ईश्वर दुबे
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Bhilai
हर साल 14 नवंबर को चिल्ड्रन डे यानी बाल दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर आपको भी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य पर फोकस करना है। बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हम भले ही सेविंग करते हैं पर हमारे सामने सवाल खड़ा रहता है कि अच्छे रिटर्न पाने के लिए कहां निवेश करें।
आज के पैरेंट्स अपने बच्चों के लिए शादी के पहले भी कई लक्ष्य को प्राथमिकता दे रहे हैं - जैसे हायर एजुकेशन, चाहे वह इंजीनियरिंग और मेडिकल हो या एमबीए और इंटरनेशनल स्टडीज हो। इन पर आने वाला खर्च भी शादी की लागत जितना ही महंगा हो गया है। अब पैरेंट्स को ऐसे ऑप्शन में समझदारी से निवेश करने की जरूरत है, जिसमें न उन्हें अच्छा रिटर्न मिले जो उनके बच्चों की जरूरतें को पूका कर सकें। इसके अलावा उन्हें इस बात पर भी ध्यान देने की आवशयकता है कि निवेश राशि का बढ़ती महंगाई के साथ तालमेल हो और वह बच्चों को आगे बढ़ने में मदद करें।
पहले पेरेंट्स नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट या लंबी अवधि की फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं में निवेश करना पसंद करते थे, पर अब उन्हें महंगाई और रिटर्न को ध्यान में रखते हुए म्यूचुअल फंड में चाइल्ड प्लान में निवेश करना चाहिए।
अपने बच्चों के भविष्य के लिए सेविंग करने वाले पैरेंट्स निवेश के ऐसे विकल्पों की जरूरत होती है, जो महंगाई को मात दे सकें। ऐसे में इक्विटी एक दशक या उससे अधिक की अवधि में हाइएस्ट रियल रिटर्न वाला एसेट क्लास साबित हुआ है। रिसर्च से पता चलता है कि इक्विटी में लंबी अवधि के निवेश से इतना रिटर्न मिल सकता है, जितना कोई अन्य एसेट क्लास नहीं देता।
उदाहरण के तौर पर अगर एक अच्छा प्रदर्शन करने वाले इक्विटी फंड में हर महीने में 9,000 रुपये का निवेश लगातार 20 साल के लिए करते हैं तो 20 साल के बाद 1 करोड़ रुपये से अधिक का फंड तैयार हो सकता है।
म्यूचुअल फंड में चाइल्ड प्लान है फायदेमंद
बच्चों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए म्यूचुअल फंड द्वारा पेश की जाने वाली चिल्ड्रन स्कीम एक बेहतर ऑप्श है। इनमें से अधिकतम म्यूचुअल फंड प्लान में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। इससे लॉन्ग टर्म निवेश को बढ़ावा मिलता है। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट करने पर कंपाउंडिंग का फायदा मिलता है, जिससे निवेशकों का पैसा कई गुना बढ़ सकता है।
केंद्र सरकार ने वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए पैन को आधार से लिंक कराना अनिवार्य कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसके लिए 31 दिसंबर, 2024 तक की डेडलाइन दी है। अगर 31 दिसंबर तक आप पैन और आधार को लिंक नहीं कराते, तो आपका पैन कार्ड डी-एक्टिवेट कर दिया जाएगा। इससे आपको टैक्स भरने, लेनदेन करने समेत अन्य मुश्किलें भी आएंगी।
पैन-आधार लिंक कराने पर फाइन
सरकार ने 30 जून 2023 तक पैन कार्ड को आधार से लिंक कराने की सुविधा मुफ्त कर रखी थी। लेकिन, अब लेट फीस के तौर पर 1 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ता है। पहले जुर्माने की रकम 500 रुपये थी, जिसे अब बढ़ाकर 1 हजार रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब कि पैन से आधार कार्ड लिंक कराने पर अब आपको 1 हजार रुपये फाइन के रूप में देने होंगे।
देश में 2 करोड़ से अधिक टैक्सपेयर्स ने फ्री डेडलाइन खत्म होने के बाद पैन को आधार से लिंक कराया। सरकार ने उनसे पेनल्टी के रूप में 2,125 करोड़ रुपये वसूले हैं। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 234 एच में प्रावधान है कि किसी व्यक्ति को धारा 139एए की उपधारा (2) के तहत आधार की जानकारी देनी होती है। ऐसा न करने पर उसे सरकार को 1,000 रुपए तक का जुर्माना देना पड़ेगा।
