ईश्वर दुबे
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Bhilai
लगातार बढ़ रही महंगाई और इलाज पर होने वाले भारी-भरकम खर्च को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा लोगों के लिए अत्यंत जरूरी हो गया है। कोरोना काल के बाद इसकी महत्ता और बढ़ गई है। यह न सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों में मददगार होता है बल्कि अस्पताल खर्चों से वित्तीय सुरक्षा भी देता है।
अगर आप भी इलाज पर होने वाले भारी-भरकम खर्च के लिए व्यापक कवरेज और वित्तीय सुरक्षा चाहते हैं, तो को-इंश्योरेंस (सह-बीमा) मददगार साबित हो सकता है। यह स्वास्थ्य बीमा में एक ऐसी अवधारणा है, जिसमें इलाज खर्च की लागत कई बीमा कंपनियों के बीच साझा की जाती है।
सह-भुगतान से है अलग
को-इंश्योरेंस सह-भुगतान (को-पे) से अलग है। सह-भुगतान में पॉलिसीधारक को मेडिकल बिल का एक निश्चित हिस्सा (फीसदी) चुकाना पड़ता है, जबकि को-इंश्योरेंस में पॉलिसीधारक के इलाज खर्चों का भार दो या अधिक बीमा कंपनियों के बीच बांटा जाता है।
यह व्यवस्था वित्तीय जोखिम को बांटती है और उच्च मूल्य वाले बीमा या बड़े मेडिकल क्लेम के लिए व्यापक कवरेज प्रदान करती है।
भारतीय रेलवे अपने यात्रियों को सुविधा देने के साथ ही कर्मचारियों का भी ख्याल रखता है। अब फेस्टिव सीजन के शुरुआत होती ही केंद्र सरकार ने करोड़ों रेलवे कर्मचारियों को खुशखबरी दे दी है।
3 अक्टूबर, 2024 को हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की कैबिनेट बैठक में रेलवे कर्मचारियों बोनस को मंजूरी मिल गई है।
रेलवे कर्मचारियों के बोनस की जानकारी अश्विनी वैष्णव ने दी। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कैबिनेट ने रेलवे कर्मियों के लिए बोनस को मंजूर कर दिया। कर्मचारी को टोटल 78 दिनों का बोनस देने का फैसला लिया गया है। इस फैसले से कुल 11,72,240 कर्मचारियों को लाभ होगा। इनमें से अभी 58,642 कर्मचारियों का पदों पर भर्ती करने का प्रोसेस चल रहा है।
कर्मचारियों को कितना मिलेगा बोनस
भारतीय रेलवे की परफॉर्मेंस अच्छी रही, जिसके बाद कर्मियों को बोनस दिया जा रहा है। सरकार 2029 करोड़ रुपये का बोनस दे रही है। कर्मचारियों को 78 दिनों का बोनस मिलेगा। इसका लाभ 11 करोड़ कर्मचारियों को होगा। रेलवे के प्रत्येक कर्मचारियों को मैक्सिमम 17,951 रुपये का बोनस मिलेगा।
इन कर्मचारियों को होगा लाभ
भारतीय रेलवे के सभी कैटेगरी के कर्मचारियों को बोनस का फायदा होगा। इसमें ट्रैक मेंटेनर, लोको पायलट, ट्रेन मैनेजर (गार्ड), स्टेशन मास्टर, पर्यवेक्षक, तकनीशियन, तकनीशियन हेल्पर, ग्रुप सी स्टाफ, प्वाइंट्स मैन, मिनिस्टि्रयल स्टाफ आदि शमिल हैं।
बता दें कि भारतीय रेलवे हर साल दुर्गा पूजा/दशहरा त्योहारों से पहले प्रोडक्टिविटी लिंक्ड बोनस (PLB) का एलान करता है। इस साल भी नवरात्र के पहले दिन रेलवे कर्मियों को बोनस देने का एलान किया गया है।
शेयर बाजार में पिछले पांच दिनों की गिरावट के दौरान निवेशकों करीब 16 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा है। इस दौरान सेंसेक्स सिर्फ पांच कारोबारी सत्रों में 4,100 अंक से ज्यादा फिसल गया। बाजार में यह गिरावट ईरान-इस्राइल के बीच तनाव के चरम पर पहुंचने के बाद आई है। दूसरी ओर, चीन की ओर से प्रोत्साहन पैकेज के एलान ने भारतीय बाजार के लिए आग में घी का काम किया है।
