ईश्वर दुबे
संपादक - न्यूज़ क्रिएशन
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न्यूज़ क्रिएशन : इस साल 5 जुलाई को बजट पेश होने के बाद भारतीय शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट आई है। इससे बेंचमार्क सूचकांक अपने अहम लेवल से नीचे आ गए हैं। सेंसेक्स टूटकर 37,000 से नीचे आ गया और निफ्टी 50 भी 10,900 के लेवल से अभी नीचे है।
2 अगस्त तक जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, निवेशकों का वेल्थ 11 लाख करोड़ रुपए तक घट गया। BSE की लिस्टेड कंपनियों का एवरेज मार्केट कैपिटलाइजेशन 2 अगस्त 2019 को घटकर 139.98 लाख करोड़ हो गया। यह 5 अगस्त 2019 को 151.35 लाख करोड़ रुपए था।
भारतीय शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट के लिए घरेलू और वैश्किव दोनों वजहें अहम हैं। घरेलू मोर्चे पर देखें तो बजट में फॉरेन इनवेस्टर्स पर टैक्स सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिससे बिकवाली शुरू हो गई। इसके अलावा कंपनियों के कमजोर नतीजों और सामान्य से कमजोर मॉनसून के कारण भी हालात बिगड़े हैं। वैश्विक कारणों में देखें तो अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर से बाजार परेशान है।
भारतीय शेयर बाजार फिलहाल अपने 5 महीने के निचले लेवल पर हैं। ऐसे में आप अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं। ऐसी कई ब्लूचिप कंपनियां है जिनमें डबल डिजिट में गिरावट आई है। ऐसे में आप सही शेयरों का चयन करके अपना पोर्फफोलियो बेहतर बना सकते हैं।
अगर आप अभी निवेश कर रहे हैं तो कम से कम 5 साल तक उसमें बने रहे। फिलिप कैपिटल के हिसाब से जिन शेयरों में आपको निवेश करना चाहिए वो ये हैं।
ब्रोकरेज फर्म-फिलिप कैपिटल
HDFC Bank
ICICI Bank
Axis Bank
SBI
TCS
Infosys
HUL
Marico
Asian Paints
Jubilant FoodWorks
Bajaj Electrical
Somany Ceremics
L&T
UltraTech Cement
JK Cement
Container Corp
NCC
PNC Infra
Divis Lab
Biocon
Aarti Industries
ब्रोकरेज फर्म- कोटक सिक्योरिटीज
Engineera India
Equitas Holdings
ITC
ONGC
SBI
Welspun Corp
ब्रोकरेज फर्म- एमके ग्लोबल
Cipla
Divis Lab
HDFC Bank
HDFC Ltd
ICICI Bank
ICICI pru Life
L&T
Marico
NTPC
Tata Steel
United Breweries
कोटक सिक्योरिटीज ने अपने नोट में कहा है कि मेरे हिसाब से लार्जकैप शेयरों के बजाय मिड-स्मॉलकैप में निवेश से ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इससे पहले 2014-17 के बीच मिडकैप ने एब्सॉल्यूट 70 फीसदी का रिटर्न दिया था।
News Creation :
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News Creation : अमेरिकी फेड की बैठक से पहले भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बड़ी गिरावट देखने को मिली. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं. सेंसेक्स 200 अंकों से ज्यादा टूटकर 37,182 के स्तर पर है. वहीं निफ्टी भी 52 अंकों की गिरावट के साथ 11,033 के स्तर पर कारोबार करता दिखा. शुरुआती कारोबार में पीएसयू बैंक इंडेक्स को छोड़कर निफ्टी पर सभी प्रमुख इंडेक्स लाल निशान में कारोबार करते देखे गए. आईटी और एफएमसीजी इंडेक्स में सबसे ज्यादा गिरावट है.
शुरुआती कारोबार में शेयर का हाल
शुरुआती कारोबार के दौरान टेक महिंद्रा के शेयर 4 फीसदी तक टूट गए. इसी तरह एक्सिस बैंक के शेयर 2.60 फीसदी लुढ़क गए. वहीं एचसीएल, इन्फोसिस, टीसीएस और आईटीसी के शेयर भी लाल निशान पर कारोबार करते देखे गए. बढ़त वाले शेयरों की बात करें तो यस बैंक में 3 फीसदी की तेजी रही. जबकि इंडसइंड बैंक के शेयर भी 2 फीसदी से अधिक बढ़त के साथ कारोबार करते देखे गए.
