ईश्वर दुबे
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Bhilai
राज्यसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नीट मामले को लेकर हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने नीट मामले पर चर्चा की मांग की। इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नीट का मुद्दा उठाने पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे का माइक बंद कर दिया गया। हालांकि, नीट मामले पर चर्चा को लेकर हंगामे के बीच खरगे सभापति जगदीप धनखड़ के वेल में आ गए। इसपर सभापति धनखड़ नाराज हो गए और उन्होंने इस हरकत को भारतीय संसद के इतिहास में कलंकित दिन बताया।
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने खरगे की इस हरकत की निंदा की। उन्होंने कहा, "आज भारतीय संसद के इतिहास में ऐसा कलंकित दिन है कि विपक्ष के नेता खुद वेल में आ गए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। मैं दुखी हूं, स्तब्ध हूं। भारतीय संसदीय परंपरा इस हद तक गिर जाएगी कि विपक्ष के नेता वेल में आ जाएंगे, उपनेता वेल में आ जाएंगे।"
हालांकि, नीट मामले को लेकर हंगामे के बीच धनखड़ ने रास्यसभा को स्थगित कर दिया। राज्यसभा के स्थगित होने पर मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "मैंने सदन में 10 मिनट तक हाथ ऊपर करके रखा लेकिन चेयरमैन ने मेरी तरफ नहीं देखा। उन्होंने जानबूझकर मुझे नजरअंदाज करके मेरा अपमान किया। उनका ध्यान खींचने के लिए मैं अंदर(वेल में) गया।"
राहुल गांधी ने लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष को बधाई देते हुए अपने संबोधन में कहा कि संसद में सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष की भी भूमिका बेहद अहम है। विपक्ष जनता की आवाज है और विपक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए, तभी लोकतंत्र मजबूत रहेगा। विपक्ष सरकार के साथ सहयोग करना चाहता है, लेकिन सरकार को भी विपक्ष की बात सुननी होगी। हमारा संसद भवन सिर्फ चारदीवारी नहीं। ये देश की जनता का आशा का प्रतीक है। संसद की कार्यवाही लोकतंत्र को और मजबूत बनाती है। 17वीं लोकसभा की उत्पादकता 97 प्रतिशत रही और उसके लिए सभी सदस्यों के साथ ही आप विशेष अभिनंदन के अधिकारी हैं। कोरोना के मुश्किल समय में आपने हर सांसद से फोन करके व्यक्तिगत हालचाल पूछा। कोरोना के समय में संसद का काम रुका नहीं। आपने जो फैसले किए, उसी का परिणाम है कि हम मुश्किल समय में भी काम कर पाए है। कोरोना काल में संसद की उत्पाकता 170 प्रतिशत रही, जो बहुत बड़ी बात है। आपने कभी कभी कठोरता के साथ भी फैसले लिए। ऐसे फैसलों से आपको पीड़ा भी हुई, लेकिन आपने संसद की गरिमा और व्यक्तिगत पीड़ा में से आपने संसद की गरिमा का चुनाव किया। मुझे विश्वास है कि आप तो सफल होंगे ही, लेकिन आपकी अध्यक्षता में ये संसद भी देश की आकांक्षाओं को पूरा करेगी। मैं आपको और इस संसद को बहुत बधाई देता हूं।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा संसद में शपथ लेने के दौरान इस्तेमाल किए गए शब्दों पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कड़ी आपति जताई है। उन्होंने कहा कि ओवैसी ने जिस तरह से संसद में शपथ ली, उससे पूरे देश का अपमान हुआ है। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि 'फिलिस्तीन जिंदाबाद' कहना अपराध है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। उन्हें संसद से हटाया जाना चाहिए। बता दें कि 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन एआईएमआईएम प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सांसद के रुप में शपथ ली। शपथ लेने के बाद उन्होंने सबसे पहले जय भीम बोला, इसके बाद जय भीम, जय तेलंगाना और जय फिलिस्तीन का नारा लगाया। आपको बता दें कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद लोकसभा सीट से पहली बार 2004 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने 2009, 2014, 2019 और 2024 में अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा है।
