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गणेश चतुर्थी पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है, और इस दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव होता है. आज इस खास मौके पर हम आपको भगवान गणेश के एक खास मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो 5 हजार साल पुराना है और अपनी अनूठी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. राजकोट जिले के उपलेटा से 24 किलोमीटर दूर ढाक गांव में स्थित श्री गणेश जी का मंदिर प्राकृतिक परिवेश में बसा हुआ है. इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि यहां भगवान गणेश सिंह पर विराजमान हैं, जो अन्य मंदिरों से अलग है. यह सिद्धिविनायक गणेश मंदिर स्वतः प्रकट हुआ था और यह गणपति त्रेतायुग के काल से संबंधित हैं.

 

 

5000 साल पहले भक्त के सपने में आए थे गणपति

सपने में गणेश जी का आना और स्थापना मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी ने बताया कि लगभग 5हजार साल पहले एक भक्त के सपने में भगवान गणेश आए और उन्होंने उससे कहा, “तुम मुझे जमीन से बाहर निकालो.” भक्त ने भगवान की आज्ञा का पालन किया और उनकी मूर्ति को बाहर निकालकर स्थापित किया, तब से यह स्थान गणपति की पूजा का केंद्र बन गया.

 

 

गणेश जी का हर युग में अलग वाहन

हर युग में भगवान गणेश का वाहन अलग होता है. सतयुग में गणेश जी का वाहन मोर, त्रेतायुग में सिंह, द्वापरयुग में चूहा और कलयुग में घोड़ा होता है. इस मंदिर में भगवान गणेश सिंह पर विराजमान हैं, जो त्रेतायुग के समय से यहां पूजे जाते हैं. इस मंदिर में गणेश चतुर्थी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है और भक्तों का विश्वास है कि यहां की गई हर प्रार्थना पूरी होती है.

 

 

भक्त अपने दुख-दर्द डाक से भेजते हैं

जो भक्त मंदिर में व्यक्तिगत रूप से नहीं आ सकते, वे अपने दुख-दर्द भगवान गणेश को मेल के जरिए भेजते हैं. मंदिर के पुजारी गर्भगृह में गणपति जी के समक्ष अकेले में इन पत्रों को पढ़ते हैं. इस अनोखी परंपरा के कारण, दूर-दूर से भक्त, विशेषकर मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों से, इस मंदिर में दर्शन करने और अपनी आस्था व्यक्त करने आते हैं. गणेशोत्सव के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.

यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता बल्कि अनूठी मान्यताओं और भक्ति-भाव के लिए भी प्रसिद्ध है, जो इसे गणेश भक्तों के बीच एक पवित्र स्थल बनाता है.

 

नई दिल्ली। कोलकाता में महिला डॉक्टर से दुष्कर्म और हत्या मामले से संबंधित याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच को लेकर स्टेटस रिपोर्ट पेश की। बंगाल सरकार ने भी कोर्ट को स्थिति रिपोर्ट सौंपी। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि, पश्चिम बंगाल सरकार ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। इसमें बताया गया है कि, जब डॉक्टर काम नहीं कर रहे थे, तब 23 लोगों की मौत हो गई। सुनवाई के बाद कोर्ट सीबीआई से नई स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने जांच एजेंसी को एक हफ्ते का समय दिया है। इसके बाद कोर्ट ने मामले पर सुनवाई 17 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी हैं।

 

