ईश्वर दुबे
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Bhilai
संतरे के छिलके का इस्तेमाल उसे सुखा कर पाउडर बनाने में किया जाता है। कई आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने के लिए लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। संतरे के छिलके में विटामिन की मात्रा गूदे की तुलना में 10 गुना ज्यादा होती है। अगर हम संतरे का छिलका खाते हैं तो हर 35 ग्राम पर 14% शरीर के लिए शुद्ध पोषक तत्व बन जाएगा। ऐसे में ये बात तो साफ है कि स्किन और आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ संतरे के छिलके सेहत के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद हैं। संतरे के छिलके को कैसे खाएं तो आपको बता दें कि इसके कई सारे ऑप्शन्स हैं। उनमें से संतरे के छिलके को खाने का सबसे आम तरीका चाय है।
संतरे के छिलके से कैसे बनाएं चाय- इसे बनाने के लिए संतरे के छिलके, पानी और शहद को लें। पानी को उबलने दें और जैसे ही यह उबलने लगे, आंच बंद करें। छिलकों को उबलते पानी में डालें और 10 मिनट के लिए पैन को ढककर रख दें। पानी को छान लें और इसे संतरे के शहद के साथ पीएं।
संतरे के छिलके के फायदे- संतरे के छिलके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में एक शक्तिशाली प्रभाव होता है। यह चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम को रोकता है और उसका इलाज करता है। इसी के साथ ये कब्ज के खिलाफ काम करता है। सेंट्रल नर्वस सिस्टम की शांत क्रिया में मदद करता है।इसी के साथ ये पाचन फ्लो में सुधार करता है। पेट की एसिडिटी से लड़ता है। यह एक बैकेटीरियल और फंगीसाइडर एजेंट की तरह काम करता है। इसी के साथ ये समय से पहले बुढ़ापा से लड़ता है और श्वसन रोगों को रोकता है और उनका इलाज करता है। ओरल हेल्थ में सुधार करता है खासतौर पर दांत। वजन कम करने के उद्देश्य से डाइट में मदद करता है। संतरे का छिलका किडनी की पथरी से लड़ने में मदद करता है। हड्डियों के स्वास्थ्य और ताकत में सुधार करता है।
कानपुर के आर्यनगर सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेई एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी शादी की 25वीं सालगिरह है। हमने भी सुंदरकांड का पाठ कराकर शादी की 25वीं सालगिरह मनाई है। हमने कहा कि मेरी पत्नी सुंदर है और मैं कांड करता रहता हूं। इसलिए सुंदरकांड करा रहा हूं।
उत्तर प्रदेश चुनाव का शोर अपने चरम पर है। वोट के लिए नेता किसी भी हद तक गुजरने को तैयार हैं। कानपुर के आर्यनगर सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेई ने एक ऐसा बयान दिया जो बहुत ही शर्मनाक है। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अभिताभ वाजपेई ने चुनाव प्रचार के दौरान सुंदरकांड और महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया। अमिताभ बाजपेई ने अपने इस बयान में अपनी पत्नी का भी जिक्र किया है। वाजपेई का विवादित वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। उनके बयान पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति भी जताई है।
मैं कांड करता रहता हूं
कानपुर के आर्यनगर सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक अमिताभ वाजपेई एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरी शादी की 25वीं सालगिरह है। हमने भी सुंदरकांड का पाठ कराकर शादी की 25वीं सालगिरह मनाई है। हमसे वो बोले की सुंदरकांड क्यों करा रहे हो? हमसे बोले शादी की 25वीं सालगिरह है जाओ पत्नी को घुमाओ-फिराओ। सुंदरकांड क्यों करा रहे हो। हमने कहा कि मेरी पत्नी सुंदर है और मैं कांड करता रहता हूं। इसलिए सुंदरकांड करा रहा हूं। सपा विधायक ने कहा कि वैसे पत्नी आपकी भी सुंदर है, ऐसा नहीं है। मैंने गौर से नहीं देखा है पर लोगों ने बताया है। मेरी पत्नी सुंदर है आप लोगों ने भी देखा होगा। घर-घर गई है, कई जगह पहुंचने वाली है। पर ठीक नजर से देखना भाई। क्योंकि मैं कांड करता रहता हूं।
