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वैसे तो दशहरे पर रावण का पुतला दहन करने की परंपरा रही है लेकिन महाराष्ट्र के औरंगाबाद में कुछ परेशान पतियों ने सूर्पणखा का पुतला जलाकर इस पर्व को कुछ अलग अंदाज में मनाया। पत्नियों के सताए पतियों की संस्था ‘पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन’ के सदस्यों ने औरंगाबाद के पास करोली गांव में लंका नरेश रावण की बहन सूर्पणखा का पुतला जलाया जो रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक थी।

 

संस्था के संस्थापक भारत फुलारे ने कहा कि भारत में सभी कानून पुरुषों के खिलाफ और महिलाओं के पक्ष में हैं। महिलाएं छिटपुट विवादों पर भी अपने पति एवं ससुराल वालों को परेशान करने के लिए इन कानूनों का दुरुपयोग करती हैं।

हम पुरुषों के खिलाफ उत्पीड़न की निंदा करते हैं। एक सांकेतिक कदम के तौर पर ही हमारे संगठन ने बृहस्पतिवार शाम को दशहरा के मौके पर सूर्पणखा का पुतला जलाया। 
भारत फुलारे ने कहा कि वर्ष 2015 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो देश में आत्महत्या करने वाले विवाहितों में 74 फीसदी पुरुष ही थे। इसके साथ ही संस्था के कुछ सदस्यों ने देश में चल रहे ‘मीटू’ अभियान पर भी सवाल उठाए। 

छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा अध्यक्ष मायावती का चुनाव प्रचार अभियान अगले सप्ताह 25 अक्तूबर से शुरू होगा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में मायावती की 26 रैलियां होंगी। तेलंगाना में अभी बसपा प्रमुख के प्रचार अभियान को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बसपा प्रमुख ने पार्टी के राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ को राजस्थान और छत्तीसगढ़ और वीर सिंह को तेलंगाना में चुनाव अभियान का प्रभारी बनाया है। 

 मायावती के विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत राजस्थान से होगी। राजस्थान में वह 25 और 26 अक्तूबर और एक और दो नवंबर को हर दिन दो-दो रैली संबोधित करेंगी। 


इसके अलावा मध्य प्रदेश में मायावती की 12 जनसभाएं होंगी। इनकी शुरुआत दो नवंबर से होगी। रैलियों के स्थान और तारीख को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और सपा के साथ तालमेल नहीं हो पाने के कारण बसपा ने फिलहाल राज्य की सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

बता दें कि विधानसभा चुनावों की रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में मौजूद मायावती ने तीन राज्यों के लिए अपने प्रचार कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है।

छत्तीसगढ़ में मायावती की छह रैलियां होंगी। मायावती की पहली रैली चार नंवबर को होने के बाद वह 16 और 17 नवंबर को तीन जनसभाएं संबोधित करेंगी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से अलग हुए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की अगुवाई वाली जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) और भाकपा के साथ गठबंधन कर बसपा राज्य की 33 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। दो सीट पर भाकपा और 55 सीट पर जेसीसी लड़ेगी।

कराची. पाकिस्तान की सॉफ्टवेयर कंपनी क्रिएटिव किओस में काम करने वाली महिला को वर्कप्लेस पर हिजाब पहनने से रोका गया। कंपनी का कहना था कि वह ऐसा नहीं कर सकती तो नौकरी छोड़ दे। किसी मुस्लिम बहुल देश में हिजाब को लेकर आपत्ति का यह पहला मामला है। सोशल मीडिया पर मुद्दा उठने के बाद कंपनी के सीईओ ने माफी मांगी और अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
इस्लामिक बैंकों ने की नौकरी की पेशकश
पीड़ित महिला ने बताया, ‘‘एक मैनेजर ने मुझसे कहा कि अगर मैं नौकरी करना चाहती हूं तो मुझे हिजाब उतारना होगा। हिजाब पहनने से कंपनी की इमेज खराब हो रही है।’’ महिला का कहना है कि दो इस्लामिक बैंकों ने उसे नौकरी देने की पेशकश की है।
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर यह मामला गरमाया हुआ है। लोगों का कहना है कि क्रिएटिव किओस कंपनी के सीईओ जव्वाद कादिर को इस्तीफा देना चाहिए। हालांकि, कादिर ने इस घटना पर माफी मांग ली है।
कादिर ने कहा, ‘‘हमारे स्टाफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक साथी से अनैतिक व्यवहार करते हुए इस्तीफा मांगा। मैं इस मामले की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। साथी कर्मचारी को हुए मानसिक तनाव के कारण मैं शर्मिंदा हूं।’’
कादिर ने बताया कि पीड़ित महिला को अपना इस्तीफा वापस लेने और नौकरी जारी रखने के लिए कहा गया है। इसके अलावा संबंधित मैनेजर पर भी कार्रवाई की जा रही है।
कादिर ने कंपनी को ईमेल लिखा कि इस मामले में सिर्फ माफी मांगना बहुत कम है। वे सॉफ्टवेयर कंपनी के सीईओ के पद से इस्तीफा दे रहे हैं। इस ईमेल की कॉपी कादिर ने फेसबुक पर भी पोस्ट की है।

