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टाटा मोटर्स के शेयर टेस्ला के साथ पार्टनरशिप के कारण फोकस में है. कैलिफोर्निया स्थित एलन मस्क कंपनी महाराष्ट्र में अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है. बता दें, कि कंपनी कथित तौर पर साझेदारी के लिए टाटा मोटर्स के संपर्क में है. अभी 3:30 बजे के आस-पास BSE पर टाटा मोटर्स का शेयर 1.09% की बढ़ोतरी के साथ 688.40 रुपये पर ट्रेड कर रहा है.

CLSA ने Tata Motors की रेटिंग को अपग्रेड किया
इसके अलावा, शेयर की कीमत पर ध्यान केंद्रित करने का दूसरा प्रमुख कारण सीएलएसए से अपग्रेड ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए ने टाटा मोटर्स को आउटपरफॉर्म से हाई-कॉन्विक्शन आउटपरफॉर्म में अपग्रेड किया है. इसका टारगेट प्राइस 930 रुपये है. इस रेटिंग अपग्रेड के बाद टाटा मोटर्स का शेयर मूल्य इंट्राडे में 1.3% बढ़कर 690.95 रुपये के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. जेएलआर का मौजूदा शेयर प्राइस 320 रुपये प्रति इक्विटी शेयर 450 रुपये के टारगेट प्राइस से 29% दूर है। इसके अलावा, यह अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और उम्मीद से कमजोर मांग और मार्जिन के प्रभाव के खिलाफ पर्याप्त राहत देता है।

तीसरी तिमाही में Tata Motors का प्रदर्शन
तीसरी तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 22% गिरकर 5,451 करोड़ रुपये हो गया. हालांकि, यह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पोस्ट किए गए 3,343 करोड़ रुपये से क्रमिक रूप से 63% अधिक था. परिचालन से राजस्व सालाना 3% बढ़कर 1.13 लाख करोड़ रुपये हो गया. Q3 FY25 में EBITDA या ऑपरेटिंग प्रॉफिट 15,500 करोड़ रुपये था.

Tata Motors Share Price History
बता दें, कि टाटा मोटर्स के शेयर पिछले 6 महीने में 36.43 प्रतिशत गिरा है. पिछले एक महीने में टाटा मोटर्स के शेयरों में करीब 10.77 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है.वहीं, पिछले एक साल में टाटा मोटर्स के शेयर 25.43 प्रतिशत गिरा है. कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का हाई लेवल 1,179.05 रुपये है. वहीं, कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का लो लेवल 667.00 रुपये है.


AI:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI को लेकर पहले से ही एक धारणा चली आ रही है कि भविष्य में इसकी वजह से कई लोगों की नौकरियां जाने वाली हैं. नौकरियों के साथ-साथ ऑफिसों में मौजूद कुछ पद तो पूरी तरह से खत्म हो जाएंगे.अब इसी डर को और बल देने के लिए डॉयचे बैंक के चीफ टेक्नोलॉजी, डेटा और इनोवेशन ऑफिसर, बेरेंड ल्यूकर्ट का एक बयान सामने आया है. उन्होंने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि AI और जेनरेटिव AI (ZEN AI) की वजह से बैंकिंग सेक्टर में 30 से 40 फीसदी नौकरियां बदल जाएंगी, और कुछ तो पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी. यह बयान उन्होंने बेंगलुरु में आयोजित 'बैंक ऑन टेक' इवेंट के दौरान दिया.

बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए AI जरूरी

बेरेंड ल्यूकर्ट ने इस इवेंट में भारत के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि डॉयचे बैंक के टेक सप्लाई चेन में भारत एक अहम कड़ी है. उन्होंने कहा कि कोविड के बाद हमने फैसला किया कि हम उन जगहों पर जाएंगे जहां टैलेंट है. भारत टैलेंट का एक बड़ा स्रोत है. यही वजह है कि पिछले एक दशक में हमने टेक में 8,500 लोगों को हायर किया है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बैंकिंग एक हाईली रेगुलेटेड सेक्टर है और AI को लेकर अभी भी कई बहसें चल रही हैं. ल्यूकर्ट ने माना कि AI को अपनाने में कई चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा, "AI के रिजल्ट्स हमेशा पूर्वानुमानित नहीं होते. वहीं, रेगुलेटर्स एक रूल-बेस्ड सिस्टम चाहते हैं ताकि वे आसानी से ऑडिट और ओवरसीट कर सकें." हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए AI को अपनाना जरूरी है.

