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देश (9270)

भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर और चीन के शिंजियांग क्षेत्र के बीच शुरू होने वाली बस सेवा का पाकिस्तान और चीन दोनों के सामने विरोध दर्ज किया है। सोमवार को पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया ने कहा कि एक निजी प्राइवेट कंपनी 3 नवंबर को बस सेवा लांच करने वाली है। यह सेवा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के अंतर्गत शुरू की जाएगी। भारत शुरू से ही सीपीईसी के खिलाफ रहा है।

 

विरोध की जानकारी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दी। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान के 1963 'बाउंड्री अग्रीमेंट' को कभी भी मान्यता नहीं दी है। ऐसे में पीओके में पाकिस्तान द्वारा बस सेवा शुरू करना भारत की संप्रभुता और क्षेत्र का उल्लंघन है।

स्थानीय पाकिस्तानी मीडिया ने बस सेवा पर कहा था कि 30 घंटे की इस बस सेवा का किराया 13 हजार रुपये और वापसी में 23 हजार रुपये होगा। पाकिस्तान की निजी कंपनी का यह भी कहना है कि बस पाकिस्तान स्थित लाहौर से काशगर तक हफ्ते में चार दिन चलेगी। ये भी खबर है कि इसके लिए लोगों ने बुकिंग कराना शुरू कर दिया है।

भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा संसद के शीतकालीन सत्र में अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए प्रस्ताव लाएंगे। खुद राकेश सिन्हा ने इस बात की पुष्टि की है। 

 आरएसएस विचारक के रूप में विख्यात राकेश सिन्हा ने बातचीत में कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वे प्राइवेट मेम्बर बिल के रूप में अयोध्या में राममंदिर के निर्माण के लिए यह प्रस्ताव लाएंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल, इस मुद्दे पर अंतिम निष्कर्ष निकालने के लिए अभी वे कुछ शीर्ष लोगों से बातचीत कर रहे हैं। 


भाजपा सांसद की तरफ से राममंदिर निर्माण के लिए बिल का यह प्रस्ताव ऐसे समय में किया गया है जब आरएसएस और विहिप ऐसे बिल की लगातार मांग कर रहे हैं। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कई बार सरकार से मंदिर निर्माण के लिए संसद में बिल लाने की मांग की है। विहिप अभी भी इस मुद्दे पर पूरे देश के हर सांसद से मिलकर मंदिर निर्माण के लिए बिल पर उनसे सहमति मांगने की मुहिम चला रहा है। 

इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लालू, येचुरी और मायावती समेत कई नेताओं को चुनौती देते हुए कहा है कि वह अपना स्टैंड क्लियर करें। इस मुद्दे पर उन्होंने गुरुवार को कई ट्वीट भी किए। 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले यह मुद्दा संसद के साथ साथ लोगों के लिए भी बहस का हिस्सा बनने जा रहा है। मामले पर भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने राम मंदिर पर बयान देते हुए कहा कि राम मंदिर के लिए सिर्फ एक ही उपाय है, अध्यादेश लाएं या फिर जमीन अधिग्रहण करें।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले को टालने के बाद से ही आरएसएस, वीएचपी जैसे कई हिंदू संगठन केंद्र की मोदी सरकार पर राम मंदिर पर अध्यादेश लाने का दबाव बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाना आसान काम नहीं है, इस रास्ते में कई रुकावटें हैं।

उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'जो लोग (भाजपा और आरएसएस) को उलाहना देते रहते हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं, उनसे सीधा सवाल क्या वे मेरे प्राइवेट मेंबर बिला का समर्थन करेंगे? समय आ गया है दूध का दूध पानी का पानी करने का।' उन्होंने अपने इस ट्वीट में राहुल गांधी, अखिलेश यादन, सीतीरीम येचुरी और लालू प्रसाद यादव को भी टैग किया।

सिन्हा ने आगे कहा कि राम मंदिर मामला हिंदुओं के लिए प्राथमिकत में है। सुप्रीम कोर्ट को धारा 377, जलिकट्टू और सबरीमाला पर फैसला सुनाने में कितने दिन लगे? लेकिन दशकों से ये मुद्दा प्राथमिकता में नहीं है।

31 जनवरी-1 फरवरी को प्रयागराज में हिन्दू सन्तों की धर्मसंसद का आयोजन किया जाना है। इस संसद में भी राममंदिर के लिए बिल लाने पर सरकार पर दबाव पड़ सकता है। इस अर्थ में भाजपा सांसद के इस बिल को विशेष अर्थ में देखा जा सकता है। 