  • ट्रेन से कटकर मौतें होने का देश का सबसे बड़ा हादसा अमृतसर में शुक्रवार शाम हुआ था, 70 की मौत
  • दशहरा कमेटी ने पत्र लिखकर पुलिस से सुरक्षा बंदोबस्त करने को कहा था
  • अमरिंदर ने कहा- जांच आयोग चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपेगा, फिर तय होगी हादसे की जिम्मेदारी
  • सिद्धू ने हादसे को कुदरत का कहर बताया था, सीएम ने कहा- बयानों का गलत अर्थ ना निकालें

अमृतसर/नई दिल्ली. अमृतसर में दशहरा समारोह के दौरान हुए हादसे के 16 घंटे बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह अस्पताल में घायलों का हाल जानने पहुंचे। उन्होंने देरी से पहुचने पर सफाई दी। कहा- ''मैं इजरायल रवाना होने वाला था। हादसे के वक्त दिल्ली एयरपोर्ट पर था। वहां से लौटने में वक्त लग गया।'' मुख्यमंत्री ने जांच आयोग बनाने की घोषणा की। यह हादसे की जिम्मेदारी तय करने के लिए चार हफ्ते में रिपोर्ट सौंपेगा। इससे पहले रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, ‘‘हादसे में रेलवे की चूक नहीं है। रेलवे प्रशासन को इस तरह के आयोजन के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई थी।’’

 यह हादसा शुक्रवार शाम अमृतसर के जोड़ा बाजार में हुआ था। रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे लोग दो ट्रेनों की चपेट में आ गए थे। हादसे में 70 लोगों की मौत हुई है। हादसे के अगले दिन अमरिंदर सिंह शहर के सिविल अस्पताल में घायलों से मिले।

 अमरिंदर ने मीडिया से कहा, ‘‘सारे पंजाब और हिंदुस्तान की सहानुभुति आज मरने वालों के परिवारों के साथ है। चंडीगढ़ फ्लैग आज आधा झुका रहेगा। इस मामले में जांच जरूरी है। इसलिए हम कमिश्नर के नेतृत्व में मजिस्ट्रेट इंक्वायरी बैठा रहे हैं। जांच रिपोर्ट चार हफ्ते में मांगी गई है। केंद्र सरकार और रेलवे के अलावा हमारी अपनी जांच भी जारी रहेगी।’’

 बयानों के मायने न निकालें, सब दुखी हैं : पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर हादसे को कुदरत का प्रकोप बताया था। सिद्धू के बयान को जब पत्रकारों ने आपत्तिजनक बताया तो अमरिंदर ने कहा, ‘‘इस घटना से सब दुखी हैं। उनका कहने का अर्थ कुछ और था। यह समय किसी पर आरोप लगाने का नहीं, सबको साथ आकर इससे निपटने की जरूरत है।’’ 

 हादसे की जगह पर मोड़ था, ड्राइवर की चूक नहीं : सिन्हा

रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, ‘‘यह हादसा टाला जा सकता था, क्योंकि रेलवे ट्रैक के करीब इस तरह के आयोजन नहीं होने चाहिए। रेलवे फाटक से कुछ ही दूरी पर यह आयोजन हो रहा था। ट्रैक ऊंचाई पर था, इसलिए लोग वहां चढ़कर रावण दहन देख रहे थे। रावण दहन होते ही पटाखों की आवाज आई। तभी भगदड़ मची और लोग ट्रेनों की आवाज नहीं सुन पाए। ड्राइवर को पहले से निर्देश होते हैं कि कहां हॉर्न बजाना है, कहां पर रफ्तार कम करनी है। हादसे के वक्त शाम का समय था। लगभग 7 बज चुके थे। जहां हादसा हुआ, वहां एक मोड़ है। ड्राइवर कैसे देख पाता कि आगे क्या हो रहा है?’’

