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जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालरापाटन विधानसभा सीट से जीत चुकी हैं। बता दें कि कांग्रेस के उम्मीदवार मानवेंद्र सिंह पहले वसुंधरा राजे को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई दे रहे थे, मगर राजे आधे के अंतर से जीत चुकी हैं। 

हालांकि, राजस्थान की स्थिति देखी जाए तो रुझानों में कांग्रेस को बहुमत मिल चुका हैं। जबकि बीजेपी के पास अभी 80 से कम सीटें नजर आ रही हैं। इसी उठापटक के बीच वसुंधरा राजे ने पार्टी नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की और चुनाव परिणाम जो सामने आए उसका विश्लेषण किया।

वहीं, कांग्रेस की राजस्थान इकाई के अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि हम राज्य में सरकार बनाएंगे, लेकिन उनकी वार्ता में अजीब सी कशमकस भी देखने को मिली। उन्होंने कहा कि बीजेपी बस खरीद-फरोख्त की राजनीति न करें। इसके अतिरिक्त वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने निर्दलियों से समर्थन लेने की बात कही।

मथुरा। केंद्रीय गृहमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति, विश्व की श्रेष्ठतम संस्कृति है। समकालीन सभ्यताएं उससे बहुत पीछे हैं। भारत में संस्कारों का बहुत महत्व है और यही संस्कार उसे अन्य सभ्यताओं से ज्यादा महान देश बनाते हैं। उन्होंने बताया कि एप्पल कंपनी के सीईओ स्टीव जॉब्स ने व्हाट्सएप्प और फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग से कहा था कि जब कभी आपका मन कमजोर पड़े या व्याकुल हो तो भारत में नैनीताल के नींव करौरी बाबा के आश्रम चले जाना, मन को बहुत शांति मिलेगी और इतनी ऊर्जा का संचार होगा कि फिर कभी विचलन नहीं होगा।

उन्होंने यह सीख यहां एक निजी विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में उपस्थित छात्रों को दी। समारोह में एक अन्य विशिष्ट अतिथि रक्षा अनुसंधान संस्थान के पूर्व महानिदेशक एवं अग्नि मिसाइल एवं सामरिक कार्यक्रम के निदेशक डॉ. वेंकटस्वामी ज्ञान शेखरन ने कहा, ‘पहले की तुलना में आज का शिक्षा तंत्र बहुत सरल हो गया है। आज इंटरनेट के माध्यम से आप किसी भी चीज को आसानी से सीख सकते हैं।’ इस मौके पर डॉ. भाटकर एवं डॉ. शेखरन को ‘डॉक्टर ऑफ साइंस’ की उपाधि प्रदान की गई। इनके अलावा दीक्षांत समारोह में 12 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, 12 को रजत पदक, 10 को मेरिट सर्टिफिकेट तथा कुल 3196 को मास्टर एवं बैचलर डिग्रियां प्रदान की गईं।

नयी दिल्ली पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने संशोधित वृद्धि दर के आंकड़ों पर विवाद के बीच इसकी समीक्षा विशेषज्ञों द्वारा कराने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि संदेह दूर करने और भरोसा कायम करने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि आंकड़ों को लेकर बनी ‘पहेली’ पर भी चीजें साफ की जानी चाहिए। नीति आयोग की ओर इशारा करते हुए सुब्रमण्यम ने कहा कि ऐसे संस्थान जिनके पास सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की गणना की विशेषज्ञता नहीं है, उनको इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। सुब्रमण्यम ने हाल में अपनी नई किताब ‘आफ काउंसिल: द चैलेंजेस आफ द मोदी जेटली इकनॉमी’ में नोटबंदी की आलोचना की है। हालांकि, जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले में उनसे सलाह ली गई थी, तो उन्होंने इसका कोई साफ जबाब नहीं दिया। 

सुब्रमण्यम ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘एक अर्थशास्त्री के रूप में मेरा मानना है कि जीडीपी श्रृंखला की नवनिर्धारित पिछली कड़ियों कुछ ‘पहेली जरुर है जिन्हें स्पष्ट किया जाना चाहिए।’’ चूंकि कुछ चीजों को स्पष्ट किए जाने की जरूरत है, ऐसे में भरोसा कायम करने और किसी तरह के संदेह को दूर करने के लिए मुझे लगता है कि विशेषज्ञों को इसकी गहन जांच करनी चाहिए और अपना जवाब देना चाहिए।’’ 

