छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ (17642)

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में छत्तीसगढ़ चुनाव समिति की अहम बैठक हुई. 15 गुरुद्वारा रकाबगंज रोड में तकरीबन ढाई घंटे तक बैठक चली जिसमें प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम पर चर्चाएं हुई.

बैठक में एआईसीसी के छत्तीसगढ़ प्रभारी पीएल पुनिया, दोनों प्रभारी सचिव डॉ चंदन यादव और डॉक्टर अरुण उरांव, पीसीसी अध्यक्ष व सीएम भूपेश बघेल के साथ ही चुनाव समिति के सदस्य मौजूद थे.

नई दिल्ला के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर स्थित बंगला नंबर 15  कांग्रेस के वॉर-रूम के तौर पर जाना जाता रहा है. पिछले कई सालों से यह जगह कांग्रेस के बंद दरवाजों के पीछे होने वाली अहम राजनीतिक बैठकों के लिए चर्चित रहा है.

रायपुर- पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में हुई एयर स्ट्राइक को क्या बीजेपी लोकसभा चुनाव में भुनाने जा रही है? दरअसल यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और छत्तीसगढ़ के प्रदेश प्रभारी डाक्टर अनिल जैन ने अपने एक बयान में कहा है कि- ‘निश्चित तौर पर हम इसे एक उपलब्धि के तौर पर लेंगे’ सरकार यदि अच्छा काम नहीं करती तो इस्तीफा किससे मांगा जाता है? ठीक ऐसे ही यदि सरकार अच्छा काम कर रही है तो वाहवाही किसकी होनी चाहिए”
 
अनिल जैन का यह बयान यह बताने के लिए काफी है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी बालकोट एयर स्ट्राइक को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने जा रही है. स्ट्राइक के जरिए बीजेपी एग्रेसिव कैंपेनिंग कर सियासी फायदा ढूंढ रही है. अनिल जैन मानते हैं कि यह एक बड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह से निर्लज्जता के साथ सेना के शौर्य की खिल्ली उड़ाई जा रही है. इसे हम देश के सामने लाएंगे. जिन लोगों ने सेना के शौर्य को नगण्य करने की कोशिश की है. ऐसे लोग पाकिस्तान में जाकर बैठ जाएं. अनिल जैन कहते हैं कि  सेना का शौर्य है, सेना मजबूत है लेकिन इसके पीछे जो मजबूत राजनीतिक शक्ति की जरूरत है वह मोदी के पास है. 
 
भूपेश बघेल पर पलटवार
 
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस बयान पर भी अनिल जैन ने टिप्पणी की, जिसमें सवाल उठाते हुए पूछा गया था कि मुंबई हमले में ड्रेस बदलने पर तत्कालीन गृहमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था, तो पुलवामा की घटना के बाद फोटोशूट करा रहे मोदी पर बीजेपी खामोश क्यों है? जैन ने कहा कि यह बयान हास्यास्पद है. प्रधानमंत्री का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था. घटना जब घटी, तो इसकी तात्कालीन सूचना मिलने के बाद प्रधानमंत्री को क्या दिग्विजय सिंह और भूपेश बघेल को बताना चाहिए कि उन्हें क्या करना है. इन लोगों के नेता जो महीनों छुट्टियां मनाते हैं, वे लोग परिश्रम की पराकाष्ठा पर उंगली उठाते हैं. मोदी ने एक बार नहीं बल्कि दो-दो बार साबित किया है कि सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मजबूत राजनीतिक शक्ति किसके पास है. जितनी बार मोदी पर उंगली उठेगी, उतनी बार ये एक्सपोज होंगे. 
 
