ईश्वर दुबे
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मुम्बई । भारतीय शेयर बाजार बुधवार को हल्की तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में ये उछाल दुनिया भर से मिलेजुले संकेतों के बाद भी खरीददारी हावी होने से आया है। अदाणी समूह के साथ ही एचडीएफ़सी बैंक के शेयर में तेजी से भी बाजार को बल मिला। दिन भर के कारोबार के बाद तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 0.29 फीसदी करीब 230.02 अंक बढ़कर 80,234.08 पर बंद हुआ। वहीं इसी प्रकार 50 शेयरों वाला नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 भी 0.33 फीसदी तकरीबन 80.40 अंक की बढ़त के साथ ही 24,274.90 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी की 25 कंपनियों के शेयर लाभ के साथ ही ऊपर आये जबकि 25 शेयरों में गिरावट रही। आज सेंसेक्स की 30 कंपनियों में अदाणी पोर्ट्स का शेयर सबसे ज्यादा 6 फीसदी से अधिक बढ़ा। इसके अलावा एनटीपीसी, एचडीएफ़सी बैंक, बजाज फाइनेंस, मारुति, जेएसडब्ल्यू स्टील, टेक महिंद्रा, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व के शेयर मुख्य रुप से लाभ में रहे।वहीं दूसरी ओर टाइटन का शेयर 0.77 फीसदी नीचे आया। इसके अलावा इंडसइंड बैंक, स्टेट बैंक, सनफार्मा, एशियन पेंट्स, टीसीएस, एचसीएल टेक के शेयर भी नीचे आये। अदाणी समूह के शेयरों में आयी तेजी से भी बाजार उछला। इसके अलावा एचडीएफ़सी बैंक के शेयरों में तेजी ने भी शेयर मार्केट को बल मिला। उर्जा, , मीडिया, धातु और वित्तीय सेवाओें के शेयरों में 0.52 फीसदी और 1.45 फीसदी के बीच बढ़त हुई। जबकि फार्मा, रियल्टी और आईटी प्रमुख नुकसान में रहे। इंडिया वीआईएक्स 4.44फीसदी नीचे आकर 14.6250 हो गया, ये बाजार की अस्थिरता में गिरावट का संकेत है। यह निवेशकों के बेहतर विश्वास और कम समय के लिए अधिक स्थिर कारोबारिक माहौल को दिखाता है।अदाणी समूह की लिस्टेड सभी कंपनियों के शेयर में अच्छी बढ़त रही। बीएसई पर अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस का शेयर 10.00 फीसदी, अदाणी पावर का 19.66 फीसदी, अदाणी टोटल गैस का 19.76 फीसदी, अदाणी ग्रीन एनर्जी का 10.00 फीसदी और अदाणी एंटरप्राइजेज का 11.56 फीसदी बढ़ा। अदाणी विल्मर में 8.46 फीसदी, अंबुजा सीमेंट्स में 4.40 फीसदी, अदाणी पोर्ट्स में 6.29 फीसदी, सांघी इंडस्ट्रीज में 4.73 फीसदी और एसीसी में 1.37 फीसदी की तेजी आई।
नई दिल्ली। टीमलीज सर्विसेज के चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर ने कहा कि भारत में ब्रॉडबैंड और 5जी नेटवर्क के तेज़ी से विस्तार के कारण अगले पांच सालों में फाइबर इंस्टॉलेशन, मेंटेनेंस और रिपेयर सेक्टर में करीब एक लाख नई नौकरियां निकलेंगी। भारत का टेलीकॉम बाजार 2024 में 48.61 बिलियन अमेरिकी डॉलर का होने का अनुमान है और यह 2029 तक बढ़कर 76.16 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है, जो हर साल 9.40 फीसदी की दर से बढ़ेगा। 2023 तक देश में करीब 7,00,000 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाए गए हैं, जिससे डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार में अहम योगदान मिला है।उन्होंने बताया कि भारत में ब्रॉडबैंड और 5जी नेटवर्क के तेजी से विस्तार के कारण फाइबर ऑप्टिक तकनीशियनों की मांग में वृद्धि हुई है। जैसे-जैसे सरकार और टेलीकॉम ऑपरेटर फाइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने पर ध्यान देंगे, इस क्षेत्र में रोजगार की मांग भी बढ़ेगी। भारत में टेलीकॉम टावरों का फाइबराइजेशन बढ़ने से करीब एक लाख नई नौकरी पैदा होने की संभावना है। वर्तमान में भारत में पांच लाख से ज्यादा फाइबर तकनीशियनों का अनुमान है, जो 4जी, 5जी और ब्रॉडबैंड योजनाओं को सपोर्ट करने के लिए तेजी से बढ़ते फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क के विस्तार में लगे हैं।
