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नयी दिल्ली। सरकार ने बादाम, अखरोट और दालों समेत 29 अमेरिकी वस्तुओं पर 16 जून से जवाबी आयात शुल्क लगाने का निर्णय किया है। इससे पहले सरकार इसे लागू करने की समयसीमा को कई बार बढ़ा चुकी है। सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि वित्त मंत्रालय बहुत जल्द इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा। सरकार के इस कदम से इन 29 वस्तुओं का निर्यात करने वाले अमेरिकी निर्यातकों को अब ऊंचा शुल्क चुकाना होगा। इससे देश को 21.7 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। पिछले साल 21 जून को सरकार ने इन अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंचा शुल्क लगाने का निर्णय किया था। इसकी वजह अमेरिका का भारत से आयात किए जाने वाले कुछ इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर शुल्क बढ़ाना था। इस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए सरकार ने इन 29 सामानों पर शुल्क बढ़ाने का निर्णय किया था।

 
 
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने उच्च शुल्क लागू करने के फैसले से अमेरिका को अवगत करा दिया है। अमेरिका ने पिछले साल मार्च में इस्पात उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम उत्पादों पर 10 प्रतिशत कर दिया था। भारत इन उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक देश है। शुल्क बढ़ाने से भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादकों पर 24 करोड़ डॉलर का अतिरिक्त बोझ पड़ा था। भारत हर साल अमेरिका को 1.5 अरब डॉलर के इस्पात और एल्युमीनियम उत्पाद का निर्यात करता है। हालांकि तब से इसे लागू करने की समयसीमा को कई बार आगे खिसकाया गया क्योंकि सरकार को उम्मीद थी कि दोनों देशों के बीच प्रस्तावित व्यापार पैकेज की बातचीत में किसी समाधान को खोज लिया जाएगा।
लेकिन अमेरिकी सरकार के भारतीय निर्यातकों को तरजीह देने की सामान्य प्रणाली (जीएसपी) में निर्यात छूट खत्म करने के निर्णय के बाद यह बातचीत रुक गयी। अमेरिका ने इन लाभों को पांच जून से खत्म कर दिया है। इससे भारत से अमेरिका को होने वाला 5.5 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा। इन 29 उत्पादों पर उच्च आयात शुल्क लगाने के क्रम में सरकार ने कई उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाने की अधिसूचना जारी की है। 
 
इसमें अखरोट पर आयात शुल्क 30 से बढ़ाकर 120 प्रतिशत की गया है। इसी तरह काबुली चना, चना और मसूर दाल पर शुल्क 70 प्रतिशत किया गया है जो अभी 30 प्रतिशत है। अन्य दालों पर शुल्क को 40 प्रतिशत किया जाएगा। इसके अलावा बोरिक एसिड और फाउंड्री मोल्ड (लोहे के उत्पाद)के लिए बाइंडर्स पर शुल्क बढ़ाकर साढ़े सात प्रतिशत और घरेलू रिएजेंट्स पर शुल्क बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया गया है। आर्टेमिया पर इसे 15 प्रतिशत कर दिया गया है। साथ ही कई अन्य उत्पादों मसलन मेवा, लौह एवं इस्पात उत्पाद, सेब, नाशपाती, इस्पाद की चादर, अलॉय इस्पात, ट्यूब एवं पाइप और नट-बोल्ट पर भी शुल्क बढ़ाया गया है। सरकार ने एल्युमीनियम और इस्पात उत्पादों पर अमेरिका के उच्च शुल्क लगाने के मामले में अमेरिका को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के विवाद निपटान विभाग में भी घसीटा है। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का अमेरिका को निर्यात 47.9 अरब डॉलर था जबकि आयात 26.7 अरब डॉलर का हुआ था। इस तरह व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा था।

