ईश्वर दुबे
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भोपाल. मध्यप्रदेश सरकार ने मध्याह्न भोजन में बच्चों को अंडे दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया था, जिसके बाद से ही भाजपा द्वारा लगातार इसका विरोध किया जा रहा है। वहीं, अब मध्यप्रदेश सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने कहा कि भाजपा ने तब विरोध क्यों नहीं किया? जब महाराष्ट्र में उनकी सरकार द्वारा बच्चों को मध्याह्न भोजन में अंडे दिए जा रहे हैं।
इमरती देवी ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा मध्याह्न में बच्चों को अंडे दिए जाने का विरोध कर रही है, जबकि इसे महाराष्ट्र में बच्चों को अंडे दिए जाने पर कोई आपत्ति नहीं है।
मंत्री ने कहा कि हम महाराष्ट्र गए और हमने वहां के अधिकारियों से इस मुद्दे पर परामर्श लिया। अधिकारियों ने बताया कि वे 2016 से ही मध्याह्न भोजन में बच्चों को अंडे दे रहे हैं। इमरती देवी ने आगे कहा कि आरएसएस की तो मुख्य शाखा ही महाराष्ट्र में है। वहां उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, जबकि ये लोग मध्यप्रदेश में इसका विरोध कर राजनीति कर रहे हैं। मंत्री ने पूछा कि मैं नहीं जानती कि उन्हें मध्यप्रदेश के बच्चों से क्या दुश्मनी हैं?
इमरती देवी ने कहा कि हमने इसकी चर्चा की है और डॉक्टरों की सलाह ली है जिन्होंने हमें बताया है कि बच्चों को अंडा देना अच्छा है क्योंकि ये काफी पौष्टिक होता है।
गौरतलब है कि, राज्य में कुपोषण को समाप्त करने के लिए, कांग्रेस सरकार ने घोषणा की कि नवंबर से आंगनवाड़ियों में बच्चों को दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन में अंडे दिए जाएंगे। जिसके बाद से ही भाजपा ने मध्यप्रदेश सरकार की इस पहल का विरोध किया है।
इंदौर. महाराष्ट्र से फर्जी तरीके से खरीदे गए सिम कार्ड के जरिए इंदौर में इंटरनेशनल कॉल को डोमेस्टिक कॉल में बदलने वाले एक गिरोह के दो सदस्यों को आतंक विरोधी दस्ता (एटीएस) ने गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार इंटरनेशनल कॉल को गैरकानूनी ढंग से डोमेस्टिक कॉल में बदलकर देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डाल रहे दो आरोपियों को मध्य प्रदेश पुलिस की एटीएस ने गिरफ्तार किया है। ये आरोपी पिछले एक साल से अवैध टेलीफोन एक्सचेंज संचालित कर दूरसंचार विभाग को राजस्व को चूना लगा रहे थे।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एटीएस राजेश गुप्ता ने बताया की एटीएस को सूचना मिली थी की महाराष्ट्र से फर्जी तरीके से खरीदे गए सिम कार्ड के जरिए इंदौर में इंटरनेशनल कॉल को डोमेस्टिक कॉल में बदलकर अवैध तरीके से पैसा कमाया जा रहा है। साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा को भी खतरे में डाल जा रहा है।
सूचना पर इंदौर की एटीएस और साइबर क्राइम टीम ने संयुक्त कार्रवाई कर खातीवाला टैंक और जौहरी पैलेस इंदौर से संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। इनके पास से 10 सिम बॉक्स, करीब 150 सिम कार्ड, लैपटॉप, कंप्यूटर, हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन मॉडम और अन्य तकनीकी उपकरण जब्त किए गए।
अभी तक दो आरोपी मुफद्दल लोखंडवाला पिता नजमुद्दीन लोखंडवाला निवासी इंदौर और बुरहानुद्दीन महूवाला पिता सैफुद्दीन महूवाला निवासी इंदौर को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।
भाेपाल . वीअाईपी गेस्ट हाउस में तेंदुए के पगमार्क दिखने के बाद रहवासियाें में इतनी दहशत है कि वे जंगली बिल्ली काे तेंदुअा बता रहे हैं। वन विभाग ने तेंदुए की उपस्थिति काे देखते हुए शुक्रवार दाेपहर पिंजरा लगा दिया है। अब उसे बकरा बांधकर तेंदुए को लुभाने की काेशिश की जा रही है।
वन विभाग के कर्मचारियों काे एक तेंदुए ने परेशान किया हुअा है। भाेपाल वन मंडल की तीनाें टीम सर्चिंग में लगी हुई है। पगमार्क दिखने के तीसरे दिन अब तेंदुए काे बकरा बांधकर लुभाया जा रहा है। भाेपाल वन मंडल के एसडीअाे सुनील भारद्वाज ने बताया कि रहवासी इलाके में तेंदुए के अस्पष्ट पगमार्क दिखने से लाेगाें में दहशत है। सावधानी के लिए गेस्ट हाउस में पिंजरा लगाया गया है।
तेंदुआ आसपास होगा तो बकरा खाने आएगा : एसडीओ
