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News Creation - बिज़नेस
बिज़नस

बिज़नस (3673)

सीबीडीटी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि आयकर विभाग द्वारा हाल ही में छापे की कार्यवाही के बाद एनसीआर स्थित एक रियल एस्टेट समूह ने 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय को "स्वीकार" किया है।
हालांकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने फर्म की पहचान जाहिर नहीं की है। लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने इसे ओरिएंटल इंडिया ग्रुप होने का दावा किया है।
बयान के अनुसार, पिछले हफ्ते, समूह के 25 से अधिक परिसरों में खोज और पड़ताल किया गया था। इस समूह की बुनियादी ढांचे, खनन और अचल संपत्ति में दिलचस्पी रही है।
बयान में कहा गया, "250 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाब नकदी प्राप्तियों के विवरण वाले नकद बहीखाते बरामद किए गए हैं और जब्त किए गए हैं। समूह ने कई संपत्ति लेनदेन पर आयकर का भुगतान भी नहीं किया है।
बयान में कहा गया है, "3.75 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति जब्त की गई है। समूह ने 3,000 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय स्वीकार की है और उसी पर आयकर का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ है।"
सीबीडीटी, आयकर विभाग के लिए नीति निर्धारित करता है।
बयान में कहा गया कि छापे के बाद 32 बैंक लॉकरों को भी सील कर दिया गया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की अध्यक्षता वाली समिति चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की नियुक्ति के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने में जुट गई है। इससे दिसंबर अंत तक सरकार को एकीकृत सैन्य सलाहकार मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। जिम्मेदारियों को अंतिम रूप देने के लिए एनएसए अजीत डोभाल की अध्यक्षता में सोमवार को एक उच्चस्तरीय समिति ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के लिए रूपरेखा तैयार की और अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।
सूत्रों के मुताबिक संभावना है कि सरकार अगले दो सप्ताह के भीतर इसकी घोषणा करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐतिहासिक सैन्य सुधार करते हुए 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी कि भारत की तीनों सेना के लिए एक प्रमुख होगा, जिसे सीडीएस कहा जाएगा। कारगिल रिव्यू कमेटी ने 1999 में करगिल युद्ध के बाद से ही सीडीएस नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा था।
रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि सीडीएस सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएगा।
प्रधानमंत्री की घोषणा के कुछ दिनों बाद, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोभाल की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति को एक सक्षम ढांचे को अंतिम रूप देने और सीडीएस के लिए सटीक जिम्मेदारियों को निर्धारित करने के लिए नियुक्त किया गया था। नाइक ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, उक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
उन्होंने कहा कि समिति को जिम्मेदारियों को निर्धारित करने और अंतिम रूप देने के लिए गठित किया गया था और इसमें शामिल सभी अन्य मुद्दों के अलावा सीडीएस के लिए एक सक्षम ढांचे का सुझाव दिया गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना, नौसेना और भारतीय वायु सेना ने पहले ही शीर्ष पद के लिए अपने वरिष्ठतम कमांडरों के नामों की सिफारिश रक्षा मंत्रालय से कर दी है। फिलहाल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत इस पद के लिए सबसे आगे चल रहे हैं। जनरल रावत 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं और सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ योजना के अनुसार होता है तो सरकार उन्हें देश के पहले सीडीएस के रूप में सामने लाएगी।
सीडीएस के पास तीनों सेवाओं के अध्यक्षों की तरह चार स्टार होंगे। उसकी जिम्मेदारी भविष्य की भारतीय सैन्य जरूरतों के लिए हार्डवेयर को प्राथमिकता देने, नए थिएटर कमांड को त्रि-सेवाओं की संपत्ति आवंटित करना और संरचनाओं के लिए कार्यों को नामित करना होगा। नया सीडीएस भारतीय सैन्य कूटनीति के केंद्र में होगा।  हालांकि, प्रोटोकॉल की सूची में, सीडीएस सेवा प्रमुखों की तुलना में अधिक होगा।
सीडीएस का मुख्य कार्य तीन सेवाओं के बीच संयुक्तता सुनिश्चित करना होगा जिसमें कुछ थिएटर कमांड स्थापित करने के साथ-साथ अपने कार्यों के तालमेल के लिए सेवाओं के बीच सैन्य संपत्ति आवंटित करने के लिए काम करने की शक्तियां शामिल होंगी।
वर्तमान में, तीन सेवाएं एकीकृत रक्षा कर्मचारी (आईडीएस) के ढांचे के तहत अपने काम का समन्वय करती हैं। हालांकि, सीडीएस की नियुक्ति के बाद, आईडीएस को नए ढांचे में शामिल किया जाएगा। सीडीएस प्रमुख रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार के रूप में भी काम करेगा।
1999 में कारगिल युद्ध के मद्देनजर देश की सुरक्षा प्रणाली में अंतराल की जांच के लिए गठित एक उच्च-स्तरीय समिति ने रक्षा मंत्री के लिए एक सूत्रीय सैन्य सलाहकार के रूप में एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति का आह्वान किया था।
राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधारों का विश्लेषण करने वाले मंत्रियों के एक समूह ने भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त करने की सिफारिश की थी। टास्क फोर्स नरेश चंद्र  ने 2012 में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के पद का गठित करने की सिफारिश की थी।

