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News Creation - बिज़नेस
बिज़नस

बिज़नस (3673)

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बीच आईपीओ का सिलसिला जारी है। बाजार के निवेशकों का फोकस Waaree Energies IPO की लिस्टिंग पर बनी हुई है। बता दें कि आज निवेशकों को आईपीओ अलॉट होगा। अगर आपने भी आईपीओ में निवेश किया है तो आपको अलॉटमेंट का स्टेटस चेक कर लेना चाहिए।

 

आप कैसे आईपीओ अलॉटमेंट का स्टेटस चेक कर सकते हैं। इसके अलावा इस आईपीओ कितने प्रीमियम के साथ लिस्ट होने की उम्मीद है।

 

कैसे चेक करें अलॉटमेंट स्टेटस

 

अगर आपने भी वारे एनर्जीस के आईपीओ में निवेश किया है तो आपको एक बार अलॉटमेंट स्टेटस चेक कर लेना चाहिए। अलॉटमेंट स्टेटस चेक करके आप जान सकते हैं कि आपको शेयर अलॉट हुआ है या नहीं।

 

बीएसई की वेबसाइट से चेक करें स्टेटस

 

सबसे पहले इस लिंक https://www.bseindia.com/investors/appli_check.aspx पर क्लिक करें।

इसके बाद इश्यू टाइप में इक्विटी पर क्लिक करें।

अब इश्यू नाम में Waaree Energies Limited को सेलेक्ट करें।

अब एप्लीकेशन नंबर या फिर पैन नंबर दर्ज करें।

इसके बाद 'I am not a Robot' पर क्लिक करके सर्च बटन को सेलेक्ट करें।

अब स्क्रीन पर आपको अलॉटमेंट स्टेटस शो हो जाएगा।

 

इसके अलावा आप लिंक इनटाइम इंडिया (https://linkintime.co.in/MIPO/Ipoallotment.html) पर भी जाकर अलॉटमेंट स्टेटस चेक कर सकते हैं।

केंद्र सरकार घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर लगने वाले अप्रत्याशित लाभ टैक्स को खत्म करने पर विचार कर रही। जिसको लेकर बातें तेज हो गई है। इस मामले में प्रधानमंत्री के सलाहकार तरुण कपूर ने बुधवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें 2022 के  मुकाबले तेजी से घटी हैं। इसलिए अब कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय इस पर विचार करेगा। देश में अप्रत्याशित लाभ कर पहली बार जुलाई 2022 में लगाया गया था। उस समय दुनियाभर में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छू रही थीं।

 

2022 में पहली बार लगाया था कर

तरुण कपूर ने कहा कि मुझे लगता है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने अप्रत्याशित लाभ कर को समाप्त करने के लिए पहले ही वित्त मंत्रालय को पत्र लिख दिया है। अब फैसला वित्त मंत्रालय को लेना है। बता दें कि बुधवार को वैश्विक बाजार में ब्रेंट क्रूड 1.5 फीसदी सस्ता होकर 74.90 डॉलर प्रति बैरल रहा।

 

क्यों लगाया गया था टैक्स?

बात अगर इस टैक्स के लागू करने के कारण की करें तो केंद्र सरकार ने 1 जुलाई, 2022 को वैश्विक कीमतों में वृद्धि के जवाब में देश में उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स लागू किया। इस कदम का लक्ष्य तेल रिफाइनरियों के अत्यधिक मुनाफे को नियंत्रित करना था जो घरेलू आपूर्ति की कीमत पर ईंधन का निर्यात कर रहे थे। 

राजनीतिक वजहों से सरकार वर्ष 2004 से लागू नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) की जगह यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) लागू करने जा रही है, लेकिन रिटर्न दर और बुढ़ापे में पेंशन की सुविधा को देखते हुए निजी सेक्टर को अब एनपीएस पसंद आने लगी है।

 

पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में निजी सेक्टर के 9.12 लाख लोग एनपीएस से जुड़े, जो पूर्व के वित्त वर्ष के मुकाबले 15 प्रतिशत अधिक है। अभी सरकारी और निजी सेक्टर को मिलाकर एनपीएस से 1.54 करोड़ लोग जुड़े हुए हैं जिनमें 94 लाख सरकारी (केंद्र व राज्य मिलाकर) तो 60 लाख निजी सेक्टर के कर्मचारी शामिल हैं। सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्ष 2004 में एनपीएस की शुरुआत की गई थी जबकि निजी सेक्टर के लिए पांच साल के बाद वर्ष 2009 में एनपीएस को खोला गया था।

 

पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) भी अब निजी सेक्टर के अधिक से अधिक लोगों को एनपीएस से जोड़ने की तैयारी कर रहा है ताकि उन्हें 60 साल के बाद पेंशन के रूप में अच्छी रकम मिलती रहे। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में पीएफआरडीए ने 11 लाख निजी सेक्टर के कर्मचारियों को एनपीएस से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

 

वर्तमान में देश में 11 प्रतिशत लोग 60 साल से अधिक आयु के हैं और वर्ष 2050 तक उनकी हिस्सेदारी 21 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। एनपीएस इन लोगों को सम्मानित पेंशन सुविधा देने में काफी मददगार हो सकती है।

आम जनता महंगाई की मार से पहले ही जूझ रहा है। ऐसे में अब महंगाई को लेकर एक नया अपडेट सामने आ रहा है। दरअसल, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा कि देश की मुख्य ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के साथ सरकार सीएनजी की कीमतों में इजाफा (CNG Price Hike) करने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, इस पर अभी तक कोई अधिकारिक घोषणा नहीं हुई।

 

कितना महंगा होगा सीएनजी

सरकार ने शहरी रिटेलर के लिए नैचुरल गैस की सप्लाई में 20 फीसदी की कटौती की है। इस कटौती का असर तेल की कीमतों पर भी देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि इस कटौती के कारण सीएनजी के दामों में 4 से 6 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार सरकार ने फ्यूल प्राइस पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी में भी कटौती की है।

 

कम हो रही है सप्लाई

सीएनजी की कीमत सरकार तय करती है। पिछले कुछ समय से सीएनजी की सप्लाई कम हो रही है जिसके कारण शहरी गैस खुदरा विक्रेताओं के पास भी कम सप्लाई आ रहा है। कहा जा रहा है कि प्राकृतिक गैस के सप्लाई में सालाना 5 फीसदी की गिरावट आ रही है। सप्लाई में आ रही गिरावट की वजह से सीएनजी के दामों में कमी आ रही है।

बैंक कर्मचारी लंबे समय से 5 वर्किंग डे की मांग कर रहे थे। अभी तक सरकार ने कर्मचारियों के इस मांग को मंजूर नहीं किया है, पर उम्मीद है कि इस साल के अंत तक सरकार इस मांग को पूरी कर सकती है। दरअसल, हाल ही में भारतीय बैंक संघ और कर्मचारी यूनियनों के बीच समझौता हुआ है। अब केवल सरकार की तरफ से मुहर लगने का इंतजार है।

 

अगर सरकार की तरफ से मंजूरी मिल जाती है तो फिर बैंक सप्ताह में केवल पांच दिन खुलेंगे। इसका मतलब है कि शनिवार और रविवार को बैंक बंद रहेंगे। बता दें कि अभी हर महीने के दूसरे-चौथे शनिवार और हर रविवार को बैंक बंद रहते हैं। इसके अलावा फेस्टिवल की वजह से कई शहरों के बैंक में छुट्टी रहती है।

 

सरकार के साथ RBI की अहम भूमिका

 

बैंक के 5 वर्किंग डे की मंजूरी में सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक () की अहम भूमिका है। दरअसल, बैंक का यह प्रस्ताव आरबीआई के पास जाएगा क्योंकि बैंक से जुड़े सभी कामकाज आरबीआई ही कंट्रोल करता है। आरबीआई से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद ही सरकार द्वारा मंजूरी मिलेगी।

 

बैंक के वर्किंग टाइम में भी होगा बदलाव

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगर बैंक के 5 वर्किंग डे पर मंजूरी मिलती है तो फिर बैंक के कामकाज टाइम में भी बदलाव होगा। माना जा रहा है कि दैनिक कामकाज घंटों में 40 मिनट की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका मतलब है कि बैंक सुबब 9.45 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहेगा।