एसडीओ का कहना है कि कई बार तेंदुअा पेड़ पर रहकर छलावा पैदा करता है। यदि वह अासपास के इलाके में हाेगा ताे पिंजरे में बंधा बकरा खाने अाएगा। यदि वह नहीं अाता है ताे कहा जा सकता है कि वह जिस रास्ते अाया था, उसी रास्ते लाैट गया। उनका कहना है कि गुलमाेहर के पास भी एक तेंदुअा रहवासी इलाके में अा गया था, लेकिन असुरक्षित महसूस हाेने पर वह वापस जंगल में लाैट गया था। उसने भी इसी तरह चार-पांच दिन रहवासी इलाके में घुसकर दहशत पैदा की थी।
भोपाल. दशहरा और दीपावली के बाद शुक्रवार को देवउठनी ग्यारस पर भी शहर के कई हिस्से बारिश से तर हुए, जबकि नए व पुराने शहर के कई इलाकाें में सिर्फ बूंदाबांदी हुई। मिनाल रेसीडेंसी से लेकर अयाेध्या बायपास तक पानी बरसा। एमपी नगर, अरेरा हिल्स, माता मंदिर, राेशनपुरा, सुभाष नगर, अशाेका गार्डन, सेमरा, निशातपुरा, शाहजहांनाबाद, मिसराेद, राेहित नगर, सर्वधर्म, राजहर्ष सहित कई इलाकाें में बूंदाबंादी हुई। अगले दाे- तीन दिन में रात के तापमान में 3-4 डिग्री तक गिरावट हाे सकती है। वरिष्ठ माैसम वैज्ञानिक एके शुक्ला ने बताया कि उत्तर में हुई बर्फबारी के असर से मौसम में बदलाव होगा।
बादलाें के कारण 3 घंटे में 0.40 ही ऊपर चढ़ सका पारा
शुक्रवार को दाेपहर में बादल घने हाे गए। इससे पारा तेजी से ऊपर नहीं चढ़ा। सुबह 11.30 बजे यह 28.0 डिग्री पर था, तीन घंटे बाद दाेपहर 2.30 बजे यह 28.4 डिग्री तक ही पहुंच सका। अधिकतम तापमान 29.6 डिग्री रहा।
राजधानी में बीती सात रातों से वायु प्रदूषण लगातार खतरनाक स्तर पर था। पीएम-2.5 का स्तर 200 से 310 के बीच बना हुआ था, लेकिन दो दिन से शहर के कई इलाकों में हुई हल्की बारिश के कारण गुरुवार रात यह घटकर 44 के स्तर पर आ गया। बुधवार रात यह 316 तक पहुंच गया था। शुक्रवार शाम भी बारिश के कारण हवा साफ हो गई। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) भी सुधरकर 75 पर आ गया। यह संतोषजनक स्थिति में है। बुधवार को पीएम-2.5 रात 12 बजे 316 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर और सुबह 5 बजे 272 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पर था, जबकि गुरुवार को पीएम-2.5 रात 12 बजे 44 और सुबह 5 बजे 56 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर रहा।
इन्दौर । ग्राम गुरान निवासी जगदीश पिता रणछोड़ चौधरी पहले गेहूं और सोयाबीन की पराम्परागत खेती करते थे। इन्दौर के उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों संपर्क में आने के बाद सब्जी की खेती शुरू की, जिससे उन्हें बहुत फायदा हुआ। वे अपनी सारी सब्जी- खीरा, मिर्च, टमाटर बैंगन इन्दौर कृषि उपज मंडी में रोज बेंचते हैं। उन्हें सालना लगभग 6 लाख 50 हजार रूपये की आय हो रही है। इनकी फसल पर एक वर्ष में लगभग 3 लाख 50 हजार रूपये खर्च हुये। इस प्रकार उन्हें एक साल में 3 लाख रूपये शुद्ध आय हुई। उन्होंने इस साल 2.4 हेक्टेयर सब्जी की फसल लगाई है।
वे उद्यानिकी विभाग की फसल पर ड्रिप से सिंचाई और मल्चिंग पद्धति से सब्जी की बोनी करते हैं। सब्जी में उन्हें बहुत लाभ मिल रहा है। वे हमेशा उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों से तकनीकी परामर्श लेते रहते हैं। उद्यानिकी विभाग पर सलाह पर सब्जी बोते समय उन्होंने पावर टिलर और अन्य उद्यानिकी यंत्रों का उपयोग किया।
चर्चा के दौरान प्रतिशील कृषक जगदीश ने बताया कि गेहूं और सोयाबीन पराम्परागत खेती की तुलना में सब्जी की खेती में दो गुना आय हो रही है, जिससे पूरा परिवार बहुत सुखी है। उनका पूरा परिवार तकनीकी मार्गदर्शन के लिये उद्यानिकी विभाग का अभारी हैं। उन्होंने सब्जी के साथ-साथ फल-पपीता, नीबू, अनार, अमरूद आदि की खेती करने का निर्णय लिया है।
