ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली । इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड का मुनाफा जून 2024 को समाप्त तिमाही में 10.25 प्रतिशत बढ़कर 260.19 करोड़ रुपये रहा। मुख्य रूप से परिचालन आय बढ़ने के कारण कंपनी का लाभ बढ़ा। कंपनी ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि देश की सबसे बड़ी होटल कंपनी को एक साल पहले इसी तिमाही में 236.01 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था। इंडियन होटल्स के पास लक्जरी होटल ताज ब्रांड का स्वामित्व है। समीक्षाधीन अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कंपनी की आय बढ़कर 1,596.27 करोड़ रुपये रही। बीते वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 1,515.70 करोड़ रुपये थी। कंपनी का कुल खर्च भी बढ़कर 1,267.78 करोड़ रुपये हो गया। एक साल पहले जून तिमाही में यह 1,221.76 करोड़ रुपये था।
नई दिल्ली । सरकार ने अनाज और तिलहन में नमी के स्तर को मापने के लिए कानूनी माप विज्ञान नियमों में नमी मीटर शामिल करने का प्रस्ताव रखा है। कृषि व्यापार गतिविधियों में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत यह प्रस्ताव किया गया है। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अनाज और तिलहन में नमी के स्तर को मापने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नमी मीटर के लिए मसौदा नियमों पर चर्चा करने को लेकर सभी संबंधित पक्षों के साथ एक बैठक बुलाई थी। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में विभिन्न विनिर्माताओं, उपयोगकर्ताओं, वैज्ञानिक संस्थानों, प्रयोगशालाओं, राज्य सरकार के कानूनी माप विज्ञान विभागों और स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों ने भाग लिया।
नई दिल्ली। हाल ही में भारत के बड़े बिजनेस मैन और दुनिया के अमीर लोगों में गिने जाने वाले मुकेश अंबानी ने अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी की थी इस शादी में करोड़ों रुपया खर्च भी किया गया और देश दुनिया की जानी मानी हस्तियां इस शादी में शामिल हुई थी।मुकेश अंबानी अब बड़े मनोरंजन जगत के खिलाड़ी बन गए हैं। उनका डिजिटल साम्राज्य शेयर बाजार में उतरने की तैयारी में है, जिसकी कीमत 112 अरब डॉलर बताई जा रही है। और इस डिजिटल साम्राज्य के आने का ऐलान करने का इससे बेहतर तरीका क्या हो सकता था कि दुनिया के रईस, चमकदार और ताकतवर लोगों को पांच महीने लंबे शादी के उत्सव में बुलाया जाए।
मुकेश अंबानी के तीन बच्चों में सबसे छोटे अनंत अंबानी ने मार्च में अपनी शादी की धूमधाम शुरुआत कर दी थी। शादी के पहले एक पार्टी हुई, जिसमें मशहूर डांसर रिहाना ने परफॉर्म किया था। इस शादी समारोह का समापन मुंबई में दो दिनों तक चला था। इस शादी के कार्यक्रमों में बॉलीवुड के कलाकारों के साथ कार्दशियन परिवार भी शामिल हुआ। ये जस्टिन बीबर के प्री-वेडिंग फंक्शन के दो हफ्ते बाद हुआ था। इस बीच, शादी की पार्टी एक यूरोपीय क्रूज पर भी गई थी, जिसमें इटली में बैकस्ट्रीट बॉयज़ और कान्स में कैटी पेरी शामिल हुए थे। अंबानी के डिजिटल बिजनेस में अहम निवेशक मेटा प्लेटफॉर्म्स इंक. के मार्क जुकरबर्ग से लेकर उन्हें 5जी उपकरण देने वाली कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के बॉस जय वाई ली तक, इन समारोहों में शामिल होने वाले लोगों को भारत के कॉर्पोरेट जगत में अंबानी परिवार के रुतबे की याद दिलाई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस पूरी शादी पर कुल 600 मिलियन डॉलर खर्च हुए हैं। अंबानी परिवार के अपने न्यूज़ मीडिया में इस शादी की झलकियां दिखाई हैं। मेहमान क्या तोहफे लाए, यह तो पता नहीं, लेकिन दूल्हे के करीबी दोस्त 18 कैरेट गुलाबी सोने की ऑडेमर्स पिगेट घड़ियां वापस लौटे।
