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नई दिल्ली। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसानों का कर्जा माफ करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा और हिन्दुस्तान की जनता से कहा कि मोदीजी ने साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये आपका पैसा लेकर 15-20 लोगों की जेब में डाला है। इसी के साथ हिन्दी भाषीय राज्यों में मिली जीत का श्रेय किसानों, दुकानदारों और गरीबों देते हुए राहुल ने कहा कि हमने वादा किया था कि 10 दिन में कर्जा माफ करने का काम शुरू हो जाएगा। दो राज्यों में 6 घंटे भी नहीं लगे और कर्जा माफ हो गया और तीसरे राज्य में जल्द ही हो जाएगा।

राहुल ने आगे कहा कि मोदी साहब को साढ़े चार साल हो गए मगर हिन्दुस्तान के किसानों का एक भी कर्जा माफ नहीं किया। हम किसानों के लिए सरकार के सामने खड़े रहेंगे और नरेंद्र मोदीजी पर दबाव डालकर कर्जा माफ कराएंगे। राहुल गांधी ने आगे कहा कि हम राफेल मामले में भी बात करेंगे। एक बार जेपीसी जांच हो जाए, सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। मोदी सरकार उद्योगपतियों की सरकार है, जबकि हमारी सरकार गरीबों की, युवाओं की, दुकानदारों की और दबे-कुचले वर्ग के लोगों की सरकार है। 

 

राहुल ने आगे नोटबंदी का जिक्र करते हुए उसे दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला बताया। वहीं, राफेल मामले में राहुल ने बोला कि यह लोग टाइपो एरर की बात कर रहे हैं, अभी आप देखिएगा ऐसी बहुत सी टाइपो एरर सामने आएंगे। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि यदि मोदी सरकार ने देश के किसानों का कर्जा माफ नहीं किया तो हम सत्ता में आने के बाद करके दिखाएंगे।

मुंबई। इंडिगो के मुंबई से दिल्ली होकर लखनऊ जाने वाले विमान में बम रखे होने की धमकी मिलने के बाद शनिवार को उसे उड़ान भरने से रोक दिया गया। सूत्रों ने बताया कि बम धमकी आकलन समिति (बीटीएसी) ने इस धमकी को गंभीरता से लिया जिसके बाद विमान को एक खाली स्थान पर ले जाया गया। उन्होंने बताया कि बाद में सुरक्षा एजेंसियों ने विमान को ‘‘सुरक्षित’’ घोषित कर दिया।

 
इस घटना पर इंडिगो की प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। विमान को सुबह छह बजकर पांच मिनट पर प्रस्थान करना था। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि विमान में कितने यात्री सवार थे। हवाई अड्डे के एक सूत्र ने बताया, ‘‘गो एयर फ्लाइट जी8 329 से दिल्ली जा रही एक महिला यात्री टी1 पर इंडिगो के चेक-इन काउंटर पर गई और वहां बताया कि इंडिगो की फ्लाइट 6ई 3612 में बम है।’’
 
सूत्र ने बताया कि महिला यात्री ने कुछ लोगों की तस्वीरें भी दिखाईं और दावा किया कि वे राष्ट्र के लिए ‘‘खतरा’’ हैं। इसके बाद सीआईएसएफ के कर्मी उसे पूछताछ के लिए हवाई अड्डा पुलिस थाने लेकर गए। सूत्र ने कहा, ‘‘सीआईएसएफ के सहायक कमांडर के कार्यालय में बीटीएसी की बैठक बुलायी गयी जिसमें धमकी को विशिष्ट बताया।’’
 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने राफेल विमान सौदे से जुड़े उच्चतम न्यायालय के फैसले की पृष्ठभूमि में शनिवार कहा कि वह पीएसी के सदस्यों से आग्रह करेंगे कि अटॉर्नी जनरल और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को बुलाकर पूछा जाए कि राफेल मामले में कैग की रिपोर्ट कब और कहां आई है। खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार ने न्यायालय के समक्ष कैग रिपोर्ट तौर पर गलत जानकारी रखी जिस वजह से इस तरह का निर्णय आया है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता ने संवाददाताओं से कहा, 'राफेल के बारे में न्यायालय के सामने सरकार को जिन चीजों को ठीक ढंग से रखना चाहिए था, वो नहीं रखा। अटॉर्नी जनरल ने इस तरह से पक्ष रखा कि न्यायालय को यह महसूस हुआ कि कैग रिपोर्ट संसद में पेश हो गई है और पीएसी ने रिपोर्ट ने देख ली है।' उन्होंने कहा, 'जब पीएसी जांच करती है तो साक्ष्यों को देखती है। लेकिन न्यायालय को गलत जानकारी दी गयी और जिसके आधार पर गलत निर्णय आया।'