इस अवसर पर चर्चा के दौरान संयुक्त संचालक उद्यानिकी एस.के. जाटव ने बताया कि इन्दौर संभाग खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये किसानों फल और सब्जी की खेती करने के लिये व्यापक पैमाने पर प्रेरित किया जा रहा है। पिछले सात साल में इन्दौर संभाग में फल और सब्जी का रकबा और उत्पादन दो गुना बढ़ गया है, जिससे किसानों का नकदी फसल-फल और सब्जी के लिये प्रेरणा मिल रही है और उनकी माली हालत में काफी सुधार आया है।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने कहा कि स्वच्छता अभियान आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ पर्यावरण प्रदान करने का प्रयास है। उन्होंने यह बात भोपाल के शिवाजी नगर में शासकीय आवासों के सामने वाले पार्क में साफ-सफाई के दौरान कही। अभियान में पोहरी विधायक श्री सुरेश राठखेड़ा सहित अन्य कार्यकर्ता और श्री तोमर की निजी स्थापना के अधिकारी-कर्मचारी भी सम्मिलित हुए। खाद्य मंत्री श्री तोमर ने कहा कि उनका स्वच्छता अभियान एक नियमित प्रक्रिया है। अभियान में समाज के हर वर्ग को आगे आकर हाथ बँटाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का सम्बंध व्यक्ति की सोच और इच्छा-शक्ति से है। हम जिस पर्यावरण में जिस स्थान पर रहते हैं या काम करते हैं, उस को स्वच्छ बनाने की जिम्मेदारी हमारी अपनी हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हम अपने घरों को स्वच्छ रखना चाहते हैं, उसी प्रकार अगर हम सार्वजनिक स्थानों की भी चिंता कर, उन्हें स्वच्छ बनाने में सक्रियता बरतेंगे तो समाज में एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण होगा।
श्री तोमर ने कहा कि उनके द्वारा एक माह तक इस अभियान को चालू रखने का निर्णय लिया गया है, जो 30 अक्टूबर से लगातार जारी है।
संस्कृति मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने कहा कि वरिष्ठ लेखकों और संस्कृति कर्मियों का दायित्व है कि वे नई पीढ़ी को कला, संगीत एवं साहित्य के साथ ही मूल्यों की परम्परा से भी अवगत करायें। आज मूल्यों में गिरावट आ रही है और परिवार की परिभाषा सीमित हो गई है। बच्चों को एक कक्ष में ही पूरी दुनिया नजर आती है। नई पीढ़ी को जड़ों से परिचित करवाने में साहित्यकारों की महत्वपूर्ण भूमिका है। सरकार के साथ ही समाज का भी दायित्व है कि वो आने वाली पीढ़ी को इस बारे में सीख प्रदान करें। डॉ. साधौ आज रवीन्द्र टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय साहित्य और कला महोत्सव 'विश्व रंग' को संबोधित कर रहीं थीं। चार दिवसीय महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर डॉ. साधौ और अन्य अतिथियों द्वारा 'कथादेश' का विमोचन किया गया।
मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि आज इतने यशस्वी लेखक देश-विदेश से भोपाल पधारे हैं। यह मध्यप्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है। भोपाल संस्कारों की भी राजधानी है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी ने सांस्कृतिक परम्परा की कड़ी को भारत भवन के शुभारंभ के साथ आगे बढ़ाया था। डॉ. साधौ ने कहा कि यहाँ पग-पग पर संस्कृति के रंग दिखाई देते हैं, साहित्य के दर्शन होते हैं। मध्यप्रदेश में आंचलिक संस्कृति के भी अनेक रंग हैं। यह देश का दिल है। दिल अच्छे से धड़कता है तभी शरीर स्वस्थ रहता है। मध्यप्रदेश में एक नवम्बर को प्रदेश के स्थापना दिवस से गोंड वर्ष मनाया जा रहा है। इससे मध्यप्रदेश की जनजातीय संस्कृति पूरे विश्व तक पहुँचेगी। संस्कृति मंत्री ने 'विश्व रंग' को अतीत से वर्तमान को जोड़ने का महत्वपूर्ण माध्यम बताया।
इस अवसर पर संस्कृति मंत्री और अन्य अतिथियों ने वनमाली कथा सम्मान-2019 से प्रख्यात कथाकार प्रियंवद को सम्मानित किया। कार्यक्रम में 630 लेखकों की सहभागिता वाले कथा संग्रह 'कथोदश' का विमोचन किया गया। इसके साथ ही काव्य-संग्रह का लोकार्पण भी हुआ। प्रारंभ में टैगौर विश्वविद्यालय की ओर से श्री संतोष चौबे ने स्वागत उदबोधन दिया। कार्यक्रम में गुंदेचा बंधुओं ने ध्रुपद गायन प्रस्तुत किया। मंच पर वरिष्ठ साहित्यकार पदमश्री रमेशचंद्र शाह, चित्रा मुदगल, ममता कालिया, फिल्म निर्देशक रजत कपूर, शायर शीन काफ निजाम, सिद्धार्थ, लीलाधर मंडलोई, धनंजय वर्मा और देश-विदेश से पधारे सैकड़ों लेखक और कलाधर्मी उपस्थित थे।
पशुपालन, मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री श्री लाखन सिंह यादव ने कहा है कि राज्य सरकार निराश्रित गौ-वंश की देखभाल के लिये प्रदेश में एक हजार गौ-शालाओं का निर्माण करवा रही है। हर जिले में नदी किनारे की जमीन पर गौ-वंश अभयारण्य बनाया जायेगा। श्री यादव ने विदिशा जिले में निर्माणाधीन गौ-शालाओं की समीक्षा बैठक में यह जानकारी दी।
