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देश (9270)

नयी दिल्ली। भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर के राफेल सौदे पर किये गये दावों ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के झूठ को उजागर कर दिया है जिनका व्यवहार भारत की सुरक्षा जरूरतों के प्रति गैर-जिम्मेदाराना होता जा रहा है। केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ट्रैपियर के साक्षात्कार ने कंपनी की ऑफसेट प्रतिबद्धताओं के बारे में फैल रहे झूठ को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि सीईओ ने साफ कर दिया है कि अनिल अंबानी की रिलायंस और 30 अन्य कंपनियों के साथ इस तरह की प्रतिबद्धता केवल दसॉल्ट की होगी और भारत सरकार की इसमें कोई भूमिका नहीं है। गांधी राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते आ रहे हैं और उन्होंने दावा किया है कि अंबानी को लाभ पहुंचाने के लिए हेराफेरी की गयी। सरकार और रिलायंस इन आरोपों को खारिज कर चुके हैं। प्रसाद ने कहा, ‘‘साक्षात्कार ने कांग्रेस और उसके अध्यक्ष के सारे झूठ का पर्दाफाश कर दिया है।’’
 
उन्होंने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान को भारतीय वायुसेना की सुरक्षा जरूरतों में सहयोग के लिए शामिल किया गया है। उन्होंने गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनका व्यवहार देश की सुरक्षा जरूरतों के हिसाब से गैर-जिम्मेदाराना और लापरवाही वाला होता जा रहा है। हैरानी की बात नहीं है कि राहुल गांधी और पाकिस्तान में उनके दोस्तों की भाषा एक जैसी है।’’ भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने जबलपुर में संवाददाताओं से कहा कि राहुल गांधी का झूठ एक और बार पकड़ा गया है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘झूठ, कपट और षड्यंत्र की राहुल गांधी की राजनीति एक बार फिर सामने आ गयी है। वह इस हद तक बेशर्म हो गये हैं जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती।’’ ट्रैपियर ने एक मीडिया इंटरव्यू में सौदे का बचाव करते हुए दावा किया था कि 58 हजार करोड़ रुपये के सौदे में कोई गड़बड़ी नहीं की गयी और यह साफ-सुथरा करार है। उन्होंने दावा किया कि उनकी कंपनी ने ऑफसेट साझेदार के रूप में रिलायंस को चुना।कांग्रेस ने ट्रैपियर के दावों को खारिज करते हुए उन्हें ‘सोचा-समझा झूठ’ करार दिया।
नयी दिल्ली। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती की पूर्व संध्या पर कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने मंगलवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर परोक्ष हमला बोला और आरोप लगाया कि मौजूदा समय में सरकार में बैठे लोगों द्वारा नेहरू की लोकतांत्रिक मूल्यों के सम्मान वाली विरासत को कमतर करने का प्रयास किया जा रहा है। आधुनिक भारत के निर्माण में देश के प्रथम प्रधानमंत्री के योगदान को याद करते हुए सोनिया ने यह भी कहा कि नेहरू ने जिन लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाया, आज उनको चुनौती दी जा रही है। वह कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पुस्तक "नेहरू: द इन्वेंशन ऑफ इंडिया' पुनर्विमोचन के अवसर पर बोल रही थीं। सोनिया ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के तौर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लोकतंत्र को मजबूत किया और भारत की राजनीतिक व्यवस्था को समृद्ध बनाने का भी काम किया। आज हम इन्हीं मूल्यों पर गर्व करते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नेहरूवाद के मुख्य स्तंभों के तौर पर शशि थरूर (कांग्रेस सांसद) ने कुछ मूल्यों का उल्लेख किया है। वो मूल्य हैं- लोकतांत्रिक संस्थाओं का निर्माण, भारतीय धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी आर्थिक व्यवस्था, गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति। ये मूल्य भारतीयता के दृष्टिकोण का अभिन्न हिस्सा हैं और आज इन्हीं मूल्यों को चुनौती दी जा रही है।’’ कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने नेहरू के आर्थिक मॉडल और गुटनिरपेक्षता केंद्रित विदेश नीति को भी याद किया और कहा कि उन्होंने जिन लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाया था आज उससे जुड़ी विरासत को कमतर करने का प्रयास हो रहा है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता के साथ उन लोगों से लड़ना होगा जो (नेहरू की विरासत को) कमतर करने की कोशिश कर रहे हैं।’’ सोनिया ने कहा कि नेहरू ने देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति सम्मान और उनको मजबूत बनाने की संस्कृति पैदा की जिससे लोकतंत्र मजबूत हुआ।थरूर ने कहा कि नेहरू ने हमेशा इस विचार को आगे रखा कि देश किसी व्यक्ति से महत्वपूर्ण है और संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज अगर देश में लोकतंत्र कायम है तो उसमें देश के पहले प्रधानमंत्री का सबसे अहम योगदान है। नेहरू की आलोचना करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए थरूर ने कहा कि नेहरू ने देश को आईआईटी, आईआईएम, इसरो, डीआरडीओ और कई अहम संस्थान दिए और देश के विकास की मजबूत बुनियाद डाली। लोगों को आजादी के समय के भारत की स्थिति के बारे में जानना चाहिए, उसके बाद उन्हें पता चलेगा कि नेहरू ने भारत को किस तरह से विकास के पथ पर आगे बढ़ाया।