वर्ष 2030 तक देश में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने के लक्ष्य को लेकर अभी सवाल उठ रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार वर्ष 2047 के रोडमैप पर काम करना शुरू कर चुकी है। नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने वर्ष 2047 तक रिन्यूएबल सेक्टर से कुल 18 लाख मेगावाट बिजली क्षमता देश में लगाने का लक्ष्य रखा है। इसे किस तरह से हासिल किया जाएगा, इसको लेकर अगले दो दिनों तक (14-15 नवंबर, 2024) मंत्रालय के अधिकारी विचार करने जा रहे हैं।
एमएनआरई की तरफ से जानकारी दी गई है कि उक्त उद्देश्यों के लिए आयोजित 'चिंतन शिविर' में सरकारी प्रतिनिधियों के अलावा, वित्तीय संस्थान, उद्योग जगत के प्रतिनिधि, रिन्यूएबल सेक्टर की कंपनियों के सीईओ के अलावा राज्य सरकारों के अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।
चिंतन शिविर के पहले दिन पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, सोलर मैन्युफैक्चरिंग में भारत को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने, भारत को पवन ऊर्जा मैन्युफैक्चरिंग में हब बनाने, रिन्यूएबल सेक्टर में उत्पादित बिजली के लिए जरूरी ट्रांसमिशन सिस्टम लगाने, समुद्री तट के पास स्थापित रिन्यूएबल ऊर्जा संयंत्रों को ट्रांसमिशन से जोड़ने की व्यापक नीति पर विमर्श होगा।
इसके दूसरे दिन रिन्यूएबल ऊर्जा की खरीद करने को लेकर बिजली वितरण कंपनियों की नीति, राष्ट्रीय बायोइनर्जी प्रोग्राम, देश में छोटे पनबजिली परियोजनाओं को एकीकृत तौर पर बढ़ावा देना, नई तरह की वित्तीय संसाधनों के इंतजाम जैसे विषयों पर मंथन होगा। इन दो दिनों के विमर्श में जो सहमति बनेगी उससे आगे की नीति बनाने में मदद मिलेगी।
भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता अभी 4.60 लाख मेगावाट है जबकि बिजली की अधिकतम मांग 2.50 लाख मेगावाट इस साल रही है। केंद्रीय बिजली आयोग का आकलन है कि वर्ष 2047 तक भारत में बिजली की मांग 7.08 लाख मेगावाट तक रहेगी। इस हिसाब से देश की बिजली उत्पादन क्षमता 21 लाख मेगावाट रहने की बात कही गई है।
अब एमएनआरई सिर्फ सौर, पवन, पनबिजली, बायोगैस जैसे अपारंपरिक स्त्रोतों से ही 18 लाख मेगावाट बिजली क्षमता जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। अभी रिन्यूएबल सेक्टर का प्लांट लोड फैक्टर तकरीबन 31 फीसद है। इसमें आने वाले दिनों में कुछ सुधार होने की संभावना है। इस हिसाब से देखा जाए तो वर्ष 2047 तक भारत अपनी जरूरत का बहुत बड़ा हिस्सा रिन्यूएबल सेक्टर से पूरा कर लेगा।
अभी रिन्यूएबल सेक्टर से भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 2.10 लाख मेगावाट है। ऐसे में वर्ष 2030 तक के लक्ष्य को हासिल करने के लिए 2.90 लाख मेगावाट अतिरिक्त क्षमता और जोड़नी होगी। कई विशेषज्ञों ने कहा है कि मौजूदा रफ्तार से भारत के लिए इस लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा।
नई दिल्ली । भारतीय बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एंजेल फंड्स के लिए नए नियम बनाने की संभावना जताई है। अब इनवेस्टर्स की चर्चा में है कि सेबी, एंजेल फंड्स में नए निवेशकों को भी शामिल करने की अनुमति दे सकता है। अब तक, इनवेस्टमेंट सिर्फ मान्यता प्राप्त निवेशकों के लिए ही उपलब्ध था, लेकिन ऐसा हो सकता है कि हिंदू उत्तरी परिवार, फैमिली ट्रस्ट और एकल मालिकाना फर्म जैसे नए सेक्टरों को भी एंजेल फंड्स में जगह मिले। एंजेल फंड्स का मुख्य उद्देश्य स्टार्टअप्स में निवेश करना है और सेबी के इस कदम से इसमें नए निवेशकों के लिए अवसरों की वृद्धि हो सकती है। आईये, हम देखते हैं कि ये कानूनी कदम क्या संदेश देते हैं। सेबी द्वारा प्रस्तावित नियमों