इस दौरान मुकेश अंबानी की जियो के 48 करोड़ से ज्यादा कस्टमर्स को इस महीने से डाटा के लिए 21 फीसदी ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है। इस पर सोशल मीडिया पर मीम्स तो बन गए, लेकिन असली सवाल ये है कि आखिर इस वक्त इतना पैसे का दिखावा क्यों? खासकर, जब ब्राज़ील दुनिया के सबसे अमीर लोगों से उनकी संपत्ति का सालाना 2फीसदी टैक्स लेने का प्रस्ताव ला चुका है। भारतीय स्टील कारोबारी लक्ष्मी मित्तल ने अपनी बेटी की शादी के लिए 2004 में पेरिस के टीयुलरीज गार्डन और लुई सोलहवें के वर्साय के महल को किराए पर लिया था। ये शादी उस समय हुई थी, जब लक्ज़मबर्ग की कंपनी आर्सेलर एसए को खरीदने की बोली जीती थी। उस शादी में भी 6 दिनों में 60 मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। लेकिन वह अलग मामला था।
अंबानी परिवार ने शादी में न सिर्फ दिखावे में नया रिकॉर्ड बनाया बल्कि ज्यादातर खर्चा भारत में ही किया और वह भी ऐसे समय में, जब देश का राजनीतिक माहौल अशांत है और भारत के अरबपति राज की बढ़ती असमानता की हर तरफ आलोचना हो रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की सत्ता पर पकड़ पिछले महीने उनकी पार्टी के संसदीय बहुमत खोने के बाद कमजोर हो गई है। चुनाव प्रचार के दौरान नेता राहुल गांधी ने मोदी पर लगातार हमले किए कि वे सिर्फ दो व्यापारियों, अंबानी और गौतम अडाणी के लिए ही काम कर रहे हैं।
कुछ अर्थशास्त्री इसे भारत के कलंकित पूंजीवाद का 2ए वैरिएंट कहते हैं। उनका कहना है कि एक छोटे से समूह को पसंद करना भारत में विदेशी निवेश घटने और प्राइवेट पूंजी खर्च के ठहरने का एक कारण है। कोई भी राष्ट्रीय चैंपियनों के खिलाफ जाना नहीं चाहता। यह देखना दिलचस्प है कि क्या बदली हुई राजनीतिक स्थिति मुकेश अंबानी के उपभोक्ता साम्राज्य को और ज्यादा कंपटीशन का सामना करने के लिए मजबूर करेगी। नरेंद्र मोदी नवविवाहित जोड़े को बधाई देने पहुंचे, जैसा कि प्रमुख विपक्षी नेताओं ने किया लेकिन राहुल गांधी दूर रहे। मुकेश अंबानी अपने प्रतिद्वंदी अडाणी से बढ़त हासिल करने के लिए कुछ जोखिम उठा रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में पिछले आठ महीनों में 43फीसदी की बढ़त को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है।
अडाणी बंदरगाहों, हवाई अड्डों, डेटा सेंटरों और निर्माण सामग्री जैसे बुनियादी ढांचे तक सीमित नहीं हैं। वह चाहते हैं कि इस दशक के अंत तक हर तीन में से एक भारतीय उनके नए सुपर-ऐप पर हो लेकिन वह टेलिकॉम या पेमेंट जैसी बड़े कंज्यूमर उद्योगों में अंबानी से मुकाबला किए बिना उन्हें कैसे आकर्षित कर पाएंगे? यही वह चीज़ है जिसे मुकेश अंबानी को बचाकर रखना है। वॉल्ट डिज़्नी कंपनी की भारत में टीवी फ्रेंचाइजी के साथ अपने मीडिया कारोबार को मिलाने के बाद, उनकी बॉलीवुड और क्रिकेट पर पकड़ मजबूत हो गई है, ये दो चीजें हैं जो दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं।
नई दिल्ली। क्वांट म्युचुअल फंड में फ्रंट रनिंग की आशंका के चलते संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था का क्रियान्वयन तेज कर दिया है। इस व्यवस्था का मकसद फ्रंट रनिंग और फर्जी लेनदेन के जरिये होने वाला बाजार का दुरुपयोग रोकना है। व्यवस्था को अप्रैल में सेबी की बैठक में मंजूरी मिली थी। इसे अधिसूचित होने के छह महीने बाद लागू होना था लेकिन सेबी ने जून में बैठक में नया रास्ता बताया, जिसमें बड़ी परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) से कहा कि यह व्यवस्था जल्द लागू करें। सेबी की बैठक की घोषणा के समय इसका जिक्र नहीं हुआ था लेकिन बैठक के एजेंडे का ब्योरा जारी होने पर इसका पता चला।