18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार को शुरू हो गया. सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कैबिनेट और बाकी सांसदों ने शपथ ली. सत्र के दूसरे दिन भी सांसदों को शपथ दिलाई गई. दूसरे दिन यूपी के 80 सांसदों ने भी शपथ ली. इनमें नगीना से आजाद समाज पार्टी चीफ चंद्रशेखर आजाद भी शामिल रहे. शपथ के दौरान चंद्रशेखर के तीखे तेवर भी देखने को मिले. दरअसल, चंद्रशेखर ने शपथ लेने के बाद कई नारे लगाए. उन्होंने नमो बुद्धाय, जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय मंडल, जय जवान, जय किसान, भारतीय लोकतंत्र जिंदाबाद, भारत की महान जनता जिंदाबाद के नारे लगाए. चंद्रशेखर जैसे ही ये नारे लगाकर प्रोटेम स्पीकर की ओर बढ़े, तभी सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से एक आवाज आई, 'पूरा भाषण देंगे क्या...'. इस पर चंद्रशेखर ने तुरंत जवाब दिया, ''देंगे सर इसलिए यहां आए हैं.'' चंद्रशेखर यहीं नहीं रुके वे सीढ़ियों पर कहते नजर आए, ''कहने आए हैं, सुनना पड़ेगा सबको.''
शपथ लेने के बाद साइन करना भूले चंद्रशेखर
शपथ लेने के बाद चंद्रशेखर साइन करना भूल गए. वे सीढ़ियों से आगे बढ़ने लगे. तभी वे अखिलेश यादव के पास पहुंचे और हाथ मिलाया. अखिलेश ने उन्हें साइन करने का याद दिलाया. इसके बाद चंद्रशेखर ने साइन किए. संसद सत्र के शुरुआती दो दिन में सांसदों को शपथ दिलाई गई. आज संसद में स्पीकर का चुनाव होना है. एनडीए के ओम बिरला का मुकाबला विपक्ष के के. सुरेश से है. पहले सरकार की ओर से स्पीकर पद पर सहमति बनाने की कोशिश की गई थी. सरकार ने विपक्ष से स्पीकर पद पर समर्थन देने की मांग की थी. लेकिन विपक्ष डिप्टी स्पीकर पोस्ट की मांग कर रहा था. ऐसे में दोनों के बीच बात नहीं बनी.
तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायक धरने पर
शपथ ग्रहण को लेकर विरोध के बीच तृणमूल कांग्रेस के दो नवनिर्वाचित विधायक पश्चिम बंगाल विधानसभा पहुंचे। विधानसभा में उनसे चार बजे तक इंतजार करने को कहा गया। इसके साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि अगर चार बजे तक राज्यपाल शपथ दिलाने नहीं पहुंचे तो स्पीकर से शपथ दिलवाया जाएगा। सायंतिका बंदोपाध्याय और रयात हुसैन सरकार क्रमशः बारानगर और भागाबंगोला निर्वाचन क्षेत्रों से चुने गए हैं। राज्यपाल का इंतजार करते हुए दोनों विधायक वहीं धरने पर बैठ गए।राज भवन की तरफ से बताया गया कि शपथ समारोह राज्यपाल सीवी आनंद बोस के समक्ष होना चाहिए। रयात हुसैन सरकार ने पत्रकारों के बात की। उन्होंने कहा, "हमने माननीय राज्यपाल से विधानसभा में आकर पद की शपथ दिलाने या अध्यक्ष को सौंपने का अनुरोध किया है। हालांकि, उन्होंने दोनों ही विकल्पों को नकार दिया। हम विधानसभा की सीढ़ियों पर उनका इंतजार कर रहे हैं।"दोनों विधायकों के हाथों में तख्तियां देखा गया, जिसमें राज्यपाल से अनुरोध किया गया कि उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधियों के तौर पर अपने कर्तव्यों को पूरा करने की अनुमति दी जाए।
बैठे