उन्होंने कहा कि 2030 तक 5जी तकनीक अपने चरम पर पहुंचेगी, जिससे तेज़ इंटरनेट स्पीड, कम लेटेंसी और बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। फाइबर तकनीशियनों की भर्ती हो रही है, विशेषकर शहरी और ग्रामीण इलाकों में। हालांकि, फाइबर तकनीशियनों की टर्नओवर दर काफी ज्यादा है, जो सालाना 35-40 फीसदी तक पहुंचती है। इसके कारणों में लंबी कार्य घंटों के कारण थकावट, वेतन वृद्धि की कमी, और कंपनियों के बीच कर्मचारियों की पोलिंग शामिल हैं। भारत में डिजिटल और टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के साथ फाइबर तकनीशियनों के लिए नौकरी के अवसरों में इज़ाफा होगा। हालांकि, उच्च टर्नओवर और वेतन वृद्धि की समस्या के कारण कर्मचारियों को बनाए रखना एक चुनौती बन सकता है।
नई दिल्ली । डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं। ट्रंप शासनकाल में भारत को अपनी वैश्विक स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलेगा। मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप 2.0 में भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में एआई और सेमीकंडक्टर जैसे टेक्नोलॉजी सेक्टर में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है। शनिवार को आई इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत को पिछले निवेशों और चीन+1 रणनीति जैसे नीतिगत बदलावों के कारण अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिलेगा। उच्च अमेरिकी कॉर्पोरेट कर कटौती की संभावना आईटी खर्च को बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय आईटी कंपनियों को लाभ होगा। रिपोर्ट के अनुसार, फार्मास्युटिकल और डिफेंस सेक्टर में भारतीय व्यवसायों को नए अवसर मिल सकते हैं, खासकर अगर अधिक मजबूत इंडो-पैसिफिक रक्षा रणनीति के जवाब में यूएस-भारत सहयोग मजबूत होता है तो भारत को इसका फायदा मिलेगा। ट्रंप का दूसरा कार्यकाल आर्थिक विकास के वादों और वैश्विक व्यापार तनाव की चुनौतियों दोनों से भरा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर और राजकोषीय नीतियों की मजबूती वैश्विक बाजारों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। जैसे-जैसे नीतियां सामने आती हैं, देशों और क्षेत्रों को ट्रंप 2.0 द्वारा संचालित विकासशील परिदृश्य के अनुकूल होने के लिए तैयार रहना होगा।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नया रूप दे सकती है ट्रंप की नीति
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नया रूप दे सकती है। उनके दृष्टिकोण में आयात को कम करना शामिल है, विशेष रूप से चीन से, ताकि अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा मिले। उभरते बाजारों को चुनौतियों और अवसरों का मिश्रित सामना करना पड़ता है। कुछ देशों को मजबूत डॉलर और उच्च टैरिफ के कारण निर्यात की लागत में वृद्धि देखने को मिल सकती है, जो विशेष रूप से आईटी और फार्मास्युटिकल सेक्टर को प्रभावित करती है। इसके विपरीत मैक्सिको जैसे राष्ट्र चीन से विनिर्माण संचालन को हटाकर लाभ उठा सकते हैं। भू-राजनीतिक रूप से ट्रंप की नीतियों से चीन के साथ तनाव बढ़ने की संभावना है और अलायंस में बदलाव हो सकता है, क्योंकि जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश अपनी रणनीतियों का दोबारा मूल्यांकन कर रहे हैं। यूरोपीय संघ अधिक आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर सकता है। अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र से परे नए गठबंधनों को बढ़ावा दे सकता है। ट्रंप की संरक्षणवादी व्यापार नीतियों और भारत पर उनके प्रभाव पर आने वाले महीनों में नजर रखे जाने की जरूरत होगी।