बाजार नियामक ने एजेंडा पत्र में कहा है कि कुछ बड़ी एएमसी छह महीने की मियाद से पहले ही संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था लागू कर सकती हैं। सेबी एक एएमसी के ट्रेड में फ्रंट रनिंग के आरोपों की जांच कर रहा है और इन आरोपों के कारण ही एएमसी में संस्थागत प्रक्रिया का क्रियान्वयन तेज किया जा सकता है। सेबी की 27 जून को हुई बैठक फ्रंट रनिंग के आरोप में क्वांट म्युचुअल फंड के परिसरों की तलाशी के करीब हफ्ते भर बाद हुई। पिछले हफ्ते ऐसेट मैनेजर ने स्वीकार किया कि सेबी की खोजबीन नियमित कवायद नहीं थी बल्कि अदालत की मंजूरी वाली तलाशी और जब्ती कार्रवाई थी।
जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि इस फंड कंपनी पर फ्रंट रनिंग के आरोप लगने के साथ ही सेबी ने अपने बोर्ड को संस्थागत प्रक्रिया व्यवस्था के क्रियान्वयन की जानकारी देने और बड़ी फंड कंपनियों में इसे जल्द लागू कराने का फैसला लिया। सूत्रों ने कहा कि ज्यादातर बड़े फंड कंपनियां इसके लिए तैयार हैं। नियामक ने म्युचुअल फंड उद्योग पर सतर्कता बढ़ा दी है। पिछले कुछ सालों में देशभर के परिवारों से बड़ी मात्रा में रकम फंड कंपनियों तक पहुंचने लगी है। उद्योग के द्वारा संभाली जा रही परिसंपत्ति (एयूएम) 2021 के शुरुआती दौर से दोगुनी हो चुकी हैं। मार्च 2020 में 2.1 करोड़ म्युचुअल फंड ग्राहक थे, जिनकी संख्या अब दोगुनी से ज्यादा होकर 4.6 करोड़ हो गई है।
प्रस्तावित व्यवस्था की अधिसूचना नियामक ने अभी जारी नहीं की है। इसका मकसद फ्रंट रनिंग जैसे संवेदनशील जानकारी का फ्रंट रनिंग जैसा दुरुपयोग और कदाचार रोकने के लिए एएमसी में एकसमान निगरानी और आंतरिक नियंत्रण स्थापित करना है। इसके तहत नियामक ऐसे मामलों में एएमसी प्रबंधन पर ज्यादा जिम्मेदारी और जवाबदेही भी डालेगा। यह व्यवस्था म्युचुअल फंड के संगठन एम्फी द्वारा कामकाज के लिए तैयार की गई मानक प्रक्रिया पर आधारित होगी। अभी यह नहीं पता कि एम्फी ने सेबी को यह प्रक्रिया भेजी है या नहीं।
अभी सभी फंड कंपनियों के पास निगरानी की अपनी-अपनी व्यवस्था है। सेबी के निर्देश के मुताबिक बाजार में कारोबार के दौरान फंड मैनेजरों और डीलरों की पूरी बातचीत रिकॉर्ड की जाती है। नई व्यवस्था लागू होने के बाद नियामक इसमें ढील दे सकता है। इस महीने की शुरुआत में सेबी ने सुर्कलर जारी कर कहा था कि स्टॉक ब्रोकरों के लिए धोखाधड़ी या बाजार के दुरुपयोग का पता लगाने और उसे रोकने के लिए संस्थागत स्तर पर व्यवस्था तैयार करना जरुरी है।
नई दिल्ली । एक ओर रिजर्व बैंक और मोदी सरकार महंगाई को काबू में लाने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खाने-पीने चीजों की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को आसमान पर पहुंचा दिया है। थोक महंगाई दर भी लगातार चौथे महीने बढ़ गई है। जून में थोक मूल्य की वृद्धि दर 3.36 फीसदी रही है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 फीसदी थी, जो एक महीने बाद जून में बढ़कर 3.36 फीसदी रही। पिछले साल जून में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी। यानी तब थोक महंगाई बढ़ने के बजाए लगातार घटती जा रही थी।
मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही है। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी।
सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है. विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत से अधिक थी।