नई दिल्ली. एक दिसंबर से कुछ नियम और चीजें बदल गई हैं। इससे आपके जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। ज्यादातर मामलों में आप पर भार ही बढ़ेगा। मोबाइल कॉल दरों से लेकर आपकी बीमा पॉलिसी तक महंगी हो गई। एटीएम से नगद निकालना भी जेब ढीली कर सकता है। आइए जानते हैं क्या है  ये मामले...
1. मोबाइल बिल ज्यादा चुकाना होगा
देश की बड़ी टेलिकॉम कंपनियां रिलायंस जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया की कॉल दरें एक दिसंबर से महंगी हो जाएंगी। दरों में कितनी वृद्धि होगी, इस बारे में कंपनियों ने कोई खुलासा नहीं किया है। कंपनियों का कहना है कि नुकसान और उद्योग को व्यवहारिक बनाए रखने के लिए दरें बढ़ाना जरूरी हो गया है।
2. महंगी हो जाएगी बीमा पॉलिसी
बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा)  के नए दिशा-निर्देशों के कारण आपकी जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम 15 फीसदी तक महंगा हो सकता है। नए नियमों का असर एक दिसंबर 2019 से पहले बेची गई पॉलिसी पर नहीं पड़ेगा। पॉलिसी के बीच में बंद होने के पांच साल के भीतर उसे अब रिन्यू भी करा सकेंगे। अभी इसकी अवधि दो साल है।
3. बदला नगद निकालने का नियम
आईडीबीआई बैंक के एटीएम से जुड़े नियमों में भी बदलाव एक दिसंबर से होगा। अगर इस बैंक का कोई ग्राहक दूसरे बैंक के एटीएम से लेनदेन करता है और कम बैलेंस के कारण लेनदेन फेल हो जाता है तो उसे 20 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन देना होगा।
4. एनईएफटी 24 घंटे कर सकेंगे :
एक दिसंबर से बैंक ग्राहक 24 घंटे एनईएफटी कर सकेंगे। अभी सभी कार्य दिवस पर सुबह आठ बजे से शाम सात बजे तक ही एनईएफटी हो सकती है। जनवरी से इस पर कोई शुल्क भी नहीं लगेगा।  
5. एथेनॉल की कीमतों में बढ़ोत्तरी :
सितंबर में केंद्र द्वारा 1.64 रुपए तक बढ़ाई गई एथेनॉल की कीमत एक दिसंबर से लागू होगी। सी श्रेणी के सीरे से निकलने वाले एथेनॉल की कीमत 19 पैसे बढ़कर 43.75 रुपए प्रति लीटर और बी श्रेणी के सीरे से मिले एथेनॉल की कीमत 1.84 रुपए बढ़कर 54.27 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी।

