ईश्वर दुबे
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Bhilai
व्यापार: इस बार का त्योहारी सीजन खरीदारी के लिहाज से खास है, क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती से उत्पादों के दाम घट गए हैं। इसके अलावा, खुदरा विक्रेता, कंपनियां और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म रेफ्रिजरेटर, टीवी, कार और एसी तक हर चीज पर ऑफर दे रहे हैं। ऐसा ही एक ऑफर है नो-कॉस्ट ईएमआई, जो लोकप्रिय है। ऐसा प्रचारित है कि इस पर कोई ब्याज नहीं लगता है। पहली नजर में यह सरल और सुविधाजनक लगता है। फिर भी, ध्यान से देखें तो नो-कॉस्ट ईएमआई में कई लागतें छिपी होती हैं। अगर आप भी त्योहारी सीजन में खरीदारी के लिए यह विकल्प चुनते हैं, तो लागतों पर जरूर ध्यान दें।
ऐसे काम करता है नो-कॉस्ट ईएमआई
नो-कॉस्ट ईएमआई ब्याज मुक्त नहीं होता, बल्कि आमतौर पर विक्रेता या निर्माता कंपनियां उत्पाद की कीमतों में बदलाव कर खुद उसका वहन करती हैं।
उदाहरण के लिए...12 फीसदी ब्याज पर अगर आप 30,000 रुपये का कोई उप
व्यापार: इस साल फरवरी से जून तक आरबीआई ने रेपो दर में एक फीसदी की कटौती की। इससे सभी तरह के कर्ज सस्ते हो गए। हालांकि, त्योहार में लोग जमकर खरीदी करते हैं। इस महीने में पांच बैंकों की घटी दर से अच्छा खासा फायदा हो सकता है। अगर खरीदी की योजना बना रहे हैं तो यह सही समय है। आप चाहें तो दिसंबर तक खरीदी कर सकते हैं क्योंकि बैंकों की ब्याज दरें वर्तमान दरों के ही आसपास होंगी। हालांकि, त्योहारी सीजन में प्रोसेसिंग फीस माफ होने का भी कहीं-कहीं फायदा मिल सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने 12 सितंबर से एमसीएलआर 0.10 फीसदी घटाकर 7.95 फीसदी से 7.85 फीसदी किया है। तीन महीने का एमसीएलआर 0.15 फीसदी घटाकर 8.20 फीसदी पर ला दिया है। एक महीने (7.95 फीसदी), छह महीने (8.65 फीसदी) और एक साल (8.80 फीसदी) की एमसीएलआर दरें अपरिवर्तित रहेंगी।
एचडीएफसी व इंडियन ओवरसीज ने की कटौती
एचडीएफसी बैंक का एक दिन और एक महीने का एमसीएलआर 8.55 फीसदी प
व्यापार: भारतीय परिवारों की संपत्ति 2024 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है। इसमें बीते आठ वर्षों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। आलियांज ग्लोबल की हालिया जारी वैश्विक रिपोर्ट-2025 में बताया गया कि 2024 में भारतीय परिवारों की संपत्ति 14.5 फीसदी की दर से बढ़ी है। यह देश में तेजी से बढ़ती मध्य वर्ग की क्षमता को दिखाता है।
करीब 60 देशों को कवर करने वाली इस रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले दो दशकों में भारत की वास्तविक प्रति व्यक्ति वित्तीय संपत्ति पांच गुना बढ़ी है। यह किसी भी अन्य उभरती अर्थव्यवस्था के मुकाबले सबसे अच्छा प्रदर्शन है। पिछले साल प्रतिभूतियों में सबसे अधिक वृद्धि हुई, जो 28.7 फीसदी थी। बीमा और पेंशन में 19.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। बैंक जमा में 8.7 फीसदी की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय परिवारों के पोर्टफोलियो का 54 फीसदी हिस्सा बैंक जमाओं से आता है। ऐसे में इसमें वृद्धि बढ़ती बचत को दिखाती है। वास्तविक रूप से महंगाई के बाद वित्तीय संपत्तियों में 9.4 फीसदी की वृद्धि हुई
व्यापार: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और डॉलर के कमजोर होने से वैश्विक बाजारों में सुरक्षित निवेश की मांग को बढ़ावा मिला। घेरलू वायदा बाजार में सोमवार को सोने और चांदी की कीमतें नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई।
एमसीएक्स पर सोना का वायदा भाव सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंचा
एमसीएक्स पर अक्टूबर डिलीवरी वाले सोने के वायदा भाव 1,204 रुपये या 1.06 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,14,992 रुपये प्रति 10 ग्राम के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए। सोने के दिसंबर वायदा
व्यापार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच1-बी वीजा के शुल्क में भारी बढ़ोतरी के फैसले ने उद्योग जगत में खलबली मचा दी है। ट्रंप के एलान के बाद कई अमेरिकी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों जो जल्द वापस लौटने के लिए कहा है। माइक्रोसॉफ्ट ने एच-1बी और एच-4 वीजा धारकों को निकट भविष्य में अमेरिका में ही रहने की सलाह दी है।
कई कंपनियों ने कर्मचारियों को भेजे ईमेल
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने कर्मचारियों को एक एडवाइजरी ईमेल भेजा है। जिसमें इन वी