 नवजोत कौर से जुड़े सवाल पर सिन्हा ने कहा- राजनीति नहीं करना चाहता

सिन्हा से रावण दहन के कार्यक्रम में कांग्रेस नेता नवजोत कौर की मौजूदगी और हादसे के तुरंत बाद उनके वहां से चले जाने के आरोपों के बारे में भी पूछा गया। उन्होंने कहा कि मैं इस तरह के संवेदनशील मसलों पर राजनीति से जुड़े प्रश्न नहीं खड़े करना चाहता। स्थानीय लोग जानते हैं कि तथ्य क्या है।

5 जिम्मेदार

      आयोजक : कांग्रेस पार्षद विजय मदान के बेटे सौरभ मदान ने कार्यक्रम करवाया था। समिति का दावा है कि उसने अनुमति ली थी, लेकिन लिखित में कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाए।

  1. पुलिस : दशहरे को लेकर हाई अलर्ट था। यहां 4 हजार से ज्यादा की भीड़ पहुंचने वाली थी लेकिन पुलिस ने कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए। चंद पुलिस कर्मियों के सहारे पूरा आयोजन छोड़ दिया।
  2. नवजोत कौर : यहां आयोजन हर साल होता है। शुक्रवार को दहन का समय शाम 5:55 पर था, लेकिन मुख्य अतिथि डॉ. सिद्धू एक घंटे देरी से पहुंचीं। क्योंकि इससे पहले उन्होंने भीड़ देखने पीए को भेजा था। फिर भाषण देने लग गईं। ट्रेन का समय 6:50 था। दोनों ट्रेनें पांच मिनट लेट थीं। यदि समय पर रावण दहन होता तो सबकी जान बच सकती थी। हकीकत यह है कि रावण दहन के 29 सेकंड बाद वहां ट्रेनें आ गईं, जबकि नवजोत कौर दावा करती रहीं कि वे रावण दहन शुरू होते ही घर चली गई थीं।
  3. रेलवे : रेलवे व प्रशासन को पूरी जानकारी थी कि हर साल ट्रैक के किनारे रावण दहन होता है। इसके बाद भी कोई काॅशन नहीं जारी किया था, इसलिए ट्रेनें स्पीड से आईं। ब्रेक लगाने का भी समय नहीं था। गेटमैन भी अलर्ट नहीं था।
  4. सरकार : सूबे के कई जिलों में रेलवे ट्रैक के किनारे बड़े दशहरे के मेले लगते हैं। लुधियाना, संगरूर, मानसा और मोगा में रेलवे लाइन के किनारे रावण दहन होता है। सरकार ने कभी इसका कोई डेटा तैयार नहीं किया और न ही इन आयोजनों के लिए कोई अलग ग्राउंड की व्यवस्था की।

बॉलीवुड डेस्क. अमिताभ बच्चन ने गरीब किसानों की मदद करने का फैसला किया है। अमिताभ उत्तर प्रदेश के 850 किसानों के कर्ज चुकाने में मदद करेंगे। इसके लिए उन्हें करीब 5 करोड़ 50 लाख रुपए खर्च करने होंगे। बिग बी जिन किसानों का कर्ज चुकाने में सहायता करेंगे उनकी पहचान की जा चुकी है।

 

उत्तर प्रदेश के 850 किसानों की पहचान कर ली गई है और उनके साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा के लोन को चुकाने में उनकी मदद की जाएगी। किसानों की भलाई के लिए बैंकों से बात कर ली गई है।

अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा

 

मिलती है संतुष्टि : अमिताभ ने हाल ही में देश के लिए अपनी जान देने वाले 44 शहीदों के परिवार वालों की भी मदद की थी। अमिताभ ने अपने ब्लॉग में लिखा कि ऐसा करने पर उन्हें संतुष्टि मिलती है। बिग बी ने लिखा कि किसानों को आत्महत्या से बचाने के लिए 350 ऐसे किसानों का लोन चुकाया जा चुका है जो अपने कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ थे।

 