सेंसेक्स निफ्टी में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को 30 शेयरों वाला प्रमुख बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स 808.65 (0.98%) अंकों की गिरावट के साथ 81,688.45 पर पहुंचकर बंद हुआ। दूसरी ओर, 50 शेयरों वाले बेंचमार्क सूचकांक निफ्टी में 235.50 (0.93%) अंकों की नरमी आई और यह 25,014.60 के स्तर पर बंद हुआ।
पांच कारोबारी सत्र में 4148 अंक टूटा सेंसेक्स
इससे पहले गुरुवार को सेंसेक्स 1,769 अंक गिर गया था, निफ्टी भी कमजोर होकर 25,000 के महत्वपूर्ण स्तर तक पहुंच गया था। 27 सितंबर से पिछले 5 कारोबारी सत्रों में, सेंसेक्स 4,148 अंक गिरा। इस दौरान बीएसई पर सूचीबद्ध शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 15.9 लाख करोड़ रुपये घटकर 461.26 लाख करोड़ रुपये रह गया। चीन की ओर से मंदी से उबरने के लिए प्रोत्साहन उपायों की घोषणा करने के बाद वैश्विक निवेशक भारत से पैसा निकालकर उसका रुख चीन की ओर कर रहे हैं। इसका नकारात्मक असर सेंसेक्स और निफ्टी पर पड़ रहा है।
ईरान और इस्राइल के बीच तनाव बढ़ने से निवेशक बरत रहे सतर्कता
पिछले शुक्रवार को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में इस्राइली हवाई हमले के जवाब में ईरान की ओर से मंगलवार को इस्राइल की ओर लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागे गए। इस घटनाक्रम के बाद उभरते बाजारों में विदेशी निवेशक सतर्कता बरतने लगे। बाजार आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार तक के कारोबारी सत्र में एफआईआई ने दलाल स्ट्रीट से करीब 32,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की। गुरुवार को एफआईआई की ओर से की गई 15,243 करोड़ रुपये की बिकवाली विदेशी निवेशकों की ओर से एक दिन में की गई सबसे अधिक बिकवाली थी।
हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद लाल निशान पर क्लोजिंग हुई। सेंसेक्स मंगलवार को 33.49 (0.03%) अंक फिसलकर 84,266.29 पर बंद हुआ। निफ्टी में 13.95 (0.05%) अंकों की गिरावट के साथ 25,796.90 के स्तर पर क्लोजिंग हुई।
एयर इंडिया एक्सप्रेस का एआईएक्स कनेक्ट के साथ मर्जर पूरा हो गया। इसने भविष्य के एयरलाइन विलयों के लिए एक नया मानक भी स्थापित किया। इस मर्जर के लिए नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने जरूरी रेगुलेटरी मंजूरी दे दी है।
एयर इंडिया एक्सप्रेस और एआईएक्स कनेक्ट दोनों ही टाटा ग्रुप की एयरलाइन हैं। AIX Connect पहले एयरएशिया इंडिया नाम से जानी जाती थी।
AIX कनेक्ट के सभी विमान बिना किसी रुकावट के एयर इंडिया एक्सप्रेस के एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) में ट्रांसफर कर दिए हैं। इसका मकसद है कि ज्वाइंट वेंचर की एयरलाइन संचालन बिना किसी बाधा के जारी रहे और यात्रियों को बेहतर ट्रैवल एक्सपीरियंस मिले। यह बदलाव 1 अक्टूबर 2024 से प्रभावी हो गया।