सेना की कार्यवाही पर श्रेय लेना सेना का अपमान- कांग्रेस
 
इधर बीजेपी प्रदेश अनिल जैन के बयान पर कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष शैलेष नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि यह बेहद बचकाना और स्तरहीन बयान है. सेना की कार्यवाही पर श्रेय लेना सेना का अपमान है. मोदी के फैसले सही भी हो सकते हैं और गलत भी हो सकते हैं. मोदी सरकार अपने राजनीतिक फैसले पर बात करे. सेना की कार्यवाहियों पर नहीं. पुलवामा में जिस तरह से इंटेलीजेंस फेल हुआ, उसकी बात करनी चाहिए, जिसकी वजह से 40 जवानों की शहादत हो गई. नरेंद्र मोदी गलती स्वीकार करने की बजाए सिर्फ अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने की चाल चल रहे हैं. जनता इसे समझ रही है. 

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने मंगलवार को फिर साढ़े सात सौ करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) के माध्यम से लिए गए इस लोन को सरकार तीन वर्ष में चुकाएगी।

वह भी करीब साढ़े सात फीसद ब्याज दर पर। दो महीने में यह छठवां मौका है, जब सरकार ने अपनी प्रतिभूति (सिक्योरिटी बांड) बेची है। इससे राज्य पर कर्ज का बोझ बढ़कर 58 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है।

तीन महीने में बेच दिए 7 हजार करोड़ से अधिक का बांड

तीन महीने पुरानी कांग्रेस सरकार अपने इस छोटे कार्यकाल में अब तक सात हजार करोड़ से अधिक का बांड बेच चुकी है। छह बार में लिए गए इस कर्ज के लिए सरकार औसत आठ फीसद ब्याज भरेगी और दो से लेकर छह वर्ष में चुकाएगी।

कर्ज लेना सरकार की मजूबरी

अर्थशास्त्री डॉ. हुनमंत यादव कहते हैं कि बजट की व्यवस्था के लिए सरकार के पास बांड बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य सरकारों के पास टैक्स का विकल्प ज्यादा नहीं बचा है। पेट्रोल जैसी कुछ वस्तुएं हैं जिन पर राज्य टैक्स लगा सकता है, लेकिन इसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा। ऐसे में सरकार इससे बचती है।

कर्ज माफी का बोझ 10 हजार करोड़

सत्ता में आने के लिए सरकार ने राज्य के किसानों से कृषि ऋण माफ करने का वादा किया था। इसके तहत अब तक सरकार 10 हजार करोड़ रुपये का अल्पकालीन कृषि ऋण माफ कर चुकी है। इसमें ग्रामीण और सहकारी बैंकों का 62 सौ करोड़ तथा व्यवसायिक बैंकों का चार हजार 17 करोड़ रुपये शामिल है। इसके साथ ही सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल देने का वादा किया था। इसकी वजह से सरकार पर करीब 54 सौ करोड़ रुपये का बोझ बढ़ा है।

विकास कार्यों पर पड़ रहा असर

सरकार के दनादन कर्ज लेने का असर राज्य में अधोसंरचना विकास समेत अन्य विकास कार्यों पर पड़ रहा है। हाल ही में संपन्न् हुए विधानसभा के बजट सत्र में विधायकों ने मनरेगा का काम तक ठप होने का आरोप लगाया था। अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं कि कर्ज की राशि ब्याज के साथ चुकाना है तो इसका असर कहीं न कहीं पड़ेगा ही।

जनवरी से अब तक

तारीख कर्ज की राशि ब्याज दर अवधि (वर्ष)

01 जनवरी 2000 7.94 04

15 जनवरी 1500 7.64 02

 

05 फरवरी 1000 8.4 06

12 फरवरी 1000 7.93 05

 

26 फरवरी 1000 8.18 06

05 मार्च 750 7.48 03

 

(नोट- राशि करोड़ रुपये में)

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य में हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ है। 15 वर्षों के भाजपा के कार्यकाल के बाद अब कांग्रेस की सरकार यहां बनी है। दोनों सरकारों की विकास को लेकर नीतियां काफी अलग रही हैं। विपक्ष में रहते कांग्रेस ने जिन बातों को विरोध किया, अब सरकार में आने के बाद कांग्रेस ने उन नीतियों और योजनाओं को ही बंद कर दिया। नई सरकार ने पुरानी सरकार की विभिन्न विकास की योजनाओं पर पूर्ण वीराम लगा दिया, इसके साथ ही अपनी नीति से राज्य के विकास के प्रयास शुरू किए हैं।

राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति इस वक्त ठीक नहीं है। पुराने डैमेज कंट्रोल के लिए राजकोष से बड़ी राशि का उपयोग किया गया है। किसानों की कर्जमाफी सहित कई बड़े आर्थिक फैसले सरकार ने लिए हैं। इससे 10 हजार करोड़ का आर्थिक भार सरकार पर आया है।

इसके बाद इस खर्च की पूर्ति के लिए राज्य सरकार पिछले दो महीनों में केंद्रीय रिजर्व बैंक से अब तक 6 बार कर्ज ले चुकी है। करीब तीन महीने में सरकार ने 7 हजार करोड़ से अधिक के बांड बेचे हैं। अब सरकार इन सब से उबरने के लिए आर्थिक विकास के गांधीवादी मॉडल को अपना रही है। नरवा, गरुआ, घुरवा और बारी का कंसप्ट वास्तव में पूरी तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर आधारित गांधी जी के विचारों पर टिका है।

क्या है नरवा, गरुआ, घुरवा और बारी कंसप्ट

कृषि और पशुपालन हमारी ग्रामीण संस्कृति का अटूट हिस्सा है। जीवन की निरंतरता प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन और संरक्षण पर निर्भर करती है। ये संसाधन प्रतिदिन हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। राज्य की नई कांग्रेस सरकार का मत यह है कि प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग से ही कृषि और ग्रामीण विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है।

नरवा, गरुआ, घुरवा और बारी गांवों को सुदृढ़, स्वावलंबी व संपन्न बनाने का देशी फार्मूला है। इसी अवधारणा को साकार करने के लिए छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यमान संसाधनों के समुचित संरक्षण व सदुपयोग के लिए काम करना शुरू किया है।

वास्तव में ये चार चिन्हारी ही हमारी कृषि संस्कृति एवं अर्थव्यवस्था की निशानी भी हैं। इस योजना से जलस्त्रोतों का सरंक्षण-सवर्धन, पशुधन प्रबंधन व उन्नयन, चरागाहों का विकास और जैविक खाद व बायोगैस इकाइयों की स्थापना होगी। इसी के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर दो लाख से ज्यादा रोजगार श्रृजन का लक्ष्य सरकार ने तय किया है। इस योजना के अंतर्गत होने वाले कार्यों को मनरेगा से जोड़ा जाएगा।

गांधीवादी अर्थव्यवस्था का ऐसा है मॉडल

महात्मा गांधी ने अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संकल्पना में कहा था कि भारत गांवों को देश है और गांवों के विकास से ही शहरों और पूरे देश का विकास होगा। गांधीजी के आर्थिक दर्शन पर आधारित गांधीवादी योजना श्रीमन्नारायण ने अप्रैल 1944 में प्रस्तुत की थी।

इस योजना को शुरूआती दौर की पंचवर्षीय योजनाओं में भी शामिल किया गया था। गांधी जी का मानना था कि गांवों में खेती का विकास, पशुपालन, ग्रामीण संसाधनों से रोजगार और इसी के आधार पर आर्थिक विकास किया जा सकता है। गांधी जी का यह आर्थिक दर्शन काफी व्यापक है।

