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महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शनिवार को उम्मीद जतायी कि प्रस्तावित मानव तस्करी निरोधक विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा द्वारा पारित कर दिया जाएगा। विधेयक पीड़ितों, गवाहों और शिकायतकर्ताओं की गोपनीयता, समयबद्ध सुनवायी और पीड़ितों को उनके मूल स्थान भेजने का प्रावधान करता है। 
 
गांधी ने उनके मंत्रालय के विधेयक के आगामी संसद के शीतकालीन सत्र में आने के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम तस्करी निरोधक विधेयक के आने का इंतजार कर रहे हैं। लोकसभा ने पहले ही विधेयक को पारित कर दिया है और मैं उम्मीद कर रही हूं कि राज्यसभा उसे पारित कर देगा।’’ 

लोकसभा ने मानव तस्करी (निरोधक, संरक्षण और पुनर्वास) विधेयक 2018 गत जुलाई में संसद के मानसून सत्र के दौरान पारित किया था। गांधी ने कहा कि विधेयक का इरादा यौन कर्मियों को प्रताड़ित करना नहीं है और इसका इरादा मानव तस्करों के खिलाफ जाने का है, पीड़ितों के नहीं।

अपनी आने वाली पुस्तक के बारे में की चर्चा

उन्होंने कहा, ‘विधेयक में उन लोगों के प्रति दयालु रूख है जो सेक्स रैकेट के पीड़ित रहे हैं।’ कानून में जिला, राज्य और केंद्रीय स्तरों पर संस्थागत तंत्र निर्मित करने का प्रस्ताव है। इसमें कम से कम 10 वर्ष सश्रम कारावास और कम से कम एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। 

केंद्रीय मंत्री ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में अपनी आने वाली पुस्तक ‘‘देयर इज मॉन्स्टर अंडर माई बेड एंड अदर टेरिबल टेरर्स’’ के बारे में चर्चा की जिसके जनवरी में आने की उम्मीद है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘बच्चे कई चीजों से भयभीत होते हैं और हमें इनसे निपटने की जरूरत है।’’

नयी दिल्ली। देश के अलग-अलग प्रांतों से आए किसान दिल्ली में गुरुवार की शाम रामलीला मैदान में अपना डेरा डालते हैं और फिर शुक्रवार की सुबह वह दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन करते हुए संसद मार्ग पुलिस थाने तक पहुंचे। वहां पर विपक्षीसान मुक्ति मोर्चा की अगुवाई करने वाले 200 से अधिक किसान संगठनों का लक्ष्य सरकार को किसानों के लिए तीन हफ्तों का विशेष संसदीय सत्र बुलाने के लिए मजबूर करना है। शुक्रवार के दिन समूची दिल्ली से किसानों के प्रदर्शन की तस्वीरें सामने आ रही थीं और कहा जा रहा है कि एक लाख से अधिक किसानों ने राजधानी में प्रदर्शन किया मगर एकाध अखबार छोड़ दिया जाए तो किसी भी अखबार ने इन किसानों को पहले पेज पर तवज्जो नहीं दी। पहले पेज में जगह मिली भी तो विपक्षी एकता को जिन्होंने एक के बाद किसानों को संबोधित करने के बहाने सरकार को अपने मुताबिक गरियाया। 

 सबसे पहले किसानों के पास पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा ने आंदोलन को समर्थन दे दिया। देवेगौड़ा द्वारा रामलीला मैदान में पहुंचने की खबर सुर्खियों में जैसे ही आई मानो नेताओं का हुजूम रामलीला मैदान की तरफ बढ़ने लगा और जो नेता रामलीला मैदान नहीं पहुंच पाए उन्होंने शुक्रवार के दिन किसानों का मंच हथिया लिया और अपना-अपना वक्तव्य पेश किया।
 