इंदौर । भारत अपने विविध और समृद्ध स्वाद के लिए जाना जाता है। इसमें भी मारवाड़ी स्वाद ने अपनी खास पहचान बनाई है, मारवाड़ का स्वाद दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इंदौर के लोगों को इसी शाही अनुभव से रूबरू कराने के लिए मारवाड़ी फूड फेस्टिवल शुरू हुआ है। फूड फेस्टिवल में युवाओं से लेकर हर वर्ग के लोगों की खासी रुचि देखने को मिल रही है। दस दिवसीय इस फूड फेस्टिवल में मारवाड़ी संस्कृति, उसकी समृद्ध विरासत और स्वादिष्ट व्यंजनों को पेश किया जा रहा है। इंदौर के द पार्क में 30 जून तक होने वाले इस आयोजन में शहरवासियों को मारवाड़ी खानपान की विविधता और परंपरागत पकवानों का अनूठा अनुभव मिल रहा है।
मेहमान डिनर में स्पेशल दाल बाटी/बाफला बाटी, चूरमा के साथ साथ बाजरे की खिचड़ा, गेहूं की खिचड़ा, मक्की का सोवेटा, खड़, बेसन चीला, मेथी मट्ठी, राजस्थानी कढ़ी/गट्टा मटर खिचड़ा, राजस्थानी भुजिया, बीजड़ की रोटी, मक्की की रोटी, और बाजरे की रोटी जैसी पारंपरिक मारवाड़ी रसोई का आनंद उठा सकते हैं। शेफ संतोष यादव ने बताया कि फेस्टिवल के मुख्य आकर्षणों में मारवाड़ी व्यंजनों की विस्तृत श्रृंखला शामिल है। इस फेस्टिवल में स्टार्टर्स के रूप में शाकाहारी व्यंजनों में सांगरी की शामी, मथानिया पनीर टिक्का, पनीर के सूले, पनीर बंजारा टिक्का, दाल कचौरी, मुठिया, मिर्ची वड़ा, पापड़ की पोटली, प्याज की कचौरी और आलू प्याज की कचौरी जैसे स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाएंगे। इसके अलावा, फेस्टिवल में मीठी और नमकीन लस्सी का आनंद भी लिया जा सकता है।
सूप के रूप में मक्की की राब, घाट और बाजरे की राब उपलब्ध होंगी। चावल के व्यंजनों में प्लेन चावल, जोधपुरी पुलाव, कुबूली, केर का पुलाव और आलू पुलाव का स्वाद चखा जा सकता है। दाल में कालबेलिया दाल, पंचमेल दाल, और पिछोला दाल शामिल हैं। पनीर के विशेष व्यंजनों में पनीर जोधपुरी, जंगली पनीर, और पनीर मेथी पापड़ जैसे लजीज व्यंजन पेश किए जाएंगे। वहीं मेन कोर्स में गुलाब जामुन की सब्जी, काजू केर दख, बेसन भिंडी, पंचकुटन, भरवां टिंडा, पिठोड़ दही मा, शाही गट्टे का साक, राबोड़ी की सब्जी, चक्की मालमली, पप्पाक मंगोड़ी, पापड़ की सब्जी, मारवाड़ी कंदा रो साक, और मंगोड़ी रा साक शामिल हैं। डेसर्ट के रूप में मिठाई के शौकीनों के लिए मलाई घेवर, मावा कचौरी, मूंग दाल हलवा, मटर/लिलुआ का झांझरिया, मक्की का जामुन, मालपुआ/रबड़ी, और मोहन थाल जैसे स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध होंगे।
2024 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं और एनडीए की सरकार भी बन गई है. हालांकि नतीजों के बाद अब विपक्ष के नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का बिहार में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा क्योंकि उसने कुछ गलतियां कीं जिसमें टिकट बंटवारा भी शामिल है.भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में इस बात से इनकार नहीं किया कि चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे ‘‘नीतीश कुमार फैक्टर’’ भी एक वजह रहा. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) राज्य में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वाम दलों के साथ ‘महागठबंधन’ में शामिल रही थी. दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि जदयू विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में भी शामिल रहा था लेकिन जदयू 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो गया. भाजपा और राजग में शामिल दलों जदयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 30 सीटें जीतीं, जबकि ‘इंडिया’ को नौ सीट पर ही जीत मिली. वहीं, एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने जीत दर्ज की.