जून में थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के सामना थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।
नई दिल्ली । वीरहेल्थ केयर को अगले दो से तीन साल में 100 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने की उम्मीद है। कंपनी ने एक बयान में यह बात कही। बयान में कहा गया कि कंपनी ने 50,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 41.50 लाख रुपये) मूल्य का निर्यात ठेका पूरा कर दिया है। इसके अलावा 197,793 अमेरिकी डॉलर (करीब 165 लाख रुपये) मूल्य का एक और निर्यात ठेका जुलाई के अंत तक पूरा कर दिया जाएगा। कंपनी के अनुसार कंपनी को शीर्ष अमेरिकी संस्थागत आपूर्तिकर्ता से 106,673 अमेरिकी डॉलर (करीब 89 लाख रुपये) का अतिरिक्त निर्यात ठेका भी मिला है। समझौते की शर्तों के तहत ठेका तीन महीने के भीतर पूरा किया जाएगा। इसके अलावा उसने कहा कि उसे उसी शीर्ष अमेरिकी संस्थागत आपूर्तिकर्ता से मासिक रूप से दोबारा ठेका मिलने की उम्मीद है। कंपनी साथ ही गुजरात के वापी में अपने मौजूदा संयंत्र का नवीनीकरण कर रही है, ताकि एक बड़ा संयंत्र स्थापित किया जा सके जो अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएस एफडीए) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुरूप होगा।वीरहेल्थ केयर को 100 करोड़ का राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद
नई दिल्ली । वेलस्पन वन ने अपने दूसरे वित्त पोषण चक्र में निवेशकों से 2,275 करोड़ रुपये जुटाए है। एकीकृत फंड एवं विकास प्रबंधन मंच वेलस्पन वन ने सोमवार को सह-निवेश प्रतिबद्धताओं सहित 2,275 करोड़ रुपये के अपने दूसरे वित्त पोषण चक्र के सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की। इस राशि का उपयोग गोदाम के निर्माण के लिए किया जाएगा। यह राशि करीब 800 सीमित साझेदारों (एलपी) या निवेशकों के विविध समूह से हासिल की गई। कंपनी के अनुसार इससे वेलस्पन वन के मौजूदा एक करोड़ वर्ग फुट खंड में 80 लाख वर्ग फुट का इजाफा होगा, जिससे उनका कुल खंड लगभग 1.8 करोड़ वर्ग फुट हो जाएगा। कुल परियोजना व्यय करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर होगा। वेलस्पन वर्ल्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को आगे बढ़ाने की हमारी प्रतिबद्धता भारत के लॉजिस्टिक्स लागत को 14 प्रतिशत से घटाकर आठ प्रतिशत करने के रणनीतिक उद्देश्य के साथ पूरी तरह से संरेखित है, जिससे हमारे उद्योगों की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
नई दिल्ली । कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की तरफ से फरवरी 2024 में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रॉविडेंट फंड पर लगने वाली ब्याज दर को बढ़ाने की घोषणा की गई थी। ईपीएफओ ने पिछले साल की 8.15 फीसदी की ब्याज दर को 2023-24 के लिए बढ़ाकर 8.25 फीसदी कर दिया है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2023-24 का ब्याज नहीं दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार की तरफ से ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज बजट 23 जुलाई के बाद ट्रांसफर किया जा सकता है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ईपीएफ के सदस्यों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ब्याज लेकर सवाल पूछा गया था, जिसपर ईपीएफओ ने कहा था कि ब्याज जमा करने की प्रक्रिया जारी है। बहुत जल्द खाताधारकों के अकाउंट में ब्याज जमा किया जाएगा। वित्त वर्ष पीआईबी के मुताबिक ईपीएफ बोर्ड ने सदस्यों के खातों में पिछले साल 1.07 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड राशि बांटने की सिफारिश की थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई के तीसरे हफ्ते में केंद्रीय बजट 2024 (Budget 2024) पेश करने वाली हैं। इससे हर वर्ग की काफी उम्मीदें जुड़ी हैं। बैंकिंग सेक्टर भी आस लगाए बैठा है कि सरकार आम जनता को कुछ ऐसी राहत दे, जिससे लोग बैंक में पैसे जमा करने के लिए प्रोत्साहित हों।
