ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
+91 98278-13148
newscreation2017@gmail.com
Shop No f188 first floor akash ganga press complex
Bhilai
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के 40 वर्षीय व्यक्ति का घर सूखे तालाब और कब्रिस्तान पर बनाया गया है। शुरुआती जांच में एहसान मियां नामक व्यक्ति का दावा सही साबित हुआ है। अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, एहसान मियां ने बताया कि हम दो पीढ़ियों से इस घर में रह रहे हैं।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बन चुकी है। जिसके बाद योगी सरकार ने अवैध निर्माण पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए 'बुलडोजर' चलवाए हैं। इसी बीच खबर सामने आ रही है कि रामपुर जिले में एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने योगी सरकार से अपने अवैध घर को ध्वस्त करने का निवेदन किया है।
मेरे घर को करें ध्वस्त
आपको बता दें कि रामपुर जिले के 40 वर्षीय व्यक्ति का घर सूखे तालाब और कब्रिस्तान पर बनाया गया है। शुरुआती जांच में एहसान मियां नामक व्यक्ति का दावा सही साबित हुआ है। अंग्रेजी समाचार वेबसाइट 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक, एहसान मियां ने बताया कि हम दो पीढ़ियों से इस घर में रह रहे हैं। मैंने हाल ही में पाया कि वक्फ और सरकार की संपत्ति पर घर अवैध रूप से बनाया गया था।
उन्होंने कहा कि मैंने घर को ध्वस्त करने के लिए अर्जी दाखिल करने का फैसला किया और एसडीएम अशोक चौधरी से इसे ध्वस्त करने की अपील की। इस पर एसडीएम चौधरी का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि रामपुर जिले की तहसील शाहाबाद के अंतर्गत मित्रपुर एहरोला गांव में कई घर सूखे तालाबों और कब्रिस्तानों पर बने हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तमाम पाबंदियों को ख़त्म कर दिया गया है ऐसे में हमें स्थिति पर पैनी नज़र बनाए रखना ज़रूरी है। होली से पहले साप्ताहिक संक्रमण दर कुछ स्थानों पर 1 फीसदी से ऊपर थी,जिसमें होली के बाद गिरावट दर्ज की गई लेकिन अब फिर से संक्रमण दर बढ़ने लगी है।
नयी दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में गिरावट के बाद तमाम सरकारों ने प्रतिबंधों में ढील देना शुरू कर दिया। कुछ राज्य सरकारों ने तो महामारी एक्ट को भी वापस ले लिया। इसके अलावा मास्क वैकल्पिक बना दिया। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मास्क न लगाने पर चालान तो नहीं कटेगा लेकिन सार्वजनिक स्थान पर मास्क लगाने की विशेषज्ञों ने हिदायत दी है।
दिल्ली में साप्ताहिक संक्रमण दर में लगातार गिरावट दर्ज की गई थी। आलम ऐसा था कि मार्च के अंतिम सप्ताह तक संक्रमण दर एक फीसदी से भी नीचे आ गई थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में इज़ाफ़ा देखा गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की तमाम पाबंदियों को ख़त्म कर दिया गया है ऐसे में हमें स्थिति पर पैनी नज़र बनाए रखना ज़रूरी है। होली से पहले साप्ताहिक संक्रमण दर कुछ स्थानों पर 1 फीसदी से ऊपर थी,जिसमें होली के बाद गिरावट दर्ज की गई लेकिन अब फिर से संक्रमण दर बढ़ने लगी है। उदाहरण के लिए आपको बता दें कि साउथ दिल्ली में होली से पहले साप्ताहिक संक्रमण दर एक फ़ीसदी से ऊपर थी जो होली के बाद गिरकर 0.87 फ़ीसदी पर पहुंच गई थी, जो वापस एक फीसदी से ऊपर पहुंच गई है।
अधिकारियों का मानना है कि कोरोना की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। हालांकि उन्होंने माना की प्रतिबंध हटने की वजह से मामलों में कुछ इजाफा जरूर हुआ है लेकिन इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगा। आपको बता दें कि 31 मार्च को कोरोना के 113 मामले दर्ज किए गए जबकि एक अप्रैल को 100 से ज्यादा मामले आए थे। वहीं एक अप्रैल को कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 483 थी।
मामलों में गिरावट के बाद लिया गया फैसला