नयी दिल्ली। महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) ने शुक्रवार को कहा कि उसकी फॉर्म एक्विपमेंट सेक्टर (एफईएस) ने स्विट्जरलैंड की कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़ी कंपनी गमाया एसए की 11.25 प्रतिशत हिस्सेदारी 43 लाख स्विस फ्रैंक (30 करोड़ रुपये से अधिक) में खरीद ली है। एमएंडएम एफईएस के अध्यक्ष राजेश जेजुरिकर ने कहा कि कृषि में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। ऐसे में महिंद्रा की ओर से हम वैश्विक कृषक समुदाय को समुचित समाधान उपलब्ध कराने के लिए भविष्योन्मुखी प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने की दिशा में निवेश कर रहे हैं। 

रिजर्व बैंक ने रेपो दर 0.25 अंक घटाकर छह प्रतिशत की जगह 5.75 प्रतिशत कर दिया है। रिवर्स रेपो दर 5.50 प्रतिशत जबकि उधार की सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) पर ब्याज दर और बैंक दर 6.0 प्रतिशत की गयी है। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ’ से ‘नरम’ किया।

 

रिजर्व बैंक ने 2019-20 के लिये जीडीपी वृद्धि दर अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत किया है। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद आम लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक ने 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति 3-3.10 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। पिछली समीक्षा में यह अनुमान 2.90-3.0 प्रतिशत का था। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्य रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती और नीतिगत रुख में बदलाव के पक्ष में रहे है। 

नयी दिल्ली। गैर- जीवन बीमा क्षेत्र की कंपनियों का सामूहिक प्रीमियम मार्च में समाप्त पिछले वित्त वर्ष के दौरान 13 प्रतिशत बढ़कर 1.70 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया।बीमा क्षेत्र के नियामक इरडा के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इससे पिछले साल 2017- 18 में 34 गैर- जीवन बीमा कंपनियों का सकल प्रीमियम 1.51 लाख करोड़ रुपये रहा था। गैर- जीवन बीमा क्षेत्र की कंपनियों में 25 साधारण बीमा कंपनियां हैं जबकि सात कंपनियां निजी क्षेत्र की एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनी और शेष दो कंपनियां सरकारी क्षेत्र की विशिष्ट बीमा कंपनियां हैं। 

 
भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के आंकड़ों के मुताबिक 25 साधारण बीमा कंपनियों का 2018- 19 में कुल प्रीमियम 1.50 लाख करोड़ रुपये रहा जो कि इससे पिछले साल के 1.33 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 13 प्रतिशत अधिक रहा। निजी क्षेत्र की स्वास्थ्य बीमा करने वाली कंपनियों का प्रीमियम मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में 37 प्रतिशत बढ़कर 11,368.82 करोड़ रुपये हो गया। इससे पिछले वर्ष में इन कंपनियों का प्रीमियत 8,314.27 करोड़ रुपये रहा था।
 
हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की विशेष बीमा कारोबार करने वाली -भारतीय कृषि बीमा कंपनी और ईसीजीसी लिमिटेड का बीमा प्रीमियम इस दौरान 7.75 प्रतिशत घटकर 8,425.75 करोड़ रुपये रह गया। इससे पिछले वर्ष इनका कुल वार्षिक प्रीमियम 9,133.78 करोड़ रुपये रहा था। 
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा है कि भारत तथा गिनी को द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने के लिए और मजबूती से काम करना चाहिए। गिनी के प्रधानमंत्री इब्राहिम कासोरी फोफाना ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में कोविंद से मुलाकात की। कोविंद ने गिनी के प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि हालिया उच्चस्तरीय यात्रा से भारत-गिनी द्विपक्षीय संबंधों को एक नई रफ्तार मिलेगी। उन्होंने बताया कि भारत और गिनी का द्विपक्षीय व्यापार 90 करोड़ डॉलर हो चुका है। 
 
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी बयान के अनुसार कोविंद ने विश्वास जताया कि गिनी के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि इस समय भारत गिनी के शीर्ष व्यापारिक भागीदारों में है। 
 