 

सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे की सुनवाई चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में शुरू कर दी है। बता दें कि केंद्र सरकार ने वायु सेना के लिए 36 राफेल लडाकू विमान सौदे की कीमत का ब्योरा सील बंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय को सौंपा है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ इस मामले में अहम सुनवाई कर रहे हैं।

 

-प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राफेल की कीमत का खुलासा करते समय सरकार ने संसद में कोई गोपनीयता का मुद्दा नहीं उठाया। यह सिर्फ कहने के लिए एक फर्जी तर्क है कि वे मूल्य निर्धारण का खुलासा नहीं कर सकते। नए सौदे में राफले जेट्स को पहले सौदे की तुलना में 40% अधिक कीमत पर खरीदा गया है। 

-पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी की तरफ से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में दलील रख रहे हैं। अरुण शौरी भी राफले सौदा मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सौदे में फ्रांस सरकार की तरफ से कोई सॉवरेन गारंटी नहीं दी गई थी।

-आप नेता संजय सिंह के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 36 राफले विमान सौदे का मूल्य दो बार संसद में सामने आया था। इसलिए सरकार का ये कहना कि मूल्यों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता ये स्वीकार करने योग्य नहीं है। 

-याचिकाकर्ता के वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, अदालत में सरकार द्वारा दायर की गई रिपोर्ट से पता चलता है कि मई 2015 के बाद निर्णय लेने के दौरान गंभीर धोखाधड़ी की गई है। याचिकाकर्ता के वकील ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि इस मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की बेंच से कराने की मांग की है। 

  • पत्रकार प्रिया रमानी पर अकबर द्वारा लगाए गए मानहानि के मामले में सोमवार को हुई सुनवाई
  • सुनवाई के दौरान महिला संपादक ने अकबर को बेहतरीन शिक्षक बताया

नई दिल्ली.  एक महिला संपादक ने पूर्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर का समर्थन करते हुए उन्हें जेंटलमैन बताया। द संडे गार्डियन की संपादक जोयिता बसु ने अकबर के साथ लगभग 15 सालों तक काम किया। सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी पर लगाए गए मानहानि केस में सुनवाई हुई। इस दौरान बसु ने अदालत में अपना बयान दर्ज कराया। इस मामले में अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी।


बसु उन 6 लोगों में से एक हैं, जिन्हें प्रिया रमानी मानहानि मामले में अकबर की ओर से गवाह बनाया गया है। उन्होंने एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को बताया कि रमानी के आरोपों वाले ट्वीट्स से अकबर की प्रतिष्ठा को काफी नुकसान पहुंचा है। इन्हें जानबूझ कर अकबर की छवि को नुकसान पहुंचाने और समाज में अपनी साख बनाने के उद्देश्य से किया गया था।


मेरे साथ अकबर का बर्ताव कभी गलत नहीं रहा: बसु
बसु ने कोर्ट में बताया, "मैंने 15 सालों तक उनके साथ काम किया। इस दौरान मेरे साथ उनका बर्ताव कभी गलत नहीं रहा। वे सही मायने में पेशेवर व्यक्ति थे और पूरे दफ्तर में कठिन से कठिन काम करने वाले लोगों में से थे। अकबर के लिए मेरे मन में हमेशा सम्मान रहा है।''