उडुपी । कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी एसडीपीआई के विरोध के बाद कर्नाटक सरकार ने हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाली प्रिंसिपल को सम्मानित करने का अपना फैसला वापस ले लिया है। कर्नाटक शिक्षा विभाग ने उडुपी जिले के कुंडापुरा पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल बीजी रामकृष्ण को सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल पुरस्कार के लिए चुना था, लेकिन अब उन्हें सम्मान नहीं दिया जाएगा। कर्नाटक में शिक्षा विभाग हर साल शिक्षक दिवस पर सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल को सम्मानित करता है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल पुरस्कार के लिए दो शिक्षकों का चयन हुआ था, जिसमें कुंडापुरा पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल रामकृष्ण और मैसूर जिले के हुनसुरु पीयू कॉलेज के प्रिंसिपल ए. रामेगौड़ा शामिल हैं। लेकिन जैसे ही यह खबर सामने आई कि रामकृष्ण को सर्वश्रेष्ठ प्रिंसिपल पुरस्कार मिलेगा है, प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पीएफआई की राजनीतिक शाखा कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी एसडीपीआई ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।

दरअसल रामकृष्ण ने पीयू कॉलेज के नियमों का पालन करते हुए फरवरी 2022 में हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं को कक्षा में प्रवेश नहीं करने दिया था। उनके फैसले के बाद पूरे राज्य में हिजाब बैन को लेकर भारी हंगामा हुआ था। रामकृष्ण ने बताया कि उन्हें शिक्षा विभाग की ओर से जानकारी दी गई कि तकनीकी कारणों से फिलहाल उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि हालांकि उनका पुरस्कार रद्द नहीं हुआ है।

दरअसल एसडीपीआई के विरोध के बाद कई कट्टरपंथी ताकतें और अन्य लोग सक्रिय हो गए, जिसके बाद सोशल मीडिया पर शिक्षा विभाग की आलोचना करते हुए कई पोस्ट किए गए। शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक किसी भी विवाद से बचने के लिए फिलहाल रामकृष्ण को पुरस्कार न देने का फैसला किया गया है।

अल्मोड़ा । अपनी खास बनावट के लिए जाने वाले ओम पर्वत पर बर्फ से बनी ऊं की आकृति हट गई है। जानकारों के अनुसार इसका हटना वैश्विक और स्थानीय पर्यावण के संकट को दर्शा रहा है। अगस्त के तीसरे हफ्ते में यह बर्फ गायब हुई थी।

वैज्ञानिकों के अनुसार, इस घटना को जलवायु परिवर्तन के असर के तौर पर देखा जा सकता है। ओम पर्वत भारत, चीन और नेपाल की सीमा से लगा हुआ है। यह पर्वत कैलाश मानसरोवर यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। चीन सीमा से सटे लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ गई। अल्मोड़ा के जीबी पंत इंस्टीट्यूट में सेंटर फॉर एनवायरमेंटल असेसमेंट एंड क्लाइमेट चेंज सेंटर के जेसी कुनियाल के अनुसार, विश्वभर में मौसमी बदलाव देखने को मिल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन का असर ओम पर्वत पर दिखाई दिया है। वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और ग्लेशियर इससे सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि जंगलों में आग की घटनाएं और इसका दायरा बढ़ रहा है। जंगल की आग से निकला ब्लैक कार्बन ग्लेशियर पर असर डालता है। ग्लेशियर की अच्छी सेहत के लिए उसके नीचे के बुग्यालों में अच्छी घास होनी चाहिए। अल्पाइन क्षेत्र में वनों की सेहत अच्छी होनी चाहिए। इससे तापमान संतुलित रहता है।

यूएन की रिपोर्ट के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र के एक तिहाई ग्लेशियरों पर ग्लोबल वार्मिंग का संकट  है। तापमान बढ़ने से 2000 से ग्लेशियर के पिघलने की दर बढ़ गई है। ग्लेशियर्स से 58 बिलियन टन बर्फ हर साल कम हो रही है। यह फ्रांस और स्पेन में होने वाले पानी की कुल खपत के बराबर है। वहीं द इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेडेट माउंटेन डिवेलपमेंट के अनुसार तापमान बढ़ने की दर हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में वैश्विक दर से काफी अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार बीते साल मॉनसून के बाद अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में उत्तराखंड में तापमान में बदलाव दो डिग्री से अधिक रहा। साथ ही सर्दियों के बाद बारिश भी बेहद कम हुई। इस साल उत्तराखंड के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ी। देहरादून का तापमान 44 डिग्री तक पहुंच गया। ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ अनिल देशमुख्य के अनुसार देश के अन्य हिस्सों की तुलना में हिमालय में तापमान अधिक तेजी से बढ़ रहा है। जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, तापमान भी बढ़ता जाता है। इसलिए मौसमी बर्फ अब गर्मियों के साथ सर्दियों और वसंत ऋतु में भी तेजी से पिघल रही है। ओम पर्वत पर बर्फ का गायब होना इका प्रमाण है।