नई दिल्ली. तीन साल में यह पहली बार है, जबकि देश में कॉलिंग और डेटा टैरिफ बढ़ाने की बात हो रही है। 2016 में जियो के आने के बाद से अब तक तो सिर्फ कीमतों में कटौती की खबरें आई थीं। अब अचानक ऐसा क्या हो गया? क्यों टेलीकॉम कंपनियां ऐसा फैसला ले रही हैं? कॉलिंग-डेटा कितना महंगा हो सकता है? इन्हीं सवालों के जवाब भास्कर ने एक्सपर्ट्स के जरिए तलाशने की कोशिश की।
टेलीकॉम क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि तीन महीनों में ही डेटा-टैरिफ तीस फीसदी तक महंगा हो सकता है। जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया पहले ही कह चुकी हैं कि दिसंबर में वे दाम बढ़ाने वाली हैं। टेलीकॉम कंपनियों के इस संकट के मूल में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का विवाद छिपा है।
2005 में सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ने सरकार की इस परिभाषा को अदालत में चुनौती दी। अब इसी 14 साल पुराने केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है। इसमें उसने कंपनियों को 92 हजार करोड़ रुपए चुकाने का आदेश दिया है। इसी के चलते टेलीकॉम कंपनियां चिंतित हैं।
सरकार ने भी कंपनियों की मदद के लिए कमेटी बनाई, जिसके बाद कंपनियों को दो साल की मोहलत मिल गई।  एजीआर का सबसे बड़ा नुकसान वोडाफोन को उठाना पड़ सकता है। इसकी वजह से  वोडाफोन-आइडिया को 50,921 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा है। जो कि काॅपोर्रेट इतिहास में अब तक सर्वाधिक है।    
कंपनियों की इस खस्ता हालत का असर 5जी की तैयारियों पर भी पड़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार देश में अब 2022 से ही 5जी सब्सक्रिप्शन शुरू हो पाएंगे।  इतना ही नहीं,  कंपनियां 5जी स्पेक्ट्रम की कीमतों को घटाने की भी सरकार से मांग कर रही हैं।

नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय ने कहा है ‎कि भारत की 25 सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के बैड लोन को खरीदने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एक फंड बनाए। सरकार ने आरबीआई को यह भी कहा है कि वह कुछ रियल एस्टेट लोन को बैड लोन के रूप में वर्गीकृत करने से बैंक को एक बार छूट देने के बारे में भी विचार करे। अधिकारी ने कहा कि आरबीआई ने एनबीएफसी के बैड लोन को खरीदने के सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया है। इस पर चर्चा जारी है। देश के अर्थव्यवस्था इस समय भारी सुस्ती से गुजर रही है। इसे तेजी के रास्ते पर लाने के लिए सरकार ने हाल में कई उपायों की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने हाल में रियल्टी सेक्टर को 25,000 करोड़ रुपए के एक विशेष फंड की भी सौगात दी है।

नई दिल्ली । वित्त मंत्रालय ने कहा है ‎कि भारत की 25 सबसे बड़ी गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) के बैड लोन को खरीदने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एक फंड बनाए। सरकार ने आरबीआई को यह भी कहा है कि वह कुछ रियल एस्टेट लोन को बैड लोन के रूप में वर्गीकृत करने से बैंक को एक बार छूट देने के बारे में भी विचार करे। अधिकारी ने कहा कि आरबीआई ने एनबीएफसी के बैड लोन को खरीदने के सरकार के प्रस्ताव का विरोध किया है। इस पर चर्चा जारी है। देश के अर्थव्यवस्था इस समय भारी सुस्ती से गुजर रही है। इसे तेजी के रास्ते पर लाने के लिए सरकार ने हाल में कई उपायों की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने हाल में रियल्टी सेक्टर को 25,000 करोड़ रुपए के एक विशेष फंड की भी सौगात दी है।

मुंबई,विमानन नियामक (डीजीसीए) ने सोमवार को इंडिगो को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वह अपने बेड़े में हरेक नया ए320 नियो विमान जोड़ने की स्थिति में अपरिवर्तित प्रैट एंड व्हिटनी (पीडब्ल्यू) इंजन वाला एक पुराना ए320 नियो विमानपरिचालन से बाहर कर दे।
डीजीसीए ने इंडिगो को 31 जनवरी तक अपने सभी 97 पुराने विमानों के बदले नए ए320 नियो विमान शामिल करने को कहा है।
उन्होंने कहा कि नए विमान को, परिचालन से बाहर किए जाने वाले विमान के कार्यक्रम के मुताबिक ही चलाया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि डीजीसीए के निर्देश के मुताबिक अगले साल 31 जनवरी तक ए 320 नियो परिवार के अपरिवर्तित पीडब्ल्यू इंजनों वाले इंडिगो के सभी विमानों को बाहर करना है और इस संबंध में समय पर कार्य पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए। डीजीसीए ने विमानों को बदलने के लिए एक नवंबर को आदेश दिए थे।
मालूम हो कि साल 2016 से इंडिगो और गो एअर के बेडे में शामिल पीडब्ल्यू इंजन वाले ए320 वाले विमानों में उड़ान व जमीन खड़े होने के  दौरान तकनीकी खराबी के आ रही है और वह उड़ान नहीं भर पा रहे हें।
डीजीसीए को डर है कि 31 जनवरी के बाद से नए इंजन वाले विमान न होने के चलते इंडिगो के कई विमान उड़ान नहीं भर पाएंगे जिससे कई फ्लाइटों को रद्द करना पड़ सकता है। नियामक के  इस निर्देश का असर सस्ती एअरलाइनों में शुमार इंडिगो की विस्तार योजना पर असर पड़ेगा।