कांग्रेस नेता राजीव त्यागी ने राममंदिर पर बिल लाने की चर्चा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पिछले साढ़े चार साल से ज्यादा समय तक जनहित में कोई काम न कर पाने के बाद भाजपा को वोट पाने के लिए अब फिर राम की शरण में जाना पड़ रहा है। लेकिन जनता उनकी इस चाल को समझती है और इस बार भाजपा इसमें कामयाब नहीं होगी। त्यागी के मुताबिक उन्होंने कोर्ट के आदेश से राममंदिर का ताला भी खोला था और संसद में बिल लाकर सोमनाथ मंदिर का निर्माण भी कराया था। भाजपा को भी देश के संविधान का पालन करना चाहिए और कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा करनी चाहिए। 

ये है प्राइवेट मेंबर बिल

भारत में कानून बनाने के लिए बिन पेश किए जाते हैं। इसे सरकार के मंत्री या किसी सांसद की ओर से पेश किया जाता है। इसे सरकारी बिल और दूसरी स्थिति में प्राइवेट मेंबर बिल कहा जाता है। संसद में सरकारी विधेयकों के अलावा सदस्यों को व्यक्तिगत विधेयक लाने का भी अधिकार है। लेकिन इन विधेयकों को कानून का रूप देना है या नहीं यह सरकार के रुख से तय होता है। हर शुक्रवार को लोकसभा और राज्यसभा में निजी विधेयक (प्राइवेट मेंबर बिल) पेश किए जाते हैं।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार को 10 दिनों के अंदर राफेल विमान सौदे का ब्यौरा सौंपने का आदेश दिया है। न्यायालय ने सरकार को बंद लिफाफे में राफेल विमान की कीमत और इस सौदे से संबंधित विस्तृत जानकारी सौंपने के लिए कहा है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण शौरी, यशवंत सिन्हा और प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण की ओर से संयुक्त रूप से दायर  याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि राफेल विमान सौदे में कीमत से जुड़ी विस्तृत जानकारी बंद लिफाफे में जमा कराई जाए। सरकार अगले 10 दिनों के भीतर यह जानकारी मुहैया कराये।

याचिकाकर्ताओं ने भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे में अनिल अंबानी की अनुभवहीन रिलायंस डिफेंस को राफेल का निर्माण करने वाली कंपनी दसाल्ट के साथ पार्टनर बनाये जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।

भारतीय रेलवे ने त्योहारी सीजन में रेलयात्रियों को बड़ा तोहफा दिया है। बुधवार को रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर बताया कि रेलवे उन रेलगाड़ियों से फ्लेक्सी फेयर प्रणाली को पूरी तरह से हटाएगी जिनमें 50 प्रतिशत से कम सीटों की बिक्री होती है।

 रेल मंत्री ने जानकारी दी कि रेल यात्रियों को दीवाली के तोहफे के तौर पर रेलवे ने फ्लेक्सी फेयर घटाया है। अब यह टिकट के आधार मूल्य के 1.5 गुणा के बजाय 1.4 गुणा होगा। 


गोयल ने आगे बताया कि कम सीट बुकिंग वाली 15 रेलगाड़ियों में फ्लेक्सी फेयर प्रणाली हटाई गई, 32 रेलगाड़ियों में सुस्त यात्रा मौसम के दौरान यह प्रणाली लागू नहीं होगी। उन्होंने बताया कि 101 रेलगाड़ियों में फ्लेक्सी फेयर योजना लागू रहेगी। 
 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करनी चाहिए। साथ ही कहा कि इस संबंध में कानून बनने की जरूरत है ताकि अयोध्या में जल्दी से जल्दी राम मंदिर का निर्माण हो सके। 

बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को जनवरी, 2019 में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया जाएगा। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने यह बात कही।

भूमि विवाद मामले में दीवानी अपील इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई है। उचित पीठ मामले में अपील पर सुनवाई की तारीख तय करेगी। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम जनवरी में उचित पीठ के सामने अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई की तारीख तय करेंगे।’’ 

इससे पहले तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के अपने फैसले में मस्जिद को इस्लाम का अभिन्न हिस्सा ना मानने संबंधी टिप्पणी पर पुनर्विचार का मुद्दा पांच सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजने से इनकार कर दिया था। अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठा था।

बता दें कि 2010 से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन भूमि विवाद के मसले पर अब तक नियमित सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है। पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। सुनवाई की शुरुआत में ही मुस्लिम पक्षकारों ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला 1994 में इस्माइल फारूखी मामले में सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी से प्रभावित है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।