 

कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल के खिलाफ ईडी ने बड़ा ऐक्शन लिया है। खबर है कि शुक्रवार को संदीप घोष के आवास पर ईडी ने छापामार कार्रवाई की और खबर लिखे जाने तक तलाशी जारी रही। इसके अलावा भी राज्य में कई जगह अधिकारियों ने रेड की है। ईडी ने पीएमएलए केस के तहत यह कार्रवाई की है। ईडी ने घोष और करीबियों से जुड़े 5-6 ठिकानों पर रेड की है। साथ ही अस्पताल के डेटा एंट्री ऑपरेटर प्रसून चटर्जी के घर पर भी ईडी के अधिकारी पहुंचे हैं। कार्यकाल के दौरान अनियमितताओं के आरोप में सीबीआई ने मंगलवार को ही घोष को गिरफ्तार किया था। उन्हें 8 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। इधर, पश्चिम बंगाल सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है। सीबीआई की तरफ से गिरफ्तार किए जाने से पहले घोष से 15 दिनों तक एजेंसी के सॉल्ट लेक ऑफिस में पूछताछ हुई थी। तब सीबीआई ने ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर केस के संबंध में पूछताछ की थी। साथ ही अस्पताल में वित्तीय अनियमतताओं को लेकर भी सवाल पूछे गए थे। घोष को 2 बार पॉलीग्राफ टेस्ट से भी गुजरना पड़ा था। मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी भी घोष के खिलाफ जांच कर रही है।

घोष ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, जिसमें उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई है। उच्च न्यायालय ने कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का 23 अगस्त को आदेश दिया था।उच्च न्यायालय का 23 अगस्त का आदेश अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर आया था, जिन्होंने घोष के कार्यकाल के दौरान अस्पताल में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जांच का अनुरोध किया था। उच्च न्यायालय ने याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल किए जाने के घोष के अनुरोध को भी खारिज कर दिया था और कहा था कि वह मामले में ‘आवश्यक पक्षकार’ नहीं थे।इसने अपने आदेश में कहा था, उपरोक्त आरोपों और घटना के बीच स्पष्ट संबंध के मद्देनजर तथा इस बात पर विचार करते हुए कि मामले (अस्पताल में डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या) की जांच पहले ही सीबीआई को सौंपी जा चुकी है, एक व्यापक और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए इस मामले की भी जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए।