मंत्री श्री यादव ने कहा कि कुल 3 हजार गौ-शाला निर्माण के लिये भूमि चिन्हित की जाए। प्रथम चरण में 15 दिसम्बर तक एक हजार गौ-शालाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि गौ-शाला निर्माण कार्य में सरपंचों द्वारा व्यय की गई राशि उन्हें वापस दिलाई जायेगी। यदि कोई सरपंच पुन: चुनकर नहीं आता है, तो भी राशि वापस की जायेगी।
मंत्री श्री यादव ने जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देशित किया कि गौ-शालाओं में जलापूर्ति के लिये ट्यूबवेल खनन कराएं। मनरेगा योजना में गौ-शाला निर्माण में राशि की कमी होने पर पंच-परमेश्वर योजना में पशुओं के लिये पीने के पानी की नालनुमा नाली बनवाई जाये। उन्होंने गौ-शालाओं में बिजली आपूर्ति के लिये बिजली कनेक्शन लेने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जिन गौ-शालाओं में सुगमता से बिजली की आपूर्ति संभव नहीं है, उनमें सोलर ऊर्जा सिस्टम से बिजली की व्यवस्था की जाए। श्री यादव ने निर्देश दिये गौ-शालाओं में बिजली की सुगम आपूर्ति की दृष्टि से गौ-शालाओं के समीप 25 के.व्ही. के ट्रांसफार्मर्स स्थापित किये जाएं।
सागरः मध्यप्रदेश के सागर जिले (Sagar) में आर्थिक तंगी के कारण एक परिवार के चार सदस्यों ने जहरीला पदार्थ खा लिया, जिसमें से तीन की मौत हो गई है और एक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है. पुलिस के अनुसार, मोतीनगर थाना क्षेत्र के बम्होरी रेगुआ गांव में गुरुवार सुबह मनोज पटेल और उसकी पत्नी पूनम पटेल ने अपनी दो बेटियों- जिया (6 माह) और सोनम (10 साल) को जहरीला पदार्थ खिलाने के बाद खुद भी खा लिया.
इस घटना की जानकारी मिलते ही नगर पुलिस अधीक्षक आर.डी. भारद्वाज, थाना प्रभारी संगीता सिंह और एफएसएल टीम मौके पर पहुंची. सभी को गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया. उपचार के दौरान पूनम और उसकी दो बेटियों की मौत हो गई. वहीं मनोज जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है.
पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने संवाददाताओं को बताया कि यह आत्महत्या का मामला है. मनोज की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. घटना के कारणों की जांच कराई जा रही है. आत्महत्या में जहर खाया या फांसी लगाई? यह पूछे जाने पर एसपी ने कहा कि मृतकों के गले पर फांसी के निशान भी हैं. पोस्टमार्टम और अन्य साक्ष्यों की पड़ताल के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि इन्होंने जहर खाया या फांसी लगाई.
इन्दौर । आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत सांवेर तहसील के डकाच्या ग्राम में जनमित्र शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में विभिन्न विभागों जैसे लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंकरण, महिला एवं बाल विकास, पशु चिकित्सा, उद्योग, खाद्य, राजस्व, ऊर्जा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, सामाजिक न्याय एवं जल संसाधन विभाग से संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
इस शिविर का उद्देश्य ग्रामीणों की समस्याओं को सुन कर उनका मौके पर निराकरण करना है। सरकार द्वारा चिन्हित 52 सेवाओं के अंतर्गत आवेदन प्राप्त किये गये तथा अधिकतम आवेदनों का तत्काल एवं कुछ आवेदनों का निश्चित समय-सीमा में निराकरण किया जायेगा। आज प्राप्त हुये आवेदनों में से 70 प्रतिशत आवेदनों का मौके पर ही निराकरण किया गया। इनमें मूलत: राजस्व, खाद्य, पीएचई, जल संसाधन एवं एमपीईबी विभागों से संबंधित आवेदन थे। ज्ञातव्य है कि यह शिविर क्लस्टरवार आयोजित किये जा रहे है। इनमें क्लस्टर से संबंधित ग्राम पंचायतों को शामिल किया जाता है तथा इनकी मॉनीटरिंग जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नेहा मीना द्वारा की जा रही है। अगला जनमित्र शिविर 22 नवम्बर 2019 को देपालपुर जनपद के सुमठा ग्राम पंचायत में आयोजित किया जायेगा।
स्टीम सिस्टम का आशय "साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स औऱ मैथ्स "बेस्ड शिक्षा प्रणाली से है इसका मूल उद्देश्य किताबी ज्ञान को कौशल विकास के साथ जोड़ने से है।