मुंबई,सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19 में ग्राहकों द्वारा बचत खाते में न्यूनतम जमा राशि बरकरार न रखे जाने पर जुर्माने के तौर पर 1,996.46 करोड़ रुपये प्राप्त किए हैं। यह जानकारी वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने सोमवार को लोकसभा में दी।
बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 में सरकारी बैंकों ने न्यूनतम जमा राशि पेनल्टी के रूप में 3,368.42 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे। वहीं वित्त वर्ष 2016—17 में 790.22 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे।  
ठाकुर ने एक लिखित जवाब में लोकसभा में कहा कि सरकारी बैंकों को पिछले साल के मुकाबले न्यूनतम जमा राशि पेनल्टी में  गिरावट की एक वजह एसबीआई द्वारा बचत खाते में न्यूनतम जमा राशि बरकरार न रखने पर एक अक्तूबर 2017 से कम किया गया जुर्माना भी है।
ठाकुर ने आगे कहा कि बैंक बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट (बीएसबीडी ) अकाउंट्स में न्यूनतम जमा राशि बरकरार न रखने पर कोई जुर्माना नहीं लेते हैं। उन्होंने बताया कि आरबीआई के अनुसार, मार्च 2019 तक देश में 57.3 करोड़ बीएसबीडी अकाउंट थे, जिनमें से 35.27 करोड़ जनधन खाते थे।

नासिक: देश की सबसे बडी प्याज मंडी लासलगाव में प्याज के भाव में 350 रुपए में कमी आई है. शुक्रवार के तुलना में प्याज आज सस्ता हुआ है. लासलगाव मंडी में एक क्विंटल प्याज का औसत भाव 7 हजार पर स्थिर है. किसानों का मुनाफा अब कम होगा. लेकिन इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा. पिछले सप्ताह लासलगाव में रब्बी प्याज को 7950 रुपए तक यह भाव पहुंचा था. आज सोमवार को मंडी घुलते ही प्याज के भाव कम हुए है . सोमवार को लासलगाव मंडी में प्याज के दाम 7 हजार 600 रुपए तक पहुंचा. यानि  350 रुपए दाम कम हुए है.
प्याज का औसत दाम 7000 रुपए तक स्थिर रहा है तो वहीं लाल प्याज का औसत दाम 6000 रुपए पर स्थिर रहे है. लासलगाव मंडी में प्याज की सोमवार को 15 ट्राली में रब्बी प्याज 120 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया था. तो लाल प्याज के 1310 क्विंटल प्याज की आवक हुई है. प्याज की आवक बढती है तो दाम स्थिर होंगे.
लासलगाव मंडी समिती के निदेशक जयदत्त होलकर बताते हैं कि, सोमवार के दिन लासलगाव मंडी खुलते ही प्याज के भाव में गिरावट देखी गई. इसका प्रमुख कारण  अब नया प्याज आज से मंडी में आने लगा है.  अब जैसे प्याज कि आवक बढती जायेगी, तो दाम कम होंगे. तो वहीं नवी मुंबई की खुदरा बाजारा में प्याज के दाम 80 तक थे. लेकिन प्याज मंडियों में प्याज के भाव कम होने से खुदरा प्याज की कीमतें भी कम हो गई. इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा.