कोरोना के दैनिक मामलों में गिरावट दर्ज करने के बाद दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कि मास्क नहीं लगाने पर लोगों का चलान नहीं काटा जाएगा। हालांकि सरकार ने भी सार्वजनिक स्थानों पर मास्क को लगाने की अपील की है। आपको बता दें कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण जब पीक पर था तब मास्क नहीं लगाने पर 2000 रुपए का चलान काटा जाता था लेकिन मामले संभलने के बाद चलान की राशि में कटौती की गई थी और इसे 2000 से कम करके 500 रुपए निर्धारित किया गया था।
वज़न कम करने से लेकर कब्ज से राहत दिलाने तक सभी पाचन समस्याओं का रामबाण इलाज है कलौंजी। भोजन में एक अलग स्वाद जोड़ने से लेकर बाल, त्वचा और अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने तक, यह सब कर सकती है
कलौंजी एक ऐसा मसाला है, जो अक्सर किचन के किसी कोने में रखा रहता है। क्योंकि इसका इस्तेमाल रोजाना के खानपान में नहीं हो पता है। या तो यह आचारों में डलती है या फिर बालों में तेल चंपी करने में इस्तेमाल की जाती है। भोजन में एक अलग स्वाद जोड़ने से लेकर बाल, त्वचा और अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने तक, यह छोटा सा मसाला यह सब कर सकता है।
पारंपरिक रूप से विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए हर्बल दवा का उपयोग किया जाता रहा है। कलौंजी का प्रयोग यूनानी और आयुर्वेद जैसी पारंपरिक चिकित्सा में एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में किया जाता है।
हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की मांग अब उठने लगी है। इसी से जुड़ी एक याचिका पर जवाब देते हुए देश की सर्वोच्च अदालत को केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि राज्य सरकार की तरफ से भी अपने राज्यों में आबादी की पहचान कर उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है।
ये तो सभी जानते हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। जहां हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी सभी रहते हैं। हिन्दुओं को आबादी की वजह से बहुसंख्यक की श्रेणी में रखा गया है जबकि 14.23 वाले मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यक की श्रेणी में रखा गया है। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि भारत में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं तो आपको थोड़ा अजीब लगेगा। लेकिन ये सत्य भी है। भारत के करीब दस ऐसे राज्य हैं जहां हिन्दुओं की आबादी बेहद कम है। ऐसे में इन राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने की मांग अब उठने लगी है। इसी से जुड़ी एक याचिका पर जवाब देते हुए देश की सर्वोच्च अदालत को केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि राज्य सरकार की तरफ से भी अपने राज्यों में आबादी की पहचान कर उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस देश में अल्पसंख्यक कौन हैं और इसका निर्धारण कैसे होता है। सुप्रीम कोर्ट में कैसे हिन्दुओं को अल्पसंख्यक घोषित करने का मामला पहुंचा। केंद्र सरकार का इस पर क्या स्टैंड है?
किसने दायर की याचिका
अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने देश के विभिन्न राज्यों में अल्पसंख्यकों की पहचान के लिए दिशानिर्देश तय करने के निर्देश देने की मांग की है। उनकी यह दलील है कि देश के कम से कम 10 राज्यों में हिन्दू भी अल्पसंख्यक हैं, लेकिन उन्हें अल्पसंख्यकों की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि यहूदी, बहाई और हिंदू धर्म के अनुयायी जो लद्दाख, मिजोरम, लद्वाद्वीप, कश्मीर, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पंजाब और मणिपुर में वास्तविक अल्पसंख्यक हैं अपनी पसंद से शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और संचालन नहीं कर सकते, गलत है।
केंद्र सरकार का जवाब
