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नई दिल्ली। भारत में ओला इलेक्ट्रिक स्कूटर अब लगातार गिरती बिक्री का सामना कर रही है। जनवरी 2025 तक के सेल्स आंकड़ों के अनुसार, ओला इलेक्ट्रिक ने 6,655 इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचे हैं, जिससे उसकी बाजार हिस्सेदारी घटकर 18प्रतिशत रह गई है।
पिछले साल ओला की हिस्सेदारी लगभग 50-52प्रतिशत थी, और 2024 में कंपनी ने 4 लाख से ज्यादा स्कूटर बेचकर 35प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की थी, लेकिन अब उसकी स्थिति कमजोर हो गई है। इसी बीच, बजाज ऑटो और टीवीएस मोटर ने इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट में अपनी बढ़त बना ली है। दोनों कंपनियों ने मिलकर 48प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की है। टीवीएस ने जनवरी के पहले 15 दिनों में 9,800 स्कूटर बेचकर 23प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ पहले नंबर पर जगह बनाई है। बजाज ने 8,694 इलेक्ट्रिक वाहन बेचकर 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे पायदान पर जगह बनाई है। पिछले महीने की बिक्री की स्थिति भी ओला के लिए चुनौतीपूर्ण रही। दिसंबर 2024 में, बजाज ने 18,276 चेतक इलेक्ट्रिक स्कूटर बेचकर ईवी बाजार में चौथाई हिस्सेदारी हासिल की। टीवीएस ने 17,212 i-क्यूब स्कूटर बेचकर दूसरा स्थान पाया, जबकि ओला 13,769 स्कूटर बेचकर तीसरे नंबर पर रही। इस दौरान ओला की बाजार हिस्सेदारी में लगभग 19 प्रतिशत की गिरावट आई है। बता दें कि उत्पादों की गुणवत्ता और आफ्टर सेल सर्विस में सुधार न होने के कारण ग्राहकों ने कंपनी से दूरी बनानी शुरू कर दी है, जिसका असर उसकी बिक्री पर पड़ा है।

नई दिल्ली । दोपहिया निर्माता कंपनी टीवीएस ने अपनी नई टीवीएस जुपीटर सीएनजी स्कूटर को पेश किया, जो भारत का पहला सीएनजी स्कूटर है। ऑटो एक्सपो 2025 में इस स्कूटर को कंपनी के भारत मोबिलिटी 2025 प्रोजेक्ट के तहत लॉन्च किया गया है और यह पेट्रोल और सीएनजी दोनों ईंधन के विकल्प के साथ आता है।
टीवीएस जुपीटर सीएनजी में 124.8 सीसी की क्षमता वाला सिंगल सिलेंडर इंजन है, जो 5.3 किलोवाट की पावर और 9.4 न्यूटन मीटर का टॉर्क उत्पन्न करता है। इस स्कूटर की टॉप स्पीड 80.5 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच सकती है और यह एक किलोग्राम सीएनजी में 84 किलोमीटर तक यात्रा कर सकता है। इसे पेट्रोल और सीएनजी दोनों ही ईंधन के साथ चलाया जा सकता है, जिससे यह 226 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। इसमें कई बेहतरीन फीचर्स शामिल हैं, जिनमें सेगमेंट की सबसे बड़ी सीट, मैक्स मेटल बॉडी, एक्सटर्नल फ्यूल लिड, फ्रंट मोबाइल चार्जर, सेमी डिजिटल स्पीडोमीटर, बॉडी बैलेंस तकनीक, इटीएफआई और इंटेलीगो तकनीक, ऑल इन वन लॉक और साइड स्टैंड इंडीकेटर के साथ इंजन इनहिबिटर शामिल हैं। हालांकि टीवीएस ने अभी तक इस स्कूटर के लॉन्च की तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह अगले तीन से छह महीनों में बाजार में उपलब्ध हो सकता है। अनुमान है कि लॉन्च के समय इसकी एक्स-शोरूम कीमत लगभग एक लाख रुपये के आस-पास हो सकती है। टीवीएस जुपिटर सीएनजी एक नई तकनीक के साथ पेश किया गया है, और इसका कोई सीधा प्रतिस्पर्धी नहीं है।