व्यापार: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबीएस) ने वित्त वर्ष 2025 में क्रेडिट ग्रोथ के मामले में निजी बैंकों को पीछे छोड़ दिया है। सिस्टमैटिक्स ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, PSBs ने FY25 में अग्रिम ऋण में 12.2 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर्ज की, जबकि निजी क्षेत्र के बैंकों की वृद्धि 9.5 प्रतिशत रही।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2011 में PSBs का अग्रिम ऋण बाजार में 74.9 प्रतिशत का हिस्सा था, जो मार्च 2024 तक घटकर 51.8 प्रतिशत रह गया था। हालांकि, FY25 में PSBs ने पहली बार मार्च 2010 के बाद से दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज करते
व्यापार: प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में अवाडा समूह की 1,600 करोड़ रुपये की सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कंपनी के नए 100 मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट का शिलान्यास भी किया।
280 मेगावाट की इस परियोजना में 1,500 करोड़ का निवेश
विनीत मित्तल के नेतृत्व वाले औद्योगिक घराने ने एक बयान में कहा कि 280 मेगावाट की यह परियोजना राज्य के सुरेन्द्रनगर जिले के तवी और वरसानी गांवों में 1,170 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली है। इसमें कुल 1,500 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
अवाडा की 100 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना 350 एकड़ में फैली है। 400 करोड़ रुपये के नियोजित निवेश के साथ, इस परियोजना का कार्यान्वयन अवाडा जीजे सोलर द्वारा किया जा रहा है और इसके अप्रैल 2026 तक चालू होने की उम्मीद है।
बयान में कहा गया कि गुजरात राज्य सौर नीति के तहत विकसित की गई इस परियोजना का औपचारिक उद्घाटन प्रधानमं
व्यापार: सरकार कर्नाटक से मूंग, काला मूंग, सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन की खरीद करेगी। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के किसानों को काफी लाभ होगा।
जोशी ने इस फैसले को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए कहा कि उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध किया है कि वे राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत 2025-26 खरीफ सीजन के दौरान कर्नाटक में उगाई गई इन फसलों की खरीद को मंजूरी दें।
व्यापार: जीएसटी सुधार से आने वाले दिनों में रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम होनी शुरू हो सकती है। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में समग्र मुद्रास्फीति (सीपीआई) लगभग 3.1 प्रतिशत पर स्थिर या इससे और भी कम रहने की उम्मीद है।
वित्त वर्ष 2026 में खुदरा महंगाई 3.1 फीसदी रहने की संभावना
रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में महंगाई दर में और नरमी देखी जा सकती है। सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष करों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक धीरे-धीरे पहुंचेगा, जिससे महंगाई पर दबाव कम हो सकता है। अनुमान जताया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में औसतन सीपीआई महंगाई 3.1% पर रहेगी, हालांकि इसमें गिरावट का जोखिम बना हुआ है।
अगस्त में महंगाई दर 2.1 फीसदी रही
इसमें कहा गया है कि अगस्त 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में राहत देखने को मिली है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार गिरावट की वजह से खुदरा महंगाई अगस्त में घटकर सालाना आधार पर 2.1% रही। पि
व्यापार: राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण यानी एनपीपीए ने दवा कंपनियों और चिकित्सा उपकरण निर्माताओं से कहा है कि वे 22 सितंबर से जीएसटी दरों में होने वाली कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दें। प्राधिकरण ने एक आदेश में कहा, "जीएसटी दरों में कमी का लाभ 22 सितंबर, 2025 से उपभोक्ताओं/मरीजों को दिया जाएगा। दवाएं/फॉर्मूलेशन बेचने वाली सभी निर्माता/विपणन कंपनियां 22 सितंबर से दवाओं/फॉर्मूलेशन (चिकित्सा उपकरणों सहित) के एमआरपी को उसी अनुसार संशोधित करेंगी।"
राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कहा कि दवा निर्माता विपणन कंपनियों, डीलरों, खुदरा विक्रेताओं, राज्य औषधि नियंत्रकों और सरकार को संशोधित मूल्य सूची या पूरक मूल्य सूची जारी करेंगी। इसमें संशोधित जीएसटी दरों और संशोधित एमआरपी का विवरण होगा।
आदेश में कहा गया है कि निर्माता और विपणन कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया सहित संचार के सभी संभावित चैनलों के माध्यम से डीलरों, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को जीएसटी दरों में कटौती के बारे में जागरूक करने के लिए तत्काल उपाय करेंगी।