में छूटें और शर्तें समेटी गई हैं जो एंजेल फंड्स को आकर्षित बना सकती हैं। सेबी ने एंजेल फंड्स के लिए मुख्य प्रस्ताव दिए हैं - मिनिमम इन्वेस्टमेंट, कॉर्पस के मामूलीकरण, लॉक-इन पीरियडों की प्रतिबंध कम करना और विविधता की सीमा को हटाना। इससे एंजेल फंड्स और भी प्रोफेशनल और उपयुक्त बन सकते हैं, जो निवेशकों को भी नया और अच्छा अवसर प्रदान कर सकते हैं। यदि ये नए नियमन स्थापित हो जाते हैं, तो एंजेल फंड्स के लिए एक नया दौर आ सकता है। इन्वेस्टर्स को निवेश के लिए और अधिक रुचि लेने के लिए ऐसे सुधार करने से समाज को एक नया चेहरा देखने को मिलेगा। हमारी समस्याओं का समाधान केवल सरकारी कदमों से होना चाहिए, परन्तु इनेवेस्टर्स के लिए नियमन के इस नए चेहरे ने एक सकारात्मक संकेत दिया है कि हमारी मुसीबतों का समाधान सामाजिक उत्थान में भी समाहित हो सकता है। इसे जोड़कर, सेबी की इस नई सोच ने यह साबित किया है कि भारत समृद्धि की राह में एक कदम और आगे बढ़ रहा है। ये प्रस्ताव हमारे वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं और नए निवेशकों को बाजार में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इससे न केवल अर्थव्यवस्था को उत्थान मिलेगा, बल्कि नए उद्यमी और निवेशकों को भी समर्थन मिलेगा। सेबी की इस पहल का समाधान हमारे देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जो एक अच्छे समृद्ध भविष्य की ओर हमें अग्रसर कर सकता है। सतीश मोरे/14नवंबर
शेयर बाजार में बीते कुछ समय से जारी गिरावट का सिलसिला सोमवार को भी जारी रहा। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 484.98 अंक गिरकर 79,001.34 पर पहुंच गया। निफ्टी 143.6 अंक फिसलकर 24,004.60 के स्तर पर कारोबार करता दिखा।
विदेशी फंडों की निरंतर निकासी, निराशाजनक तिमाही आय और एशियाई बाजारों के कमजोर रुख से निवेशकों की धारणा प्रभावित होने से सोमवार को शुरुआती कारोबार में बेंचमार्क संवेदी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि इक्विटी बाजार में अस्थिरता जारी रहने की आशंका है। इससे निकट अवधि में गिरावट का माहौल बना रहा सकता है।
शुरुआती कारोबार में बीएसई का सेंसेक्स 484.98 अंक गिरकर 79,001.34 अंक पर आ गया। वहीं एनएसई का निफ्टी 143.6 अंक गिरकर 24,004.60 अंक पर आ गया। सेंसेक्स की 30 शेयरों वाली कंपनी एशियन पेंट्स में 8 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। कंपनी ने शनिवार को बताया कि सितंबर तिमाही में उसका समेकित शुद्ध लाभ 43.71 प्रतिशत घटकर 693.66 करोड़ रुपये रह गया। कमजोर मांग, सामग्री मूल्य मुद्रास्फीति और घरेलू बाजार में सजावटी तथा कोटिंग कारोबार में गिरावट के कारण यह गिरावट आई।
एक्सिस बैंक, अदाणी पोर्ट्स, नेस्ले, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा स्टील और इंडसइंड बैंक भी पिछड़ने वाले शेयरों में शामिल रहे। हालांकि, टाटा मोटर्स, पावर ग्रिड, मारुति और एचसीएल टेक्नोलॉजीज लाभ में रहीं।
एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 3,404.04 करोड़ रुपये मूल्य की इक्विटी बेची। मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा कि भारतीय बाजार दबाव में हैं, जिसका मुख्य कारण विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली है।
एशियाई बाजारों में सियोल, टोक्यो, शंघाई और हांगकांग में गिरावट दर्ज की गई। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट सकारात्मक क्षेत्र में बंद हुआ। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, "अमेरिकी बाजारों में निरंतर तेजी, जिसने डॉव और एसएंडपी 500 को क्रमशः 40,000 और 6,000 से ऊपर पहुंचा दिया है, अब भारतीय बाजारों के लिए अनुकूल नहीं रह गई है। इसके विपरीत, भारत में वित्त वर्ष 2025 के लिए उम्मीद से भी खराब आय में गिरावट से शेयर कीमतों पर दबाव पड़ रहा है, जिससे निकट भविष्य में मंदड़ियों को फायदा हो रहा है।"