एविएशन रेगुलेटर DGCA का कहना है कि वह मर्जर के बाद ऑपरेशन की सख्त निगरानी करेगा, ताकि सभी नियामक शर्तों के पालन को सुनिश्चित किया जा सके। इससे उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने में भी मदद मिलेगी।
रेगुलेटर ने कहा, 'हमारी कठोर समीक्षा से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि यह विलय सार्वजनिक हित में है। इससे सुरक्षित हवाई संचालन को बढ़ावा मिलता है और यात्रियों का ओवरऑल एक्सपीरियंस बेहतर होता है।'
DGCA प्रमुख विक्रम देव दत्त ने कहा, “हमें इस मर्जर प्रोसेस काफी महत्वपूर्ण अनुभव मिला है। यह तजुर्बा एयर इंडिया और विस्तारा के आगामी मर्जर के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है, जिस पर फिलहाल काम चल रहा है।'
आरबीआई ने जब से स्केल आधारित रेगुलेशंस फ्रेमवर्क यानी एसबीआर लागू किया है, तब से गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां यानी एनबीएफसी अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र ने कर्ज देने में 10 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि की है। आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार, अक्तूबर 2022 में एसबीआर की शुरुआत के बाद से बुरे फंसे कर्जों (एनपीए) के अनुपात में कमी आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2021 में एनपीए 4.4 प्रतिशत से 10.6 प्रतिशत के बीच था। दिसंबर 2023 तक 2.4 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत रह गया है। आरबीआई ने हालिया जारी बुलेटिन में कहा, एनबीएफसी को तेजी से विकसित हो रहे वित्तीय परिदृश्य, जोखिम प्रबंधन व आंतरिक ऑडिट के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। हालांकि, यह विचार आरबीआई के नहीं, बल्कि बुलेटिन के लेखकों के हैं।
आरबीआई ने एसबीआर ढांचे के तहत अपर लेयर के हिस्से के रूप में 15 एनबीएफसी रखा है। इनमें एलआईसी हाउसिंग, बजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस, टाटा संस, एलएंडटी फाइनेंस, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस, पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस, आदित्य बिड़ला फाइनेंस, एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, बजाज हाउसिंग फाइनेंस व टाटा कैपिटल फाइनेंशियल जैसे प्रमुख नाम हैं।
टाटा संस को लाना होगा आईपीओ
अपर लेयर की सूची में से अब तक टाटा संस को छोड़कर अन्य कंपनियों ने लिस्टिंग करने के लिए कदम शुरू किए हैं। हालांकि, टाटा संस अभी भी लिस्टिंग से बचने की कोशिश कर रहा है। नियमों के मुताबिक, उसे अगले साल सितंबर तक लिस्ट होना है। पर वह कर्जों को चुकाकर और अन्य कई कारणों के जरिये लिस्टिंग से बचना चाहता है।
आर्टिफिशेयल इंटेलिजेंस का नाम जब भी आता है तो OpenAI का जिक्र होता ही है। OpenAI एक तरह की नॉन-प्रॉफिट इंटेटिटी है। अब कंपनी के दो उच्च-स्तरीय कार्यकारी ने इस्तीफा दे दिया है। इस इस्तीफे के बाद कंपनी विवादों में घिर गई है। दरअसल,कंपनी ने संकेत दिया है कि वह प्रॉफिट कमाने वाली कंपनी बनेगी। इस संकेत के बाद विवाद खड़ा हो गया है। कई संगठनों का कहना है कि अगर OpenAI भी प्रॉफिट कमाने वाली कंपनी बनती है तो कंपनी अपने AI उद्देश्यों से दूर जा सकती है।
2015 में शुरू हुआ था OpenAI
