ईश्वर दुबे
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रायपुर :
देश के प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल अपनी कर्मठता और दृढ़ इच्छाशक्ति से लौहपुरुष बने। आज़ादी के बाद के कठिन हालातों में उन्होंने अपनी सूझबूझ और फौलादी इरादों से 562 रियासतों का भारत में विलय कर अखंड भारत का निर्माण किया। किसानों के संघर्ष और स्वतंत्रता आंदोलन में उनका योगदान अमूल्य रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय एकता दिवस कार्यक्रम में यह बात कही। यह कार्यक्रम खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा रायपुर स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम में आयोजित किया गया।इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री एवं खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार मंत्री श्री गुरु खुशवंत साहेब तथा विधायक श्री राजेश मूणत उपस्थित थे।
अपनी कर्मठता और दृढ़ इच्छाशक्ति से लौहपुरुष बने सरदार पटेल : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर उनके महान योगदान का स्मरण करते हुए कहा कि “सरदार पटेल ने अपनी विराट सोच और अटूट इच्छाशक्ति से टुकड़ों में बंटी रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर अखंड भारत का निर्माण किया।” सरदार पटेल का जीवन राष्ट्र की एकता, अखंडता और समर्पण का प्रतीक है। उनकी 150वीं जयंती पर आज पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि गुजरात के केवड़िया में आयोजित राष्ट्रीय कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य को भी आमंत्रित किया गया है, जहाँ राज्य का विशेष स्टॉल भी लगाया गया है। उन्होंने कहा कि ‘रन फॉर यूनिटी’ केवल देश की एकता और अखंडता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह फिटनेस और सामूहिक ऊर्जा का भी संदेश देता है।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने राष्ट्रीय एकता दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि “सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की आज़ादी और किसानों के अधिकारों के लिए ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध कठोर संघर्ष किया।” उनके योगदान को रेखांकित करने के लिए ही उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की अवधारणा को साकार किया।
रायपुर :
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से मंत्रालय महानदी भवन स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय में अखिल भारतीय रामनामी महासभा के प्रतिनिधि मंडल ने सौजन्य भेंट की। उन्होंने सक्ती जिले के ग्राम नंदेली में 29 दिसंबर को आयोजित होने वाले रामनामी मेला एवं संत समागम में मुख्यमंत्री श्री साय को आमंत्रित किया।मुख्यमंत्री श्री साय ने आमंत्रण के लिए महासभा के पदाधिकारियों का आभार व्यक्त किया और उन्हें शुभकामनाएँ दीं।
इस अवसर पर अखिल भारतीय रामनामी महासभा की अध्यक्ष श्रीमती सेत बाई रामनामी, महासचिव श्री गुला राम रामनामी सहित रामनामी संप्रदाय से जुड़े अनेक सदस्य उपस्थित थे।
आदिवासी वीर नायकों को समर्पित देश का पहला डिजिटल संग्रहालय
रायपुर 31 अक्टूबर 2025/छत्तीसगढ़ की धरती पर 1 नवम्बर को इतिहास रचा जाएगा, जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर देश के पहले डिजिटल ट्राइबल म्यूज़ियम शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण करेंगे। यह भव्य संग्रहालय उन आदिवासी वीर नायकों को समर्पित है, जिन्होंने अंग्रेज़ी हुकूमत के विरुद्ध अपने प्राणों की आहुति दी और छत्तीसगढ़ की अस्मिता की रक्षा की।
आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापुंज हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में सोनाखान के ज़मींदार वीर नारायण सिंह ने फिरंगियों के विरुद्ध बिगुल फूंका था। उन्होंने अन्याय और शोषण के खिलाफ संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने शहीद वीर नारायण सिंह और अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले आदिवासी नायकों की स्मृतियों को सहेजने के उद्देश्य से नवा रायपुर में इस अद्वितीय संग्रहालय की स्थापना का निर्णय लिया।
50 करोड़ की लागत से बना अनूठा डिजिटल संग्रहालय
नवा रायपुर के सेक्टर-24 में लगभग 50 करोड़ रुपये की लागत से तैयार शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय देश का पहला डिजिटल संग्रहालय है। इसकी डिज़ाइन, अवधारणा और तकनीकी संरचना आधुनिकतम मानकों पर आधारित है। संग्रहालय में अत्याधुनिक वीएफएक्स टेक्नोलॉजी, प्रोजेक्शन सिस्टम, डिजिटल स्क्रीन, और मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन करने की सुविधा उपलब्ध है, जिससे आगंतुक हर कथा को डिजिटल माध्यम से अनुभव कर सकेंगे।
आदिवासी विद्रोहों की जीवंत कहानी – 14 सेक्टरों में सजा इतिहास
संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के प्रमुख आदिवासी आंदोलनों—हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान विद्रोह, झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह—की जीवंत झलक दिखाई जाएगी। इन ऐतिहासिक विद्रोहों को 14 सेक्टरों में विभाजित कर प्रस्तुत किया गया है, ताकि दर्शक हर संघर्ष और उसकी प्रेरक गाथा को समझ सकें।
संग्रहालय परिसर में शहीद वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक भी बनाया गया है। यह स्मारक न केवल श्रद्धांजलि का स्थल होगा, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगा। प्रवेश द्वार पर सरगुजा के कलाकारों द्वारा तैयार की गई सुंदर नक्काशीदार पैनलें लगाई गई हैं। वहीं परिसर में 1400 वर्ष पुराने साल, महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृतियाँ स्थापित की गई हैं, जिनकी पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानियाँ उकेरी गई हैं।
सुविधाओं से सुसज्जित आधुनिक परिसर
संग्रहालय में सेल्फी प्वाइंट, दिव्यांगजनों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष सुविधाएँ, ट्राइबल आर्ट से सजा फर्श, और भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। ये सभी तत्व संग्रहालय को एक जीवंत सांस्कृतिक और भावनात्मक अनुभव का केंद्र बनाते हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की परंपरा की शुरुआत की थी। उन्होंने आदिवासी समाज को मुख्यधारा में लाने के लिए देश का सबसे बड़ा अभियान पीएम जनमन और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना प्रारंभ की। इन पहलों के अंतर्गत आदिवासी इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक सह‑जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संग्रहालय का लोकार्पण छत्तीसगढ़ की रजत जयंती वर्ष के एक ऐसे क्षण के रूप में दर्ज होगा जो इतिहास, परंपरा और आधुनिकता को एक सूत्र में पिरो देगा।
रायपुर :
उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव के मुख्य आतिथ्यि में आज नगर पालिका कुम्हारी में 16 करोड़ 30 लाख 51 हजार रुपए की लागत के निर्माण कार्यों का लोकार्पण एवं भूमिपूजन संपन्न हुआ। इनमें वार्ड क्रमांक 15 में 30 लाख रूपए की लागत से अटल परिसर निर्माण कार्य, 5 करोड़ 32 लाख 68 हजार रूपए के लागत सेे जंजगिरी तालाब का सौंदर्यीकरण एवं अन्य विकास कार्य, 16 लाख 92 हजार रुपए की लागत से वार्ड क्रमांक 13 जी.ई.रोड कुम्हारी टोल प्लाजा के पास आकांक्षीय शौचालय निर्माण कार्य, 03 करोड़ 01 लाख 21 हजार रूपए की लागत से नगर पालिका कुम्हारी क्षेत्रांतर्गत विभिन्न वार्डों में सी.सी. रोड एवं बी.टी. रोड निर्माण कार्य, 01 करोड़ 67 लाख 72 हजार रूपए की लागत से नगर पालिका कुम्हारी क्षेत्रातंर्गत विभिन्न वार्डों में आर.सी.सी. नाली निर्माण कार्य, 01 करोड़ 16 लाख 14 हजार रूपए की लागत से नगर पालिका कुम्हारी क्षेत्रातंर्गत पेवर ब्लाक, चबूतरा, शेड, सामुदायिक भवन निर्माण कार्य का लोकार्पण तथा 04 करोड़ 65 लाख 84 हजार रूपए की लागत से स्वर्गीय श्रीमती बिन्देश्वरी बघेल शासकीय महाविद्यालय भवन का भूमिपूजन शामिल है। उन्होंने महाविद्यालय भवन बाउण्ड्रीवॉल हेतु 30 लाख रूपए की घोषणा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता सांसद श्री विजय बघेल ने की।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव ने कहा कि आज नगर पालिका कुम्हारी के अंतर्गत 11 करोड़ 64 लाख रुपए लागत के विभिन्न विकास कार्यों का लोकार्पण किया गया है। साथ ही 04 करोड़ 65 लाख लागत के स्वर्गीय श्रीमती बिन्देश्वरी बघेल शासकीय महाविद्यालय भवन का भूमिपूजन भी संपन्न हुआ है। उन्होंने भूमिपूजन का महत्व बताते हुए कहा कि भूमिपूजन के माध्यम से हम धरती माता से क्षमा याचना करते हैं। निर्माण कार्य के दौरान अनेकों जीव-जन्तु मारे जाते हैं, उनकी आत्मा की शांति के लिए भूमिपूजन किया जाता है।
इसके अलावा स्थान छोड़कर जाने वाले जीव-जन्तु के लिए प्रार्थना करते हैं। उन्होंने कहा कि धरती का भार शेषनाग ने उठाया है, इसके लिए भी हम प्रार्थना करते हैं। साथ ही भवन का निर्माण वास्तुशास्त्र के अनुरूप हो, इसके लिए भी भूमिपूजन के माध्यम से कामना की जाती है। उन्होंने कहा कि महाविद्यालय परिवार के लिए यह खुशी की बात है कि आज स्वयं के भवन का निर्माण होने जा रहा है। प्रदेश सरकार विद्यार्थियों का भविष्य गढ़ने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रयास कर रही है। श्री साव ने उम्मीद जताई कि महाविद्यालय भवन निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण होगा और विद्यार्थियों को नये भवन में विद्या अध्ययन करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने सांसद श्री विजय बघेल एवं महाविद्यालय की प्राचार्य की मांग का जिक्र करते हुए महाविद्यालय भवन के बाउण्ड्रीवॉल निर्माण कार्य के लिए 30 लाख रूपए की घोषणा किया।
रायपुर :