अजीत सिंह की भी करेंगे मदद : अमिताभ ने कहा कि वह में आए अजीत सिंह की भी मदद करेंगे। गौरतलब है कि अजीत सिंह जबरन वेश्यावृत्ति के धंधे में धकेली गई लड़कियों और महिलाओं को बचाने का काम करते हैं। इसके अलावा अमिताभ ने सरबानी रॉय की भी मदद करने को कहा है। सरवानी रॉय मानसिक तौर पर बीमार लोगों के काम कर रही हैं।

अमृतसर में 61 से ज्यादा लोगों के टुकड़े करने वाली दोनों गाड़ियों में न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम लगा था। अगर ड्राइवर थोड़ी भी सावधानी बरतते तो इतनी बड़ी संख्या में लोग न मरते। न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम, भारतीय रेलवे की नवीनतम तकनीक मानी जाती है। यह ब्रेक सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से ऑपरेट होता है। इसकी मदद से किसी भी इमर्जेंसी में गाड़ी को रोका जा सकता है। ब्रेक लगने के बाद हाईस्पीड में चल रही गाड़ी डेढ़ सौ मीटर दूरी पर रुक जाती है। 

 

न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत 

उत्तर रेलवे में गाड़ियों की स्पीड और ट्रैक क्षमता के विशेषज्ञ एक अधिकारी का कहना है कि न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम की खासियत यह है कि इनके इस्तेमाल से गाड़ी के डीरेलमेंट (यानी गाड़ी का पटरी से उतर जाना) की संभावना न के बराबर होती है। पहले गाड़ियों में वैक्यूम ब्रेक होते थे, जिसे लगाने के बाद गाड़ी साढ़े तीन सौ मीटर दूरी पर जाकर रूकती थी। इसमें कई बार गाड़ी के डीरेलमेंट होने का खतरा बना रहता था।

शुक्रवार की रात जोड़ा फाटक के निकट जब यह हादसा हुआ तो जालंधर-अमृतसर डीएमयू नम्बर 74643 की स्पीड सौ से अधिक थी। इस फाटक से ज्यादातर गाड़ियां 110 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गुजर सकती हैं। हादसे के वक्त दूसरी गाड़ी 13006 अमृतसर-हावड़ा एक्सप्रेस भी फुल स्पीड पर चल रही थी। 

ड्राइवर बरतते सावधानी तो नहीं जाती इतनी जान

रेलवे एक्सपर्ट केतन गोराडिया और आईएस शर्मा का कहना है कि दोनों गाड़ियों के लिए वहां पर कोई कॉशन नहीं लगा था, इसलिए वे फुल स्पीड पर थी। अहम बात यह है कि दोनों गाड़ियों के ड्राइवर अगर थोड़ी सी भी सावधानी बरतते तो हादसा इतना भीषण न होता।

अगर चालक 150-200 मीटर पहले न्यूमेटिक एयरब्रेक सिस्टम का इस्तेमाल करते तो रावण जलाए जाने वाले स्थल तक गाड़ी रुक सकती थी। दोनों गाड़ियों के ड्राइवरों में से किसी ने भी स्पीड कम नहीं की और न ही इमर्जेंसी ब्रेक लगाने का प्रयास किया, जबकि उन्हें ट्रैक के आसपास भीड़ दिखाई दे रही थी। 

ट्रेन ड्राइवर ने की यह दूसरी गलती

रेलवे एक्सपर्ट कहते हैं कि ट्रेन ड्राइवर ने दूसरी बड़ी गलती यह कर दी कि उन्होंने हादसे की सूचना अगले स्टेशन पर नहीं दी। पहले रेलवे में यही नियम था। अगर कोई ऐसा हादसा होता है और ड्राइवर को पता है तो वह अगले स्टेशन पर गाड़ी रोक कर उसकी सूचना देता था।

बाद में यह नियम बना कि अगर कोई छोटा-बड़ा हादसा होता है तो ट्रेन ड्राइवर और गार्ड तुरंत गाड़ी रोककर मौके पर जाएंगे। आरपीएफ को सूचना देंगे। अमृतसर ट्रेन हादसे में दोनों गाड़ियों के ड्राइवर लापरवाह दिखे हैं। उन्होंने नियम के मुताबिक अगले स्टेशन पर हादसे की सूचना नहीं दी।