इस बीच, बुधवार को रुपये में कमजोरी के साथ शुरुआत हुई. डॉलर के मुकाबले रुपया 3 पैसे की कमजोरी के साथ 68.89 रुपये के स्तर पर खुला. बता दें कि मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की कमजोरी के साथ 68.86 रुपये के स्तर पर बंद हुआ.
बता दें कि मंगलवार को सेंसेक्स 289.13 अंकों की गिरावट के साथ 37,397.24 पर और निफ्टी 103.80 अंकों की गिरावट के साथ 11,085.40 पर बंद हुआ. दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 37,950.21 के ऊपरी स्तर और 37,359.03 के निचले स्तर को छुआ. वहीं दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 11,267.45 के ऊपरी और 11,072.65 के निचले स्तर तक पहुंच गया.
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बिज़नेस : आनें वाले कुछ साल भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक बड़ा मार्के टी बनने वाला है, जी हाँ, दरअसल केंद्र सरकार इन प्रोजेक्ट्स में खासी रुझान दिखा रही है. मतलब अब भारत की सड़कों पर बहुत जल्दी इलेक्ट्रिक कारें ही दौड़ती हुई नज़र आनें वालीं हैं. इसी बिच भारत सरकार के आम बजट में भी इलेक्ट्रिक करों को ले कर कुछ बड़े ऐलान भी किये गये हैं. सरकार की इसी रुझान को देखते हुए कार निर्माता कम्पनियां भी अब अपना ध्यान इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण में लगा रहीं है.
वहीँ सरकार नें भी ऐसी कंपनियां जो इलेक्ट्रिक कारो का निर्माण कर रहीं हैं उन्हें सरकार की तरफ से हर संभव मदद देनें का भी विश्वास दिला रहीं है.
MG eZS
MG HACTOR को भारत में पिछले 4 जून से काफी अच्छा फीड बेक मिल रहा है. इस नयी SUV की बुकिंग 4 जून को शुरू हुई थी, 45 kWh बैटरी वाली ये कार भारतीय बाज़ार में दिसम्बर में लांच की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक इसकी किमर लगभग 25 लाख रूपए हो सकती है. और चार्ज पूरी करनें के बाद ये 300 किलोमीटर तक चलाई जा सकती है.
TATA Altroz EV
इलेक्ट्रिक कारों के इस लाइन में टाटा भी अपनी कार अल्ट्रोस ले कर आ रहा है. टाटा कम्पनी इसे अगले साल तक लांच करेगी. इसकी कीमत लगभग 10 लाख होगी. और पूरी चार्ज करनें के बाद ये कार 300 किलोमीटर तक चलेगी.
Mahindra eKUV100
भारत में हमेशा से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देनें वाली कम्पनी महिंद्रा भी अपनी कार eKUV100 लेकर आ रही है. इसकी कीमत लगभग 10 लाख रूपए हो सकती है, और ये चार्ज होनें के बाद 120 किलोमीटर तक चल सकती है. इस कार में 40 k.w. का एक मोटर और 15.9 k.w. की बैटरी लगी होगी. ये कार इस साल के अंत तक लांच हो सकती है.
Hyundai Kona :
इसी कड़ी में कार निर्माता कम्पनी Hyundai नें भारतीय बाज़ारों के लिए अपनी Hyundai kona नाम की इलेक्ट्रिक कार लंच कर दी है, जिसकी अभी कीमत लगभग 25 लाख 30 हज़ार राखी गयी है, कम्पनी में दावा किया है कि इस कार को एक बार पूरी तरह से चार्ज करके 452 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है. और ये SUV 9.7 सेकंड्स में ही 0 से लेकर 100 किलोमीटर की रफ़्तार पकड़ लेगी. इसके अलावा Hyundai और भी 5 इलेक्ट्रिक कारें बहुत जल्द भारतीय भाजारों में लांच करनें वाली है.
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आपके लिए-
मुंबई सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला बरकरार है. मंगलवार को सेंसेक्स की शुरुआत करीब 200 अंकों से ज्यादा की गिरावट के साथ हुई तो वहीं निफ्टी में भी 75 अंकों से ज्यादा की फिसलन दर्ज की गई. कारोबार के कुछ मिनटों में सेंसेक्स 38,500 के नीचे आ गया तो वहीं निफ्टी 11 हजार 490 के स्तर पर पहुंच गया. शुरुआती कारोबार में बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी, कोटक बैंक, टीसीएस और एशियन पेंट के शेयर 1 फीसदी से अधिक लुढ़क गए. हालांकि यस बैंक, सनफार्मा, ओएनजीसी, हीरो मोटोकॉर्प और वेदांता के शेयर में तेजी रही.