नई दिल्ली। भारत सरकार ने देश में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के पुर्जों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाई है। इस योजना के तहत सरकार 5 अरब डॉलर तक का प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है। इसका मुख्य उद्देश्य उद्योग को मजबूत करना और चीन से आयात पर निर्भरता को कम करना है। दो सरकारी अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी है। पिछले छह सालों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन दोगुने से भी ज्यादा बढ़कर 2024 में 115 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इसमें एप्पल और सेमसंग जैसी वैश्विक कंपनियों की मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी का बड़ा योगदान है। भारत अब दुनिया का चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन सप्लायर बन गया है। यहां तक कि इस सेक्टर की आलोचना इसके पुर्जों के आयात पर भारी निर्भरता के लिए की जा रही है, खासकर चीन जैसे देशों से। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने यह योजना तैयार की है। नई योजना से प्रिंटेड सर्किट बोर्ड जैसे मुख्य पुर्जों के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा। इससे घरेलू वैल्यू एडिशन बढ़ेगा और इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए स्थानीय सप्लाई चेन मजबूत होगी। यह योजना अगले 2-3 महीनों में लॉन्च की जा सकती है। इसमें वैश्विक या स्थानीय कंपनियों को 4-5 अरब डॉलर तक का प्रोत्साहन देने की उम्मीद है। इस योजना की अंतिम मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय की जल्द ही मंजूरी देने की उम्मीद है। नीति आयोग के अनुसार, भारत का लक्ष्य 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को 500 अरब डॉलर तक बढ़ाना है, जिसमें 150 अरब डॉलर के पुर्जों का निर्माण शामिल है। इस योजना के लॉन्च होने पर भारत वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन के लक्ष्यों को हासिल करने की संभावना है। सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के प्रमुख अधिकारी ने भी इस योजना की महत्वकांक्षा को साबित करते हुए कहा है कि यह योजना भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स मंदी में बड़े लक्ष्यों की ओर अग्रसर कर सकती है। इसके लिए सरकार ने मुख्य उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह योजना बनाई है जिसके तहत इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा दिया जाएगा।
नई दिल्ली । हाल ही में जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडिया ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार विंडसर लॉन्च की है। यह कार एसएआईसी मोटर और जेएसडब्ल्यू ग्रूप का जॉइंट वेंचर है। इस मॉडल विंडसर की शुरुआती कीमत 10 लाख रुपये से कम हो गई है, जो इसे इलेक्ट्रिक कार बाजार में एक किफायती विकल्प बनाता है।
