ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली। देश में ऑनलाइन फूड ऑर्डर की संख्या में तेजी देखने को मिली है। ऑनलाइन फूड ऑर्डर को लेकर जोमैटो (Zomato) ने वार्षिक रिपोर्ट जारी किया इस रिपोर्ट का नाम "nation's biggest foodie" है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2023 में मुंबई में एक व्यक्ति ने 3,580 ऑर्डर किया है। वह एक दिन में 9 ऑर्डर किया है।
फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि 2024-25 में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि के साथ भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ने वाले देशों में एक होगा। रेटिंग एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत आंकी है।
फिच ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'चालू वित्त वर्ष में सीमेंट, बिजली और पेट्रोलियम उत्पादों की मांग मजबूत बनी रहेगी। भारत के बढ़ते बुनियादी ढांचे के खर्च से स्टील की मांग को भी बढ़ावा मिलेगा। कार की बिक्री में भी वृद्धि जारी रहेगी।'
दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था
फिच ने शुक्रवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 2023 में तेज विकास दर के बाद जीडीपी में नरमी की उम्मीद है। भारत वर्तमान में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2030 तक भारत की जीडीपी जापान से अधिक होने का अनुमान है। अगर ऐसा होता है तो भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि प्रमुख विदेशी बाजारों में धीमी वृद्धि से कमजोरी के बावजूद, भारत की घरेलू खपत से कारपोरेट क्षेत्र में मांग बढ़ेगी। इनपुट लागत का दबाव कम होने से मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में कंपनियों के मुनाफे का स्तर 2022-23 के मुकाबले 290 आधार अंक तक बढ़ सकता है। इससे कारपोरेट जगत को उच्च पूंजीगत व्यय के बावजूद कर्मचारियों को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
जीडीपी में बड़ा योगदान
जीडीपी में बड़ा योगदान देने वाले भारत के सूचना-प्रौद्योगिकी के बारे में फिच ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन देशों में धीमी मांग से आइटी सेवाओं की बिक्री में वृद्धि घटने की संभावना है। हालांकि कर्मचारियों को नौकरी से निकालने और वेतन के दबाव को दरकिनार करते हुए कंपनियों को उच्च लाभ को प्राथमिकता देनी चाहिए।
अगर आपके पास डीमैट अकाउंट है या म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि आप इस डेडलाइन के बारे में जान लें। वरना आपको आने वाले समय में काफी समस्याएं हो सकती है।
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने ऐसे लोगों को हिदायत दी है कि वो अपने अकाउंट में 31 दिसंबर से पहले नॉमिनी जोड़ ले या नामाकंन से बाहर हो जाए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो वे अपने अकाउंट से पैसे निकालने में सक्षम नही होंगे। अगर आपने अपना नामांकन पहले ही जमा कर दिया है, तो आपको इसे दोबारा करने की जरूरत नहीं है।
निर्देशों का करें पालन
SEBI ने कहा है कि लोगों को निर्देशों का पालन करना होगा। इसके अलावा एक्सपर्ट का मानना है कि लोगों के यह समझना जरूरी है कि यह कदम महत्वपूर्ण है।
बता दें कि यह कोई रैगुलेटरी प्रोसेस नही हैं, मगर यह इसलिए जरूरी है क्योंकि किसी दुर्घटना या आपातकालिन स्थिति में नॉमिनी अकाउंट को एक्सेस कर सकेंगे।
क्या होगा परिणाम
अगर आप समय रहते इस प्रक्रिया को पूरा नहीं करते हैं तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बता दें कि नामाकंन में हिस्सा ना लेते की स्थिति में सेबी आपके म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट से निकासी को रोक देगा।
इसके चलते आप अपने म्यूचुअल फंड से पैसे नहीं निकाल सकेंगे। साथ ही अपने डीमैट खाते से ट्रेडिंग भी नहीं कर सकेंगे।
अगर आपने पहले ही ये बदलाव कर लिया है तो बता दें कि आपको इसे दोबारा करने की जरूरत नहीं है।
ये प्रोसेस बहुत आसान और ऑनलाइन उपलब्ध है। इंवेस्टर्स नॉमिनेशन फॉर्म भर कर और अपने डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) को इसे देकर इस प्रक्रिया को पूरा कर सकते हैं।