मप्र की कमलनाथ सरकार प्रदेश में शालेय शिक्षा को कौशल विकास के साथ जोड़ने के लिये दक्षिण कोरिया का मॉडल अपनाना चाहती है। इसके लिये मप्र के चुनिंदा 35 अफसरों और शिक्षकों का एक दल इन दिनों दक्षिण कोरिया के दौरे पर गया है जो वहां "स्टीम एजुकेशन" सिस्टम का अध्ययन करेगा और मप्र में इसे कैसे लागू किया जा सकता है इसे लेकर एक रिपोर्ट सरकार को सौपेगा। स्टीम सिस्टम का आशय "साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, आर्ट्स औऱ मैथ्स "बेस्ड शिक्षा प्रणाली से है इसका मूल उद्देश्य किताबी ज्ञान को कौशल विकास के साथ जोड़ने से है। कोरिया में यह सिस्टम बेहद सफल साबित हुआ है इसी सिस्टम को अपनाकर इस छोटे से देश ने तकनीकी के मामले में वैश्विक पहचान अर्जित की है। आज कोरिया इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से लेकर सूचना तकनीकी और प्रोधोगिकी के मामले में अव्वल बना हुआ है। भारत से महज दो साल पहले औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ यह देश आज परिणामोन्मुखी शिक्षा के जरिये आर्थिक औऱ तकनीकी महाशक्ति बनने के मामले में एक मिसाल है। कमलनाथ सरकार का यह नवाचार सिद्धांतय तो स्वागत योग्य ही है लेकिन कोरिया और भारत की सामाजिक आर्थिक सरंचना में बड़ा बुनियादी अंतर है यह हमें नही भूलना चाहिए।यही नही राजनीतिक रूप से शिक्षा कोरियाई शासकों के लिये वोट बैंक का स्रोत नही है इसलिये यह कहना जल्दबाजी ही होगा की कोरियन मॉडल को अपनाकर मप्र में ढर्रे से उतरी स्कूली शिक्षा का कुछ भला हो सकेगा।
असल में कमलनाथ जिस मॉडल को अपनाने की सोच रहे है उसे सख्त प्रशासन, दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति औऱ नागरिक बोध के साथ ही हांसिल किया जा सकता है।भारत के हिंदी भाषी राज्यों में यह सभी कारक आज भी बेहद कमजोर है।जिन बीमारू राज्यों के लिये आजादी के बाद से ही शिक्षा उच्च प्राथमिकता पर लिए जाने की जरूरत थी वहां यह विषय कभी भी सरकारों के लिये चिंता का मामला नही रहा है। मप्र, उप्र, बिहार,राजस्थान जैसे राज्यों में शिक्षा तंत्र पूरी तरह से अफसरशाही के हवाले है। मप्र में पिछले 25 बर्षो से जिस तरह के प्रयोग किये गए है उसने इस प्रदेश को एक प्रयोगशाला बनाकर रख दिया है। शिक्षा संविधान में राज्य सूची का विषय होने के कारण कोई एकीकृत नीति आज तक प्रदेशों में लागू नही हो सकी है।यही कारण है कि देश भर में अनगिनत शिक्षक पदनाम प्रचलित है। मप्र में शिक्षाकर्मी, संविदा शिक्षक, गुरुजी, सहायक शिक्षक, उच्च शिक्षक, व्याख्याता, औपचारिकेतर शिक्षक, निम्न श्रेणी शिक्षक, सहायक अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक, अतिथि शिक्षक जैसे शिक्षक सिस्टम का हिस्सा है।
प्राथमिक शिक्षा के लिये निगरानी तंत्र अलग है मिडिल तक के लिये अलग फिर मिडिल से इंटरमीडिएट तक की निगरानी के लिये अलग सिस्टम है। मप्र में राज्य का अपना शिक्षक कैडर है वही स्थानीय निकायों के शिक्षक अलग है। एक सँचालनलाय शिक्षा विभाग का है दूसरा राज्य शिक्षा केन्द्र है। दोनों के लिये अलग अलग सेटअप है अलग आईएएस अफसर डायरेक्टर है। केंद्र सरकार राज्यों के लिये सर्व शिक्षा मिशन औऱ आरटीई के तहत जो धन भेजती है उसे खर्च करने के लिये अलग लोग है और राज्य की निधि से जो धन शालेय शिक्षा को आबंटित होता है उसके लिये अलग आयुक्त है। एक नया मिशन कक्षा 8 से 12 के लिये "राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा मिशन" भी केंद्र सरकार चलाती है इसके लिये एक तीसरा दफ्तर भी मप्र में स्थापित है।
समझा जा सकता है कि किस बेतरतीबी के साथ मप्र में शिक्षा व्यवस्था की निगरानी का सरकारी सिस्टम का बना हुआ है। हाल ही में सरकार ने निकायों के शिक्षकों को शिक्षा विभाग में संविलियन किया है लेकिन इसके बाबजूद प्रदेश में में नियमित औऱ इन एक लाख से अधिक शिक्षकों के बीच वेतन से लेकर सेवा शर्तों को लेकर बीसियों विसंगतियां मौजूद है लगातार ये शिक्षक धरना,आंदोलन, प्रदर्शन करते रहते है। मप्र में सरकारी शिक्षकों की भर्ती के लिए भी समय समय पर नियम बदलते रहे है पहले बगैर डीएड, बीएड किये लोगों को सीधी भर्ती कर नौकरी पर रख लिया गया फिर अब उन्हें सरकारी खर्च पर प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके बाबजूद प्रदेश में हजारों अयोग्य शिक्षक सिस्टम का हिस्सा बने हुए है हाल ही में ये शिक्षक सरकार द्वारा आयोजित दक्षता संवर्धन परीक्षा में किताब सामने रखकर शुद्ध नकल भी नही कर पाए। प्रदेश में शिक्षकों के तबादलों की कोई मानक नीति नही है हाल ही में कमलनाथ सरकार ने ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के जरिये हजारों शिक्षकों के ट्रांसफर किये जिससे हर जिले में सैंकड़ो स्कूल शिक्षक विहीन हो गए।