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर करते हुए बताया कि चुनिंदा राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जा सकता है। केंद्र सरकार ने यह दलील अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दाखिल याचिका के जवाब में दी है, जिसमें उन्होंने अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है कि हिंदू, यहूदी, बहाई धर्म के अनुयायी उक्त राज्यों में अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना कर सकते हैं और उन्हें चला सकते हैं एवं राज्य के भीतर अल्पसंख्यक के रूप में उनकी पहचान से संबंधित मामलों पर राज्य स्तर पर विचार किया जा सकता है। मंत्रालय ने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य की सीमा में ‘यहूदियों’ को अल्पसंख्यक घोषित किया है जबकि कर्नाटक सरकार ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मराठी, तुलु, लमणी, हिंदी, कोंकणी और गुजराती भाषाओं को अपनी सीमा में अल्पसंख्यक अधिसूचित किया है।’
कहां-कहां हिन्दू अल्पसंख्यक
साल 2011 के जनगणना के मुताबिक, लक्ष्यद्वीप में हिन्दू 2.5% हैं, जबकि अल्पसंख्यक घोषित मुस्लिम 96.58%. जम्मू कश्मीर में 28.44% हिन्दू हैं, तो मुस्लिम 68.31%. मिजोरम में 2.75% हिन्दू हैं, लेकिन अल्पसंख्यक का दर्जा पाए ईसाई 87.16% से ज्यादा हैं। नागालैंड में हिन्दू 8.75% हैं और ईसाई 87.93% वहीं अगर बात करें मेघालय की तो यहां हिन्दुओं की संख्या 11.53% और ईसाई 74.59% हैं। अरूणाचल प्रदेश और मणिपुर में भी अल्पसंख्यक ईसाईयों की आबादी हिन्दुओं से काफी ज्यादा है। आबादी के हिसाब से पंजाब में भी हिन्दू कम हैं. यहां हिन्दू 38.4% हैं, जबकि सिख 57.69% हैं।
अल्पसंख्यक का दर्जा कैसे दिया जाता है
केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर 1993 को नेशनल कमिशन फॉर माइनॉरिटी एक्ट 1992 के तहत नोटिफिकेशन जारी किया था और इसके तहत पांच कम्युनिटी- मुस्लिम, क्रिश्चियन, सिख, बौद्ध और पारसी को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है। बाद में 2014 में जैन समुदाय को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है।
अल्पसंख्यक घोषित करने पर क्या सुविधाएं मिलती है?
भारतीय संविधान में आर्टिकल 29 और 30 में धार्मित और भाषाई अल्पंसख्यकों का जिक्र है और इसके साथ ही उन्हें कुछ अधिकार भी दिए गए हैं। भाषा, लिपि और संस्कृति को संरक्षित व सुरक्षित रखने के लिए उन्हें शैक्षणिक संस्थान खोलने का अधिकार है। इसका जिक्र आर्टिकल 350 ए में भी है। इसमें अल्पसंख्यक छात्रों को आरक्षण, धार्मिक कार्यों के लिए भी अल्पसंख्यकों को सब्सिडी, अल्पसंख्यकों के लिए प्रधानमंत्री के 15 सूत्रीय प्रोग्राम के तहत रोजगार पर कम दर पर लोन, हर साल 20 हजार अल्पसंख्यकों को टेक्निकल एजुकेशन में स्कॉलरशिप। केंद्र के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की तर्ज पर राज्यों में भी अल्पसंख्यक आयोग की शुरुआत हुई, लेकिन अभी भी देश के 15 से ज्यादा राज्य ऐसे हैं, जहाँ राज्य अल्पसंख्यक आयोग काम नहीं कर रहा है। इसी वजह से जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य में अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर भ्रम की स्थिति कायम है और जिस समुदाय को अल्पसंख्यक माना जाना चाहिए, उसके उलट लोगों को लाभ मिल रहा है।
आंध्र प्रदेश के चित्तूर में बस के घाटी में गिरने से कम से कम आठ की मौत हो गई है।हादसे का शिकार हुए सभी लोग अनंतपुरमू जिले के रहने वाले थे और रविवार सुबह एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए जा रहे थे।पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वाहन की तेज गति के कारण दुर्घटना हुई।
तिरुपति (आंध्र प्रदेश)।आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में भीषण सड़क दुर्घटना में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। पुलिस ने कहा कि घटना शनिवार देर रात की है। यात्री जिस निजी बस में यात्रा कर रहे थे, वह भाकरपेट के पास घाट रोड पर एक मोड़ से गुजरते वक्त नीचे घाटी में गिर गई। हादसे का शिकार हुए सभी लोग अनंतपुरमू जिले के रहने वाले थे और रविवार सुबह एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए जा रहे थे। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वाहन की तेज गति के कारण दुर्घटना हुई।अंधेरा होने के कारण बचाव अभियान में काफी समय लगा। तिरुपति नगर पुलिस अधीक्षक सीएच वी अप्पला नायडू और पुलिस कर्मियों की एक टीम मौके पर पहुंची और घायलों को रस्सियों की मदद से बाहर निकाला और उन्हें तिरुपति के आरयूआईए अस्पताल में भर्ती कराया। बाद में शवों को दुर्घटनास्थल से बाहर निकाला गया। आंध्र प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी, तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू और अन्य ने दुर्घटना पर दुख व्यक्त किया है।
