मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश (8352)

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार की नई आबकारी नीति की आलोचना करते हुए कहा कि 'मध्य प्रदेश को मदिरा प्रदेश ना बनाएं हमारी सरकार में हमने प्रयास किए की शराब की दुकान ना बढ़ें, धीरे-धीरे हमने उन्हें कम करने की कोशिश की। सिर्फ राजस्व बढ़ाने के लिए सरकार अपराध बढ़ाने का काम कर रही है"।

शुक्रवार को मीडिया के साथ बातचीत में चौहान ने कोर एरिया में लाइसेंस दिए जाने और अहाते खोलने की सरकार की नीति पर भी सवाल उठाए। महिला अपराध प्रदेश के लिए चिंता का विषय है, नशे में ऐसे अपराध ज्यादा होते हैं, यह विनाशकारी फैसला है। सरकार से हम मांग करते हैं कि ये फैसला बदला जाए वरना हम इसका विरोध करेंगे, सड़क पर आंदोलन करेंगे।

सरकार को बधाई

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मप्र के स्थापना दिवस की परंपरा हमने शुरू की। हमने मप्र गीत बनाया, हमारा मकसद प्रदेश के लोगों को जोड़ना था। इस सरकार को भी बधाई कि उन्होंने इस परंपरा को शुरू रखा। चौहान ने कहा कि वे मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह में शामिल होंगे।

जनता का ध्यान हटाने कर रहे धरना- प्रदर्शन की बात

चौहान ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने बाढ़ और अतिवृष्टि से पीड़ित प्रदेश के किसानों को अभी तक अपनी तरफ से कोई राहत राशि नहीं दी है, जबकि किसान परेशान हैं। किसान राहत राशि की मांग न करें, इस मुद्दे से उनका ध्यान हट जाए इसलिए सरकार के मंत्री दिल्ली में धरना प्रदर्शन की बातें कर रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि किसी भी तरह किसानों को राहत राशि देने से बचा जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ और मंत्रियों से कहा कि इधर-उधर की बातें न करें, पीड़ित किसानों को राहत राशि दें।

विधान परिषद से जनता को क्या लाभ

चौहान ने विधान परिषद संबंधी कमलनाथ सरकार की घोषणा पर कहा कि हमने इस पर चर्चा करने की बात कही थी, सहमति नहीं दी थी। सरकार को यह सोचना चाहिए कि इससे जनता को क्या लाभ होगा? कांग्रेस सरकार सिर्फ अपने कुछ लोगों को एडजस्ट करने और अपने खिलाफ बढ़ रहे असंतोष को कम करने के लिए विधान परिषद की बात कर रही है।

भोपाल। झाबुआ विधानसभा का चुनाव कांग्रेस द्वारा जीतने के बाद निगम, मंडल और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट के बीच सरकार ने इनकी पहले आर्थिक हालत की पड़ताल करने का फैसला किया है। वित्त विभाग एक-एक संस्था के लेखा-जोखा की बारीकी से जांच करेंगे।

साथ ही संस्था के जिम्मेदार अधिकारियों से यह भी पूछा जाएगा कि आखिर इनकी गतिविधियों को जारी क्यों रखा जाए। जनहित में इसकी क्या उपयोगिता है। माना जा रहा है कि बढ़ते खर्च के कारण अब सरकार का पूरा फोकस मितव्ययिता के उपायों पर है, इसलिए राजनीतिक नियुक्तियों से पहले संस्थाओं की आर्थिक नब्ज टटोली जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग की इस पूरी कवायद का घोषित मकसद भले ही निगम, मंडलों के लाभ-हानि का पता लगाना हो पर इसके पीछे दूसरा गणित राजनीतिक नियुक्तियों से पहले वित्तीय प्रबंधन को देखना भी है।

जाहिर है कि राजनीतिक नियुक्तियां होंगी तो संस्थाओं का खर्च भी बढ़ेगा। वैसे भी मुख्यमंत्री कमलनाथ सत्ता संभालने के साथ ही कह चुके हैं कि शोभा की सुपारी बनी हुई संस्थाओं को बंद किया जाए ताकि वित्तीय संसाधनों को दूसरी जगह बेहतर इस्तेमाल हो सके।

