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नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को देश का आम बजट पेश कर सकती हैं। इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बजट तैयार करने से पहले वित्त मंत्री सीतारमण विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकें कर रही हैं। गुरुवार को भी वित्त मंत्री ने निर्यात, व्यापार और उद्योग क्षेत्र के हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ बैठक की। वहीं, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बजट पूर्व बैठकों में हिस्सा लिया।

वित्त मंत्री ने बजट पूर्व बैठक में हिस्सा लिया

वित्त मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 के संबंध में नई दिल्ली में निर्यात, व्यापार और उद्योग क्षेत्र के हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ चौथे बजट पूर्व परामर्श की अध्यक्षता की। बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त सचिव, दीपम सचिव, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव और भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के सचिव भी शामिल हुए।

मुंबई । आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और अनुकूल बाजार परिस्थितियों के साथ, 2024 में आईपीओ के बाजार में भारी चल रही है। इस साल कंपनियों ने आईपीओ के माध्यम से भारी राशि जुटाई है। इस वृद्धि में निवेशकों का भरोसा और नियामकीय ढांचे में सुधार का महत्वपूर्ण योगदान है। साल के दौरान कंपनियों ने आईपीओ के जरिये रिकॉर्ड 1.6 लाख करोड़ रुपये की राशि जुटाई है। एक्सचेंज के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 90 आईपीओ आए जिनके जरिये सामूहिक रूप से 1.6 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए। माना जा रहा है कि अगला साल भी आईपीओ के लिए काफी अच्छा रहेगा। आईपीओ के लिए असाधारण रहा यह साल न केवल निर्गम लाने वाली कंपनियों के भरोसे को दर्शाता है, बल्कि इससे निवेशकों के विश्वास का भी पता चलता है। आईपीओ ने न केवल निगमों के भरोसे को बल्कि निवेशकों के विश्वास को भी प्रमाणित किया है। निवेशकों ने सिर्फ लाभ कमाने के लिए नहीं बल्कि दीर्घकालिक निवेश के लिए भी कंपनियों में विश्वास जताया है। हुंदै मोटर इंडिया का ऐतिहासिक 27,870 करोड़ रुपये का आईपीओ इस साल का सबसे बड़ा आईपीओ हुआ है। छोटी, मझोली और बड़ी कंपनियों ने साझेदारी जुटाते हुए धन जुटाया है। निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के साथ आईपीओ के बाजार में आने वाले साल में भी तेजी की संभावना है। साल के तैयारी में हैं कंपनियां, जो आईपीओ के माध्यम से और अधिक धन जुटाने की सोच रही हैं। जब बाजार विश्लेषकों का यह मानना है कि 2025 में आईपीओ से जुटने वाली राशि अब कि आंकड़ों को पार कर सकती है, तो निवेशकों की उम्मीदें और भी ऊंचाई पर चढ़ गई हैं। आगामी साल में भी आईपीओ बाजार ऐसे ही गतिविधियों में आगे बढ़ते रहने की संभावना है।


नई दिल्ली । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नेतृत्व में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक जैसलमेर में आयोजित हुई, जहां पॉपकॉर्न पर नए टैक्‍स रेट्स के फैसले लिए गए। इसमें काउंसिल ने पॉपकॉर्न को तीन विभिन्न जीएसटी स्‍लैब में शामिल करने की योजना बनाई है, जो उसके फ्लेवर के अनुसार होंगे।टैक्स की विवरण इस प्रकार हैं- 1. साधारण नमक और मसालों से तैयार किया गया पॉपकॉर्न (पैकेज्ड और लेबल्ड न हो) पर 5 फीसदी जीएसटी लागू होगा। 2. पैकेज्ड और लेबल्ड साधारण नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न पर 12 फीसदी टैक्स लगेगा। 3. चीनी या सुगर फ्लेवर वाले पॉपकॉर्न पर 18 फीसदी जीएसटी लागू होगा। पॉपकॉर्न का व्यापार न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में भी बड़ा है। बीते साल में भारत में पॉपकॉर्न का व्यापार लगातार बढ़ रहा है और एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में इसका मार्केट 8 अरब डॉलर से अधिक का हो गया है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में अन्य फैसले भी लिए गए, जिसमें पुरानी कारों पर 18 फीसदी जीएसटी, फोर्टिफाइड चावल पर 5 फीसदी जीएसटी और जीन थेरेपी के लिए पूरी छूट शामिल हैं। हेल्थ इंश्‍योरेंस और लाइफ इंश्‍योरेंस पर जीएसटी की दर कम करने के प्रस्ताव टल गए हैं, जबकि जोमेटो और ‎स्विगी पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर करने पर भी कोई राहत नहीं मिली। कुल मिलाकर जीएसटी काउंसिल की बैठक ने व्यापारिक मामलों को ध्यान में रखते हुए पॉपकॉर्न पर टैक्स में बड़े बदलाव किए हैं, जो आम जनता को सीधे असर पहुंचा सकते हैं।


