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नई दिल्ली। भारत सरकार ने प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन के मोबाइल ऐप्स में आधार-इनेबल फेस ऑथेंटिकेशन को शामिल करने की अनुमति दे दी है। इससे यूजर्स के लिए आईडेटिटी वेरिफिकेशन को आसान, सिक्योर और आसान बनाया जा सकेगा। यह कदम डिजिटल लेनदेन को सुगम बनाने, सेवाओं की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने और इजी आफ लाइफ बढ़ाने में मदद करेगा। इससे हॉस्पिटैलिटी, हेल्थकेयर, क्रेडिट रेटिंग ब्यूरो, ई-कॉमर्स, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और एग्रीगेटर सेवा प्रोवाइडर्स जैसे कई क्षेत्रों को लाभ मिलेगा। इस अपडेट के बाद, प्राइवेट कंपनियां आधार फेस ऑथेंटिकेशन का इस्तेमाल अब कस्टमर ऑनबोर्डिंग, ई-केवाईसी वेरिफिकेशन, एग्जाम रजिस्ट्रेशन और इंप्लॉई अंटेंडेंस मार्क सकते है। यह बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन यूजर्स को तेज, सिक्योर और झंझट मुक्त सेवा प्रदान करेगा, जिससे ओटीपी (ओटीपी) या दस्तावेजों पर डिपेंडेंसी कम होगी। मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मेरिटी) के अनुसार, यह फैसला आधार ऑथेंटिकेशन फॉर गुड गवर्नेंस संशोधन नियम, 2025 के तहत लिया गया है।
इसका उद्देश्य सुशासन और सेवा वितरण में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाना है। मेरिटी ने आधार गुड गवर्नेंस पोर्टल भी लॉन्च किया है, जहां ऑथेंटिकेशन सेवाओं के लिए एप्लीकेशन और ऑनबोर्डिंग प्रोसेस से जुड़ी गाइडलाइन उपलब्ध कराई गई हैं। इस पोर्टल को मेरिटी के सेक्रेटरी एस. कृष्णन द्वारा लॉन्च किया गया। इस मौके पर यूआईडीएआई के सीईओ भुवनेश कुमार, एनआईसी के डायरेक्टर जनरल इंदर पाल सिंह सेठी, यूआईडीएआई के डीडीजी मनीष भारद्वाज और अमोद कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। मेरिटी सेक्रेटरी एस. कृष्णन ने कहा कि इस पोर्टल के लॉन्च और अन्य प्रोसेस को सुगम बनाने में काम करता है। आधार की मदद से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद मिल रही है। आधार कार्ड की मदद से गुड गवर्नेंस पोर्टल को दुरुस्त किया जा रहा है।
आधार करेक्शन एक जरूरी प्रोसेस है। अगर आप भी आधार कार्ड करेक्शन करना चाहते हैं तो हम इसके बारे में बताने जा रहे हैं। आधार कार्ड करेक्शन की लिमिट भी तय की गई है। अगर आप मोबाइल नंबर अपडेट करना चाहते हैं तो इसके लिए कोई लिमिट नहीं रखी गई है। यानी आप अनलिमिटेड टाइम इसे करेक्ट कर सकते हैं। नाम को भी आधार कार्ड में अपडेट किया जा सकता है। लेकिन ये करेक्शन महज 2 बार हो सकती है। लेकिन इसके लिए आपको सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट देना होगा। डेट ऑफ बर्थ चेंज करने की बात करें तो आप इसे सिर्फ 1 बार बदल सकते हैं। एड्रेस को लेकर कोई डेडलाइन तय नहीं की गई है। इसे आप कितनी भी बार बदल सकते हैं। इसके लिए आपको सिंपल करेक्शन प्रोसेस फॉलो करना होगा।

 


नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पिछले महीने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम का ऑधिकारिक ऐलान किया है, जो अगले फाइनेंशियल ईयर यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाली है. इसी बीच, खबर सामने आ रही है कि सरकार आम नागरिकों के लिए यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (Universal Pension Scheme) लाने की तैयारी कर रही है. इस पेंशन स्कीम को लाने के पीछे का मकसद निर्माण श्रमिक, घरेलू कर्मचारी और गिग वर्कर्स जैसे असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग पेंशन का लाभ देना है. अगर यह स्कीम लागू होती है, देश के करोड़ों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.