पूर्णिया में पप्पू यादव की जीत का क्या है कारण?
भाकपा (माले) के नेता भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्णिया में निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने जीत हासिल की क्योंकि राजद ने कांग्रेस को सीट देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा कि भाकपा (माले) ने सीवान सीट की मांग की थी लेकिन राजद ने वहां से चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रही और यह सीट जदयू ने जीती. भाकपा (माले) ने आरा और काराकाट दो सीट पर जीत हासिल की है. उन्होंने कहा, ‘‘कुछ गलतियों का शायद व्यापक असर हुआ. इसका असर कई सीटों पर पड़ा. पूर्णिया का ही उदाहरण लीजिए, पप्पू यादव यह सीट जीतने में कामयाब रहे लेकिन यह अकल्पनीय है कि इस तरह के ध्रुवीकृत चुनाव में राजद के आधिकारिक उम्मीदवार को 30,000 से भी कम वोट मिले.’’
लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी एक भी सीट जीत नहीं कर पाई. इतनी बड़ी हार के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा फैसला लिया है. मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को एक बार फिर से पार्टी में नया मौका दिया है. आकाश आनंद को मायावती ने पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया है. शुक्रवार को बसपा की ओर से सोशल मीडिया साइट पर एक पोस्ट डाला गया. जिसमें पंजाब और उत्तराखंड के विधानसभा उपचुनाव के लिए जारी किए गए लिस्ट में आकाश आनंद का नाम मायावती के बाद दूसरे नंबर पर है. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार के दौरान मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था. तब आकाश आनंद उस वक्त पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर हुआ करते थे. वहीं मायावती ने खुद आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया हुआ था. चुनाव के ठीक पहले आकाश आनंद एक्टिव हो गए थे. कई जगह उन्होंने पार्टी के लिए जनसभाएं भी की थी.
स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आकाश आनंद
बसपा के द्वारा उपचुनाव के लिए जारी किए गए स्टार प्रचारकों की लिस्ट में मायावती, आकाश आनंद समेत कई अन्य नेता के नाम शामिल थे. वहीं मायावती के बाद दूसरे नंबर पर आकाश आनंद का नाम शामिल है. वहीं तीसरे नंबर पर उत्तराखंड राज्य के लिए राम जी गौतम का भी नाम शामिल है. पंजाब के लिए रणधीर सिंह बेनिवाल है. वहीं इन दोनों राज्यों में अगर विधानसभा उपचुनाव की बात करें तो 10 जुलाई को मतदान होना है. लोकसभा चुनाव प्रचार के आकाश आनंद कई जगह पार्टी के लिए प्रचार व जनसभाएं कर रहे थे. वहीं सीतापुर में चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद की रैली के बाद मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था. आकाश ने रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि जो सरकार युवाओं को रोजगार और लोगों को बेहतर शिक्षा मुहैया नहीं करा सकती. उसे बने रहने का कोई हक नहीं है. इस बयान के बाद आकाश आनंद के खिलाफ केस भी दर्ज हुए थे.
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हुए नुकसान पर शनिवार (22 जून) को प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को रिपोर्ट सौंपी. भूपेंद्र चौधरी जेपी नड्डा के आवास पर पहुंच हैं और उन्हें हार की वजहें बताई. बताया जा रहा है कि इस रिपोर्ट में भी उन वजहों का जिक्र है, जिनकी वजह से यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन निराशजनक रहा. रिपोर्ट सौंपने के बाद चौधरी नड्डा से आवास से निकल गए. यूपी में बीजेपी को जहां 2019 के चुनाव में 62 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं इस बार पार्टी 36 सीटों पर ही सिमट कर रह गई है. बीजेपी को उम्मीद थी कि राम मंदिर निर्माण के बाद यूपी में उसके रथ को कोई रोकने वाला नहीं होगा. बीजेपी ने तो यूपी में 80 में से 70 सीटें जीतने का टारगेट रखा था, लेकिन जिस तरह के चुनावी नतीजे आए. उसने पार्टी की तैयारियों की कलई खोल दी. बीजेपी 70 तो दूर की बात है, बल्कि 40 से भी कम सीटों पर जीत हासिल कर पाई. यूपी में हुए नुकसान की वजह से ही बीजेपी लगातार तीसरी बार बहुमत के आंकड़ें से दूर रह गई. बीजेपी को इस बार 240 सीटों पर जीत मिली है.