इंटरनेट मीडिया में वायरल इस वीडियो को 22 हजार से अधिक लोग देख चुके हैं। इसमें 103 ने उसे रीट्वीट भी किया, जबकि 136 ने लाइक किया है। बाद में खुद सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें धर्मग्रन्थ का अपमान जैसी कोई बात नहीं है और यह बीजेपी वालों का प्रॉपेगैंडा है।
पेट को कई बीमारियों की जड़ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर आप वाकई स्वस्थ रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने पेट को साफ रखिए। लेकिन आजकल के गलत खानपान के कारण हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है। इसके कारण पेट फूलने की समस्या बहुत आम हो गई है। कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि हम अपनी भूख से कम भी खाएं तो भी कुछ देर में पेट फूलना शुरू हो जाता है। पेट गड़बड़ होने के कारण बेचैनी महसूस होती है और कोई काम ठीक तरीके से नहीं हो पाता। अगर आपके साथ भी ये परेशानी है, तो इन उपायों से आपको काफी मदद मिल सकती है।
ये हो सकते हैं कारण- अनहेल्दी फूड, खाना ठीक से न चबाकर खाना, अत्यधिक कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन, अधिक तेल और मसाले वाला भोजन करना, डिप्रेशन या तनाव, ऑक्सीजन की कमी, लंबे समय से दवाओं का सेवन करना, गैस और कब्ज की समस्या के कारण। इसके अलावा रोज रोज खाने के बाद पेट का फूलना किसी बीमारी का भी संकेत हो सकता है।
सामान्य उपाय
1. अगर आपको अक्सर पेट फूलने की समस्या रहती है। तो आपको रोजाना खाने से पहले ईसबगोल की भूसी और सेब के सिरके का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आप एक चम्मच ईसबगोल की भूसी में एक चम्मच सिरका मिक्स करें और इसमें पानी मिक्स कर दें। दोनों चीजों को मिलाकर खाने से आधे घंटे पहले पी लें।
2. खाना खाने के करीब 15 से 20 मिनट बाद आप आधा चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी से पी लें। अजवाइन शरीर में गैस की समस्या को दूर करती है। इससे आपको काफी राहत महसूस होगी।
3. खाना खाने के बाद हरी इलायची खाने की आदत डालें। इसे मुंह में रखकर टॉफी की तरह चबाएं। इससे आपके पेट को काफी आराम महसूस होता है और ब्लोटिंग की समस्या कंट्रोल होती है।
4. खाने के बाद 4 से 5 पुदीने के पत्तों को काले नमक के साथ चबाएं। इसके बाद एक या दो घूंट गुनगुना पानी पी लें। इससे भी पेट फूलने की समस्या में काफी आराम मिलता है।
पेट फूलने की समस्या अगर आपको रोज रोज होती है और इन उपायों से किसी तरह की राहत नहीं मिलती, तो आपको इसके बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। अगर ये किसी बीमारी का संकेत है, तो इसका सही तरीके से समय रहते इलाज किया जा सकेगा।
दही का सेवन सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा अच्छा होता है, यदि आप इसका रोजाना सेवन करते हैं तो ये कई बीमारियों को शरीर से दूर रखने में मदद करता है, वहीं ये इम्युनिटी को न केवल बूस्ट करता है बल्कि पेट से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों को भी शरीर से दूर रखता है जैसे कि कब्ज, पेट में दर्द एवं जलन आदि समस्याओं को। इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से हार्ट की सेहत भी स्वस्थ बनी रहती है इसलिए इसको रोजाना कि डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। दही का रोजाना सेवन किया जाए तो इससे कौन-कौन से लाभ शरीर को मिलते हैं।
1.स्ट्रेस को करता है दूर- आजकल कि लाइफस्टाइल ऐसी हो गई है कि व्यक्ति को किसी न किसी चीज की चिंता लगी ही रहती है, ऐसे में यदि आप स्ट्रेस को कम करना चाहते हैं तो दही का सेवन बहुत ही ज्यादा लाभदायक होता है, इसमें कई प्रकार के ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो स्ट्रेस को दूर कर देते हैं, इसलिए यदि आप स्ट्रेस को दूर करना चाहते हैं तो दही का सेवन आपको जरूर करना चाहिए, इसके रोजाना सेवन से स्ट्रेस के जैसी कई समस्याएं दूर होती चली जाती हैं।
2.दांतों की मजबूती के लिए- दही के रोजाना सेवन से दांतों को भरपूर मात्रा में कैल्शियम मिलता है, इसलिए इसका सेवन आपको जरूर करना चाहिए, इसको यदि आप रोजाना कि डाइट में शामिल करते हैं तो दांतों से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती चली जाती हैं, इसलिए यदि आप दांतों को मजबूत बना के रखना चाहते हैं तो इसका सेवन आपको जरूर करना चाहिए।