सरकार की ओर से नहीं मिलेगा कोई योगदान
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस पेंशन योजना में स्वैछिक योगदान की सुविधा होगी और इसमें सरकार का कोई वित्तीय योगदान नहीं होगा. हालांकि, यह योजना मौजूदा पेंशन योजनाओं को समाहित कर सकती है, जो सरकार की ओर चलाए जा रहे बचत और पेंशन स्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. इसके अलावा, यह यूनिवर्सल पेंशन स्कीम मौजूदा 'न्यू पेंशन स्कीम' (NPS) को भी शामिल कर सकती है, ताकि पेंशन सिस्टम को और बेहतर तरीके से कार्यान्वित किया जा सके.
इस योजना को 'नई पेंशन योजना' कहा जा रहा है और यह इसी नाम से चल प्रस्तावित हो सकती है. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि प्रस्ताव दस्तावेज पूरा होने के बाद संबंध लोगों से परामर्श किया जाएगा.

मौजूदा समय में ये हैं दो पेंशन स्कीम
बता दें कि मौजूदा समय में 18 से 70 साल के उम्र वाले देश के सभी लोगों के लिए'न्यू पेंशन सिस्टम' (NPS) उपलब्ध है. इसमें योजना में विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग (NRI) भी शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को इस योजना का लाभ दे सकती हैं.

प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेशन योजना
इसके अलावा, गवर्नमेंट ने अनएथराइज्ड सेक्टर्स के वर्कर्स के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना भी शुरू की है. इस योजना का लाभ केवल वहीं लोग उठा सकते हैं, जो न्यू पेंशन स्कीम (NPS), कर्मचारी राज्य बीमा निगम या इनकम टैक्स के तहत नहीं आते. इस स्कीम के तहत, लाभार्थियों को 60 साल की उम्र के बाद 3,000 रुपये पेंशन के रूप में मिलेगी. अगर लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को 50% पेंशन के रूप में लाभ मिलेगा. वहीं, अगर कोई व्यक्ति इस योजना में नियमित कंट्रीब्यूशन किया है और 60 साल से पहले उसकी मौत हो जाती है तो,ऐसी स्थिति में पत्नी योजना में कंट्रीब्यूशन जारी रख सकती है.

नई दिल्ली: शेयर मार्केट में लगभग पांच महीनों में जमकर बिकवाली दर्ज की जा रही है. जिससे निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है, और इसमें लगाम लगने के कोई संकेत भी नहीं मिल रहे हैं. इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 13 प्रतिशत नीचे गिर चुका है, जबकि अपने ऑलटाइम हाई लेवल 26,277.35 से 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है. बता दें कि सेंसेक्स ने 27 सितंबर 2024 को अपना ऑलटाइम हाई लेवल छुआ था.

लगातार पांचवे महीने गिरावट के साथ बंद होगा बाजार!
वहीं, मंथली बेसिस पर देखा जाए तो, निफ्टी 50 इंडेक्स अक्टूबर महीने में 6 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की, जबकि नंवबर में 0.31 फीसदी गिरा और दिसंबर में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की. जनवरी महीने में इंडेक्स ने 0.60 की गिरावट देखी, लेकिन फरवरी महीने में अबतक इसमें भारी बिकवाली दर्ज की गई है. फरवरी महीने में अब तक 4 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज कर चुका है, जो लगातार पांचवे महीने गिरावट के साथ बंद होने की ओर इशारा कर रहा है.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पांच सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को 20 प्रतिशत तक कम करने की योजना बनाई है. खबर के मुताबिक सरकार ऐसा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों को पूरा करने के लिए कर रही है. सेबी के नियम कहते हैं कि हर सूचीबद्ध कंपनी में कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा आम लोगों के पास होना चाहिए. अभी इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से ज्यादा है, जिसे कम करने की तैयारी है.हिस्सेदारी कम करने के लिए दो रास्ते हैं. पहला तरीका है कि सरकार खुद शेयर बाजार में या बड़े निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचे. दूसरा तरीका यह है कि बैंक खुद बड़े निवेशकों को अपने शेयर बेचें. दोनों ही तरीकों से बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम होगी और सेबी के नियम पूरे होंगे. अभी इन बैंकों में सरकार का हिस्सा काफी ज्यादा है, जिसे नियमानुसार कम करना जरूरी हो गया है.

इन पांच बैंकों में घटेगी हिस्सेदारी

रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बैंकों में हिस्सेदारी घटाई जाएगी, उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं. सरकार यह काम निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), वित्तीय सेवा विभाग और बैंकों के साथ मिलकर कर रही है. इसके लिए ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) जैसे तरीकों का इस्तेमाल हो सकता है. यानी सरकार अपनी हिस्सेदारी खुले बाजार में या बड़े निवेशकों को बेच सकती है.एक अधिकारी के मुताबिक सरकार का लक्ष्य इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से नीचे लाना है. इसके लिए निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) शेयर बिक्री की अनुमति दे सकता है.


नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पांच सरकारी बिजली बनाने वाली और ट्रांसमिशन कंपनियों की पहचान की है, जिन्हें स्टॉक मार्केट में लिस्टेड किया जाएगा ताकि वे अपनी क्षमता विस्तार कर सकें और उसे निवेश मिल सकें। एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के एक व‎रिष्ठ अ‎धिकार ने बताया कि इन कंपनियों में आंध्र प्रदेश पावर जनरेशन कॉरपोरेशन और गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन इस समय मर्चेंट बैंकर नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं। इसके अलावा, सरकार राज्य सरकारों द्वारा संचालित बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण की संभावना भी तलाश रही है। ये डिस्कॉम्स बिजली खरीद लागत में बढ़ोतरी, हाई ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन नुकसान और उपभोक्ताओं से भुगतान में देरी जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं। हाल ही में एक क्षेत्रीय बैठक में विभिन्न राज्यों ने बिजली वितरण सेवाओं की कार्यक्षमता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से डिस्कॉम्स के निजीकरण में सहायता करने का अनुरोध किया था। डिस्कॉम्स की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने मंत्रियों का एक समूह गठित किया है, लेकिन पावर सचिव ने वित्तीय राहत पैकेज की संभावना से इनकार किया है। सरकार कुछ डिस्कॉम्स को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करने पर भी विचार कर रही है, लेकिन इसके लिए उन्हें अपने संचयी घाटे को कम करना होगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 तक, देशभर के डिस्कॉम्स का कुल घाटा 6.92 लाख करोड़ रुपये था, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक उनका कुल बकाया कर्ज 7.53 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। हालांकि, राज्यों ने डिस्कॉम्स को सब्सिडी भुगतान में सुधार किया है और औसत आपूर्ति लागतऔर औसत राजस्व प्राप्ति के बीच का अंतर 2022-23 में 45 पैसे प्रति किलोवाट-घंटा से घटकर 2023-24 में 19 पैसे रह गया है। जनवरी 2025 तक, यह अंतर और कम होकर 0.10 पैसे प्रति किलोवाट-घंटा हो गया।

 

नई दिल्ली। अगले माह होली त्योहार को देखते हुए मांग बढ़ने और विदेशी तेलों के महंगा होने से आयात में गिरावट के बीच भारतीय बाजार में तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों के दाम मजबूत बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में आयातित पाम-पामोलीन के दाम में वृद्धि हुई है जिससे पाम-पामोलीन का आयात कम हुआ है। जनवरी में खाद्य तेलों का आयात 10 लाख सात हजार टन का हुआ था, जिसके फरवरी में घटकर 9.5 लाख टन रहने की संभावना है। आयातित तेल की कमी को पूरा करने की स्थिति में न तो सरसों है न ही बिनौला। ऐसे में त्योहारों के मद्देनजर सरकार को देखना होगा कि आयात की कमी को कैसे पूरा किया जायेगा। उन्होंने कहा कि बीते सप्ताह से पहले आयात होने वाले जिस सोयाबीन डीगम तेल का दाम 1,175-1,180 डॉलर प्रति टन था वह बीते सप्ताह बढ़कर 1,195-1,200 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी प्रकार पहले जिस सीपीओ का दाम 1,185-1,190 डॉलर प्रति टन था वह बढ़कर बीते सप्ताह 1,200-1,205 डॉलर प्रति टन हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 5-5 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,280-4,330 रुपये और 3,980-4,080 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। इसी तरह सोयाबीन दिल्ली एवं सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम क्रमश: 350 रुपये, 300 रुपये और 250 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 14,350 रुपये, 13,950 रुपये और 10,250 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली तिलहन का भाव 175 रुपये की तेजी के साथ 5,650-5,975 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव क्रमश: 200 रुपये और 45 रुपये के सुधार के साथ 14,400 रुपये और 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 400 रुपये सुधरकर 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 250 रुपये मजबूत होकर 14,950 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 13,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।मजबूती के आम रुख के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल 400 रुपये की तेजी के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

 