सरकार के स्तर से भी ऐसी नीतियां बनाई गई है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई या कौशल विकास के लिये कोई माहौल ही न बन पाएं। सरकारी शिक्षक राज्य सरकार की अधिकतर योजनाओं का सर्वे करते है। पिछले एक दशक से एक ब्लाक के लगभग चार सौ सरकारी शिक्षक तो निर्वाचन आयोग के अधीन बीएलओ के रूप में काम करते रहते है क्योंकि निर्वाचन बूथ के नजदीकी स्कूल का एक शिक्षक स्थाई रूप से बीएलओ के रूप से काम कर रहा है। जनगणना से लेकर तमाम तरह के सर्वेक्षण भी सरकारी शिक्षकों से कराए जाते है।
सरकार ने स्कूलों में जो लोकप्रिय प्रयोग किये है उनकी जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर डाल रखी है मसलन मध्यान्ह भोजन को बनबाने से लेकर वितरण, साफ सफाई से लेकर साइकिल वितरण, छात्रवृत्ति, निःशुल्क गणवेश औऱ पाठ्यपुस्तक, सभी काम शिक्षकों की अग्रणी भागीदारी से ही पूर्ण हो पाते है। सरकारी स्कूलों के लिये सर्व शिक्षा अभियान से इमारतें तो बड़ी संख्या में बना दी गई लेकिन इनमें से 80 फीसदी ग्रामीण शालाओं में न बिजली कनेक्शन है न पेयजल की सुविधा।न साफ सफाई के लिये चपरासी औऱ न रोजाना की जानकारियां भेजने बनाने के लिये कोई बाबू। समझा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों में मास्टर जी को क्या क्या करना पड़ता है। जबकि छोटे से छोटे प्राइवेट स्कूल में भी इस बात का ख्याल रखा जाता है कि टीचर सिर्फ पढ़ाने पर ध्यान लगाए ताकि उसके स्कूल का रिकॉर्ड बेहतर हो सके।सरकारी स्कूलों में इससे ठीक उलट कहानी है सरकारी अफसर जो जानकारी मांग रहे है वह समय पर जाए, दोपहर का भोजन, गणवेश, साइकिल, किताबें बगैर व्यवधान के बंट जाएं इस ध्येय को आगे रखकर लोग काम करते है। जाहिर है स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता के लिये कोई मनोविज्ञान न सरकार के स्तर पर काम करता है न शिक्षक वर्ग का।
नतीजा हाल ही में नीति आयोग,मानव संशाधन, औऱ विश्व बैंक की एक सयुंक्त रिपोर्ट में परिलक्षित हुआ है। देश के 20 राज्यों के सरकारी एजुकेशन सिस्टम में छात्रों की समझ और सीखने की क्षमताओं को लेकर जारी रैंकिंग में मप्र 15 वे औऱ छत्तीसगढ़ 13 वे स्थान पर है। "द सक्सेस ऑफ अवर स्कूल एजुकेशन क्वालिटी इंडेक्स" में केरल का नम्बर पहले स्थान पर है। यानि हकीकत है कि मप्र में सरकारी स्कूलों के लाखों बच्चे कुछ भी नहीं सीख पा रहे है यह रिपोर्ट बताती है कि कक्षा 9 में दर्ज बच्चे गणित के जोड़ घटाव, हिंदी वर्णमाला औऱ सामान्य उच्चारण तक नहीं जानते है।
कमलनाथ सरकार ने जिस कोरियाई मॉडल को मप्र में अपनाने की पहल की है उसके लिये सबसे पहले प्रदेश में जमीनी कार्य संस्कृति विकसित करने की आवश्यकता है। शिक्षा तंत्र को अफसरशाही के शिकंजे से बाहर निकाले बिना किसी आदर्श को अपनाया जाना उसकी विफलता की गारंटी पहले से ही घोषित करने जैसा है। राज्य और केंद्र के बीच नीतिगत स्तर पर महज धन के जारी होने का रिश्ता रहना चाहिये धन के साथ केन्द्र के मार्गदर्शी सिद्धांत लागू करने की बाध्यता भी भृष्टाचार की जड़ है।बेहतर होगा राज्य अपना एकीकृत शिक्षा मॉडल लागू करें जिसमें प्राइमरी से इंटरमीडिएट तक नीति निर्माण, पर्यवेक्षण, निगरानी, शास्ति के लिये एक ही तंत्र हो और सभी शिक्षा संवर्ग से आते हो। सरकार के स्तर पर शिक्षकों के वर्गभेद समाप्त किये जायें और यह सुनिश्चित किया जाए कि शिक्षक सिर्फ पढ़ाने के लिये है उन्हें चुनाव के अलावा अन्य कार्य से मुक्त रखा जाए। स्कूलों के नाम पर मॉडल स्कूल, एक्सीलेंस स्कूल, एकलव्य स्कूल, आदर्श स्कूल जैसे प्रयोग भी बन्द होना चाहिये क्योंकि यह भी विषमताओं को जन्म देते है। राज्यों में शिक्षा विभाग के मुखिया शिक्षको के मध्य से ही आना चाहिये और केवल प्रमुख सचिव स्तर पर ही आईएएस अफसरों की नियुक्ति का प्रावधान हो।
इन बुनियादी सुधारों के बगैर कोरियाई मॉडल को अपनाया जाना फिर एक नया प्रयोग ही साबित होगा जैसे कि दो दशकों से लगातार जारी है। क्योंकि कौशल विकास तो तभी संभव है जब बच्चे बुनियादी अक्षर ज्ञान में निपुण हो जो फिलहाल इस मामले में सिफर है।
डॉ अजय खेमरिया
अध्यक्ष बाल कल्याण समिति (जेजे एक्ट) शिवपुरी/ग्वालियर
स्वतन्त्र पत्रकार
