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जेपी नड्डा ने हेमंत सोरेन सरकार को बताया चोरों की सरकार

रांची । झारखंड बनाने का श्रेय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयीजी को है। आज हम ये कह सकते हैं कि बनाया भी हमने है, संवारा भी हमने है और आगे भी हम ही संवारेंगे। यह बात झारखंड की बगोदर विधानसभा में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कही। नड्डा ने कहा कि एनडीए और भाजपा को छोड़कर कोई भी झारखंड के हितैषी नहीं है। जिस समय झारखंड बनाने के लिए आंदोलन चल रहा था, तो कांग्रेस के लोग टालमटोल कर रहे थे। लालू यादव ने कहा था कि मेरी लाश पर झारखंड बनेगा। लालू जी, आप जिंदा भी हैं और झारखंड भी विराजमान है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड को मुख्यधारा में लाने का काम नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किया है। भगवान बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को आदिवासी गौरव दिवस बनाने का काम किया। उन्होंने कहा कि हमारे झारखंड के वीर वीरांगनाओं ने इतिहास में भी अंग्रेजों के राज या अन्य के अत्याचारी राज को उखाड़ फेंका था। अब समय आ गया है कि यही वीर वीरांगनाएं इस बार झारखंड से जेएमए-कांग्रेस और आरजेडी को उखाड़ फेंकेंगे और भाजपा-एनडीए की सरकार बनाएंगे। नड्डा ने कहा कि जहां जेएमए, आरजेडी और कांग्रेस हैं, वहां भ्रष्टाचार है, भाई-भतीजावाद है, परिवारवाद है। ये आपके हक को लूटने वाले लोग हैं। हेमंत सोरेन की सरकार चोरों की सरकार है। ये जनता हकों और हितों पर डाका डालने वाली सरकार है। इसलिए इनको घर भेजना जरूरी है।


मोदीजी ने 4 करोड़ लोगों को दिया पक्का मकान
उन्होंने कहा कि मोदीजी ने 4 करोड़ लोगों को पक्के मकान देने का काम किया है। इनमें से झारखंड में 18 लाख मकान बने हैं, जिनमें से 21 हजार मकान गिरिडीह जिले में बने हैं। अब मोदी जी को आपने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाया है, इस बार पहली कैबिनेट में ही मोदी जी ने तय किया है कि हम 3 करोड़ पक्के घर और बनाकर देंगे, ताकि कोई भी कच्चे मकान में न सोए। नड्डा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने झारखंड को 5 नए मेडिकल कॉलेज दिए हैं।

 


मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बाकी हैं, और चुनावी प्रचार ने जोर पकड़ लिया है। इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बंटोगे तो कटोगे नारा राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ले आया है। योगी ने आरोप लगाया कि रजाकारों ने कांग्रेस अध्यक्ष के परिवार को निशाना बनाया था और उनकी मां, चाचा और चाची को जला दिया था। उनका यह आरोप एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा है, जब हैदराबाद में निजाम के खिलाफ भारत सरकार के सैनिकों ने कार्रवाई की थी और रजाकारों ने हिंदुओं का कत्लेआम किया था।
रजाकार निजाम के निजी सैनिक थे, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारतीय संघ में विलय के खिलाफ हिंसा फैलायी थी। 1948 में जब सरदार पटेल ने हैदराबाद में सैन्य हस्तक्षेप का आदेश दिया, तो रजाकारों ने व्यापक हिंसा की और हजारों निर्दोष लोगों को मारा। सीएम योगी का आरोप है कि कांग्रेस अध्यक्ष खरगे का परिवार भी इस हिंसा का शिकार हुआ था, हालांकि कांग्रेस की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह घटना 1948 के बाद की है, जब भारत के कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाके हैदराबाद राज्य का हिस्सा थे। रिपोर्टों के मुताबिक, रजाकारों ने बिदर जिले के गोर्ता गांव में 200 से अधिक लोगों को मारा था और उनका शव लक्ष्मी मंदिर में जलाया था। यह घटना मल्लिकार्जुन खरगे के परिवार से जुड़ी बताई जाती है, लेकिन अब तक इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है। यह विवाद राजनीतिक मैदान में और भी गर्मा गया है, और अब यह देखना होगा कि कांग्रेस इस आरोप पर किस तरह प्रतिक्रिया देती है। बता दें कि योगी के नारे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य में एक नया नारा दिया, एक हैं तो सेफ है, जो योगी के नारे से मिलता-जुलता है। इस पर राजनीति गरमा गई, और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए उन्हें आतंकवादियों जैसी भाषा बोलने का आरोप लगाया। खरगे का कहना था कि योगी भगवा वस्त्र पहनते हैं लेकिन उनकी भाषा बहुत ही घातक और हिंसक है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी भाषा तो आतंकवादी ही बोलते हैं। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कांग्रेस अध्यक्ष के बयान को नकारात्मक बताया। इस बयानबाजी के बीच सीएम योगी ने मल्लिकार्जुन खरगे पर एक नया आरोप लगाया है, जिससे कांग्रेस पूरी तरह बैकफुट पर आ गई है।


मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बारामती सीट इस समय सबसे ज्यादा चर्चा में है। इस सीट पर शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच सीधी प्रतिस्पर्धा हो रही है, लेकिन अब यह लड़ाई इमोशनल मोड़ पर पहुंच गई है। शरद पवार ने अपनी पत्नी प्रतिभा पवार को भी अपने पोते युगेंद्र पवार के लिए चुनावी मैदान में उतार दिया है, जो इस परिवार के लिए एक ऐतिहासिक पल है क्योंकि यह पहली बार है जब शरद पवार की पत्नी किसी चुनावी अभियान का हिस्सा बनी हैं। बारामती में शरद पवार और अजीत पवार के बीच सत्ता की जंग काफी गहरी हो गई है। अजीत पवार और युगेंद्र पवार, जो उनके सगे भतीजे हैं, एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। यह मुकाबला पवार परिवार की प्रतिष्ठा के लिए अहम है।
शरद पवार खुद चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं और अपनी पत्नी प्रतिभा पवार ने भी युगेंद्र पवार के लिए घर-घर जाकर प्रचार करना शुरू कर दिया है। इस चुनावी माहौल में शरद पवार ने अजीत पवार को खुली चुनौती दी है। अजीत पवार ने कन्हेरी गांव में अपनी उम्मीदवारी दाखिल करते हुए शक्ति प्रदर्शन किया, जबकि शरद पवार गुट के उम्मीदवार युगेंद्र पवार ने भी अपनी उम्मीदवारी दाखिल की। इस बार शरद पवार खुद युगेंद्र पवार के साथ थे, और कन्हेरी गांव से पवार परिवार ने चुनाव प्रचार की शुरुआत की। चुनाव प्रचार के इस दौर में शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार ने भी सक्रिय भूमिका निभाई है। मंगलवार को उन्होंने पश्चिमी क्षेत्र का दौरा किया और कई बैठकें आयोजित कीं। यह पहली बार था जब प्रतिभा पवार ने किसी उम्मीदवार के लिए प्रचार किया था, और यह उनकी उपस्थिति चर्चा का विषय बन गई। इससे पहले उन्होंने कभी चुनावी प्रचार में भाग नहीं लिया था, लेकिन एनसीपी में फूट के बाद उनकी सक्रियता ने राजनीति में हलचल मचा दी है।
अजीत पवार ने एक इंटरव्यू में प्रतिभा पवार की मौजूदगी पर सवाल उठाया और कहा कि वह पिछले 40 सालों से घर-घर प्रचार नहीं करती थीं, लेकिन अब क्यों घर-घर जाकर प्रचार कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा, क्या आप मुझे हरवाओगी? यह बयान पवार परिवार के भीतर के रिश्तों और आंतरिक संघर्ष को उजागर करता है। बारामती विधानसभा क्षेत्र में चाचा-भतीजे के बीच इस कांटे की लड़ाई पर सभी की नजरें टिकी हैं, और आगामी चुनाव परिणाम इस परिवार के भविष्य को निर्धारित करेंगे।

 

 