OpenAI की स्थापना नॉन-प्रॉफिट संस्था के रूप में वर्ष 2015 में हुई थी। साल 2019 में कंपनी ने एक लाभ-आधारित सहायक कंपनी की शुरुआत की थी। इसमें सर्विस के साथ-साथ बाहरी निवेश को भी अनुमति दी गई। इसमें निवेशख और कर्मचारी दोनों को एक निश्चित सीमा तक रिटर्न मिलता था।
कैसे शुरू हुआ विवाद
OpenAI का विवाद तह शुरू हुआ जब सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी Microsoft ने निवेश किया। इस निवेश ने कंपनी के मुनाफे की ओर संकेत किया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी सार्वजनिक लाभ निगम में पुनर्गठन करने पर विचार कर रही है। कंपनी के इस विचार पर अटकलें लगाया जा रहा है कि कंपनी वित्तीय चुनौतियों के समाधा के लिए यह फैसला लेगी। माना जा रहा है कि OpenAI का खर्च बहुत बड़ गया है, इस वजह से चालू वित्त वर्ष में कंपनी को 5 बिलियन डॉलर तक का घाटा हो सकता है। अगर कंपनी सार्वजनिक लाभ निगम के रूप में पुनर्गठित होता है को कंपनी सुरक्षित एआई विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को खतरे में डाल सकता है। आलाचकों का कहना है कि मुनाफे की चाहत में कंपनी एआई सिस्टम को तैनात करने की दिशा में आक्रामक प्रयास कर सकती है। दरअसल, OpenAI की स्थापना एआई प्रौद्योगिकियों की नैतिक उन्नति को प्राथमिकता देने के लिए हुई थी।
दो उच्च-स्तरीय कार्यकारी ने दिया इस्तीफा
OpenAI के उच्च-स्तरीय कार्यकारी के इस्तीफे ने भी कंपनी को विवादों में खड़ा कर दिया है। हाल में कंपनी की मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी मीरा मुराती इस्तीफा दिया है। मीरा मुराती के इस्तीफे के बाद दो अन्य वरिष्ठ व्यक्तियों, बॉब मैकग्रे (मुख्य अनुसंधान अधिकारी) और बैरेट ज़ोफ़ (अनुसंधान के उपाध्यक्ष) भी कंपनी से बाहर निकल गए। बता दें कि OpenAI की जीपीटी-4 मॉडल के शुभारंभ में मीरा मुराती की महत्वपूर्ण भूमिका थी। मीरा मुराती ने इस्तीफा देते हुए कहा कि पिछले वर्ष अन्य सह-संस्थापक और वरिष्ठ शोधकर्ता ने कंपनी छोड़ दिया था। दरअसल, OpenAI लाभ-प्राप्त व्यवसाय मॉडल की ओर बढ़ रही है। ऐसे में कर्मचारी कंपनी छोड़ रहे हैं।
इन्वेस्टमेंट के लिए आज कई ऑप्शन मौजूद हैं। इनमें से फिक्स्ड डिपॉजिट (fixed deposit) भारतीयों को काफी पसंद आती है। एफडी (FD) सिक्योर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है। जो निवेशक बिना रिस्क के साथ निवेश करना चाहते हैं वह अक्सर एफडी का चयन करते हैं। एफडी में गारंटी रिटर्न का फायदा मिलता है। इसके साथ ही निवेशक को कई और बेनिफिट भी मिलते हैं। कई निवेशक एफडी के एक और बेनिफिट के बारे में नहीं जानते हैं। जी हां, अगर कोई पुरुष अपने नाम की जगह पत्नी के नाम की एफडी करवाता है तो उसे अतिरिक्त लाभ मिलता है। इन बेनिफिट्स के बारे में कई निवेशक नहीं जानते हैं। हम आपको इन सभी बेनिफिट्स के बारे में बताने वाले हैं।
पत्नी को मिलता है TDS का लाभ
एफडी पर जो रिटर्न मिलता है उस पर टीडीएस (TDS) देना होता है। एफडी में मिलने वाला ब्याज एक तरह से निवेशक की कमाई में जुड़ जाता है। दरअसल, भारत में कई महिलाएं लोअर टैक्स ब्रैकेट में आती है। वहीं जो हाउसवाइफ होती है उन्हें जीरो टैक्स देना होता है। अगर आप अपनी पत्नी के नाम से एफडी करवा सकते हैं तो आप एकहद तक टीडीएस बचा सकते हैं। वहीं, आप टैक्स भी बचा सकते हैं।