खड़गे ने कहा, 'पीएसी के सदस्यों से आग्रह करने जा रहा हूँ कि अटॉर्नी जनरल को बुलाया जाए और कैग को भी बुलाया जाए ताकि यह पूछा जाए कि यह रिपोर्ट कब आई और पीएसी को कब मिली है।' उन्होंने कहा, 'अगर यह रिपोर्ट नहीं आई तो सरकार ने झूठ क्यों बोला? वह माफी मांगे। सरकार को कहां से क्लीन चिट मिलती है? किसी चीज को धोखे में रखकर की जाए तो वो ठीक नहीं है।' उन्होंने कहा, 'इसलिये हम जेपीसी की मांग कर रहे हैं ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सके।
 
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को इस विमान सौदे में भ्रष्टाचार होने का आरोप फिर दोहराया और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बताए कि इस मामले पर कैग की रिपोर्ट कहां है जिसका उल्लेख शीर्ष अदालत में किया गया है। गांधी ने इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर यह जांच हो गई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति अनिल अंबानी का नाम ही सामने आएगा।
 दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में नरेन्द्र मोदी सरकार को शुक्रवार को एक तरह से क्लीन चिट दे दी। साथ ही शीर्ष अदालत ने सौदे में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली सभी याचिकाओं को खारिज किया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि अरबों डॉलर कीमत के राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। ऑफसेट साझेदार के मामले पर तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि किसी भी निजी फर्म को व्यावसायिक लाभ पहुंचाने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला है।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच शनिवार सुबह मुठभेड़ शुरू हो गई। जानकारी के अनुसार, इस मुठभेड़ में अभी तक तीन आतंकवादी मारे गए हैं। जबकि अभियान में एक जवान शहीद हो गया है। यह मुठभेड़ अब भी जारी है। मारे गए आतंकी की पहचान वाटेंड जहूर ठोकर उर्फ फौजी के रूप में हुई है। सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेरा हुआ है। मुठभेड़ स्‍थल पर पत्‍थरबाजों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में दो नागरिकों की भी मौत हो चुकी है।

 
मोस्ट वॉन्टेड आतंकी जहूर ठोकर पहले सेना में था और 2016 में आतंक की राह पर चल पड़ा था। इस एनकाउंटर के बाद इलाके के युवाओं ने सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू कर दिया। इस झड़प में दो स्थानीय नागरिकों की मौत की खबर है। एहतियातन इलाके में इंटरनेट और बारामूला-बनिहाल रेल सेवा को स्थगित कर दिया गया है।
 
सुरक्षा बलों को पुलवामा के खारपुरा के एक सेब बागान में आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली थी। इसके बाद सुरक्षा बलों ने शनिवार सुबह इलाके को घेर कर तलाशी अभियान शुरू किया। इस दौरान आतंकियों ने खुद को घिरा हुआ पाकर फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बल के जवानों ने तीन आतंकियों को मार गिराया।
 
शनिवार सुबह पुलवामा जिले के खारपुरा में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के मौजूद होने की सूचना के आधार पर कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस दौरान आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी फायरिंग में सुरक्षा बलों ने हिज्बुल कमांडर जहूर समेत तीन आतंकियों को मार गिराया है। जहूर ठोकर 173 टेरीटोरियल आर्मी का सदस्य था और 2016 में सर्विस रायफल के साथ भागकर आतंकी बना था। फिलहाल, तीनों आतंकियों का शव नहीं बरामद हुआ है। सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
 
गौरतलब है कि घाटी में सुरक्षा बलों के जवान लगातार आतंक विरोधी अभियान छेड़े हुए हैं। पिछले हफ्ते सोपोर में सुरक्षा बलों ने दो आतंकी मार गिराए गए थे। इस साल कश्मीर में करीब 269 आतंकी मारे गए हैं, जिसमें ज्यादातर आतंकी स्थानीय हैं।
 