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा पिछले महीने जीडीपी की पिछली श्रृंखला के आंकड़ों के दौरान नीति आयोग की मौजूदगी को लेकर पैदा हुए विवाद पर सुब्रमण्यम ने कहा कि आंकड़ें बनाने और उनपर चीजें स्पष्ट करने की मुख्य जिम्मेदारी विशेषज्ञों की है। ‘‘मुझे लगता है कि जीडीपी की गणना काफी तकनीकी काम है और तकनीकी विशेषज्ञों को ही यह काम करना चाहिए। ऐसे संस्थान जिनके पास तकनीकी विशेषज्ञता नहीं हैं उन्हें इससे दूर रखा जाना चाहिए।’’ सीएसओ ने पिछले महीने 2004-05 के बजाय 2011-12 के आधार वर्ष का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के जीडीपी आंकड़ों को घटा दिया था। इस आलोचना पर कि जब वह सरकार के साथ काम कर रहे थे तो उन्होंने नोटबंदी पर कुछ नहीं कहा था और अब वह इस मुद्दे को अपनी किताब बेचने के लिए उठा रहे हैं, सुब्रमण्यम ने कहा कि लोगों को जो कहना हैं वे कहें।

उन्होंने कहा कि अपनी नई किताब के जरिये वह उस पहेली बड़ी पहेली की ओर ध्यान खींच रहा हूं कि 86 प्रतिशत करेंसी बंद हो जाती है और अर्थव्यवस्था पर काफी कम असर पड़ा है। पूर्व सीईए का इशारा था कि क्या अर्थव्यवस्था पर इतना कम असर पड़ना जीडीपी की गणना के मौजूदा तरीके की वजह से है। 

सुब्रमण्यम ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर कम असर पड़ने की वजह क्या है? क्या हम जीडीपी का आंकड़ा सही तरीके से नहीं निकाल रहे या हमारी अर्थव्यवस्था काफी ठोस है।’’ सुब्रमण्यम फिलहाल हार्वर्ड केनेडी स्कूल में पढ़ाते हैं। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के बीच हालिया विवाद के बारे में पूछे जाने पर सुब्रमण्यम ने कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को कायम रखा जाना चाहिए क्योंकि जब संस्थान मजबूत होते हैं तभी देश को भी फायदा होता है। देश में बढ़ती असहिष्णुता पर पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि दुनिया भर के देशों में देखा गया है जब देश में अधिक सामाजिक शांति होगी तभी आर्थिक वृद्धि भी बेहतर होगी। 

इस बार विधानसभा चुनावों के नतीजे आने में कुछ देरी हो सकती है। हालांकि, मीडिया के कुछ हिस्सों में नतीजों के रात तक खिंचने की जो बात कही जा रही है, वो सही नहीं लगती। 

इस बार देरी की बात क्यों?

दरअसल, कांग्रेस ने चुनाव आयोग से गुजारिश की थी कि मतगणना के हर राउंड के बाद नतीजों की जानकारी लिखित में दी जाए। उसके बाद जब उम्मीदवार पक्ष की ओर से उस पर हामी भर दी जाए तभी दूसरे राउंड की गिनती शुरू की जाए। इससे हर राउंड की गिनती और फिर घोषणा में 40-45 मिनट का वक्त लग सकता है। 16 से 20 राउंड की गिनती होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि जो बड़ी तस्वीर दोपहर 1 बजे तक दिखनी शुरू हो जाती है, उसमें ढाई से तीन घंटे की देरी हो सकती है। 

क्या इस सिस्टम में कुछ नया है?

सीधा जवाब है-नहीं। अगर 7 दिसंबर को जारी, चुनाव आयोग के निर्देश को गौर से पढ़ा जाए तो उसमें साफ लिखा है कि 30 अप्रैल 2014 के पुराने आदेश से ही पैराग्राफ 10.5 और पैराग्राफ 10.6 को दोहराया जा रहा है। जिसके मुताबिक:
 
10.5- हर राउंड के बाद ऑब्जर्वर और रिटर्निंग अफसर, प्रत्याशी-वार नतीजों पर दस्तखत करेंगे और उन्हें ब्लैकबोर्ड/व्हाइटबोर्ड पर तुरंत लिखना होगा। पब्लिक एड्रेस सिस्टम से भी इसकी घोषणा की जाएगी। हर राउंड के नतीजे, उम्मीदवार पक्ष के साथ साझा किए जाएंगे। प्रिंट आउट की एक कॉपी मीडिया को भी दी जाएगी। 

10.6- दूसरे राउंड की मतगणना तभी शुरू हो जब पिछले राउंड की सारी टेबल पर गिनती खत्म हो चुकी हो और उसके नतीजे ब्लैकबोर्ड या व्हाइटबोर्ड पर लिख दिए गए हों।

तो इस बार फर्क कैसे पड़ेगा?