राज्यपाल श्री रमेन डेका और राज्य की प्रथम महिला श्रीमती रानी डेका काकोटी ने आज महाकालीबाड़ी विश्वनाथ मंदिर पंडरी रायपुर में माता जगतधात्री की पूजा-अर्चना कर आर्शीवाद लिया और प्रदेश के सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की ।
इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री दिप्तेश चटर्जी एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं के एक दल ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस दल ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) में स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोला, जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है। टीम ने यह चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की — वह भी आल्पाइन शैली में, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है।
यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में आयोजित हुआ, जिसका आयोजन जशपुर प्रशासन ने पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से किया। इस अभियान को हीरा ग्रुप सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त हुआ।
यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दल के पाँचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय की ऊँचाइयों तक पहुँचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो जशपुर प्रशासन द्वारा विकसित भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर खेलों के लिए समर्पित प्रशिक्षण क्षेत्र है। विश्वस्तरीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जोड़ा, जिनमें बिलासपुर के पर्वतारोही एवं मार्गदर्शक स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे शामिल रहे। इन तीनों ने मिलकर तकनीकी, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से युवाओं को तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। दो महीनों की कठोर तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पूरी की।
अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि जगतसुख पीक का यह मार्ग नए पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत कठिन और तकनीकी था। मौसम चुनौतीपूर्ण था, दृश्यता सीमित थी और ग्लेशियरों में छिपी दरारें बार-बार बाधा बन रही थीं। इसके बावजूद टीम ने बिना फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के यह चढ़ाई पूरी की — यही असली आल्पाइन शैली है। यह अभियान व्यावसायिक पर्वतारोहण से अलग था, जहाँ पहले से तय मार्ग और सहायक दल पर निर्भरता होती है; इस दल ने पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हुए नई मिसाल कायम की।
अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली। स्पेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही टोती वेल्स, जो इस अभियान की तकनीकी कोर टीम का हिस्सा थे और स्पेन के पूर्व वर्ल्ड कप कोच रह चुके हैं, ने कहा कि “इन युवाओं ने, जिन्होंने जीवन में कभी बर्फ नहीं देखी थी, हिमालय में नया मार्ग खोला है। यह साबित करता है कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये पर्वतारोही विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।”
“विष्णु देव रूट” के अलावा दल ने दूहंगन घाटी में सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोले। इनमें सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही एक अनक्लाइम्ब्ड (पहले कभी न चढ़ी गई) 5,350 मीटर ऊँची चोटी की सफल चढ़ाई, जिसे टीम ने ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया। इस पर चढ़ाई के मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ नाम दिया गया — जो हल्दी का वैज्ञानिक नाम है और भारतीय परंपरा में सहनशक्ति और उपचार का प्रतीक माना जाता है।
रायपुर :
छत्तीसगढ राज्य स्थापना के समय 16 जिलों में से 09 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 04 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यालय संचालित है। वर्तमान में राज्य के समस्त 33 जिलों में श्रम कार्यालय तथा 10 जिलों में औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा तथा वर्ष 2008 से रायपुर में इंडस्ट्रीयल हाईजिन लैब का राज्य स्तरीय कार्यालय प्रारंभ किया गया है। राज्य स्थापना के बाद से वर्ष 2008 में छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल तथा वर्ष 2011 में छत्तीसगढ़ असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल का गठन किया गया है। उक्त मण्डलों में श्रमिकों के पंजीयन, नवीनीकरण तथा विभिन्न योजनाओं में आवेदन विभागीय पोर्टल/श्रमेव जयते मोबाईल ऐप के माध्यम से ऑनलाईन करने की सुविधा दी गयी है तथा विभिन्न योजनाओं में डी०बी०टी के माध्यम से श्रमिकों को लाभान्वित किया जा रहा है।
रायपुर :
छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत महोत्सव में देश एवं प्रदेश के प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। एक नवम्बर से 5 नवम्बर तक मुख्यमंच के अलावा शिल्पग्राम मंच पर भी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। राज्योत्सव में इस बार छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय कलाकारों के साथ ही देश के जाने-माने कलाकार, श्री हंशराज रघुवंशी, श्री आदित्य नारायण, श्री अंकित तिवारी, श्री कैलाश खेर, सुश्री भूमि त्रिवेदी अपनी शानदार प्रस्तुति देंगे।
राज्योत्सव के शुभारंभ अवसर पर नवा रायपुर के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाणिज्य एवं व्यापार परिसर में बनाये गए मुख्यमंच से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत सुबह 11 बजे सुश्री ऐश्वर्या पंडित के गायन से होगी। इसके बाद श्री पीसी लाल यादव, सुश्री आरू साहू, श्री दुष्यंत हरमुख, श्रीमती निर्मला ठाकुर तथा शाम 8 बजे राष्ट्रीय कलाकार श्री हंशराज रघुवंशी की प्रस्तुति होगी। इसी प्रकार 2 नवम्बर को सुप्रसिद्ध पार्श्व गायक श्री आदित्य नारायण प्रमुख आकर्षण के केन्द्र होंगे। उनके द्वारा गीतों की प्रस्तुति रात्रि 9 बजे से दी जाएगी। इस दिन सांस्कृति कार्यक्रमों की शुरूआत शाम 6.30 बजे से होगी। सबसे पहले श्री सुनील तिवारी, सुश्री जयश्री नायर चिन्हारी द गर्ल बैंड, पद्मश्री डोमार सिंह कंवर नाचा दल का कार्यक्रम होगा।
इसी प्रकार 3 नवम्बर को पार्श्व गायिका सुश्री भूमि त्रिवेदी रात्रि 9 बजे से प्रस्तुति देंगी। इस दिन सांस्कृति संध्या में शाम 6 बजे से पद्मश्री उषा बारले पण्डवानी, श्री राकेश शर्मा सूफी-भजन गायन, श्री कुलेश्वर ताम्रकार लोकमंच की प्रस्तुति होगी तथा 4 नवम्बर को रात्रि 9 बजे पार्श्व गायक श्री अंकित तिवारी प्रस्तुति देंगे। इस दिन शाम 6 बजे कला केन्द्र रायपुर बैण्ड, श्रीमती रेखा देवार की लोकगीत, श्री प्रकाश अवस्थी की प्रस्तुति होगी। इसी प्रकार 5 नवम्बर को रात्रि 9 बजे पार्श्व गायक श्री कैलाश खेर अपनी प्रस्तुति देंगे। सांस्कृतिक संध्या में शाम 6 बजे से श्रीमती पूनम विराट तिवारी, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का कार्यक्रम होगा।
शिल्पग्राम मंच की प्रस्तुतियां-
शिल्पग्राम मंच में 1 नवम्बर को श्री मोहम्मद अनस पियानो वादन, श्रीमती बासंती वैष्णव द्वारा कत्थक, सुश्री रमादत्त जोशी और श्रीमती सोनाली सेन का गायन, सुश्री स्वीटी पगारिया कत्थक, श्री मंगलूराम यादव की बांसगीत, सुश्री चारूलता देशमुख भारत नाट्य, श्री दुष्यंत द्विवेदी की पण्डवानी, श्री लोकेश साहू की भजन, श्रीमती बॉबी मंडल की लोक संगीत तथा श्री चन्द्रभूषण वर्मा लोकमंच की प्रस्तुति होगी।
2 नवम्बर को श्रीमती रेखा जलक्षत्रीय की भरथरी, श्री ईकबाल ओबेराय की म्यूजिक ग्रुप, श्री बसंतबीर उपाध्याय मानस बैंड, संश्री दीपाली पाण्डेय की कत्थक, श्री लिलेश्वर सिंहा की लोक संगीत, सुश्री अंविता विश्वकर्मा भारतनाट्यम, सुश्री आशिका सिंघल कत्थक, श्री प्रांजल राजपूत भरथरी, सुश्री प्रसिद्धि सिंहा कत्थक, श्री जीवनदास मानिकपुरी लोकमंच एवं श्री जितेन्द्र कुमार साहू सोनहा बादर की प्रस्तुति होगी।
3 नवम्बर को श्री सुरेश ठाकुर भजन, डॉ. आरती सिंह कत्थक, श्रीमती राखी राय भरतनाट्यम, श्री पुसउराम बंजारे पण्डवानी, सुश्री इशिका गिरी कत्थक, श्री गिरवर सिंह ध्रुव भंुजिया नृत्य, सुश्री राधिका शर्मा कत्थक, श्रीमती शांतिबाई चेलक पण्डवानी, श्री दुष्यंतकुमार दुबे सुआ नृत्य, श्रीमती गंगाबाई मानिकपुरी पण्डवानी, सुश्री संगीता कापसे शास्त्रीय नृत्य, श्री महेन्द्र चौहान की चौहान एव बैंड तथा श्री घनश्याम महानंद फ्यूजन बैंड की प्रस्तुति होगी।
4 नवम्बर को सुश्री भुमिसूता मिश्रा ओडिसी, श्री चैतुराम तारक नाचा दल, सुश्री आशना दिल्लीवार कत्थक, सुश्री पुष्पा साहू लोक संगीत, श्री महेन्द्र चौहान पण्डवानी, सुश्री प्रिति गोस्वामी कत्थक, सुश्री पृथा मिश्रा शास्त्रीय गायन, श्री महेश साहू लोकमंच, श्री विजय चंद्राकर लोक संगीत तथा श्री तिलक राजा साहू लोकधारा की प्रस्तुति होगी।
5 नवम्बर को सुश्री दुर्गा साहू पण्डवानी, सुश्री डाली थरवानी कत्थक, श्री संजय नारंग लोकसंगती, सुश्री सारिका शर्मा कत्थक, सुश्री महेश्वरी सिंहा लोकमंच, श्री चंद्रशेखर चकोर की लोक नाट्य, श्री नीतिन अग्रवाल लोकसंगीत, श्री द्वारिकाप्रसाद साहू की डंडा नृत्य, सुश्री महुआ मजुमदार की लोकसंगीत तथा श्री नरेन्द्र जलक्षत्रीय लोकसंगीत की प्रस्तुति देंगे।
*हिमालय में गूँजी जशपुर की गूंज: आदिवासी युवाओं ने जगतसुख पीक पर खोला नया मार्ग*
*छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में दिया गया विष्णु देव रूट नाम*
रायपुर 30 अक्टूबर 2025/ छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले के आदिवासी युवाओं के एक दल ने भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। इस दल ने हिमाचल प्रदेश की दूहंगन घाटी (मनाली) में स्थित 5,340 मीटर ऊँची जगतसुख पीक पर एक नया आल्पाइन रूट खोला, जिसे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल के सम्मान में “विष्णु देव रूट” नाम दिया गया है। टीम ने यह चढ़ाई बेस कैंप से केवल 12 घंटे में पूरी की — वह भी आल्पाइन शैली में, जो तकनीकी रूप से अत्यंत कठिन मानी जाती है।