3.इम्युनिटी को करता है बूस्ट- यदि आप इम्युनिटी को बूस्ट करना चाहते हैं तो दही का सेवन बहुत ही ज्यादा फ़ायदेमन्द होता है, इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जैसे कि विटामिन्स, मिनरल्स, एंटी ऑक्सीडेंट्स आदि। इसके रोजाना सेवन से शरीर में गुड बक्टेरिया की मात्रा बहुत ही ज्यादा बढ़ जाती है वहीं ये शरीर से विषाक्त पदार्थों को आसानी से बाहर निकाल देता है। इसलिए इसका सेवन आपको रोजाना जरूर करना चाहिए।
4. दिल की सेहत के लिए- दिल की सेहत के लिए दही का सेवन बहुत ही ज्यादा अच्छा माना जाता है, इसके सेवन से आपकी दिल की सेहत स्वस्थ बनी रहती है, वहीं ये हार्ट अटैक, हार्ट ब्लॉकेज के जैसी कई समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है, इसलिए आपको इसका सेवन जरूर करना चाहिए।
5. वजन कम करने में करता है मदद- वजन को कंट्रोल में रखने कि सोंच रहे हैं तो इसका सेवन एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है, इसके सेवन से शरीर फूलने की समस्या दूर हो सकती है, वहीं ये पेट में जमी एक्स्ट्रा फैट की भी कम कर देता है, इसलिए यदि आप वेट को कंट्रोल करने कि सोंच रहे हैं तो दही का सेवन बहुत ही ज्यादा लाभदायक होता है।
सौंफ का उपयोग हर घरों में मसाले के रूप में किया जाता है। साथ ही सौंफ को माउथ फ्रेशनर भी कहते हैं। सौंफ में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है खाली पेट सौंफ का सेवन करने से आपके सेहत को कितना लाभ मिलता है। खाली पेट सौंफ खाना बेहद ही लाभदायक माना जाता है।
खाली पेट सौंफ खाने के फायदे
वजन होता है कम- अगर किसी का वजन काफी ज्यादा बढ़ गया है तो उसको खाली पेट सौंफ का सेवन करना चाहिए। सौंफ वजन कम करने में काफी फायदेमंद माना जाता है।
कब्ज की समस्या से छुटकारा- सौंफ में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो कब्ज की समस्या को दूर करता है। साथ ही खाना को अच्छी तरह से पचाता है। जिससे पेट संबंधी बीमारी नहीं होती है। इसलिए खाना खाने के बाद सौंफ का सेवन जरूर करना चाहिए।
हार्ट रहता है मजबूत- रोजाना खाली पेट सौंफ का सेवन करने से हार्ट संबंधी समस्या नहीं होती है। साथ ही कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कंट्रोल में रहता है। जिसकी वजह से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
कैंसर होने की संभावना कम- सौंफ में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है। जो कैंसर के खतरे को कम करता है। इसके लिए रोजाना सुबह खाली पेट सौंफ की चाय का सेवन जरूर करना चाहिए।
ब्लड प्रेशर रहता है कंट्रोल- सौंफ में मौजूदा पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। जिनको हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है। उनको सुबह खाली पेट सौंफ या सौंफ के पानी का सेवन जरूर करना चाहिए।
खून की कमी होती है दूर- सौंफ में आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो एनीमिया की शिकायत को दूर करता है। जिससे शरीर में खून की कमी नहीं होती है।
चेहरे पर आती है चमक- सौंफ के सेवन से चेहरे पर चमक आती है। साथ ही मुंहासों और दाग धब्बों की शिकायत दूर होती है। इसके लिए सुबह खाली पेट सौंफ या सौंफ के पानी का सेवन जरूर करना चाहिए।
हड्डियां होती हैं मजबूत- खाली पेट सौंफ के सेवन से हड्डियां मजबूत होती है। क्योंकि इसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा पाई जाती है। जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
रोड ट्रिप हो या फिर ऑफिस में मीटिंग, अक्सर इन मौकों पर लोग कई बार घंटों यूरिन रोककर बैठे रहते हैं। पर ऐसा करते हुए शायद ही उन्हें ये एहसास होता होगा कि वो अपनी सेहत को अनजाने में कितना बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। यूरिन रोकने से शरीर के कई अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ साइड इफेक्ट्स के बारे में।