RBI रिपोर्ट: डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ (Tariffs) धमकियों के चलते पूरी दुनिया में ट्रेड वॉर (Trade War) की स्थिति बन गई है. इसके अलावा, भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालकर विदेशी निवेशक चीन समेत दूसरे बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं. हालांकि, इसके बाद भी देश की बढ़ती इकोनॉमी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा.

दरअसल, RBI के लेटेस्ट मंथली बुलेटिन के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेज ग्रोथ वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. इसमें सस्टेनेड ग्रोथ मोमेंटम और स्ट्रैटेजिक फिस्कल मेजर्स का अहम योगदान होगा

रिपोर्ट में क्या है?

आरबीआई ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा है कि 2025-26 में भारत की GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी से 6.7 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है. ग्लोबल अनसर्टेन्टी के बावजूद, हाई-फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर्स दिखा रहे हैं कि 2024-25 की दूसरी छमाही में इकोनॉमिक एक्टिविटी में सुधार होगा, जो आगे भी जारी रहेगा.

फिस्कल कंसॉलिडेशन और केपेक्स ग्रोथ

आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनियन बजट 2025-26 ने फिस्कल कंसॉलिडेशन और ग्रोथ ऑब्जेक्टिव्स के बीच बैलेंस बनाया है. इसमें केपिटल एक्सपेंडिचर पर फोकस रखते हुए हाउसहोल्ड इनकम और कंजप्शन को बढ़ावा देने के उपाय किए गए हैं. 2025-26 में Capex-to-GDP अनुपात 4.3 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है, जो 2024-25 के रिवाइज्ड एस्टिमेट्स में 4.1 फीसदी था.


RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को 91 और 182 दिनों के ट्रेजरी बिल्स (T-bills) की नीलामी में कोई बोली स्वीकार नहीं की. यह कदम देश के बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी (कैश क्रंच) के बीच उठाया गया है. RBI ने एक बयान में कहा कि उसने 26,000 करोड़ करोड़ लगभग 3 बिलियन डॉलर की बिक्री के लिए आई बोलियों को खारिज कर दिया. हालांकि, उसने 7,000 करोड़ के 364-दिनों के ट्रेजरी बिल्स 6.5638 फीसदी की दर पर बेचे.

बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी

भारत की बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी (नकदी) की स्थिति अभी भी गंभीर रूप से डेफिसिट में है, भले ही RBI ने हाल ही में कैश इंजेक्शन के कदम उठाए हों. लेकिन, ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के एक इंडेक्स के मुताबिक, बैंकों ने बुधवार तक केंद्रीय बैंक से लगभग 2 लाख करोड़ उधार लिए हैं.

RBI के लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय

पिछले महीने के अंत से, RBI ने तीन ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMOs) के जरिए सिस्टम में 1 लाख करोड़ जोड़े हैं. इसके अलावा, उसने फॉरेक्स स्वैप के जरिए 5 बिलियन डॉलर के बराबर लिक्विडिटी इंजेक्ट की है और लॉन्ग टर्म के टी-बिल्स का वेरिएबल रेपो ऑक्शन्स भी कर रहा है. वहीं, गुरुवार को टी-बिल्स की बिक्री के नतीजों के बाद, 5-वर्षीय बॉन्ड 6.65 फीसदी पर स्थिर रहा.

RBI का पिछला कदम

मई में, RBI ने ट्रेजरी बिल्स के जरिए सरकार के लिए कम उधारी की घोषणा की थी. यह कदम सरकार को एक बड़ा डिविडेंड ट्रांसफर करने से कुछ दिन पहले उठाया गया था. सरकार को यह भुगतान आमतौर पर समय के साथ बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी को बेहतर बनाता है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे तेज ग्रोथ बना रहेगा

RBI के लेटेस्ट मंथली बुलेटिन के मुताबिक, भारत की अर्थव्यवस्था 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेज ग्रोथ वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रहेगी. आरबीआई ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक के अनुमानों का हवाला देते हुए कहा है कि 2025-26 में भारत की GDP ग्रोथ 6.5 फीसदी से 6.7 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है. ग्लोबल अनसर्टेन्टी के बावजूद, हाई-फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर्स दिखा रहे हैं कि 2024-25 की दूसरी छमाही में इकोनॉमिक एक्टिविटी में सुधार होगा, जो आगे भी जारी रहेगा.