यह ऐतिहासिक अभियान सितंबर 2025 में आयोजित हुआ, जिसका आयोजन जशपुर प्रशासन ने पहाड़ी बकरा एडवेंचर के सहयोग से किया। इस अभियान को हीरा ग्रुप सहित अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का सहयोग प्राप्त हुआ।
यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है क्योंकि इस दल के पाँचों पर्वतारोही पहली बार हिमालय की ऊँचाइयों तक पहुँचे थे। सभी ने “देशदेखा क्लाइम्बिंग एरिया” में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जो जशपुर प्रशासन द्वारा विकसित भारत का पहला प्राकृतिक एडवेंचर खेलों के लिए समर्पित प्रशिक्षण क्षेत्र है। विश्वस्तरीय मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों को जोड़ा, जिनमें बिलासपुर के पर्वतारोही एवं मार्गदर्शक स्वप्निल राचेलवार, न्यूयॉर्क (USA) के रॉक क्लाइम्बिंग कोच डेव गेट्स, और रनर्स XP के निदेशक सागर दुबे शामिल रहे। इन तीनों ने मिलकर तकनीकी, शारीरिक और मानसिक दृष्टि से युवाओं को तैयार करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाया। दो महीनों की कठोर तैयारी और बारह दिनों के अभ्यास पर्वतारोहण के बाद टीम ने यह चुनौतीपूर्ण चढ़ाई पूरी की।
अभियान प्रमुख स्वप्निल राचेलवार ने बताया कि जगतसुख पीक का यह मार्ग नए पर्वतारोहियों के लिए अत्यंत कठिन और तकनीकी था। मौसम चुनौतीपूर्ण था, दृश्यता सीमित थी और ग्लेशियरों में छिपी दरारें बार-बार बाधा बन रही थीं। इसके बावजूद टीम ने बिना फिक्स रोप या सपोर्ट स्टाफ के यह चढ़ाई पूरी की — यही असली आल्पाइन शैली है। यह अभियान व्यावसायिक पर्वतारोहण से अलग था, जहाँ पहले से तय मार्ग और सहायक दल पर निर्भरता होती है; इस दल ने पूरी तरह आत्मनिर्भर रहते हुए नई मिसाल कायम की।
अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली। स्पेन के प्रसिद्ध पर्वतारोही टोती वेल्स, जो इस अभियान की तकनीकी कोर टीम का हिस्सा थे और स्पेन के पूर्व वर्ल्ड कप कोच रह चुके हैं, ने कहा कि “इन युवाओं ने, जिन्होंने जीवन में कभी बर्फ नहीं देखी थी, हिमालय में नया मार्ग खोला है। यह साबित करता है कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर ये पर्वतारोही विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।”
“विष्णु देव रूट” के अलावा दल ने दूहंगन घाटी में सात नई क्लाइम्बिंग रूट्स भी खोले। इनमें सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि रही एक अनक्लाइम्ब्ड (पहले कभी न चढ़ी गई) 5,350 मीटर ऊँची चोटी की सफल चढ़ाई, जिसे टीम ने ‘छुपा रुस्तम पीक’ नाम दिया। इस पर चढ़ाई के मार्ग को ‘कुर्कुमा (Curcuma)’ नाम दिया गया — जो हल्दी का वैज्ञानिक नाम है और भारतीय परंपरा में सहनशक्ति और उपचार का प्रतीक माना जाता है।
यह अभियान इस बात का प्रमाण है कि यदि सही दिशा, अवसर और संसाधन मिलें तो भारत के सुदूर ग्रामीण और आदिवासी इलाकों से भी विश्वस्तरीय पर्वतारोही तैयार हो सकते हैं। बिना किसी हिमालयी अनुभव के इन युवाओं ने आल्पाइन शैली में जो उपलब्धि हासिल की है, उसने भारतीय साहसिक खेलों को नई दिशा दी है। इस पहल ने तीन बातों को सिद्ध किया — आदिवासी युवाओं में प्राकृतिक शक्ति, सहनशीलता और पर्यावरण से जुड़ी सहज समझ उन्हें एडवेंचर खेलों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त बनाती है; “देशदेखा क्लाइम्बिंग सेक्टर” जैसे स्थानीय प्रशिक्षण केंद्र पेशेवर पर्वतारोही तैयार करने की क्षमता रखते हैं; और हिमालय की अनदेखी चोटियाँ भारत में सतत एडवेंचर पर्यटन की नई संभावनाएँ खोल सकती हैं।
अभियान का नेतृत्व स्वप्निल राचेलवार ने किया, उनके साथ राहुल ओगरा और हर्ष ठाकुर सह-नेता रहे। जशपुर के पर्वतारोही दल में रवि सिंह, तेजल भगत, रुसनाथ भगत, सचिन कुजुर और प्रतीक नायक शामिल थे। अभियान को प्रशासनिक सहयोग डॉ. रवि मित्तल (IAS), रोहित व्यास (IAS), शशि कुमार (IFS) और अभिषेक कुमार (IAS) से मिला। तकनीकी सहायता डेव गेट्स, अर्नेस्ट वेंटुरिनी, मार्टा पेड्रो (स्पेन), केल्सी (USA) और ओयविंड वाई. बो (नॉर्वे) ने दी। पूरे अभियान का डॉक्यूमेंटेशन और फोटोग्राफी ईशान गुप्ता की कॉफी मीडिया टीम ने किया।
प्रमुख सहयोगी और प्रायोजक संस्थानों में पेट्ज़ल, एलाइड सेफ्टी इक्विपमेंट, रेड पांडा आउटडोर्स, रेक्की आउटडोर्स, अडवेनम एडवेंचर्स, जय जंगल प्राइवेट लिमिटेड, आदि कैलाश होलिस्टिक सेंटर, गोल्डन बोल्डर, क्रैग डेवलपमेंट इनिशिएटिव और मिस्टिक हिमालयन ट्रेल शामिल रहे।
यह अभियान केवल एक पर्वतारोहण उपलब्धि नहीं, बल्कि उस सोच का प्रतीक है कि भारत के गाँवों और आदिवासी क्षेत्रों से भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की सफलता प्राप्त की जा सकती है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि “भारत का भविष्य गाँवों से निकलकर दुनिया की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है।”