हम में से बहुत सारे लोग बैंक लॉकर में अपनी महंगी ज्वैलरी और सामान रखते हैं। इसकी बड़ी वजह है कि बैंक लॉकर में रखा सामान घर के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि लॉकर में से सामान चोरी हो जाने पर बैंक इसकी गारंटी नहीं देते हैं। बैंकों का इसके पीछे तर्क होता है कि उसे लॉकर में रखे सामान की जानकारी नहीं होती है। इसलिए वह रखे सामान की गारंटी नहीं दे सकता है। एक क्षण के लिए यह जानकार आप चिंतत हो सकते हैं लेकिन, परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप बैंक लॉकर का बीमा कराकर पूरी तरह से चिंता से मुक्त हो सकते हैं। पेश है एक रिपोर्ट।
तेजी से बढ़ी है चोरी की घटना
देशभर में बैंक लॉकर से चोरी की घटना बढ़ी है। मुंबई में एक साल पहले कुछ चोरों ने बैंक में सुरंग बनाकर करीब 30 लॉकरों को साफ कर दिया था। इसी तरह के मामले देश के कई अन्य हिस्सों से भी सामने आ चुके हैं। इसको देखते हुए बीमा कंपनियों ने बैंक लॉकर में रखे सामान और ज्वैलरी का बीमा देना शुरू किया है। बीमा कंपनियां इसकी पेशकश ‘बैंक लॉकर प्रोटेक्टर पॉलिसी’ के तौर पर कर रही हैं।
महंगी वस्तुओं की सूची बतानी होगी
बैंक लॉकर का बीमा लेने के लिए आपको बीमा कंपनी को उसमें रखे महंगी वस्तुओं की सूची बतानी होगी। उनके मूल्य को बताने की जरूरत नहीं होगी। मूल्य बताने की जरूरत तभी होगी अगर बीमा की राशि 40 लाख रुपये से ज्यादा है। कंपनी की यह बीमा पॉलिसी दुर्घटना, चोरी, आतंकी वारदात या बैंक कर्मचारी की किसी गलती से हुए नुकसान को कवर करती है।
ये बीमा कंपनियां दे रही कवर
बैंक लॉकर का बीमा कराने की सुविधा टाटा एआईजी और इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनियां दे रही है। टाटा एआईजी अपने ग्राहकों को बैंक लॉकर या घर में रखे सोने की ज्वैलरी के साथ पहने हुए गहने का भी कवर मुहैया करा रही है। वहीं इफको टोकियो बैंक लॉकर में रखे ज्वैलरी और कीमती सामानों का भी बीमा कवर दे रही है। इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस की इस बीमा पेशकश के तहत आपको 300 रुपये 2500 रुपये का प्रीमियम चुकाना होगा। इसके तहत आपको तीन लाख रुपये से 40 लाख रुपये का कवर दिया जाएगा। इफाको टोकियो सिर्फ ज्वैलरी की ही नहीं बल्कि बल्कि जरूरी दस्तावेजों का भी बीमा कवर दे रही है। इसके तहत ज्वैलरी या कागजात खो जाने पर उसकी भरपाई बीमा कंपनी करेगी।
बीमा लेकर चिंता से मुक्त रहें
रीन्यूबाईडॉटकॉम के सह-संस्थापक , इंद्रनील चटर्जी के अनुसार, अगर बैंक लॉकर में बहुत ही जरूरी दस्तावेज, सामग्री या मूल्यवान ज्वैलरी है तो बीमा कवर ले लेना चाहिए। बैंक लॉकर का बीमा लेना काफी आसान है। इसके तहत आपको लॉकर में रखे सामान के कुल मूल्य की घोषणा करती है। इसके बाद बीमा कंपनी आपको कवर दे देती है। बीमा कवर का प्रीमियम भी बहुत अधिक नहीं है। यानी आप पूरी तरह से सुरक्षित हो जाते हैं। हालांकि, कई वित्तीय योजनाकारों का मानना है कि लॉकर से चोरी होने की संभावना बहुत कम होती है। इसलिए बीमा लेना जरूरी नहीं है। फिर भी यह जोखिम नहीं लेना चाहिए।
सालाना शुल्क भी देना होगा