हर व्यक्ति अपनी उम्र के अनुसार यूरिन रोकने की क्षमता रखता है। उदाहरण के लिए, छोटे बच्चों का ब्लैडर 1-2 घंटे ही पेशाब रोक पाता है। लेकिन जब वो थोड़े बड़े हो जाते हैं तो उनकी यूरिन रोकने की क्षमता बढ़कर 2-4 घंटे हो जाती है। वहीं एक व्यस्क व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा 6-8 घंटे यूरिन को होल्ड रख सकता है। ब्लैडर में यूरिन रोकने की क्षमता का अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि व्यक्ति को इतनी देर तक पेशाब रोककर रखना चाहिए। इससे ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। ब्लैडर में ज्यादा देर तक यूरिन होल्ड करने से व्यक्ति को सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
ज्यादा देर तक यूरिन रोकने से होने वाले नुकसान
यूरिन लीक की समस्या- यह समस्या उम्रदराज लोगों के साथ होती है जब वो यूरीन पर कंट्रोल नहीं रख पाते हैं। लेकिन नियमित रूप से पेशाब रोकने की वजह से भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऐसा इसलिए, नियमित रूप से पेशाब रोकने की वजह से ब्लैडर कमजोर पड़ना शुरू हो सकता है। जिसकी वजह से यूरीन लीकेज या पेशाब न रोक पाने की समस्या हो सकती है।
किडनी को नुकसान- यूरिन रोकने पर न सिर्फ किडनी पर प्रेशर बढ़ता है बल्कि उस पर स्कार भी बना सकता है जो भविष्य में किडनी संबंधी गंभीर बीमारियों की जड़ बन सकता है। कुछ स्टडीज में कहा गया है कि यूरिन रोकना किडनी स्टोन की वजह भी बन सकता है।
यूटीआई - यूटीआई महिलाओं में होने वाली आम समस्या है, जो कई कारणों से होती है, जिनमें से एक कारण पेशाब रोकना भी है। समय पर यूरिन नहीं करने से बैक्टीरिया को बढ़ने का मौका मिल जाता है, जो ब्लैडर के अंदर तक भी पहुंच सकता है। यह संक्रमण बढ़ने पर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।अगर आपको बार-बार यूटीआई की समस्या होती रहती है, तो समय पर पेशाब जाएं और आप पर्याप्त पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें।
ब्लैडर की स्ट्रेचिंग- नियमित रूप से लंबे समय तक पेशाब रोकने से ब्लैडर में स्ट्रेचिंग यानि मूत्राशय में खिंचाव हो सकता है। जिसकी वजह से यूरीन लीकेज की समस्या भी हो सकती है।
दर्द- ज्यादा देर यूरिन को रोकने पर ब्लैडर पर प्रेशर बढ़ता है जो दर्द का कारण बन सकता है। यह दर्द किडनी तक भी पहुंच सकता है।
यूरिनरी रिटेंशन- यूरिनरी रिटेंशन वह स्थिति है, जब आपका मूत्राशय पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता। इसमें आपको दर्द और असुविधा और पेशाब करने में परेशानी हो सकती है। इसके अलावा मूत्राशय पूरी तरह से खाली नहीं हो पाता है।
आजम खान के वकील कपिल सिब्बल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि हाई कोर्ट में कई महीने से याचिका लंबित है और सुनवाई नहीं हो पा रही है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेज दिया गया।
आज समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की अंतरिम जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आजम खान की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए आजम खान को जमानत देने से इनकार कर दिया है। चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए आजम खान की तरफ से अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। आजम खान के वकील कपिल सिब्बल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि हाई कोर्ट में कई महीने से याचिका लंबित है और सुनवाई नहीं हो पा रही है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट को भेज दिया गया और साथ ही हाई कोर्ट से कहा कि वह जल्द इस मामले को सुनने की कोशिश करे।गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अपनी याचिका में खान ने कहा था कि राज्य में 10 फरवरी से मार्च तक विधानसभा चुनावों के दौरान वो जेल में रहने की वजह से खुद के लिए और अपनी पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर सकते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में जवाब दिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने दावा किया कि उनकी सरकार में गरीबों के सशक्तिकरण के लिए काम किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि COVID19 एक महामारी है, मानव जाति ने पिछले 100 वर्षों में ऐसा संकट कभी नहीं देखा था। यह संकट अपना रूप बदलता है और लोगों के लिए परेशानी पैदा करता है, पूरा देश और दुनिया इसके खिलाफ लड़ रही है।