नई दिल्ली। टाटा स्टील के शेयर शुक्रवार को कारोबार के दौरान फोकस में हैं। कंपनी के शेयर 2 फीसदी से बढ़कर 140.40 रुपए के इंट्रा डे हाई पर पहुंच गए। शेयरों में इस उछाल के पीछे टाटा स्टील ने टी स्टील होल्डिंग्स पीटीई लिमिटेड के 191 करोड़ से ज्यादा इक्विटी शेयर 30 करोड़ डॉलर यानी 2,603.16 करोड़ रुपए में खरीदे हैं। टी स्टील होल्डिंग्स पीटीई लिमिटेड (टीएसएचपी) घरेलू इस्पात कंपनी टाटा स्टील की सिंगापुर स्थित इकाई है।
टाटा स्टील ने एक नियामकीय सूचना में कहा कि कंपनी ने 20 फरवरी को टी स्टील होल्डिंग्स पीटीई लिमिटेड (टीएसएचपी) में प्रत्येक 0.157 डॉलर फेस वैल्यू वाले 1,91,08,28,025 साधारण इक्विटी शेयरों का अधिग्रहण किया है, जो कुल मिलाकर 30 करोड़ डॉलर का है। इस अधिग्रहण के बाद, टीएसएचपी, कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सब्सिडियरी कंपनी बनी रहेगी।
टाटा स्टील के शेयरों का 52 वीक हाई प्राइस 184.60 रुपए और 52 वीक लो प्राइस 122.60 रुपए है। इसका मार्केट कैप 1,74,643 रुपए है। कंपनी के शेयर पिछले पांच कारोबारी दिन में 5 फीसदी और महीनेभर में 8 फीसदी चढ़ गए। इस साल अब तक इसमें केवल 1 फीसदी की तेजी आई है। छह महीने में यह शेयर 9 फीसदी और 1 साल में 4 फीसदी तक टूटा है। पांच साल में इसका 200 फीसदी से ज्यादा का है।
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान समेकित शुद्ध लाभ में सालाना आधार पर 36.37 फीसदी की गिरावट के साथ 326.64 करोड़ रुपए की गिरावट दर्ज की। एक साल पहले की समान अवधि में इसका शुद्ध लाभ 513.37 करोड़ रुपए रहा था। समेकित आधार पर कुल राजस्व चालू वित्त वर्ष में 3.01 फीसदी कम होकर 53,648.30 करोड़ रुपए रहा है।

नई दिल्ली । अमेरिकी उदयोगपति एलन मस्क की इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी टेस्ला इस साल के अंत तक भारत में अपने परिचालन की शुरुआत करने के लिए तैयार है। कंपनी टॉप-डाउन अप्रोच अपनाते हुए पहले महंगे मॉडल लॉन्च करेगी और बाद में किफायती इलेक्ट्रिक कारें बाजार में उतारेगी।
टेस्ला अपनी बर्लिन गीगाफैक्ट्री से पूरी तरह से असेंबल्ड मॉडल वाई को भारत में आयात करने की योजना बना रही है। यह इलेक्ट्रिक एसयूवी यूरोप में राइट-हैंड ड्राइव कॉन्फिगरेशन में निर्मित होती है। हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा घोषित नई आयात शुल्क संरचना के तहत हाई-एंड कारों पर शुल्क को 110 प्रतिशत से घटाकर 70 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके चलते टेस्ला मॉडल वाई की अनुमानित कीमत 60-70 लाख रुपये होगी। हालांकि, शंघाई में निर्मित राइट-हैंड-ड्राइव मॉडल 3 की भारत में जल्द एंट्री की संभावना कम है, क्योंकि चीनी कार आयात पर कुछ प्रतिबंध लागू हैं। औद्योगिक विशेषज्ञों के मुताबिक, वर्तमान में टेस्ला के वाहनों की भारत में स्थानीय असेंबली की कोई योजना नहीं है। हालांकि, भविष्य में परिस्थितियों के अनुसार इन योजनाओं में बदलाव हो सकता है। टेस्ला ने पहले ही पुणे में अपना कार्यालय स्थापित कर लिया है और अब मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) और दिल्ली की एरोसिटी में अपने पहले शोरूम के लिए उपयुक्त स्थानों की तलाश कर रही है।
कंपनी भारत में अपने संचालन को मजबूत करने के लिए विभिन्न पदों पर भर्ती कर रही है। टेस्ला ने बिजनेस ऑपरेशन एनालिस्ट, सर्विस टेक्नीशियन, कस्टमर एंगेजमेंट मैनेजर और ऑर्डर ऑपरेशंस स्पेशलिस्ट सहित कम से कम 13 नई भूमिकाओं के लिए विज्ञापन जारी किया है। ये भर्तियां मुख्य रूप से मुंबई और दिल्ली में की जा रही हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से मुलाकात की थी। इस दौरान स्पेस, मोबिलिटी, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। एलन मस्क ने भारतीय बाजार के लिए अधिक किफायती टेस्ला मॉडल विकसित करने की इच्छा जताई है।