इस उल्लेखनीय उपलब्धि के साथ अब जशपुर को एक सतत एडवेंचर एवं इको-टूरिज़्म केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
रायपुर :
युवा अपने लिए दिशा निर्धारित करें, मंजिल निर्धारित कर खुद को सीमाओं में न बांधे। उड़ने के लिए सारा आकाश खुला है। अपने जीवन और करियर में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचने का प्रयास करें। बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़ने वालों को ही सफलता मिलती है। उप मुख्यमंत्री तथा खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्री अरुण साव ने आज रायपुर के पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में अंतर-महाविद्यालयीन युवा उत्सव का शुभारंभ करते हुए ये बातें कहीं। 29 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक आयोजित इस तीन दिवसीय युवा महोत्सव में विश्वविद्यालय और इससे संबद्ध कॉलेजों के 953 छात्र-छात्राएं भाग ले रहे हैं। वे अगले तीन दिनों तक नृत्य, संगीत, साहित्य, थिएटर और फाइन आर्ट्स में अपने हुनर का प्रदर्शन करेंगे।
उप मुख्यमंत्री ने युवा उत्सव का किया शुभारंभ
उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने अंतर-महाविद्यालयीन युवा उत्सव के शुभारंभ समारोह में युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का शिक्षा का बड़ा केंद्र रहा है। एक समय पूरा छत्तीसगढ़ इसका कार्यक्षेत्र हुआ करता था। यहां पढ़े अनेक लोग देश-विदेश में प्रतिष्ठित पदों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है और देश की उम्मीदें नवजवानों से है। इस युवा उत्सव के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताएं आपकी सांस्कृतिक, साहित्यिक और कलात्मक प्रतिभाओं को परिष्कृत करेंगी। युवा उत्सव का यह मंच आपकी प्रतिभा को निखारेंगी। उन्होंने महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को आह्वान करते हुए कहा कि यहां आप अपनी प्रतिभा का शत-प्रतिशत प्रदर्शन करें, परिणाम की चिंता न करें। आप जीते या हारे... लेकिन इस भागीदीरी से आप बहुत कुछ सीखकर जाएंगे। यह उत्सव आप सभी का हौसला और आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
उप मुख्यमंत्री ने युवा उत्सव का किया शुभारंभ
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय अपने कैंपस और संबद्ध कॉलेजों में उत्कृष्ट शैक्षणिक वातावरण निर्मित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस साल अगस्त माह में नैक (NAAC) के मूल्यांकन में विश्वविद्यालय को ए-प्लस ग्रेड मिला है जो कि पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अध्ययन के साथ-साथ अन्य गतिविधियों पर भी जोर दिया जा रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप वर्ष 2023-24 से विश्वविद्यालय में संचालित सभी पाठ्यक्रमों में इंटर्नशिप अनिवार्य किया गया है। पिछले ढाई वर्षों में यहां 16 नए रोजगारमूलक पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए हैं। नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने राज्य शासन के सहयोग से इनोवेशन एंड इन्क्युबेशन सेंटर भी स्थापित किया गया है। विगत ढाई वर्षों में विश्वविद्यालय के 32 प्राध्यापकों को विभिन्न एजेंसीज की शोध परियोजनाएं प्राप्त हुई हैं। प्रो. शुक्ला ने बताया कि अंतर-महाविद्यालयीन युवा उत्सव के विजेता प्रतिभागी एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटिज द्वारा आयोजित अखिल भारतीय प्रतियोगिता में हिस्सेदारी करेंगे।
युवा उत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम को छात्र कल्याण के अधिष्ठाता एवं आयोजन के समन्वयक प्रो. राजीव चौधरी और कुल सचिव प्रो. अम्बर व्यास ने भी संबोधित किया। कुल अनुशासक (प्रॉक्टर) प्रो. ए.के. श्रीवास्तव और सह-प्राध्यापक डॉ. सुनील कुमेटी सहित विश्वविद्यालय तथा विभिन्न कॉलेजों से अपनी टीम लेकर आए प्राध्यापकगण, प्रतिभागी छात्र-छात्राएं एवं अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में शुभारंभ कार्यक्रम में मौजूद थे।
विभिन्न कॉलेजों के 953 युवा ले रहे हिस्सा
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतर-महाविद्यालयीन युवा उत्सव में विभिन्न कॉलेजों के 953 युवा हिस्सेदारी कर रहे हैं। इस दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में से गीत-संगीत में 177, नृत्य में 373, साहित्यिक आयोजनों में 82, फाइन आर्ट्स में 107 और थिएटर में 204 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं।
रायपुर :