तेजस्वी यादव द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान पर मुजफ्फरपुर आश्रृयग्रह में बच्चियों के साथ हुए दुराचार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भी विपक्षी एकता को देखा गया था। लेकिन, बीते दिनों सोशल मीडिया पर जिस तरह से किसान आंदोलन को तवज्जो मिली वैसे आज के अखबारों ने उन्हें सुर्खियों में नहीं रखा। किसी ने कहा कि किसानों ने दिल्ली को जाम कर दिया तो किसी ने इसे नौटंकी बताया। सीधा सवाल आपसे कि जो किसान दिन रात मेहनत करके आपके लिए फसल का उत्पादन करता है उस किसान के लिए क्या आप थोड़ी सी परेशानियां उठा नहीं सकते हैं? हम आपसे यह भी प्रश्न करना चाहते हैं किक्या अन्नदाता दिल्ली के लोगों को परेशानी देने के लिए आया था?
    • क्या अन्नदाता नेताओं के द्वारा एक बार फिर से ठगा गया?
    • क्या आपने किसानों की जो मांगे हैं उससे बड़ी सुर्खियां नेताओं के बयानों की नहीं पढ़ीं? नावों को देखते हुए इस बार किसानों को दिल्ली आने से रोका नहीं गया लेकिन क्या गारंटी है कि अगली बार जब किसान दिल्ली की तरफ कूच करेंगे तो उन्हें लाठियां नहीं मिलेगी?
इस तरह के आंदोलनों में पहली बार देखा गया कि किसानों ने स्वयं किसान घोषणा पत्र का निर्माण किया है। दरअसल, किसानों ने कहा कि कर्ज से मुक्ति दिलाने और कृषि उपज की लागत को डेढ़ गुनी कीमत दिलाने से जुड़े प्रस्तावित दो विधेयक संसद में लंबित हैं। इन्हें पारित कराने के लिये किसानों ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर यह आंदोलन किया है। 

 

वहीं, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेता योगेन्द्र यादव ने कहा है कि किसानों ने कृषि संकट के स्थायी समाधान के लिये पहली बार सरकार के समक्ष समस्या के समाधान का मसौदा पेश किया है। किसान चार्टर और किसान घोषणा पत्र के रूप में इस मसौदे को शुक्रवार को संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में पेश किया गया। 

काठमांडू। आतंकवाद को दुनिया के समक्ष वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने शनिवार को कहा कि आतंकवाद कोई सीमा या धर्म को नहीं मानता और भारत लम्बे समय से प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे में आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिये दुनिया के देशों को मिलकर अंतरराष्ट्रीय कानून बनाना चाहिए। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन के प्रारंभिक सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का प्रतिनिधित्व करते हुए देवेगौड़ा ने कहा कि वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है। यह तेजी से बढ़ रहा है। यह लिंग, सीमा, धर्म का कोई भेद नहीं करता। आतंकवाद ऐसी बुराई है जो वैश्विक शांति, स्थिरता एवं प्रगति के मार्ग में बड़ी बाधा बन गया है।

उन्होंने कहा कि भारत लम्बे समय से प्रायोजित आतंकवाद से प्रभावित रहा है। एक छोटा आतंकी समूह भी बड़ी समस्या और चुनौती खड़ी कर रहा है। ऐसे में वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला वैश्विक सामूहिक प्रयासों से ही हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी स्थिति में आतंकवाद या किसी आतंकी समूह को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। इसे महिमामंडित करना ठीक नहीं है। देवेगौड़ा ने कहा कि हाल के वर्षो में कुछ अच्छी पहल हुई है। दुनिया आतंकवाद के बारे में सजग हुई है, आतंकवाद के वित्त पोषण के नेटवर्क पर लगाम लगाने की पहल शुरू हुई है लेकिन अब भी आतंकवाद के संबंध में कोई अंतरराष्ट्रीय कानून नहीं बन पाया है।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिये अंतरराष्ट्रीय कानून जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद के खिलाफ कानून का प्रस्ताव लंबित है। इसे मंजूर नहीं किया जा सका क्योंकि आतंकवाद की परिभाषा तय नहीं हो पायी है। इस पर दुनिया के सभी देशों को मिलकर पहल करने की जरूरत है तभी टिकाऊ विकास, शांति और स्थिरता कायम की जा सकती है। सम्मेलन को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का उल्लेख किया और वह इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि दुनिया में शांति एवं प्रगति के मार्ग को आतंकवाद बाधित कर रहा है।