विंडसर को अक्टूबर 2024 में जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला, जिसमें 20,000 से अधिक बुकिंग्स और 3,000 यूनिट्स की बिक्री हुई। बीएएएस का ऑप्शन 15 प्रतिशत ग्राहकों द्वारा चुना गया, और कंपनी ने अक्टूबर में 4,878 यूनिट्स की बिक्री की, जिससे वह भारत की दूसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार कंपनी बन गई। जेएसडब्ल्यू एमजी की मार्केट शेयर सितंबर में 16.5 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर के पहले 20 दिनों में 34 प्रतिशत हो गई। इस सफलता का कारण कार की सस्ती कीमत और बीएएएस जैसी नई टेक्नोलॉजी है, जो ग्राहकों के लिए इलेक्ट्रिक कार को अधिक किफायती बनाती है।
कंपनी का लक्ष्य 2028 तक 60-70 प्रतिशत सेल्स न्यू एनर्जी व्हीकल्स से प्राप्त करना है। जेएसडब्ल्यू एमजी ने इस साल अपने सबसे सस्ते इलेक्ट्रिक मॉडल कॉमेट को भी बीएएएस मॉडल पर पेश किया है, जिससे ग्राहकों को और भी किफायती विकल्प मिल रहे हैं। जेएसडब्ल्यू एमजी का उद्देश्य 2030 तक इलेक्ट्रिक कार बाजार में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करना है। इस कार में खास बैटरी एज़ ए सर्विस का विकल्प दिया गया है, जिससे ग्राहक बैटरी खरीदने की बजाय हर किलोमीटर पर औसतन 3.5 रुपये का किराया चुकाते हैं।
मुंबई। अभिनेता जॉन अब्राहम स्पोर्ट्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उतरने को तैयार हैं। कोयंबटूर में इंडियन रेसिंग फेस्टिवल 2024 में जॉन ने मोटरस्पोर्ट्स के प्रति अपने जुनून, अपनी टीम गोवा एसेस, भारत में खेल के भविष्य, अपनी मैन्युफैक्चरिंग योजनाओं के साथ अन्य चीजों पर चर्चा की। जॉन ने खुलासा किया, आरपीपीएल (रेसिंग प्रमोशन प्राइवेट लिमिटेड) के मालिक अखिल रेड्डी ने मुझसे संपर्क कर इसके बारे में बात की। मुझे फॉर्मूला-4 का प्रचार करना बहुत पसंद है। मुझे यह अवधारणा बहुत पसंद आई और मैं इसका हिस्सा बनकर खुश हूं।
जॉन ने भारत में मोटर स्पोर्ट्स के भविष्य पर कहा, मुझे लगता है कि मोटर स्पोर्ट्स में भारत को अभी बहुत आगे जाना है। यह एक सुंदर खेल है। हर ट्रैक का एक रन-ऑफ एरिया होता है। मोटर स्पोर्ट्स हमारी सार्वजनिक सड़कों की तरह खतरनाक नहीं हैं। सुरक्षित वातावरण में भाग लेना बहुत अच्छा है। जो माता-पिता चाहते हैं, कि उनके बच्चे मोटर स्पोर्ट्स में भाग लें, उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
इसके अलावा, उन्होंने हेलमेट बनाने के अपने नए बिजनेस का भी जिक्र किया। इस बारे में उन्होंने कहा, अभी मैं फिल्मों और खेलों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं। मैं हेलमेट निर्माण के बारे में भी सोच रहा हूं। पिछले एक साल से मैं इस परियोजना पर काम कर रहा हूं। मेरा लक्ष्य सुरक्षा पर जोर देना है। मैं चाहता हूं कि मेरा उत्पाद अच्छा दिखे, साथ ही मैं यह भी चाहता हूं कि लोग अपने सुरक्षा गियर को ठीक से बनाए रखने के महत्व को समझें।”
नई दिल्ली भारत में शादी का सीजन चल रहा है, और सोने-चांदी के बाजार में रौनक देखी जा रही है। 18 और 19 नवंबर को सुनहरे वस्त्रों के बीच सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई थी, लेकिन अब एक रिपोर्ट ने लोगों के ध्यान को आकर्षित किया है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की कीमतों में बड़ी तेजी आने की संभावना है। इसके अनुसार केंद्रीय बैंकों की सोने में बढ़ी हुई खरीदारी और अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती के कारण सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2025 तक एक औंस सोने की कीमत 3,000 डॉलर तक पहुंच सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प प्रशासन और बढ़ती व्यापारिक टेंशन के कारण भी सोने की कीमतों में इजाफा हो सकता है। अमेरिकी वित्तीय स्थिति को लेकर बढ़ती चिंताएं भी सोने की कीमतों को समर्थन दे सकती हैं। भारत में भी सोने की कीमतों में बदलाव देखा गया है। नोएडा में 19 नवंबर को 22 कैरेट सोने की कीमत 7,095 रुपए प्रति ग्राम थी, जो 20 नवंबर को बढ़कर 7,165 रुपए हो गई है। 24 कैरेट सोने की कीमत भी 7,450 रुपए से बढ़कर 7,523 रुपए प्रति ग्राम हो गई है। इस रिपोर्ट ने सोने खरीदने वालों को सोचने पर मजबूर कर दिया है, जिसके चलते उलझन और चिंताएं उभर रही हैं।