अकबर पर 17 महिलाओं ने लगाए उत्पीड़न के आरोप
अकबर पर प्रिया समेत 17 महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। आरोपों की शुरुआत 8 अक्टूबर को प्रिया रमानी के एक ट्वीट के बाद हुई थी। 17 अक्टूबर को अकबर ने विदेश राज्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

  • 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी
  • 10 से 50 साल की महिलाओं के सबरीमाला में प्रवेश पर थी राेक, कोर्ट के फैसले हो रहे प्रदर्शन

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिए गए अपने फैसले पर आज विचार कर सकता है। इस संबंध में अदालत में 48 रिव्यू पिटीशन दायर की गई हैं। इस मामले में 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 4-1 से फैसला दिया था। इसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी गई थी। 

 पांच जजों की बेंच के फैसले पर पुनर्विचार के मांग वाली सभी याचिकाएं चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच के सामने रखी जाएंगी। इन याचिकाओं के अलावा, इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग वाली तीन अलग-अलग याचिकाएं चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच के सामने खुली अदालत में सुनवाई के लिए रखी जाएंगी। शीर्ष अदालत ने 9 अक्टूबर को एक संगठन की पुनर्विचार याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया था। 

 

फैसले के पक्ष और विपक्ष में हो रहे प्रदर्शन
सबरीमाला मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केरल में विरोध-प्रदर्शन हुए। कई संगठन कोर्ट के फैसले के खिलाफ तो कई इसके पक्ष में प्रदर्शन कर रहे हैं। 

 

17 नवंबर से 2 महीने के लिए खुलेंगे द्वार
सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा का मंदिर 17 नवंबर को दो महीना के लिए खुलेगा। केरल सरकार इस सप्ताह शुरू हो रहे तीर्थयात्रा से पहले सबरीमाला मंदिर से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक कर सकती है।

  • एस्कोर्ट्स मुजेसर से बल्लभगढ़ तक हाई स्पीड में मेट्रो का किया अंतिम ट्रॉयल

फरीदाबाद. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 नवंबर काे दोपहर 1.11 बजे गुड़गांव के सुल्तानपुर से रिमोट के जरिए बल्लभगढ़ मेट्राे सेवा का शुभारंभ करेंगे। इस कार्यक्रम का यहां लाइव प्रसारण किया जाएगा। तैयारियों को लेकर सोमवार को बल्लभगढ़ के विधायक मूलचंद शर्मा, हुडा के मुख्य प्रशासक जी. गणेशन, डीसी अतुल कुमार, नगर निगम के चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर समेत अन्य अधिकारियों ने मेट्रो स्टेशन का  दौरा कर तैयारियों का जायजा लिया।  

 सोमवार को एस्कोर्ट्स मुजेसर से बल्लभगढ़ तक हाई स्पीड में मेट्रो का अंतिम ट्रॉयल किया गया। ट्रॉयल पूरी तरह से सफल रहा। करीब 95 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 4 से 5 बार ट्रॉयल किया गया। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण बल्लभगढ़ में भी किया जाएगा।

 कार्यक्रम स्थल पर प्रोजेक्टर के जरिए प्रसारण होगा। लाइव प्रसारण दोपहर 12.30 बजे से शुरू कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री 12.30 बजे मंच पर पहुंच जाएंगे। करीब एक घंटे 1.30 बजे तक प्रधानमंत्री मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी, केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर और डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर मग्गू सिंह, विधायक मूलचंद शर्मा शिरकत करेंगे। 

 12 से 15 हजार यात्री करेंगे सफर : रेलवे सूत्रों के मुताबिक बल्लभगढ़ रेलवे स्टेशन से ट्रेन के जरिए रोज करीब 13 हजार दैनिक यात्रियों का दिल्ली आना-जाना है। जबकि रोडवेज बसों से करीब 10 से 12 हजार यात्री आते जाते हैं। मेट्रो सेवा शुरू होने से रेलवे और रोडवेज बसों के करीब 8 से 10 हजार यात्री मेट्रो की ओर मुड़ेंगे।