उधर, वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भारत के नियंत्रक महालेखाकार ने वर्ष 2017 के प्रतिवेदन में सिफारिश की थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की समीक्षा की जानी चाहिए। कुछ निगम, मंडलों ने ऑडिट की कार्रवाई पूरी नहीं की है तो कुछ की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी जाना बाकी है। बताया जा रहा है कि अधिकांश निगम, मंडलों की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है।

कुछ की योजनाएं सिर्फ कागजों में सिमटकर रह गई हैं। बैठक में 31 मार्च 2020 की स्थिति में निगम, मंडल के आय-व्यय की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। समीक्षा महत्वपूर्ण है इसलिए उपसचिव स्तर से नीचे के अधिकारी को नहीं भेजने के निर्देश विभागों को दिए गए हैं।
इन बिन्दुओं पर होगी समीक्षा

    उपक्रम बनाने का उद्देश्य क्या था, जनहित के मद्देनजर गतिविधियों को जारी रखना जरूरी है या नहीं और खर्च कितना आ रहा है।

    वर्ष 2016-17 से 2018-19 में लाभ या हानि क्या रहा।

    बैंक खाते में कितनी राशि है और खर्च नहीं होने वाली राशि कितनी है।

    यदि संस्था घाटे में है तो उसे फायदे में लाने की योजना क्या है।

    महालेखाकार की तीन साल की ऑडिट रिपोर्ट और आपत्ति पर की कार्रवाईयों का ब्योरा।

    शासन से तीन साल में कितना अनुदान, अंशपूंजी मिली। कुल कर्ज कितना है।

    बीते तीन साल में सरकार को कितना लाभांश दिया।

    कर्मचारियों को सातवां वेतनमान और एरियर्स दिया या नहीं।

    कर्मचरी को भरे और खाली पद। संविदा पदों की स्थिति।

इनकी होगी समीक्षा

सड़क विकास निगम, ऊर्जा विकास निगम, जल निगम, राज्य इलेक्टानिक्स विकास निगम, वित्त निगम, लघु उद्योग निगम, आदिवासी वित्त विकास निगम, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विकास निगम, कृषि उद्योग विकास निगम, हस्तशिल्प विकास निगम, नागरिक आपूर्ति निगम, राज्य वन विकास निगम, खनन विकास निगम, पुलिस आवास निगम,पर्यटन विकास निगम, मेट्रो रेल कंपनी, स्मार्ट सिटी विकास निगम, सभी विद्युत कपंनियां, पॉवर प्रोजेक्ट कंपनियां, औद्योगिक विकास निगम सहित अन्य।

विदिशा। जिले के गंजबासौदा ब्लॉक के डिडोली गांव में शुक्रवार को 25 दिन की बालिका को उसी के दूर के रिश्तेदार ने घरेलू विवाद में जला दिया। उसे गंभीर हालत में भोपाल रेफर किया है। मानवता को शर्मसार करने वाली हैवानियत की इस घटना में अभी किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है।
सात अक्‍टूबर को हुआ था बेटी का जन्‍म
गंजबासौदा के वार्ड-6 निवासी अरविंद कुशवाह के मुताबिक उनकी पत्नी वर्षा(22) को 7 अक्टूबर को बेटी हुई थी। अस्पताल से छुट्टी होने के बाद वह डिडोली में अपने मायके चली गई। तबसे वहीं रह रही है।
महिला के परिजनों का दूर के रिश्‍तेदारों से हुआ विवाद
शुक्रवार को वर्षा के परिजन का उनके ही दूर के रिश्तेदार संतोष, मीरा और राहुल से विवाद हो रहा था। वे लोग घर के बाहर वर्षा की मां मुनकाबाई से मारपीट कर रहे थे। वर्षा आंगन में बिछे पलंग पर बच्ची को सुलाकर मां को बचाने बाहर चली गई।

आंगन में बिछे पलंग पर केरोसिन डालकर आग लगा दी
तभी आरोपित राहुल ने अंदर घुसकर आंगन में बिछे पलंग पर केरोसिन डालकर आग लगा दी। जिससे बच्ची झुलस गई। आग बुझाकर बच्ची को गंजबासौदा अस्पताल लाए। जहां से विदिशा जिला अस्पताल रेफर कर दिया। वहां भी डॉक्टर ने हालत गंभीर बताकर भोपाल रेफर कर दिया।