गिलानी ने कहा कि मैं इस बात से सहमत हूं कि अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद जैसी कोई बात नहीं होती है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान भी लम्बे समय से आतंकवाद से प्रभावित है और अफागान युद्ध की पृष्ठभूमि में काफी संख्या में पाकिस्तान में शरणार्थी आए और आज भी लाखों की संख्या में वे मौजूद है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अभियान शुरू किया था। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के कारण न केवल काफी संख्या में लोग मारे गए बल्कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई है।

चीन के साथ चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा का जिक्र करते हुए गिलानी ने दावा किया यह गलियारा (सीपेक) चुनिंदा नहीं है बल्कि समावेशी स्वरूप का है जो सम्पर्क की दृष्टि से आगे बढ़ाया जा रहा है। गिलानी ने आरोप लगाया कि क्षेत्र में सीपेक के बारे में कुछ लोग दुष्प्रचार करने में लगे हैं जबकि इसे बंदरगार के विकास, विशिष्ठ आर्थिक क्षेत्र तैयार करने, आधारभूत संरचना के विकास की दृष्टि से आगे बढ़ाया जा रहा है। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल 2018 का आयोजन 30 नवंबर से 3 दिसंबर तक काठमांडू में हो रहा है जिसका मुख्य विषय ‘हमारे समय की महत्वपूर्ण चुनौतियां: स्वतंत्रता, साझी समृद्धि और सार्वभौम मूल्य’ है। एशिया प्रशांत शिखर सम्मेलन, नेपाल का आयोजन यूर्निवर्सल पीस फेडेरेशन ने किया है जो दुनिया के कई देशों में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के साथ मिलकर काम कर रहा है।

 

चित्तौड़गढ़। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धनाढ्यों व गरीबों के लिए दो अलग अलग हिंदुस्तान बनाना चाहते हैं जो कांग्रेस को मंजूर नहीं। इसके साथ ही राहुल ने कहा कि देश के किसानों का कोई अपमान नहीं कर सकता चाहे वह कितना भी बड़ा आदमी क्यों न हो। यहां चुनावी रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि राजस्थान में अलग अलग नेता अलग अलग बात कर रहे हैं । यहां मुद्दे दो ही हैं.. राजस्थान की जनता के मन में पहला सवाल है रोजगार का। दूसरा सवाल देश किसानों का है और देश भर के किसानों को रास्ता नहीं सूझ रहा है।

कर्ज माफी का वादा करते हुए राहुल ने कहा,‘राजस्थान में जैसे ही कांग्रेस पार्टी आएगी दस दिन में किसान का कर्जा माफ हो जाएगा क्योंकि हमें नरेंद्र मोदी को समझाना है कि हिंदुस्तान के किसान का दुनिया में कोई अपमान नहीं कर सकता है। चाहे वह हिंदुस्तान का प्रधानमंत्री ही क्यें न हो।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा,‘2014 में नरेंद्र मोदी जब चुनाव लड़ रहे थे तो उन्होंने भ्रष्टाटार के साथ साथ रोजगार दिलवाने व किसानों की मदद की बात की। लेकिन आश्चर्य की बात है कि 2018 के अपने भाषण में वे न रोजगार की बात करते हैं, न किसान की, न भ्रष्टाचार की। पांच साल में न रोजगार मिला और न किसानों को मदद।’

 

केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा देश के कुछ बड़े उद्योगपतियों का लाखों करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने व किसानों को जरा सी भी राहत नहीं देने का आरोप लगाते हुए राहुल ने कहा,‘ मोदी दो हिंदुस्तान बनाना चाहते हैं। एक किसानों का, मजदूरों का व छोटे दुकानदारों का और दूसरा हिंदुस्तान अनिल अंबानी, मेहुल चोकसी व नीरव मोदी और विजय माल्या का... और हमें यह मंजूर नहीं। एक झंडा है, एक हिंदुस्तान होगा।’