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में सत्ता के जादुई आंकड़े को पार करने के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही रस्साकशी तेज हो गई है। हालांकि इस रस्साकशी में "किसान और जाट' मुख्यमंत्री को लेकर लॉबिंग कर रहे राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी तो चुनाव हार गए, लेकिन दो प्रबल दावेदार कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत और पीसीसी अध्यक्ष सचिन पायलट भारी मतों से चुनाव जीते हैं।

दोंनों नेताओं ने चुनाव परिणाम आने के बाद विधायकों से संपर्क साधा है। दोनों नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर चुनाव जीतने वाले तीन निर्दलीय विधायकों से भी बात की है। गहलोत और पायलट के समर्थक अपने-अपने नेता के लिए लॉबिंग में जुटे हैं। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए सांसद केसी वेणुगोपाल को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बुधवार को जयपुर में केंद्रीय पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल और राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने विधायकों से फीडबैक ली। बैठक में आलाकमान पर फैसला छोड़ा गया है। अब राहुल गांधी ही यह तय करेंगे कि राजस्थान का सीएम कौन होगा। वहीं, अशोक गहलोत एवं सचिन पायलट के समर्थकों ने नारेबाजी की। कांग्रेस आज शाम राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। 

 वेणुगोपाल और अविनाश पांडे ने नेताओं से लिया फीडबैक
चुनाव परिणाम आने के बाद पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल और कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने अशोक गहलोत, सचिन पायलट और डॉ. सीपी जोशी सहित कई नेताओं के साथ संभावित मुख्यमंत्री और भावी सरकार की रूपरेखा को लेकर चर्चा की। दोनों नेताओं ने कुछ नेताओं से व्यक्तिगत मुलाकात की, तो कुछ नेताओं से टेलीफोन पर बात की। विधायकों से भी टेलीफोन पर बात की गई। विधायकों से मिले फीडबैक के बारे में वेणुगोपाल और पांडे राहुल गांधी को अवगत कराएंगे। विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का निर्णय राहुल गांधी पर छोड़े जाने को लेकर एक लाइन का प्रस्ताव पारित होगा। कांग्रेस के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अहमद पटेल राज्य के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में है।

 

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शिरकत करते विधायक।

 

गहलोत और पायलट ने जीत का सेहरा राहुल के सिर बांधा
अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने राज्य में कांग्रेस की जीत का सेहरा राहुल गांधी के सिर पर बांधा है। गहलोत ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि जीत का पूरा क्रेडित राहुल गांधी को जाता है, यह उनकी मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा कि विधायकों की राय, कार्यकर्ताओं और आम जनता की इच्छा को ध्यान में रखते हुए ही राहुल गांधी भावी सीएम को लेकर निर्णय करेंगे। खुद के सीएम बनने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए कोई पद प्राथमिकता नहीं है। वहीं, सचिन पायलट ने कहा कि राज्य में पूर्ण बहुमत के साथ कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। जीत का श्रेय राहुल गांधी को देते हुए पायलट ने कहा कि उनकी मेहनत और मार्गदर्शन के कारण जीत हुई है। सीएम पद को लेकर पायलट ने कहा कि किसे क्या पद मिलेगा, इसका निर्णय राहुल गांधी को करना है। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने थे और इससे बेहतर उनके लिए कोई तोहफा नहीं हो सकता।

 

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में मंथन।

चार साल बाद पायलट ने पहना साफा
राजस्थान में कांग्रेस की जीत तय होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने मंगलवार को साफा पहना। पायलट ने पिछले पांच साल से अपने सिर पर साफा नहीं पहना था। सचिन पायलट ने 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि जब तक राज्य में कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी, तब तक वे साफा नहीं पहनेंगे। पायलट ने बताया कि राजस्थानी संस्कृति का प्रतीक साफा पहनना उन्हें बहुत पसंद है, लेकिन 2014 में पार्टी की हार के बाद उन्होंने फैसला लिया कि वो सरकार बनने तक साफा नहीं पहनेंगे और अब वे साफा बड़ी शान से पहनेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान काफी लोगों ने उन्हें तोहफे के रूप में साफा दिया लेकिन उन्होंने उसे नहीं पहना बल्कि माथे से लगाकर रख दिया। पायलट ने कहा कि अब जीत के बाद वे साफा पहनेंगे। 

 