गिलॉय एक ऐसी आयुर्वेदिक दवा है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य से जुड़ी कई स्थितियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसका उपयोग सदियों से होता आ रहा है, लेकिन पिछले दो सालों में कोविड महामारी के दौरान सेवन काफी बढ़ गया है। इसके प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुणों की वजह से, लोगों ने कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए गिलॉय को अपने आहार में शामिल करना शुरू कर दिया।
गिलॉय के सेवन के फायदे
गिलॉय एक भारतीय औषधी है, जो सेहत से जुड़े कई तरह के जादुई फायदों के लिए जाना जाता है। गिलोय एकमात्र ऐसी जड़ी बूटी है, जो शरीर के सभी हिस्सों तक पहुंच सकती है और मस्तिष्क, श्वसन प्रणाली, हृदय, त्वचा और अन्य जैसे विभिन्न अंगों से संबंधित विकार का इलाज करने में मदद कर सकती है। यह जड़ीबूटी एंटी-ऑक्सीडेंट्स भरपूर होती है, जो फ्री-रैडिकल्स से लड़ती है, टॉक्सिन्स को निकालती है और रक्त को साफ करती है। इसके लिए अलावा गिलॉय के सेवन से पाचन बेहतर होता है, श्वसन से जुड़ी दिक्कतें दूर होती हैं और तनाव और चिंता से कुछ राहत मिलती है।
क्या गिलॉय लीवर के लिए हानिकारक होता है?
इसमें कोई शक़ नहीं कि गिलॉय एक पॉवरफुल जड़ीबूटी है, लेकिन किसी भी अन्य जड़ीबूटी या दवा की तरह इसका ज़रूरत से ज़्यादा सेवन आपके लीवर सहित अन्य अंगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। सभी जड़ी बूटियों को यकृत में या यकृत के माध्यम से संसाधित किया जाता है, इसलिए वे यकृत के कामकाज को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए हमेशा एक आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही इसका सेवन करें। हालांकि, आयुर्वेद के हिसाब से गिलॉय लीवर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाता है।
गिलॉय का सेवन सुरक्षित तरीके से कैसे करें?
आयुर्वेद में गिलॉय को सुरक्षित ज़रूर माना गया है लेकिन इसे सीधे पीने की सलाह नहीं दी जाती है। अगर आप प्राकृतिक गिलॉय पी रहे हैं, तो इसे रोज़ाना 6 हफ्तों से ज़्यादा समय के लिए न पिएं।
, गिलॉय के पाउडर का काढ़ा बनाकर पीना सबसे बेस्ट तरीका है। एक बड़ा चम्मच गिलॉय पाउडर लें और उसे दो कप पानी में तब तक उबालें जब तक यह एक कप में न बदल जाए। आप इसे खाने के साथ आराम से पी सकते हैं।
दूसरा तरीका है गिलॉय पाउडर को शहद के साथ दिन में दो बार पिएं। संशमनी वटी के ज़रिए भी आप गिलॉय को डाइट में शामिल कर सकते हैं। लंच और डिनर करने के बाद दो टैबलेट्स खा लें। आयुष मंत्रालय 500 मिलीग्राम गिलोय को अर्क के रूप में या 1-3 ग्राम पाउडर को दिन में दो बार 15 दिन या एक महीने तक गर्म पानी के साथ सेवन करने की सलाह देता है। अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो बेहतर है कि खाने से पहले अपने डॉक्टर से मशवरा ज़रूर लें।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक स्तन, फेफड़े, बृहदान्त्र, मलाशय और प्रोस्टेट कैंसर के मामले सबसे आम हैं। हाल के वर्षों में स्किन कैंसर के मामले भी तेजी से रिपोर्ट किए जा रहे हैं। अगर समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो इससे रोगी की जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है। अध्ययनों में पाया गया है कि स्किन कैंसर के लक्षण त्वचा के अलावा आपकी आंखों में भी देखे जा सकते हैं। इसके आधार पर रोग का समय रहते आसानी से निदान किया जा सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि आंखों से कैंसर की पहचान कैसे की जा सकती है?