वाशिंगटन । आधुनिक वित्तीय दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी के क्षेत्र में बिटकॉइन ने एक बार फिर से अपनी ताकत दिखाते हुए नई ऊंचाई को छू लिया है। बिटकॉइन की कीमत 94,000 डॉलर के पार पहुंच गई है, जो एक रिकॉर्ड है। इस बड़ी बढ़त के पीछे बितकॉइन के प्रमुख समर्थक पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के मालिक एलन मस्क का समर्थन माना जा रहा है। कंपनी क्वाइन डेस्क के आंकड़ों के मुताबिक बिटकॉइन की कीमत ने 94,038.97 डॉलर के स्तर तक पहुंच कर रिकॉर्ड बनाया। पिछले हफ्ते में बिटकॉइन में 2 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली, जबकि पिछले महीने में इसने 33 फीसदी से अधिक का रिटर्न दिया। वर्तमान में बिटकॉइन का बाजार मूल्य 1.82 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। इसके साथ ही एलन मस्क की पसंदीदा क्रिप्टोकरेंसी डॉगकॉइन की भी कीमत में बढ़ोतरी देखने को मिली है। वर्तमान में डॉगकॉइन की कीमत 0.38 डॉलर हो गई है, जो पिछले हफ्ते में 1.30 फीसदी तक बढ़ गई है। ट्रंप की जीत के बाद डॉगेकॉइन ने निवेशकों को 175 फीसदी का रिटर्न दिया है, जबकि पिछले एक साल में इसने 400 फीसदी से ज्यादा की कमाई दी है। ग्लोबल क्रिप्टोकरेंसी मार्केट ने भी नई ऊंचाई छू ली है और अब यह 3 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर पहुंच चुका है। हालांकि पिछले 24 घंटे में गिरावट आई है, लेकिन कुल मार्केट कैप में 5 नवंबर के बाद से 800 बिलियन डॉलर से ज्यादा का इजाफा हुआ है।
मुंबई । ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में बीते कुछ महीनों से भारी गिरावट देखने को मिल रही है। इसकारण निवेशकों को तगड़ा नुकसान हो रहा है। मंगलवार को शेयर 70.20 रुपये पर था, जो कि उसके ऑल-टाइम हाई 157.40 प्रति शेयर से 55 प्रतिशत कम है। शेयर में गिरावट के साथ ही कंपनी का मार्केट कैप भी 38,000 करोड़ रुपये कम हो गया है। कंपनी के शेयर में गिरावट की वजह खराब सर्विस और प्रोडक्ट क्वालिटी को लेकर लगातार ग्राहकों की ओर से आने वाली शिकायतों को बताया जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक एक ओला इलेक्ट्रिक ग्राहक ने बताया कि मुझे गाड़ी खरीदे हुए करीब चार माह का समय हो गया है। बीते दो माह से गाड़ी में समस्याएं आ रही हैं। एक महीने में तीन बार ब्रेक शू खराब हो चुके हैं। सर्विस काफी खराब है। कभी पहले दिन नंबर नहीं आता है। अन्य ग्राहकों ने बताया कि गाड़ी में सॉफ्टवेयर, बैटरी और टायर जाम जैसी कई अन्य समस्याएं भी हैं।
एक अन्य ग्राहक ने बताया कि ओला इलेक्ट्रिक की एस1 एयर मेरे पास है। गाड़ी को खरीदे एक साल भी नहीं हुआ है, लेकिन इसकी बैटरी तीन बार खराब हो चुकी है। इसमें सॉफ्टवेयर को लेकर काफी समस्याएं हैं। ये क्रैश हो जाते हैं, जिसके कारण गाड़ी हैग होती है। इस कारण बार-बार सर्विस सेंटर पर ले जाना बोता है। सर्विस सेंटर पर एक बार गाड़ी ले जाने के बाद कम से कम एक हफ्ते से लेकर महीने तक स्कूटर वहां खड़ा रहता है। इसके अलावा ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में गिरावट की एक वजह कंपनी का लगातार नुकसान में होना है।