दरअसल, पिछले कुछ साल बैंकों को डिपॉजिट-लोन ग्रोथ का आंकड़ा गड़बड़ा रहा है। इसका मतलब कि जनता ने बैंकों से कर्ज लेना तो ज्यादा किया है, लेकिन वह अपने पैसे बैंक में जमा करना कम कर रही है। इससे बैंकों की मुसीबत बढ़ रही है, क्योंकि अगर बैंक में पैसे जमा ही नहीं होंगे, तो वे लोन देने वाली रकम कहां से लाएंगे।
बजट 2024 से क्या चाहते हैं बैंक
बैंक चाहते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2024 में बजत खातों से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स कटौती की लिमिट को बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दें। इससे लोग सेविंग अकाउंट में पैसे जमा करना बढ़ा सकते हैं। अभी यह आयकर अधिनियम की धारा 80TTA के तहत बचत खाते से सालाना 10 हजार रुपये की ब्याज आय टैक्स फ्री है। सीनियर सिटिजन यानी 60 साल या इससे अधिक आयु के लोगों के यह सीमा 50,000 रुपये है और इसमें धारा 80 टीटीबी के तहत सावधि जमा से ब्याज आय शामिल है।
हालांकि, न्यू टैक्स रिजीम में ये सारे फायदे नहीं मिलते, जिसे 2020 के बजट में पेश किया गया था। बैंक चाहते हैं कि सरकार न्यू टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स के सेक्शन 10(15)(i) के तहत ब्याज से होने वाली कमाई पर टैक्स छूट दे। इस सेक्शन में डिपॉजिट, बॉन्ड और अन्य सिक्योरिटीज से होने वाली ब्याज कमाई और कैपिटल गेन पर कुछ हद तक टैक्स छूट मिलती है।
बैंकों में क्यों घट रही डिपॉजिट ग्रोथ
इसकी कुछ अहम वजहें हैं। एक तो अब बैंक डिपॉजिट के कई सारे विकल्प आसानी से उपलब्ध हैं, जिनमें अच्छा खासा रिटर्न मिलता है। जैसे कि शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड। पहले इनमें निवेश की प्रक्रिया जटिल थी। लेकिन, अब ऑनलाइन ब्रोकिंग ऐप और यूपीआई जैसे माध्यमों ने शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश काफी आसान कर दिया है। साथ ही, सरकारी नीतियों और दमदार मार्केटिंग से लोगों का इन पर भरोसा भी बढ़ा है।
शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड को छोड़ भी दें, तो सुकन्या समृद्धि जैसी कई छोटी बचत योजनाओं में भी सेविंग अकाउंट के मुकाबले अच्छा ब्याज मिलता है। सेविंग अकाउंट पर अभी कोई ऐसा खास फायदा भी नहीं है, जिससे लोग बैंक में पैसा करने के लिए प्रोत्साहित हों।
बैंकों की चिंता बढ़ा रही RBI की रिपोर्ट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी हालिया वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में पाया कि अब लोग अपनी वित्तीय बचत में बदलाव ला रहे हैं। वे नॉन-बैंकिंग और कैपिटल मार्केट जैसी जगहों पर अधिक निवेश कर रहे हैं। इससे बैंकों में डिपॉजिट रेट लगातार घट रहा है। देश में प्राइवेट सेक्टर के सबसे बड़े लेंडर- HDFC बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान अपने चालू खाता-बचत खाता (सीएएसए) जमा में 5 फीसदी की क्रमिक गिरावट दर्ज की है। यह कुल तकरीबन 8.63 लाख करोड़ रुपये है। इसी आंकड़े के चलते शुक्रवार को HDFC बैंक के शेयरों ने 4 फीसदी से अधिक का गोता लगाया था।