मेट्रो अधिकारियों का अनुमान है कि बल्लभगढ़ से रोज 12 से 15 हजार यात्री मेट्रो से सफर करेंगे। इनमें निजी साधनों से दिल्ली जाने वाले लोग भी शामिल होंगे। इस मेट्रो का फायदा बल्लभगढ़ ब्लॉक से जुड़े 67 ग्राम पंचायतों के यात्रियों को भी होगा। 

 छह से सात मिनट की रहेगी फ्रीक्वेंसी : मेट्रो सूत्रों का कहना है कि बल्लभगढ़ मेट्रो रेल की फ्रीक्वेंसी छह से आठ मिनट के बीच होगी। अभी वाईएमसीए से चलने वाली मेट्रो रेल की फ्रीक्वेंसी पीक आवर्स (सुबह 8 से 11 बजे, शाम 5 से 8 बजे) में 6 मिनट 40 सेकेंड और नॉन पीक आवर्स में 7 मिनट 30 सेकेंड की होती है।बल्लभगढ़ मेट्रो स्टेशन पहला एेसा स्टेशन होगा जिसके 300 मीटर के दायरे में लोगों को रोडवेज, रेलवे और मेट्रो परिवहन की सुविधा मिलेगी।

 
  • सूत्रों के मुताबिक पिछले शुक्रवार को दिल्ली में बैठक हुई
  • एमएसएमई को कर्ज के मुद्दे पर सहमति के संकेत, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के मुद्दे पर स्थिति साफ नहीं
  • आरबीआई और सरकार के बीच कैपिटल फ्रेमवर्क, केंद्रीय बैंक की स्वायतत्ता को लेकर विवाद
     

नई दिल्ली. आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल पिछले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले। सूत्रों से हवाले से सोमवार को यह जानकारी सामने आई। बताया जा रहा है कि मोदी और उर्जित पटेल की मीटिंग में सरकार और रिजर्व बैंक के बीच चल रहे विवाद सुलझाने पर चर्चा हुई। 

 

सूत्रों के मुताबिक ऐसे संकेत मिले हैं कि आरबीआई लघु और मध्यम उद्योगों को कर्ज देने के लिए विशेष इंतजाम कर सकता है। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए लिक्विडिटी बढ़ाने और आरबीआई के सरप्लस में से सरकार को रकम जारी करने के मुद्दे पर स्थिति साफ नहीं हो पाई।

आरबीआई का सरप्लस हो सकता है विवाद की वजह

  1.  

    पिछले हफ्ते कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि केंद्र सरकार ने आरबीआई के सरप्लस में से 3.6 लाख करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, आरबीआई ने इसे नहीं माना। उसका कहना था कि इससे माइक्रो इकोनॉमी को खतरा हो सकता है।

     

  2.  

    आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने जवाब देते हुए कहा था कि सरकार को फंड की कोई जरूरत नहीं है। आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया है।

     

  3.  

    पिछले दिनों सरकार ने आरबीआई की धारा 7 का इस्तेमाल करते हुए रिजर्व बैंक को तीन पत्र भेजे थे। इसके बाद सरकार और आरबीआई के बीच विवाद बढ़ गया। यह खबर भी आई कि सरकार धारा 7 लागू करती है तो उर्जित पटेल इस्तीफा दे सकते हैं।

     

  4.  

    अक्टूबर में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि सरकार को केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता बढ़ानी चाहिए। जो सरकार इसका ध्यान नहीं रखती उसे नुकसान उठाना पड़ता है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा है कि मौजूदा विधानसभा चुनाव साधारण चुनाव नहीं हैं बल्कि देश के लिए "बहुत महत्वपूर्ण" हैं क्योंकि इनमें पार्टी की जीत से नरेंद्र मोदी सरकार की 2019 में सत्ता में वापसी के लिए मजबूत नींव तैयार होगी और पार्टी लंबे समय के लिए "अजेय" हो जाएगी। शाह ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं को वीडियो के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि भारत को महान और विश्वगुरु बनाने का लक्ष्य पूरा करने के लिए भाजपा का पंचायत से लेकर संसद तक लंबा और निर्बाध शासन होना चाहिए जैसा कांग्रेस को 30 साल से ज्यादा समय तक मिला था।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बहुत कुछ किया लेकिन दशकों के लंबे कांग्रेस शासनकाल के बाद ‘‘कुव्यवस्था’’ से देश को बाहर निकालने के लिए तथा इसे आर्थिक और सैन्य महाशक्ति बनाने के लिए पांच साल पर्याप्त नहीं हैं। विधानसभा चुनाव पांच राज्यों में हो रहे हैं और इनमें से तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा सत्ता में है तथा उसका काफी कुछ दांव पर है। भाजपा 2003 से ही मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता में है। उसके प्रतिद्वंद्वियों का मानना ​​है कि तीन राज्यों में उसके प्रदर्शन में ज्यादा गिरावट आने से अगले साल के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष को नयी ऊर्जा मिल जाएगी।
 