मोदी ने कहा कि हमारे युवाओं ने वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप्स की संख्या के मामले में भारत को टॉप-3 में पहुंचा दिया है, वह भी कोविड के दौरान। COP-26 से G20 तक, सामाजिक क्षेत्र से लेकर COVID के दौरान दुनिया भर के 150 देशों की सहायता करने तक, भारत ने नेतृत्व की भूमिका निभाई है और दुनिया ने हमारी भूमिका की सराहना की है। मोदी ने कहा कि COVID के दौरान 5 करोड़ ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ नल के पानी के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं - एक नया रिकॉर्ड है। लॉकडाउन के दौरान हमारे किसानों को उसकी सीमा से बाहर रखा गया। उन्होंने अभूतपूर्व संख्या में उत्पादन किया और हमने उनसे रिकॉर्ड स्तर पर खरीदारी की। COVID के दौरान, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को भी जारी रखा गया और पूरा किया गया।
सुबह जब हम लौंग खाते हैं। तो लौंग खाने से उसका अर्क जब आपके पेट में पहुंचता है। जो शरीर की कई समस्याओं को दूर कर आपको सेहतमंद बनाता है। क्योंकि लौंग में पर्याप्त मात्रा में पोटेशियम, सोडियम, विटामिन सी, विटामिन बी सहित कई तत्व पाए जाते हैं। इसलिए यह शरीर के लिए बहुत उपयोगी है।
पाचन तंत्र होगा स्ट्रांग- लौंग में पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है। जो पाचन तंत्र को मजबूत कर मल को बाहर निकालने में मदद करता है। सख्त माल को नरम भी बनाता है।इसलिए यह आपके पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। इससे पेट फूलना, गैस, उल्टी, अपचन आदि समस्या से भी निजात मिलती है।
दांतों के दर्द से मिलेगी निजात- लौंग में एनाल्जेसिक गुण होते हैं। इसको चबाने से दातों का दर्द कम हो जाता है। खाली पेट लौंग चबाने से मुंह में पैदा होने वाले सूक्ष्म जीव भी कम हो जाते हैं। यह एक तरह से माउथवॉश का काम करता है। मसूड़े में इंफेक्शन, दातों में दर्द की समस्या से भी राहत मिलती है।
हड्डियां होगी मजबूत- जिनकी हड्डियां कमजोर है। उन्हें सुबह उठ कर लौंग चबाना चाहिए । 2 लौंग रोजाना चबाने से आपको बहुत फायदा मिलेगा। क्योंकि लौंग के अंदर मैगनीज पाया जाता है। जो हड्डियों से संबंधित रोगों से भी निजात दिलाता है।
इम्युनिटी होगी स्ट्रांग- लौंग में विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। और यह एंटीऑक्सीडेंट का मुख्य स्रोत है। इसलिए इसका खाली पेट सेवन करने से यह आपकी इम्यूनिटी को भी स्ट्रांग करता है।
स्ट्रेस से मिलेगी निजात- लौंग में एंटीऑक्सीडेंट तत्व होते हैं। इस कारण यह आपको मानसिक थकान, स्ट्रेस, अनिद्रा आदि समस्याओं से भी राहत दिलाता है।
वजन करेगा कम- आप अगर रोजाना खाली पेट दो लौंग का सेवन करते हैं। तो यह आपका वजन कम करने में भी सहायक होता है। अगर आप रोजाना एक्सरसाइज या योग करते हैं। तो इससे पहले आप दो लौंग चबाएं। जिससे अतिरिक्त चर्बी कम होगी।
सर्दी खांसी से राहत- लौंग में पर्याप्त मात्रा में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो सर्दी खासी को कम करता है और यह शरीर के बलगम को मुंह के माध्यम से बाहर निकालने में मददगार होता है। इस प्रकार से सुबह सुबह खाली पेट दो लौंग चबाने से आपको कई फायदे होते हैं।
महान गायिका लता मंगेशकर का रविवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वह (लता मंगेशकर) अब नहीं रहीं। उनका सुबह निधन हो गया।’’ गायिका कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे।