टाटा मोटर्स के शेयर टेस्ला के साथ पार्टनरशिप के कारण फोकस में है. कैलिफोर्निया स्थित एलन मस्क कंपनी महाराष्ट्र में अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है. बता दें, कि कंपनी कथित तौर पर साझेदारी के लिए टाटा मोटर्स के संपर्क में है. अभी 3:30 बजे के आस-पास BSE पर टाटा मोटर्स का शेयर 1.09% की बढ़ोतरी के साथ 688.40 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

CLSA ने Tata Motors की रेटिंग को अपग्रेड किया
इसके अलावा, शेयर की कीमत पर ध्यान केंद्रित करने का दूसरा प्रमुख कारण सीएलएसए से अपग्रेड ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने टाटा मोटर्स को आउटपरफॉर्म से हाई-कॉन्विक्शन आउटपरफॉर्म में अपग्रेड किया है. इसका टारगेट प्राइस 930 रुपये है. इस रेटिंग अपग्रेड के बाद टाटा मोटर्स का शेयर मूल्य इंट्राडे में 1.3% बढ़कर 690.95 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. जेएलआर का मौजूदा शेयर प्राइस 320 रुपये प्रति इक्विटी शेयर 450 रुपये के टारगेट प्राइस से 29% दूर है। इसके अलावा, यह अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और उम्मीद से कमजोर मांग और मार्जिन के प्रभाव के खिलाफ पर्याप्त राहत देता है।

तीसरी तिमाही में Tata Motors का प्रदर्शन
तीसरी तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 22% गिरकर 5,451 करोड़ रुपये हो गया. हालांकि, यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पोस्ट किए गए 3,343 करोड़ रुपये से क्रमिक रूप से 63% अधिक था. परिचालन से राजस्व सालाना 3% बढ़कर 1.13 लाख करोड़ रुपये हो गया. Q3 FY25 में EBITDA या ऑपरेटिंग प्रॉफिट 15,500 करोड़ रुपये था.

Tata Motors Share Price History
बता दें, कि टाटा मोटर्स के शेयर पिछले 6 महीने में 36.43 प्रतिशत गिरा है. पिछले एक महीने में टाटा मोटर्स के शेयरों में करीब 10.77 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है.वहीं, पिछले एक साल में टाटा मोटर्स के शेयर 25.43 प्रतिशत गिरा है. कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का हाई लेवल 1,179.05 रुपये है. वहीं, कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का लो लेवल 667.00 रुपये है.


AI:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI को लेकर पहले से ही एक धारणा चली आ रही है कि भविष्य में इसकी वजह से कई लोगों की नौकरियां जाने वाली हैं. नौकरियों के साथ-साथ ऑफिसों में मौजूद कुछ पद तो पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे.अब इसी डर को और बल देने के लिए डॉयचे बैंक के चीफ टेक्नोलॉजी, डेटा और इनोवेशन ऑफिसर, बेरेंड ल्यूकर्ट का एक बयान सामने आया है. उन्होंने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि AI और जेनरेटिव AI (ZEN AI) की वजह से बैंकिंग सेक्टर में 30 से 40 फीसदी नौकरियां बदल जाएंगी, और कुछ तो पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी. यह बयान उन्होंने बेंगलुरु में आयोजित 'बैंक ऑन टेक' इवेंट के दौरान दिया.

बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए AI जरूरी

बेरेंड ल्यूकर्ट ने इस इवेंट में भारत के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि डॉयचे बैंक के टेक सप्लाई चेन में भारत एक अहम कड़ी है. उन्होंने कहा कि कोविड के बाद हमने फैसला किया कि हम उन जगहों पर जाएंगे जहां टैलेंट है. भारत टैलेंट का एक बड़ा स्रोत है. यही वजह है कि पिछले एक दशक में हमने टेक में 8,500 लोगों को हायर किया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बैंकिंग एक हाईली रेगुलेटेड सेक्टर है और AI को लेकर अभी भी कई बहसें चल रही हैं. ल्यूकर्ट ने माना कि AI को अपनाने में कई चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा, "AI के रिजल्ट्स हमेशा पूर्वानुमानित नहीं होते. वहीं, रेगुलेटर्स एक रूल-बेस्ड सिस्टम चाहते हैं ताकि वे आसानी से ऑडिट और ओवरसीट कर सकें." हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए AI को अपनाना जरूरी है.

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