अमेरिका की प्रतिष्ठित रेटिंग एजेंसी S&P Global Ratings ने भी अपनी एक रिपोर्ट में चिंता जताई थी कि बैकों को मजबूरन अपनी लोन ग्रोथ कम करनी पड़ सकती है, क्योंकि बैंक डिपॉजिट उस रफ्तार से नहीं बढ़ रहा। यही वजह है कि बैंक बचत खातों से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट की लिमिट बढ़वाना चाहते हैं, ताकि उनकी डिपॉजिट ग्रोथ में इजाफा हो सके।
संसद का बजट सत्र 22 जुलाई से 12 अगस्त के बीच आयोजित किया जाएगा। यह जानकारी संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट पेश करेंगी।
रिजिजू ने कहा, "भारत सरकार की सिफारिश पर भारत के माननीय राष्ट्रपति ने 22 जुलाई, 2024 से 12 अगस्त, 2024 तक बजट सत्र, 2024 के लिए संसद के दोनों सदनों को बुलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।"
ऐतिहासिक होगा बजट
यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट होगा। इससे सभी वर्गों की कई उम्मीदें जुड़ी हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी कह चुकी हैं कि यह बजट कई मामलों में ऐतिहासिक होगा। राष्ट्रपति मुर्मू ने संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि प्रमुख सामाजिक और आर्थिक निर्णय बजट का मुख्य आकर्षण होंगे।
अप्रैल-जून में हुए लोकसभा चुनावों के कारण अंतरिम बजट फरवरी में पेश किया गया था। इसमें वित्त मंत्री ने किसी बड़ी योजना का एलान नहीं किया था। टैक्स से जुड़ी भी कोई खास राहत नहीं मिली थी। ऐसे में इस बार टैक्सपेयर्स को बजट से बड़ी उम्मीदें हैं।
रिकॉर्ड बनाएंगी वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारण इस बार बजट पेश करने के साथ एक अनोखा रिकॉर्ड बनाएंगी। वह लगातार सात केंद्रीय बजट पेश करने वाली पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी। निर्मला सीतारमण इस मामले में मोरारजी देसाई को पीछे छोड़ेंगी, जिन्होंने लगातार छह बजट पेश किए थे।
आज क्रेडिट कार्ड बहुत-से लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, भारत में साल 2023 के आखिर तक 9 करोड़ से अधिक एक्टिव क्रेडिट कार्ड थे। एक साल पहले के मुकाबले इसमें करीब 17 फीसदी का उछाल आया है। इसमें कई लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास एक से अधिक क्रेडिट कार्ड हैं।हालांकि, एक से अधिक क्रेडिट कार्ड रखना अच्छा नहीं समझा जाता। कई लोग मानते हैं कि इससे फिजूलखर्ची की आदत बढ़ती है, आप कर्ज के जाल में भी फंस सकते हैं। और फिर एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड को मैनेज करना भी मुश्किल काम होता है। लेकिन, अगर आप आर्थिक नजरिए से अनुशासित हैं, तो एक से अधिक क्रेडिट कार्ड रखना आपके लिए फायदेमंद भी हो सकता है।
ब्याज मुक्त पैसों का मिलेगा लाभ
क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन और बिल पेमेंट की लास्ट डेट के बीच 18-55 दिन इंटरेस्ट-फ्री होते हैं। इस दौरान लेन-देन पर कोई ब्याज नहीं देना होता। बस ATM विड्राल इसका अपवाद है। आपको क्रेडिट कार्ड से खर्च होने वाली रकम को आखिरी तारीख तक चुका देना होता है। अगर आप अलग-अलग कार्ड के इंटरेस्ट-फ्री पीरियड के हिसाब से बड़े खर्च बांट दें, तो एक से अधिक क्रेडिट कार्ड रखने का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
नो-कास्ट EMI का उठाएं फायदा
फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म पर कई प्रोडक्ट्स नो-कास्ट EMI पर मिलते हैं। ऐसे ऑफर में EMI से सिर्फ खरीद देनी होती है, ब्याज नहीं। लेकिन, ये अक्सर अलग-अलग क्रेडिट कार्ड के लिए होते हैं। जैसे कि कोई प्रोडक्ट HDFC बैंक के क्रेडिट कार्ड से खरीदे जाने पर नो-कास्ट EMI मिलेगा, तो कोई SBI के। ऐसे में आपके एक से अधिक क्रेडिट कार्ड रहेंगे, तो आप नो-कास्ट EMI ऑफर का बेहतर तरीके से लाभ उठा पाएंगे।