प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में इस बार कई नए चेहरे शामिल किए गए हैं, जिनमें से एक6r भाजपा के वरिष्ठ नेता और एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हैं। विदिशा सीट से छठवीं बार बड़े मार्जिन से सांसद चुने गए शिवराज अब केंद्रीय मंत्री बन गए हैं।
बेटे कार्तिकेय चौहान का बयान वायरल
शिवराज सिंह को मोदी सरकार में कृषि मंत्री बनाया गया है। मंत्री बनने के बाद शिवराज ने बुधनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया, जिससे अब यह सीट खाली हो गई और यहां उपचुनाव होगा।उधर, शिवराज के बेटे कार्तिकेय चौहान सीहोर के भैरुंदा में एक बार फिर पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पिता की प्रचंड जीत पर जनता का आभार जताते हुए कुछ ऐसा बोले, जो अब चर्चा का विषय बन गया।कार्तिकेय ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया ने हमारी काफी परीक्षा ली है। मैं मेरे में, पिता शिवराज और आपमें, कोई फर्क नहीं देखता हूं। हम सब कई जिस्म और एक जान हैं। जब हमारे नेता पहले मुख्यमंत्री थे, तब भी लोकप्रिय थे और आज भी वो जब सीएम नहीं हैं तो और लोकप्रिय हो गए हैं।
नई दिल्ली। देश में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन की सरकार सत्ता पर काबित हो गई है जो विपक्ष को रास नहीं आ रही है। अब इसको लेकर विपक्ष तरह तरह की बातें कर रहा है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र में गठबंधन सरकार गलती से बनी गई है और वह कभी भी गिर सकती है। लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 240 सीटें मिलीं थी और वह बहुमत हासिल नहीं कर सकी थी। बीजेपी नीत घटक दलों यानी एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला है।
खड़गे ने कहा है कि एनडीए सरकार गलती से बन गई है। मोदीजी के पास जनादेश नहीं है। यह अल्पमत की सरकार है। यह सरकार कभी भी गिर सकती है। हम चाहते हैं कि यह सरकार चलती रहे। देश के लिए यह अच्छा हो। हमें सरकार के साथ मिलकर देश को मजबूत बनाने के लिए काम करेंगे लेकिन हमारे पीएम मोदी की आदत है कि वे किसी चीज को चलने नहीं देते।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे के कटाक्ष पर जेडीयू ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के प्रधानमंत्रियों के स्कोरकार्ड की याद दिलाई। बिहार के पूर्व आईपीआरडी मंत्री और जेडीयू एमएलसी नीरज कुमार ने खड़गे की जानकारी पर सवाल उठाया। उन्होंने उनसे पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों के स्कोरकार्ड के बारे में पूछा। 1991 के आम चुनाव में कांग्रेस ने 2024 में बीजेपी के बराबर सीटें जीती थीं। जब कोई पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई, तो कांग्रेस ने रिटायर हो चुके नरसिम्हा राव के नेतृत्व में अल्पमत की सरकार बनाई। कांग्रेस पार्टी किसी तरह सरकार बनाने में कामयाब रही। नरसिम्हा राव ने गुपचुप छोटी पार्टियों में फूट डाली और दो साल में अल्पमत वाली कांग्रेस को बहुमत वाली पार्टी में बदल दिया।