उन्होंने पहले इस टिप्पणी को पुनर्विचार के लिए संविधान पीठ को भेजने की मांग की। तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने 27 सितंबर को बहुमत (2:1) से लिए फैसले में मसले को संविधान पीठ को भेजने से इनकार कर दिया। साथ ही साफ किया कि मामले का निपटारा भूमि विवाद के तौर पर किया जाएगा। 

सबसे पहली खुशखबरी ये है कि अब भारत में है दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति। जी हां सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण हो गया है। इसी के साथ पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। गुजरात के नर्मदा जिले में बनी ये प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसका अनावरण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। आप भी इस भव्य कार्यक्रम की कुछ झलकियां देखिए। 

 अब रेलवे में भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम
वहीं एक खुशखबरी रेलवे भी अपने यात्रियों को देर रहा है। दरअसल यात्रियों को भष्ट्राचार से निजात दिलाने के लिए रेलवे ने तैयारी शुरू कर दी है। रेल टिकटों की कालाबाजारी हो या फिर रेलवे के निर्माण कार्य, टेंडर या अन्य कार्यो में भ्रष्टाचार, इसकी जानकारी होने के बावजूद कई लोग अपनी शिकायत संबंधित अधिकारियों से नहीं कर पाते हैं। लेकिन अब रेल यात्री, कर्मचारी या कोई अन्य व्यक्ति भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायत आसानी से उच्च अधिकारियों तक पहुंचा सकता है।

इसके लिए उसे रेलवे के कार्यालय में नहीं जाना पड़ेगा। बस एक फोन मिलाना है और उसकी शिकायत दर्ज कर ली जाएगी। इसके लिए उत्तर रेलवे ने नंबर भी जारी किया है। ऑनलाइन भी शिकायत की जा सकती है।इसलिए उत्तर रेलवे लोगों को सतर्कता संबंधी शिकायत 155210, 09717638892 और 09868175631 नंबर पर दर्ज कराने की सलाह दी है। रेलवे स्टेशनों पर भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने के लिए विशेष काउंटर भी खोले जा रहे हैं।

अब फसलों पर नहीं पड़ेगी मौसम की मार

लगातार बदलते पर्यावरण के कारण फसलों को होने वाले नुकसान से परेशान किसानों के लिए राहत की बात है। कृषि मंत्रालय ने मौसम की मार से फसलों को बचाने और किसानों को राहत देने के लिए योजना बनाई है। योजना के तहत देश के सर्वाधिक प्रभावित 151 जिलों में अध्ययन कर फसलों को सूखा, अति वृष्टि, ओला वृष्टि, चक्रवात, भीषण गर्मी और शीतलहर से बचाने के उपाय निकाले गए हैं। साथ ही इसमें ये भी सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है कि बदलते पर्यावरण के कारण फसलों पर मौसम की मार न पड़े। मंत्रालय अब इन उपायों को पूरे देश में लागू करने की तैयारी में है। कृषि मंत्रालय के एजेंडे के मुताबिक, देशभर में स्थित 121 कृषि विज्ञान केंद्रों पर किसानों को फसलों के बचाने के उपायों की ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही उन्हें प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।

अग्नि मिसाइल की उड़ान फिर सफल

परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम भारत की स्वदेश निर्मित बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि-1 का परीक्षण फिर से सफल रहा है। करीब 1000 किलोग्राम हथियार लेकर 700 किलोमीटर तक हमला करने में सक्षम अग्नि मिसाइल का तीसरा उड़ान परीक्षण स्थानीय रेंज पर मंगलवार रात में करीब 8 बजे किया गया। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि ये सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण सेना की तरफ से यूजर ट्रायल के तहत किए जा रहे हैं।
 

'तकनीक के बिना जीवन की कल्‍पना करना मुश्‍किल है. हर किसी का जीवन तकनीक से जुड़ा है और तकनीक की रफ्तार बहुत तेज है. सभी देशों के सामने बदले हुए तकनीक के साथ चलने की चुनौती है.' यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इंडिया-इटली टेक्नॉलॉजी समिट में कही.

उन्होंने कहा कि  भारत में तकनीक का विकास किया जा रहा है और इसे हम लोगों के काम को आसान बनाने की ओर बढ़ते कदम की तरह देखते हैं. सरकार की कई सेवाओं में तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. मोदी ने कहा कि सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में सूचना तकनीक की पहचान को भारत अब अगले स्तर पर ले जाना चाहता है.