दरअसल, ये आदेश तो पुराना है लेकिन इस बार माना जा रहा है कि कांग्रेस इसको लेकर काफी सख्ती से पेश आने वाली है। यानी, पहले होता ये था कि एक राउंड का कागज, संबंधित पक्षों को थमाने के साथ ही दूसरे राउंड की गिनती की ओर अधिकारी बढ़ जाते थे। लेकिन अब, जब तक पहले राउंड की हर औपचारिकता पूरी नहीं कर ली जाती, संबंधित पक्षों की हामी नहीं भर ली जाती, अगले राउंड की गिनती शुरू नहीं हो पाएगी। जब तक ये सब चल रहा होगा, तब तक मतगणना अधिकारी खाली बैठे रहेंगे। ये प्रक्रिया निपटने के बाद ही, अगले राउंड की ईवीएम टेबल पर लाई जाएंगी।

यही वजह है कि एक राउंड से दूसरे राउंड के बीच की इस देरी को मिलाकर नतीजों के अंतिम समय में कुछ फर्क आना स्वाभाविक है। 


विधानसभा सीट और उम्मीदवारों की संख्या

मध्य प्रदेश विधानसभा
कुल सीटें- 230
उम्मीदवार- 2899

राजस्थान विधानसभा
कुल सीटें- 199
उम्मीदवार-  2,274

तेलंगाना विधानसभा
कुल सीटें- 119
उम्मीदवार- 1821

मिजोरम विधानसभा
कुल सीटें- 40
उम्मीदवार-  209

छत्तीसगढ़ विधानसभा
कुल सीटें- 90
उम्मीदवार- 1101

जयपुर। सात दिसम्बर को राजस्थान में 199 विधानसभा सीटों पर हुए मतदान के बाद मंगलवार को घोषित होने वाले परिणामों से पूर्व सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने को लेकर अपनी अपनी ताल ठोल रहे हैं। रविवार को भाजपा की कोर कमेटी में परिणाम और सरकार बनाने को लेकर एक बैठक में मंथन किया गया जिसमें मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह, अर्जुन राम मेघवाल, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी सहित सांसद, राजे मंत्रिमंडल के सदस्य और पार्टी के पदाधिकारी मौजूद थे। बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एग्जिट पोल पर कुछ भी बोलने से इंकार करते हुए कहा कि परिणाम 11 तारीख को आयेंगे और हम राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनाने जा रहे हैं।

राज्य की चुनाव प्रबंधन कमेटी के संयोजक और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि हम पूर्णांक को प्राप्त करेंगे और पूर्ण बहुमत की सरकार बनायेंगे। मतगणना के दौरान किस प्रकार का प्रबंधन करना है, उसके लिये योजना के तहत अलग-अलग जिलों की क्षेत्रवार जिम्मेवारी बांटी गई है। हरेक जिले में एक वरिष्ठ व्यक्ति मतगणना पर बारीकी से निगरानी रखेगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सम्पर्क में ऐसे सारे संभावित लोग हैं। वहीं दूसरी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि कांग्रेस पार्टी को एग्जिट पोल से ज्यादा सीटें मिलेंगी और कांग्रेस सरकार बनायेगी। उन्होंने कहा कि मुझे किसी प्रकार की कोई शंका नहीं है कि कांग्रेस राजस्थान में स्वीप करेगी।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी (पीआरओ) एवं वरिष्ठ पत्रकार जगदीश ठक्कर का यहां सोमवार को निधन हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। 72 वर्षीय ठक्कर पिछले कुछ समय से बीमार थे। उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम श्वांस ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक ऐसा बेहतरीन इंसान बताया, जो अपने काम से प्रेम करता था। इसे भी पढ़ें: मोदी ने दुख व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, ‘पीएमओ के पीआरओ जगदीश ठक्कर के निधन से बेहद दुखी हूं। जगदीश भाई वरिष्ठ पत्रकार थे और मुझे गुजरात तथा दिल्ली, दोनों जगह उनके साथ वर्षों तक काम करने का सुअवसर मिला। वह अपनी सादगी और मिलनसार व्यवहार के लिए पहचाने जाते थे।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि कई पत्रकार वर्षों तक जगदीश भाई के संपर्क में रहे होंगे।

 

ठक्कर ने पूर्व में कई वर्षों तक गुजरात के कई मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया। मोदी ने कहा, ‘हमने एक बेहतरीन शख्स को खो दिया, जिन्हें अपने काम से प्रेम था और जिसे उन्होंने अत्यंत परिश्रम तथा लगन के साथ किया। उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’ 