जैसलमेर । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक के बाद बड़े फैसले किए। उन्होंने घोषित किया कि चावल पर कर दर को 18 से 5 प्रतिशत कम किया जाएगा। इसके साथ ही, जीवन रक्षक जीन थेरेपी और एसएएम मिसाइलों के लिए उपयोग होने वाले पुर्जों पर जीएसटी छूट की अवधि भी बढ़ा दी गई है। सभी एसएएम मिसाइलों के निर्माण में उपयुक्त पुर्जों को जीएसटी से छूट दी जाएगी। उन्होंने छोटे व्यवसायों की मदद के लिए कई और कदम उठाए, जैसे 2,000 रुपये से कम के लेन-देन के लिए छूट देना। वित्त मंत्री ने महसूस किया कि ई-कॉमर्स कंपनियों और खाद्य पदार्थों की डिलीवरी सेवाओं पर जीएसटी को लेकर और चर्चा होनी चाहिए। इसके साथ ही, बैठक में और विस्तृत चर्चा की जाएगी। वित्त मंत्री ने उधारकर्ताओं के लिए भी शुल्कों में कई बदलाव की घोषणा की। उन्होंने संशोधन के लिए एक अवधारणा नोट को मंजूरी दी और वस्तुओं की परिभाषा को स्पष्ट करने के उद्देश्य के साथ खुदरा बि के लिए पहले से पैक और लेबल वाली वस्तुओं की परिभाषा में संशोधन किया। इन सभी निर्णयों से सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में सुधार करने का निशाना साबित किया है।

 


नई दिल्ली । रियल एस्टेट की एक आंकड़ा विश्लेषक कंपनी ने जारी की एक रिपोर्ट में कहा है कि देश के प्रमुख नौ आवास बाजारों में अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के दौरान घरों की बिक्री में 21 फीसदी की गिरावट की संभावना है। इसका कारण उच्च आधार प्रभाव है, जिसके कारण लगभग 1.08 लाख इकाई रह जाएगी। कंपनी ने दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, नवी मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, और ठाणे के लिए बिक्री आंकड़े जारी किए हैं। दिल्ली-एनसीआर में ही बिक्री में वृद्धि की संभावना है जबकि अन्य शहरों में गिरावट की संभावना है। जारी ‎किए गए आंकड़ों के अनुसार कुल बिक्री तिमाही में 1,08,261 इकाई रह जाने की संभावना है, जो पिछले साल से कम है। हालांकि, सितंबर तिमाही में बिक्री में पांच प्रतिशत की वृद्धि की संभावना है। ‎‎रिएल स्टेट के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकारी ने बताया कि उच्च आधार प्रभाव के कारण बिक्री में गिरावट आई है, लेकिन त्योहारी मांग के कारण इसमें सुधार हो सकता है। वे ने दावा किया कि आपूर्ति-खपत अनुपात मजबूत और स्वस्थ है, जिससे रियल एस्टेट क्षेत्र में स्थिरता बनी रहेगी। हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, कोलकाता, और पुणे में भी बिक्री में गिरावट की संभावना है। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में बाजार इस रुझान को बदलने के लिए तैयार है और बिक्री में वृद्धि की संभावना है। यह आंकड़े रियल एस्टेट बाजार की मानें और इस क्षेत्र में संवेदनशीलता का पूरा काम करते हैं। देश विस्तार से यह गिरावट के संकेत के रूप में देखी जा सकती है, जो क्षेत्र के निर्माण और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण है।

 

 

इस सप्ताह जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर मंत्री समूह की रिपोर्ट पर चर्चा हो सकती है। सीएनबीसी टीवी18 को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक मंत्री समूह परिषद के समक्ष जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा में कुछ विशेष छूट का प्रस्ताव रख सकता है। 55वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक 21 दिसंबर को राजस्थान के जैसलमेर में होने जा रही है। लगातार मांग उठ रही है कि बीमा पॉलिसी के प्रीमियम पर आम लोगों को छूट मिलनी चाहिए ताकि उनकी लागत कम हो और ज्यादा से ज्यादा लोगों को बीमा के दायरे में लाया जा सके।