 

राहुल ने कहा,‘ इसलिए हम नरेंद्र मोदी, वसुंधरा राजे के खिलाफ खड़े हैं, विचारधारा की लड़ाई है।’ उन्होंने सवाल किया कि मोदी, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ खड़ा होकर उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने की बात करते हैं लेकिन ललित मोदी ने वसुंधरा के बेटे के खाते में जो दस करोड़ रुपये डाले हैं उसके बारे में वह कुछ नहीं कहते। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि युवाओं का, किसानों का मोदी व वसुंधरा पर भरोसा नहीं रहा।

रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को नौसेना के दो स्टेल्थ फ्रिगेट (रडार की नजर में पकड़ नहीं आने वाले युद्धपोतों) के लिये ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें और सेना के मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’ के लिये बख्तरबंद रिकवरी वाहन सहित 3,000 करोड़ रुपये मूल्य की सैन्य खरीद को मंजूरी दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों खरीद के लिये रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से अनुमति मिली। डीएसी रक्षा खरीद को लेकर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की शीर्ष संस्था है।

उन्होंने कहा, ‘‘रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में डीएसी ने करीब 3,000 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों की खरीद के लिये मंजूरी दी।’’ भारत एक अरब डॉलर की कीमत के दो स्टेल्थ फ्रिगेट खरीद रहा है और दोनों जहाज स्वदेश निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे। अधिकारी ने बताया, ‘‘देश में निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल एक जांची-परखी और प्रमाणिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है और इसे इन जहाजों पर प्राथमिक हथियार के तौर पर रखा जायेगा।’’ 
 
अधिकारी ने बताया कि डीएसी ने भारतीय सेना के मुख्य युद्धक टैंक ‘अर्जुन’ के लिये बख्तरबंद रिकवरी वाहन (एआरवी) की खरीद की भी स्वीकृति दी। एआरवी का डिजाइन और विकास डीआरडीओ ने किया है और इसका निर्माण रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक कंपनी बीईएमएल करेगी।

ब्यूनस आयर्स । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की। दोनों ने वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की भूमिका पर चर्चा की। पीएमओ सूत्रों ने बताया बैठक इस बात का प्रतीक है कि दोनों नेता जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को काफी महत्व देते हैं। दोनों के बीच यह बैठक पोलैंड के कैटोविस में कोप 24 की होने वाली बैठक से एक सप्ताह पहले हुई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने अपने ट्वीट में कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ब्यूनस आयर्स में जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की एकजुट करने वाली भूमिका और पोलैंड के कैटोविस में कोप 24 की आगामी बैठक के विशेष संदर्भ में चर्चा की। पीएमओ सूत्रों ने बताया संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने पिछले दो महीने में दूसरी बार प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की है।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर सऊदी अरब के वली अहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। दोनों ने आर्थिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा संबंधों को बढ़ावा देने पर चर्चा की। बता दें कि दो दिन तक चलने वाले 13 वें जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे त्रिपक्षीय बैठक करने वाले हैं।
यह बैठक सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के अपने प्रभाव का विस्तार करने के बीच होने वाली है। त्रिपक्षीय बैठक ट्रंप और आबे के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक का विस्तार होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति 30 नवंबर और एक दिसंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर कई और देशों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कथित तौर पर रामदेव के जीवन पर आधारित किताब के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगाने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ प्रकाशक की याचिका पर योग गुरु को नोटिस जारी किया। रामदेव ने दावा किया था किताब में मानहानिकारक सामग्री है जिसके बाद उच्च न्यायालय ने 29 सितंबर को रोक का आदेश दिया था।

मामले पर आगे की सुनवाई अगले वर्ष फरवरी माह के पहले हफ्ते में होगी। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘हम वादी संख्या एक (रामदेव) को नोटिस जारी करेंगे।’’ उच्च न्यायालय के फैसले को प्रकाशक जगरनट बुक्स ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
 