 

कब तक आएगा नोटिफिकेशन

 

उम्मीद की जा रही है कि साल के अंत या फिर 2025 के शुरुआत तक में सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी हो सकता है। अगर सरकार की तरफ से मंजूरी मिल जाती है तो Negotiable Instruments Act के तहत शनिवार को छुट्टी के रूप में मान्यता मिल सकती है।

महंगाई और वित्तीय अनिश्चितता दिन-ब-दिन बढ़ जा रही है। उम्र के साथ ये जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं। बुजुर्ग अवस्था में सेहत से जुड़ी परेशानियां भी रोज की बात हो जाती हैं। ऐसे में अगर आपने रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग नहीं की है, तो आपको काफी मुश्किल हो सकती है।

 

हम आपको कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिसके आधार पर आप अपने रिटायरमेंट को काफी बेहतर बना सकते हैं। फिर आपको बुढ़ापे में किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी।

 

रिटायरमेंट प्लानिंग के वक्त आपका गोल एकदम निश्चित होना चाहिए। आप अपना रिटायरमेंट खुद निश्चित कर सकते हैं या फिर रिटायमेंट के बचे हुए साल के हिसाब से प्लानिंग कर सकते हैं। आपके रिटायमेंट में जितना कम समय होगा, आपको उतनी ही अधिक बचत करनी होगी, ताकि जल्द से जल्द रिटायरमेंट के लिए जरूरी फंड तैयार हो पाए। साथ ही, गैर-जरूरी खर्चों पर लगाम भी कसनी होगी।

 

कैसे तैयार करें रिटायरमेंट फंड

 

रिटायरमेंट के प्लान पर अमल से पहले आपको अपने सभी खर्चों का हिसाब लगाना होगा। अगर कोई कर्ज है, तो उसे भी जल्दी खत्म करने की कोशिश करें। फिर जरूरी खर्चों के बाद बचत का प्लान करें। आपको एकमुश्त पैसे नहीं बचाने हैं। आप छोटी-छोटी सेविंग के माध्यम से भी रिटायरमेंट के लिए बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। लेकिन, इसके लिए वित्तीय तौर पर अनुशासित होकर लगातार निवेश करते रहना होगा।

 

किस स्कीम में करें निवेश

 

रिटायरमेंट के लिए आप अलग-अलग स्कीमों में निवेश कर सकते हैं। लेकिन, आपको रिस्क मैनेजमेंट का ख्याल रखना होगा। इसका मतलब कि अपनी सारी बचत किसी एक स्कीम में न लगाएं। आप कुछ शेयर मार्केट में लगा सकते हैं। कुछ एसआईपी या डेट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। गोल्ड बॉन्ड भी अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके लिए आप किसी फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह भी ले सकते हैं।

 

ये योजनाएं हो सकती हैं बेस्ट

 

आप म्यूचुअल फंड में सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) से लंबी अवधि में बड़ा फंड बना सकते हैं। आप अपनी सहूलियत से फंड हाउस और स्कीम चुन सकते हैं। वहीं, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) भारत सरकार की स्कीम है। इसमें निवेश भी अच्छा विकल्प है। इस स्कीम में पैसा 60 साल में मैच्योर होता है। आप अटल पेंशन योजना की तरफ भी जा सकते हैं। लेकिन, आपकी कमाई इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आनी चाहिए। इसमें निवेश की आयु सीमा 18 से लेकर 40 साल तक है।

 

 

बैंकिंग शेयरों में भारी खरीदारी और मजबूत वैश्विक बाजार रुझानों के चलते बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में तीन दिन की गिरावट के बाद शुक्रवार को तेजी लौटी। बीएसई सेंसेक्स शुरुआती निचले स्तरों से उबरते हुए 218.14 अंक या 0.27 प्रतिशत चढ़कर 81,224.75 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 384.54 अंक या 0.47 प्रतिशत चढ़कर 81,391.15 पर पहुंचा।