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.42 प्रतिशत गिरकर 73.56 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। शुक्रवार को बीएसई का सेंसेक्स 55.47 अंक या 0.07 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,486.32 अंक पर बंद हुआ था। निफ्टी 51.15 अंक या 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,148.20 अंक पर बंद हुआ था।
केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मिलने वाले पेंशन का लाभ पाने वाले लाभार्थी के लिए नवंबर का महीना काफी अहम रहने वाला है। दरअसल, हर साल नवंबर के महीने सभी पेंशनर्स को लाइफ सर्टिफिकेट जमा करना होता है। पेंशनर्स को यह सर्टिफिकेट 1 नवंबर से 30 नवंबर के बीच सबमिट करना होता है। जिन सीनियर सिटिजन की उम्र 80 साल से ज्यादा होती है वह 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं।
अगर पेंशनर्स समयसीमा के भीतर लाइफ सर्टिफिकेट जमा नहीं करते हैं तो पेंशन रुक सकती है। लाइफ सर्टिफिकेट ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से जमा किया जा सकता है। ऑफलाइन सबमिट करने के लिए आपको पेंशन दफ्तर या फिर बैंक ब्रांच जाना होगा। वहीं, पेंशनर्स जीवन प्रमाण पोर्टल पर जाकर आप यह सर्टिफिकेट ऑनलाइन सबमिट कर सकते हैं। हम आपको नीचे बताएंगे कि आप ऑनलाइन कैसे लाइफ सर्टिफिकेट जमा कर सकते हैं।
कैसे सबमिट करें लाइफ सर्टिफिकेट
पेंशनर को सबसे पहले पेंशनर्स जीवन प्रमाण पोर्टल पर जाकर जीवन प्रमाण ऐप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद नीचे दिए गए स्टेप को फॉलो करके वह आसानी से जीवन प्रमाण पत्र जमा कर सकते हैं।
स्टेप 1: ऐप को ओपन करने के बाद आधार नंबर, पीपीओ नंबर , बैंक खाता, बैंक का नाम. मोबाइल नंबर में से कोई एक डिटेल्स दें। इसके बाद गेट ओटीपी पर क्लिक करें।
स्टेप 2: अब ओटीपी दर्ज करें। इसके बाद नाम और ईमेल आईडी भरें। फिर 'स्कैन फिंगर' पर क्लिक करके फिंगर-प्रिंट स्कैन करें। आप फिंगर-प्रिंट स्कैन की जगह पर आईरिस स्कैनर पर आईरिस स्कैन भी कर सकते हैं।
स्टेप 3: अब स्मार्टफोन में 'Device Registration' मैसेज शो होगा। इस के नीचे लिखे ओके पर क्लिक करें।
स्टेप 4: अब ऑथेंटिकेशन और सर्टिफिकेट जनरेट हो जाएगा। इसके बाद दोबारा अपना आधार नंबर और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दर्ज करें।
स्टेप 5: अब मोबाइल नंबर पर आए ओटीपी को दर्ज करें और ओके को सेलेक्ट करें।
स्टेप 6: इसके बाद स्क्रीन पर शो हो रहे सभी जानकारी (जैसे-नाम, पीपीओ नंबर, पेंशन का प्रकार, सैंक्शनिंग अथॉरिटी का नाम, डिसवर्सिंग एजेंसी, ईमेल और बैंक अकाउंट नंबर आदि) भरें। अब Remarried options, Re-Employed Options में से कोई एक ऑप्शन सेलेक्ट करें।
स्टेप 7: अब 'स्कैन फिंगर' के ऑप्शन को क्लिक करके फिंगर स्कैन करें। फिंगरप्रिंट स्कैन होने के बाद लाइफ सर्टिफिकेट जमा हो जाएगा।
लाइफ सर्टिफिकेट सबमिट होने के बाद रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर acknowledgement का मैसेज आएगा। इस मैसेज में जीवन प्रमाण प्रमाणपत्र आईडी डिटेल्स होगी। इस डिटेल्स को संभाल कर रखें ताकि आप आसानी से लाइफ सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं।
लाइफ सर्टिफिकेट डाउनलोड करने के लिए आपको जीवन प्रमाण वेबसाइट (https://jeevanpramaan.gov.in) पर जाकर जीवन प्रमाण आईडी या आधार नंबर देना होगा। इसके बाद आप आसानी से लाइफ सर्टिफिकेट की पीडीएफ कॉपी डाउनलोड कर सकते हैं।
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। सोमवार को शुरुआती कारोबार में यह 1 पैसा गिरकर 84.38 रुपये प्रति डॉलर पर आ गया। यह इसका अब तक सबसे निचला स्तर है।
क्यों गिर रहा है रुपया