मोदी ने तकनीक के क्षेत्र में भारत की बढ़ती ताकत के बारे में बताते हुए कहा कि दुनिया डायरेक्‍ट बेनिफिट स्‍कीम से चल रही है. इसमें भारत भी शामिल है. भारत में बैंक खातों को सीधे ऑनलाइन से जोड़ा गया है. अब जन्‍म प्रमाण पत्र से लेकर बुजुर्ग अवस्‍था में मिलने वाली पेंशन योजना का लाभ भी ऑनलाइन उठाया जा रहा है.

मोदी ने कहा कि सरकार की कई सेवाओं में तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है. सरकारी सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में सूचना तकनीक की पहचान को भारत अब अगले स्तर पर ले जाना चाहता है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा दूसरा स्टार्ट अप ईको सिस्टम भारत में है. भारत, इटली समेत दुनिया के कई देशों के उपग्रह को मामूली खर्च में अंतरिक्ष में भेज रहा है.


पीएम मोदी ने कहा, 'बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर बुढ़ापे की पेंशन तक की अनेक सुविधाएं आज ऑनलाइन हैं. 300 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की सेवाओं को उमंग ऐप के माध्यम से एक प्लेटफॉर्म पर लाया गया है. देशभर में 3 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स से गांव-गांव में ऑनलाइन सेवाएं दी जा रही हैं.'

वायु प्रदूषण की स्थिति को बेहद गंभीर बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 15 वर्ष पुराने पेट्रोल और 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर पाबंदी लगा दी है। शीर्ष अदालत ने परिवहन विभागों का कहा कि अगर दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर ऐसे वाहन चलते पाए गए तो उन्हें जब्त कर लिया जाए।  

 

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति को भयावह करार दिया है। मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि हालत यह है कि लोग सुबह की सैर के लिए नहीं निकल सकते।  

पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) और परिवहन विभाग की वेबसाइट पर 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों की लिस्ट जारी करने केलिए कहा है। पीठ ने इस संबंध में अखबारों में विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया है। इसकेअलावा पीठ ने सीपीसीबी को जल्द से जल्द एक सोशल मीडिया अकाउंट बनाने के लिए कहा है जिससे कि नागरिक प्रदूषण से संबंधित शिकायतें दर्ज करा सके। इन शिकायतों पर संबंधित अथॉरिटी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।  

साथ ही पीठ ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अथॉरिटी(इपका) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान(जीआरएपी) के तहत दिए गए प्रदूषण स्तर पहले भी उपचारात्मक कदम उठम उठाने की इजाजत दे दी है।  

सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश अमाइक क्यूरी अपराजिता सिंह द्वारा दायर की गई रिपोर्ट पर दिए हैं। वास्तव में अपराजिता सिंह ने पीठ को बताया कि राजधानी में प्रदूषण की स्थिति इस कदर खराब हो गई है कि जल्द कोई कदम उठाने की दरकार है। 

मालूम हो कि इससे पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) ने दिल्ली में 15 वर्ष पुराने पेट्रोल वाहन व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर पाबंदी लगाई थी और शीर्ष अदालत एनजीटी केआदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर चुकी है।  

सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने उस मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया कि दिल्ली में प्रदूषण इस कदर है कि लोग सुबह की सैर करने तक नहीं जा सकते। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल(एएसजी) एएनएस नादकर्णी से कहा, 'क्या आप पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन गए हैं।

गरीब लोगों को आजीविका चलाने केलिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उन्हें जिस तरह का परिश्रम करना पड़ता है वह लोधी गार्डन में घूमने वाले लोगों से अधिक है। गरीब मजदूर भारी शारीरिक श्रम करते हैं। क्या आप उन्हें काम करने से यह कह कर रोक सकते हैं सुबह में काम करना सुरक्षित नहीं है। यह बेहद गंभीर स्थिति है। यह भयावह स्थिति है।’ इस पर एएसजी ने कहा कि वह अमाइकस क्यूरी के सुझावों का समर्थन करते हैं। 
 
साथ ही अमाइकस क्यूरी ने इपका द्वारा तैयार की रिपोर्ट और द्वारका, नरेला, बवाना, मुंडका और नांगलोई आदि में कूड़ा जलाने की फोटो पेश की। इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार और डीएसआईआईडीसी को दो दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई एक नवंबर को होगी। 

सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख निर्देश:  
- दिल्ली-एनसीआर में 15 वर्ष पुराने पेट्रोल व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों के परिचालन पर पाबंदी  
- ऐसे वाहनों के सड़कों पर पाए गए तो जब्त होंगे 
- वेबसाइट पर 15 वर्ष पुराने पेट्रोल व 10 वर्ष पुराने डीजल वाहनों की सूची जारी करने केलिए कहा 
- अखबारों में विज्ञापन देने का निर्देश 
- सोशल मीडिया अकाउंट बनाने का निर्देश, जहां नागरिक प्रदूषण संबंधित शिकायत दर्ज करा सकें

