छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ (15909)

रायपुर :
राजनांदगांव जिले के बंद पड़ी खदानों को आजीविका के लिए उपयोगी बनाते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत केज कल्चर तकनीक से मछली पालन का कार्य तेजी से लोकप्रिय और फायदेमंद साबित हो रहा है। यह नवाचार न केवल मत्स्य पालकों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ है, बल्कि 150 से अधिक स्थानीय बेरोजगार युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार का नया जरिया भी बन गया है।

जिले के ग्राम जोरातराई में बंद पड़ी खदानों को जलस्रोत के रूप में उपयोग करते हुए 9.72 करोड़ रुपए की लागत से 18 इकाइयों में कुल 324 केज लगाए गए हैं। प्रत्येक केज इकाई की लागत 3 लाख रुपए है, जिसमें से 60 प्रतिशत अनुदान के रूप में 5.83 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई है। केज कल्चर, जिसे नेट पेन कल्चर भी कहा जाता है, जलाशय में फ्लोटिंग केज यूनिट स्थापित करने की एक आधुनिक तकनीक है। इसमें एक केज यूनिट में चार बाड़े होते हैं, जहां उंगली के आकार की मछलियों को पाला जाता है, जो पांच माह में लगभग एक से सवा किलो वजन की हो जाती है। इस तकनीक में तिलापिया और पंगेसियस जैसी मछलियों का पालन किया जा रहा है। प्रत्येक केज से 2.5 से 3 टन तक मछली उत्पादन होता है, जिससे 6 से 8 हजार रुपए की मासिक आमदनी होती है।

ग्राम मुढ़ीपार स्टेशन पारा की श्रीमती पूर्णिमा साहू ने बताया कि जय मां संतोष महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से केज कल्चर तकनीक से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। समूह की महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का आभार प्रकट किया है। जोरातराई की खदानों में 8 लाख से अधिक मछलियां पाली जा रही हैं। यह तकनीक न केवल मछलियों की तेज वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त है, बल्कि संक्रमण का खतरा भी कम रहता है। मत्स्यपालक अपनी जरूरत के अनुसार केज से मछलियां निकाल सकते हैं।

राज्य सरकार की इस पहल ने बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध कराए हैं। मत्स्य पालन की इस नवीन तकनीक से अब ताजी और स्थानीय मछलियां बाजार में उपलब्ध हो रही हैं। केज कल्चर तकनीक ने जिले में मछली उत्पादन के नए आयाम स्थापित किए हैं। जलाशयों और बंद खदानों के जलस्रोतों का यह उपयोग स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

रायपुर :मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को नववर्ष 2025 की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा कि नव वर्ष 2025 हम सभी के जीवन में तरक्की के नये अवसर लेकर लाये और हम सभी के जीवन में भरपूर सुख-समृद्धि का वास हो।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि नव वर्ष हम सभी के लिए शुभ संकल्प लेने का समय है। पिछले साल हमने प्रधानमंत्री मोदी जी की गारंटी को पूरा करने का संकल्प लिया था और प्रत्येक वर्ग को लाभ पहुंचाने में हमें सफलता मिली। नए वर्ष में भी हम प्रदेश की जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस साल हम सभी छत्तीसगढ़ की स्थापना का रजत जयंती वर्ष मना रहे हैं, साथ ही इस वर्ष को हमने अटल निर्माण वर्ष के रूप में भी मनाने का निर्णय लिया है। आप सभी की भागीदारी से हमें छत्तीसगढ़ को एक समृद्ध और विकसित राज्य बनाना है। उन्होंने कहा कि नव वर्ष में हम सब मिलकर छत्तीसगढ़ महतारी को संवारने के लिए और अधिक संकल्पित होकर कार्य करेंगे। उन्होंने हम सभी के शुभसंकल्प और मनोरथ नव वर्ष में पूरे हों, यह आशा व्यक्त करते हुए सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