नई दिल्ली । केंद्र सरकार अग्निपथ योजना में बड़ा बदलाव करने जा रही है। वेतन और योग्यता की शर्तों में भी बदलाव किया जा रहा है। सेना में 25 फ़ीसदी के स्थान पर 50 फ़ीसदी अग्नि वीरों को नौकरी दिए जाने पर गंभीर विचार विमर्श हो रहा है। रक्षा मंत्रालय द्वारा अग्निपथ योजना पर पुनः विचार विमर्श शुरू कर दिया गया है। लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। इसका बड़ा असर लोकसभा के चुनाव में हुआ था। भारतीय जनता पार्टी के आंतरिक सर्वे में भी यह बात सामने आई। उसके बाद सरकार ने अग्निपथ योजना में पुनर्विचार करने का निर्णय लिया है। जो नया प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उसमें अग्निपथ के 50 फ़ीसदी सैनिकों को सेना में नौकरी देने, अग्नि वीर के वेतन और भक्तों को लेकर बदलाव करने पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। हरियाणा विधानसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार इस मामले में जल्द ही निर्णय ले सकती है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जाति जनगणना करवाने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि जाति जनगणना एक नीतिगत मामला है। यह मुद्दा केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। याचिकाकर्ता पी प्रसाद नायडू ने सुप्रीम कोर्ट से जाति जनगणना कराने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी। नायडू ने याचिका में कहा था कि केंद्र और उसकी एजेंसियों ने आज तक जनगणना-2021 के लिए गणना नहीं की है। शुरुआत में कोविड-19 महामारी और फिर कई बार स्थगित किया जा चुका है। जनगणना में देरी के कारण डेटा में बड़ा अंतर पैदा हो गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील रविशंकर जंडियाला ने कहा कि कई देशों ने जातिगत जनगणना की, लेकिन भारत ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। 1992 के इंद्रा साहनी फैसले में कहा गया है कि यह जनगणना समय-समय पर की जानी चाहिए।

नई दिल्ली। दिल्ली की सड़कों पर दौड़ रहे अवैध ई-रिक्शा चालकों पर शिकंजा कसते हुए परिवहन विभाग ने 114 ई-रिक्शों को जब्त किया है। विभाग ने लगातार मिल रही शिकायतों के बाद गैरकानूनी रूप से चल रहे ई-रिक्शों को जब्त किया और जेसीबी से इन्हें नष्ट कर दिया।

परिवहन विभाग ने अपना पूरा फोकस अवैध ई-रिक्शों पर केंद्रित कर दिया है। दिल्ली में करीब एक लाख 60 हजार ई रिक्शा चलते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में अवैध ई-रिक्शा भी हैं, जिनके पास न तो लाइसेंस और न परमिट। ये ई-रिक्शा दिल्ली की सड़कों पर खतरनाक तरीके से लोगों की जान जोखिम में डालकर चलते हैं साथ ही ई-रिक्शा चालकों ने पूरी तरह सड़कों को घेर लेने की भी शिकायतें मिल रहीं थीं। ये अवैध ई-रिक्शे सड़कों पर खुलेआम बिजली चोरी भी करते हैं. जिसकी वजह से बिजली कंपनियों को  करीब 120 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है और यह नुकसान दिल्ली की जनता से वसूला जाता है।

एक ई रिक्शा को चार्ज करने में 8 से 10 यूनिट बिजली खर्च होती है, लेकिन यह रिक्शा माफिया बिजली के पोल से बिजली चोरी कर के रिक्शाओं को चार्ज करते हैं, जिसके कारण दिल्ली में पिछले दिनों कई हादसे हुए और ई-रिक्शा में करंट आने से एक साल साल के बच्चे की और एक 40 साल की व्यक्ति की मौत हो गई थी।

 

हैदराबाद। सोमवार को तेलंगाना में बारिश से संबंधित घटनाओं में 16 लोगों की मौत हो गई, जबकि आंध्र प्रदेश में पिछले तीन दिनों में इसी प्रकार की घटनाओं में 15 लोगों की जान गई। दोनों राज्यों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 26 टीमों को राहत और बचाव कार्यों के लिए तैनात किया गया है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने केंद्र से बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। विजयवाड़ा के मोगलराजपुरम में लैंडस्लाइड के कारण पांच लोगों की मौत हो गई। विजयवाड़ा ग्रामीण, जी कोंडरू मंडल और रेड्डीगुडेम मंडल में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई, ये सभी इलाके एनटीआर जिले के अंतर्गत आते हैं। गुंटूर जिले में भी पांच लोगों की मौत की खबर है, जिसमें उप्पलापाडु से नम्बुरु जा रहे एक शिक्षक और दो छात्र पानी में बह गए। मंगलगिरी शहर में 80 वर्षीय महिला की भी मौत हो गई। इसके अलावा, प्रकाशम जिले के मरकापुर संभाग में तीन बच्चे डूब गए। राज्य के आईटी एवं उद्योग मंत्री डी। श्रीधर बाबू ने बताया कि नुकसान की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्थिति की व्यापक जानकारी मिल सकेगी। मुख्यमंत्री ने बारिश से जुड़ी घटनाओं में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है। इसके साथ ही, राज्य सरकार बाढ़ से हुए नुकसान पर एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्र को सौंपेगी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने की गुजारिश करेगी।