पुलिस के सामने अभी परिजनों के बयान नहीं हो सके
गंजबासौदा देहात थाना प्रभारी बृजेंद्र मशकुले से इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक सूचना पर वे गांव पहुंचे थे, लेकिन बच्ची के परिजन उसे लेकर भोपाल चले गए। इसलिए बयान नहीं हो सके। बयान के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।

जबलपुर। बिजली पर बवाल से चिंतित मध्यप्रदेश सरकार अब जनता का मूड भांप रही है। बिजली की निर्बाध सप्लाई न होना सरकार के लिए परेशानी पैदा करने वाली है। वहीं बिजली कंपनी के सर्वे में 90 फीसदी उपभोक्ता सप्लाई बेहतर बता रहे हैं। 10 फीसदी उपभोक्ताओं ने ही कहा कि उन्हें निर्बाध बिजली नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं शिकायत के बावजूद वक्त पर बिजली सुधार नहीं होने से भी जनता त्रस्त है। सर्वे में सबसे ज्यादा इन्हीं दो समस्याओं को लेकर उपभोक्ता ने शिकायत दर्ज करवाई है। जबलपुर, इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों के उपभोक्ता तक इससे नहीं बचे नहीं हैं।

बिजली कटौती को लेकर प्रदेश भर में हल्ला हुआ। ऊर्जा विभाग ने इस पर निगरानी के लिए पहले विभाग स्तर पर अफसरों को तैनात किया। आंकड़ों में हेरफेर के बाद इससे अलग ऑनलाइन फीडबैक सिस्टम डेवलप करवाया। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को यह जवाबदेही दी गई। उपभोक्ता सेवा केन्द्र से हर दिन तीनों वितरण कंपनी के 500-500 उपभोक्ताओं से फोन पर संपर्क होता है। बातचीत की रिकॉर्डिंग होती है। उपभोक्ता से ग्राहक सेवा प्रतिनिधि बिजली से जुड़े सवाल पूछते हैं। उनके आधार पर सर्वे रिपोर्ट बनती है। हर बातचीत का ऑनलाइन रिकॉर्ड रखा जाता है। इसे विभागीय अफसर और प्रमुख सचिव ऊर्जा तक सीधे देखते हैं।

भोपाल:  
मध्य प्रदेश भारत का हृदय स्थल है, इसलिए इसका नाम मध्यप्रदेश पड़ा और आज वह अपना 63वां स्थापना दिवस मना रहा है. लेकिन क्या मध्य प्रदेश किस व्यक्ति का भी नाम हो सकता है, यह सुनकर हर किसी को ताज्जुब लग रहा होगा, लेकिन ये बिल्कुल सही है. इतना ही नहीं मध्य प्रदेश सिंह ने अपने 3 महीने के बच्चे का नाम भोपाल सिंह रख दिया है, जिसकी हर जगह चर्चाएं हो रही हैं.
मध्य प्रदेश इधर आओ, अब आप सोचेंगे मध्य-प्रदेश कैसे इधर से उधर आ सकता है. लेकिन मध्य प्रदेश आ सकता है और जा भी सकता है और बोल भी सकता है, क्योंकि यह मध्य प्रदेश किसी स्टेट का नाम नहीं, बल्कि एक व्यक्ति का नाम है जो बहुत खास है. जी हां, हम बात कर रहे हैं धार जिले की मनावर तहसील के गांव भमोरी में रहने वाले मध्य प्रदेश सिंह की जो कि फिलहाल झाबुआ के पीजी कॉलेज में अतिथि विद्वान है और भूगोल पढ़ाते हैं. मध्यप्रदेश सिंह को पहली बार नाम बताने पर उनका कोई भी यकीन नहीं करता है. उन्हें हर जगह अपना आधार कार्ड या आईडी कार्ड साथ रखना पड़ता था, तब कहीं जाकर लोगों को यकीन होता है कि उनका नाम मध्य प्रदेश सिंह है.
मध्यप्रदेश सिंह से हमने पूछा कि उनका यह नाम कैसे रखा तो उन्होंने बड़ा ही दिलचस्प वाक्या बताया कि वह 9 भाई बहन हैं. वह सबसे छोटे हैं, उनके जन्म के समय उनके बड़े भाई ने उनका नाम कुछ अलग रखने की जिद की. जिसके बाद भाई ने उनका नाम मध्य प्रदेश रख दिया. 8वीं और 10वीं तक तो अपने नाम का अर्थ ही नहीं समझते थे, लेकिन जब वे कॉलेज गए, तब सब उनसे कई तरह के सवाल पूछते थे और जवाब एक था कि बड़े भाई ने नाम रखा. मध्यप्रदेश सिंह झाबुआ के पीजी कॉलेज में पढ़ा रहे हैं और  एमए एमफिल भी कर चुके हैं. फिलहाल वो पीएचडी भी कर रहे हैं.