एनपीपीए ने अपने आदेश में कहा, "उद्योग संघ 22 सितंबर, 2025 से संशोधित जीएसटी दरों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए डीलरों/खुदरा विक्रेताओं तक पहुंचने के लिए स्थानीय समाचार पत्रों सहित प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी कर सकते हैं।
व्यापार: अगस्त महीने में मुद्रास्फीति दो प्रतिशत से ऊपर रहने के कारण अक्तूबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है। एसबीआई रिसर्च ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यह दावा किया है।
दिसंबर में भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी अनिश्चित नजर आ रही है। दरअसल, चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में अनुमान से बेहतर विकास दर को देखते हुए केंद्रीय बैंक के लिए इस तरह का कदम उठाना मुश्किल हो सकता है।
एसबीआई के अनुसार, अगस्त महीने में महंगाई दर दो फीसदी के स्तर से थोड़ी अधिक रही है। ऐसे में अक्तूबर में दर कटौती करना चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं, अगर पहली और दूसरी तिमाही के विकास के अनुमान को ध्यान में रखा जाए, तो दिसंबर में भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम दिख रही है।
व्यापार: बाजार नियामक सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ से जुड़े नियमों में ढील देने के साथ न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने की अवधि को बढ़ाने का फैसला किया है। इस बदलाव का मकसद बड़ी कंपनियों को छोटे आकार वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ सूचीबद्धता की अनुमति देना और उनमें सार्वजनिक हिस्सेदारी को क्रमिक रूप से बढ़ाना है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के
व्यापार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के देशों पर लगाए गए टैरिफ में कुछ बदलाव किया है. उन्होंने कुछ सामानों को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर कर दिया है मतबल कि अब कुछ चुनिंदा प्रोडक्ट्स पर ही ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ प्रभावी रहेगा. अमेरिकी व्हाइट हाउस ने 2 अप्रैल को लागू किए गए अपने रेसिप्रोकल टैरिफ में चेंज करते हुए कुछ वस्तुओं जिनमें सर्राफा से संबंधित वस्तुएं और कुछ महत्वपूर्ण खनिज एवं दवा उत्पाद शामिल हैं को टैरिफ से बाहर कर दिया है.
व्हाइट हाउस ने बताया कि नए आदेश में एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड, रेजिन और सिलिकॉन उत्पाद भी शामिल हैं, जिन पर पारस्परिक शुल्क लागू होंगे. शुक्रवार को जारी एक कार्यकारी आदेश में यह बदलाव किया गया है. ये बदलाव सोमवार से लागू होंगे.
इन पर भी नहीं लगेगा टैरिफ
शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक खास आदेश जारी किया, जिसमें ग्रेफाइट, टंगस्टन, यूरेनियम, सोने के बुलियन और कई दूसरी धातुओं पर देश-आधारित टैरिफ हटा दिया गया. लेकिन सिलिकॉन प्रोडक्ट्स पर यह शुल्क लगा दिया गया है. स्यूडोएफेड्रिन, एंटीबायोटिक्स और कुछ दूसरी दवाइयां, जो पहले से ही वाणिज्य विभाग की जांच के दायरे में थीं, उन्हें भी इस नए आदेश से राहत मिली है. सिलिकॉन प्रोडक्ट्स के अलावा, ट्रंप ने रेजिन और एल्युमीनियम हाइड्रॉक्साइड पर भी अपने टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया है.
ट्रंप के ये वैश्विक टैरिफ उनके उस बड़े प्लान का हिस्सा हैं, जिसमें वो व्यापार असंतुलन को ठीक करना चाहते हैं. उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है. पिछले महीने कई देशों पर अलग-अलग टैरिफ बढ़ाने से पहले, ट्रंप ने कुछ देशों के साथ सौदे किए थे, जिसमें कम टैरिफ के बदले विदेशी निवेशक अमेरिकी सामान पर अपनी पाबंदियां हटाएंगे. ये टैरिफ और कुछ सौदे जल्दबाजी में कई महीनों में पास किए गए. इससे चिंता बढ़ी है कि ये जरूरी बाजारों को प्रभावित कर सकते हैं और उन चीजों की कीमत बढ़ा सकते हैं, जिन्हें अमेरिका में बनाया या प्राप्त नहीं किया जा सकता.
व्यापार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद देश के एक्सपोर्ट को नुकसान हो रहा है. जिसका असर एमएसएमई सेक्टर पर ज्यादा पड़ने का आशंका है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम निर्यातकों के लिए एक व्यापक राहत पैकेज को अंतिम रूप दे रही है. जिससे उनको एक्सपोर्ट में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके.
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की ओर इस सेक्टर को दिए जाने वाला राहत पैकेज अब अंतिम चरण में है. अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने के कारण इस इंडस्ट्री को $45 से $80 बिलियन के बीच अनुमानित नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.