महान गायिका लता मंगेशकर का रविवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उनकी छोटी बहन उषा मंगेशकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वह (लता मंगेशकर) अब नहीं रहीं। उनका सुबह निधन हो गया।’’ गायिका कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं और उन्हें बीमारी के मामूली लक्षण थे। उन्हें आठ जनवरी को ब्रीच कैंडी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर प्रतीत समदानी और उनकी टीम की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। मंगेशकर की हालत में सुधार हुआ था और वेंटिलेटर हटा दिया गया था, लेकिन शनिवार को उनका स्वास्थ्य फिर बिगड़ गया था।
संगीत की दुनिया की जान लता मंगेशकर
लता मंगेशकर क असली नाम हेमा था। उनका जन्म 28 सितंबर 1929 में हुआ था। उन्होंने अपने करियर में संगीत की दुनिया में वो मुकाम हासिल किया जहां तक न कोई पहुंच पाया है और शायद न ही पहुंचेगा। एक भारतीय पार्श्व गायिका और सामयिक संगीतकार लगा आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके गाने सदाबहार रहेंगे। उन्हें व्यापक रूप से भारत में सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था। सात दशकों के करियर में भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान ने उन्हें नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया और क्वीन ऑफ़ मेलोडी जैसी सम्मानजनक उपाधियाँ प्राप्त की हैं।
लता मंगेशकर ने 36 भाषाओं सहित अंग्रेजी गानों को भी अपनी आजाव दी
लता ने छत्तीस से अधिक भारतीय भाषाओं और कुछ विदेशी भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं, हालांकि उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी और मराठी में गाने गाये हैं। भारतीय सिनेमा की बेहतरीन गायिकाओं में शुमार लता ने 13 साल की उम्र में 1942 में अपने करियर की शुरूआत की थी। उन्होंने विभिन्न भारतीय भाषाओं में अब तक 30 हजार से अधिक गाने गाये हैं। सात दशक के अपने करियर में उन्होंने कई ऐसे गाने गाये हैं, जो आज भी लोगों के जेहन में हैं। इनमें ‘‘अजीब दास्तां है ये’ ‘प्यार किया तो डरना क्या’ और ‘नीला आसमां सो गया’ शामिल है। लता को भारत की ‘सुर साम्राज्ञी’ के नाम से जाना जाता है।
लता मंगेशकर की उपलब्धियां
लता मंगेशकर अपने पूरे करियर में कई सम्मान मिले हैं। 1989 में, दादा साहब फाल्के पुरस्कार उन्हें भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया था। 2001 में, राष्ट्र में उनके योगदान के सम्मान में, उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था और यह सम्मान प्राप्त करने के लिए एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी के बाद केवल दूसरी गायिका हैं। फ़्रांस ने उन्हें 2007 में अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, ऑफ़ द लीजन ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया। वह तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, 15 बंगाल फिल्म पत्रकार संघ पुरस्कार, चार फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व पुरस्कार, दो फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार और कई अन्य प्राप्तकर्ता हैं। 1974 में, वह लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय बनीं।
1940 के दशक में प्रारंभिक कैरियर
1942 में, जब लता 13 वर्ष की थीं, उनके पिता की हृदय रोग से मृत्यु हो गई। नवयुग चित्रपट फिल्म कंपनी के मालिक और मंगेशकर परिवार के करीबी दोस्त मास्टर विनायक (विनायक दामोदर कर्नाटकी) ने उनकी देखभाल की। उन्होंने लता को एक गायक और अभिनेत्री के रूप में अपना करियर शुरू करने में मदद की। लता ने "नाचू या गाड़े, खेलो सारी मणि हौस भारी" गाना गाया था, जिसे सदाशिवराव नेवरेकर ने वसंत जोगलेकर की मराठी फिल्म किती हसाल (1942) के लिए संगीतबद्ध किया था, लेकिन गीत को अंतिम कट से हटा दिया गया था। विनायक ने उन्हें नवयुग चित्रपट की मराठी फिल्म पहिली मंगला-गौर (1942) में एक छोटी भूमिका दी, जिसमें उन्होंने "नताली चैत्रची नवलई" गाया, जिसे दादा चंदेकर ने संगीतबद्ध किया था। मराठी फिल्म गजभाऊ (1943) के लिए उनका पहला हिंदी गाना "माता एक सपूत की दुनिया बदल दे तू" था।
मास्टर विनायक ने की थी लता मंगेशकर की देखभाल