सोमवार को साल की सबस बड़ी गिरावट
इससे पहले सोमवार को शेयर बाजार में साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स 792.82 अंकों यानी 2.01 फीसदी गिरावट के साथ 38 हजार 720 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी भी 252.55 अंकों यानी 2.14 फीसदी गिरावट के साथ 11 हजार 558 अंक पर आ गया. कारोबार के दौरान सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा लुढ़का और निफ्टी में भी 288 अंकों की गिरावट आई. आम बजट पेश होने के बाद दो दिन में सेंसेक्स करीब 1200 अंक लुढ़क गया. इस दौरान निवेशकों को 5 लाख करोड़ से अधिक की चपत लगने का अनुमान है. क्या है गिरावट की वजह मोदी सरकार के आम बजट में उम्मीद के मुताबिक ऐलान नहीं होने की वजह से शेयर बाजार में इतनी बड़ी गिरावट आई है. बाजार के जानकार बताते हैं कि सरकार द्वारा शेयर बायबैक पर टैक्स लगाने और लिस्टेड कंपनियों में न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग बढ़ाने की घोषणा से घरेलू निवेशकों में निराशा का माहौल बना है. दरअसल, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 का पूर्ण बजट लोकसभा में पेश करते हुए लिस्टेड कंपनियों में न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी करने का प्रस्ताव पेश किया. इसके अलावा, बायबैक पर 20 फीसदी टैक्स लगाने का भी प्रस्ताव किया गया है. इसके अलावा अमेरिका में पिछले सप्ताह जॉब डेटा मजबूत आने से अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में कटौती की संभावना कम होने से एशियाई बाजारों में नकरात्मक रुझान रहा.
जेट एयरवेज के बाद अब एयर इंडिया भी मुश्किल दौर से गुजर रही है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है। बता दें कि अक्टूबर के बाद से एयर इंडिया के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के भी पैसे नहीं होंगे।
एयर इंडिया से बाहर निकल सकती है सरकार
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार, सरकार एयर इंडिया से बाहर निकल सकती है। निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन (दीपम) के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने बताया कि अभी इसपर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। उनका मानना है कि, 'सरकार को निवेशक द्वारा कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने से कोई आपत्ति नहीं होगी।'
पहले भी एयर इंडिया को बेचना चाहती थी सरकार
बीते वर्ष भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी। लेकिन कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता के कारण सरकार ने इसे रोक दिया था। अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है।
नीति आयोग ने दिया था प्रस्ताव
कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था।
कंपनी के पास वेतन देने का भी पैसा नहीं
बता दें कि सरकार ने एयर इंडिया को सात हजार करोड़ रुपये की सॉवरन गारंटी दी थी, जिसमें से कंपनी के पास अब सिर्फ 2,500 करोड़ रुपये ही बचे हैं। इस राशि का इस्तेमाल वह जल्द कर लेगी।
इस काम के लिए होगा 2,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल
मामले से जुड़े एक अधिकारी का कहना था कि ये 2,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कंपनी तेल कंपनियों और हवाईअड्डों के संचालकों सहित विक्रेताओं का बकाया चुकाने और कुछ महीनों के लिए वेतन का भुगतान करने के लिए करेगी।
प्रति माह वेतन पर खर्च होते हैं 300 करोड़ रुपये
बता दें कि एयर इंडिया को एक महीने में 300 करोड़ रुपये कर्मचारियों को वेतन के रूप में देने होते हैं। इतना ही नहीं, मई माह में भी एयर इंडिया के कर्मचारियों को वेतन 10 दिनों की देरी से मिला था।
कंपनी को करना है 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान
दरअसल इस वित्त वर्ष एयर इंडिया 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान करने पर काम कर रही है। इसके लिए कंपनी ने सरकार से मदद मांगी है। हालांकि उसके स्वीकार होने की संभावना कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार इस कंपनी में 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।
अगले वित्त वर्ष तक कंपनी टाल सकती है आधे कर्ज का भुगतान
इस मामले पर एक अधिकारी का कहना है कि, 'कंपनी को जो कर्ज चुकाना था, उसमें से आधे का भुगतान वह अगले वित्त वर्ष के लिए टालने की कोशिश कर रही है।'