इलेक्ट्रिक टू-व्हीकल कंपनी ओला इलेक्ट्रिक कंपनी आईपीओ के जरिए फंड जुटाने की तैयारी है। कंपनी ने शुक्रवार को मार्केट रेगुलेटर सेबी में आईपीओ के ड्राफ्ट पेपर जमा किए हैं। देश में 20 साल बाद कोई व्हीकल मेकर कंपनी आईपीओ के जरिए फंड जुटा रही है।
ओला इलेक्ट्रिक आईपीओ डिटेल्स
ओला इलेक्ट्रिक की ओर से जमा ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) के अनुसार, कंपनी 5,500 करोड़ रुपये तक के इक्विटी शेयरों का फ्रेश इश्यू और प्रमोटरों और निवेशकों द्वारा 9.52 करोड़ इक्विटी शेयरों की बिक्री की पेशकश (ओएफएस) कर रही है।
ओला इलेक्ट्रिक के इक्विटी शेयरों की लिस्टिंग बीएसई और एनएसई पर होगी। इसके साथ ही कंपनी बुक-रनिंग लीड मैनेजर Kotak Mahindra कैपिटल कंपनी, Citigroup Global Markets India, BofA Securities India, Goldman Sachs (India) सिक्योरिटीज, Axis Capital, ICICI सिक्योरिटीज, SBI Capital Markets, और BOB Capital Markets हैं।
गीगाफेक्ट्री पर फोकस
आईपीओ के जरिए जुटाए जाने वाले फंड के इस्तेमाल कंपनी ओला गीगाफैक्ट्री परियोजना के ओसीटी, कैपिटल एक्सपेंडेचर, सहायक कंपनी को लोन रिपेमेंट, रिसर्च और प्रोडक्ट डेवलपमेंट के निवेश और कॉर्पोरेट खर्चों में करेगी।
ओला इलेक्ट्रिक बेंगलुरु स्थित अपनी ओला फ्यूचरफैक्ट्री में बैटरी पैक और मोटर्स जैसे ईवी और कोर ईवी कंपोनेंट का प्रोडक्शन करती है। कंपनी की प्लानिंग तमिलनाडु में ईवी हब बनाने की है, जिसमें ओला फ्यूचरफैक्ट्री, अपकमिंग ओला गीगाफैक्ट्री और दूसरे कंपोनेंट बनाने की है।
ओला इलेक्ट्रिक के बारे में
ओला ने 2021 में अपना पहला EV स्कूटर Ola S1 Pro को लॉन्च किया था। कंपनी के पोर्टफोलियो में फिलहाल 5 स्कूटर हैं।
इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च करने के 9 महीने के भीतर ही कंपनी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के वाहन पोर्टल पर लिस्टेड E2W रजिस्ट्रेशन के आधार पर देश में सबसे ज्यादा बिकने वाला E2W प्लेयर बन गया है।
जून 2023 की तिमाही तक E2W मार्केट में कंपनी की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत है। कंपनी का फोकस इंडियन मार्केट के साथ-साथ ग्लोबल मार्केट पर भी है।
ड्राफ्ट के अनुसार, कंपनी 31 अक्टूबर, 2023 तक अपने डायरेक्ट-टू-कस्टमर (D2C) ओमनीचैनल वितरण नेटवर्क का संचालन करती है। देश में उसके 935 एक्सपीरियंस सेंटर और 414 सर्विस सेंटर उपलब्ध हैं।
वित्तीय वर्ष 2023 की बात करें तो कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू 2,630.93 करोड़ रुपये का है, जिसमें पिछले एक साल में करीब 7 गुना बढ़ोत्तरी हुई है।
खाद्य पदार्थों की कीमतों में अस्थिरता और अनिश्चितता के कारण महंगाई को लेकर अस्पष्ट परिदृश्य बने रहने की आशंका है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 6-8 दिसंबर को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में महंगाई पर जोखिम को लेकर चिंता जताई गई थी। इसके साथ ही, उच्च कीमतों का हवाला देकर आम सहमति से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने की निर्णय लिया गया।
शुक्रवार को जारी बैठक के ब्योरे में गवर्नर ने कहा, सब्जियों के फिर से महंगा होने से मुख्य महंगाई बढ़ने की आशंका है। ऐसे में महंगाई तेजी से बढ़ने के किसी भी संकेत के प्रति सतर्क रहना होगा, जो इसे नीचे लाने की प्रक्रिया को पटरी से उतार सकता है।
विकास दर की तुलना में देना होगा ज्यादा महत्व
डिप्टी गवर्नर व एमपीसी सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा, मौद्रिक नीति को काफी सतर्क रहना होगा। उन्होंने नीति दर में यथास्थिति के पक्ष में मतदान करते हुए कहा, मौद्रिक नीति में वृद्धि की तुलना में महंगाई को अधिक महत्व देने की जरूरत है।
आयकर विभाग ने तृणमूल कांग्रेस के विधायक बायरन बिस्वास के आवास की तलाशी के दौरान वहां से करीब 70 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के समसेरगंज में विधायक के आवास पर बुधवार सुबह शुरू हुई तलाशी करीब 19 घंटे बाद देर रात खत्म हुई।
उन्होंने कहा, 'हमने बायरन बिस्वास के आवास पर छापेमारी के दौरान 70 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं मिली कि इतनी बड़ी राशि वहां क्यों रखी गई थी?
