ईश्वर दुबे
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Bhilai
नई दिल्ली, बीजेपी ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री की घोषणा कर दी है। रेखा गुप्ता प्रदेश की अगली सीएम होंगी। ऐलान के बाद उन्होंने उपराज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है। रेखा गुप्ता रामलीला मैदान में एक भव्य समारोह में गुरुवार को मुख्यमंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ लेंगी। 26 साल बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार बन रही है।
दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसको लेकर लगातार अलग-अलग नामों पर चर्चा हो रही थी। लेकिन बीजेपी विधायक दल की बैठक में रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी। दिल्ली बीजेपी कार्यालय में 48 विधायकों ने विधानसभा में सदन की नेता को चुना, जो गुरुवार को मुख्यमंत्री बनेंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय अमेरिकी दौरे पर थे। इस दौरे के दौरान पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बड़े मुद्दों पर बातचीत की। इस पर खुशी जताते हुए कांग्रेस सांसद और लेखक शशि थरूर ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा लगता है कि बड़ी चिंताओं का समाधान हो गया है। उन्होंने यह भी कहा, "हमें F35 स्टील्थ विमान बेचने की प्रतिबद्धता बहुत मूल्यवान है।"
मीडिया से बातचीत
बेंगलुरू में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट (GIM) के दौरान मीडिया से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा, "रक्षा के मोर्चे पर, हमें F35 स्टील्थ विमान बेचने की प्रतिबद्धता बहुत मूल्यवान है। यह एक अत्याधुनिक विमान है और निश्चित रूप से, हमारे पास पहले से ही राफेल है, अब F35 के साथ, भारतीय वायु सेना बहुत अच्छी स्थिति में होगी।"
चिंताएं दूर हो गई हैं: शशि थरूर
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रेस बयान उत्साहजनक हैं। ऐसा लगता है कि हमारी कुछ बड़ी चिंताएं दूर हो गई हैं। उदाहरण के लिए, व्यापार और टैरिफ के सवाल पर उन्होंने बैठकर गंभीर बातचीत करने का फैसला किया है, जो इस साल सितंबर और अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा नतीजा है, क्योंकि ऐसी आशंका थी कि वाशिंगटन में जल्दबाजी में कुछ फैसले लिए जा सकते हैं, जिससे हमारे निर्यात पर असर पड़ेगा।"
अवैध अप्रवासी मामले में पीएम का समर्थन
थरूर ने अवैध अप्रवास के मुद्दे पर पीएम मोदी के रुख का समर्थन किया। लेकिन उन्होंने कहा कि इस बात पर चर्चा होनी चाहिए थी कि अमेरिका से निर्वासित भारतीय अप्रवासियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। थरूर ने निर्वासित भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां होने पर सवाल उठाए।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के बीच उनकी पत्नी के पाकिस्तान से कथित संबंधों को लेकर बहस शनिवार को भी जारी रही। असम के मुख्यमंत्री सरमा ने एक दिन पहले कहा था कि वह लोकसभा में कांग्रेस के विपक्ष के उपनेता के बयान पर स्पष्टीकरण चाहते हैं, "आईएसआई और रॉ एक साथ एक ही सदन में कैसे रह सकते हैं?"।
हिमंत बिस्वा सरमा ने पूछे ये सवाल
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हम किसी पर आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि कुछ तथ्य सामने आएं। मेरे कुछ सवाल हैं। पहला, क्या यह सच है या झूठ कि सांसद की पत्नी पाकिस्तान में काम करती थी? दूसरा, क्या उन्होंने भारतीय नागरिकता ली है या नहीं। तीसरा, क्या सांसद इस दौरान पाकिस्तान गए थे और क्या उन्होंने पाकिस्तानी राजदूत से मिलते समय विदेश मंत्रालय से अनुमति ली थी या नहीं। आईएसआई और रॉ एक ही सदन में कैसे रह सकते हैं? आईएसआई पाकिस्तान है और रॉ भारत है। उनका एक साथ रहना संभव नहीं है।"
नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत के बाद, पार्टी ने दिल्ली में ट्रिपल इंजन सरकार स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इस प्रयास के तहत, आम आदमी पार्टी (आप) के तीन मौजूदा पार्षदों ने बीजेपी की सदस्यता ले ली है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इन पार्षदों का पार्टी में स्वागत किया।
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष सचदेवा ने इन तीनों पार्षदों को औपचारिक रूप से पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस राजनैतिक घटनाक्रम दिल्ली की राजनीति में बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है, जिससे एमसीडी (नगर निगम) में भी बीजेपी के प्रभाव को मजबूती मिल सकती है। बीजेपी में शामिल हुए आप के जो पार्षद में एंड्रयूज गंज से पार्षद अनीता बसोया, आरके पुरम से पार्षद धर्मवीर और चपराना वार्ड 152 से पार्षद निखिल शामिल हैं। दिल्ली विधानसभा में जीत के बाद अब बीजेपी की नजर एमसीडी चुनाव पर भी हैं। बता दें कि इसी साल अप्रैल में दिल्ली नगर निगम के मेयर का चुनाव होना है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद अब एमसीडी में भी बीजेपी का पलड़ा भारी होगा।
दिग्विजय, सचिन पायलट और डीके शिवकुमार लगा चुके डुबकी
नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के द्वारा महाकुंभ को लेकर दिए बयान पर विवाद गहराया हुआ था। इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं ने पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगा ली। इसके बाद अब लोगों की नजर गांधी परिवार के अगले कदम पर टिकी है। बता दें कि एक रैली के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने सवाल उठाया था कि क्या गंगा में पवित्र स्नान करने से देश में गरीबी समाप्त हो सकती है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था। उनका दावा था कि उन्होंने भाजपा नेताओं की आलोचना के लिए यह बयान दिया था।
उनके बयान के बीच इंडिया गठबंधन के सहयोगी अखिलेश यादव और उनकी पत्नी ने सबसे पहले कुंभ में स्नान किया। हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, उनके बेटे, राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट सहित कई कांग्रेसी स्नान करने के लिए प्रयागराज की यात्रा कर चुके हैं।
दिग्विजय और उनके बेटे, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और सचिन पायलट ने कुंभ में जाकर डुबकी लगा चुके है। इन सभी नेताओं को यह समझ है कि हिंदू आस्था एक ऐसा विषय है जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान जो गलती हुई थी, उस गलती को फिर से दोहराया नहीं जा सकता। बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को सरकारी आयोजन कहकर छोड़ दिया था। हालांकि पार्टी ने बाद में मंदिर जाने का दावा किया था, लेकिन अब तक कोई प्रमुख नेता अयोध्या में नहीं दिखाई दिए हैं।
कांग्रेस के सूत्र गांधी परिवार के महाकुंभ में जाने पर चुप हैं। 2001 में सोनिया गांधी को गंगा में पवित्र स्नान करते हुए देखा गया था। तब भाजपा उनके धर्म और उनकी जाति को लेकर सवाल उठाती थी। लेकिन ये भी सच हैं कि इंदिरा गांधी हिंदू थीं और हमेशा रुद्राक्ष पहनती थीं।
नई दिल्ली। भाजपा के प्रवेश वर्मा ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनावी अखाड़े में जबरदस्त पटकनी दी है। इससे भाजपा गदगद है और फूली नहीं समा रही है। अब संभावना जताई जा रही है कि वर्मा को बतौर मुख्यमंत्री इनाम मिल सकता है। लेकिन माना ये भी जा रहा है कि भाजपा कोई ऐसा नाम ला सकती है जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा।