नयी दिल्ली। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी शक्तिकांत दास की पहचान एक ऐसे नौकरशाह के तौर पर है जिन्होंने केन्द्र में तीन अलग अलग वित्तमंत्रियों के साथ सहजता के साथ काम किया। ऐसे में नार्थ ब्लाक से लेकर मिंट स्ट्रीट तक की उनकी यात्रा को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर देखा जा रहा है जो कि जटिल मुद्दों पर आम सहमति बनाने में विश्वास रखते हैं। शक्तिकांत दास को कार्य-क्रियान्वयन में दक्ष और टीम का व्यक्ति माना जाना जाता है। इस लिहाज से उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर के पद केलिए उन्हें एक उपयुक्त चयन माना जा सकता है।

उदारीकरण के पिछले तीन दशक में यह पहला मौका है जब वित्त मंत्रालय के साथ तनाव के बीच किसी गवर्नर ने त्यागपत्र दिया है। वर्ष 1980 बैच तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी दास दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नात्कोत्तर है लेकिन अपने 37 वर्ष लंबे कार्यकाल में वह राज्य अथवा केन्द्र में ज्यादातर आर्थिक एवं वित्त विभागों में ही तैनात रहे।

 

नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा के समय ज्यादा समय शक्तिकांत दास ही मीडिया के सामने आते थे। वित्त मंत्रालय में वह पहली बार 2008 में संयुक्त सचिव के तौर पर आये जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद संप्रग सरकार में जब प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला तब भी वह इसी मंत्रालय में डटे रहे और पहले संयुक्त सचिव के तौर पर और फिर अतिरिक्त सचिव के रूप में लगातार पांच साल वह बजट बनाने की टीम का हिस्सा रहे। यह कार्यकाल चिदंबरम और मुखर्जी दोनों के समय रहा।
 
 
दास को दिसंबर 2013 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सचिव बनाया गया लेकिन मई 2014 में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन्हें वापस वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव बनाया गया। पहले वह मोदी सरकार में कालेधन के खिलाफ उठाये गये कदमों में शामिल रहे और उसके बाद माल एवं सेवाकर को लागू करने में आम सहमति बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। इसके बाद सितंबर 2015 में वह आर्थिक मामले विभाग में स्थानांतरित किये गये जहां उन्होंने नोटबंदी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नोटबंदी के बड़े झटके के दौरान सरकार का बचाव करते हुये उन्होंने न केवल आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई बल्कि अर्थव्यवस्था में 500 और 2,000 रुपये का नया नोट जारी करने और इसकी आपूर्ति बढ़ाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। 
 
 शक्तिकांत दास को एक शांत स्वभाव के व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। वह अपना आपा कभी नहीं खोते हैं और वह आम सहमति से समाधान निकालने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक में गवर्नर की भूमिका में वह आम सहमति से काम आगे बढ़ा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच कई मुद्दों पर खींचतान बनी हुई है। इन मुद्दों में रिजर्व बैंक में कोष अधिशेष का उपयुक्त आकार क्या हो। सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों सहित विभन्न क्षेत्रों में कर्ज देने के नियमों को उदार बनाना जैसे कई मुद्दे हैं जिनपर वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आमने सामने रहे हैं। ऐसे में शक्तिकांत दास की भूमिका उल्लेखनीय होगी।
 
दास रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर होंगे। उनकी बेदाग सेवा के दौरान उनके खिलाफ एक प्रतिकूल बात उस समय हुई थी जब भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने परोक्ष रूप से आरोप लगाया था कि उन्होंने महाबलिपुरम (तमिलनाडु) में एक जमीन को हड़पने के मामले में चिंदबरम की मदद की है।यह मामला उस समय का बताया गया जब दास तमिलनाडु में उद्योग सचिव थे। उस समय वित्त मंत्री जेटली ने दास का पूरा बचाव किया था और कहा था कि ‘‘ यह एक अनुशासित सरकारी अधिकारी के खिलाफ अनुचित और असत्य आरोप है।’’

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन का श्रेय पार्टी के नेता अपने अध्यक्ष राहुल गांधी को दे रहे हैं। जीत के बाद संवाददताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हम जनता को इस समर्थन के लिए धन्यवाद करते है। कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि विपरीत समय में आप ने जो हमारे लिए मेहनत किया है वह काबिल-ए-तारीफ है। राहुल ने MP, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रीयों का धन्यवाद करते हुए आगे कहा कि हम उनके कामों को आगे बढ़ाएंगे। इसके आलावा राहुल ने तेलंगाना और मिजोरम में जीतने वालों को बधाई दी। 