तेलंगाना और मिजोरम दो अन्य चुनावी राज्य हैं। शाह ने मध्य प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सिर्फ जीत के लिए काम नहीं करें बल्कि ऐसी भारी जीत के लिए काम करें जिससे मतों की गिनती के दिन भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों का जोश ठंडा हो जाए। उन्होंने कहा कि 2018 के चुनावों को सामान्य चुनाव के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। ये देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण चुनाव हैं क्योंकि इसके बाद 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा केंद्र में दो बार सत्ता में रही है- पहले अटल बिहारी वाजपेयी के तहत और अब मोदी के तहत। मौजूदा सरकार को पुननिर्वाचित करने से देश तेजी से आगे बढ़ेगा। 
 
शाह ने कहा कि 2019 के चुनावों में जीत से भाजपा लंबे समय तक पंचायत से लेकर संसद तक अजेय हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें पक्का भरोसा है कि अजेय भाजपा से खुशहाल, सुरक्षित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत के लिए मार्ग प्रशस्त होगा। 2014 में केंद्र में सत्ता में आने के बाद पार्टी को कई चुनावों में मिली जीत का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि यह मोदी के नेतृत्व और पार्टी कार्यकर्ताओं की कठोर मेहनत का नतीजा है।
 
उन्होंने कांग्रेस पर घुसपैठियों और नक्सलियों का पक्ष लेने का आरोप लगाया तथा कहा कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को इन मुद्दों पर अपनी पार्टी का रूख स्पष्ट करना चाहिए। शाह ने कहा कि यदि 2019 में भाजपा सत्ता में आयी तो उसकी सरकार घुसपैठियों की पहचान और निष्कासन के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी। उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया है कि राज्य को कैसे चलाया जाना चाहिए। शाह ने कहा कि चौहान ने "बीमारू" मध्य प्रदेश को एक विकसित राज्य में बदल दिया और उनकी सरकार का मकसद अपने अगले कार्यकाल में इसे देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक बनाना है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह भाजपा के विकास एजेंडे से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से राज्य सरकार के कार्यों, मोदी के संदेश और पार्टी की विचारधारा को हर घर तक पहुंचाने को कहा।
 

भारत की राजनीति में राफेल विवाद ने भूचाल मचा कर रख दिया है। लड़ाकू विमान राफेल की खरीदारी को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। राहुल ने कहा की मोदी जी ने राफेल डील में बड़ा घोटाला किया है उन्होंने अंबानी की कंपनी को फायदा पहुंचाया और अंबानी से बड़ी डील की। विपक्ष ने राफेल को लेकर मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। राहुल गांधी ने फ्रांस की राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसके बाद दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर खुद सामने आये और उन्होंने  राहुल गांधी के सभी आरोपो को खारिज करते हुए राहुल गांधी के सभी आरोपो का करारा जबाव दिया।

समाचार एजेंसी एनएनआई के साथ दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने कई खुलासे भी किये। ट्रैपियर ने कहा कि राफेल डील में दसॉल्ट एविएशन और रिलायंस ज्वाइंट वेंचर के ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट को लेकर मैंने झूठ नहीं बोला। इसके साथ ही ट्रैपियर ने साफ किया कि हमने रिलायंस को खुद चुना, इसके अलावा 30 साझेदार और हैं। राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, ''मैं झूठ नहीं बोलता. मैंने जो बात पहले कही और जो बयान दिया बिल्कुल सही हैं। मैं झूठ बोलने के लिए नहीं जाना जाता। मेरे पद पर आप झूठ नहीं बोल सकते।''