करेंसी मार्केट के जानकारों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और इक्विटी मार्केट की सुस्ती के चलते रुपये में कमजोरी आ रही है। उनका कहना है कि जब तक डॉलर सूचकांक में नरमी नहीं आती या विदेशी फंड अपनी निकासी कम नहीं करते, रुपया दबाव में बना रहेगा।
रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 5 पैसे गिरकर 84.37 के नए ऑल टाइम लो-लेवल पर पहुंच गया था। इसमें लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज की गई थी।
मध्यम अवधि में रुपया 83.80 से 84.50 के दायरे में कारोबार करेगा, क्योंकि रिजर्व बैंक अपने पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार होने के कारण रुपये की गिरावट पर अंकुश लगा सकता है।
कब से दबाव में है रुपया
अमेरिकी चुनाव और लगातार विदेशी फंड की निकासी के बीच रुपया काफी समय से दबाव में है। विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में करीब 12 बिलियन डॉलर की इक्विटी बिकवाली की थी। यह सिलसिला नवंबर भी में भी जारी है। उन्होंने नवंबर के शुरुआती 10 दिनों में ही करीब 1.6 बिलियन डॉलर की निकासी कर ली है।
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित पाबारी का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार मूल्यांकन काफी अधिक है। साथ ही, कंपनियों के तिमाही नतीजे काफी कमजोर आ रहे हैं, जो ऊंचे वैल्यूएशन को सपोर्ट नहीं करते।
नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ एक सुरक्षित निवेश है, जो उन्हें बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा देती है. हर महीने आपकी सैलरी का कुछ हिस्सा काटकर उसे पीएफ अकाउंट में जाता जाता है. जितना आप पीएफ में डालते हैं उतना ही कंपनी आपके पीएफ में कंट्रीब्यूट करती है, जिसपर सरकार ब्याज भी देती है. कर्मचारियों के पीएफ का लेखा-जोखा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( EPFO) करती है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में ईपीएफओ में योगदान देने वाले सदस्यों की संख्या में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो बढ़कर 7.37 करोड़ हो गई है. वित्त वर्ष 2022-23 में ईपीएफओ अंशधारकों की संख्या 6.85 करोड़ थी. वहीं योगदान देने वालों संस्थाओं की संख्या 6.6 प्रतिशत बढ़कर 7.66 लाख हो गई है.
क्या है इन आंकड़ों के मायने
श्रम मंत्रालय की ओर से जारी किए गए इन आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में ईपीएफओ में योगदान करने वालों की संख्या में 7.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ये आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार और व्यापारों की संख्या बढ़ रही है, जो कर्मचारियों को बेहतर जीवन स्तर मुहैया कराती है.
ईपीएफओ दावों का निपटारा
ईपीएफओ की बकाया राशि की वसूली में भी 55.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो पिछले वर्ष के 3,390 करोड़ रुपये की तुलना में 5,268 करोड़ रुपये हो गई है. पिछले वर्ष की तुलना में निपटाए गए दावों की संख्या में भी 7.8 प्रतिशत बढ़कर 4.12 करोड़ से बढ़कर 4.45 करोड़ हो गई है.
अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2024 के मसौदे पर भी चर्चा
कार्यकारी समिति ने नई अनुकंपा नियुक्ति नीति, 2024 के मसौदे पर भी चर्चा की, जिसका लक्ष्य ईपीएफओ के कई कर्मचारियों के आश्रितों और बच्चों को राहत पहुंचाना है, जिनकी दुर्भाग्यवश सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गई थी, जिनमें से कई की मृत्यु कोविड महामारी के दौरान हुई थी. इसके अलावा बैठक में कार्यकारी समिति ने ईपीएफओ में बेहतर गवर्नेंस के लिए आईटी, प्रशासनिक, वित्तीय और अन्य संबंधित पहलुओं पर चर्चा की गई. ईपीएस पेंशन भुगतान के लिए सरकार नई केंद्रीकृत पेंशन भुगतान प्रणाली को लाने पर काम कर रही है.