 


BYD India: मार्केट में अपनी एक और नई कार को लॉन्च कर दिया है. कंपनी ने मार्केट में BYD Sealion 7 को पेश कर दिया है. कंपनी ने इस कार को 2 वेरिएंट में पेश किया है. इसमें ग्राहकों को प्रीमियम और परफॉर्मेंस वेरिएंट का ऑप्शन मिलता है. BYD SEALION 7 Pure Performance एक इलेक्ट्रिक एसयूवी है, जिसे भारत मोबिलिटी ग्लोबल ऑटो एक्सपो में पेश किया गया था. एक महीने पहले कंपनी ने इस कार की बुकिंग को खोला था और अबतक इस कार की 1000 से ज्यादा यूनिट्स के लिए बुकिंग आ चुकी है. इस कार की शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत 48.90 लाख रुपए है और टॉप वेरिएंट की कीमत 54.90 लाख रुपए है.

BYD Sealion 7 की परफॉर्मेंस
इस कार में 82.56 kWh का बैटरी पैक मिलेगा. इस कार को प्रीमियम और परफॉर्मेंस वेरिएंट में पेश किया जाएगा. 4.5 सेकंड में ये कार 0-100 km/h की स्पीड पकड़ लेती है. सिंगल चार्ज पर ये कार 567 किलोमीटर तक की रेंज दे सकती है. पावर की बात करें तो कार में दी गई मोटर 390 kW की मैक्सिमम पावर और 690 Nm का मैक्सिमम टॉर्क जनरेट करती है. हालांकि प्रीमियम वेरिएंट की पावर 230 kW और 380 Nm का टॉर्क है. डायमेंशन की बात करें तो इसकी लंबाई 4,830 एमएम है. व्हीलबेस 2,930 mm है.

BYD Sealion 7 का डिजाइन
इस कार के डिजाइन की बात करें तो इसमें स्लीक फीचर्स दिए गए हैं. एयरोडायनैमिक प्रोफाइल और ‘OCEAN X’ फ्रंट स्टाइलिंग दी गई है. कार में 15.6 इंच का रोटेटिंग टचस्क्रीन दिया गया है. लेदरैट सीट्स, 128 कलर एंबियंट लाइटिंग ऑप्शन्स दिए गए हैं. इसके अलावा इलेक्ट्रिक सनशेड के साथ पैनारॉमिक ग्लासरूफ, हेड्स-अप डिस्प्ले जैसे फीचर्स दिए हैं. इसके अलावा कार में VTOL (Vehicle to Load) जैसा फीचर भी दिया है.

7 किलोवॉट का फ्री चार्जर
कंपनी ने जानकारी दी कि भारतीय ग्राहकों के लिए BYD कॉम्पलिमेंट्री 7 किलोवॉट का चार्जर भी दे रहा है. इसमें लोकेशन पर इंस्टॉलेशन भी शामिल है. ये कार 6 साल रोड साइड असिस्टेंस के साथ आती है. इसके अलावा ग्राहकों को 6-year/150,000 किमी का भी फायदा मिलेगा.

 

सेक्टर: फ्यूचर सेक्टर देखा जा रहा है। दुनिया की कई कंपनियां भारत में अपार संभावनाएं देख रही हैं। दुनिया को अक्टूबर में पहली ‘मेड इन इंडिया’ चिप मिल जाएगी। इसके उलट सेमीकंडक्टर स्टॉक्स में गिरावट देखी जा रही है। ऐसे ही एक शेयर में सोमवार को लोअर सर्किट लग गया।सोमवार को RIR Power Electronics Ltd के शेयर में 5 फीसदी की लोअर सर्किट लगा। इस गिरावट के साथ यह शेयर 1897.35 रुपये पर बंद हुआ। यह पहली बार नहीं है जब इस शेयर में गिरावट आई है। इससे पहले भी इसमें लोअर सर्किट लग चुका है। यह तब है जब इस शेयर ने गिरावट से पहले 6 महीने में ही निवेशकों की रकम को करीब 6 गुना कर दिया था।

कभी भर दी थी झोली
इस शेयर ने एक समय निवेशकों की झोली भर दी थी। मात्र 6 महीने में ही इसने निवेश को करीब 6 गुना से ज्यादा कर दिया था। पिछले साल 25 सितंबर को यह शेयर अपने ऑल टाइम हाई 4878 रुपये पर था। इससे 6 महीने पहले मार्च में इसकी कीमत करीब 838 रुपये थी। ऐसे में इन 6 महीनों में इसने निवेशकों को 480 फीसदी से ज्यादा रिटर्न दिया था। यानी इन 6 महीनों में इसने एक लाख रुपये के करीब 6 लाख रुपये कर दिए थे।

5 महीने में 50% से ज्यादा गिरावट
RIR के शेयर में 5 महीने में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। यानी ऑल टाइम हाई से इसकी कीमत आधी भी नहीं बची है। इसकी ऑल टाइम हाई कीमत जहां 4878 रुपये थी, वहीं अब करीब 1897 रुपये है। ऐसे में इसमें इन 5 महीनों में 61 फीसदी की गिरावट आई है।


कितना है कंपनी का मार्केट कैप?