रायपुर :वन पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को ग्रीन जीडीपी के साथ जोड़ने की पहल शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है। इस पहल के द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के व्यापक मूल्य को मापकर छत्तीसगढ़ के सतत विकास में रेखांकित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 विज़न और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप विज़न डॉक्यूमेंट तैयार कर रही है, जिसमें वन विभाग द्वारा संचालित पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के मूल्यांकन की अवधारणा सम्मिलित की गई है। यह समग्र दृष्टिकोण राज्य में पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक प्रगति के बीच संतुलन बनाए रखने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए सतत और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित हो सके। वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन न केवल बजटीय योजना को अधिक सुव्यवस्थित बनाएगा, बल्कि भविष्य की रणनीतियों को दिशा प्रदान करेगा, धन आवंटन को अधिक प्रभावी बनाएगा और वानिकी विकास के प्रयासों को सशक्त करेगा। यह प्रक्रिया सतत विकास और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य मे संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम ने स्थानीय समुदायों को और अधिक सशक्त बनाया है। गुरु घासीदास, कांगेर घाटी और इंद्रावती जैसे राष्ट्रीय उद्यानों के साथ, छत्तीसगढ़ में प्रकृति आधारित पर्यटन के लिए असीम संभावनाएं हैं। स्थानीय निवासियों को जंगल सफारी, नेचर ट्रेल्स और इको-कैंपिंग जैसी सुविधाओं के प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है, जिससे न केवल सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को भी सशक्त किया गया है। छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है। यह राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत आधार हैं और लाखों लोगों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये वन विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभ प्रदान करते हैं। वनों से प्राप्त होने वाले अन्य महत्वपूर्ण अमूर्त लाभ अक्सर उपेक्षित रहते हैं और उनका उचित मूल्यांकन नहीं हो पाता। इनमें जलवायु संतुलन बनाए रखने के लिए कार्बन अवशोषण, कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण परागण, पोषक तत्वों का चक्रण, मृदा उर्वरता में सुधार और जैव विविधता संरक्षण जैसी सेवाएं शामिल हैं। वनों का बाढ़ और रोग नियंत्रण, जल प्रवाह का प्रबंधन और वेक्टर जनित रोगों के जोखिम को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

रायपुर :
उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव ने आज वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों के साथ नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से आयोजित समीक्षा बैठक में सभी नगरीय निकायों को अनुकम्पा नियुक्ति की प्रक्रियाएं 10 जनवरी तक पूर्ण करने के निर्देश दिए। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा अनुकम्पा नियुक्ति के लिए प्रदेशभर के नगरीय निकायों में 353 नए पद मंजूर किए गए हैं।

उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने बैठक में नगर निगमों के आयुक्तों तथा नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को रोजाना वार्डों का भ्रमण कर निर्माण कार्यों, साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था की मॉनिटरिंग करने को कहा। उन्होंने नगरीय निकायों में बन रहे अटल परिसरों और नालंदा परिसरों के काम में तेजी लाने और इनके उत्कृष्ट निर्माण के निर्देश दिए। श्री साव ने अधिकारियों को गंभीरता और सक्रियता से काम करते हुए राज्य के शहरों को साफ, सुंदर और सुविधापूर्ण बनाने को कहा। नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., विशेष सचिव श्री आर. एक्का और संचालक श्री कुंदन कुमार भी समीक्षा बैठक में शामिल हुए।


शासन की मंशानुरूप कृषक उन्नति योजना के तहत राज्य के किसानों से 3100 रुपए क्विंटल की दर से धान खरीदी की जा रही है। जिससे कृषकों की आय में वृद्धि के साथ ही उनके सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार आया है। जिले के अम्बिकापुर के उपार्जन केंद्र सुखरी में धान बेचने आए भीम सिंह ने बताया कि उन्होंने गत वर्ष 127 क्विंटल धान बेचा था, जिसके अंतर की राशि लगभग एक लाख रुपए उन्हें मिले थे। उन्होंने इस राशि से सिंचाई हेतु पम्प खरीदा। सिंचाई सुविधा में वृद्धि से उन्होंने धान के साथ अब शेष भूमि में सब्जी लगाया है, जिससे उन्हें अच्छी खासी अतिरिक्त आय हो रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने हम किसानों को जो गारंटी दी थी, वो पूरी हुई है। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री श्री साय को धन्यवाद दिया।
भीमसिंह ने बताया कि इस वर्ष भी उन्होंने धान बेचा है। बोनस राशि मिलने पर वे इस राशि को भविष्य के लिए जमा करेंगे। उन्होंने खरीदी केंद्र की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि शासन द्वारा हमें माइक्रो एटीएम की भी सुविधा दी गई है जिसमें जरूरत के हिसाब से तुरंत पैसे निकाल सकते हैं।

रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय, महानदी भवन में कैबिनेट की बैठक शुरू

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मंत्रालय, महानदी भवन में कैबिनेट की बैठक

रायपुर : कोरिया जिले में अवैध धान परिवहन, भंडारण और कोचियागिरी पर कड़ाई से रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा जांच-पड़ताल का अभियान लगातार संचालित किया जा रहा है। बीते दिनों कोरिया जिले में धान के अवैध परिवहन और कोचिया के धान को सोसायटी में खपाने के मामले में कुल 120 बोरा धान जब्त किया गया।