राहुल ने कहा कि आज पूरा विपक्ष एकजुट है और हम लोकसभा चुनाव में एक साथ लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि हम गठबंदन को लेकर उदार हैं। EVM पर बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस पर सवाल सिर्फ भारत में नहीं बल्कि अन्य देशों में भी उठे हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम के चिप से छेड़छाड़ की जा सकती है। मोदी पर हमला करते हुए राहुल ने कहा कि रोजगार, भ्रष्टाचार, किसान के मुद्दे पर वो चुनकर आए थे पर उन्होंने इस पर कुछ भी नहीं किया। राफेल में बड़ा भ्रष्टाचार बताते हुए राहुल ने कहा कि इसका सच सामने आएगा।  
 
 
राहुल ने कहा कि मोदी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फेल पीएम है और वो रोजगार भी नहीं दे पाए। उन्होंने कहा कि मोदी की छवि जनता के मन में एक भ्रष्ट नेता के तौर पर बनी है। उन्होंने कहा कि मोदी की वादाख‍िलाफी से जनता नाराज है। 

र्व वित्त सचिव और वित्त आयोग के वर्तमान सदस्य शक्तिकांत दास को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। पिछले साल वह आर्थिक मामलों के सचिव पद से रिटायर हुए थे। मोदी सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के फैसले में भी इनकी प्रमुख भूमिका रही थी। 

बता दें कि सोमवार को RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने ने कहा कि वह यह फैसला व्यक्तिगत कारणों से ले रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक में वर्षों से विभिन्न पदों पर काम करना मेरे लिए सम्मान की बात रही।

नयी दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सिखाया कि ‘क्या नहीं करना चाहिए’ और उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार से भी ‘काफी कुछ सीखा।’ राहुल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को विशाल जनादेश मिला था, लेकिन उन्होंने ‘देश की धड़कन’ सुनने से इनकार कर दिया। हिंदीभाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के फिर से उदय के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, ‘मैं कल अपनी मां से बात कर रहा था और मैं उनसे कह रहा था कि मेरे लिए सबसे अच्छी बात कुछ हुई है तो वह है 2014 का (लोकसभा) चुनाव। मैंने उस चुनाव से काफी कुछ सीखा है।’


राहुल (48) ने कहा कि 2014 के चुनाव से उन्हें जो सबसे अहम चीज सीखने को मिली, वह ‘विनम्रता’ है। उन्होंने कहा, ‘यह एक महान देश है और इस देश में सबसे अहम चीज है कि लोग क्या मानते हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि एक नेता के तौर पर यह समझना होता है कि लोग क्या महसूस कर रहे हैं और वह जिस चीज को महसूस करते हैं, उससे जुड़ाव पैदा करना होता है। उन्होंने कहा, ‘बेबाकी से कहूं तो नरेंद्र मोदी जी ने मुझे सबक सिखाया कि क्या नहीं करना चाहिए।’ 

 

राहुल ने कहा कि पांच साल पहले उन्हें (मोदी को) इस देश में बदलाव लाने का बड़ा मौका दिया गया। दुखद चीज यह है कि उन्होंने देश की धड़कन सुनने से मना कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी ने युवाओं और किसानों की आवाज सुनने से इनकार कर दिया। राहुल ने जोर देकर कहा, ‘थोड़ा अहंकार आ गया है। मेरा मानना है कि यह किसी नेता के लिए घातक होता है। उनके काम करने के तरीके से मैंने यह बात सीखी है। मेरे लिए इस देश के लोग ही सबसे अच्छे शिक्षक हैं।’

नई दिल्ली। बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत पर बधाई दी। इसी के साथ उन्होंने कहा कि हाथी अब हाथ को समर्थन देगा। मायावती के समर्थन के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनना लगभग पूरी तरह से तय हो गया है। हालांकि, मायावती ने कहा कि मैं कांग्रेस की कई नीतियों से खुश नहीं हूं फिर भी कांग्रेस को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने के लिए तैयार हूं, जरुरत पड़े तो राजस्थान में भी।

मायावती ने कहा कि हमारे पार्टी के लोगों का ये कहना है कि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की जनता बीजेपी सरकार की गलत कार्य प्रणाली की वजह से दुखी हो चुकी थी। इसी वजह से वह बीजेपी को सत्ता में आते हुए नहीं देखना चाहती थी, जिसका फायदा कांग्रेस को मिला और अब लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस इस जीत को भुनाने की कोशिश करेगी।
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