कितना बचेगा टीडीएस
अगर एक कारोबारी साल में एफडी पर 40,000 रुपये से ज्यादा का ब्याज मिलता है तो 10 फीसदी टीडीएस का भुगतान करना होगा। ऐसे में अगर बीवी के नाम पर एफडी है तो फॉर्म 15G भरकर टीडीएस बचा सकते हैं। वहीं, अगर पति-पत्नी ने मिलकर ज्वाइंट एफडी करवाया है और पत्नी फर्स्ट होल्डर है तो टीडीएस के साथ टैक्स पेमेंट करने से भी बच सकते हैं।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के करोड़ों किसानों के लिए खुशखबरी है। सरकार ने नवरात्रि के दौरान किसानों के खातों में 2000 रुपये की अगली किस्त जारी करने का फैसला किया है। पीएम किसान सम्मान निधि की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अक्टूबर को किसानों के लिए 18वीं किस्त जारी करेंगे। इस योजना के तहत सरकार देश के छोटे और सीमांत किसानों को सालाना 6000 रुपये की आर्थिक मदद देती है। यह राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भेजी जाती है।
ई-केवाईसी करना जरूरी
योजना का लाभ लेने के लिए किसानों का ई-केवाईसी होना अनिवार्य है। ई-केवाईसी के माध्यम से किसान अपनी पहचान की पुष्टि कर सकते हैं। किसान ऑनलाइन ओटीपी के माध्यम से या कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपनी अंगुली या चेहरे के निशान के माध्यम से ई-केवाईसी करा सकते हैं।
कैसे करें ई-केवाईसी
किसान पीएम किसान पोर्टल पर जाकर या मोबाइल ऐप के माध्यम से ओटीपी के जरिए ई-केवाईसी कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर भी बायोमेट्रिक तरीके से ई-केवाईसी करा सकते हैं। दूसरी बात यह कि ई-केवाईसी के अलावा सिर्फ उन्हीं किसानों को किस्त का लाभ मिलेगा जिन्होंने जमीन का सत्यापन और आधार लिंकिंग का काम पूरा कर लिया है।
देश के करोड़ों किसानों का इंतजार अब खत्म हो गया। जी हां, केंद्र सरकार ने पीएम किसान की 18 वीं किस्त की तारीख का एलान कर दिया है। पीएम किसान की ऑफिशियल वेबसाइट के हिसाब से 5 अक्टूबर को किसानों के अकाउंट में 18वीं किस्त की राशि आएगी।
अगर आपने भी पीएम किसान योजना का लाभ पाने के लिए रजिस्ट्रेशन किया है तो आपको जल्द से जल्द ई-केवाईसी करवा लेना चाहिए। दरअसल, योजना के नियमोंके अनुसार योजना का लाभ केवल उन किसानों को मिलेगा जिनका ई-केवाईसी और जमीन का सत्यापन पूरा होगा। जो किसान ई-केवाईसी नहीं करवाते हैं उन्हें किस्त की राशि नहीं मिलेगी।
पीएम किसान योजना के बारे में
पीएम किसान योजना में सालाना 6,000 रुपये की राशि मिलती है। यह राशि किस्तों में दी जाती है। हर किस्त में किसानों के अकाउंट में 2,000 रुपये की राशि आती है। इसका मतलब है कि एक साल में किसानों के अकाउंट में 3 किस्त आती है। सरकार ने इस साल जून में 17वीं किस्त जारी की थी।
कैसे करें ई-केवाईसी
पीएम किसान योजना में ई-केवाईसी के लिए पीएम किसान की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं।
अब Farmers Corner के ऑप्शन को सेलेक्ट करें।
यहां स्क्रीन पर e-KYC के ऑप्शन पर क्लिक करें।
इसके बाद अपना आधार नंबर भरें और Get OTP को सेलेक्ट करें।