आंखें देती हैं कैंसर का संकेत
सामान्यतौर पर कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि को कैंसर का कारण माना जाता है। वहीं सूर्य की पराबैंगनी किरणों और रसायनों के अधिक संपर्क में रहने वाले लोगों में त्वचा कैंसर का जोखिम अधिक हो सकता है। लक्षणों के संदर्भ में, ज्यादातर लोगों में त्वचा के कैंसर की स्थिति में शरीर पर तिल जैसे निशान विकसित होने लगते हैं, जो समय के साथ गंभीर होते जाते हैं। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पाया है कि स्किन कैंसर के कुछ लक्षण पलकों और आंखों में भी देखे जा सकते हैं।
अध्ययन में क्या पता चला?
आंखों से स्किन कैंसर का पता लगाया जा सकता है। एक 47 वर्षीय महिला को दो सप्ताह से अधिक समय से आंखों में खुजली की समस्या थी। निदान के दौरान डॉक्टरों ने पाया कि उसकी पलक बाहर निकली हुई थी। इनपर भूरे रंग के पैच के साथ उभार देखा गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद महिला के पैलेब्रल कंजंक्टिवा में घातक स्किन कैंसर की समस्या का निदान किया।
आंखों में स्किन कैंसर के लक्षण
अनुसार आंखों में कुछ समस्याओं का लगातार बने रहना और ठीक न होना, आई मेलेनोमा का संकेत हो सकता है, जिसपर शीघ्रता से ध्यान देने की आवश्यकता है।
आंखों में असामान्य उभार, कुछ स्थितियों में इससे खून आना।
आंखों की त्वचा का खुरदुरा, पपड़ीदार होना, भूरे और लाल रंग के धब्बे दिखना।
चिकना, मोती नुमा सख्त और लाल रंग का उभार नजर आना।
आंखों में मांस बढ़ना।
आंखों में किसी तरह का घाव जो ठीक न हो रहा हो।
पलकों का गायब हो जाना।
हमारे घरों में रोजाना प्रयोग में लाए जाने वाले कई मसालों और औषधियों को आयुर्वेद में विशेष लाभप्रद बताया गया है। लौंग ऐसी ही एक औषधि है जो कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम कर सकती है। आयुर्वेद के अलावा मेडिकल साइंस में भी लौंग को बेहद फायदेमंद औषधि के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भोजन के स्वाद को बढ़ाने से लेकर कई तरह की दवाइयों के निर्माण तक के लिए इस कारगर औषधि को प्रयोग में लाया जाता रहा है। लौंग के औषधीय गुण इसे बेहद फायदेमंद बनाते हैं, लिवर और दांतों की समस्याओं के साथ रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर करने में भी लौंग को प्रयोग में लाकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
एंटीऑक्सिडेंट गुण
लौंग में कई महत्वपूर्ण विटामिन्स और खनिजों के साथ एंटीऑक्सिडेंट भी भरपूर मात्रा में मौजूद होती है। एंटीऑक्सिडेंट ऐसे यौगिक होते हैं जो ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं, जो कई तरह की क्रोनिक बीमारियों के जोखिम को बढ़ावा दे सकती है। अध्ययनों में लौंग में यूजेनॉल नामक एक यौगिक पाया गया है, जिसे प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में बहुत असरदार माना जाता है। टेस्ट-ट्यूब अध्ययन से पता चलता है कि यूजेनॉल मुक्त कणों के कारण होने वाले ऑक्सीडेटिव क्षति को विटामिन-ई की तुलना में पांच गुना अधिक प्रभावी ढंग से रोक सकता है, जिससे कैंसर जैसे गंभीर रोगों का खतरा कम हो जाता है।
बैक्टीरिया से बचाने में सहायक
लौंग में रोगाणुरोधी गुण पाए गए हैं, जिसका अर्थ है कि ये बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीवों के विकास को रोकने में मदद कर सकता है। टेस्ट-ट्यूब अध्ययन से पता चलता है कि लौंग के तेल में ई. कोलाई सहित कई अन्य बैक्टीरिया को मारने का गुण होता है। यह फूड पॉइजनिंग का कारण बनने वाले बैक्टीरिया से भी आपको सुरक्षित रखने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा लौंग के जीवाणुरोधी गुण मौखिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में भी मदद कर सकते हैं, जिससे दांतों-मसूड़े की बीमारी का जोखिम कम हो जाता है।