बीएसई की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक कंपनी का मार्केट कैप करीब 1456 करोड़ रुपये है। कंपनी का हेडक्वॉर्टर मुंबई में है। कंपनी पावर इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में इनोवेशन के लिए जानी जाती है। कंपनी कई तरह की सेमीकंडक्टर डिवाइस, सेमीकंडक्टर मॉड्यूल आदि बिजनेस से भी जुड़ी है।

 


Vivo V50 Launch, Price, Features: चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी वीवो ने अपना नया स्मार्टफोन, Vivo V50, भारत में लॉन्च कर दिया है. यह वीवो V40 का नया वर्जन है, जो सिर्फ पांच हीने पहले आया था. नए फोन में पुराने मॉडल जैसे कई फीचर्स हैं, लेकिन कुछ सुधार भी किए गए हैं. इस स्मार्टफोन का डिजाइन V40 जैसा ही है, लेकिन नए कलर वेरिएंट-टाइटेनियम ग्रे, रोज रेड और स्टारी नाईट में मिलेगा. स्मार्टफोन की प्री-ऑर्डर बुकिंग शुरू हो चुकी है, और पहली सेल 25 फरवरी को होगी. आप इसे फ्लिपकार्ट, वीवो स्टोर्स और दूसरी दुकानों से खरीद सकते हैं.

6.78 इंच डिस्प्ले, स्नैपड्रैगन 7 जेन 3 प्रोसेसर से लैस
Vivo V50 की स्क्रीन 6.78 इंच की है, जो 120Hz रिफ्रेश रेट के साथ आती है. स्मार्टफोन में डायमंड शील्ड ग्लास प्रोटेक्शन से लैस क्वाड कर्व्ड डिस्प्ले मिलता है. पानी से बचाव के लिए IP68 और IP69 रेटिंग भी है. Vivo का ये नया स्मार्टफोन स्नैपड्रैगन 7 जेन 3 प्रोसेसर से लैस है. साथ ही ये लेटेस्ट Android 15 पर आधारित Funtoch 15 ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है. इसमें 6,000mAh की बैटरी है, जो 90W चार्जिंग को सपोर्ट करती है.

50 MP रियर और 50 MP सेल्फी कैमरा
कैमरा फीचर्स की बात करें तो इसमें 50-मेगापिक्सल का मेन कैमरा और 50 MP का अल्ट्रा वाइड एंगल कैमरा भी है. स्मार्टफोन में 4K वीडियो रिकॉर्ड की जा सकती है. सेल्फी के लिए भी 50-मेगापिक्सल का कैमरा है. इसमें सर्किल टू सर्च, AI ट्रांसक्रिप्ट और AI लाइव कॉल ट्रांसलेशन जैसे AI फीचर्स भी हैं. ये 12GB तक रैम और 512GB तक स्टोरेज के साथ आता है. इसका पीछे का हिस्सा ग्लास का है और यह V40 से पतला है. इसकी मोटाई 7.39mm है और वजन 199 ग्राम है.

Vivo V50 की कीमत और ऑफर्स
वीवो V50 के 8GB+128GB स्टोरेज वाले मॉडल की कीमत 34,999 रुपये है. वहीं, 8GB+256GB वाला मॉडल 36,999 रुपये में मिलेगा. इसके अलावा 12GB+512GB स्टोरेज वेरिएंट की कीमत 40,999 रुपए है. HDFC, ICICI और SBI बैंक के क्रेडिट कार्ड से खरीदने पर 2,000 रुपये की छूट मिलेगी. साथ ही, 6 महीने तक बिना ब्याज वाली EMI का भी ऑप्शन है.


सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 16 पैसे की गिरावट के साथ 86.87 पर बंद हुआ, जो भारी विदेशी पूंजी निकासी और डॉलर इंडेक्स में सुधार का नतीजा था। पिछले कुछ दिनों से रुपया नकारात्मक रुख में था और इसका मुख्य कारण वैश्विक बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता और विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की मांग थी।

विदेशी बैंकों का दबाव

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, विदेशी बैंकों द्वारा डॉलर की खरीद बढ़ी है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा है। इसके साथ ही आयातक भी डॉलर को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें आने वाले समय में रुपये के और कमजोर होने का डर सता रहा है। इस बढ़ती अनिश्चितता के बीच रुपये में कमजोरी का रुख देखने को मिल रहा है।

शेयर बाजार का असर

रुपये की कमजोरी का एक बड़ा कारण घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट भी है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे बाजार में अतिरिक्त दबाव बन रहा है। पिछले शुक्रवार को एफआईआई ने 4,294.69 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो रुपये की कमजोरी का एक और कारण साबित हुआ।

12 फरवरी को जनवरी महीने के रिटेल महंगाई दर के आंकडे जारी होंगे। एक्सपर्ट्स के अनुसार इस महीने महंगाई में गिरावट देखने को मिल सकती है। इससे पहले दिसंबर में महंगाई घटकर 5.22% हो गई थी। वहीं नवंबर में महंगाई दर 5.48% पर थी।

कैसे प्रभावित करती है? महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
<em>महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है? महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

CPI से तय होती है महंगाई एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।

अमेरिकी: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के एक बड़े फैसले ने भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडानी के लिए राहत का रास्ता खोल दिया है. ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन किए, जिसके तहत अमेरिकी न्याय विभाग को उन अमेरिकियों के खिलाफ मुकदमे रोकने का निर्देश दिया गया है, जो विदेशों में व्यापार करने के दौरान विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपी थे. इस फैसले ने 1977 में लागू किए गए विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम के प्रभाव को निलंबित कर दिया, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता था.यह कदम खासतौर से भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके खिलाफ पिछली बाइडेन सरकार ने FCPA के तहत कार्रवाई शुरू की थी. अडानी ग्रुप पर आरोप था कि उसके अधिकारियों ने भारत में सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए 250 मिलियन (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी थी, हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को कड़े शब्दों में खारिज कर दिया था|

ट्रंप ने क्या कहा

राष्ट्रपति ट्रंप ने FCPA को "भयानक" और "आपदा" बताते हुए कहा कि यह कानून कागज पर अच्छा लगता है, लेकिन वास्तविकता में यह अमेरिकी कंपनियों के लिए व्यापार को मुश्किल बना देता है. उनका मानना था कि इस कानून के कारण अमेरिकी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कंपटीशन में भारी नुकसान होता है. ट्रंप ने इसे "जिम्मी कार्टर कॉन्सेप्ट" करार देते हुए कहा कि इससे कोई भी अमेरिकी कंपनी विदेशी बाजारों में व्यापार करने में हिचकिचाती है, क्योंकि उन्हें हमेशा जांच और अभियोग का डर बना रहता है|

व्हाइट हाउस का तर्क और प्रभाव

व्हाइट हाउस का कहना था कि FCPA के अत्यधिक प्रवर्तन से अमेरिकी कंपनियों की वैश्विक कंपटीशन कमजोर हो रही थी. उनका मानना था कि FCPA के कठोर प्रावधान अमेरिकी व्यवसायों को अंतरराष्ट्रीय कंपीटीटर्स के मुकाबले असमान स्थिति में डाल रहे थे. ट्रंप प्रशासन ने इस फैसले से अमेरिकी कंपनियों को अपने प्रतिस्पर्धी देशों के समान व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाने का रास्ता खोला है|

अडानी ग्रुप को मिली राहत

ट्रंप के इस फैसले से अडानी ग्रुप के लिए बड़ी राहत मिली है. FCPA के तहत आरोपों से न केवल अडानी ग्रुप को न्याय की संभावना मिली है, बल्कि उनके शेयरों में भी उछाल आया है. मंगलवार को अडानी एंटरप्राइजेज के शेयरों में 4.28 फीसदी की तेजी देखी गई की गई, जबकि अडानी पावर के शेयर 4.17 फीसदी बढ़कर 511.90 रुपये पर पहुंच गए. अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में भी बढ़ोतरी हुई है|

अमेरिकी सांसदों का रुख

इस फैसले पर अमेरिकी सांसदों की प्रतिक्रिया भी मिली-जुली रही. कुछ सांसदों ने बाइडेन प्रशासन की कार्रवाई की आलोचना की और इसे अमेरिका-भारत के बीच रणनीतिक साझेदारी के लिए हानिकारक बताया. उन्होंने इसे "गलत निर्णय" करार दिया और कहा कि यह केवल भारत के आंतरिक मामलों से जुड़ा था, जबकि अमेरिका को इससे कोई सीधा नुकसान नहीं था|

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