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को अयोध्या के राम मंदिर मामले पर सुनवाई की। देश के मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद जस्टिस रंजन गोगोई ने पहली बार इस मसले पर सुनवाई की। माना जा रहा था कि अदालत नियमित सुनवाई को लेकर कोई अहम फैसला दे सकती है लेकिन उसने अगले साल जनवरी तक के लिए इसे लटका दिया है। अदालत ने यह भी नहीं बताया है कि जनवरी में किस तारीख से राम मंदिर को लेकर सुनवाई होगी। 

 

राम मंदिर को लेकर देश की सियासत में गहमा-गहमी का माहौल बनने लगा है। जहां एक तरफ सरकार पर विपक्षी पार्टियां अध्यादेश या कानून बनाकर मंदिर निर्माण के लिए दबाव डाल रही हैं। वहीं उसके अंदर से भी मंदिर निर्माण को लेकर आवाजें उठने लगी हैं। मगर सरकार के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा क्योंकि उसकी राह में बहुत से रोड़े हैं। आज हम आपको बताते हैं इस मामले से जुड़ी कुछ अड़चनें।

1993 में आया था कानून

केंद्र सरकार 1993 में अयोध्या अधिग्रहण अधिनियम लेकर आई थी। जिसके तहत विवादित भूमि और उसके आस-पास की जमीन का अधिग्रहण करते हुए पहले से जमीन विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं को खत्म कर दिया गया था। सरकार के इस अधिनियम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद 1994 में अदालत ने इस्माइल फारूखी मामले में आदेश देते हुए तमाम दावेदारी वाली अर्जियों को बहाल कर दिया था और जमीन केंद्र सरकार के पास रखने को कहा था। अदालत ने निर्देश दिया था कि जिसके पक्ष में फैसला आएगा उसे जमीन सौंप दी जाएगी।

दोबारा नहीं बनेगा कानून

मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी का कहना है कि अयोध्या अधिग्रहण अधिनियम 1993 में लाए गए कानून को उच्चतम न्यायालय मे चुनौती दी गई थी। उस समय अदालत ने कहा था कि अधिनियम लाकर अर्जियों को खत्म करना गैर संवैधानिक है। सरकार लंबित मामले पर कानून नहीं ला सकती है। यह न्यायिक प्रक्रिया में दखलअंदाजी होगा।

बरकरार रहेगी यथास्थिति

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज एसआर सिंह का कहना है कि विधायिका उच्चतम न्यायालय के आदेश को खारिज या निष्प्रभावी करने के मकसद से कानून में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं कर सकती है। बल्कि वह फैसले के आधार पर कानून में बदलाव कर सकती है। अयोध्या मंदिर मामला अभी देश के उच्चतम न्यायालय में लंबित है और वहां यथास्थिति को बरकरार रखने के लिए कहा गया है। यदि सरकार ऐसे में कोई कानून बनाती है तो यह अदालती कार्यवाही में दखल होगा। 

मामला लंबित रहने तक नहीं बनेगा कानून

दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त जज आरएस सोढ़ी ने अयोध्या मामले पर कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 1994 में एक फैसला दिया था। तमाम पक्षकारों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है। जहां मामला लंबित है। ऐसी परिस्थिति में सरकार आधिकारिक तौर पर कोई दखल नहीं दे सकती है। हालांकि पक्षकार चाहें तो वह किसी भी समय आपसी समझौता कर सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर के पुंछ में सोमवार को सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए पुंछ ब्रिगेड पर गोला दागे जाने का बदला ले लिया। सोमवार दोपहर भारतीय सेना ने पुंछ में पुलस्त नदी के उस पार पाक अधिकृत क्षेत्र के हजीरा इलाके में स्थित पाकिस्तानी सेना के ब्रिगेड मुख्यालय और कई आतंकी शिविरों को निशाना बनाते हुए गोले दागे। भारतीय सेना ने यह कार्रवाई पुंछ ब्रिगेड मुख्यालय पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दागे गए गोले का बदला लेने के लिए की। पाकिस्तान को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। पाकिस्तान की कुछ चौकियों के तबाह होने की भी सूचना है। हालांकि सीमा पार हुए नुकसान का ब्योरा नहीं मिल पाया है। सेना के ताजा आपरेशन की सेटेलाइट तस्वीरें सामने आईं हैं।

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