ऐसा कहा जा रहा है कि नई दिल्ली सीट पर अरविंद केजरीवाल को पटखनी देने वाले प्रवेश वर्मा को भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इनाम दे सकता है और वह दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री बनने की रेस में सबसे आगे हैं। चुनाव नतीजों के तुरंत बाद प्रवेश वर्मा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने भी पहुंचे थे। इसके बाद वह भाजपा के कुछ नवनिर्वाचित विधायकों के साथ उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मिलने दिल्ली राज निवास भी पहुंचे थे।
हालांकि, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के मन में क्या चल रहा है इसका अनुमान लगाना हाल के वर्षों में राजनीतिक विश्लेषकों और पत्रकारों के लिए मुश्किल ही रहा है। पिछले कई मौकों पर ऐसा हुआ कि जब मीडिया में कुछ नामों की चर्चा होती रही है और भारतीय जनता पार्टी ने कोई अनजान चेहरा सामने करके सबको चौंका दिया है। हाल फिलहाल में जब मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की जीत हुई थी तो मीडिया में जाने पहचाने नामों की चर्चा मुख्यमंत्री पद के लिए हो रही थी. लेकिन बीजेपी ने तीनों ही राज्यों में ऐसे नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया, जिसका अनुमान कोई नहीं लगा सका था। छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने विष्णु देव साय, मध्य प्रदेश में मोहन यादव और राजस्थान में भजनलाल शर्मा को सरकार का नेतृत्व सौंपा।
भाजपा दिल्ली में आखिरी बार 1993 से 1998 के बीच सत्ता में थी। इस 5 साल की अवधि के दौरान, पार्टी ने 3 मुख्यमंत्री बनाए- मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज। दिल्ली में फिलहाल जिन नामों की चर्चा है, उनमें प्रवेश वर्मा के अलावा आरएसएस के खास अजय महावर, पूर्वांचली अभय वर्मा और पंकज सिंह सहित भाजपा के तीन बार के विधायक विजेंद्र गुप्ता और पूर्व एबीवीपी नेता और एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय शामिल हैं। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का नाम भी चर्चा में है। इस बारे में पूछे जाने पर सचदेवा ने कहा, भाजपा का कोई कार्यकर्ता ही दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री होगा और केंद्रीय नेतृत्व इसका फैसला करेगा।
पटना। राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी। इसकी 100 फीसदी गारंटी है। विपक्ष सिर्फ ख्याली पुलाव पका रहा है। दिल्ली के बाद अब बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में एनडीए ही सरकार ही बनाएगी।
सीएम नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के राजनीति में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। नीतीश मजबूती से अपना काम कर रहे हैं। प्रगति यात्रा के दौरान लोगों से मिल रहे हैं। दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। कुछ लोग इस यात्रा पर टिप्पणी कर रहे हैं। ऐसे लोगों के बारे में क्या कह सकते हैं।
वहीं, दिल्ली चुनाव परिणाम पर कुशवाहा ने कहा कि जनता ने बीजेपी को वोट दिया है। रिजल्ट पहले से पता था कि क्या आएगा। अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लोगों में गुस्सा था। उम्मीद के मुताबिक लोगों ने बीजेपी गठबंधन को वोट दिया। मणिपुर सीएम एन बीरेन सिंह के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि इस संबध में ज्यादा जानकारी नहीं है। विपक्ष का काम आरोप लगाना है। किसी पर कोई दवाब नहीं था। पार्टी का निर्देश मिला होगा, तब ही इस्तीफा दिया होगा।
नई दिल्ली। दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने सीएम आतिशी से कहा कि आपको यमुना मैया का श्राप लगा है, इसलिए आपकी पार्टी चुनाव हार गई। सूत्रों के मुताबिक एलजी सक्सेना ने ये बातें तब कहीं, जब आतिशी दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा देने उनके पास गई थीं।