लता 1945 में मुंबई चली गईं जब मास्टर विनायक की कंपनी ने अपना मुख्यालय वहां स्थानांतरित कर दिया। उन्होंने भिंडीबाजार घराने के उस्ताद अमन अली खान से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की। उन्होंने वसंत जोगलेकर की हिंदी भाषा की फिल्म आप की सेवा में (1946) के लिए "पा लगून कर जोरी" गाया, जिसे दत्ता दावजेकर ने संगीतबद्ध किया था। फिल्म में नृत्य रोहिणी भाटे ने किया था जो बाद में एक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना बनीं। लता और उनकी बहन आशा ने विनायक की पहली हिंदी भाषा की फिल्म बड़ी माँ (1945) में छोटी भूमिकाएँ निभाईं। उस फिल्म में, लता ने एक भजन भी गाया था, "माता तेरे चरणों में।" विनायक की दूसरी हिंदी भाषा की फिल्म, सुभद्रा (1946) की रिकॉर्डिंग के दौरान उनका संगीत निर्देशक वसंत देसाई से परिचय हुआ।
लता मंगेशकर का निधन
उनके चार भाई-बहन थे: मीना खादीकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और हृदयनाथ मंगेशकर - जिनमें से वह सबसे बड़ी थीं। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में कई दिनों के इलाज के बाद गायिका कोविड -19 से अपनी लड़ाई हार गई। उनकी मृत्यु 6 फरवरी, 2022 को सुबह 8:12 बजे हुई, जिसमें मृत्यु का कारण मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर था।
अदरक और इलायची की चाय बहुत ही पॉप्युलर है। सर्दियों में ज्यादातर लोग अदरक वाली चाय पीना पसंद है। वहीं, गर्मी के मौसम में इलायची वाली चाय खूब पी जाती है। आप अगर चाय के फैन है, तो आपको ठंड के मौसम में लौंग की चाय भी ट्राई करनी चाहिए। यह चाय स्वाद में ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। लौंग में अनेक प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, जिंक और कॉपर जैसे तत्वों से भरपूर होती है।
कैसे बनाएं लौंग की चाय- सबसे पहले लौंग को पीसकर पाउडर बना लें। एक पैन में एक गिलास पानी डालें और साथ ही लौंग का पाउडर भी डाल दे। पानी में उबाल आने तक रूकें। लगभग 3 से 5 मिनट बाद गैस को बंद कर दें और चाय को छान लें। चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें चीनी या गुड़ की जगह शहद भी डाल सकते हैं।
लौंग की चाय पीने के फायदे
1. लौंग में मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा पाई जाती है। साथ ही इसमें कैल्शियम भी होता है, इसलिए इसकी चाय पीने से दांतों में दर्द की समस्या नहीं होती।
2. लौंग की चाय पीने से मुंह की बदबू दूर होती है। साथ ही अगर आपके मसूड़ों से खून आता है, तो आपको रोजाना एक कप लौंग की चाय पीनी चाहिए।
3. लौंग की चाय पीने से आपको पेट की समस्या भी नहीं होती, अगर आपको लूज मोशन की दिक्कत है, तो भी आप अदरक की जगह लौंग की चाय पिएं।
लोगों को कैंसर के बारे में जागरुक करने और इस जानलेवा बीमारी से होने वाले मृत्यु के आंकड़ों को कम करने के लिए हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। साल 2020 में करीब एक करोड़ लोगों ने कैंसर की वजह से अपनी जान गंवाई। सबसे आम कैंसर स्तन, फेफड़े, कोलनरेक्टम और प्रोस्टेट हैं। कैंसर से होने वाली लगभग एक तिहाई मौतें तंबाकू के सेवन, उच्च बॉडी मास इंडेक्स, शराब का सेवन, कम फल और सब्जियों का सेवन और शारीरिक गतिविधि की कमी के कारण होती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में तीन तरह के कैंसर सबसे ज़्यादा देखे जाते हैं। इसमें मुंह, बच्चेदानी और स्तन कैंसर प्रमुख हैं।
कैंसर के प्रमुख कारण : तंबाकू खाना, शराब और सिगरेट पीना, इन्फेक्शन, मोटापा, सूरज की अल्ट्रा वायलेट किरणें इसके कारण हैं।
कैंसर के लक्षण : वज़न कम होना, बुखार, हड्डियों में दर्द, खांसी, मुंह से खून आना, शरीर में किसी स्थान पर गांठ होना, महिलाओं में माहवारी का बार-बार अनियमित होना, मुंह में छाले होना।
कैंसर का कोई इलाज नहीं है ?
कैंसर का इलाज है और अगर पहले स्टेज में इसका पता चल जाए तो पूरी तरह स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है।
कैंसर छूने से फैलता है ?
कैंसर छूने से फैलने वाली बीमारी नहीं है। ये एक इंसान से दूसरे इंसान को नहीं लगती। ऐसा सिर्फ ऑरगन या फिर टिशू ट्रांसप्लांट के केस में ही मुमकिन है।
डिओडरेंट लगाने से ब्रेस्ट कैंसर होता है?
