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व्यापार: प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में अवाडा समूह की 1,600 करोड़ रुपये की सौर ऊर्जा परियोजना का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कंपनी के नए 100 मेगावाट सोलर प्रोजेक्ट का शिलान्यास भी किया।

280 मेगावाट की इस परियोजना में 1,500 करोड़ का निवेश
विनीत मित्तल के नेतृत्व वाले औद्योगिक घराने ने एक बयान में कहा कि 280 मेगावाट की यह परियोजना राज्य के सुरेन्द्रनगर जिले के तवी और वरसानी गांवों में 1,170 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैली है। इसमें कुल 1,500 करोड़ रुपये का निवेश होगा।

अवाडा की 100 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना 350 एकड़ में फैली है। 400 करोड़ रुपये के नियोजित निवेश के साथ, इस परियोजना का कार्यान्वयन अवाडा जीजे सोलर द्वारा किया जा रहा है और इसके अप्रैल 2026 तक चालू होने की उम्मीद है।

बयान में कहा गया कि गुजरात राज्य सौर नीति के तहत विकसित की गई इस परियोजना का औपचारिक उद्घाटन प्रधानमं

 

व्यापार: सरकार कर्नाटक से मूंग, काला मूंग, सूरजमुखी, मूंगफली और सोयाबीन की खरीद करेगी। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इससे राज्य के किसानों को काफी लाभ होगा।

जोशी ने इस फैसले को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए कहा कि उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध किया है कि वे राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत 2025-26 खरीफ सीजन के दौरान कर्नाटक में उगाई गई इन फसलों की खरीद को मंजूरी दें।

 

व्यापार: जीएसटी सुधार से आने वाले दिनों में रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें कम होनी शुरू हो सकती है। बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में समग्र मुद्रास्फीति (सीपीआई) लगभग 3.1 प्रतिशत पर स्थिर या इससे और भी कम रहने की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2026 में खुदरा महंगाई 3.1 फीसदी रहने की संभावना
रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दिनों में महंगाई दर में और नरमी देखी जा सकती है। सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष करों में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक धीरे-धीरे पहुंचेगा, जिससे महंगाई पर दबाव कम हो सकता है। अनुमान जताया गया है कि वित्त वर्ष 2025-26 में औसतन सीपीआई महंगाई 3.1% पर रहेगी, हालांकि इसमें गिरावट का जोखिम बना हुआ है।

अगस्त में महंगाई दर 2.1 फीसदी रही
इसमें कहा गया है कि अगस्त 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर में राहत देखने को मिली है। खाद्य पदार्थों की कीमतों में लगातार गिरावट की वजह से खुदरा महंगाई अगस्त में घटकर सालाना आधार पर 2.1% रही। पि

 

व्यापार: राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण यानी एनपीपीए ने दवा कंपनियों और चिकित्सा उपकरण निर्माताओं से कहा है कि वे 22 सितंबर से जीएसटी दरों में होने वाली कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दें। प्राधिकरण ने एक आदेश में कहा, "जीएसटी दरों में कमी का लाभ 22 सितंबर, 2025 से उपभोक्ताओं/मरीजों को दिया जाएगा। दवाएं/फॉर्मूलेशन बेचने वाली सभी निर्माता/विपणन कंपनियां 22 सितंबर से दवाओं/फॉर्मूलेशन (चिकित्सा उपकरणों सहित) के एमआरपी को उसी अनुसार संशोधित करेंगी।"

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कहा कि दवा निर्माता विपणन कंपनियों, डीलरों, खुदरा विक्रेताओं, राज्य औषधि नियंत्रकों और सरकार को संशोधित मूल्य सूची या पूरक मूल्य सूची जारी करेंगी। इसमें संशोधित जीएसटी दरों और संशोधित एमआरपी का विवरण होगा।

आदेश में कहा गया है कि निर्माता और विपणन कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया सहित संचार के सभी संभावित चैनलों के माध्यम से डीलरों, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को जीएसटी दरों में कटौती के बारे में जागरूक करने के लिए तत्काल उपाय करेंगी।

एनपीपीए ने अपने आदेश में कहा, "उद्योग संघ 22 सितंबर, 2025 से संशोधित जीएसटी दरों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए डीलरों/खुदरा विक्रेताओं तक पहुंचने के लिए स्थानीय समाचार पत्रों सहित प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी कर सकते हैं।

 

व्यापार: अगस्त महीने में मुद्रास्फीति दो प्रतिशत से ऊपर रहने के कारण अक्तूबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है। एसबीआई रिसर्च ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यह दावा किया है।

दिसंबर में भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना भी अनिश्चित नजर आ रही है। दरअसल, चालू वित्त वर्ष की पहली दो तिमाहियों में अनुमान से बेहतर विकास दर को देखते हुए केंद्रीय बैंक के लिए इस तरह का कदम उठाना मुश्किल हो सकता है।

एसबीआई के अनुसार, अगस्त महीने में महंगाई दर दो फीसदी के स्तर से थोड़ी अधिक रही है। ऐसे में अक्तूबर में दर कटौती करना चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं, अगर पहली और दूसरी तिमाही के विकास के अनुमान को ध्यान में रखा जाए, तो दिसंबर में भी ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम दिख रही है।

 

व्यापार: बाजार नियामक सेबी ने बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ से जुड़े नियमों में ढील देने के साथ न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता हासिल करने की अवधि को बढ़ाने का फैसला किया है। इस बदलाव का मकसद बड़ी कंपनियों को छोटे आकार वाले आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के साथ सूचीबद्धता की अनुमति देना और उनमें सार्वजनिक हिस्सेदारी को क्रमिक रूप से बढ़ाना है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के

 

व्यापार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के देशों पर लगाए गए टैरिफ में कुछ बदलाव किया है. उन्होंने कुछ सामानों को रेसिप्रोकल टैरिफ से बाहर कर दिया है मतबल कि अब कुछ चुनिंदा प्रोडक्ट्स पर ही ट्रंप का रेसिप्रोकल टैरिफ प्रभावी रहेगा. अमेरिकी व्हाइट हाउस ने 2 अप्रैल को लागू किए गए अपने रेसिप्रोकल टैरिफ में चेंज करते हुए कुछ वस्तुओं जिनमें सर्राफा से संबंधित वस्तुएं और कुछ महत्वपूर्ण खनिज एवं दवा उत्पाद शामिल हैं को टैरिफ से बाहर कर दिया है.