सूत्रों के मुताबिक एलजी सक्सेना ने आतिशी से कहा कि उन्होंने उनके बॉस अरविंद केजरीवाल को यमुना के श्राप के बारे में चेतावनी दी थी, क्योंकि उन्होंने नदी की सफाई के लिए एक परियोजना को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। एलजी हाउस के सूत्रों के मुताबिक आतिशी ने एलजी की टिप्पणी का जवाब नहीं दिया। 2 साल पुराना विवाद जनवरी, 2023 में यमुना का प्रदूषण कम करने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एलजी की अध्यक्षता में एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी। जैसे ही कमेटी ने अपना काम शुरू किया, केजरीवाल ने अपना समर्थन जताया और सहायता की पेशकश कर दी थी।
हालांकि बाद में दिल्ली सरकार ने एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। दिल्ली सरकार के वकील ने तर्क दिया था कि एक डोमेन एक्सपर्ट को पैनल का नेतृत्व करना चाहिए। कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। यह रोक दो साल से ज्यादा समय से बरकरार है।
पेरिस । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री के सम्मान में फ्रांस सरकार ने 10 फरवरी को मशहूर एलिसी पैलेस में डिनर का आयोजन किया है। इसमें फ्रेंच प्रेसिडेंट मैक्रों समेत कुछ और देशों के नेता मौजूद होंगे। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा 2 दिनों का है। वे यहां एआई समिट में शामिल होंगे और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। इसके बाद वे 12 फरवरी को अमेरिका दौरे पर रवाना हो जाएंगे।
पीएम मोदी का यह सातवां फ्रांस दौरा है। पीएम इससे पहले 2023 में फ्रांस के राष्ट्रीय दिवस (बास्तिल डे) कार्यक्रम में शामिल होने गए थे।
पीएम मोदी ने बताया कि वह फ्रांस में पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास का मार्सिले शहर में उद्घाटन करेंगे और इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर परियोजना का दौरा करेंगे। इसके साथ ही वो पहले और दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान मारे गए भारतीय सैनिकों को मजारग्यूज युद्ध समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि देंगे।
उन्होंने अपनी यात्रा को भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर बताया। पीएम ने कहा कि अमेरिका दौरे पर दोनों देशों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देना एजेंडे में शामिल होगा।
नई दिल्ली। दिल्ली चुनाव में मतदान के बाद अब एक ही सवाल उठा रहा है कि आखिर मतदाताओं ने इस बार क्या खेला कर दिया है? वह भी इसलिए क्योंकि दिल्ली के मतदाताओं ने 2025 के इस चुनाव में जमकर मतदान किया है।
बता दें कि 5 फीसदी से ज्यादा बढ़ने पर सरकार बदल जाती है वहीं दिल्ली में 2003, 2008, 2013 और 2015 के विधानसभा चुनावों में वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई थी। 2003 में 4.43 फीसदी, 2008 में 4.1 फीसदी, 2013 में 8 फीसदी और 2015 में करीब 1.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी।
2013 छोड़ दिया जाए तो वोट प्रतिशत बढ़ने की वजह से कभी सरकार का उलटफेर नहीं हुआ। हालांकि सीटों की संख्या में जरूर कमी और बढ़ोतरी देखी गई। 2003 में 4.4 फीसदी वोट बढ़े तो सत्ताधारी कांग्रेस की सीटें 5 कम हो गई थी। 2008 में 4.1 फीसदी वोट बढ़े तो कांग्रेस की सीटों में 4 की कमी आई थी। 2013 में कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट गई। वोट बढ़ने का सीधा फायदा बीजेपी और नई-नवेली आम आदमी पार्टी को हुआ था। 2015 में 1.45 फीसदी की बढ़ोतरी हुई तो आप की सीटें बढ़कर 67 पर पहुंच गई थी।