कौन सी छूट का प्रस्ताव दे सकता है मंत्री समूह

सूत्रों ने जानकारी दी है कि बीमा को किफायती बनाने के लिए मंत्री समूह कई प्रस्ताव दे सकता है। जीवन बीमा के मामले में व्यक्तिगत टर्म लाइफ पॉलिसी और रीइंश्योरेंस में छूट का प्रस्ताव रखा जा सकता है। वहीं, संभव है कि ग्रुप टर्म लाइफ इंश्योरेंस पर जीएसटी दरों में फिलहाल कोई बदलाव न हो, हालांकि बाद में इस पर चर्चा संभव है। वहीं स्वास्थ्य बीमा के मामले में वरिष्ठ नागरिकों के लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा और पुनर्बीमा पर छूट, 5 लाख रुपये तक का कवर देने वाली व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों और पुनर्बीमा पर छूट का प्रस्ताव किया जा सकता है।

मंत्री समूह यह प्रस्ताव कर सकता है कि मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी दरों की जांच फिटमेंट कमेटी और डीएफएस द्वारा की जानी चाहिए। आम लोगों के लिए 5 लाख रुपये से अधिक के कवर वाले स्वास्थ्य बीमा और पुनर्बीमा पर जीएसटी दरें अपरिवर्तित रह सकती हैं।


जापानी ऑटो निर्माता होंडा मोटर कंपनी और निसान मोटर कॉर्पोरेशन ने बुधवार को यह स्पष्ट किया है कि वे निकट सहयोग के विषय में चर्चा कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने विलय के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया है।

टोक्यो में निसान के शेयरों में लगभग 24 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, क्योंकि कुछ अनाम स्रोतों के हवाले से यह जानकारी मिली कि निसान होंडा के साथ विलय करके दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमेकिंग समूह बना सकता है। वहीं, होंडा के शेयरों में 3 प्रतिशत की गिरावट आई। निसान के गठबंधन में शामिल मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्प भी इस वार्ता का हिस्सा है।

हालांकि, निसान के शेयरों का कारोबार कुछ समय के लिए निलंबित कर दिया गया था, लेकिन बाद में दोनों कंपनियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर इसे फिर से शुरू करने की अनुमति दी। इस बयान में कहा गया कि वे भविष्य के सहयोग के लिए विभिन्न संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।

उद्योग निर्माताओं में हलचल

उद्योग में चल रही हलचल ने एक नई दिशा में बदलाव की आवश्यकता को उजागर किया है। चीनी वाहन निर्माताओं की बढ़ती उपस्थिति ने वैश्विक बाजार में एक नई प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है, खासकर जब पारंपरिक निर्माता जीवाश्म ईंधन से इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं। BYD, ग्रेट वॉल और नियो जैसी कंपनियों ने अपनी सस्ती इलेक्ट्रिक गाड़ियों के माध्यम से अमेरिकी और जापानी कार निर्माताओं के बाजार हिस्से को प्रभावित किया है, जिससे उद्योग में एक नई प्रतिस्पर्धात्मकता का माहौल बन गया है।

जापानी वाहन निर्माता कंपनियां इस बदलाव के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में धीमी रही हैं और अब वे अपने प्रतिस्पर्धियों से पीछे रह गई हैं। निसान, होंडा और मित्सुबिशी ने हाल ही में घोषणा की है कि वे इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी जैसे महत्वपूर्ण घटकों को साझा करेंगे और ऑटोनॉमस ड्राइविंग के लिए संयुक्त रूप से अनुसंधान सॉफ्टवेयर विकसित करेंगे। यह कदम न केवल उनकी लागत को कम करने में मदद करेगा, बल्कि इलेक्ट्रिफिकेशन की दिशा में उनकी प्रगति को भी तेज करेगा।

एकजुटता से छोटे जापानी वाहन निर्माताओं को जापान की प्रमुख कंपनी टोयोटा मोटर कॉर्प और जर्मनी की फॉक्सवैगन एजी के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपने आकार को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। टोयोटा ने पहले ही जापान की माजदा मोटर कॉर्प और सुबारू कॉर्प के साथ तकनीकी साझेदारी स्थापित की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सहयोग से प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