विधायक से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बिस्वास ने कांग्रेस के टिकट पर सागरदिघी निर्वाचन क्षेत्र से उपचुनाव जीता था, लेकिन बाद में वह तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए।
पिछले महीने यानी नवंबर में कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ी है। कुछ खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण रिटेल इनफ्लेशन बढ़कर 7.37 प्रतिशत हो गई है। इसके अलावा ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई बढ़कर 7.13 प्रतिशत हो गई है।
अक्टूबर में कितनी थी महंगाई?
आधिकारिक बयान के मुताबिक कृषि श्रमिकों के लिए रिटेल महंगाई अक्टूबर में 7.08 प्रतिशत रही थी और ग्रामीण श्रमिकों सहित गांव के मजदूरों के लिए 6.92 प्रतिशत रही।
नवंबर में कितनी रही खाद्य मुद्रास्फीति?
श्रम मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक कृषि श्रमिकों के लिए खाद्य मुद्रास्फीति नवंबर में 9.38 प्रतिशत और ग्रामीण मुद्रास्फीति 9.14 प्रतिशत रही, जबकि अक्टूबर 2023 में कृषि श्रमिकों के लिए खाद्य मुद्रास्फीति 8.42 प्रतिशत थी और ग्रामीण मुद्रास्फीति 8.18 प्रतिशत था।
बयान के अनुसार, CPI-AL (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-कृषि मजदूर) और CPI-RL (ग्रामीण मजदूर) पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इस साल नवंबर में क्रमशः 7.37 प्रतिशत और 7.13 प्रतिशत रही। अक्टूबर 2023 में क्रमशः 7.08 प्रतिशत और 6.92 प्रतिशत हो गई।
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स भी बढ़ा
नवंबर में कृषि मजदूरों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक 12 अंक बढ़कर 1,253 हो गया, जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए सूचकांक 11 अंक बढ़कर 1,262 हो गया। वहीं अक्टूबर में ये दोनों सूचकांक क्रमश: 1,241 अंक और 1,251 अंक थे।
कृषि मजदूरों और ग्रामीण मजदूरों के सामान्य सूचकांक में वृद्धि चावल, गेहूं, आटा, दालें, प्याज, हल्दी, लहसुन, मिश्रित मसाले, आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण आया है।
ब्रिटिश अखबार को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की आर्थिक स्थिति के बारे में खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने विपक्षियों की ओर से जताई गई चिंताओं को नकारते हुए देश के भविष्य के लिए अपने दृष्टिकोण के बारे में बताया। बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने देश को निवेश और प्रगति का गंतव्य बताते हुए पांच ट्रिलियन अमरीकी डालर की मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
ब्रिटेन के अखबार फाइनेंशियल टाइम्स से बातचीत में पीएम ने चीन से भारत की तुलना पर कहा, "आपने चीन के साथ तुलना की है लेकिन अन्य लोकतंत्रों के साथ भारत की तुलना करना अधिक उपयुक्त हो सकता है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल नहीं कर पाता, अगर आपने जिस मुद्दे को उजागर किया है, वह व्यापक होता। अक्सर ये चिंताएं धारणाओं से उपजतीं हैं और धारणाओं को बदलने में समय लगता है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार का मिशन 2047 तक भारत को विकसित स्थिति में लाना है, यह देश की आजादी की 100वीं वर्षगांठ है। यह भारत के दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
उन्होंने कहा, ''आज भारत के लोगों की आकांक्षाएं दस साल पहले की आकांक्षाओं से अलग हैं। लोगों को अहसास है कि हमारा देश उड़ान भरने की कगार पर है। वे चाहते हैं कि इस लड़ाई में तेजी लाई जाए और वे यह सुनिश्चित करने के लिए सबसे अच्छी पार्टी को जानते हैं। यही वह पार्टी है जो उन्हें यहां तक लेकर आई है।" प्रधानमंत्री ने एक ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जो अधिक लोगों को भारत में निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित करे।