इस बार यानी 2025 में जिस तरीके से वोट पड़े हैं, उससे आम आदमी पार्टी की सीटों की संख्या में कमी के संकेत मिल रहे हैं। दो दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने खुद 55 सीटों पर जीत का दावा किया था। 2020 में आप को दिल्ली की 62 सीटों पर जीत मिली थी।
अगर झारखंड और महाराष्ट्र पर नजर डाले तो यहां अलग ही गेम हुआ। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इन दोनों ही राज्यों के विधानसभा चुनाव के वोट फीसदी में बढ़ोतरी देखी गई। दिलचस्प बात है कि दोनों ही राज्यों में सत्ताधारी दल की वापसी हुई है। झारखंड में 2024 के चुनाव में 2019 के मुकाबले 3 फीसदी ज्यादा मतदान हुआ। यहां पर हेमंत सोरेन गठबंधन को 56 सीटों पर जीत हासिल हुई। 2024 में हेमंत गठबंधन के पास 47 सीटें थी।
इसी तरह महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में करीब 4 फीसदी ज्यादा वोट पड़े। 2019 में महाराष्ट्र में 62 फीसदी वोट पड़े थे। महाराष्ट्र में ज्यादा वोट का सीधा फायदा महायुति गठबंधन को हुआ। महायुति गठबंधन को विधानसभा चुनाव में 236 सीटों पर जीत हासिल हुई। महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। दोनों ही राज्यों में सत्ताधारी सरकार की वापसी की वजह महिला वोटर्स को माना गया। दिल्ली में भी महिलाओं के लिए कई लोक-लुभावन वादे किए गए हैं। माना जा रहा है अगर इन वादों का असर होता है तो इसका सीधा फायदा सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को होगा।
मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटरों का क्रेज सीलमपुर और मुस्तफाबाद में सबसे ज्यादा वोट डाले गए हैं। दोनों ही सीटों पर सुबह से मतदाताओं में वोट डालने का क्रेज दिखा। सीलमपुर और मुस्तफाबाद सीट पर पिछली बार आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी इस बार दोनों ही जगहों पर आप को तगड़ी चुनौती मिलती दिख रही है। मुस्तफाबाद सीट पर असदुद्दीन ओवैसी के उम्मीदवार ताहिर हुसैन मैदान में हैं। बीजेपी की तरफ से मोहन सिंह विष्ट चुनाव लड़ रहे हैं। आप ने यहां से पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे आदिल को मैदान में उतारा है। सीलमपुर में चौधरी मतीन अहमद के बेटे चौधरी जुबेर उम्मीदवार हैं। यहां से बीजेपी ने अनिल गौर और कांग्रेस ने अब्दुल रहमान को टिकट देकर मैदान में उतारा है।
नई दिल्ली । कांग्रेस नेता राहुल गांधी 18 जनवरी को संविधान सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने पटना पहुंचे थे, और अब 5 फरवरी को जगलाल चौधरी जयंती में शामिल होने पटना पहुंचे थे। दरअसल एक छोटे से अंतराल पर राहुल गांधी का बिहार बार-बार जाना इसलिए भी दिलचस्प हो गया हैं, क्योंकि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का जो स्टैंड रहा है, बिहार चुनाव तक इंडिया ब्लॉक का मामला बहुत टिकाऊ नहीं लगता। जगलाल कांग्रेस के दलित नेता रहे हैं, और उनके नाम पर कांग्रेस का बिहार में कार्यक्रम कराना, और उसमें भी दिल्ली से पटना पहुंचकर राहुल गांधी का शामिल होना, यूं ही नहीं सकता। दरअसल साफ है कांग्रेस की नजर दलित वोटर पर है, और ये सब दलित वोट बैंक को साधने के लिए हो रहा है। ओबीसी वोट के लिए जातिगत जनगणना की मुहिम, राहुल गांधी पहले ही चला ही रहे हैं। क्योंकि राहुल गांधी की मुहिम का असर भी देखने को मिला है, अगर ऐसा नहीं होता तब संसद में ही राहुल गांधी के बयान का समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव संसद में ही जवाब क्यों देते। दिल्ली चुनाव में भी कांग्रेस का खास जोर दलित और मुस्लिम वोटर पर दिखाई दिया है।