व्हाइट हाउस ने बताया कि नए आदेश में एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड, रेजिन और सिलिकॉन उत्पाद भी शामिल हैं, जिन पर पारस्परिक शुल्क लागू होंगे. शुक्रवार को जारी एक कार्यकारी आदेश में यह बदलाव किया गया है. ये बदलाव सोमवार से लागू होंगे.

इन पर भी नहीं लगेगा टैरिफ
शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक खास आदेश जारी किया, जिसमें ग्रेफाइट, टंगस्टन, यूरेनियम, सोने के बुलियन और कई दूसरी धातुओं पर देश-आधारित टैरिफ हटा दिया गया. लेकिन सिलिकॉन प्रोडक्ट्स पर यह शुल्क लगा दिया गया है. स्यूडोएफेड्रिन, एंटीबायोटिक्स और कुछ दूसरी दवाइयां, जो पहले से ही वाणिज्य विभाग की जांच के दायरे में थीं, उन्हें भी इस नए आदेश से राहत मिली है. सिलिकॉन प्रोडक्ट्स के अलावा, ट्रंप ने रेजिन और एल्युमीनियम हाइड्रॉक्साइड पर भी अपने टैरिफ बढ़ाने का फैसला किया है.

ट्रंप के ये वैश्विक टैरिफ उनके उस बड़े प्लान का हिस्सा हैं, जिसमें वो व्यापार असंतुलन को ठीक करना चाहते हैं. उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है. पिछले महीने कई देशों पर अलग-अलग टैरिफ बढ़ाने से पहले, ट्रंप ने कुछ देशों के साथ सौदे किए थे, जिसमें कम टैरिफ के बदले विदेशी निवेशक अमेरिकी सामान पर अपनी पाबंदियां हटाएंगे. ये टैरिफ और कुछ सौदे जल्दबाजी में कई महीनों में पास किए गए. इससे चिंता बढ़ी है कि ये जरूरी बाजारों को प्रभावित कर सकते हैं और उन चीजों की कीमत बढ़ा सकते हैं, जिन्हें अमेरिका में बनाया या प्राप्त नहीं किया जा सकता.

 

 

व्यापार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद देश के एक्सपोर्ट को नुकसान हो रहा है. जिसका असर एमएसएमई सेक्टर पर ज्यादा पड़ने का आशंका है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम निर्यातकों के लिए एक व्यापक राहत पैकेज को अंतिम रूप दे रही है. जिससे उनको एक्सपोर्ट में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके.

सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की ओर इस सेक्टर को दिए जाने वाला राहत पैकेज अब अंतिम चरण में है. अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने के कारण इस इंडस्ट्री को $45 से $80 बिलियन के बीच अनुमानित नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

 

व्यापार: ट्रंप टैरिफ के चलते बने ग्लोबल टेंशन के माहौल में भी भारत के लिए खुशखबरी आई है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 अगस्त को समाप्त हुए हप्ते में 3.51 अरब डॉलर बढ़ गया. सप्ताह के अंत में फॉरेक्स रिजर्व बढ़कर 694.23 अरब डॉलर हो गया. 29 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते में सोने के भंडार में भी इजाफा हुआ है. वहीं, बीते हफ्ते पाकिस्तान के भी रिजर्व में बढ़ोतरी दर्ज की गई.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. इससे पिछले सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 4.39 अरब डॉलर घटकर 690.72 अरब डॉलर रह गया था. शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 29 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख घटक, फॉरेन करेंसी असेट्स 1.69 अरब डॉलर बढ़कर 583.94 अरब डॉलर हो गयी.

गोल्ड रिजर्व में भी बढ़ोतरी
डॉलर के हिसाब से, फॉरेन करेंसी असेट्स में यूरो, पाउंड और येन जैसी नॉन-यूएस करेंसीज


व्यापार: सरकार की ओर से GST घटाने के बाद अब लोगों को इसका फायदा पहुंचाने के लिए कंपनियों ने भी तैयारियां शुरू कर दी है. सरकार ने लगभग 400 सामान और सेवाओं पर जीएसटी (GST) घटा दिया है. इसके बाद अलग-अलग उद्योगों की कंपनियां 22 सितंबर से लागू होने वाली नई दरों के हिसाब से अपने दाम घटाकर ग्राहकों को फायदा देने की तैयारी कर रही हैं.

जीएसटी नियमों के अनुसार, टैक्स की दर बिल बनने के समय तय होती है. इसका मतलब यह है कि 22 सितंबर से पहले जो माल डिस्ट्रीब्यूटर्स को भेजा गया है, उस पर पुराने टैक्स रेट लागू रहेंगे. उन्हें एडजस्ट करने के लिए निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और दुकानदारों के बीच तालमेल की जरूरत होगी. इधर, सरकार ने कहा है कि वह इस पर करीबी नजर रखेगी ताकि उपभोक्ताओं को टैक्स कटौती का पूरा फायदा मि

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