रिवॉर्ड पॉइंट के हिसाब से ट्रांजेक्शन
कई बैंक अपने क्रेडिट कार्ड को मुफ्त एयरपोर्ट लाउंज एक्सेस और पेट्रोल पंप पर फ्यूल सरचार्ज वापस मिलने जैसी सुविधाओं के साथ आते हैं। आपको अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इस हिसाब से करना चाहिए, ताकि आप रिवॉर्ड प्रोग्राम और बाकी बेनिफिट्स का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकें। एक कार्ड के रिवॉर्ड पॉइंट खत्म हो जाने के बाद दूसरे क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन कर सकते हैं, ताकि हर खरीदारी पर रिवॉर्ड पॉइंट मिलते रहें। क्रेडिट कार्ड कार्ड चोरी होने या खोने पर दूसरा मिलने में वक्त लगेगा। अगर आपके पास एक से अधिक क्रेडिट कार्ड होंगे, तो आपका काम नहीं रुकेगा।
बिल पेमेंट के लिए रिमाइंडर सेट करें
एक से अधिक क्रेडिट कार्ड रखने पर उन्हें मैनेज करने में ज्यादा परेशानी होती है। कई बार बिल पेमेंट की लास्ट डेट चूकने का भी खतरा रहता है। इससे आपको भारी भरकम ब्याज देना पड़ेगा, साथ ही आपका सिबिल स्कोर भी खराब हो जाएगा। इस परेशानी से बचने के लिए आप सभी क्रेडिट कार्ड की ड्यू डेट के लिए मोबाइल पर रिमाइंडर सेट कर सकते हैं। इसके लिए आपके कई ऐप भी मिल जाएंगे, जिनसे क्रेडिट कार्ड को मैनेज करना आसान हो जाएगा।
क्या आप एक भी दिन बिना मोबाइल के रह सकते हो। इतना सोच कर ही एक डर लगने लगता है। अब यह कहना तो बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि आज के समय में मोबाइल का रोल हमारी लाइफ में बहुत जरूरी हो गया है।मार्केट में कई तरह के स्मार्टफोन मौजूद है। इनमें से कुछ तो इतने महंगे होते है कि लेने से पहले कई बार सोचना पड़ता है। अगर कभी महंगा फोन ले भी लेते हैं तो उसका ख्याल हम छोटे बच्चे की तरह रखते हैं। अब स्मार्टफोन का ध्यान रखने के लिए हम मोबाइल इंश्योरेंस भी ले सकते हैं।
मोबाइल इंश्योरेंस क्या है?
इंश्योरेंस का ही एक प्रकार मोबाइल इंश्योरेंस है। इसे मोबाइल के लिए डिजाइन किया गया है। इस इंश्योरेंस पॉलिसी में फोन के डैमेज और खो जाने या चोरी हो जाने जैसे चीजों के लिए कवर किया जाता है। आप इस इंश्योरेंस को मोबाइल डिवाइस के स्टोर या फिर किसी इंश्योरेंस कंपनी के वेबसाइट और ऐप्स से खरीद सकते हैं।हालांकि, मोबाइल इंश्योरेंस लेना अनिवार्य नहीं है। लेकिन, अगर आप यह इंश्योरेंस लेते हैं तो यह एक तरह का फाइनेंशियली सेफगार्ड का रोल निभाएगा। एक्पर्ट भी कहते हैं कि मोबाइल इंश्योरेंस लेना एक स्मार्ट चॉयस होती है।
मोबाइल इंश्योरेंस क्यों खरीदें
जब फोन चोरी होता है तो डेटा के खो जाने के साथ ही वित्तीय बोझ भी बढ़ जाता है। ऐसे में फाइनेंशियली सेटबैक के लिए मोबाइल इंश्योरेंस बहुत जरूरी होता है। मोबाइल इंश्योरेंस इन सभी स्थितियों को कवरे करता है।एक्सीडेंट या फिर किसी वजह से फोन टूट जाए तो फोन को रिपेयर करना काफी महंगा पड़ता है। ऐसे में मोबाइल ब्रेकरेज के समय मोबाइल इंश्योरेंस काफी कारगार साबित होता है।स्मार्टफोन के टूट जाने के साथ ही उसे लिक्विड डैमेज से बचाना भी बहुत जरूरी है। कई बार पानी, मॉयचर और ह्यूमिडिटी की वजह से भी फोन खराब हो जाता है। मोबाइल इंश्योरेंस इस स्थिति को भी कवर करता है।एप्पल , सैमसंग , वन प्लस जैसे ब्रांड के फोन को रिपेयर करवाना काफी महंगा पड़ता है। ऐसे में इन फोन के लिए इंश्योरेंस करवाते हैं तो यह इंश्योरेंस इस तरह के रिपेयर बिल से हमें बचाता है।अगर फोन खो जाए और वारंटी पीरियड चालू है तब भी उसका कंपनसेशन नहीं मिलता है। लेकिन, मोबाइल इंश्योरेंस में पूरी तरीके से कंपनसेशन दिया जाता है।