कोविंद ने कहा कि भारत-गिनी द्विपक्षीय व्यापार 2017- 18 में 90 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को द्विपक्षीय व्यापार को और बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। 

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटरों मालविंदर और शिविंदर सिंह को सिंगापुर ट्रिब्यूनल के 3,500 करोड़ रुपये के जुर्माने के अनुपालन के बारे में अपने सलाहकारों से परामर्श करने को कहा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की एक पीठ ने अदालत में मौजूद सिंह बंधुओं से कहा कि वे अपने वित्तीय और कानूनी सलाहकारों से परामर्श करें की वे ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन कैसे करेंगे और इस पर एक ठोस योजना दें।

पीठ ने कहा, ‘‘यह किसी के व्यक्तिगत सम्मान का सवाल नहीं है लेकिन यह देश के सम्मान के लिए सही नहीं है। आप फार्मेसी उद्योग के जाने-माने नाम हैं और यह अच्छा नहीं लगता की आप अदालत में पेश हों।’’ न्यायामूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायामूर्ति संजीव खन्ना भी इस पीठ में शामिल थे।
 
पीठ ने सिंह बंधुओं से अपने सलाहकारों से परामर्श करने के बाद 28 मई को अदालत में पेश होने का आदेश देते हुए कहा, ‘‘संभवत: अदालत में यह आपकी आखिरी पेशी होगी।’’ अदालत जापानी कम्पनी दाइची सैंको की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो मालविंदर और शिविंदर सिंह के खिलाफ अपने एक मामले में सिंगापुर के एक न्यायाधिकरण द्वारा लगाए 3,500 करोड़ रुपये के जुर्माने की मांग कर रही है।

 

नयी दिल्ली। कमजोर वैश्विक रुख और स्थानीय आभूषण निर्माताओं की मांग में गिरावट के कारण दिल्ली सर्राफा बाजार में बीते सप्ताह सोने का भाव 820 रुपए गिरकर 33,770 रुपए प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ। औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं के कम उठाव के कारण बीते सप्ताह के दौरान चांदी की कीमत में भी गिरावट आई और यह 40,000 रुपये के नीचे चला गया। अमेरिकी सरकारी खजाने की आय बढ़ने, चौथी तिमाही के बेहतर अमेरिकी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े आने से डॉलर के 10 सप्ताह के उच्च स्तर तक मजबूत होने के कारण विदेशी सर्राफा बाजार में कमजोरी के रुख के अनुरूप स्थानीय कारोबारी धारणा में मंदी का रुख रहा।

दुनिया भर के शेयर बाजारों में मजबूत रुख से भी घरेलू सर्राफा बाजार की धारणा प्रभावित हुई। वैश्विक स्तर पर न्यूयॉर्क में हाजिर सोना सप्ताह के अंत में 1,293.90 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुआ, जो 28 जनवरी के बाद इसका न्यूनतम स्तर है। चांदी भी गिरावट के साथ 15.29 डॉलर प्रति औंस पर बंद हुई। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, घरेलू हाजिर बाजार में स्थानीय आभूषण विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं की मांग में भारी गिरावट से भी बहुमूल्य धातुओं की कीमतों पर दबाव पड़ा।
 
दिल्ली में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 34,590 रुपये प्रति दस ग्राम पर स्थिरता के रुख के साथ खुलने के बाद विदेशों में मंदी के रुख तथा स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की सुस्त होती मांग के अनुरूप आगे कमजोर होता गया तथा सप्ताहांत में यह 820 रुपये की भारी गिरावट के साथ 33,770 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। सोना 99.5 प्रतिशत शुद्धता भी इसी तरह सप्ताहांत में 840 रुपये की गिरावट के साथ 32,600 रुपये प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ। गिन्नी भी कुछ कमजोर होकर सप्ताहांत में 100 रुपये की हानि के साथ 26,500 रुपये प्रति 8 ग्राम पर बंद हुई।