उप मुख्यमंत्री एवं स्थानीय विधायक श्री अरुण साव ने आज लोरमी के भव्य मानस मंच के जीर्णोद्धार कार्य का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कुल 123 करोड़ रुपए की लागत से पांच सड़कों के निर्माण कार्य, चौक-चौराहों में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों का लोकार्पण, तथा एक सड़क निर्माण कार्य का भूमिपूजन किया। साथ ही लोरमी के निजी अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन समर्पित किया। श्री साव ने कार्यक्रम में आए वरिष्ठजनों को बेर से बनी प्रभु श्रीराम की प्रतिमा भेंट की। आगामी 2 नवंबर को भव्य कलश यात्रा के साथ प्रसिद्ध कथा वाचक चिन्मयानंद बाबू जी मानस मंच पर श्रीराम कथा का वाचन करेंगे। 10 नवंबर को कथा का समापन होगा। श्री साव ने समस्त लोरमी वासियों को कथा श्रवण के लिए आमंत्रित किया।
कार्यक्रम में श्री साव ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि लोरमी के मानस मंच का लोकार्पण मेरे लिए अत्यंत हर्ष का विषय है। यह मंच लोरमी नगर की आस्था, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। 1982 में स्थापित यह मंच पिछले 45 वर्षों से सतत कथा आयोजन का केंद्र रहा है, जहां नगरवासी और श्रद्धालु बड़े-बड़े विद्वानों से श्रीराम कथा का श्रवण करते आए हैं।
उन्होंने कहा कि दीवारों पर श्रीरामचरितमानस के चित्रों के साथ अंकन का उद्देश्य समाज में धार्मिक, नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रसार करना है। जब लोग इन चौपाइयों को पढ़ेंगे और जीवन में उतारेंगे, तो निश्चित रूप से उनके जीवन में सुख, शांति और सदाचार का संचार होगा। हमारे भगवान श्रीराम जीवन को सतमार्ग की ओर ले जाने वाले आदर्श हैं।
इस अवसर पर नगरवासियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर अयोध्या के स्वरूप में प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा भाव प्रकट किया। मानस मंच परिसर की दीवारों पर श्रीराम जन्म से लेकर राजतिलक तक के प्रसंगों का चित्रण किया गया है, जिसकी चौपाइयों को पढ़ने में घंटों लगेंगे।
मानस मंच का सौंदर्यीकरण कार्य 1 करोड़ 71 लाख रुपए की लागत से पूर्ण किया गया है। वहीं 45 लाख 47 हजार रुपए की लागत से सार्वजनिक स्थलों एवं चौक-चौराहों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त 24 करोड़ 14 लाख रुपए की लागत से मुंगेली-लोरमी मार्ग (ग्राम तुलसाघाट से लपटी रपटा तक), 2 करोड़ 62 लाख रुपए में तुलसाघाट से लपटी रपटा मार्ग, 1 करोड़ 99 लाख रुपए में तिलकपुर से झलरी पहुंच मार्ग, 1 करोड़ 37 लाख रुपए में ग्राम अखरार श्मशान घाट पहुंच मार्ग, 1 करोड़ 14 लाख रुपए में ग्राम नवरंगपुर डिंडोरी डी-3 नहर से आवास मोहल्ला तक ब्रिज निर्माण, तथा 70 लाख रुपए में कारीडोंगरी सीसी रोड निर्माण कार्य का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही 88 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से बनने वाले लोरमी–पंडरिया मार्ग (शासकीय कॉलेज से गोड्खाम्ही तक फोरलेन सड़क) का भूमिपूजन किया गया।
इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष श्री सुजीत वर्मा, उपाध्यक्ष श्री अशोक जायसवाल, जनपद अध्यक्ष श्रीमती वर्षा सिंह, श्री गुरमीत सलूजा, श्री विनय साहू और श्री सुशील यादव उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने वरिष्ठ जन पं. श्री सच्चिानंद तिवारी (राजपुरोहित), श्री विवेक गिरी महराज, गौरकापा, पूर्व विधायक ठाकुर भूपेन्द्र सिंह, श्री कोमल गिरी, श्री राधेश्याम अग्रवाल, श्री रामलाल जायसवाल, श्री रतनमणी केशरवानी, श्री पवन अग्रवाल, श्री रामावतार ध्रुव, श्री बंशी साहू, श्री विद्या दुबे, नवरंगपुर, श्री परमानंद तिवारी, श्री उदय साहू, लाखासार, श्री सत्यनारायण तिवारी, शारधा, श्री जगदीश सोनी, अध्यक्ष श्रीराम कथा समिति श्री महेत्तर कश्यप, बटहा, श्री शिवकुमार पाण्डेय, पिपरखुटी, श्री दर्शन महराज, कोतरी, श्री अशोक उपाध्याय, नवागॉव जैत, श्री मणिककांत पाठक, मसनी, श्री राजाराम, लालपुर कला, श्री विश्राम तिवारी, लोरमी, श्रीमती लक्ष्मी शर्मा, लोरमी, कुमारी अदिति तिवारी, श्री शिवकुमार पाठक, श्री विनोद तिवारी, श्री रमाकांत मिश्र, गौरकापा, श्री मूलचंद तिवारी, श्री अशोक शर्मा, शिक्षक श्री फणेश्वर पाटले, श्री सुदर्शन साई तेली, खाम्ही सहित अन्य लोगों को लोरमी में बेर से बनी प्रभु श्रीराम की प्रतिमा भेंट की।
रायपुर :
आदिवासी नायक भगवान बिरसा मुंडा जहां देशभर के आदिवासियों के प्रेरणापूंज है। ठीक उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी फिरंगियों के विरूद्ध बिगुल फूंकने का काम सोनाखान केे जमींदार वीर नारायण सिंह ने किया। उन्होंने फिरंगियों की दमन और शोषणकारी नीतियों के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फंूका और उनसे लड़ते हुए शहीद हुए। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम शहीद माना जाता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने शहीद वीर नारायण सिंह और फिरंगियों के विरूद्ध संघर्ष करने वाले आदिवासी नायकों की स्मृतियों को संजोने और भावी पीढ़ी तक उनके प्रेरणास्पद कार्यों को पहुंचाने के लिए नवा रायपुर में संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से पूरा आदिवासी समाज गौरवान्वित है।