परिवहन मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने वाले वाहनों में ओव्हर-लोडिंग किए जाने अथवा नियमों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। श्री राजपूत ने यह निर्देश परिवहन विभाग की समीक्षा करते हुए दिया।
श्री राजपूत आज मंत्रालय में प्रमुख सचिव, परिवहन एवं परिवहन आयुक्त के साथ विभागीय समीक्षा बैठक ले रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों एवं जिला कार्यालयों में ऑटोमेटेड ड्रायविंग टेस्टिंग ट्रेक एवं ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर सहित जीपीएस आधारित व्हीकल लोकेशन एवं ट्रेकिंग सिस्टम की स्थापना शीघ्र की जाये। इसके क्रियान्वयन के लिये कंट्रोल एण्ड कमाण्ड सेंटर की स्थापना संबंधी अन्य प्रदेशों में कार्यरत एजेंसियों से इन सिस्टमों का प्रस्ताव आमंत्रित करें। अन्य प्रदेशों में यह सिस्टम किस प्रकार काम कर रहा है, उसके प्रस्तुतिकरण के आधार पर यह सुनिश्चित करें कि यह सिस्टम मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति एवं परिवहन व्यवस्था के परिप्रेक्ष्य में किस प्रकार अधिक से अधिक कारगर हो सकेगा।
परिवहन मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पॉल्यूशन अण्डर कंट्रोल सेंटर की स्थापना एवं ऑनलाइन/रियल टाइम के आधार पर पीयूसी जारी करने की प्रणाली लागू करने के लिये जिन प्रदेशों में यह प्रणाली लागू हो, उनके अनुभव एवं परिणामों को देखते हुए इसे व्यावहारिक रूप से लागू करें।
श्री राजपूत ने कहा कि सरकार अपने वचन-पत्र को बिन्दुवार धरातल पर लाने के लिये वचनबद्ध है। वचन-पत्र के कई काम पूर्ण हो चुके हैं, कुछ कामों को 6 माह की समय-सीमा में पूरा किया जाये। शेष कार्यों को आगामी वर्ष के 6 माह में पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित करें।
सड़क परिवहन विभाग के कर्मचारियों को अन्य विभागों में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ करने की कार्यवाही की जाये। जो कर्मचारी वीआरएस का लाभ लेना चाहेंगे, उनके लिये वीआरएस पैकेज का प्रस्ताव शासन के समक्ष रखा जाये।
विभागीय सीमित परीक्षा के माध्यम से लिपिक वर्ग से उप निरीक्षक-परिवहन के पदों की पूर्ति की जायेगी। इसके लिये शीघ्र ही प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश उन्होंने दिये। बैठक में प्रमुख सचिव श्री एस.एन. मिश्रा, परिवहन आयुक्त श्री व्ही. मधु कुमार एवं ओएसडी श्री कमल नागर उपस्थित थे।
सहकारिता मंत्री डॉ गोविन्द सिंह ने कहा है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के जो अधिकारी- कर्मचारी बैंकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उन्हें नौकरी से बाहर करें तथा जो अच्छा कार्य कर रहे हैं, उन्हें पदोन्नत करें। साथ ही खाली पड़े पदों पर आयुक्त सहकारिता से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त कर नियमानुसार शीघ्र ही भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाए। वित्तीय गड़बड़ी करने वालों से राशि की वसूली जाए, उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई जाए। डॉ गोविन्द सिंह आज अपैक्स बैंक के सभागार में भोपाल एवं हौशंगाबाद संभागों के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता आंदोलन में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों का महत्वपूर्ण योगदान है। अत: आवश्यक है कि इनकी वित्तीय स्थिति को सुधारा जाए। गत वर्षों में इनकी वित्तीय स्थिति काफी बिगड़ी है। सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारी निरंतर संभागीय बैठकें आयोजित कर इनके कार्य की समीक्षा करें। आयुक्त सहकारिता श्री एम के अग्रवाल ने बताया कि सागर एवं जबलपुर संभाग को छोड़कर सभी बैठकें की जा चुकी हैं तथा भविष्य में भी यह सिलसिला जारी रहेगा।
प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजीत केसरी ने बताया कि सहकारी बैंक मुख्य रूप से किसानों को अल्प अवधि कृषि ऋण देने का कार्य करते हैं। उन्होंने दिए गए ऋणों की समय से वसूली किए जाने की आवश्यकता बताई। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों की जिलेवार समीक्षा में पाया गया कि सभी बैंकों द्वारा दिए गए कालातीत ऋणों (NPA) की राशि अत्यधिक है। बैंकों के स्तर पर ऋणों की वसूली के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। मंत्री श्री सिंह ने निर्देश दिए कि आगामी एक वर्ष में अघिक से अधिक कालातीत ऋणों की वसूली सुनिश्चित की जाए।