नयी दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल नौ फरवरी को रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक को संबोधित करेंगे। इस दौरान वह अंतरिम बजट के मुख्य बिन्दुओं को रेखांकित करेंगे। छठीं मौद्रिक नीति समीक्षा के दो दिन बाद यह बैठक होनी है। सूत्रों के मुताबिक नौ फरवरी की बोर्ड की बैठक में वर्तमान वित्त वर्ष के लिए अंतरिम लाभांश के सरकार के अनुरोध पर भी विचार किया जाएगा।
 
 
केंद्रीय बैंक की पहली छमाही की स्थिति के आधार पर सरकार को वर्तमान वित्त वर्ष में आरबीआई से 28,000 करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश मिलने की उम्मीद है। रिजर्व बैंक चालू वित्त वर्ष के लिए 40,000 करोड़ रुपये के लाभांश का भुगतान कर चुका है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक जुलाई से जून के वित्तीय वर्ष व्यवस्था के अनुसार चलता है।
 


 
बजट के बाद की यह परंपरागत बैठक ऐसे समय में होगी जब सरकार ने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य में थोड़ा परिवर्तन किया है। अंतरिम बजट में पांच लाख तक की आय वालों को कर में छूट एवं 12 करोड़ किसानों के लिए आय समर्थन योजना की घोषणा की गयी है।
मुंबई। वैश्विक बाजारों के मिले-जुले रुख के बीच सोमवार को शुरूआती कारोबार में शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 100 अंक से ज्यादा गिरकर खुला। बीएसई का 30 कंपनियों का शेयर सूचकांक 109.53 अंक यानी 0.30 प्रतिशत घटकर 36,359.90 अंक पर चल रहा है।
 
 
इसी तरह एनएसई का 50 कंपनियों का शेयर सूचकांक 31.75 अंक यानी 0.29 प्रतिशत गिरकर 10,861.90 अंक पर चल रहा है। शुक्रवार को सेंसेक्स 212.74 अंक चढ़कर 36,469.43 अंक पर और निफ्टी 62.70 अंक बढ़कर 10,893.65 अंक पर बंद हुआ था।

 
ब्रोकरों के अनुसार सरकार ने शुक्रवार को लोकप्रिय बजट पेश किया जिससे बाजार को बढ़त मिली। लेकिन सोमवार को रुपये में गिरावट और वैश्विक बाजार के मिले-जुले रुख का असर घरेलू बाजार पर पड़ा है।
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने अलीबाग के बीच पर अवैध तरीके से बने नीरव मोदी के बंगले को गिराने के आदेश पर रोक लगाने के प्रवर्तन निदेशालय की अर्जी पर सवाल किया है। दरअसल रायगढ़ के जिलाधिकारी ने पिछले महीने अलीबाग के बीच पर अवैध तरीके से बने 58 बंगलों को गिराने का आदेश दिया था।
 
इन बंगलों में से एक भगोड़ा आभूषण व्यापारी और पीएनबी घोटाला मामले में आरोपी नीरव मोदी का भी है। मुख्य न्यायाधीश एन. एच. पाटिल और न्यायमूर्ति एन. एम. जामदार की पीठ इस संबंध में 2009 में अखिल भारतीय मराठा सेवा संघ के शम्भुराजे युवाक्रांति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।
 
ईडी ने पिछले सप्ताह अदालत के समक्ष एक अर्जी दायर कर कहा था कि एजेंडी ने धन शोधन के एक मामले में इस संपत्ति को कुर्क किया है और उसे अभी ना गिराया जाए। पीठ ने हालांकि पूछा कि आखिर एजेंसी इस संपत्ति को गिराने से क्यों रोकना चाहती है। मुख्य न्यायाधीश पाटिल ने कहा, ‘‘जो अवैध है उसे गिरना ही है। उन अवैध निर्माणों के साथ आपका क्या वास्ता है?’’।
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