पीएफआरडीए ने एक जुलाई से राष्ट्रीय पेंशन स्कीम (NPS) सब्सक्राइबर के लिए सौदे वाले दिन ही निपटान की अनुमति दे दी है। आइए, जान लेते हैं कि इस अनुमति के बाद क्या-कुछ बदलने जा रहा है।पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने एक बयान में कहा कि किसी भी निपटान दिवस पर सुबह 11 बजे तक ट्रस्टी बैंक द्वारा प्राप्त राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) अंशदान उसी दिन निवेश किया जाएगा और ग्राहकों को उसी दिन एनएवी (शुद्ध संपत्ति मूल्य) का लाभ मिलेगा।
पहले था ये नियम
अभी तक, ट्रस्टी बैंक द्वारा प्राप्त योगदान का निपटान अगले दिन (टी+1) निवेश किया जाता है। इससे पहले किसी भी निपटान दिवस पर सुबह 9:30 बजे तक प्राप्त योगदान को पहले से ही उसी दिन निवेशित माना जाता था। अब, सुबह 11 बजे तक प्राप्त योगदान राशि भी लागू एनएवी के साथ उसी दिन निवेश किया जाएगा।
आधार कार्ड हमारे लिए एक अहम डाक्यूमेंट है, जिसकी जरूरत हर सरकारी और बैंकिंग के कामों में होती है। वैसे ही राशन कार्ड सरकारी खाद्य सामग्री लेने के काम आता है, लेकिन इसे पहचान पत्र की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मगर आजकल फेक राशन कार्ड बनने लगे हैं। ऐसे में राशन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक कराना इस समस्या को दूर कर सकता है।
क्यों जरूरी है आधार-राशन कार्ड लिंकिंग?
भारत सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए आधार-राशन कार्ड लिंकिंग को अनिवार्य कर दिया है।
यह इंटरलिंकिंग डुप्लिकेट और फर्जी राशन कार्ड को खत्म करने में मदद करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सब्सिडी वाले खाद्यान्न सही लाभार्थियों तक पहुंचें। यह पहल पीडीएस में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है।
आधार-राशन कार्ड लिंकिंग की समय सीमा 30 सितंबर, 2024 तक बढ़ा दी गई है। इससे उन लोगों के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है जिन्होंने अभी तक प्रक्रिया पूरी नहीं की है।
लिंकिंग के तरीके
आधार-राशन कार्ड लिंकिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से की जा सकती है और यहा हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।
ऑनलाइन आधार-राशन कार्ड लिंकिंग
सबसे पहले अपने राज्य की पीडीएस वेबसाइट या आधिकारिक आधार सीडिंग पोर्टल पर जाएं।
अब यदि वेबसाइट लॉगिन करने के लिए क्रेडेंशियल दर्ज करें।
इसके बाद अपने राशन कार्ड को आधार से लिंक करने के लिए आधार लिंकिंग सेक्शन खोजें।
अब अपना राशन कार्ड नंबर, आधार नंबर और कोई भी अन्य आवश्यक जानकारी भरें।
डिटेल सबमिट करने के बाद, आपको अपने पंजीकृत मोबाइल नंबर पर वेरिफिकेशन के लिए वन टाइम पासवर्ड (OTP) मिलेगा।
अब OTP डालें और आपका आधार राशन कार्ड लिंक हो जाएगा।
ऑफलाइन आधार-राशन कार्ड लिंकिंग
इसके लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट के साथ अपनी पास की उचित मूल्य की दुकान या PDS केंद्र पर जाएं।
अपने राशन कार्ड की मूल और एक फोटोकॉपी, अपना आधार कार्ड (मूल और फोटोकॉपी दोनों), और एक पासपोर्ट आकार का फोटो साथ लाएं।
आधार सीडिंग के लिए आवेदन पत्र भरें, फोटोकॉपी संलग्न करें और इसे दुकानदार या PDS अधिकारी को जमा करें।
यहां अधिकारी आपके आधार विवरण की पुष्टि करने के लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण (फिंगरप्रिंट स्कैन) के लिए कह सकता है।
प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने पर आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक मैसेज मिलेगा।