं इन विकास कार्यों के दम पर राजस्थान में भी लगातार भाजपा अपनी जीत का परचम फिर से लहराएगी।’’ 
 
 
रायशुमारी कार्यक्रम में दूसरे दिन आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर 35 विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से एक सील बंद बाक्स में सुझाव लिए गए। भीलवाड़ा की 7, नागौर शहर की 5, नागौर देहात की 5, झुन्झुनूं की 7 एवं अलवर शहर की 11 विधानसभाओं से बुलाए गए अपेक्षित पदाधिकारियों से रायशुमारी की गई। 
 
औरों ने क्या कहा
इस अवसर पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार ने जो विकास कार्य किये हैं, इनके चलते हम पुनः सरकार बनायेंगे। हमारा सक्षम नेतृत्व और सक्रिय कार्यकर्ताओं के दम पर हम प्रदेश में पूरे 5 वर्ष जनता में सक्रिय रहे हैं। भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो कि कार्यकर्ताओं की रायशुमारी के साथ ही अपने उम्मीदवारों का चयन करती है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कार्यकर्ताओं को चुनावी मूल मंत्र देते हुए कहा कि कार्यकर्ता अपनी ताकत पहचानें और आत्मविश्वास के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में जायें एवं एक नया इतिहास बनायें। उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार में जो प्रधानमंत्री थे, उन्हें ढूंढना पड़ता था। आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं और देश के लिए हर मोर्चे पर डटे रहते हैं। 
 
भाजपा के राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री वी. सतीश ने कहा कि आज ही के दिन वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई थी। तब से लेकर अब तक पहले जनसंघ व अब भाजपा की ऐतिहासिक व गौरवमयी यात्रा जारी है। इस अवसर पर केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री एवं प्रदेश चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, सी.आर. चौधरी, अर्जुनराम मेघवाल, सहित राजे मंत्रिमंडल के कई सदस्य उपस्थित थे।

नयी दिल्ली। साल 1943 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा ‘आजाद हिंद सरकार’ के गठन की घोषणा करने के 75 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत कभी किसी दूसरे के भू-भाग पर नजर नहीं डालता, लेकिन यदि उसकी संप्रभुता को चुनौती दी गई तो वह ‘‘दुगुनी ताकत’’ से पलटवार करेगा। प्रधानामंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार सशस्त्र बलों को बेहतर प्रौद्योगिकी और नवीनतम हथियारों से लैस करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बेहतर सुविधाएं मुहैया कराकर जवानों की जिंदगी आसान बनाने की कोशिशें चल रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसी फौज बनाने की दिशा में बढ़ रहे हैं जिसका सपना नेताजी (बोस) ने देखा था।’’ 

 
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक करने और पूर्व सैनिकों के लिए ‘वन रैंक, वन पेंशन’ योजना लागू करने जैसे फैसले किए। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर लाल किला में राष्ट्रीय ध्वज भी फहराया। बोस के करीबी सहयोगी लालती राम की ओर से भेंट की गई ‘आजाद हिंद फौज’ की टोपी पहनकर मोदी ने कहा कि किसी दूसरे के भू-भाग पर नजर डालना भारतीय परंपरा नहीं रही है, ‘‘लेकिन जब हमारी संप्रभुता को चुनौती दी जाएगी तो हम दुगुनी ताकत से पलटवार करेंगे।’’ 
 
लालती राम ‘आजाद हिंद फौज’ के जीवित बचे गिने-चुने सदस्यों में से एक हैं। प्रधानमंत्री ने लोगों को भारत के भीतर और बाहर की ऐसी ताकतों के खिलाफ आगाह किया जो देश और इसके संवैधानिक मूल्यों को निशाना बनाकर इसके खिलाफ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी ताकतों से लड़ना और उन्हें मात देना हर भारतीय का कर्तव्य है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों से लड़ने के लिए राष्ट्रवाद और भारतीयता की भावना होना जरूरी है।
 