नई दिल्ली । भारतीय अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही में देखी जा रही आर्थिक सुस्ती की बारीकीयों पर रोशनी डालने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुलेटिन में सूचना दी है। नवंबर माह का बुलेटिन प्रकाशित होने के साथ आरबीआई ने बताया कि निजी खपत में वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था में मजबूती दिखाई दे रही है। जानकारों के मुताबिक मध्यम अवधि का दृष्टिकोण तेजी का बना हुआ है क्योंकि वृहद आर्थिक बुनियाद की स्वाभाविक ताकत खुद को सुदृढ़ कर रही है। इस बुलेटिन में उच्चाधिकारियों ने भारत की रोजगार सृजन क्षमता की मजबूत होने की भविष्यवाणी की है। आर्बीआई द्वारा जारी बयान के अनुसार निजी निवेश कमजोर हो रहे हैं, हालांकि खरीफ और रबी फसलों में उत्तम उत्पादन के साथ कृषि क्षेत्र में उत्थान के संकेत हैं। व्यापारिक सेवा क्षेत्र में भी गतिशीलता बरकरार है और ईवी वाहनों के संचालन पर ध्यान दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता के बावजूद, आरबीआई उम्मीद जताता है कि विश्वसनीय स्थितियों का अनुमान लगाना संभव है। नए स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के समृद्ध स्वरूप ने भी आर्थिक महसूस को चिंताजनक अवस्था से बाहर निकाला है। अधिकारियों का कहना है कि यह लेख उनके स्वयं के विचार हैं, और केंद्रीय बैंक का कोई संबंध नहीं है। गुरुवार को बाजारों की गतिविधियों का ध्यान खिंचने के लिए भविष्य का अनुमान गंभीरता से किया जा रहा है। इस अहम कुशलक्षेत्र में भारत के आर्थिक स्थिति की मजबूत दरारों में से एक है, जो आगे बढ़ने के लिए उत्तेजित करती है।
नई दिल्ली । रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने अक्टूबर माह में भारत के रत्न और आभूषण निर्यात में 9.18 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है। इस बढ़ोतरी के फलस्वरूप निर्यात राशि 2,998.04 मिलियन अमरीकी डॉलर यानी 25,194.41 करोड़ रुपये हो गई है। जीजेईपीसी ने बताया कि कटे और पॉलिश किए गए हीरे की मांग में सुधार के कारण निर्यात में इस तरह की वृद्धि देखी गई है। सीपीडी (कट और पॉलिश्ड डायमंड) का भी निर्यात अक्टूबर माह में 11.32 प्रतिशत बढ़कर 1,403.59 मिलियन अमरीकी डॉलर (11,795.83 करोड़ रुपये) हो गया है, जो पिछले साल की रिकॉर्ड की तुलना में अधिक है। जीजेईपीसी के एक अधिकारी ने इस वृद्धि को उद्योग के लिए एक स्वागत योग्य माना और उम्मीद जताई कि यह प्रवृत्ति जारी रहेगी। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर भी आशावाद जताई है और उसके वादे के प्रति भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि ट्रंप के नेतृत्व में व्यापार, व्यवसाय और आपूर्ति श्रृंखलाओं में पुनरुद्धार के समर्थन से रत्न और आभूषणों की वैश्विक मांग को बढ़ावा मिलेगा। इस सफलता के साथ भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग ने नए भागों में विस्तार के लिए कदम उठाने का निश्चय किया है।