मुंबई । शिवसेना (उद्धव ) ने चुनाव से पहले सामना अखबार में एक विज्ञापन जारी किया है जिसमें लिखा है, मशाल आएगा, महाराष्ट्र में कुटुंब प्रमुख का नेतृत्व आएगा। इस विज्ञापन में उद्धव ठाकरे को कुटुंब प्रमुख के रूप में दिखाया गया है, जिससे साफ होता है कि उनकी पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी जता रही है। इससे महाविकास अघाड़ी के अंदर मतभेद और बढ़ने की संभावना है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए उनकी पार्टी के चुनाव चिन्ह मशाल पर निशाना साधा और कहा कि यह मशाल केवल लोगों के घरों में आग लगाने का काम कर रही है। शिंदे ने यह भी आरोप लगाया कि शिवसेना (उद्धव ठाकरे) मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, जो जल्द ही टूट सकता है। शिंदे का बयान ठाकरे की पार्टी और उनके चुनावी रणनीति पर एक सीधा हमला था।

 

खूंटी । कांग्रेस पार्टी के नेताओं द्वारा आये दिन जातिगत जनगणना कराने की मांग की जाती है। जातिगत आरक्षण के नाम पर कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है। झारखंड में तेजी से सांप्रदायिकता का अंधेरा पांव पसार रहा है। बता दूं कि साल 2011 में एक सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना हुआ था जिसमें करीब 46 लाख जातियां, उपजातियां और गोत्र निकल कर आये थे। यह संख्या इतनी विशाल थी कि रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई। यह बात झारखंड के खूंटी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने सवाल किया कि जाति का पिटारा खोल कर कांग्रेस क्या करना चाहती है और किसका आरक्षण काटना चाहती है। राजनाथ ने कहा कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष खड़गेजी से पूछना चाहता हूं कि हजारों लाखों की संख्या में जो जातियां है उनके कल्याण के लिए उनको आरक्षण देने के लिए आपके पास क्या ब्लू प्रिंट है, क्या रोड मैप है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि आप अलग-अलग जातियों के लिये आरक्षण के लिए क्या व्यवस्था करेंगे। जब तक ये जवाब न दें तब तक इनको समर्थन नहीं दिया जाना चाहिये। भाजपा नेता ने कहा कि झारखंड में अवैध घुसपैठिए आ गये हैं। हालात इतने ख़राब हैं कि स्कूलों में सरस्वती वंदना तक पर रोक लगानी पड़ी है। अब यहां तीज-त्योहारों में भी पत्थरबाजी की घटनायें होने लगी हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ पूरे देश में प्रभावी कारवाई की जिसके परिणामस्वरूप झारखंड समेत देश के अधिकांश जिलों में से नक्सली हिंसा लगभग समाप्त हो गई है।    

कैमूर। मेरी पार्टी की गलती की वजह से हम दूसरी ओर चले गए थे। अब कहीं नहीं जाएंगे। बीजेपी के साथ मिलकर काम करते रहेंगे। यह बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कैमूर के रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी अशोक सिंह के लिए वोट मांगते हुए कही। उन्होंने कहा कि 2005 से पहले बिहार में लोग घरों से बाहर नहीं निकलते थे। अब देख लीजिए। सब कुछ बदल गया है। पिछले चुनाव 2020 में 10 लाख नौकरी देने का वादा किया था। लगातार नौकरी दे रहे हैं। नियोजित शिक्षक नियमित शिक्षक बन गए। पंचायती राज संस्था और नगर निकाय में महिलाओं की भागीदारी 50 प्रतिशत कर दी। बिहार पुलिस में 35 फीसदी महिलाओं को आरक्षण दिया है। उन्होंने कहा कि गांव- गांव की महिलाओं को विश्व बैंक से लोन लेकर समूह बनाया। आज दस लाख सहायता समूह हैं। एक करोड़ जीविका दीदी हैं। हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। मंदिरों के साथ कब्रिस्तानों की घेराबंदी की।


उपचुनाव में जेडीयू की खास तैयारी
बिहार विधानसभा उपचुनाव को लेकर जेडीयू की ओर से खास तैयारी की गई है। नीतीश कुमार लगातार दो दिनों तक सभी चारों सीट पर एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा करेंगे। इस दौरान नीतीश कुमार के साथ पार्टी के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा और जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी सभा में एक- एक दिन मौजूद रहेंगे। 10 नवंबर को मुख्यमंत्री दो अन्य विधानसभा सीटों का दौरा करेंगे। उनकी पहली सभा इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में होगी। इस सीट पर जीतन राम मांझी विधायक थे। उनके सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई है। यहां हो रहे उपचुनाव में मांझी की बहू दीपा मांझी चुनाव लड़ रही हैं।