इस समय विकास के लिए यही रास्ता

छत्तीसगढ़ राज्य एक विकसित होता राज्य है। इसमें एक तरफ आर्थिक विकास की बड़ी संभावनाएं हैं जो दूसरी तरफ सामाजिक विकास की कई चुनौतियां भी हैं। बड़ी तादात में प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में संसाधनों के व्यापक उपयोग के जरिए तेज विकास की नीति पिछली सरकार ने अपनाई थी, लेकिन इसकी वजह से टाटा के भूमिअधिग्रहण की वजह से स्थानीय लोगों के विस्थापन, किसानों की आर्थिक स्थिति का खराब होना। गांवों में विकास का कजोर होना जैसे कारक पैदा हुए। इस समय राज्य सरकार राज्य के विकास के लिए आर्थिक रूप से कोई बड़ी योजना नहीं ला सकती, और ऐसे में गांधीवादी आर्थिक विकास मॉडल ही राज्य सरकार के लिए सबसे बेहतर विकल्प है।

 कर्ज लेने की मजबूरी के साथ आर्थिक विकास की चुनौती

अर्थशास्त्री डॉ. हुनमंत यादव कहते हैं कि बजट की व्यवस्था के लिए सरकार के पास बांड बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जीएसटी लागू होने के बाद से राज्य सरकारों के पास टैक्स का विकल्प ज्यादा नहीं बचा है। पेट्रोल जैसी कुछ वस्तुएं हैं जिन पर राज्य टैक्स लगा सकता है, लेकिन इसका सीधा असर जनता पर पड़ेगा।

 ऐसे में सरकार इससे बचती है। तीन महीने पुरानी कांग्रेस सरकार अपने इस छोटे कार्यकाल में अब तक सात हजार करोड़ से अधिक का बांड बेच चुकी है। छह बार में लिए गए इस कर्ज के लिए सरकार औसत आठ फीसद ब्याज भरेगी और दो से लेकर छह वर्ष में चुकाएगी। इस अवधी में राज्य सरकार को आर्थिक विकास की ऐसी नीति का सहारा लेना होगा, जिससे अर्थव्यवथा को तेज नहीं, बल्कि संतुलित विकास का रास्ता मिले।

तेवाड़ा/नारायणपुर। देश के सबसे संवेदनशील नक्सल प्रभावित क्षेत्र माढ़ के तुलारधाम का ऐतिहासिक शिवलिंग चोरी हो गया है। महाशिवरात्री के मौके पर जब श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे तो देखा कि शिवलिंग अपनी जगह पर है ही नहीं।

यह शिवलिंग बेहद प्राचीन माना जाता है। अति संवेदनशील नक्सल क्षेत्र होने की वजह से सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही आम लोग यहां आते हैं। एक दंतकथा के मुताबिक असुरराज बाणासुर ने यहां शिवलिंग स्थापित किया था और वह यहां भगवान शिव की आराधना करता था।

शिवलिंग के इस तरह यहां से गायब हो जाने की वजह से रहस्य का माहौल बना हुआ है। इस संवेदनशील इलाके में पुलिस की पहुंच भी नहीं है। शिवलिंग के गुम होने की कोई रिपोर्ट भी संबंधित थाने में दर्ज नहीं की गई है। नारायणपुर जिले का यह इलाका अत्यंत दुर्गम होने की वजह से जिला मुख्यालय से भी कटा हुआ है और दंतेवाड़ा के रास्ते लोग यहां तक पहुंचते हैं।

प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहर में शुमार नारायणपुर के तुलारधाम का यह डेढ़ फीट का शिवलिंग वर्षों से यहां स्थापित था। शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में श्रद्घालु इंद्रावती नदी पार कर उबड़ खाबड़ रास्ते से लगभग 40 किलोमीटर सफर कर यहां पहुंचे, लेकिन उन्हें इस बार शिवलिंग के दर्शन नहीं हुए। पुजारी ने स्थापित स्थल पर चांदी का छत्र बनाकर पूजा की वैकल्पिक व्यवस्था की। इस इलाके में नक्सलियों का एकाधिकार है।

रायपुर- पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ सांसद रमेश बैस ने प्रदेश में आर्थिक आधार पर पिछड़े सवर्णो के लिए दस प्रतिशत आरक्षण लागू नहीं करने का आरोप राज्य के कांग्रेस सरकार पर लगाया है. उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर कहा कि भारत सरकार द्वारा संविधान में संशोधन कर आर्थिक आधार पर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का निर्णय लिया गया है. जिसे देश के अन्य राज्यों में लागू किया गया है.

लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अभी तक इसे लागू नहीं किया जा रहा है. रमेश बैस ने दस प्रतिशत आरक्षण को छत्तीसगढ़ में शीघ्र लागू करने की मांग है.

रायपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 6 मार्च को जगदलपुर और धमतरी जिले में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होंगे. वे शाम पांच बजे रायपुर लौटेंगे और रात्रि साढे आठ बजे नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे.  दौरा कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री 6 मार्च को सुबह 10 बजे पुलिस ग्राऊण्ड हेलीपेड से हेलीकॉप्टर द्वारा जगदलपुर के लिए रवाना होंगे. 11 बजे जगदलपुर पहुंचकर वहां आयोजित उद्योग विभाग के सम्मेलन शामिल होंगे. वे दोपहर 12 बजे जगदलपुर से हेलीकॉप्टर से उड़ान भर 12.30 बजे धमतरी जिले के ग्राम घुटकेल पहुंचेंगे. वे यहां पर गोण्डवाना समाज के वार्षिक सम्मेलन में शामिल होंगे. ग्राम घुटकेल से रवाना होकर 1.35 बजे ग्राम सांकरा में छत्तीसगढ़ स्तरीय रामचरित मानस सम्मेलन शामिल होंगे. ग्राम सांकरा से प्रस्थान कर जिला मुख्यालय धमतरी में दोपहर 2.30 बजे किसान आभार रैली एवं सम्मान समारोह में शामिल होंगे. वहां से शाम 5.30 बजे रायपुर लौट आएंगे. वे रात्रि साढे आठ बजे स्वामी विवेकानंद विमानतल रायपुर से राजकीय विमान द्वारा नई दिल्ली के लिए प्रस्थान करेंगे. रात्रि 10.45 बजे पहुंचकर छत्तीसगढ़ सदन जाएंगे और रात्रि विश्राम करेंगे. अगले दिन स्थानीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे.

रायपुर- पुलवामा आतंकी हमला मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर हमला बोला है. बघेल ने कहा कि मुंबई हमले के दौरान तत्कालीन गृहमंत्री को बार-बार सूट बदलने की वजह से इस्तीफा देना पड़ गया था. पुलवामा की घटना में चालीस जवानों की शहादत के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिम कार्बेट में फोटो शूट करा रहे थे. ऐसे में बीजेपी आखिर इस्तीफा क्यों नहीं मांगती? मुंबई हमले की तरह से आज भी इस्तीफा मांगा जाना चाहिए.
 गौरतलब है कि पुलवामा आतंकी के बाद पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों में हुए एयर स्ट्राइक पर भी जमकर सियासत चल रही है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट सामने आने के बाद राजनीतिक दल केंद्र सरकार से हमले के सबूत मांग रहे हैं. इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या फिर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राजनीतिक मंचों से एयर स्ट्राइक को वाजिब करार देते हुए सबूत मांगने वाले दलों की देशभक्ति पर सवाल उठा रहे हैं.
 
आतंकी हमला और एयर स्ट्राइक के बाद मचे सियासी घमासान के बीच भूपेश बघेल का बयान बेहद दिलचस्प है, हालांकि इस पर अभी विरोधी दलों की ओर से प्रतिक्रिया आना बाकी है.

रायपुर– शहीद महेंद्र कर्मा के बेटे आशीष शर्मा को डिप्टी कलेक्टर बनाए जाने पर भाजपा नेताओं की आपत्ति को बेहद असंवेदनशील और क्रूर करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भाजपा ने पहले भी शहीदों के अपमान करने की अपनी प्रवृत्ति बार-बार उजागर की है. शहादत का सम्मान करना भाजपा के चरित्र में ही नहीं है. 2013 में जीरम की शहादत के बाद शहीदों के परिवारजनों को भाजपा की रमन सिंह सरकार ने चतुर्थ श्रेणी पदों पर नियुक्ति का प्रस्ताव भेजकर शहादत का जो अपमान किया था, उसे शहीदों के परिवारजन और छत्तीसगढ़ की जनता अभी भूली नहीं है.