बिहार की कई ट्रेन रद्द कर दी

वहीं दूसरी तरफ कर्नाटक में साउथ वेस्टर्न रेलवे के रेल रास्तों पर कई जगहों पर जलजमाव के कारण बिहार की कई ट्रेन रद्द कर दी गई हैं। ईस्ट सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्रा ने कहा कि रायनपाडु स्टेशन और विजयवाड़ा-निडदवोलु रेलखंड पर कई जगहों पर पटरियों पर जलजमाव हो गया है। इस वजह से, सोमवार को दानापुर से चलने वाली गाड़ी संख्या 12296 संघमित्रा एक्सप्रेस, बेंगलुरु से चलने वाली गाड़ी संख्या 12295 संघमित्रा एक्सप्रेस, बेंगलुरु से चलने वाली गाड़ी संख्या 06509 बेंगलुरु-दानापुर विशेष रेलगाड़ी और चार सितंबर को दानापुर से चलने वाली गाड़ी संख्या 06510 दानापुर-बेंगलुरु विशेष रेलगाड़ी को रद्द कर दिया गया है।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। इस यात्रा को लेकर पीएम ने अपनी भावनाएं एक्स पर व्यक्त कीं। कहा, अगले दो दिनों में मैं ब्रुनेई दारुस्सलाम और सिंगापुर का दौरा करूंगा। इन देशों में विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान, भारत के इन देशों के साथ संबंधों को और मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। पोस्ट में मुलाकात का पूरा ब्योरा दिया गया है। आगे लिखा है, भारत-ब्रुनेई दारुस्सलाम राजनयिक संबंधों ने 40 शानदार वर्ष पूरे कर लिए हैं। मैं महामहिम सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया से मिलने के लिए उत्सुक हूं। सिंगापुर में, मैं राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली ह्सियन लूंग और ईएसएम गोह चोक टोंग के साथ बातचीत करूंगा। हम प्रमुख क्षेत्रों में संबंधों को और मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं। पीएम मोदी 4 सितंबर को ब्रुनेई से सिंगापुर के लिए रवाना होंगे। वहां पहुंचकर वे सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली ह्सियन लूंग और एमेरिटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी सिंगापुर के बड़े कारोबारियों से भी मुलाकात करेंगे। जिनसे डिजिटलाइजेशन और सतत विकास के नए और उभरते क्षेत्रों पर चर्चा करेंगे।

बता दें कि ब्रुनेई के सुल्तान हसनल बोल्कियाह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं और उनकी लाइफस्टाइल काफी चर्चा में रहती है। बोल्कियाह के पास 7000 कारों के साथ-साथ प्राइवेट जेट भी है। सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया ने 1967 में ब्रुनेई की गद्दी संभाली थी, तब उनकी उम्र सिर्फ 21 साल थी। 4।5 लाख की आबादी वाले ब्रुनेई पर बोल्किया परिवार 600 सालों से राज कर रहा है और सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया शाही परिवार के 29वें वारिस हैं। वह ब्रुनेई के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं। भारत-ब्रुनेई दारुस्सलाम के राजनयिक संबंधों ने 40 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई दारुस्सलाम के सुल्तान हाजी हसनल बोल्किया से मिलने पहुंच रहे हैं। पीएम मोदी की ब्रुनेई दारुस्सलाम की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी।

 

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