चुनावी रैली में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने लगाए एनसीपी प्रमुख पर आरोप

मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार पर हमला बोला। राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि शरद पवार ने 1999 से महाराष्ट्र में जातिवाद की राजनीति को बढ़ावा दिया और समाज में नफरत फैलाने का काम किया है। यह बयान ठाकरे ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए दिया।
राज ठाकरे ने कहा कि शरद पवार ने महाराष्ट्र में जातिवाद की राजनीति की नींव रखी। उनका आरोप था कि पवार ने राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए जातिवाद का सहारा लिया और समाज में घृणा और विवाद फैलाने के लिए जाति आधारित राजनीति की। राज ठाकरे के मुताबिक पहले ब्राह्मणों और मराठा समुदाय के बीच जातिगत तनाव पैदा किया और अब मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच जातिवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
राज ठाकरे ने कहा कि शरद पवार का उद्देश्य महाराष्ट्र में सामाजिक ध्रुवीकरण को बढ़ाना था ताकि वह अपनी राजनीतिक ताकत को मजबूत कर सकें। ठाकरे ने कहा कि पवार ने सत्ता में बने रहने के लिए राज्य के विभिन्न समुदायों के बीच संघर्ष और नफरत पैदा की, जिससे महाराष्ट्र में सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की राजनीति महाराष्ट्र की समृद्धि के लिए खतरा है।
राज ठाकरे ने जातिवाद की राजनीति को खत्म करने की जरुरत बताई और कहा कि महाराष्ट्र में सभी वर्गों को समान अधिकार मिलने चाहिए। उनका कहना था कि समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पवार और उनकी पार्टी ने जातिवाद को एक राजनीतिक उपकरण बना लिया है, जिससे समाज में बंटवारा और नफरत फैलती है, और यह राज्य की सामाजिक संरचना को कमजोर कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के सभी वर्गों को समान अधिकार मिलना चाहिए और जातिवाद की राजनीति का अंत होना चाहिए। बता दें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होना है, और परिणाम 23 नवंबर को आएंगे।

 


अजीत पवार बोले- विधायकों ने शरद पवार को लिखा था पत्र, मांगी भी अनुमति

मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा पूरी तरह चढ़ गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एक बड़ा खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने अपने चाचा और वरिष्ठ नेता शरद पवार के साथ संबंधों और एनसीपी में विभाजन पर खुलकर बताया। अजित पवार ने कहा कि उन्होंने चाचा शरद पवार से अलग होने का फैसला खुद नहीं किया, बल्कि यह फैसला विधायकों के समर्थन से लिया गया था। उन्होंने बताया कि सभी विधायकों ने शरद पवार को पत्र लिखकर यह कदम उठाने की इजाजत मांगी थी।
अजित पवार ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य महायुति (बीजेपी और सहयोगियों दल का गठबंधन) के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना है और उनकी नजर एनसीपी के अपने गुट की स्थिति मजबूत करने पर है। उन्होंने सीएम बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को लेकर कहा कि इस समय इस मुद्दे पर ज्यादा बात करना ठीक नहीं है, क्योंकि इससे गठबंधन में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
एनसीपी का विभाजन के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिसमें शरद पवार और अजित पवार का गुट अलग-अलग चुनावी मोर्चे पर है। 2019 के विधानसभा चुनाव में शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन इस बार अजित पवार अपने गुट को मजबूत करने के लिए मैदान में हैं। उनके नेतृत्व में पिछले लोकसभा चुनाव में एनसीपी केवल एक सीट ही जीत पाई थी, जबकि शरद पवार के गुट ने आठ सीटें जीती थीं।
यह चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि एनसीपी और शिवसेना में विभाजन के बाद यह पहला चुनाव है, जो महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अजित पवार के इस खुलासे ने महाराष्ट्र की राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में उनके इस कदम का क्या असर होता है।