देखने वाली बात ये हैं कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे में ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी का मामला है, लेकिन कांग्रेस हाल फिलहाल जिस रणनीति पर चल रही है, वहां मौजूदा राजनीतिक समीकरणों से दो कदम आगे की बात लगती है। अब कांग्रेस क्षेत्रीय दलों का पिछलग्गू बनने के बजाय अपने दम पर खड़े होने की कोशिश में जुटी है। क्षेत्रीय दलों की तरफ से बार बार कांग्रेस नेतृत्व को सलाह मिलाती रहती है कि वे ड्राइविंग सीट पर काबिज होने की कोशिश छोड़ दे। ड्राइविंग सीट कांग्रेस क्षेत्रीय दलों के हवाले कर दे, लेकिन राहुल क्षेत्रीय दलों की विचारधारा को ही खारिज कर देते हैं, और कांग्रेस की बराबरी में खड़े होने ही नहीं देना चाहते। अब ऐसा लगाता है कि बिहार में भी दिल्ली की ही तरह कांग्रेस अपने दम पर लड़ेगी और तेजस्वी यादव की आरजेडी को ममता बनर्जी और अखिलेश यादव दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तरह समर्थन दे सकते हैं। आखिर इंडिया ब्लॉक में ममता बनर्जी को लालू यादव का सपोर्ट, और राहुल गांधी का बिहार की जातिगत गणना को फर्जी करार देना कुछ न कुछ असर कमाल करेगा।
अखिलेश प्रसाद सिंह जब से बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, कांग्रेस के भीतर ही उनका काफी विरोध देखने में मिल रहा है। कई नेता साथियों के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले जाने की तोहमत भी उनके ही माथे मढ़ रहे हैं। लेकिन, जरूरी नहीं कि ये चीजें उनके लिए नुकसानदेह भी साबित हों।
कोलकाता । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार से पश्चिम बंगाल के दौरे पर आ रहे है। यहां वे संगठनात्मक मुद्दों और संगठन के भविष्य पर पदाधिकारियों संग विचार मंथन करने वाले है। नेताओं ने बताया कि कोलकाता में पहले पांच दिनों के दौरान भागवत आरएसएस नेताओं और स्थानीय लोगों संग बैठक करने वाले है। संघ प्रमुख की बैठक में संगठन के ढांचे को मजबूत करने पर चर्चा होगी। 11 फरवरी को भागवत दक्षिण बंगाल के जिलों का दौरा फिर से शुरू करने से पहले एक ब्रेक लेने वाले है। आरएसएस के एक नेता ने कहा, भागवत बर्धमान सहित कई जिलों का दौरा करने वाले है। जहां 16 फरवरी को उनकी एकमात्र रैली होने की उम्मीद है। वे क्षेत्रीय आरएसएस नेताओं, स्थानीय कार्यकर्ताओं और बर्धमान और आसपास के क्षेत्रों के प्रमुख लोगों से भी मिलने वाले है। संघ प्रमुख की यात्रा देशभक्ति, आत्मनिर्भरता, पारिवारिक मूल्यों, पर्यावरण संरक्षण और परिवार-उन्मुख प्रथाओं के माध्यम से समाजीकरण जैसे मूल्यों को स्थापित करने पर केंद्रित होगी।
आरएसएस महासचिव जिष्णु बसु ने बताया कि भागवत केरल से राज्य में आएंगे। बसु ने कहा, 7-10 फरवरी तक भागवत दक्षिण बंग क्षेत्र में आरएसएस पदाधिकारियों से बातचीत करने वाले है। इसमें पूर्व-पश्चिम मेदिनीपुर, हावड़ा, कोलकाता और उत्तर-दक्षिण 24 परगना शामिल हैं। 13 फरवरी को वह मध्यबंग क्षेत्र में जाएंगे, जिसमें बांकुरा, पुरुलिया, बीरभूम, पूर्व-पश्चिम बर्धमान और नादिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके बाद 14 फरवरी को मध्यबंग में एक नए आरएसएस कार्यालय का उद्घाटन होगा। भागवत 16 फरवरी को बर्धमान के एसएआई परिसर में आरएसएस पदाधिकारियों के एक सम्मेलन में भी भाग लेने का कार्यक्रम है।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन को साकार करते हुए देश आत्मनिर्भर भारत बनेगा और हर प्रचारक उस लक्ष्य को साकार करने के लिए काम करेगा। हर प्रचारक पौधों की रक्षा के लिए काम करेगा, हर प्रचारक पर्यावरण को बेहतर बनाने और आसपास की सफाई करने, दूसरों को सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के लिए मना करने की दिशा में काम करेगा। हम इन संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के तरीकों पर भागवत से दिशा-निर्देश मांगेंगे।
यात्रा के राजनीतिक महत्व पर बसु ने दो टूक कहा कि संघ एक राजनीतिक संगठन नहीं है। उन्होंने कहा कि यात्रा और संबंधित बैठकें, जिन्हें आरएसएस शब्दावली में प्रभास कहा जाता है, पहले से ही योजनाबद्ध थीं और उनका उद्देश्य विशेष रूप से आगामी 2026 के राज्य विधानसभा चुनावों को प्रभावित करना नहीं था।