 
दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने आगे कहा कि हमाने पहले कांग्रेस पार्टी के साथ भी सौदा किया था लेकिन जो राहुल गांधी ने आरोप लगाए है उससे हमें दुख पहुंचा है। ट्रैपियर ने कहा, ''कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का हमारा लंबा अनुभव है। हमारी पहली डील 1953 में प्रधानमंत्री नेहरू के साथ थी। इसके बाद भी हमने कई प्रधानमंत्रियों के साथ डील की। हम भारत के साथ काम कर रहे हैं, किसी पार्टी के साथ नहीं. हम भारतीय वायुसेना और भारत सरकार को सामरिक उत्पाद जैसे लड़ाकू विमान सप्लाई कर रहे हैं, यही सबसे महत्वपूर्ण है।''
 
दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रैपियर के बयान सामने आने के बाद राफेल विवाद एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है कि अब कौन सच्चा है और कौन झूठा। 
 
 
आपको बता दें कि केन्द्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि फ्रांस से 36 लड़ाकू राफेल विमानों की खरीद में 2013 की ‘रक्षा खरीद प्रक्रिया’ का पूरी तरह पालन किया गया और "बेहतर शर्तों" पर बातचीत की गयी थी। इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि इस सौदे से पहले मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने भी अपनी मंजूरी प्रदान की। गौरतलब है कि राफेल सौदे को लेकर देश में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है और कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष भाजपा नीत केंद्र सरकार पर लगातार हमले बोल रहा है। सरकार ने 14 पृष्ठों के हलफनामे में कहा है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है। इस हलफनामे का शीर्षक ‘‘36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का आदेश देने के लिये निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाये गये कदमों का विवरण’’ है। केन्द्र ने राफेल विमानों की खरीद के सौदे की कीमत से संबंधित विवरण सीलबंद लिफाफे में न्यायालय में पेश किया। केन्द्र विमानों की कीमतों का विवरण देने को लेकर अनिच्छुक था और उसने कहा था कि इनकी कीमतों को संसद से भी साझा नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत के 31 अक्टूबर के आदेश का पालन करते हुए निर्णय लेने की प्रक्रिया और कीमत का ब्यौरा पेश किया गया। न्यायालय अब दोनों दस्तावेजों पर गौर करेगा और बुधवार को सुनवाई करेगा। एक वरिष्ठ विधि अधिकारी ने बताया कि विभिन्न आपत्तियों के मद्देनजर सौदे के मूल्य का ब्यौरा न्यायालय में एक सीलबंद लिफाफे में दायर किया गया। अधिकारी अपनी पहचान सार्वजनिक नहीं करना चाहते थे।

 दस्तावेज में कहा गया है कि राफेल विमान खरीद में रक्षा खरीद प्रक्रिया-2013 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पूरी तरह पालन किया गया है और मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने 24 अगस्त, 2016 को उस समझौते को मंजूरी दी जिस पर भारत और फ्रांस के वार्ताकारों के बीच हुयी बातचीत के बाद सहमति बनी थी। 2013 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार थी। दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि इसके लिये भारतीय वार्ताकार दल का गठन किया गया था जिसने करीब एक साल तक फ्रांस के दल के साथ बातचीत की और अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सक्षम वित्तीय प्राधिकारी, मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति, की मंजूरी भी ली गयी। 23 सितंबर 2016 को दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए।
 
राफेल सौदे को लेकर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राजग सरकार हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है जबकि संप्रग सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी तो उसने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था। दस्तावेज में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दोहराए गए आरोपों का भी जिक्र किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑफसेट पार्टनर के रूप में अनिल अंबानी के रिलायंस समूह की एक कंपनी का चयन करने के लिए फ्रेंच कंपनी दसाल्ट एविएशन को मजबूर किया ताकि उसे 30,000 करोड़ रुपये ‘‘दिए जा सकें।’’ इसमें कहा गया है कि रक्षा ऑफसेट दिशानिर्देशों के अनुसार, कंपनी ऑफसेट दायित्वों को लागू करने के लिए अपने भारतीय ऑफसेट सहयोगियों का चयन करने के लिए स्वतंत्र है।