गठबंधन धर्म का नहीं किया पालन

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी आलाकमान से पार्टी नेताओं की शिकायत की है। उन्होंने शिकायत में कहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा नेता गठबंधन धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। भाजपा नेताओं ने मांग शुरू कर दी है कि शिंदे को राज के बेटे अमित के लिए सीट छोडऩी चाहिए। शिंदे ने पहले ही माहिम सीट पर अपना कैंडिडेट उतार दिया है, जहां से शिंदे के मौजूदा विधायक हैं। माहिम सीट से मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित ठाकरे को उम्मीदवार बनाया है। नारायण राणे और आशीष शेलार जैसे भाजपा नेताओं ने कहा था कि शिंदे को अपने उम्मीदवार सदा सरवणकर का नाम वापस ले लेना चाहिए और अमित ठाकरे का समर्थन करना चाहिए।


शिंदे पर बरसे राज ठाकरे
जब शिंदे नहीं झुके तो राज ठाकरे ने शिंदे के खिलाफ खुला बयान दिया और खास तौर पर 2022 में पार्टी तोडऩे और बाल ठाकरे का नाम और चुनाव चिन्ह चुराने को लेकर उन पर हमला किया। इसके बाद शिंदे ने तय किया कि यह ठीक नहीं है, इसलिए भाजपा नेताओं द्वारा शिंदे से अपना उम्मीदवार वापस लेने की मांग के बावजूद वे नहीं माने। बाद में भाजपा नेताओं के सुर बदल गए और अब उनका कहना है कि सदा सर्वणकर महायुति के उम्मीदवार हैं। ये भी कहा जा रहा है कि शिंदे शिवसेना ने सुझाव दिया था कि अमित ठाकरे को भांडुप से चुनाव लडऩा चाहिए, जहां महायुति का कोई मौजूदा विधायक नहीं है। हालांकि, राज ठाकरे ने फैसला किया कि अमित को अपने गृह क्षेत्र से चुनाव लडऩा चाहिए, जहां उनका निवास है। इसके अलावा, पड़ोसी निर्वाचन क्षेत्र शिवड़ी में भाजपा और शिंदे मनसे उम्मीदवार का समर्थन करेंगे।


शिकायत के बाद बदले सुर
मुख्यमंत्री शिंदे की शिकायत के बाद भाजपा नेताओं ने सुर बदल लिया और कहा कि अब एकनाथ शिंदे के उम्मीदवार, सदा सर्वणकर ही महायुति के आधिकारिक उम्मीदवार हैं। अगर कोई अन्य फैसला होता है, तो वह महायुति के टॉप नेताओं द्वारा तय किया जाएगा।


मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इस कवायद के पूरे होने के साथ ही तमाम सीटों पर चेहरे भी तय हो गए हैं। नाम वापसी के अंतिम दिन राज्य के दोनों प्रमुख गठबंधनों - महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के कई बागियों ने अपना नामांकन वापस लिया। हालांकि, कई सीटों पर अभी भी दिनों के लिए चुनौती बरकरार है। नामांकन की प्रक्रिया पूरी से यह भी तय हो गया कि किस पार्टी ने कितने उम्मीदवार उतारे और किसके कितने बागी खड़े हो गए हैं। महायुति और एमवीए के लिए बागी सिर दर्द बने हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना ने चेतावनी के बाद पांच बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उधर महायुति के दलों ने भी नाम वापस न लेने पर कार्रवाई की चेतावनी दी है।


सत्ताधारी महायुति के लिए कहां-कहां बगावत
नंदुरबार जिले के अक्कलकुवा में पूर्व भाजपा सांसद हीना गावित निर्दलीय मैदान में हैं। यहां शिंदे गुट की अम्शिया पडवी महायुति के आधिकारीक उम्मीदवार हैं। गावित की उम्मीदवारी ने महायुति के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है। माहिम से चुनाव लड़ रहे शिवसेना के विधायक सदा सरवणकर को भाजपा की तरफ से सीट छोडऩे का दवाब था। सरवणकर एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे के बेटे अमित के खिलाफ खड़े हैं। सरवणकर ने अपना आवेदन बरकरार रखा है। इस सीट पर भाजपा ने अमित ठाकरे का समर्थन करने की बात कही है।

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