पटना तहसीलदार श्री प्रतीक जायसवाल के नेतृत्व में टीम ने ग्राम डुमरिया स्थित अमन एग्रो राइस मिल से धान का अवैध परिवहन कर सूरजपुर ले जाते वक्त वाहन क्रमांक सीजी 15-सी.वाय. 2211 को पकड़ा जिसमें 70 बोरी धान भरा हुआ था। वाहन और चालक को थाना के सुपुर्द कर दिया गया है। इसी तरह सोनहत धान खरीदी केंद्र में कृषक जोखन से 52 बोरी धान पकड़ा गया। कृषक कोचिया श्याम लाल यादव से 50 बोरी धान और दो बोरी पुराना धान लेकर खरीदी केन्द्र में समर्थन मूल्य पर बेचने पहुंचा था।

रायपुर : मुंगेली जिले के विकासखंड मुंगेली के ग्राम करही निवासी मोनिका राठौर महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन गई है। मोनिका महतारी वंदन योजना का लाभ ले रही है और उस राशि का उपयोग करके अपने व्यवसाय को एक नई दिशा दे रही है और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रही है। मोनिका ने बताया कि उनका सुहाग भंडार का दुकान है, यही उनकी आय का एकमात्र जरिया है। शासन द्वारा महतारी वंदन योजना के तहत प्रतिमाह एक हजार रूपए मिलने से उन्हें काफी मदद मिलती है। उनके दो बेटे हैं। उन्होंने महतारी वंदन योजना का लाभ उठाकर बच्चों के लिए बैंक खाता खुलवाया है, जिसमें बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर प्रतिमाह रूपए भी जमा करती है। उन्होंने योजना के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय सहित शासन-प्रशासन को धन्यवाद ज्ञापित किया है।

उल्लेखनीय है कि राज्य शासन द्वारा महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य तथा पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए महतारी वंदन योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना के तहत प्रतिमाह 01 हजार रूपए महिलाओं के बैंक खाते में अंतरित की जाती है। योजना से महिलाओं में खुशी की लहर है। मुंगेली जिले के लगभग 02 लाख 13 हजार महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो रही हैं। योजनांतर्गत महतारी वंदन योजना की 10 किस्त की राशि जारी हो चुकी है।

गौरतलब है कि उक्त योजना का शुभारंभ 10 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। राज्य की लगभग 70 लाख हितग्राही महिलाओं को हर माह एक हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। मार्च से लेकर दिसम्बर तक हितग्राही महिलाओं को 10 मासिक किश्तों में 6530 करोड़ 41 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।

उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने आज मंत्रालय में राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकार-वार्ता को संबोधित किया। उन्होंने पत्रकार-वार्ता में कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी।


रायपुर। छत्तीसगढ़ में सेंट्रल इंडिया का नया फार्मास्युटिकल हब बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसके लिए मंजूरी दे दी है। फार्मास्युटिकल पार्क से नए अनुसंधान, विकास और अंतर्राष्ट्रीय निवेश में वृद्धि हेतु नवा रायपुर अटल नगर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) द्वारा सेक्टर 22 ग्राम तूता में छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (सीएसआईडीसी) को फार्मास्युटिकल पार्क की स्थापना के लिए 141.84 एकड़ भूमि आबंटित की गई है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के साथ ही फार्मास्युटिकल क्षेत्र को भी बढ़ावा दे रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में विश्व स्तरीय चिकित्सा सेवाएं आम लोगों को सहजता से सुलभ हो, इस सोच के साथ राज्य में चिकित्सा क्षेत्र में प्रभावी इको सिस्टम तैयार करने की लगातार पहल की जा रही है। छत्तीसगढ़ को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाना है तो स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ और जनोन्मुख बनाना जरूरी है। फार्मास्युटिकल पार्क की स्थापना इसी की एक कड़ी है। उन्होंने बताया कि नई औद्योगिक नीति में भी फार्मास्युटिकल क्षेत्र के उद्योगों को कई अनेक सुविधाएं और रियायतें दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेश में वृद्धि होने के साथ ही फार्मास्युटिकल क्षेत्र में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावाएनआरडीए ने दी 142 एकड़ जमीन मिलेगा एवं स्थानीय युवाओं को रोजगार प्राप्त होने के साथ ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। फार्मास्युटिकल पार्क की स्थापना से घरेलू एवं वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा उत्पादों की बढ़ती मांग को हम आसानी से पूराकर पाएँगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की शहीद वीर नारायण सिंह आयुष्मान स्वास्थ्य योजना के माध्यम से राज्य के 77 लाख 20 हजार परिवारों को 5 लाख रूपए तक का निःशुल्क इलाज मिल रहा है जिसे आने वाले समय में 10 लाख रूपए तक किए जाने का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत विशेष स्थितियों में इलाज के लिए 25 लाख रूपए तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।

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