 

एनएसई निफ्टी 104.20 अंक या 0.42 प्रतिशत बढ़कर 24,854.05 पर बंद हुआ। इसके अलावा घरेलू संस्थागत निवेशकों की लिवाली से भी बाजार में सुधार को समर्थन मिला। सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से एक्सिस बैंक का शेयर करीब 6 प्रतिशत उछला, क्योंकि सितंबर तिमाही में कंपनी का समेकित शुद्ध लाभ 19.29 प्रतिशत बढ़कर 7,401.26 करोड़ रुपये हो गया।

 

आईसीआईसीआई बैंक, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, एनटीपीसी, जेएसडब्ल्यू स्टील, भारतीय स्टेट बैंक और अदाणी पोर्ट्स अन्य बड़े लाभ वाले शेयर रहे। ब्लू-चिप कंपनियों में इंफोसिस के शेयरों में 4 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई, क्योंकि इसकी दूसरी तिमाही की आय निवेशकों को खुश करने में विफल रही।

 

भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सेवा निर्यातक कंपनी ने गुरुवार को दूसरी तिमाही के शुद्ध लाभ में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी। एशियन पेंट्स, नेस्ले, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर और आईटीसी अन्य बड़ी गिरावट वाले शेयर रहे।

 

एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने गुरुवार को 7,421.40 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। हालांकि, डीआईआई ने 4,979.83 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। एशियाई बाजारों में, टोक्यो, शंघाई और हांगकांग में तेजी रही, जबकि सियोल में गिरावट रही।

 

यूरोपीय बाजार सकारात्मक दायरे में कारोबार कर रहे थे। गुरुवार को अमेरिकी बाजार अधिकतर बढ़त के साथ बंद हुए। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.07 प्रतिशत गिरकर 74.40 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

 

गुरुवार को बीएसई का सेंसेक्स 494.75 अंक या 0.61 प्रतिशत गिरकर 81,006.61 अंक पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह 595.72 अंक या 0.73 प्रतिशत गिरकर 80,905.64 अंक पर आ गया था। एनएसई निफ्टी 221.45 अंक या 0.89 प्रतिशत गिरकर 24,749.85 पर आ गया था।

 

नवरात्र से शुरू त्योहारी सीजन में ट्रैक्टर को छोड़कर कारों और दोपहिया समेत सभी प्रकार की गाड़ियों की जबरदस्त मांग दिख रही है। डीलरों के पास गाड़ियों को लेकर पूछताछ तीन गुना बढ़ गई है। ग्राहकों को आकर्षित करने और अपने स्टॉक को खत्म करने के लिए वाहन कंपनियां भी भारी छूट दे रही हैं। 

 

फाडा के उपाध्यक्ष ने दी जानकारी

 

फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (फाडा) के उपाध्यक्ष साईं गिरधर ने बताया, इस त्योहारी सीजन में दिवाली तक देशभर में 45 लाख से अधिक गाड़ियां बिकेंगी। इनमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल हैं। यह आंकड़ा 2023 के त्योहारी सीजन में बिके कुल 37.93 लाख वाहनों की तुलना में 7.07 लाख अधिक है। 2022 में कुल 32 लाख गाड़ियां बिकी थीं।

 

गिरधर ने आगे बताया कि पिछले त्योहारी सीजन की तुलना में इस बार रिकॉर्ड गाड़ियां बिकने की कई वजहे हैं। डीलरों के पास ग्राहकों के पसंदीदा कलर में लगभग सभी मॉडल उपलब्ध हैं। कुछ मॉडल को छोड़ दें तो वेटिंग पीरियड नहीं है यानी ग्राहकों को अपनी नई कार घर ले जाने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ रहा है। इस बार गाड़ियों पर मिलने वाली छूट चरम पर है। फाइनेंसर भी कर्ज देने के लिए तैयार बैठे हैं। इसके उलट, 2023 के त्योहारी सीजन में वेटिंग पीरियड अधिक था। डीलरों के पास स्टॉक और ग्राहकों के पसंदीदा मॉडल उपलब्ध नहीं थे।

रिजर्व बैंक ने डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशंस UPI लाइट की लिमिट बढ़ा दी है। अब इसे इस्तेमाल करना अधिक सुविधाजनक हो गया है। आइए जानते हैं कि यूपीआई लाइट क्या है, इसकी लिमिट कितनी बढ़ी है और लिमिट बढ़ने से किसे फायदा होगा।

 

क्या है यूपीआई लाइट?