नई दिल्ली । आदित्य बिड़ला ग्रुप ने अपनी एक बड़ी घोषणा की है, जिसमें 20 अरब डालर का भारी निवेश किया गया है ताकि वह विभिन्न सेक्टर्स में टॉप 2 कंपनियों में से एक बन सके। यह निवेश विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया गया है। ग्रुप की योजना है कि अगले दशक में अपनी सीमेंट उत्पादन क्षमता को 20 करोड़ टन तक बढ़ाएगा। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उन्होंने पिछले 36 वर्षों में 10 करोड़ टन की क्षमता विकसित की है और अब उसे और बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदित्य बिड़ला ग्रुप का व्यवसाय स्केल और दीर्घकालिक विकास पर आधारित है और वे हर व्यवसाय में नंबर एक या दो बनने की चाहत रखते हैं। उन्होंने अपने व्यवसाय के लंबे समय की दृष्टि से इस निवेश के महत्व को बताया। कंपनी ने ग्रुप के नोवेलिस के 6 अरब डालर का अधिग्रहण भी जिक्र किया, जिसे एक रणनीतिक निर्णय माना गया है। इस दौरान कई विवाद भी उठे, लेकिन जिस भविष्य में निवेश किया गया था, वह लाभकारी साबित हो गया है। आदित्य बिड़ला ग्रुप का यह निवेश उनकी
नई दिल्ली । एयरोस्पेस कंपनी बोइंग आगामी वर्ष में 8 अरब डॉलर का घाटा होने के चलते अपने कर्मचारियों में 10 फीसदी की कटौती कर सकती है, कटौती की घोषणा कंपनी ने हाल ही में की है। इसके परिणामस्वरूप करीब 17000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल देने का फैसला किया गया है। यह फैसला मानव संसाधन में सबसे बड़ी छंटनी माना जा रहा है। कंपनी की यह कदम बढ़ती लागत को कम करने और वित्तीय स्थिति में सुधार करने की कोशिश का हिस्सा है। इसके अलावा बोइंग ने 2027 से 767 और 777एक्स विमानों के उत्पादन में रुकावट की घोषणा की है। यह डिसेशन बोइंग के उद्योग में शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल को बनाए रखने के लिए किया गया है। हालांकि कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कदम को केवल अनिवार्य परिस्थितियों में लिया है और वह परियोजनाओं पर काम जारी रखने की कोशिश कर रही है। कर्मचारियों के संगठनों ने इस कदम की मुख्यता और स्थिति पर प्रभाव का खेमंय रखा है। कंपनी उम्मीद कर रही है कि उनके कठिन फैसलों से लागत को कम करने और वर्कफोर्स को संतुलित करने में मदद मिलेगी। यह संकेत देता है कि बोइंग निरंतर अपने उद्योग को सजीव रखने के लिए नये सुराही मानव संसाधन मोडल और कार्य प्रणाली का अध्ययन कर रहा है।
मुंबई । दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) ने अपने सबसे हाल के बयान में घोषणा की कि उन्होंने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के साथ 559 मेगावाट की बिजली आपूर्ति के लिए एक बिजली खरीद समझौता (पीपीए) किया है। यह समझौता डीवीसी के पंजीकृत उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा कदम है और उन्हें उत्तर भारत के क्षेत्रों में और अधिक आपूर्ति सुनिश्चित करेगा। इस समझौते के अनुसार डीवीसी की भविष्यावाणी बांग्लादेश के दुर्गापुर तापीय बिजली केंद्र से 359 मेगावाट और झारखंड के कोडरमा तापीय बिजली केद्र चरण दो से 200 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करेगा। इस समझौते के हस्ताक्षर समारोह में डीवीसी के चेयरमैन एस सुरेश कुमार, सदस्य (वित्त) अरूप सरकार, और दोनों कंपनियों के प्रमुख अधिकारी शामिल थे। बाजार एक्सपर्ट्स इस खरीद समझौते को जीयूवीएनएन के लिए एक सामर्थ्य वृद्धि के रूप में देख रहे हैं जो उनकी आपूर्ति क्षमता को मजबूत करेगा। इसके साथ ही डीवीसी के देश भर के उपभोक्ताओं को भी इस समझौते के माध्यम से उपयोगकर्ता स्तर पर लाभ पहुंचाने की उम्मीद है। डीवीसी के उपभोक्ता सम्मेलन 2024 के दौरान इस समझौते को औपचारिक रूप दिया गया, जो 15-16 नवंबर को दो दिन का कार्यक्रम था। इसमें डीवीसी के समर्थन प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं के प्रतिनिधियों ने एक साथ धावा बोला। इस समझौते के माध्यम से डीवीसी ने एक प्रभावी तरीके से अपने होल्डिंग्स को मजबूती दी है और अपने उपभोक्ताओं के लिए एक सुविधा उपरांत दृष्टिकोण बनाया है।