वैश्विक कंपनियों में भारतीय मूल के कुछ मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को वापस लाने के प्रयास के बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने के लिए माहौल बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, 'यह उन्हें वापस लाने का मामला नहीं है, बल्कि हमारा लक्ष्य भारत में ऐसा माहौल बनाना है कि यहां स्वाभाविक रूप से लोगों को भारत में हिस्सेदारी लेने में दिलचस्ती बढ़े। हम ऐसी परिस्थितियां पैदा करने की इच्छा रखते हैं जहां हर कोई भारत में निवेश करने और यहां अपने परिचालन का विस्तार करने को महत्वपूर्ण समझे।
उन्होंने कहा, 'हम एक ऐसी प्रणाली की कल्पना कर रहे हैं जहां दुनिया भर से कोई भी भारत में घर जैसा महसूस करे, जहां हमारी प्रक्रियाएं और मानक परिचित और स्वागत योग्य हों। यह एक समावेशी वैश्विक मानक प्रणाली है जिसे बनाने की हम आकांक्षा रखते हैं।
हाल ही में, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने देश की मजबूत आर्थिक वृद्धि, लचीले वित्तीय क्षेत्र व डिजिटल बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय प्रगति की सराहना करते हुए भारत की विकास गाथा का जोरदार समर्थन किया।
आईएमएफ के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था ने पिछले एक साल में अनौपचारिक क्षेत्र में लचीलापन दिखाते हुए मजबूत विकास का प्रदर्शन किया है। वित्तीय क्षेत्र ने वर्षों में अपने सबसे मजबूत प्रदर्शन का अनुभव किया। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ भारत के लिए एक निरंतर मजबूत विकास दर का अनुमान लगाया है।
बेरोजगारी जो देश के लिए चिंता का कारण रही है, उसमें भी काफी गिरावट देखी गई है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण 2023 के अनुसार 2011 में जो बेरोजगार 9.6% थी वह 2023 में उल्लेखनीय रूप से घटकर 3.2% पर पहुंच गइ्र है। यह बदलाव बेहतर आर्थिक स्थितियों की ओर इशारा करता है। ये आंकड़े कार्यबल में लाखों लोगों के प्रवेश की पुष्टि करते हैं, जिससे भारत के विकास को बढ़ावा मिलता है।
पीएम मोदी ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि उत्पादकता और बुनियादी ढांचे के विस्तार जैसे विभिन्न प्रदर्शन मानकों का मूल्यांकन करते समय, यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत जो कि एक विशाल और युवा राष्ट्र है में रोजगार सृजन वास्तव में तेज हो गया है।"
भारत ने भू-राजनीतिक बदलावों और आर्थिक आकांक्षाओं के बीच खुद को खड़ा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृष्टि राष्ट्र को उभरते वैश्विक परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना चाहती है।
नई दिल्ली । भारत पर बढ़ते कर्ज को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने चिंता जाहिर की है। साथ चेतावनी देते हुए कहा है कि केंद्र और राज्यों को मिलाकर भारत का सामान्य सरकारी कर्ज मध्यम अवधि में जीडीपी से 100 फीसदी ऊपर जा सकता है। जिसके चलते नतीजा ये हो सकता है कि भारत को लंबी अवधि में कर्ज चुकाने में काफी दिक्कतें हो सकती हैं। क्योंकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लक्ष्य हासिल करने में देश को बहुत बड़ा निवेश करना होगा। मगर भारत सरकार मानती है कि सरकारी ऋण से जोखिम काफी कम है क्योंकि ज्यादातर कर्ज भारतीय मुद्रा यानी रुपये में ही है।
आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक केवी सुबमण्यन ने एक बयान में कहा कि आईएमएफ का यह दावा अतिशयोक्ति जैसा है कि मध्यम अवधि में ऋण जीडीपी के 100 फीसदी से अधिक पहुंचने का खतरा है। रिपोर्ट में शामिल अपने वक्तव्य में उन्होंने आगे कहा है ‘लंबी अवधि में कर्ज चुकाने की क्षमता पर जोखिम के बारे में उसके बयान पर भी यही कहा जा सकता है। सरकारी कर्ज पर बहुत कम जोखिम है क्योंकि ज्यादातर कर्ज स्थानीय मुद्रा में है। बीते दो दशकों में विश्व अर्थव्यवस्था को लगे झटकों के बावजूद भारत का सरकारी ऋण और जीडीपी का अनुपात 2005-06 के 81 फीसदी से बढ़कर 2021-22 में 84 फीसदी हुआ और 2022-23 में वापस घटकर 81 फीसदी हो गया।’ आईएमएफ ने कहा कि भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर अक्टूबर 2022 अक्टूबर 2023 के बीच बहुत छोटे दायरे में रही। इसका मतलब है कि केंद्रीय बैंक ने बाजार की स्थिति संभालने के लिए केंद्रीय बैंक ने विदेशी मुद्रा के साथ शायद जरूरत से ज्यादा दखल दे दिया। इसके जवाब में भारत सरकार ने कहा आईएमएफ का यह विश्लेषण ठीक नहीं है और उचित मानदंडों पर आधारित नहीं है। उसने कहा कि विश्लेषण के लिए अवधि का चयन मनमाने ढंग से किया गया है।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, ‘आईएमएफ को भारत की घरेलू मजबूरियां ही नहीं पता। भारत की कुल मुद्रास्फीति में आयातित सामान की महंगाई का बहुत असर है और 1.4 अरब लोगों को यह प्रभावित करती है। इसलिए केंद्रीय बैंक को रुपये में उतार-चढ़ाव को सक्रियता के साथ संभालना पड़ता है।’ आईएमएफ ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि पर आगे आने वाले जोखिम संतुलित हैं। मगर उम्मीद से अधिक पूंजीगत व्यय और अधिक रोजगार के मद्देनजर वृद्धि दर का अनुमान 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया गया है।भारत ने आईएमएफ को बताया है कि उसे 7 से 8 फीसदी वृद्धि होने की पूरी उम्मीद है। आईएमएफ ने कहा, ‘निकट भविष्य में वैश्विक वृद्धि दर में भारी गिरावट व्यापार एवं वित्तीय रास्तों से भारत को प्रभावित करेगी। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान से जिंसों के दाम घटेंगे-बढ़ेंगे, जिससे सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ जाएगा। देश में महंगाई के कारण खाद्य वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ सकता है। अच्छी बात यह है कि उपभोक्ता मांग और निजी निवेश उम्मीद से बेहतर रहने के कारण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।’
नई दिल्ली । आरबीआई ने डिजिटल पेमेंट कंपनियों रेजरपे और कैशफ्री को पेमेंट एग्रीगेटर्स के रूप में काम करने के लिए अंतिम मंजूरी दे दी है। आरबीआई से मंजूरी मिलने के साथ ही फिनटेक लगभग एक साल पुराने नियामक प्रतिबंध के बाद नए मर्चेंट्स को शामिल करने में सक्षम हो जाएंगे। इस पर कंपनियों ने कहा कि उन्होंने मंगलवार को आरबीआई से पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस हासिल कर लिया है। कैशफ्री पेमेंट्स के प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि नए मर्चेंट्स को अपने साथ जोड़ने पर लगा प्रतिबंध आज हटा लिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कंपनी को आरबीआई से पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस मिल गया है। अब यह अपने पेमेंट गेटवे पर नए मर्चेंट्स को जोड़ेगा। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में आरबीआई ने रेजरपे और कैशफ्री को नए मर्चेंट्स को अपने साथ जोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस मामले में रेजरपे के प्रवक्ता ने कहा कि अब हम अपने पेमेंट गेटवे प्लेटफ़ॉर्म पर नए मर्चेंट्स को जोड़ने के लिए तैयार हैं!