नयी दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, अभी कुशवाहा ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का साथ नहीं छोड़ा हैं। जिसके बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। बता दें कि इस्तीफा देने के तुरंत बाद ही कुशवाहा विपक्षी एकता बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे। मिली जानकारी के मुताबिक कुशवाहा जल्द ही राजग का साथ छो़ड़ने वाले हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख पिछले कुछ सप्ताहों से भाजपा और उसके अहम सहयोगी दल के नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। रालोसपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के भाजपा के संकेतों के बाद से कुशवाहा नाराज चल रहे थे। वहीं, दूसरी ओर भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। बिहार से लोकसभा में 40 सांसद आते हैं।

नयी दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, अभी कुशवाहा ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का साथ नहीं छोड़ा हैं। जिसके बाद बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। बता दें कि इस्तीफा देने के तुरंत बाद ही कुशवाहा विपक्षी एकता बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे। मिली जानकारी के मुताबिक कुशवाहा जल्द ही राजग का साथ छो़ड़ने वाले हैं। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी प्रमुख पिछले कुछ सप्ताहों से भाजपा और उसके अहम सहयोगी दल के नेता, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। रालोसपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में दो से ज्यादा सीटें नहीं मिलने के भाजपा के संकेतों के बाद से कुशवाहा नाराज चल रहे थे। वहीं, दूसरी ओर भाजपा और जदयू के बीच बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बनी है। बिहार से लोकसभा में 40 सांसद आते हैं।

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उनके खिलाफ शरद यादव की टिप्पणी को महिलाओं का अपमान बताते हुए शुक्रवार को कहा कि निर्वाचन आयोग को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। मुख्यमंत्री राजे ने झालावाड़ में मतदान करने के बाद संवाददाताओं से कहा के पूर्व केंद्रीय मंत्री यादव का बयान उनका और विशेष रूप से महिलाओं का अपमान है। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरी तरह हतप्रभ रह गयी। मुझे नहीं लगता है कि इतने लंबे अनुभव वाला और हमारे परिवार से करीबी ताल्लुकात रखने वाला कोई भी नेता अपनी वाणी पर संयम नहीं रख पाएगा। इससे बुरी बात और क्या हो सकती है?’

यादव ने अलवर में एक चुनावी सभा में कथित तौर पर कहा था, ‘वसुंधरा को आराम दो, बहुत थक गई हैं। बहुत मोटी हो गई हैं।’ राजे ने कहा कि निर्वाचन आयोग को इस तरह के बयानों पर संज्ञान लेना चाहिए ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में कोई ऐसी भाषा का इस्तेमाल ना करे। इसके साथ ही राजे ने कहा उन्होंने कहा कि इस तरह की भाषा से युवा पीढ़ी को कोई अच्छा संदेश नहीं जाता है। उन्होंने कहा, ‘यह भाषा तो कोई भी इस्तेमाल कर सकता है लेकिन भाजपा नेताओं के मुंह से तो सुनने को नहीं मिलती। कांग्रेस व उसके सहयोगी दल के मुंह से क्यों सुनने को मिलता है।’

कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा छेड़ी गई तथाकथित आजादी की जंग का खमियाजा आज उन्हीं मुस्लिम परिवारों को भुगतना पड़ा है जिन्होंने कभी आतंकवादियों तथा पाकिस्तान के बहकावे में आकर सड़कों पर निकल आजादी समर्थक प्रदर्शनों में भाग लिया था। हालांकि आजादी का सपना तो पूरा नहीं हुआ परंतु परिवारों के कई परिजनों को जीवन से आजादी अवश्य मिल गई। और यह आजादी किसी और ने नहीं बल्कि आतंकवादियों ने ही दी है मौत के रूप में।
 
धरती के स्वर्ग कश्मीर में फैले इस्लामी आतंकवाद का एक दर्दनाक पहलू यह है कि पाकिस्तान ने कश्मीर में जो अप्रत्यक्ष युद्ध छेड़ा हुआ है उसके अधिकतर शिकार होने वाले मुस्लिम ही हैं और यह भी सच है कि इस्लाम के नाम पर ही आज पाक प्रशिक्षित आतंकवादी मुस्लिम युवतियों को अपनी वासना का शिकार बना रहे हैं। हालांकि हिन्दू भी इस आतंकवाद का शिकार हुए हैं परंतु समय रहते उनके द्वारा पलायन कर लिए जाने के परिणामस्वरूप उतनी संख्या में वे इसके शिकार नहीं हुए जितने कि मुस्लिम हुए हैं और हो रहे हैं।
 