एक्सपर्ट का कहना है कि इस मामले में ड्राइवर ने हादसे के बाद मौके पर गाड़ी न रोक कर सूझबूझ का परिचय दिया है। अगर वे ऐसा करते तो भीड़ गाड़ियों को आग के हवाले कर सकती थी। इससे बहुत से ट्रेन यात्रियों की जान खतरे में पड़ सकती थी, लेकिन उन्होंने अगले स्टेशन पर भी गाड़ी नहीं रोकी।

राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा कई मुश्किलों से जूझ रही है। सत्ता विरोधी रुझान से जूझ रही भाजपा को नई रणनीति बनाने पर मजबूर कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक इस बार भाजपा के मौजूदा 160 विधायकों में से करीब 80-90 विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो किसी भी पार्टी में मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जाने की यह सबसे बड़ी संख्या होगी।

 

बताया जा रहा है कि इस कदम के साथ पार्टी दूसरे राज्यों के विधायकों और भाजपा सांसदों को सख्त संदेश देना चाहती है कि अगर उनका परफॉर्मेंस सही नहीं रहा तो उनके टिकट भी कट सकते हैं। 

 

भाजपा के मौजूदा विधायकों और सांसदों का फीडबैक लगातार लिया जा रहा है। इसके अलावा नमो ऐप के जरिए भी इनका फीडबैक जमा किया जा रहा है। इस ऐप के जरिए लोग अपने विधायकों-सांसदों के बारे में सीधे पीएम मोदी को बता सकते हैं। 

युवा उम्मीदवारों को मिलेगा मौका

सूत्रों के मुताबिक सत्ता विरोधी लहर के मद्देनजर पार्टी पहली बार चुनाव मैदान में बड़ी संख्या में युवा उम्मीदवारों को खड़ा कर सकती है। इसके पीछे रणनीति ये है कि लंबे समय से पार्टी की सेवा कर रहे लोगों को मौका मिले और जनता के सामने उन्हें ज्यादा गुस्से का सामना भी न करना पड़े। क्योंकि मौजूदा विधायकों के खिलाफ जनता में गुस्सा नजर आ रहा है। 

हालिया तमाम सर्वे में बताया गया है कि इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आना तय है। भाजपा ने 2013 में प्रचंड बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी। लेकिन इस बार बाजी पलटती नजर आ रही है। भाजपा को सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ रहा है और कांग्रेस ने सचिन पायलट और अशोक गहलोत की अगुवाई में भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। 

बता दें कि राजस्थान 7 दिसंबर को मतदान होगा। राजस्थान में भाजपा ने साल 2013 में कांग्रेस को हराकर सत्ता छीनी थी। इस बार कांग्रेस वापसी की पुरजोर कोशिश में है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत पूरा जोर लगाए हुए हैं। वहीं, वसुंधरा राजे के सामने सरकार को बचाए रखने की बेहद कड़ी चुनौती है।  

छत्तीसगढ़ में वसूली के नाम से कुख्यात बदमाश को दून पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बदमाश दो दिन पहले ही यहां दून में छुपने आया था। आरोप है कि वह लोगों को पहले मोटे ब्याज पर कर्जा देता था और फिर डरा धमकाकर वसूली करता था। आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर छत्तीसगढ़ पुलिस अपने साथ ले गई है। 

 दून पुलिस के मुताबिक सोमवार को छत्तीसगढ़ की विलासपुर पुलिस ने वसूली के दून में मौजूद होने की सूचना दी थी। इस पर छत्तीसगढ़ के कुछ पुलिसकर्मी भी देहरादून पहुंचे, जिन्होंने दून पुलिस के साथ उसकी तलाश की। पता चला कि बदमाश कोतवाली क्षेत्र के एक होटल में ठहरा हुआ है। पुलिस ने होटल से वसूली को गिरफ्तार कर लिया।

वसूली का पूरा नाम बबला उर्फ अमित सिंह ठाकुर निवासी पारिजात एक्सटेंशन नेहरू नगर बिलासपुर है। पूछताछ में उसने बताया कि वह लोगों को मोटे ब्याज पर कर्ज देता है और बाद में डरा धमकाकर कर्ज वसूलता है। कर्ज वसूलने के लिए वह कई लोगों से मारपीट और जानलेवा हमले भी करा चुका है। उसके खिलाफ छत्तीसगढ़ कर्जा अधिनियम, जमीन की धोखाधड़ी समेत कई धाराओं में करीब सात मुकदमे दर्ज हैं।