इससे पहले, रामदेव ने ‘‘ गॉडमैन टू टायकून ’’ नाम की किताब के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसमें कहा था कि किताब कथित तौर पर उनके जीवन पर आधारित है और उसमें मानहानिकारक सामग्री है जिससे उनकी प्रतिष्ठा और आर्थिक हितों को नुकसान पहुंच सकता है।

पुणे। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि अगर पाकिस्तान भारत के साथ मधुर संबंध चाहता है तो उसे अपनी जमीन से होने वाली आतंकी गतिविधियां बंद करनी चाहिए और खुद को एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में विकसित करना चाहिए।उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना युद्धक भूमिकाओं में महिलाओं को शामिल करने के लिए अभी भी तैयार नहीं है। रावत ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के 135वें कोर्स की पासिंग आउट परेड से इतर संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान के हाल के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के एक कदम बढ़ाने पर उनका देश दो कदम बढ़ाने को तैयार है, जनरल ने कहा कि पड़ोसी देश सबसे पहले अपनी जमीन से होने वाली आतंकी गतिविधियों को बंद करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए।

पड़ोसी मुल्क को सलाह देते हुए रावत ने कहा, ‘‘मैं पाकिस्तान को कहना चाहता हूं कि वह पहला कदम (आतंक पर रोक लगाने का) उठाए। अतीत में भारत ने कई कदम उठाए हैं। जब हम कहते हैं कि आपके देश में आतंक पल-बढ़ रहा है तो आप भारत के खिलाफ होने वाली आतंकी गतिविधियों के संबंध में कोई कार्रवाई करके दिखाएं।’’ खान ने कहा था कि जब जर्मनी और फ्रांस अच्छे पड़ोसी हो सकते हैं तो फिर भारत और पाकिस्तान अच्छे मित्र क्यों नहीं बन सकते हैं। इस बारे में पूछे जाने पर सेन प्रमुख ने कहा कि पड़ोसी देश को पहले अपनी आतंरिक स्थिति देखने की जरूरत है। रावत ने कहा, ‘‘उन्होंने पाकिस्तान को इस्लामिक देश में बदल दिया है। अगर वह भारत के साथ मधुर संबंध चाहते हैं तो उन्हें स्वयं को धर्मनिरपेक्ष देश बनाना होगा।’’

 
उन्होंने कहा, ‘‘आप यह कैसे कह सकते हैं कि हम एकसाथ रह सकते हैं जबकि आप एक इस्लामिक देश हैं? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हम साथ रहें इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों ही धर्मनिरपेक्ष हों। अगर वह हमारी तरह धर्मनिरपेक्ष बनना चाहते हैं तो मुझे लगता है कि इसका एक मौका है।’’।सैन्य बलों में लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं को शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा, ‘‘हम अब तक इसके लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि सैन्य बलों में इसके लिए सुविधाएं विकसित करनी होंगी और महिलाओं को भी वैसी कठिनाईयों का सामना करने के लिए उस लिहाज से तैयार होने की जरूरत है। यह आसान नहीं है। हमें पश्चिमी देशों से अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए। पश्चिमी देश अधिक खुले हैं।’’
 
 
उन्होंने कहा, ‘‘हां, यहां के बड़े शहरों में हम भी और खुले हो सकते हैं लेकिन हमारे सैन्यकर्मी केवल बड़े शहरों से नहीं आते, वे ग्रामीण इलाकों से भी आते हैं जहां जहां महिला और पुरुष आपस में उतने सहज नहीं हैं जितने की उम्मीद की जाती है।’’ जनरल रावत ने कहा, ‘‘महिला अधिकारियों को तीनों सेनाओं में शामिल किया जा रहा है। लेकिन उनमें से कुछ को स्थायी कमीशन दिया जाना चाहिए या नहीं, इस बारे में फैसला करने की जरूरत है। सेना का भी यह मानना है ऐसे कुछ पहलू, कुछ क्षेत्र हैं जहां हमें एक किस्म की निरंतरता और स्थायित्व की आवश्यकता है।’’।उन्होंने बताया कि सेना को महिला दुभाषियों की जरूरत है। इसके अलावा और भी कई क्षेत्रों में सेना महिलाओं को अवसर देने पर विचार कर रही है।