 


नई दिल्ली । भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) कंपनी ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में छह बैंकों के समूह के साथ 31,802 करोड़ रुपये के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते के बाद बीपीसीएल ने घोषणा की कि उसने अपनी बीना रिफाइनरी विस्तार और पेट्रोरसायन परियोजना के लिए वित्त की व्यवस्था कर ली है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 48,926 करोड़ रुपये है, जिसका उद्देश्य बीना रिफाइनरी की क्षमता को 78 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 1.1 करोड़ टन प्रति वर्ष करना और एक पेट्रोरसायन परिसर स्थापित करना है। इसमें 12 लाख टन प्रति वर्ष एथिलीन क्रैकर इकाई का निर्माण भी शामिल है।बीपीसीएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक जी कृष्णकुमार ने कहा कि यह परियोजना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। एसबीआई के चेयरमैन सी. श्रीनिवासुलु शेट्टी ने भी इस साझेदारी को दोनों संगठनों और राष्ट्र के लिए लाभकारी बताया। बीपीसीएल ने बताया कि इस परियोजना से लीनियर लो-डेंसिटी पॉलीइथिलीन (एलएलडीपीई), हाई-डेंसिटी पॉलीइथिलीन (एचडीपीई), और पॉलीप्रोपाइलीन जैसे उत्पादों का उत्पादन होगा, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम होगी।
साथ ही, यह परियोजना मध्य और उत्तरी भारत में बढ़ती ईंधन की मांग को पूरा करने में मदद करेगी। परियोजना का निर्माण कार्य 15 सितंबर 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शिलान्यास किए जाने के बाद शुरू हो चुका है, और इसे चार साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना से 15,000 से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न होने की उम्मीद है, जबकि परियोजना के चालू होने के बाद एक लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।


नई दिल्ली। स्वदेशी कंपनी महिंद्रा ने अपनी महिंद्रा थार रोक्स पॉपुलर एसयूवी की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। थार की कीमतों में यह वृद्धि 0.48 प्रतिशत से लेकर 2.86 प्रतिशत तक की है, जो ग्राहकों के लिए एक बड़ा बदलाव है। पेट्रोल व डीजल वेरिएंट्स की कीमतों में किए गए बदलावों ने बाजार में हलचल मचा दी है।
महिंद्रा थार के पेट्रोल वर्जन में बदलाव केवल टॉप मॉडल एएक्स7 एल एटी में किया गया है। इस मॉडल की कीमत में 50,000 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, जिसके बाद इसकी कीमत अब 20.49 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) हो गई है। इस वृद्धि के बाद, पेट्रोल वेरिएंट्स की कीमतों में 2.50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। हालांकि, बाकी पेट्रोल वेरिएंट्स की कीमतें वैसी की वैसी बनी हुई हैं, और इनकी शुरुआती कीमत 12.99 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है। वहीं, डीजल वेरिएंट्स की कीमतों में भी बदलाव किए गए हैं। एमएक्स5 एमटी 4गुणा4 वेरिएंट की कीमत में 30,000 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, जो अब 19.09 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) हो गई है।
इसके अलावा, एएक्स5 एल एटी 4गुणा4 की कीमत में भी 10,000 रुपये की बढ़ोतरी हुई है, और अब इसकी कीमत 21.09 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) हो गई है। वहीं, एमएक्स1 एमटी वेरिएंट की कीमत में कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह 13.99 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) पर बनी हुई है।

 


केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। साल की शुरुआत होते ही केंद्र सरकार की तरफ से खुशखबरी मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 तक होगा। लेकिन, उसके बाद 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाएगा। केंद्रीय कर्मचारियों की यह मांग ऐसे समय पूरी हुई है, जब बार-बार यह आशंका जताई जा रही थी कि 8वां वेतन आयोग नहीं आएगा। पहले से ही माना जा रहा था कि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद ही 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिलेगी। नया वेतन आयोग बनेगा और वेतन संशोधन भी होगा। हालांकि, इसे कब लागू किया जाएगा, इसकी कोई डेडलाइन नहीं है।

लेबर यूनियन की तरफ से लगातार बढ़ रहे दबाव के चलते सरकार ने उन्हें खुश कर दिया है। अगले वेतन आयोग के गठन पर फैसला हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मंजूरी दे दी है। अभी तक 8वें वेतन आयोग को लेकर संशय बना हुआ था। अब 7वें वेतन आयोग के बाद अगले वेतन आयोग की तैयारी की जा रही है। सरकार ने भी इसकी पुष्टि कर दी है।

केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में आएगा भारी उछाल

सूत्रों की मानें तो सैलरी में सबसे बड़ा इजाफा होगा। इतना जरूर कहा जा सकता है कि मामला आगे बढ़ रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि नए वेतन आयोग में क्या आएगा और क्या नहीं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। क्योंकि, इसकी पूरी जिम्मेदारी वेतन आयोग के चेयरमैन की होगी। नए वेतन आयोग के चेयरमैन की घोषणा भी साल 2026 में की जा सकती है। उनकी देखरेख में कमेटी बनेगी और उसके बाद सैलरी बढ़ाने के लिए कौन सा फॉर्मूला अपनाया जाए, इसकी तस्वीर साफ हो सकती है।

8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिल गई है। अब इसका गठन साल 2026 से पहले हो जाएगा। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसकी सिफारिशों को लागू किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक, अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में भारी उछाल आने की संभावना है। 7वें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कई बदलाव संभव हैं। फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। आपको बता दें, अब तक सरकार 10 साल में एक बार वेतन आयोग का गठन करती है।

कितनी बढ़ेगी सैलरी?

7वें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की लॉटरी लगने वाली है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो कर्मचारियों की सैलरी में सबसे बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर बढ़कर 3.68 गुना हो जाएगा। साथ ही फॉर्मूला जो भी हो, कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 44.44% का इजाफा हो सकता है।


केन्द्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने वाला है। केन्द्रीय बजट से पहले मोदी सरकार ने आज आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देकर अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है।

मोदी सरकार के इस कदम से लाखों-करोड़ों सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने की पूरी संभावना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोदी सरकार के इस फैसले की आज जानकारी दी है। अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी गई है।

इस दौरान उन्होंने बताया कि 1947 से अब तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस दौरान बताया कि 2016 में सातवां वेतन आयोग शुरू हुआ था, जो2026 तक चलना था, लेकिन उससे एक साल पहले ही केन्द्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूर कर दिया गया है। सातवें वेतन आयोग सिफारिशों को मोदी सरकार द्वारा लागू किया था। नए साल में केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए ये किसी सौगात से कम नहीं है।

 

 

देशवासियों के हित में केन्द्र सरकार की ओर से कई योजनाओं का संचालन किया रहा है। उन्हीं में से एक अटल पेंशन योजना भी है, जिसके माध्यम से लोग 1 से लेकर 5 हजार रुपए प्रतिमाह तक की पेंशन हासिल कर सकते हैं।

केन्द्र सरकार की ओर से संचालित अटल पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए पहले आपको निवेश करना होता है। इसके बाद लाभार्थी को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने पेंशन मिलेगी। आप नजदीकी किसी बैंक की ब्रांच में जाकर योजना में अपना खाता खुलासा सकते हैं।