अभी यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है कि डिओडरेंट्स स्तन कैंसर का कारण बन सकता है।
जितना ज़्यादा चीनी का सेवन होगा उतना ही ख़तरनाक रूप लेगा कैंसर ?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। कैंसर सेल्स के अलावा शरीर के अन्य सेल्स भी ताकत के लिए ग्लूकोज़ का ही इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि ज़्यादा ग्लूकोज़ या शुगर लेने से कैंसर सेल्स को ज़्यादा एनर्जी मिलने लगती है या वे तेज़ी से बढ़ने लगते हैं।
दाल हमारे घरों में बनने वाली ऐसी डिश है जिसे शायद रोज़ाना ही खाया जाता है। दोपहर में या रात के बोजन में हम सभी इसका सेवन करते हैं। प्रोटीन का बेहतर सोर्स होने के साथ-साथ दाल को लेकर बहुत से वेरिएशन्स भी किए जाते हैं। अलग-अलग दालों को मिलाकर भी पंचरत्न दाल बनाई जाती है। दक्षिण भारत में दाल को खाने का तरीका अलग है तो उत्तर भारत में दाल को खाने का तरीका बिलकुल ही अलग है।
लहसुन और हींग का फ्लेवर- अक्सर हम दाल के तड़के में ही लहसुन और हींग का फ्लेवर देते आए हैं, लेकिन अगर आप तेल या घी का इस्तेमाल नहीं करना चाहती हैं और डाइट कॉन्शियस दाल खाना चाहती हैं तो बिना इसके भी आप दाल में सभी हर्ब्स का फ्लेवर दे सकती हैं। इसके लिए आपको कुछ नहीं करना बस दाल पकाते समय ही आपको सारी चीज़ें एक साथ डालनी हैं हिंग के साथ।
खट्टी दाल में आएगा खाने का स्वाद- हींग और जीरे से फ्राई की हुई दाल तो आपने कई बार खाई होगी, लेकिन क्या सरसों और करीपत्ते से फ्राई की हुई खट्टी दाल का स्वाद चखा है? इसे खट्टा करने के लिए आप तड़का लगाते समय सूखी लाल मिर्च, सरसों के बीज (राई), करी पत्ते का तड़का लगाएं। आप चाहें तो इसमें सूखे मसाले भी इसी समय मिला दें। धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर आदि इसमें डाले जा सकते हैं। इसके बाद गैस को थोड़ा धीमा कर इसमें नींबू का रस या फिर इमली का पल्प मिला दें।
नारियल और शक्कर के साथ बनाएं दाल- इसमें दाल को पकाते समय ग्रेट किए हुए अदरक का इस्तेमाल भी किया जाता है। दाल को पानी, हल्दी, नमक और अदरक के साथ पकाएं और फिर इसमें थोड़ी सी शक्कर और फ्राई किया हुआ नारियल डालें। अब दाल के तड़के के लिए नारियल तेल में सरसों के बीज और लाल मिर्च का इस्तेमाल करें। इसे उबली हुई दाल को तड़के में डालें और बस आपका काम हो गया।
एलेन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने अंतरिक्ष में एक बड़ा खेल कर दिया है। जिससे एक बेकाबू रॉकेट की चांद पर भयंकर टक्कर होने वाली है और इस घटना का भारत का चंद्रयान-2 गवाह बनेगा।
आसमान में गहरे राज छुपे हुए हैं और इन्हीं रहस्यों को जानने के लिए भारत का इसरो, अमेरिका का नासा और साथ में जापान, रूस, चीन व न जाने कितने ही देश अपने-अपने स्तर पर अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को बाहर लाने के लिए महंगे और चुनौतीपूर्ण मिशन कर रहे हैं। इसी लिस्ट में विश्व के सबसे अमीर शख्स एलेन मस्क की स्पेस कंपनी स्पेस एक्स भी शामिल है। स्पेस एक्स भी मंगल और चांद समेत कई अभियानों को अंजाम देने वाली है और दे भी रही है। लेकिन एलेन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स ने अंतरिक्ष में एक बड़ा खेल कर दिया है। जिससे एक बेकाबू रॉकेट की चांद पर भयंकर टक्कर होने वाली है और इस घटना का भारत का चंद्रयान-2 गवाह बनेगा।
अंतरिक्ष में क्या होने वाला है?
फरवरी 2015 की जब एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने फॉल्कन 9 रॉकेट से पर्यावरण पर नजर रखने वाले सैटेलाइट को अंतरिक्ष में 15 लाख किलोमीटर दूर पहुंचाया था। उसके बाद से रॉकेट का ईंधन खत्म हो गया। तब यह से 4400 किलोग्राम वजनी रॉकेट बूस्टर अंतरिक्ष में घूम रहा था। अब यह उम्मीद लगाई जा रही है कि 4 मार्च 2022 को यह रॉकेट चांद की सतह से 9288 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टकराएगा। ये दावा नियर अर्थ ऑब्जेक्ट को ट्रैक करने वले बिल ग्रे ने किया है। 21 जनवरी को बिल ग्रे ने अपने ब्लॉग में लिखा की पांच जनवरी को एक स्पेस जंक चांद के बगल से गुजरा. जो 4 मार्च 2022 को चांद की सतह से टकरा सकता है।
क्या ऐसा पहली बार हो रहा है?
आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि चांद की सतह पर इंसानों द्वारा बनाया गया कोई रॉकेट टकरा रहा हो। इससे पहले भी सैटेलाइट चांद की सतह से टकरा चुके हैं। साल 2009 में अमेरिका का लूनर क्रेटर ऑब्जरवेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 9 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टकराया था।
रॉकेट के गिरने की तस्वीर खींच सकता है चंद्रयान-2
ग्रे के मुताबिक, चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे भारत के चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर फाल्कन 9 रॉकेट के गिरने की तस्वीर खींच सकते हैं। भारत ने चंद्रयान-2 मिशन को साल 2019 में सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इसे देश के अंतरिक्ष इतिहास की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा गया।