 

यूपीआई लाइट UPI ऐप में एक ऑनलाइन वॉलेट है। इसे भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने पिन एंटर किए बिना पेमेंट करने की सुविधा के साथ पेश किया है। यूपीआई लाइट पेमेंट सिस्टम असल में बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किए बगैर काम करता है। इसका इस्तेमाल अधिकतर लोग छोटी रकम की खरीदारी के लिए करते हैं। जैसे कि दूध, फल या फिर सब्जियां।

 

यूपीआई लाइट कैसे काम करता है

 

यूपीआई लाइट यूजर को सीधे अपने डिवाइस पर पैसे स्टोर करने की अनुमति देता है, जैसे कि आप जेब में पैसे लेकर घूमते हैं। इससे पेमेंट काफी आसान हो जाता है। साथ ही, हर ट्रांजैक्शन के लिए बैंक सर्वर तक पहुंचने की जरूरत नहीं रहती। इससे फीचर फोन यूजर को भी डिजिटल भुगतान सहूलियत मिलती है। साथ ही, यूपीआई लाइट वॉलेट यूज करने वालों के छोटी रकम का ट्रांजैक्शन सरल हो जाता है।

आम जनता को एक बार फिर महंगाई का झटका लगा है। सोमवार को जारी डेटा के मुताबिक, सितंबर में होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) 1.84 फीसदी हो गई। यह अगस्त में 1.31 फीसदी थी। पिछले साल की बात करें, तो (-)0.07 फीसदी थी। खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति पिछले महीने बढ़कर 11.53 प्रतिशत हो गई। अगस्त में यह 3.11 प्रतिशत थी। हालांकि, सितंबर में थोक महंगाई फिर भी एक्सपर्ट के अनुमान से कम रही। एक्सपर्ट का मानना था कि सितंबर में थोक महंगाई 1.92 फीसदी रह सकती है।

 

क्यों बढ़ रही थोक महंगाई

 

थोक महंगाई बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है, सब्जियों के आसमान छूते दाम। आलू और प्याज की मुद्रास्फीति सितंबर में क्रमशः 78.13 प्रतिशत और 78.82 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर बनी रही। ईंधन और बिजली श्रेणी में सितंबर में 4.05 प्रतिशत की अपस्फीति देखी गई, जबकि अगस्त में 0.67 प्रतिशत की अपस्फीति थी।

 

सरकार ने क्या कहा?

 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "सितंबर 2024 में मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों, अन्य विनिर्माण, मोटर वाहनों, ट्रेलरों और अर्ध-ट्रेलरों के निर्माण, मशीनरी और उपकरणों के निर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है।"

 

रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। उसने इस महीने की शुरुआत में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में बेंचमार्क ब्याज दर या रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर जस का तस रखा। खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी आज ही आएंगे।

 

दो तरह की महंगाई दर

 

भारत में इन्फ्लेशन दो तरीके होती है, एक रिटेल और होलसेल इन्फ्लेशन। रिटेल यानी खुदरा महंगाई दर उन कीमतों के आधार पर तय होती है, जो ग्राहक चुकाते हैं। जैसे कि आप सब्जी या कोई चीज खरीदी। इसे कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) थोक बाजार में कारोबारियों के बीच आपस में लेन-देन वाली कीमतों से तय होता है।

 

कैसे तय होती है महंगाई दर?

 

महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम को शामिल किया जाता है। उनका वेटेज भी अलग-अलग होता है। थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75 फीसदी, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62 फीसदी और फ्यूल एंड पावर 13.15 फीसदी होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86 फीसदी और हाउसिंग की 10.07 फीसदी होती है। इसमें फ्यूल समेत अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

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