नई दिल्ली । होम लोन पर सरकार की ओर से इस पर 3.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल जाती है। इसमें 80सी के तहत ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट मिलती है, जबकि 24बी के तहत मूलधन पर सालाधाना 2 लाख रुपये तक टैक्स छूट दिया जाता है लेकिन क्या आपको पता है कि होम लोन की तरह कार लोन पर भी टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। आखिर कैसे आप इन दोनों लोन पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं, इसकी पूरी जानकारी यहां दी जा रही है। दरअसल, कार एक लग्जरी उत्पाद मानी जाती है इसलिए सामान्य तौर पर इसके लोन पर टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता है लेकिन अगर आप पेशेवर हैं यानी डॉक्टर, इंजीनियर या वकील हैं अथवा अपनी कार का इस्तेमाल कारोबार के लिए करते हैं तो आयकर अधिनियम के तहत रिटर्न में दावा कर सकते हैं। नौकरीपेशा व्यक्ति को कार लोन पर टैक्स में रियायत का लाभ नहीं मिलेगा। अगर आप कार लोन पर टैक्स छूट का दावा करना चाहता हैं, तो यह जरूरी है कि इसका इस्तेमाल कारोबारी काम में ही किया जाए। जैसे आप इसे किराये पर चलाते हैं, ट्रेवल एजेंसी में उपयोग करते हैं या कारोबार के काम से खुद चलाते हैं। अगर पेशेवर हैं तो भी आप कार लोन पर सालाना दिए जाने वाले ब्याज के बराबर टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। इसके लिए दिए गए ब्याज की रकम को रिटर्न भरते समय कारोबार की लागत के तौर पर दिखाना होगा। कार लोन के ब्याज पर ही नहीं, बल्कि सालाना इस्तेमाल किए गए ईंधन और कार के रखरखाव पर हुए खर्च को भी आयकर छूट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा कार के खरीद मूल्य में सालाना आने वाली कमी यानी डेप्रिसिएशन कॉस्ट पर भी रियायत ले सकते हैं। हालांकि, ईंधन पर हुए खर्च की निश्चित रकम पर ही टैक्स छूट मिलती है और डेप्रिसिएशन कॉस्ट भी कार के मूल्य का 15-20 फीसदी सालाना होता है। इस तरह, अगर आपकी सालाना आय 10 लाख रुपये है और 70 हजार रुपये कार लोन का ब्याज देते हैं, तो आयकर की गणना 9.30 लाख रुपये पर की जाएगी। इसमें ईंधन और डेप्रिसिएशन कॉस्ट शामिल नहीं है।
नई दिल्ली । अक्टूबर में कार बिक्री में जोरदार बढ़ोतरी रही। इस महीने खुदरा बिक्री में 26 फीसदी इजाफा हुआ है। यह बिक्री नवरात्रि, दशहरा, धनतेरस और दीवाली जैसे त्योहारों के चलते बढ़ी है। अक्टूबर में कुल खुदरा बिक्री का अनुमान 4.8 लाख से 4.9 लाख यूनिट्स के बीच है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 3.9 लाख यूनिट्स था। प्रमुख कंपनियों जैसे मारुति, हुंडई, टाटा मोटर्स, एमजी और महिंद्रा ने मजबूत उपभोक्ता खरीदारी की रिपोर्ट की है और कई ऑटों कंपनियों ने अक्टूबर के सर्वाधिक आंकड़े पेश किए हैं। अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में वृद्धि का अनुमान केवल 5 फीसदी है, जो धीमी खुदरा बिक्री के चलते हुआ। इस स्थिति के चलते कंपनियों ने थोक बिक्री में कटौती की है। विशेष रूप से मारुति ने अपने डीलर डिस्पैच को रीकैलिब्रेट किया है, ताकि इन्वेंटरी स्तर को कम किया जा सके। मारुति की अक्टूबर में खुदरा बिक्री 2 लाख यूनिट्स को पार कर गई है, जो पिछले वर्ष की 1.6 लाख यूनिट्स की तुलना में 25 फीसदी अधिक है। पार्थो बनर्जी, बिक्री और मार्केटिंग के सीनियर एग्जीक्यूटिव ऑफिसर ने कहा, सामान्य भावना सकारात्मक थी और ग्रामीण बाजार ने मांग उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टाटा मोटर्स ने अक्टूबर में उच्च त्योहार मांग के चलते 30 फीसदी अधिक गाड़ियां बेची हैं। शैलेश चंद्र, एमडी ने कहा, टाटा मोटर्स का अक्टूबर में कुल पंजीकरण सबसे उच्चतम रहने की उम्मीद है। इस तरह, त्योहारों का सीधा असर कार बिक्री पर पड़ रहा है, और उपभोक्ता बाजार में तेजी का संकेत मिल रहा है। हुंडई