लिवर के लिए फायदेमंद
अध्ययनों से पता चलता है कि लौंग में पाए जाने वाले फायदेमंद यौगिक, लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। लौंग में पाया जाने वाला यूजेनॉल यौगिक लिवर की सेहत के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है। फैटी लिवर के शिकार चूहों को लौंग देकर उनमें लिवर के सूजन को कम करने में मदद मिली। एक अन्य पशु अध्ययन से पता चलता है कि लौंग में पाए जाने वाला यूजेनॉल यौगिक लिवर सिरोसिस या लिवर स्केरिंग के खतरे को भी कम करने में मदद कर सकता है।
एक व्यक्ति को पेड़ से बांधकर उसकी पत्नी से चार लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया है।पीडि़ता का आरोप है कि बगीचे में उसके पति को पेड़ से छह लोगों ने बांध दिया और चार लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। विजयवर्गीय ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज कर इस संबंध में दस लोगों को गिरफ्तार किया है।
मुजफ्फरनगर (उप्र)। मुजफ्फरनगर जिले में नई मंडी थाना क्षेत्र के एक गांव में एक व्यक्ति को पेड़ से बांधकर उसकी पत्नी के साथ चार लोगों द्वारा कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर दो नाबालिग समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।पुलिस अधीक्षक (नगर) अर्पित विजयवर्गीय ने बताया कि पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज कर दो नाबालिग समेत दस आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करायी है कि गत दिवस वह पति के साथ अपने मायके से अपनी ससुराल लौट रही थी, तभी दस लोगों ने रास्ते में उन्हें रोक लिया और वे उन्हें आम के बगीचे के पास ले गए। पीडि़ता का आरोप है कि बगीचे में उसके पति को पेड़ से छह लोगों ने बांध दिया और चार लोगों ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। विजयवर्गीय ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज कर इस संबंध में दस लोगों को गिरफ्तार किया है। एसएचओ पंकज पंत के मुताबिक पीड़िता का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष जल्द दर्ज कराया जाएगा।
बांग्लादेश में कट्टर पंथियों हिन्दू मंदिर को निशाना बनाया है। यहां के इस्कॉन मंदिर में 200 से अधिक कट्टर पंथियों ने हमला कर दिया। मंदिर में घुसे कट्टर पंथियों ने मंदिर में तोड़फोड़ करने के साथ ही लूटपाट भी की। बताया जा रहा है कि इस दौरान कई हिन्दू घायल हो गए।
बताया जा रहा है कि ढाका के वारी में 222 लाल मोहन साहा स्ट्रीट स्थित इस्कॉन मंदिर में गुरुवार शाम 7 बजे हमाला हुआ। मंदिर में हिन्दू पूर्णिमा उत्सव की तैयारी कर रहे थे। बताया जा रहा है कि यह हमला हाजी सैफीउल्लाह की अगुआई में हुआ। हिंसा के के दौरान मंदिर में काफी तोड़फोड़ की गई। वहीं कई हिन्दुओं के घायल होने की खबर है।
इस्कॉन मंदिर कोलकाता के वाइस प्रेसीडेंट राधारमन दास ने बताया कि बीती शाम जब श्रद्धालु गौर पूर्णिमा उत्सव की तैयारी कर रहे थे, 200 लोगों की भीड़ ने श्री राधाकांत मंदिर, ढाका के परिसर में प्रवेश किया और उन पर हमला किया। इस दौरान कुछ श्रद्धालुओं को चोटे आई हैं। सूचना के बाद मौके पर पुलिस पहुंची। लेकिन तब तक बदमाश भगाने में सफल रहे।