रानी झांसी रेजिमेंट की स्थापना के फैसले के वक्त बोस का विरोध होने की घटना का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह रेजिमेंट सोमवार को अपनी स्थापना के 75 साल पूरे कर लेगा। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बोस के सपनों को साकार करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि अब एक पारदर्शी प्रक्रिया के बाद थलसेना में महिलाओं को ‘शॉर्ट सर्विस कमीशन’ से स्थायी कमीशन में प्रवेश की अनुमति दी गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वायुसेना को जल्द ही महिला लड़ाकू पायलटों का पहला बैच मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण का काम अंतिम चरण में है।
 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस की कार्य संस्कृति में बदलाव के लिये अपनी सरकार की कोशिशों का रविवार को जिक्र करते हुए कहा कि वर्ष 2019 के अंत तक पुलिस में सिपाहियों की कमी लगभग दूर कर ली जाएगी। मुख्यमंत्री ने ‘पुलिस स्मृति दिवस’ के अवसर पर कहा कि पुलिसकर्मियों की कार्यसंस्कृति को बेहतर बनाने के लिये समय-समय पर उनके प्रशिक्षण की सुचारु व्यवस्था की जाएगी। पुलिसकर्मी भी अपने परिवार की बेहतर देखभाल कर सकेंगे, जिससे वे तनाव रहित होकर कार्य कर सकेंगे।

 
योगी ने कहा कि वर्ष 2019 के अंत तक सवा लाख सिपाहियों की भर्ती पूरी होने से पुलिस बल में आरक्षियों की कमी लगभग खत्म हो जाएगी। इसका सीधा फायदा जनता को होगा। साथ ही पुलिसकर्मियों को छुट्टी मिलने में होने वाली समस्याओं का भी समाधान हो सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पुलिस बल की कमी को दूर करने और उनकी कार्य कुशलता बढ़ाने के लिये भर्ती की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ा रही है। इस साल 29303 पुलिस आरक्षियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इनमें 5341 महिलाएं और 3828 पीएसी जवान भी शामिल हैं। इसके अलावा 42 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती की जा रही है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस की कार्य संस्कृति बढ़ाने के लिये सरकार ने प्रोन्नतियां प्रदान करने पर विशेष बल दिया है। वर्ष 2017 में 9892 पुलिसकर्मियों को और इस साल 37575 पुलिसकर्मियों को प्रोन्नतियां प्रदान की गयी, जो कि अब तक का एक रिकॉर्ड है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अपराधमुक्त एवं भ्रष्टाचारमुक्त प्रदेश बनाने के लिये गम्भीरता से कार्य शुरू किया गया है और पुलिस को कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने के स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं।
 
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कर्त्तव्य का पालन करने के दौरान शहीद होने वाले पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सरकार शहीद पुलिसर्मियों के साथ सहयोग करने के लिये तत्पर रहेगी। राज्य सरकार शहीदों के परिवारों के साथ है और उनके हित में सभी आवश्यक कदम उठा रही है।

नयी दिल्ली/सिंगापुर। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के परोक्ष संदर्भ में शनिवार को कहा कि भारत ने आतंकी समूहों और उनके संरक्षकों की गतिविधियों को बाधित करने और रोकने के तरीकों का प्रदर्शन किया है और अगर जरूरत पड़ी तो फिर ऐसा करने से नहीं हिचकेगा।

सिंगापुर में आसियान देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि ‘‘निकटस्थ पड़ोस’’ में आतंकी ढांचों की मौजूदगी और आतंकवादियों को मिलने वाले समर्थन ने भारत के सब्र की परीक्षा ली है और एक जिम्मेदार शक्ति के तौर पर उसने इस खतरे से निपटने में ‘‘काफी संयम’’ दिखाया है। 

नयी दिल्ली में रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि भारत ने आतंकी संगठनों और उनके संरक्षकों की गतिविधियों को बाधित करने और उसपर लगाम लगाने के उपायों का प्रदर्शन किया है और भविष्य में अगर जरूरत पड़ी तो ऐसा फिर से करने में नहीं हिचकेगा।’’ सीतारमण ने आतंकवाद के खतरे की वजह से अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थायित्व को मिलने वाली व्यापक चुनौतियों को लेकर भारत की चिंताओं पर जोर दिया।

नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल के दाम में रविवार को लगातार चौथे दिन गिरावट जारी रही। दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में पेट्रोल फिर 25 पैसे प्रति लीटर सस्ता हो गया। वहीं, चेन्नई में पेट्रोल की कीमत 26 पैसे प्रति लीटर कम हो गई। 'इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन' की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में रविवार को पेट्रोल क्रमश: 81.74 रुपये, 83.58 रुपये, 87.21 रुपये और 84.96 रुपये प्रति लीटर था।
इसके अलावा, डीजल की कीमतें चारों महानगरों में क्रमश: 75.19 रुपये, 77.04 रुपये, 78.82 रुपये और 79.51 रुपये प्रति लीटर थीं।

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