नीरज कुमार ने पूछा कि क्या खड़गे कांग्रेस की विरासत से अनभिज्ञ हैं। कांग्रेस अब 99 के चक्कर में फंस गई है। वहीं राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि खड़गेजी सही कह रहे हैं। जनादेश मोदी सरकार के खिलाफ था। मतदाताओं ने उन्हें स्वीकार नहीं किया। फिर भी वे सत्ता में आए।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया है । पीएम मोदी से पहले पोप से पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, इन्द्र कुमार गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी मिल चुके हैं। पीएम मोदी जब साल 2021 में जी20 समिट के लिए रोम के दौरे पर गए थे, तब भी उन्होंने पोप फ्रांसिस से मुलाकात की थी और उन्हें भारत आने का न्योता दिया था। साल 2016 में भी पोप फ्रांसिस भारत आने वाले थे, मगर ऐसा नहीं हो पाया था। पोप फ्रांसिस की बात करें तो अब तक वह भारत के दौरे पर नहीं आए हैं। भारत का दौरा करने वाले अंतिम पोप जॉन पॉल द्वितीय थे, जो एशिया में चर्च पर एक पोप दस्तावेज जारी करने के लिए 1999 में नई दिल्ली आए थे।
पीएम मोदी जी 7 समिट में पोप फ्रांसिस से मिले। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया है । उम्मीद की जा रही है कि इस बार पोप फ्रांसिस भारत दौरे पर आएंगे। पीएम मोदी 87 वर्षीय पोप फ्रांसि के साथ गले मिले और हल्के-फुल्के अंदाज में बातचीत करते नजर आए। पोप फ्रांसिस को पीएम मोदी ने साल 2016 और 2021 में भी भारत आने का न्योता दिया था। मगर वह नहीं आए। इस बार भी पीएम मोदी ने इटली में जी7 शिखर सम्मेलन के इतर वेटिकन के चीफ पोप फ्रांसिस को भारत आने का न्योता दिया। अब देखने वाली बात है कि पोप फ्रांसिस आते हैं या नहीं, या फिर आते हैं तो कब। अगर वह आते हैं तो हिंदू बहुल राष्ट्र में उनकी यह पहली यात्रा होगी। दरअसल, पीएम मोदी और पोप फ्रांसिस ने इटली के अपुलिया में जी7 शिखर सम्मेलन के ‘आउटरीच सेशन’ में गर्मजोशी से मुलाकात की। पीएम मोदी ने कहा कि मैं लोगों की सेवा करने और हमारे ग्रह को बेहतर बनाने के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं। साथ ही उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया। वहीं, पोप फ्रांसिस ने भी न्योता स्वीकार कर लिया है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), ऊर्जा, अफ्रीका और भूमध्य सागर विषय पर ‘आउटरीच सेशन’ में अपने संबोधन में कहा कि एआई का बेहतर इस्तेमाल करना हममें से प्रत्येक पर निर्भर करता है। बता दें कि पीएम मोदी रोमन कैथोलिक चर्च के प्रमुख पोप फ्रांसिस से मिलने वाले भारत के पांचवें प्रधानमंत्री हैं।
गृह मंत्री शाह ले रहे हैं हाई लेवल मीटिंग
नई दिल्ली। हाल ही में जम्मू कश्मीर में आतंकियों के सक्रिय होने की घटनाएं सामने आने के बाद गृह मंत्रालय गंभीरता से विचार कर समस्या का समाधान निकालने में जुटा हुआ है। जिस तरह से आतंकवादियों ने वापस आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया, और घटनाओं के साथ ही जिस तरह से अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हैं उसे लेकर आज गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक चल रही है। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कर रहे हैं।
आंतकवादियों को सबक सिखाने मास्टर प्लान तैयार करने और उस पर काम करने को लेकर रविवार सुबह 11 बजे उच्च स्तरीय बैठक प्रारंभ हुई है। जानाकरी अनुसार बैठक में एलजी जम्मू कश्मीर, एनएसए अजीत डोभाल, गृह सचिव, आईबी चीफ़, रॉ चीफ, एनआईए डीजी, सभी अर्द्ध सैनिक बलों के डीजी, आर्मी और एयरफोर्स के बड़े अधिकारी समेत गृह मंत्रालय के अन्य प्रमुख अधिकारी उपस्थित हैं। इस बैठक के दौरान वर्तमान ख़ुफ़िया रिपोर्ट की जानकारी आईबी और रॉ चीफ़ द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री को दी जा रही है।