मध्यप्रदेश सिंह की पत्नी किरण को उनके नाम पर गर्व है. वह कहती हैं कि बड़ा ही यूनिक नाम है. पहली बार कुछ अजीब लगा था, लेकिन जब उनसे हर कोई मिलना चाहता है, बात करना चाहता है तो अच्छा लगता है. कभी कोई परेशानी नहीं हुई इस नाम से. वहीं मध्यप्रदेश सिंह को अपने इस नाम पर गर्व है. मध्यप्रदेश सिंह का पूरा नाम मध्यप्रदेश सिंह अमलावर है. उनकी पत्नी किरण बताती हैं कि जैसे भारत का हृदय स्थल मध्यप्रदेश है, वैसे ही 9 भाई बहनों में सबसे छोटे उनके पति मध्यप्रदेश अपने भाई बहनों के हृदय में रहते हैं. अब मध्यप्रदेश सिंह ने अपने बेटे का नाम भोपाल सिंह रखा है जो कि अभी मात्र 3 महीने का है. यह अपने प्रदेश के प्रति मध्यप्रदेश की दीवानगी है कि उन्होंने अपने पुत्र का नाम ही भोपाल रख दिया.

श्योपुर:  
मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्स की लापरवाही लगातार देखने को मिल रही है. ताजा मामला श्योपुर जिले में एक सरकारी अस्पताल से सामने आया है, जहां सांप के काटने के बाद पहुंचे एक व्यक्ति का इलाज करने की बजाय सांप का जहर उतारने के लिए झाड़-फूंक किया गया. इससे जुड़ा एक वीडियो भी सामने आया है.

मामला संज्ञान में आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. इसको लेकर श्योपुर के रेजिडेंट मेडिकल ऑफिसर का कहना है, 'यह एक गलत प्रथा है. हम मामले की जांच करेंगे और उचित कार्रवाई करेंगे.'

वैसे श्योपुर के अस्पताल डॉक्टर्स की कमी से पहले ही जूझ रहे हैं. हाल ही में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 9 नए डॉक्टरों के ट्रांसफर किए गए, मगर एक महीना बीत जाने के बाद भी एक भी डॉक्टर की श्योपुर में ज्वाइनिंग नहीं हो पाई है. इसके कारण श्योपुर का जिला अस्पताल अभी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में इलाज करवाने के लिए पहुंचने वाले मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

ग्वालियर:  
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए एक हफ्ते से अधिक का वक्त गुजर चुका है, मगर अभी तक बहुमत हासिल करने वाला बीजेपी-शिवसेना गठबंधन सरकार नहीं बना पाया है. क्योंकि 50-50 फॉर्मूले को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही हैं. शिवसेना ने गुरुवार को एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता चुन लिया तो इससे पहले बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता देवेंद्र फडणवीस को पार्टी के विधायक दल का नेता चुना गया. सत्ता को लेकर बीजेपी और शिवसेना में खींचतान के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने इस गठबंधन पर हमला बोला है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि 'सत्ता लोलुपता' ऐसे गठबंधन करा देती है.

दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मुद्दे पर कहा कि जहां दिल नहीं मिलते वो सत्ता के लिए इकट्ठे हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन भी था. बीजेपी ने सारे पीडीपी नेताओं को जेल में डाल दिया. शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन भी सत्ता के लिए था, कोई विचारधारा के लिए नहीं. अब बात 50-50 फॉर्मूले की हो रही है.