सहकारी बैंकों की जिलेवार समीक्षा में पाया गया कि भोपाल में संस्थागत जमा तो हैं, परन्तु व्यक्तिगत जमा नहीं के बराबर हैं। इसके लिए प्रयास किया जाए। साथ ही कालातीत ऋणों की वसूली की जाए। बैतूल जिले में कालातीत ऋण की राशि रूपये 143 करोड़ है। आगामी 30 जून तक 100 करोड़ रूपये की वसूली कर ली जाए। रायसेन जिले में कालातीत ऋण राशि 148 करोड़ है, वहां के अधिकारी ने बताया कि आगामी जून तक 45 करोड़ की वसूली कर ली जाएगी।
राजगढ़ जिले की समीक्षा में पाया गया कि ऋण असंतुलन तथा वित्तीय अनियमितता के प्रकरणों के चलते सहकारी बैंक की हालत खराब है। वहां 183 करोड़ रूपये का कालातीत ऋण है। वित्तीय अनियमितताओं के प्रकरणों वसूली तथा एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश मंत्री डॉ गोविन्द सिंह द्वारा दिए गए। आगामी जून तक कम से कम 75 करोड़ ऋण राशि की वसूली कर ली जाए। विदिशा जिले में 45 करोड़ कालातीत ऋण शेष है, आगामी जून तक वसूली की जाए।
समीक्षा में होशंगाबाद जिले की स्थिति भी काफी खराब पाई गई, वहां 292 करोड़ का कालातीत ऋण शेष है, जिसमें अधिकांश गैर कृषि ऋण है। कई कर्मचारियों के खिलाफ मामले भी चल रहे हैं। कई प्रकरणों में संबंधित सहायक/उप पंजीयक द्वारा स्टे भी दे दिया गया है। इसे मंत्री श्री सिंह द्वारा गंभीरता से लेते हुए निर्देश दिए गए कि ऐसे सहायक/उप पंजीयकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनकी वेतन वृद्धियां रोकी जाएं। सीहोर जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहां जिला सहकारी बैंक का वर्ष 2016-17 में कालातीत ऋण 38 करोड़ था, जो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 280 करोड़ रूपये हो गया। ऋण वसूली को लेकर बैंक द्वारा कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। इस पर सहकारिता मंत्री द्वारा नाराजी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि स्थिति नहीं सुधारी गई तो बोर्ड भंग करने की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिए कि ऋण वसूली की मासिक योजना बनाकर सघन कार्रवाई की जाए। जो लोग कार्य करना नहीं चाहते वे बैंकों से बाहर जाने की तैयारी कर लें।
बैठक में अपैक्स बैंक के प्रशासक श्री अशोक सिंह, प्रमुख सचिव सहकारिता श्री अजीत केसरी, सहकारिता आयुक्त श्री एम के अग्रवाल, एमडी अपैक्स बैंक श्री प्रदीप नीखरा, अपर आयुक्त सहकारिता श्री आर सी घिया सहित दोनों संभागों के जिला सहकारी बैंकों के प्रशासक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला विपणन अधिकारी तथा सभी संबंधित उपस्थित थे।
चिकित्सा शिक्षा, आयुष एवं संस्कृति मंत्री डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जिला होशंगाबाद की इटारसी तहसील के गांधी स्टेडियम में संगीत नाटक अकादमी दिल्ली द्वारा आयोजित 6 दिवसीय 'देशज' समारोह के समापन कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस अवसर पर संस्कृति मंत्री ने कहा कि, नर्मदा जी के तट पर स्थित होशंगाबाद जिले में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित होना सौभाग्य का अवसर है। नर्मदा जी के दर्शन मात्र से पुण्य-लाभ की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में विभिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों का समावेश है। संस्कृति का संरक्षण व संवर्धन ही मध्य प्रदेश सरकार का प्रमुख उद्देश्य है।
मंत्री डॉ. साधौ ने कहा कि हमारे द्वारा लोकगीत, संगीत, नृत्य, लिपियों, कलाओं एवं जनजाति संस्कृतियों का संरक्षण किया जा रहा है। हमारी गौरवशाली परंपरा व संस्कृति के संरक्षण से ही हम भावी पीढ़ी को संस्कृति से रूबरू करा सकते हैं ताकि वह हमारी संस्कृति को अंगीकार कर सके। उन्होंने इटारसी में संस्कृति एवं कला का समां बांधने वाले कलाकारों को स्मृति-चिन्ह एवं शाल देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा, पूर्व मंत्री श्री विजय दुबे काकूभाई, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री कपिल फौजदार, कलेक्टर शीलेंद्र सिंह तथा पुलिस अधीक्षक एम एल छारी सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।