इसके साथ ही बैठक में पिछले कुछ दिनों से जम्मू रीजन में आई आतंकी घटनाओं में तेजी वाले मुद्दे पर चर्चा की जा रही है। सूत्रों की मानें तो जम्मू रीजन से आतंक को पूरी तरह से खत्म करने के लिए एक इंटीग्रेटेड प्लान बनाने पर जमीनी कार्य हो सकता है।
आतंकवादियों के सक्रिय होने और धमकियां मिलने के बाद कहा जा रहा है कि अमरनाथ यात्रा कड़ी सुरक्षा में संपन्न कराई जाएगी। इसके लिए आवश्यक कदम उठाने से लेकर तमाम तरह के साजो सामान पर भी विचार बैठक में किया जाएगा। यहां बतलाते चलें कि इस बैठक से पहले गृह मंत्री शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति को लेकर समीक्षा बैठक कर चुके हैं। इस बैठक में गृह मंत्रालय के अनेक अधिकारियों समेत जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी, सीआरपीएफ के आला अधिकारी और इंटेलिजेंस ग्रेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया लिया था।
मेरठ। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। चुनाव के नतीजे आने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री डा.संजीव बालियान और पूर्व विधायक संगीत सोम के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने राजनीति गरमा गई है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि चुनाव के बीच दोनों की खुली अदावत ने पश्चिम से पूरब तक पार्टी को नुकसान पहुंचाया। विवाद इतना बढ़ा की भाजपा के दिग्गज नेताओं को दखल देना पड़ा। जिसके चलते प्रदेश इकाई ने गोरखपुर क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष व एमएलसी डा. धर्मेंद्र सिंह को मुजफ्फरनगर की हार की समीक्षा का जिम्मा दिया है। जानकारी के मुताबिक दोनों नेताओं को चेतावनी दी गई है,इसके बाद भी नहीं माने तो बड़ा एक्शन हो सकता है।
लोकसभा चुनाव से पहले ही मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र अखाड़ा बन गया था। भाजपा के प्रत्याशी डा. संजीव बालियान का सरधना विधानसभा क्षेत्र में विरोध तेज होने लगा था, जिसके पीछे पूर्व विधायक संगीत सोम माने गए। चुनाव प्रचार अभियान के बीच भी दोनों के बीच जुबानी तीर चलते रहे। सीएम योगी ने दो बार बालियान और सोम को साथ बिठाया, लेकिन आपसी दूरी कम नहीं हुई। 19 अप्रैल को पहले चरण में मुजफ्फरनगर का चुनाव खत्म होने के बाद बालियान प्रचार के लिए अमेठी चले गए। चार जून को परिणाम आया तो बालियान समेत कई दिग्गजों की हार ने भाजपा को जोर का झटका दिया।
हाल ही में बालियान ने मुजफ्फरनगर में प्रेस वार्ता कर कहा था कि सोम ने सपा को खुलकर चुनाव लड़ाया था, जिसके बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया। इसके अगले दिन सोम ने प्रेस वार्ता कर बालियान को अपने घर में मिली हार की जिम्मेदारी लेने का परामर्श देते हुए संकेतों में आइना भी दिखाया।सोम की प्रेसवार्ता में एक पर्चा बंटा, जिसमें बालियान पर दर्जनों गंभीर आरोप लगाए गए थे। सोम ने भले ही पर्चे बांटने वाले को लेकर लालकुर्ती थाने में शिकायत दी हो, लेकिन बालियान खेमे ने इसमें पूर्व विधायक की मिलीभगत कहा। इसी बीच क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेंद्र शिशौदिया ने दोनों से बात कर उन्हें संयम बरतने के लिए कहा है।