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कहा कि वो बुनियादी तौर पर जो देश में बेरोजगारी बढ़ रही है उस पर ध्यान दें. बैंकों की हालत बिगड़ रही है और अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है, उस पर तो ध्यान दें. दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री से बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था के बारे में पूछो तो आतंकवाद और पाकिस्तान की बात करते हैं. अब यह भी खबर है कि गोल्ड कंट्रोल एक्ट लाया जा रहा है, जिसमें कि हर परिवार को सोना सीमित रखने के लिए कहा जाएगा. माननीय प्रधानमंत्री जी से हमारी यही प्रार्थना है कि अर्थव्यवस्था संभालें और बैंकों की हालत ठीक करें.'

मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि संगठन को मजबूत करने के लिए बाहर से कोई नहीं आएगा. स्वयं मंत्रियों को भी इस बारे में ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी ध्यान दे रहे हैं, उम्मीद है कि सभी लोग ध्यान देंगे. प्रदेश सरकार के कई मंत्री संगठन को मजबूत करने की बात कर चुके हैं. विधान परिषद के गठन पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में विधान परिषद का गठन होना चाहिए. ऐसे कई लोग हैं जो चुनाव नहीं लड़ पाए उन्हें विधान परिषद में आने का अवसर मिलेगा. पत्रकार उसमें आ सकते हैं, शिक्षकों का भी प्रतिनिधित्व उसमें होता है. लोकल बॉडीज का प्रतिनिधित्व होता है. विधान परिषद बनना चाहिए.

भोपाल बाढ़ पीड़ितों की मदद राशि नहीं देने पर अब कमलनाथ सरकार (Kamal Nath government) केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) के खिलाफ उपवास पर बैठेगी. कर्नाटक को आपदा के तहत 1200 करोड़ और बिहार को 400 करोड़ रुपये की मदद देने वाली केंद्र सरकार ने मध्‍य प्रदेश सरकार के बार-बार अनुरोध के बाद भी राहत राशि नहीं दी है, लिहाजा कमलनाथ सरकार ने अब उपवास की तैयारी कर ली है. आज कमलनाथ कैबिनेट (Kamal Nath Cabinet) की अनौपचारिक बैठक में केंद्र सरकार के रवैये को लेकर चर्चा हुई. इसी दौरान केंद्र की भेदभाव की नीति के खिलाफ धरना देने की रणनीति बनी. कांग्रेस सरकार ने कहा है कि यदि केंद्र से मदद नहीं मिलती है तो दिल्ली में मंत्रिमंडल के सदस्य केंद्र के खिलाफ उपवास करेंगे.
केंद्र के खिलाफ राज्य के धरने के ऐलान पर मध्‍य प्रदेश के मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि केंद्र से बार-बार अनुरोध के बाद भी मदद नहीं मिलने पर अब उपवास के जरिए केंद्र सरकार को जगाने का काम होगा. जबकि कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एक महीने का वेतन देने का फैसला किया है. साथ ही आईएएस एसोसिएशन ने अफसरों के पांच फीसदी डीए की राशि बाढ़ पीड़ितों के लिए दी है. मुख्यमंत्री कमलनाथ को आज मंत्रालय में चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज द्वारा मध्य प्रदेश के अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों की मदद के लिए मुख्यमंत्री सहायता कोष में पांच लाख रुपए का चेक दिया.
इससे पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 21 अक्टूबर को नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से तत्काल 6621.28 करोड़ रुपए की राहत देने की मांग की थी. जबकि शाह से मिलने से पहले पीएम मोदी से भी मिलकर इस बात की चर्चा कर चुके हैं.