राधारमण दास ने कहा कि यह हमला गंभीर चिंता का विषय है। हम बांग्लादेश सरकार से सख्त कार्रवाई करने और देश में हिंदू अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि मंदिरों पर हमले रोकने में सरकार कारगर पहल करे और ऐसे लोगों को कड़ी सजा दी जाए।
बता दें पिछले साल भी बांग्लादेश के कोमिला शहर में नानूर दिघी झील के पास एक दुर्गा पूजा पंडाल में कथित रूप से कुरान को अपवित्र किए जाने की खबर फैलने के बाद हिंसा भड़कने के बाद कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले ढाका के टीपू सुल्तान रोड और चटगांव के कोतवाली में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई थीं।
मधुमेह और बिगड़े हुए ग्लूकोज का स्तर वयस्कों में अधिक पाया गया है, जबकि भारत में जागरुकता, उपचार और नियंत्रण का स्तर आज भी बेहद कम है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल सेंटर फॉर डिजीज इंफॉर्मेटिक्स बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी।
विश्व में अभी भी कोरोना के रोज लाखों मामले आ रहे हैं, लेकिन अब दुनिया ने डरना छोड़ दिया है। कई देशों ने इसकी जांच भी बंद कर दी है। मास्क की अनिवार्यता हटाई जा रही है साथ ही कुछ देश कोरोना रोगियों के लिए पांच दिन के आइसोलेशन को भी जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं। दो लहरों में भारी तबाही देख चुके भारत में तीसरी लहर अपेक्षाकृत कम घातक रही है। देश में आर्थिक गतिविधियां खुल चुकी हैं, कोरोना के खिलाफ टीकाकरण युद्धस्तर पर चल रहा है, लेकिन चौथी लहर को लेकर कुछ संशय बना हुआ है। इस मुद्दे पर प्रस्तुत है मदन जैड़ा की खास रिपोर्ट।
कुछ ही दिनों में होली का त्योहार दस्तक देने वाला है। ऐसे में होली के दिन हर घर में स्वादिष्ट व्यंजनों से भरी हुई टेबल नजर आने वाली है। आंखों में सामने जब लजीज व्यंजन रखे हुए हो तो किसी भी व्यक्ति को अपने मन पर काबू रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। खासतौर पर जब आपकी फेवरेट मिठाई या स्वीट डिश सामने रखी हुई हो, तो मन को कंट्रोल करना किसी के लिए भी थोड़ा मुश्किल होगा। तो अगर आप भी होली पर जमकर मस्ती और मिठाइयां खाने वाले हैं तो उसके बाद बॉडी को डिटॉक्स करना न भूलें।
क्या होता है बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन –
डिटॉक्सिफिकेशन का मतलब अपने शरीर को अंदर और बाहर से रिलैक्स, क्लीन्ज करने के साथ पोषण देना भी है। इस प्रकिया में शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर स्वस्थ पोषक तत्वों का सेवन करना शामिल होता है।गंदगी सिर्फ हमारे आसपास ही मौजूद नहीं होती है, बल्कि यह हमारे शरीर में भी होती है। इसके कारण ही कई प्रकार की बीमारियां जैसे- तनाव, अनिद्रा, कोल्ड एंड फ्लू, अपच, वजन बढ़ना आदि होने लगती हैं। समय रहते इनका उपचार न किया जाए, तो ये सामान्य बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं। शरीर की गंदगी को साफ करने के लिए डिटॉक्सिफिकेशन किया जाता है।
शरीर को डिटॉक्स करने के टिप्स-
गर्म पानी में नींबू का रस- शरीर को डिटॉक्स करने के लिए अपने दिन की शुरुआत सबसे पहले एक गिलास गर्म पानी से करें। इस पानी में नींबू का रस भी मिला लें। पानी और नींबू का यह कॉम्बिनेशन शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने में मदद करता है।
पर्याप्त मात्रा में पानी- पानी शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालकर पेट को साफ करने का काम करता है। इसके लिए आपको दिन भर में 2 लीटर पानी पीना चाहिए।