30 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान कश्मीर में अनुमानतः 18000 नागरिक आतंकवादियों के हाथों मारे गए हैं और मजेदार बात यह है कि इन 18 हजार में से 16 हजार से अधिक मुस्लिम ही हैं। असल में आतंकवाद की आग के फैलते ही घाटी के कश्मीरी पंडितों तथा अन्य हिन्दुओं ने पलायन कर देश के अन्य भागों में शरण ले ली थी परंतु मुस्लिम ऐसा कर पाने में सफल नहीं हुए थे। नतीजतन आज भी वे आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो रहे हैं।

 
कश्मीर में आज कोई ऐसा परिवार नहीं है जिसके एक या दो सदस्य आतंकवादियों या सुरक्षाबलों की गोलियों से न मारे गए हों बल्कि मौतों के अतिरिक्त इन परिवारों के लिए दुखदायी बात यह है कि उनके परिवार के कई सदस्य अभी भी लापता हैं, जो सुरक्षा बलों द्वारा हिरासत में लिए तो गए थे परंतु आज भी उनके प्रति कोई जानकारी नहीं है।
 
इससे और अधिक चौंकाने वाला तथ्य क्या हो सकता है कि कश्मीर में आतंकवाद के दौर के दौरान जो महिलाएं तथा युवतियां आतंकवादियों के सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई हैं वे सभी मुस्लिम ही थीं जिनकी अस्मत इस्लाम के लिए जंग लड़ने वालों ने लूट ली। कश्मीर में करीब पांच सौ मुस्लिम युवतियों तथा महिलाओं को अपनी जानें तथा अस्मत से इसलिए भी हाथ धोना पड़ा क्योंकि उन्होंने आतंकवादियों के लिए कार्य करना स्वीकार नहीं किया।
 
इस्लामी आतंकवाद से कश्मीर के मुस्लिम कितने त्रस्त हैं इसके कई उदाहरण हैं। आज इसी आतंकवाद के कारण सैंकड़ों परिवार बेघर हैं, कईयों के परिजन अभी लापता हैं, हजारों अर्द्ध विधवाएं हैं जो अपने आप को न सुहागन कहलवा पाती हैं और न ही विधवा, हजारों बच्चे अनाथ हो चुके हैं जिनके मां-बाप को या तो आतंकवादियों ने मार दिया या फिर वे सुरक्षा बलों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में मारे गए। कभी मुखबिर का ठप्पा लगा कर इन मुस्लिमों की हत्याएं की गईं तो कभी कोई अन्य आरोप लगा। लेकिन इतना अवश्य है कि आतंकवादी अपने संघर्ष के दौरान कश्मीरी जनता की हत्याएं करने का कोई न कोई बहाना अवश्य ही ढूंढते रहे हैं। हालांकि मृतकों में हिन्दू भी शामिल हैं परंतु उनकी संख्या नगण्य इसलिए है क्योंकि 1990 में जब आतंकवाद अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंचा था तब तक हिन्दू परिवार कश्मीर से पलायन कर चुके थे।
 
 
आतंकवादियों की कार्रवाइयों से सबसे अधिक त्रस्त मुस्लिम ही हुए हैं। इसका प्रमाण घाटी में होने वाली हत्याओं से तो मिलता ही है, अपहरणों तथा युवतियों के साथ होने वाले बलात्कार की घटनाओं से भी मिलता है। गौरतलब है कि आतंकवादियों ने करीब 5000 लोगों को अपनी अपहरण नीति का शिकार अभी तक बनाया है और इसमें 99 प्रतिशत मुस्लिम ही थे इससे कोई भी इंकार नहीं करता। इस्लामी आतंकवाद का कश्मीर के मुस्लिमों को और क्या क्या खमियाजा भुगतना पड़ा इसे कोई भी अपनी आंखों से देख सकता है। घाटी में तबाह हो चुकी अर्थव्यवस्था, अनपढ़ और गंवार होती आने वाली पीढ़ियां, आतंकवाद की भेंट चढ़ चुकी खूबसूरत इमारतें तथा अन्य वस्तुएं इस्लामी आतंकवाद के कुप्रभाव की मुंह बोलती तस्वीरें हैं जिसे देख कोई भी मुस्लिम अब पुनः ऐसी आजादी का सपना देखने को तैयार नहीं है। और यह भी एक तथ्य है कि आतंकवाद के दौर के दौरान मारे जाने वाले 24 हजार से अधिक आतंकवादी भी मुस्लिम ही थे जो पाकिस्तान के बहकावे में आकर आतंकवाद के पथ पर चल निकले थे उस आजादी को हासिल करने के लिए जो मात्र एक छलावा थी और वे इस प्रक्रिया में मौत की नींद सो गए।
 
-सुरेश डुग्गर
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