प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने बताया कि नवा रायपुर के सेक्टर 24 में तैयार किया जा रहा है भव्य संग्रहालय अपने आप में अनूठा है। यह देश का पहला डिजिटल संग्रहालय है। लगभग 50 करोड़ रूपए की लागत से इस संग्रहालय को तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी राज्य स्थापना की 25वीं वर्षगांठ पर इस संग्र्रहालय का लोकार्पण करने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की। उन्होंने जनजाति समाज को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए देश का सबसे बड़ा अभियान पीएम जनमन और प्रधानमंत्री धरती आबा ग्राम उत्कर्ष योजना शुरू की। इस अभियान के तहत जनजाति इलाकों में सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाओं के साथ ही कंेद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से उन्हें लाभान्वित किया जा रहा है।
संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह का भव्य स्मारक भी बनाया गया है। साथ ही यहां छत्तीसगढ़ में आदिवासी विद्रोहों हल्बा विद्रोह, सरगुजा विद्रोह, भोपालपट्टनम, परलकोट, तारापुर, लिंगागिरी, कोई, मेरिया, मुरिया, रानी चौरिस, भूमकाल, सोनाखान विद्रोहों के साथ ही झंडा सत्याग्रह और जंगल सत्याग्रह की जीवंत झलक दिखाई गई है। इन विद्रोहों को अलग-अलग 14 सेक्टरों में बांटा गया है। अत्याधुनिक इस डिजिटल संग्रहालय में आगतुंकों के लिए वीएफएक्स टेक्नोलॉजी, प्रोजेक्शन, डिजिटल स्क्रीन, मोबाइल पर क्यूआर कोड स्कैन की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर सरगुजा कलाकारों की नक्काशीदार पैनल, 1400 वर्ष पुराने साल-महुआ और साजा वृक्ष की प्रतिकृति जिसकी पत्तियों पर 14 विद्रोहों की डिजिटल कहानी उकेरी गई है। यह वृक्ष मोशन फिल्मों की तरह पूरे विद्रोहो की कहानी बतलाती प्रतीत होगी। इस संग्रहालय में सेल्फी पॉइंट, दिव्यांग सुविधाएं, सीनियर सिटीजन के लिए विशेष इंतजाम, ट्राइबल आर्ट से सजा फर्श, भगवान बिरसा मुंडा, शहीद गैंदसिंह और रानी गाइडल्यू की मूर्तियां भी लगाई गई है, जो लोगों के लिए प्रेरणाप्रद होंगे।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कहते हैं कि यह संग्रहालय छत्तीसगढ़ जनजातीय संस्कृति का वैश्विक केंद्र बनेगा। यहां आने वाले लोगों को आदिवासी वीर नायकों की शौर्य गाथा से गर्व की अनुभूति होगी। यह आदिवासी समाज की पूर्वजों की स्मृति है और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
रायपुर :
जनजातीय समाज के महान शिक्षाविद्, समाजसेवी एवं राष्ट्रनायक बाबा कार्तिक उरांव की जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर आज अंबिकापुर में भूमि पूजन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री श्री साय ने बाबा कार्तिक उरांव जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा कार्तिक उरांव समाज के गौरव हैं। उन्होंने विदेशों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद अपनी धर्म, संस्कृति और सभ्यता को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने पुरखों के बताए हुए मार्ग पर चलते हुए उच्चतम शिक्षा अर्जित की और समाज को दिशा दी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव का यह कथन-“जितना ज्यादा पढ़ेंगे, उतना ही समाज को गढ़ेंगे”- आज भी हमें प्रेरित करता है। उन्होंने जनजातीय समाज के उत्थान, शिक्षा के प्रसार और सामाजिक एकता के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज के सर्वांगीण विकास का संकल्प लेना चाहिए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने नगर निगम कार्यालय के समीप बनने वाले बाबा कार्तिक उरांव चौक का भूमि पूजन किया तथा मूर्ति एवं चौक निर्माण के लिए ₹40.79 लाख की राशि की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह चौक बाबा कार्तिक उरांव के आदर्शों, विचारों और योगदान की स्मृति को सहेजने का प्रतीक बनेगा।
कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव हमारे लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने समाज के उत्थान और विकास के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित किया। हमें उनके बताए हुए मार्ग पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने समाज की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा और रीति-रिवाजों को सम्मान देते हुए समाज को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने कहा कि बाबा कार्तिक उरांव ने सदैव समाज में एकता, शिक्षा और जागरूकता का संदेश दिया। आज यह आवश्यक है कि हम उनके आदर्शों और बताए मार्ग पर चलकर समाज को संगठित करें और एकता के सूत्र में बांधें, जिससे जनजातीय समाज सशक्त एवं आत्मनिर्भर बनकर देश के विकास में अपनी भागीदारी निभा सके।
इस अवसर पर सामरी विधायक श्रीमती उद्धेश्वरी पैकरा, जशपुर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत, सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।