अब रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आए OTP को दर्ज करें और सबमिट करें
सोने की कीमतें हर दिन एक नया रिकॉर्ड बना रही हैं. बुधवार को देश की राजधानी दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत पहली बार 77,000 रुपए के लेवल को पार कर गईं. वहीं एमसीएक्स फ्यूचर मार्केट में इसकी कीमत लगभग 76,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के भाव के हाई लेवल पर पहुंच चुकी है, जबकि इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के मुताबिक इसका रेट 75,260 रुपए प्रति 10 ग्राम हो चुका है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने जब से अपनी ब्याज दरों में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है, तभी से सोने की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है. भारत में पारंपरिक तौर पर सोने को सबसे सुरक्षित निवेश माना गया है. युद्धकाल से लेकर के मंदी, वैश्विक अनिश्चिता इत्यादि सभी दौर में सोने की कीमत बढ़ जाती है. निवेशकों का रूझान भी शेयर मार्केट जैसे विकल्पों की जगह सोने पर शिफ्ट हो जाता है. इस तरह सोना एक सुरक्षित निवेश रहता है.
सोना पहली बार पहुंचा 77,000 पार
इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) का कहना है कि बुधवार को स्पॉट मार्केट में 24 कैरेट सोने का भाव 496 रुपए की तेजी के साथ 75,260 रुपए प्रति 10 ग्राम के भाव पर पहुंच गया. मंगलवार को शाम में कारोबार समाप्त होने पर इसका बंद भाव 74,764 रुपए प्रति 10 ग्राम था. सोने की कीमतों में इस हफ्ते के 3 दिन में 1,167 रुपए की तेजी आ चुकी है. दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े बाजारों के साथ-साथ भोपाल और इंदौर जैसे शहरों के सर्राफा बाजार में भी 24 कैरेट सोने का भाव बढ़ा है. ये 77,020 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर तक पहुंच चुका है.
चांदी में भी आई चमक
बुधवार को बाजार में चांदी की कीमत में भी चमक देखने को मिली है. इसका भाव 90,324 रुपए प्रति किलोग्राम तक जा पहुंचा है . एमसीएक्स पर चांदी की ऊंचे में कीमत 92,309 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंची है. चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड बढ़ने से उसकी कीमत में लगातार तेजी दर्ज की जा रही है.
आज देश में हर दूसरा आदमी UPI का इस्तेमाल कर रहा है. UPI का डंका देश ही नहीं विदेशों में भी बज रहा है. कई देश भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम UPI का इस्तेमाल कर रहे हैं. जल्द ही अफ्रीका और साउथ अमेरिका में भी इसकी शुरुआत हो सकती है. दरअसल, NPCI ने विदेशी कंपनी एनआईपील ने पेरू और नामीबिया के सेंट्रल बैंकों के साथ UPI जैसा सिस्टम डेवलप करने का समझौता भी कर लिया है.
कब तक शुरू होगा इन देशों में UPI
एनआईपील के सीईओ रितेश शुक्ला ने बताया कि अफ्रीका और साउथ अमेरिका के कई देशों को भारत UPI के ब्लूप्रिंट देने को तैयार हैं. साथ ही पेरू और नामीबिया में UPI की लॉन्चिंग 2027 में हो सकती है. NPCI देश में रिटेल पेमेंट सिस्टम की रेगुलेटर संस्था है. यह देश में UPI चलाती है. अगस्त में 15 अरब UPI ट्रांजेक्शन हुए हैं.