भोपाल.मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) स्थापना दिवस (foundation day) पर सीएम कमलनाथ (cm kamalnath) ने ब्लॉग (The blog) लिखा है. इसमें CM ने अपने मन की बात और प्रदेश को लेकर उनके सपने और संकल्प का ज़िक्र किया है. साथ ही सवाल किया है कि मेहनती लोगों का मध्यप्रदेश नई उड़ान क्यों नहीं भर सकता.
आज मध्य प्रदेश का स्थापना दिवस है. मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम कमलनाथ का ये एमपी में पहला साल है. इस मौके पर सीएम ने ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश के बारे मेंअपनी भावनाएं ज़ाहिर की हैं. उन्होंने लिखा है-यह लोगों की सरकार है. जवाबदेह शासन के साथ लोगों के सहयोग से हम मध्य प्रदेश को हर क्षेत्र में मजबूत बनाएंगे. मध्यप्रदेश अब नई उड़ान भरेगा. यह हमारा संकल्प है.
ये एक ऐतिहासिक अवसर
सीएम कमलनाथ ने ब्लॉग के जरिए मध्य प्रदेश के स्थापना दिवस पर सभी नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं.उन्होंने लिखा कि हम सबके लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है. मैं उन सभी बंधुओं को भी हार्दिक बधाई देता हूं जो विदेशों में बस गए हैं और अपने प्रदेश की खूबसूरत वादियों और सुनहरे पलों को याद करते हैं. मैं उन सबको भी नमन करता हूं, जिन्होंने मध्यप्रदेश के निर्माण में अपूर्व योगदान दिया है और उत्साहपूर्वक राज्य के नवनिर्माण में जुटे हुए हैं. मध्यप्रदेश एक लंबा सफर तय कर चुका है. यह एक शानदार राज्य है. सिर्फ इसलिए नहीं कि यहां शांतिपूर्ण सांस्कृतिक विविधता है, मोहक जैव-विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य है या लुभावने स्मारक हैं. बल्कि इसलिए कि यह अपने शांतिप्रिय और मेहनती लोगों के कारण अद्वितीय है. सर्वधर्म समभाव मध्यप्रदेश की पहचान है.

एमपी का सौंदर्य
सीएम कमलनाथ ने आगे लिखा- निस्संदेह, मध्य प्रदेश का सौंदर्य सबको सम्मोहित कर देता है. नर्मदा नदी का निर्मल प्रवाह, स्वतंत्र विचरण करते टाइगर, कान्हा नेशनल पार्क की अद्भुत सुंदरता, पत्थरों पर अंकित कविता खजुराहो, अद्भुत महेश्वरी और चंदेरी साड़ी, सांस्कृतिक विविधता और भी बहुत कुछ है यहां. छह दशकों की यात्रा के बाद हम बेहतर भविष्य के लिए नई रणनीति तैयार कर रहे हैं.
ये क्यों नहीं हो सकता
सीएम कमलनाथ ने लिखा-मैं समझता हूं कि हमने भविष्य की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बातों में अपना कीमती समय और ऊर्जा खर्च की. मध्यप्रदेश आगे क्यों नहीं बढ़ सकता जब यहां के लोग मेहनती हैं? हम हर क्षेत्र में उत्कृष्ट बन सकते हैं. हमारे विश्वविद्यालय उत्कृष्टता हासिल कर सकते हैं. हमारा पर्यटन तेजी से पनप सकता है. औद्योगिक विकास में हम नया मुकाम हासिल कर सकते हैं. हमारे उत्साही और प्रतिभाशाली युवा चमत्कार कर सकते हैं. हमारे किसान अपने कौशल से कमाल कर सकते हैं. हमें उनके लिए नए रास्ते बनाने होंगे. लोग अपने आत्म-विश्वास ,अपनी ऊर्जा, प्रतिभा और ज्ञान से आश्चर्यजनक परिवर्तन ला सकते हैं.
मध्य प्रदेश को उत्कृष्ट कार्य-योजना चाहिए
मध्य प्रदेश को एक शांतिपूर्ण राज्य बनाने का श्रेय यहां के नागरिकों को जाता है. मध्य प्रदेश को एक उत्कृष्ट कार्य-योजना चाहिए. मौजूदा बुनियादी ढांचे का उपयोग करते हुए मानव और प्राकृतिक संसाधनों के उत्कृष्ट प्रबंधन की ज़रूरत है.प्रदेश की सबसे बड़ी पूंजी यहां की युवा प्रतिभाएं हैं. उन्हें अवसर की आवश्यकता है. यह हमारा कर्त्तव्य है कि हम उनके लिए अवसर पैदा करें. मध्य प्रदेश को आगे ले जाने में हर नागरिक की समान जिम्मेदारी है. हमने लोक विवेक का आदर किया है. अपनी नीतियों और निर्णयों में लोगों की अपेक्षाओं का ध्यान रखा है. आज मध्य प्रदेश नए क्षितिज में उड़ान भरने के लिए तैयार है.
किसानों और युवाओं पर फोकस
सीएम ने लिखा-हमारी अर्थ-व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत हमारा कृषि क्षेत्र है. अब हमें खेती में उद्यमिता को बढ़ावा देना होगा ताकि हमारे किसान आत्म-निर्भर बनें.अब आर्थिक गतिविधि से युवा जनशक्ति को जोड़ने और उनके लिए नौकरी के अवसर पैदा करना पहली प्राथमिकता है। औद्योगिक विकास का उद्देश्य नौकरी के अवसर बढ़ाना है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
मेरा विचार है कि वर्तमान का बेहतर प्रबंधन और भविष्य की उत्कृष्ट प्लानिंग ज़रूरी है. प्रदेश के लोग निपुण, प्रतिभाशाली और ज्ञान से परिपूर्ण हैं. प्रत्येक नीति में उनकी आकांक्षाओं को स्थान मिलना चाहिए. नागरिकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए हम वचनबद्ध हैं. इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेने का समय आ गया है.
मुझे लोगों की शक्ति पर भरोसा है. मैं युवा पीढ़ी की प्रतिभा में विश्वास करता हूं. हमें अपने उद्यमियों पर भरोसा है. मैं सशक्त हो रही महिलाओं की प्रतिभा की प्रशंसा करता हूं.