रेजरपे को पेमेंट सेटलमेंट एक्ट 2007 के तहत पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने भारतीय रिज़र्व बैंक से हरी झंडी मिल गई है। नया पीएम लाइसेंस प्राप्त करने के बाद हम अब नए ग्राहकों को जोड़ना फिर से शुरू कर रहे हैं और अपने इंडस्ट्री फर्स्ट पेमेंट सॉल्यूशन के साथ उन्हें सर्विस देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। गौरतलब है कि पेयू, पेटीएम, जस्पे जैसी अन्य कंपनियों को अभी तक नए मर्चेंट्स को ऐड करने के लिए आरबीआई से मंजूरी नहीं मिली है। कैशफ्री पेमेंट्स ने कहा कि कंपनी ने ऑडिट पूरा कर लिया है जो चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के आसपास पीए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवश्यक था। कैशफ्री पेमेंट्स के को-फाउंडर और सीईओ आकाश सिन्हा ने बताया पिछले वर्ष में हम लाइसेंस प्राप्त करने के लिए काम कर रहे थे।
सिन्हा ने कहा कि कंपनी के प्लेटफॉर्म पर 12,000-15,000 से अधिक केवायसी की प्रक्रिया पूरी करने वाले मर्चेंट्स हैं जो लाइव होने के लिए तैयार हैं। उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल हमें हर महीने लगभग 30,000 लीड मिल रहे थे। आगामी वर्ष यह संख्या इससे भी अधिक होगी। हम बाजार में नए उत्पाद भी लॉन्च कर रहे हैं। आरबीआई पेमेंट एग्रीगेटर्स को उन संस्थाओं के रूप में परिभाषित करता है जो ई-कॉमर्स साइटों और मर्चेंट्स को अपनी स्वयं की एक अलग पेमेंट इंटीग्रेशन सिस्टम बनाने की आवश्यकता के बिना अपने भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए ग्राहकों से विभिन्न पेमेंट उपकरण स्वीकार करता है। पेमेंट एग्रीगेटर्स व्यापारियों को अधिग्रहण कर्ताओं से जुड़ने में सक्षम बनाते हैं।
केंद्र सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि सहारा समूह के तीन करोड़ निवेशकों ने कंपनी की सहकारी समितियों में फंसे 80 हजार करोड़ रुपये वापस लेने की मांग की है।
सरकार दोबारा जाएगी सुप्रीम कोर्ट
सहारा समूह से अधिक धनराशि पाने के लिए सरकार फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों के उत्तर में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय ने निवेशकों के लिए एक पोर्टल लांच किया है, जहां वे अपने फंसे पैसे पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। वर्मा ने कहा कि अब तक तीन करोड़ निवेशकों ने 80 हजार करोड़ रुपये वापस पाने के लिए पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
उन्होंने कहा कि हमने 45 दिनों में निवेशकों को पैसा लौटाने की प्रक्रिया शुरू की है। हमें पांच हजार करोड़ रुपये मिल गए हैं। हम सभी निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए और अधिक धनराशि प्राप्त करने के लिए फिर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
एक-एक पैसा लौटाया जाएगा
राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने कहा सहारा समूह के निवेशकों का एक-एक पैसा लौटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई निवेशकों को उनका पैसा वापस मिल गया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पोर्टल पर प्रक्रिया से गुजरने वाले सभी निवेशकों को उनका पैसा वापस मिलेगा।
शेयर मार्केट में गिरावट का दौर जारी है। इस गिरावट के बाद आज क्रायोजेनिक टैंक बनाने वाली कंपनी आईनॉक्स इंडिया लिमिटेड के शेयर बाजार में लिस्ट हुए हैं। कंपनी की लिस्टिंग प्रीमियम के भाव पर हुई है। एक्सपर्ट ज्यादा प्रीमियम के साथ लिस्टिंग की उम्मीद कर रहे थे पर बीते शुरुआती सेशन में आई गिरावट की वजह कंपनी के शेयर कम प्रीमियम के साथ लिस्ट हुए।
कंपनी के शेयर दोनों एक्सचेंज पर प्रीमियम पर लिस्ट हुए हैं। आपको बता दें कि आईनॉक्स इंडिया लिमिटेड के शेयर गुरुवार को 660 रुपये के निर्गम मूल्य के मुकाबले लगभग 44 प्रतिशत प्रीमियम के साथ सूचीबद्ध हुए।