आपको यहां पर प्रीमियम के साथ ही प्लान का चयन करना होगा। इसके बाद आपको हर महीने कुछ राशि का निवेश करना होगा। फिर आप साठ साल के बाद 1 से लेकर 5 हजार रुपए प्रतिमाह तक की पेंशन हासिल करने के पात्र बन जाएंगे। इस पेंशन के शुरू होने के बाद आपको बुढ़ापे में किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

 


नई दिल्ली । डबलिन मुख्यालय वाले एआई-सुरक्षा स्टार्टअप इंस्पेक एआई ने बेंगलुरू में अपना पहला कार्यालय खोल ‎लिया है। कंपनी के बयान के अनुसार कार्यालय में 25 कर्मचारी हैं। अगले कुछ महीनों में इंजीनियरिंग संचालन व ग्राहक-सामना करने वाली भूमिकाओं में अतिरिक्त 50 कर्मचारियों की नियुक्ति करने की योजना है। यह कंपनी का तीसरा वैश्विक कार्यालय है। कंपनी के डबलिन और लंदन में भी कार्यालय हैं। इंस्पेक एआई डेवलपर को अपने एंटरप्राइज एआई अनुप्रयोगों में एआई को सुरक्षित तथा जिम्मेदारी से एकीकृत करने में मदद करने के लिए ‘एलएलएम ऑप्स’ मंच प्रदान करती है। साथ ही साथ इन अनुप्रयोगों में सुधार भी करती है।

मुंबई । अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने स्वीकार किया कि भले ही दुनियाभर में वैश्विक वृद्धि स्थिर रहेगी, लेकिन 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी कमजोरी संभावित है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी रहेगी, खासकर अमेरिका की व्यापार नीति के चलते। जॉर्जीवा ने उम्मीद जताई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 में थोड़ी कमजोर रहेगी। उन्होंने बताया कि भारत के अलावा चीन में मुद्रास्फीति और मांग की चुनौतियों का सामना करना भी आईएमएफ के लिए मुश्किल हो सकता है। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन, कनाडा और मैक्सिको पर शुल्क लगाने की योजना की घोषणा का माध्यम उचित नहीं माना, कारण रखते हुए कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को और अधिक अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है। जॉर्जीवा ने आगे कहा कि अमेरिका के नीतिगत कदम, खासकर शुल्क और कर वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हैं और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। उनके अनुसार यह अनिश्चितता चुनौतियों को बढ़ा सकती है, खासकर उन देशों और क्षेत्रों के लिए जो एकीकृत आपूर्ति शृंखलाओं में हैं, जैसे कि एशिया। इस सबके बावजूद जॉर्जीवा ने स्पष्ट किया कि समाधान और उपाय ढूंढने का समय है, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास को सुनिश्चित किया जा सके। आईएमएफ अपेक्षा रखती है कि इस अनिश्चितता को झेलने के लिए सपनों और उम्मीदों का सहारा न ले कर सजीव और सुरक्षित उपचारों से सामना किया जाए।


नई दिल्ली । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने भारतीय शेयर बाजारों से 22,194 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह निकासी दिसंबर माह के 15,446 करोड़ रुपये के निवेश के बाद आई है। विदेशी निवेशकों का एफपीआई बिकवाली के पीछे कुछ कारकों का इसमें जिम्मेदार माना जा रहा है। कंपनियों के तिमाही नतीजे कमजोर रहने, डॉलर में मजबूती, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में शुल्क युद्ध तेज होने और साथ ही भारतीय बाजारों में असमंजस के कारण इस बिकवाली का मुख्य कारण भी माना जा रहा है। भारतीय रुपये के निचले स्तर अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन के कारण भी विदेशी निवेशकों ने अपना निवेश घटाया है। अनुसंचारित आंकड़ों के अनुसार इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 22,194 करोड़ रुपये निकाले हैं। बाजार के जानकारों ने कहा कि डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी, 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल और अन्य कारकों के कारण निवेशक उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं। बीते साल उन्होंने भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। वहीं 2023 में उन्होंने 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।

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