के डीलरशिप को थोक डिस्पैच पिछले वर्ष की तुलना में स्थिर रहे। कंपनी ने अक्टूबर में 55,568 यूनिट्स बेचीं, जो पिछले वर्ष की 55,128 यूनिट्स के करीब है। कंपनी के सीओओ तरुण गर्ग ने बताया कि मांग का नेतृत्व एसयूवी ने किया, जो उनकी कुल बिक्री का 68 फीसदी हिस्सा है। महिंद्रा के लिए अक्टूबर एक मजबूत महीना रहा, जिसमें डीलर डिस्पैच 54,504 यूनिट्स हुई, जो पिछले वर्ष की 43,708 यूनिट्स की तुलना में 25 फीसदी अधिक है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अप्रैल-सितंबर की अवधि में घरेलू स्तर पर रखे गए स्वर्ण भंडार में 102 टन की बढ़ोतरी की है। मंगलवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। केंद्रीय बैंक ने कहा कि 30 सितंबर, 2024 तक स्थानीय तिजोरियों में रखे गए सोने की कुल मात्रा 510.46 टन थी। यह मात्रा 31 मार्च, 2024 तक रखे गए 408 टन सोने से अधिक है। विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन पर जारी अर्धवार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में स्वर्ण भंडार में 32 टन की बढ़ोतरी की। इसके साथ ही कुल भंडार बढ़कर 854.73 टन हो गया।
ब्रिटेन से 100 टन सोना वापस आया
पिछले कुछ वर्षों में भारत धीरे-धीरे अपने स्वर्ण भंडार को स्थानीय तिजोरियों में स्थानांतरित कर रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में उसने ब्रिटेन से 100 टन से अधिक सोना घरेलू स्थानों पर पहुंचाया था। यह 1991 के बाद से सोने की सबसे बड़ी चालों में से एक थी। 1991 में विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए भारत को अपने स्वर्ण भंडार का एक बड़ा हिस्सा गिरवी रखना पड़ा था। आरबीआई के अनुसार, बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास 324.01 टन सोना सुरक्षित रखा गया था और 20.26 टन सोना स्वर्ण जमा के रूप में रखा गया था। मई के अंत में ही सूत्रों ने संकेत दिया था कि मानक समीक्षा प्रक्रियाओं के तहत विदेशों में स्वर्ण भंडार को कम करने का निर्णय लिया गया है।
भारत के मंदिरों में है अपार सोना
भारत के मंदिरों में अमेरिकी सरकार के खजाने से तीन गुना अधिक सोना है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों में 4000 टन से अधिक सोना रखा हुआ है। विश्व स्वर्ण परिषद ने यह आंकड़ा दिया है। भारतीयों को सोने से इतना प्यार है कि हमने 25 हजार टन से अधिक सोना संरक्षित करके रखा हुआ है।
Gold-Silver Rate: धनतेरस के मौके पर सोने और चांदी के दामों में फिर बदलाव देखने को मिला है. अगर आप भी आज, 31 अक्टूबर को सोना या चांदी खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो सबसे पहले जान लें कि आज के ताजा भाव क्या हैं. खासतौर पर, 22 कैरेट और 24 कैरेट सोने के दामों में हलचल है और बाजार में इसकी गूंज सुनाई दे रही है. आज सोने के दाम में 490 रुपये तक की गिरावट आई है, जबकि चांदी की कीमतों में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ.
18 कैरेट सोना
दिल्ली: 10 ग्राम – 59,970 रुपये
मुंबई: 10 ग्राम – 59,850 रुपये
इंदौर और भोपाल: 10 ग्राम – 59,890 रुपये
चेन्नई: 10 ग्राम – 60,250 रुपये
22 कैरेट सोना
भोपाल और इंदौर: 10 ग्राम – 73,200 रुपये
दिल्ली, जयपुर और लखनऊ: 10 ग्राम – 73,300 रुपये
मुंबई, हैदराबाद, और कोलकाता: 10 ग्राम – 73,150 रुपये
24 कैरेट सोना
भोपाल और इंदौर: 10 ग्राम – 79,850 रुपये
दिल्ली, जयपुर और चंडीगढ़: 10 ग्राम – 79,950 रुपये
हैदराबाद, बैंगलुरू और चेन्नई: 10 ग्राम – 79,800 रुपये
चांदी के ताजा दाम
चांदी खरीदने की योजना बनाने वालों के लिए दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद, और कोलकाता में 1 किलो चांदी का भाव 98,000 रुपये है. जबकि चेन्नई, मदुरै, हैदराबाद, और केरल में चांदी का दाम थोड़ा अधिक, 1,07,000 रुपये प्रति किलो पर पहुंच चुका है.