माओवादियों से मुठभेड़ के बाद शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के शव दंतेवाड़ा में भाजपा की सरकार के कार्यकाल में कचरा गाड़ी में ढोए गए थे और शहीदों का फिर अपमान किया गया था. माओवादियों से मुठभेड़ की घटना में बड़े पैमाने पर केंद्रीय पुलिस बलों के जवानों की शहादत के बाद शव परीक्षण के लिए जवानों के शव लाए जाने पर मेकाहारा अस्पताल में शहीद जवानों की वर्दियां बेल्ट और अवशेष कूड़ेदान में फेंक कर शहादत का एक बार फिर भाजपा सरकार ने अपमान किया था. शहादत का अपमान और शहीदों के परिजनों की भावनाओं का निरादर भाजपा का वास्तविक चरित्र है. अपने ही नेता और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई की शोक सभा में भाजपा के अट्टहास करते नेताओं के वीडियो और फोटोग्राफ पूरे छत्तीसगढ़ ने देखे हैं. छत्तीसगढ़ की नदियों में विसर्जन के लिए आए हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के अवशेषों को भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में बेहद अपमानजनक परिस्थितियों में रखा गया था.

इसकी सूचना मिलने पर अटल बिहारी बाजपेई की भतीजी करुणा शुक्ला की अगुवाई में कांग्रेस के नेता वहां गए तो आनन-फानन में भाजपा नेताओं ने अवशेषों को विसर्जित किया. जीरम के शहीदों के परिजन जब जीरम मामले की साजिश की जांच की मांग को लेकर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष और वर्तमान मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ मुख्यमंत्री रमन सिंह से मिले थे तो रमन सिंह जी केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से शहीदों के परिजनों को मिलाने की बात कही थी. बरसों बीत गए. अनेक बार राजनाथ सिंह छत्तीसगढ़ आए लेकिन भाजपा सरकार के मुखिया रमन सिंह ने शहीदों के परिजनों को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से नहीं मिलवाया.

प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है आज ओपी चौधरी जैसे भाजपा नेता शहीदों के परिजनों को डिप्टी कलेक्टर नियुक्त किए जाने पर जितना ओछा और स्तरहीन बयान दे रहे हैं वह बेहद आपत्तिजनक और निंदनीय है. जीरम के शहीद नंद कुमार पटेल के बेटे और शहीद दिनेश पटेल के भाई वर्तमान मंत्री उमेश पटेल को हराने के लिए ओपी चौधरी ने खरसिया के विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से पैसा खर्च किया मतदाताओं को कहर बरपाने की धमकियां दी और असामाजिक तत्व गुंडों की फौज लगाकर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं पर जो हमला किया , लोकतांत्रिक प्रक्रिया से खिलवाड़ किया उसे खरसिया के मतदाता और छत्तीसगढ़ की जनता अभी भूले नहीं हैं. असल मे ओपी चौधरी ने नियुक्ति पर सवाल खड़ा कर भाजपा के वास्तविक चरित्र और सोच को ही आगे बढ़ाया है. भाजपा का चरित्र ही शहादत विरोधी है. कांग्रेस की सरकार शहादत का मर्म जानती है. हमने आतंकवाद, नक्सलवाद के कारण अपने नेताओं को खोया है.

रायपुर- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने अपने सन्देश में कहा है कि भगवान शिव की आराधना का यह पर्व पूरे देश के साथ छत्तीसगढ़ में भी श्रद्धा- भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है.

भगवान शिव दुःखों को हरने वाले और सभी का कल्याण करने वाले देवता हैं. उन्होंने इस अवसर पर प्रदेश के सुख -समृद्धि और खुशहाली की कामना की है.

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