नई दिल्ली । दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग संपन्न हो चुकी है। वोटिंग के बाद कई एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल्स जारी किए हैं। इसमें ज्यादातर एग्जिट पोल्स में बीजेपी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। आम आदमी पार्टी पहले ही इन एग्जिट पोल्स को नकार चुकी है। अब कांग्रेस का भी मानना हैं कि आप को एग्जिट पोल्स में कम आंका जा रहा है। नई दिल्ली सीट से कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि एग्जिट पोल्स ठीक हैं, एग्जिट पोल आप को कम आंक रहे हैं।
कांग्रेस नेता दीक्षित ने कहा, अगर एग्जिट पोल पर यकीन किया जाए, तब ठीक है कि उनकी सरकार बन रही है, लेकिन मुझे लगाता की पोल आप को कम आंक रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि अगर रुझान वैसा ही रहा जैसा दिखाया जा रहा है, तब उनकी स्थिति इतनी खराब होगी।
बता दें कि दिल्ली चुनाव के लिए कई एजेंसियों के एग्जिट पोल के भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है।
बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार ने बड़ा खेल कर दिया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि सीएम सिद्दारमैया कितने दिनों तक सीएम की कुर्सी पर रह पाएंगे? पूरे देश में कांग्रेस की मात्र तीन राज्यों में सरकार है। उसमें सबसे बड़ा कर्नाटक है यहां 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद से ही सीएम की कुर्सी को लेकर झगड़ा चल रहा है।
सीएम सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच लड़ाई किसी से छिपी नहीं है। केंद्रीय नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद राज्य में सत्ता के बंटवारे का फॉर्मूला तय हुआ था। डीके शिवकुमार खेमा दावा करता है कि ढाई-ढाई साल के रोटेशनल सीएम का फॉर्मूला तय किया गया था। इस कारण बीते कुछ दिनों से डीके शिवकुमार खेमा बार-बार सीएम की कुर्सी पर अपना दावा कर रहा है।
इस बीच सीएम सिद्दारमैया के राजनीतिक सलाहकार और वरिष्ठ नेता बीआर पाटिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे राज्य कांग्रेस के बीच जारी तकरार फिर सामने आई है। पाटिल को सीएम सिद्दारमैया खेमा का नेता माना जाता है। वह उनके खास करीबी हैं, लेकिन राज्य में कांग्रेस के कई खेमों में बंटे होने की वजह से उनके लिए कैबिनेट में जगह नहीं बन सकी है। पिछले माह ही सिद्दारमैया खेमे के नेताओं ने एक डिनर पार्टी रखी थी। इसके बाद यह ताजा राजनीतिक संकट पैदा हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों का दावा है कि पाटिल का इस्तीफा सीधे तौर पर सिद्दारमैया और डीके शिवकुमार के बीच टकराव का नतीजा नहीं है। पाटिल कलाबुरगी जिले के अलांद से चार बार के विधायक हैं। उन्होंने सरकार और पार्टी में उचित महत्व नहीं मिलने के कारण इस्तीफा दिया है। इस क्षेत्र में डीके का कुछ खास प्रभाव नहीं है। कलाबुरगी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का क्षेत्र है। यहीं से खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं, लेकिन पाटिल और प्रियांग खड़गे का रिश्ते अच्छे नहीं है। यही कारण है कि एक वरिष्ठ नेता होने के बावजूद सिद्दारमैया सरकार में पाटिल को जगह नहीं मिली है।
सूत्रों का कहना है कि पाटिल सरकार और प्रशासन में अपनी सीमित भूमिका की वजह से नाखुश थे। सीएम सिद्दारमैया भी उनके कोई खास राजनीतिक सलाह मशविरा नहीं कर रहे थे। अब पाटिल के इस्तीफे के बाद कर्नाटक कांग्रेस में तकरार सामने आ गई है। ऐसे में देखना होगा कि पहले ही तकरार और खेमाबंदी की शिकार पार्टी आगे क्या फैसला लेती है।