कंपनी के स्टॉक ने बीएसई पर निर्गम मूल्य से 41.38 प्रतिशत ऊपर 933.15 रुपये पर शुरुआत की। इसके बाद में यह 48.31 फीसदी उछलकर 978.90 रुपये पर पहुंच गया। वहीं, एनएसई पर कंपनी के स्टॉक 43.88 प्रतिशत की तेजी के साथ 949.65 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ। आज सुबह के कारोबार के दौरान कंपनी का बाजार मूल्यांकन 8,522.24 करोड़ रुपये था।
आईनॉक्स इंडिया लिमिटेड आईपीओ
कंपनी के आईपीओ को निवेशकों से काफी अच्छा रिस्पांस मिला था। सोमवार को कंपनी का आईपीओ बंद हो गया था। आईपीओ के आखिरी दिन इसे 61.28 गुना सब्सक्रिप्शन मिला था। संस्थागत निवेशकों ने कंपनी के आईपीओ में दिलचस्पी दिखाई है। कंपनी ने अपने आईपीओ में 22,110,955 का इक्विटी पेश किया था। इस आईपीओ का प्राइस बैंड 627 रुपये से 660 रुपये प्रति शेयर था।
कंपनी ने इस इश्यू पर पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) था। ऐसे में वडोदरा स्थित कंपनी की कोई इनकम नहीं होगी और सभी फंड बेचने वाले शेयरधारकों के पास जाएंगे।
आईनॉक्स इंडिया, अग्रणी क्रायोजेनिक टैंक निर्माताओं में से एक है। इसके पास क्रायोजेनिक स्थितियों के लिए उपकरणों और प्रणालियों के डिजाइन, इंजीनियरिंग, विनिर्माण और स्थापना में समाधान पेश करने का 30 वर्षों से अधिक का अनुभव है।
चेन्नई । वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनी फॉक्सवैगन इंडिया ने केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के कर्मचारियों और उनके परिवारों को अपने उत्पादों को पेश करने के लिए केंद्र की केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (केपीकेबी) योजना के साथ साझेदारी की है। इस पहल के तहत फॉक्सवैगन इंडिया देश भर में केपीकेबी योजना के लाभार्थियों के लिए अपनी कारों की पूरी श्रृंखला लांच कर रही है। गृह मंत्रालय ने केपीकेबी योजना 2006 में एक कल्याणकारी पहल के रूप में शुरू की थी। यह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सेवारत और सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिवारों को विशेष लाभ देती है। कंपनी ने कहा कि इस पहल के जरिए कंपनी को अपनी पहुंच बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही लाभार्थियों को अधिक उचित मूल्य पर विश्व स्तरीय उत्पाद मिल सकेंगे।
मुंबई । वैश्विक स्तर पर सुस्ती होने के बावजूद देश में अगले साल ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ने की उम्मीद है। वर्ष 2024 में ऑफिस मांग में 20 से 22 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। इस साल ऑफिस की मांग पिछले साल के बराबर रह सकती है और यह 2017-19 के दौरान औसत मांग को पार कर सकती है। अइस साल ऑफिस की मांग बढ़कर 370 से 390 लाख वर्ग फुट होने का अनुमान है। एक संपत्ति सलाहकार फर्म की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल जनवरी-सितंबर अवधि में ऑफिस स्पेस की मांग 260 लाख वर्गफुट दर्ज की गई, जो पिछले साल की कुल मांग का 68 फीसदी है। साल के आखिर तक मांग बढ़कर 370 से 390 लाख वर्गफुट हो सकती है क्योंकि इस साल की आखिरी तिमाही में ऑफिस पट्टे पर लेने की गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। देश के 7 प्रमुख ऑफिस मार्केट में इस साल के आखिर तक ऑफिस स्पेस बढ़कर 80 करोड़ वर्गफुट तक पहुंच सकता है। अभी यह आंकडा 79.28 करोड़ वर्गफुट है। अगले साल ऑफिस की मांग और जोर पकड़ सकती है क्योंकि देश में ऑफिस मांग के फंडामेंटल काफी मजबूत हैं और वैश्विक तनाव का खास असर देश में नहीं दिख रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 में ऑफिस की मांग 450 से 470 लाख वर्ग फुट रह सकती है। इसमें वर्ष 2023 की तुलना में 20 से 22 फीसदी बढ़ोतरी होने का अनुमान है क्योंकि अब हाइब्रिड मॉडल के साथ ऑफिस आकर काम करने को पहली प्राथमिकता दी जाने लगी है।