UPI को विदेशों में पहुंचाने के लिए बनी थी NIPL
भारत के UPI को विदेशों में पहुंचाने के लिए NPCI ने एनआईपील का गठन किया था. एक रिपोर्ट के अनुसार, एनआईपील की इस समय अफ्रीका और साउथ अमेरिका के 20 देशों के साथ UPI को लेकर वार्ता चल रही है. पेरू और नामीबिया के सेंट्रल बैंकों के साथ हमारी डील इसी साल की शुरुआत में हो चुकी है. ये बैंक 2026 के अंत तक या 2027 की शुरुआत तक अपना UPI जैसा सिस्टम लॉन्च कर सकते हैं.
अगले साल तक बढ़ेंगे इनके कर्मचारी
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि रवांडा के साथ भी UPI को लेकर गंभीर वार्ता हुई है. हालांकि, रितेश शुक्ला और बैंक ऑफ रवांडा ने इस बारे में कुछ भी स्पष्ट बताने से इंकार कर दिया. रितेश शुक्ला के अनुसार, एनआईपील अन्य देशों के रियल टाइम पेमेंट सिस्टम के साथ गठजोड़ भी कर रही है. इनमें सिंगापुर का पेनाऊ शामिल है. हम इस तरह के 7 गठजोड़ कर चुके हैं. एनआईपील के फिलहाल 60 सदस्य हैं. अब मार्च, 2025 तक इस टीम को बढ़ाया जाएगा. फिलहाल कंपनी के कुछ कर्मचारी सिंगापुर और मिडिल ईस्ट देशों में हैं.
नई दिल्ली । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय शेयर बाजारों में लगभग 33,700 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसकी मुख्य वजह अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती और भारतीय बाजार की मजबूती है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि यह इस साल अब तक एक महीने में भारतीय शेयरों में एफपीआई के निवेश का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे पहले मार्च में एफपीआई ने शेयर बाजार में 35,100 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बाजार के जानकारों ने कहा कि आने वाले दिनों में एफपीआई की खरीदारी का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने 20 सितंबर तक शेयरों में 33,691 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके साथ ही इस साल अब तक शेयरों में उनका निवेश 76,572 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे हैं। इससे पहले अप्रैल-मई में उन्होंने शेयरों से 34,252 करोड़ रुपये की राशि निकाली थी। सितंबर में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की उम्मीद के बीच एफपीआई लिवाल रहे हैं। 18 सितंबर को फेडरल रिजर्व द्वारा प्रमुख ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती के बाद एफपीआई ने और आक्रामक तरीके से लिवाली की है।
नई दिल्ली। कर्ज संकट का सामना कर रही दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) ने 4जी और 5जी नेटवर्क उपकरणों की आपूर्ति के लिए नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग को 30,000 करोड़ रुपये का अनुबंध दिया है। कंपनी ने रविवार को यह जानकारी दी। यह अनुबंध तीन साल के लिए है। कंपनी ने इससे पहले तीन साल में 6.6 अरब डॉलर या 55,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की घोषणा की थी। यह सौदा इस दिशा में पहला कदम है। कंपनी ने कहा कि वोडाफोन आइडिया ने नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग के साथ तीन साल की अवधि में नेटवर्क उपकरणों की आपूर्ति के लिए करीब 3.6 अरब डॉलर (करीब 30,000 करोड़ रुपये) का एक बड़ा सौदा किया है। बयान में कहा गया है कि इस पूंजीगत व्यय कार्यक्रम का लक्ष्य 4जी आबादी के दायरे को 1.03 अरब से बढ़ाकर 1.2 अरब करना, प्रमुख बाजारों में 5जी सेवा शुरू करना और डेटा की वृद्धि के अनुरूप क्षमता का विस्तार करना है। इन नए दीर्घकालिक ठेकों के तहत आपूर्ति आगामी तिमाही में शुरू होगी। बयान में कहा गया है कि 1.2 अरब भारतीयों तक 4जी सेवा (कवरेज) का विस्तार कंपनी की शीर्ष प्राथमिकता है।