नयी दिल्ली। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेता योगेन्द्र यादव ने कहा है कि किसानों ने कृषि संकट के स्थायी समाधान के लिये पहली बार सरकार के समक्ष समस्या के समाधान का मसौदा पेश किया है। किसान चार्टर और किसान घोषणा पत्र के रूप में इस मसौदे को शुक्रवार को संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में पेश किया जायेगा।

समिति द्वारा आयोजित किसान मुक्ति यात्रा के लिये देश भर से दिल्ली आये किसानों के संसद मार्च में हिस्सा ले रहे यादव ने कहा कि किसानों ने पहली बार कानून का मसौदा बना कर सरकार के समक्ष पेश किया है। किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने और कृषि उपज की लागत का डेढ़ गुनी कीमत दिलाने से जुड़े प्रस्तावित दो विधेयक संसद में लंबित हैं। इन्हें पारित कराने के लिये किसानों ने सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर यह आंदोलन किया है।

यादव ने कहा कि पहली बार किसानों ने भी अपनी समस्या के समाधान का तरीका खुद तैयार कर सरकार के समक्ष प्रस्तावित कानून के मसौदे के रूप में पेश किया है। उन्होंने कहा कि यह भी पहला अवसर है जब किसानों ने अपने झंडों को एक कर लिया है। इसलिये यह आंदोलन निर्णायक साबित होगा। किसान यात्रा में शामिल विरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने इस आंदोलन को निर्णायक बताते हुये कहा ‘‘इस बार मज़दूर और किसान अकेला नहीं है। डाक्टर, वकील, छात्र और पेशेवर पहली बार अपनी ड्यूटी छोड़कर किसानों के साथ आये हैं।’ उन्होंने कहा कि इस बार आंदोलनकारी दोनों प्रस्तावित विधेयकों को पारित करने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे।

नई दिल्ली। किसान आंदोलन में पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आज हिन्दुस्तान के सामने दो बड़े मुद्दे हैं। पहला- हिन्दुस्तान के किसान का मुद्दा तो दूसरा बेरोजगार युवाओं का मुद्दा। यहां की सरकार 15 अमीर लोगों का 15 हजार करोड़ रुपए माफ कर देती है लेकिन किसानों की तरफ ध्यान नहीं देती है। राहुल गांधी ने कहा कि अगर अमीरों का कर्जा माफ हो सकता है तो किसानों का कर्जा माफ हो कर रहेगा। 

इसी के साथ मोदी सरकार को लताड़ते हुए कहा कि अगर आप अपने मित्रों को 3,500 करोड़ रुपए दे सकते हो तो किसानों का कर्जा माफ करके भी देना होगा। तमाम पार्टियों के नेताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी विचारधाराएं अलग हो सकती हैं लेकिन हम किसानों और युवाओं के लिए एकजुट होकर खड़े रहेंगे और इसके लिए सरकार बदलनी पड़ेगी तो वह भी बदल कर रख देंगे।

 

इसी बीच राहुल गांधी ने अनिल अंबानी को भी लताड़ा। राहुल ने आगे कहा कि हमने पांच साल पहले ही कहा था जो सरकार किसानों को नजरअंदाज करेगी, युवाओं को परेशान करेगी उसे बदल दिया जाएगा। साथ ही कहा कि इस देश को कोई एक व्यक्ति नहीं चलाता है, एक पार्टी नहीं चलाती है बल्कि इस देश का किसान और युवा मिलकर चलाता है और हम सब हिन्दुस्तान के किसानों के साथ एकजुट होकर खड़े हैं। 

 

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