बैंक लॉकर के लिए आपको फीस चुकानी पड़ती है। यह फीस साल में एक बार लगती है। फीस की रकम लॉकर की साइज पर निर्भर करती है। बड़े लॉकर पर ज्यादा फीस लगती है। सरकारी बैंक एक लॉकर के लिए सालाना 1,000 से 7,000 रुपये के बीच फीस लेते हैं। प्राइवेट बैंक 3,000 रुपये से 20,000 रुपये के बीच फीस लेते हैं। फीस की रकम इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप जिस शाखाज्वैलरी की सुरक्षा के लिए इंश्योरेंस कंपनियां दो प्रकार की पॉलिसी ऑफर करती हैं। इसमें पहली है स्टैंडअलोन ज्वैलरी पॉलिसी, जो केवल ज्वैलरी का सुरक्षा कवर देती हैं। वहीं दूसरी है होम इंश्योरेंस पॉलिसी, जो कि पूरे घर को चोरी या दुर्घटना से कवर देती है। उपभोक्ता अपनी जरूरत के अनुसार पॉलिसी का चयन कर सकते हैं। होम इंश्योरेंस पॉलिसी की अपनी सीमाएं हैं। होम इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत बीमा का कवर लेने पर अगर गहनों की चोरी हो जाती है, तो गहनों का पूरा वैल्यू नहीं मिल पाता है। यह केवल राइडर होता है। गहनों की पूरी सुरक्षा के लिए स्टैंडअलोन ज्वैलरी इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए। यह पॉलिसी ज्वैलरी को पूरा इंश्योरेंस कवर देता है। में लॉकर लेना चाहते हैं, वह कहां स्थित है।
घर में रखे गहने को सुरक्षित रखने का बेहतरीन विकल्प
बैंक लॉकर में रखा सोने का ज्वैलरी अधिक सुरक्षित होता है इसमें कोई शक नहीं है। लेकिन आप अपने घर में रखे गहने को भी सुरक्षित उसका बीमा कराकर कर सकते हैं। कई बीमा कंपनियां घर में रखे ज्वैलरी की बीमा पॉलिसी उपलब्ध करा रही है।
दो प्रकार से ले सकते हैं बीमा
ज्वैलरी की सुरक्षा के लिए बीमा कंपनियां दो प्रकार की पॉलिसी मुहैया करती हैं। इसमें पहली है स्टैंडअलोन ज्वैलरी पॉलिसी, जो केवल ज्वैलरी का सुरक्षा कवर देती हैं। वहीं दूसरी है होम इंश्योरेंस पॉलिसी, जो कि पूरे घर को चोरी या दुर्घटना से कवर देती है। उपभोक्ता अपनी जरूरत के अनुसार पॉलिसी का चयन कर सकते हैं। होम इंश्योरेंस पॉलिसी की अपनी सीमाएं हैं। होम इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत बीमा का कवर लेने पर अगर गहनों की चोरी हो जाती है, तो गहनों का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता है। गहनों की पूरी सुरक्षा के लिए स्टैंडअलोन ज्वैलरी इंश्योरेंस पॉलिसी लेनी चाहिए।
गहनों का मूल्यांकन है जरूरी
ज्वैलरी के लिए बीमा पॉलिसी लेने से पहले ज्वैलरी का बाजार मूल्य जरूर प्राप्त करें। आप अपने घर के पास की किसी जौहरी से गहनों का कुल कीमत लगवा सकते हैं। ऐसा नहीं करने पर बीमा कंपनी दावा करते समय आपके गहनों का मूल्य कम लगा सकती हैं और आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कुल कीमत से ही प्रीमियम तय होगी
आम तौर पर ज्वैलरी इंश्यारेंस बहुत महंगा नहीं होता। बीमा कंपनियां ज्वैलरी के इंश्योरेंस कवर के लिए प्रीमियम उसके वेल्युएशन का 1 से 1.5 फीसदी तक तय करती हैं। मान लीजिए अगर आपकी ज्वैलरी का मूल्य  3  लाख रुपये है तो प्रीमियम 3,000 रुपए सालाना देना होगा। अगर, आप एक साथ और भी दूसरे सामान का कवर लेते हैं तो बीमा कंपनियां प्रीमियम में छूट भी देती हैं।
इन बातों का जरूर रखें ख्याल
ज्वैलरी के लिए पॉलिसी लेने से पहले उसके रिफंड के नियम अच्छी तरह से पढ़ लें। बीमा कंपनी के रिफंड की पॉलिसी क्या है, ज्वैलरी चोरी होने की सूरत में आपको क्लेम लेने के लिए कौन-सी प्रक्रिया अपनानी होगी, इसकी जानकारी प्राप्त कर लें। इसके बाद ही पॉलिसी लेने का निर्णय लें।

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