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला में नक्सलियों ने बैनर और पोस्टर के जरिये चुनाव बहिष्कार करने का एलान किया है। इससे पहले भी नक्सल प्रभावित जिला बस्तर में भी माओवादियों ने ग्रामीणों को चुनाव बहिष्कार की घोषणा की थी। यहीं नहीं मतदान में शामिल होने वाले ग्रामीणों को जान से मारने की धमकी तक दी थी।

 

कांकेर जिला के पखांजुर क्षेत्र के बरदा मार्ग पर नक्सलियों ने बैनर लगाया है और पर्चे फेंके हैं। इनमें विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने को कहा गया है। नक्सलियों ने फेंके पर्चों में लिखा है कि भाजपा को मार भगाओ और जनताना सरकार को मजबूत बनाओं और इसका विस्तार करो। 

वैसे जब जब चुनाव नजदीक आता है नक्सली इस तरह से पर्चे फेंकते रहते हैं। कुछ दिनों पहले बस्तर जिला में ग्रामीणों ने बताया था कि नक्सलियों ने फरमान जारी किया है कि अगर किसी आदिवासी मतदाता के हाथ में चुनावी स्याही लगी मिलेगी तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा। 

बता दें कि छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 12 नवंबर को चुनाव होंगे। वहीं दूसरे चरण में 20 नवंबर को मतदान कराए जाएंगे। जिसमें बस्तर की 12 सीटों पर पहले चरण में 12 नवंबर को मतदान होना है। 

छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित बस्तर के लोग विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करना चाहते हैं। लेकिन नक्सलियों की धमकी के बाद चुनाव में लगाई जाने वाली स्याही नहीं लगवाना चाहते। वोटर जागरूकता अभियान के दौरान बस्तर के लोगों ने बीजापुर और सुकमा कलेक्टर को इस बारे में बताया था। 

अब कांकेर जिला में नक्सलियों की चुनाव बहिष्कार घोषणा के बाद निर्वाचन आयोग के लिए प्रथम चरण का चुनाव में सतर्कता बरतनी पड़ेगी। 

वोटिंग के बाद नक्सलियों का खौफ 

नक्सली मतदान के बाद गांव-गांव में घूमकर ग्रामीणों के हाथ देखते हैं। अगर किसी की अंगुली पर स्याही के निशान पाए गए तो उसे परेशान किया जाता है। चुनाव में मतदान करने पर हत्या तक करने के मामले सामने आए हैं। इसलिए ग्रामीण मतदान में हिस्सा नहीं लेते। 

बीते चुनावों में बस्तर के अंदरूनी जिले सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर में 100 से अधिक ऐसे बूथ सामने आए थे, जहां एक फीसदी से कम मतदान हुआ। 

दशहरा की धूम के बीच सरकारी अफसर से मैंने पूछा था कि कुल्लू के दशहरे में अंर्तराष्ट्रीय क्या है। उन्होंने मुझे अंग्रेज़ी में समझाया था कि हर साल हम दूसरे देशों के सांस्कृतिक दलों को बुलाते हैं जो यहां अपने लोकनृत्य प्रस्तुत करते हैं। लगा, यह शायद इसलिए कि इस आयोजन में ज्यादा विदेशी पर्यटक आएं। हमारी अपनी लोक संस्कृति व धरती में कम आकर्षण नहीं है। यहां तो सैंकड़ों बरस से दूसरे देशों से व्यापारी आते रहे व सांस्कृतिक कला सम्बंध भी उगते रहे। बात तो कहने, समझने की व सही प्रस्तुति की है। लगभग तीन सौ साठ बरस से मनाए जा रहे इस एतिहासिक, पारम्परिक उत्सव में अभी आन बान व शान सलामत है। दशहरे की परम्पराएं आज भी जीवंत हैं। हिमालय के बेटे हिमाचल की पहाड़ियों की गोद में बसे हर गांव का अपना देवता है। आज भी जब जब लोकउत्सव होते हैं तब तब आम जनता का अपने ईष्ट से मिलना होता है। कुल्लू की नयनाभिराम घाटी में आयोजित होने वाले कई लोकोत्सवों का सरताज है कुल्लू दशहरा। संसार व पूरे देश में दशहरा सम्पन्न हो जाने के बाद आरम्भ होता है यह लोकदेव समागम।

 

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