 दस्तावेज में विस्तार से कहा गया है कि क्यों सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस सौदे में ऑफसेट पार्टनर बनने में नाकाम रही क्योंकि दसाल्ट के साथ उसके कई अनसुलझे मुद्दे थे। कांग्रेस ने कहा था कि राफेल मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में सरकार के जवाब से साबित हो गया कि सौदे को अंतिम रूप देने से पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी नहीं ली गई। पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘एक तरह से सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति से विचार-विमर्श नहीं किया गया है।
 
क्या अनुबंध देने के बाद विचार-विमर्श करेंगे या पहले करेंगे?’’। सिंघवी ने आरोप लगाया कि सरकार राफेल मामले पर लोगों को गुमराह कर रही है। राफेल सौदे की जांच के लिये अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और फिर अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिकाएं दायर कीं। इसके बाद, आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी अलग से एक याचिका दायर की। पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में एक संयुक्त याचिका दायर की है। 

वाराणसी. वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनगर में बने देश के पहले मल्टी मॉडल टर्मिनल को राष्ट्र के नाम समर्पित किया। मल्टी मॉडल टर्मिनल के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हेलीकॉप्टर गंगा में बने जेटी पर उतरा। यहां से वो पैदल चलते हुए बंदरगाह के टर्मिनल पर पहुंचे।उनके साथ सीएम योगी ओर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी रहे। इस दौरान उन्होंने  निर्माणाधीन प्रशासनिक भवन को भी देखा।  इससे पहले वाराणसी एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व सत्यपाल सिंह के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय ने उनका स्वागत किया। 

जनसभा के बाद देर शाम वह दिल्ली रवाना हो जाएंगे। पीएम के हाथों लोकार्पित होने वाली परियोजनाओं के साथ ही शहर के प्रमुख स्थानों को सजाया संवारा गया है। वाराणसी का मल्टी मॉडल टर्मिनल नदियों पर बना पहला ऐसा टर्मिनल है, जो कंटेनर कार्गो हैंडलिंग में सक्षम होगा।
रामनगर से पीएम मोदी हेलीकॉप्टर से बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से वो काफिले के साथ लोकार्पित होने वाली बाबतपुर फोरलेन को देखते हुए वाजिदपुर गांव में सभा स्थल पहुंचेंगे। बाबतपुर से वाजिदपुर के बीच रोड शो में प्रधानमंत्री जनता का अभिवादन करेंगे।
इस दौरान वहां मौजूद लोग पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत करेंगे। रोड शो की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जानकारी के मुताबिक करीब साढे़ तीन बजे प्रधानमंत्री का काफिला बाबतपुर से चलेगा और धीमी रफ्तार से आगे बढ़ेगा। सूत्रों की मानें तो पीएम इस दौरान गाड़ी से उतर कर कुछ दूर तक सड़क पर चहलकदमी भी कर सकते हैं।

काशीवासी प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए तैयार

अपने संसदीय क्षेत्र में 2413 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत के लिए काशी पूरी तरह तैयार है। दिवाली जैसा माहौल बनाने के लिए शहर में जगह-जगह एलईडी, फसाड और फोकस लाइट लगाई गई हैं। बड़ी इमारतों के साथ-साथ सरकारी कार्यालयों पर लाइटिंग कर उनकी खूबसूरती निखारी गई है। घाटों पर फसाड लाइट लगाई गई हैं। बाबतपुर फोरलेन, रिंग रोड, रामनगर के मल्टी मॉडल टर्मिनल और दीनापुर एसटीपी को रंगीन लाइट से जगमग कर दिया गया है।
बाबतपुर फोरलेन के पोल पर तिरंगी लाइट लगाई गई है। इसके अलावा फ्लाईओवर के नीचे के फव्वारे चला दिए गए हैं। बनारस की खूबसूरत तस्वीरों को भी जगह-जगह होर्डिंग के माध्यम से दिखाने की कोशिश की गई है। बनारस के पुल, पोल सहित अन्य जगहों पर एलईडी लाइटिंग की गई है। रविवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने चौराहों और महापुरुषों की प्रतिमाओं के पास साफ-सफाई की।  इस बीच रविवार को गांव और शहर में जनसंपर्क अभियान चलाकर लोगों को प्रधानमंत्री की वाजिदपुर में होने वाली सभा के लिए निमंत्रण पत्र दिए गए। 

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