विदेशी बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने का भाव 400 रुपये घटकर 81,100 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाली कीमती धातु शनिवार को क्रमश: 81,500 रुपये और 81,100 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई थी। हालांकि, चांदी 99,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रही।
99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 400 रुपये घटकर 80,700 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया
सोमवार को 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 400 रुपये घटकर 80,700 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया। कारोबारियों ने कहा कि वैश्विक बाजारों में सुस्त रुख के बीच स्थानीय बाजारों में आभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की मांग घटने से सोने की कीमतों में गिरावट आई। इस बीच, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर वायदा कारोबार में दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के अनुबंध का भाव 312 रुपये या 0.4 फीसदी गिरकर 78,220 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया।
धनतेरस-दिवाली से पहले कॉमेक्स पर सोने की कीमतों में नरमी
एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट (कमोडिटी एंड करेंसी) जतिन त्रिवेदी ने कहा, "इस सप्ताह की शुरुआत में सोने की कीमतों में गिरावट आई और कॉमेक्स भी कमजोर हुआ क्योंकि इजरायल-ईरान संघर्ष में नरमी के संकेतों के बीच मुनाफावसूली देखी गई।" एक्सचेंज पर दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी का वायदा भाव 585 रुपये या 0.6 फीसदी गिरकर 96,549 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गया।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के अनुसार, मध्यम से लंबी अवधि में चांदी सोने से बेहतर प्रदर्शन करेगी। अगले 12-15 महीनों में चांदी एमसीएक्स पर 1.25 लाख रुपये प्रति किलोग्राम और कॉमेक्स पर 40 डॉलर प्रति औंस के लक्ष्य तक पहुंच जाएगी।
वैश्विक स्तर पर भी सोने की मांग में गिरावट
वैश्विक स्तर पर, कॉमेक्स गोल्ड वायदा 0.38 प्रतिशत गिरकर 2,744 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। व्यापारियों ने कहा कि 2024 की पहली तीन तिमाहियों में दुनिया के सबसे बड़े सोने के उपभोक्ता - चीन - की मांग में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में गिरावट की रिपोर्ट के बीच सोमवार को सोने की कीमतों में गिरावट आई।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के कमोडिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा, "सुरक्षित निवेश की मांग में गिरावट के कारण सोमवार को सोने की कीमतें कमजोरी के साथ खुलीं।" गांधी ने कहा कि निवेशकों को उम्मीद से कम गंभीर ईरान हमले से राहत मिली है, क्योंकि इजरायल ने ईरान के परमाणु और तेल संयंत्रों को निशाना बनाने से परहेज किया है। एशियाई बाजार में कॉमेक्स सिल्वर वायदा 0.63 प्रतिशत गिरकर 33.57 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।
आईओसी: सार्वजनिक क्षेत्र का इंडियन ऑयल लिमिटेड (आईओसी) का चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में शुद्ध लाभ 98.6 प्रतिशत की भारी गिरावट के साथ 180.01 करोड़ रुपये रहा। रिफाइनरी रिज्यूमे और मार्केटिंग मार्जिन घटने से कंपनी के मुनाफे में बड़ी गिरावट आई। आईओसाई ने सोमवार को शेयर बाजार को जुलाई-सितंबर, 2024 तिमाही के वित्तीय उद्यमों की जानकारी दी। एक साल पहले इसी तिमाही में पब्लिक एरिया की रिटेल मार्केटिंग कंपनी को 12,967.32 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था। चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में आयोसो को एकल आधार पर 180.01 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है, जो कि अप्रैल-जून तिमाही के 2,643.18 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ है।
असल में, आयोसो के रिफाइनरी रिजॉर्ट में गिरावट के साथ ही घरेलू रसोई गैस की लागत से कम दाम पर बिक्री से भी काफी नुकसान हुआ है। इसके कारण से उसके शुद्ध लाभ में यह गिरावट आई है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की पहली पाइपलाइन में आयसोइज की बिक्री 8,870.11 करोड़ रुपये पर हुई। कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे सिलेंडर में 4.08 अमेरिकी डॉलर पर बेचा गया, जबकि पिछले साल की अवधि में 13.12 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल का सकल रिफाइनिंग बेचा गया था। आयोइक्स के बिजनेस बिजनेस से कर-पूर्व आय निवेश सिर्फ 10.03 करोड़ रुपये रहा जो जुलाई-सितंबर 2023 में 17,7555.95 करोड़ रुपये था। अंतर्राष्ट्रीय तेल की विशिष्टता में नामी के कारण कंपनी का राजस्व दस्तावेज़ तिमाही में 1.95 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल की समान अवधि में 2.02 लाख करोड़ रुपये था।
आयसोमी के अलावा अन्य सार्वजनिक स्टॉक एक्सचेंज-इंडोस्तान सुपरमार्केट लिमिटेड (एचपीसीएल) और भारत एंटरप्राइजेज लिमिटेड (बीपीसीएल) ने भी पिछले साल लागत में गिरावट के बावजूद पेट्रोल और डीजल उद्योग को स्थिर रूप से काफी कमाया था। हालांकि, इस साल आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले पेट्रोल और डीजल की सीमा में दो-दो रुपये प्रति लीटर की कटौती के साथ मूल्य स्थिर बनाए रखने वाला लाभ खत्म हो गया है।