भोपाल. मध्यप्रदेश के शिशु गृहों में भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं. शिशुओं का यौन उत्पीड़न (Sexual harassment of children) हो रहा है. यह खुलासा हाल ही में रीवा की निजी संस्था निवेदिता कल्याण समिति (शिशु गृह) (Nivedita Welfare Committee) से गोद लिए गए बच्चों की अमेरिका (USA)  में काउंसिलिंग के दौरान हुआ है. वहां मामला संज्ञान में आने के बाद इसकी जानकारी भारत सरकार को दी गई. फिलहाल निवेदिता कल्याण समिति (शिशु गृह)  का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है और सभी बच्चों को सतना के मातृ छाया में शिफ्ट करने के निर्देश दिए गए हैं. इस पूरे मामले की जांच के लिए रीवा के एसपी ने एक टीम गठित की है, जिसने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है. शिशु गृह में छह साल तक के बच्चों को रखा जाता है और वहीं से लोग बच्चों को गोद (Adopt) लेते हैं.
अमेरिकी दंपति ने चार बच्चों को पिछले माह लिया था गोद
रीवा स्थित आंचल शिशु गृह निजी संस्था निवेदिता कल्याण समिति (शिशु गृह) से गत माह चार बच्चों को अमेरिका निवासी क्लिंटन एवं अमाडा ने गोद लिया था. अमेरिका पहुंचे दंपति ने वहां के कानून के मुताबिक पोस्ट रिप्लेसमेंट रिपोर्टिंग के लिए बच्चों को पहले चिल्ड्रन होम एजेंसी में स्थानांतरित किया. यहां के काउंसलर्स ने जब बच्चों की काउंसिलिंग की तो वे यह जानकर चौंक गए कि शिशु गृह में उनका यौन उत्पीड़न किया गया है. इसकी जानकारी काउंसलर ने बच्चों के अभिभावकों को देने के साथ ही भारत सरकार की संस्था कारा को दी.
भारत सरकार ने अमेरिकी रिपोर्ट एमपी की सरकार से साझा की

भारत सरकार को जैसे ही अमेरिका सरकार की ओर से बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न किए की खबर मिली तो हड़कंप मच गया. आनन-फानन में इसकी जानकारी मध्यप्रदेश सरकार से साझा की गई.
जानकारी मिलने पर महिला बाल विकास संचालनालय ने मामले की गंभीरता से रीवा के कलेक्टर को अवगत कराया. इस पूरे मामले की जांच के लिए रीवा पुलिस ने एक टीम गठित की है जो मामले की जांच कर रही है.

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