होंडा को निसान से क्या अपेक्षाएँ हैं

इस पर मीडिया रिपोर्टों में जानकारी दी गई है। ऑटोफोरकास्ट सॉल्यूशंस के उपाध्यक्ष सैम फियोरानी के अनुसार, निसान के पास ट्रक-आधारित बॉडी-ऑन-फ्रेम बड़ी एसयूवी जैसे अर्माडा और इनफिनिटी QX80 हैं, जो होंडा के पास नहीं हैं। ये वाहन बड़ी टोइंग क्षमता और उत्कृष्ट ऑफ-रोड प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं, जो होंडा के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है।

फियोरानी ने यह भी बताया कि निसान के पास बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ गैस-इलेक्ट्रिक हाइब्रिड पावरट्रेन बनाने का वर्षों का अनुभव है। यह अनुभव होंडा को अपने स्वयं के इलेक्ट्रिक वाहनों और अगली पीढ़ी के हाइब्रिड विकसित करने में महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकता है, जिससे दोनों कंपनियों के बीच सहयोग की संभावनाएँ बढ़ती हैं।

Gold-Silver Price Today: आज के दिन भारतीय बाजार में सोने और चांदी के दाम में हल्का उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर सोने की कीमतों में मामूली गिरावट आई है, वहीं चांदी के दाम में हल्की कमी आई है. आइए जानते हैं, आज के सोने और चांदी के दाम में कितना बदलाव आया है.

भारत में 22 कैरेट सोने का भाव आज 71,490 रुपये प्रति 10 ग्राम है, जबकि पिछले दिन यह 71,500 रुपये था. वहीं, 24 कैरेट सोने की कीमत 77,980 रुपये प्रति 10 ग्राम है, जो कि पहले 77,990 रुपये थी. हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले दिनों में सोने की कीमतों में वृद्धि हो सकती है.

Petrol Diesel Price 19 December 2024: अगर आप अपनी गाड़ी में पेट्रोल-डीजल भरवाने का प्लान कर रहे हैं, तो आपको आज की ताजा कीमतों के बारे में जानकारी रखना जरूरी है.19 दिसंबर 2024 के लिए पेट्रोल और डीजल की कीमतों में क्या बदलाव आया है, आइए जानते हैं.

देशभर में पेट्रोल और डीजल के दाम रोज बदलते हैं, क्योंकि इनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के रेट, डॉलर-रुपये के एक्सचेंज रेट, और केंद्र-राज्य सरकार के लगाए गए टैक्स के आधार पर तय होती हैं. इसके अलावा, हर राज्य में अलग-अलग वैट और परिवहन लागत भी इन कीमतों को प्रभावित करती है, जिससे हर शहर में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग-अलग होती हैं.


नई दिल्‍ली। विदेश से अपने देश पैसे भेजने वालों में भारतीय दुनियाभर में अव्‍वल हैं लगातार तीसरे साल भी यह सिलसिला बरकरार है। भारतीयों ने 2024 में 129 बिलियन डॉलर यानी करीब 10.7 लाख करोड़ रुपए भारत भेजे हैं। पिछले वित्‍त वर्ष 2023-24 में 8.95 लाख करोड़ रुपए रेमिटेंस के रूप में स्‍वदेश भेजे गए थे। विश्व बैंक की एक ब्‍लॉग पोस्‍ट के मुताबिक रेमिटेंस पाने में भारत के बाद मैक्सिको, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान का नंबर आता है। रेमिटेंस विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक जरिया है। भारत में खाड़ी देशों के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे विकसित देशों से रेमिटेंस आता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल रेमिटेंस की वृद्धि दर 5.8 फीसदी रही, जो 2023 के मुकाबले 1.2 फीसदी ज्यादा है। महामारी के बाद आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के सदस्य देशों में नौकरी बाजार की रिकवरी को इस वृद्धि का मुख्य कारण बताया है। रिपोर्ट में यह भी बताया कि पिछले दशक में रेमिटेंस में 57 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 41 फीसदी की गिरावट आई है।
विश्व बैंक ने कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रेमिटेंस प्रवाह 2024 में 685 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी कहा कि प्रेषण अन्य बाहरी वित्तीय प्रवाहों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है और इसमें भविष्य में और बढ़ोतरी की संभावना है। दक्षिण एशिया में रेमिटेंस प्रवाह 2024 में 11.8 फीसदी की वृद्धि के साथ सबसे ज्यादा बढ़ने का अनुमान है। इस क्षेत्र में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश प्रमुख योगदानकर्ता रहे।

 

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