हरी सब्जियां खाएं- हरी सब्जियां खाने के आपने कई फायदे सुने होंगे लेकिन बात जब शरीर को डिटॉक्स करने की होती है तो आप ये हरी सब्जियां पकाकर नहीं बल्कि उबालकर खाएं। इससे शुगर और फैट कम करने में मदद मिलेगी।
मेडिटेशन- मेडिटेशन ना सिर्फ मन को शांत करके स्ट्रेस दूर करने का काम करता है बल्कि यह शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। मेडिटेशन करते समय लंबी और गहरी सांस लेते समय आपके शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है जिससे शरीर के सभी हिस्से सही तरीके से काम करते हैं।
कैफीन नहीं, ग्रीन टी- चाय या कॉफी जैसे कैफीन ड्रिंक्स, आपके शरीर को फायदा नहीं नुकसान ज्यादा पहुंचा सकते हैं। इनके हानिकारक दुष्प्रभावों से बचने के लिए आप ग्रीन टी पिएं। ग्रीन टी पाचन तंत्र को साफ करने के अलावा शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में भी मदद करती है। जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
फल खाएं- फलों में मौजूद विटामिन और मिनरल कोशिकाओं के निर्माण के लिए बहुत जरुरी होते हैं। इसके अलावा फलों में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से भी बचाते हैं। यही वजह है कि मिठाई खाने के बाद जमकर फल खाने चाहिए।
एक्सरसाइज- शरीर को डिटॉक्स करने के लिए अपने एक घंटे के वर्कआउट रूटीन में योग या रस्सी कूदने जैसे एक्सरसाइज शामिल करें।एक्सरसाइज का मतलब जिम जाना और भारी वजन उठाना या कार्डियो करना नहीं है। आप स्पीड वाकिंग, साइकिल चलाने या घर पर दस मिनट की बॉडीवेट एक्सरसाइज की तरह कुछ हल्के-फुल्के वर्कआउड कर सकते हैं।
पूरी नींद- अच्छी सेहत के लिए रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद लेना बेहद जरूरी है। जब हम सोते हैं तो हमारा दिमाग खुद को रिऑर्गनाइज और रिचार्ज करता है। साथ ही पूरे दिन में जमा हुए टॉक्सिन्स को भी रिमूव करता है। नींद बॉडी डिटॉक्सीफिकेशन के लिए बेहद जरुरी है।
एक नए अध्ययन से पता चला है कि अगर कोई व्यक्ति विभिन्न प्रकार के स्रोतों से प्रोटीन का सेवन करता है, तो उसमें उच्च रक्तचाप का जोखिम कम होता है। यह शोध चीन में करीब 12,200 वयस्कों पर किया गया। इससे पता चलता है कि विविध खाद्य स्रोतों से मध्यम मात्रा में प्रोटीन के साथ संतुलित आहार लेने से शुरुआती उच्च रक्तचाप को रोकने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन'अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
अमेरिका की लगभग आधी आबादी को उच्च रक्तचाप की बीमारी है। अध्ययन के लेखक जियानहुई किन ने कहा,उच्च रक्तचाप से लड़ने के लिए पोषण एक आसानी से सुलभ और प्रभावी उपाय हो सकता है। वसा और कार्बोहाइड्रेट के साथ, प्रोटीन तीन बुनियादी पोषकों में से एक है। उन्होंने कहा,खराब आहार गुणवत्ता और हृदय रोग के बढ़ते जोखिम के बीच एक मजबूत संबंध है।
अध्ययन लेखकों ने चीन में रहने वाले लगभग 12,200 वयस्कों के लिए स्वास्थ्य संबंधी जानकारी का विश्लेषण किया, जो 1997 से 2015 तक चीन स्वास्थ्य और पोषण सर्वेक्षण के सात दौरों में से कम से कम 2 का हिस्सा थे। प्रतिभागियों के प्रारंभिक सर्वेक्षण का उपयोग आधार रेखा के रूप में किया गया था, जबकि उनके अंतिम दौर के डेटा का उपयोग तुलना के लिए अनुवर्ती के रूप में किया गया था।
प्रतिभागियों की औसत आयु 41 वर्ष थी, और 47 प्रतिशत पुरुष थे। सर्वेक्षण में प्रतिभागियों को प्रोटीन के विभिन्न स्रोतों की संख्या के आधार पर एक प्रोटीन "विविधता स्कोर" दिया गया। विश्लेषण में पाया गया कि अलग-अलग प्रकार के स्रोतों से प्रोटीन की संतुलित मात्रा ग्रहण करने वाले प्रतिभागियों में उच्च रक्तचाप के जोखिम की संभावनाएं कम थीं।