राजनीति

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नई दिल्ली । पीएम मोदी कुवैत के अमीर महामहिम शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के निमंत्रण पर 21-22 दिसंबर 2024 को कुवैत का दौरा करेंगे। यह 43 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कुवैत की पहली यात्रा होगी।यात्रा के दौरान पीएम कुवैत के नेतृत्व के साथ चर्चा करेंगे। पीएम मोदी कुवैत में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत और कुवैत के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, जो इतिहास में निहित हैं और आर्थिक संबंधों और लोगों के बीच मजबूत संबंधों से मजबूत हुए हैं। भारत कुवैत के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से एक है और भारतीय समुदाय देश में सबसे बड़ा प्रवासी समूह है।” इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करना है। यह यात्रा भारत और कुवैत के बीच बहुआयामी संबंधों को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी। बता दें कि हाल ही में कुवैत के विदेश मंत्री अब्दुल्ला अली अल-याह्या ने भारत का दौरा किया और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ चर्चा की। यात्रा के दौरान, विदेश मंत्रालय ने कुवैती मंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि इस बैठक से भारत और कुवैत के बीच बहुआयामी संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा। दोनों देशों ने विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक संयुक्त सहयोग आयोग (जेसीसी) की स्थापना के लिए बुधवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए।


नई दिल्ली। लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दूसरे दिन डीएमके सांसद ए. राजा के बयान पर विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने सत्ता पक्ष एनडीए के नेताओं को ‘खराब तत्व’ कहा, इस पर बीजेपी के नेताओं ने कड़ी नाराजगी जाहिर कर हंगामा किया। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सवाल उठाकर कहा कि वे हमें ‘खराब तत्व’ कैसे कह सकते हैं?”
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने ए. राजा से उनकी टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग की। कार्यवाहक अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने कहा कि इस टिप्पणी को हटा दिया गया है।
डीएमके सांसद राजा ने कहा कि दो-राष्ट्र सिद्धांत की शुरुआत 1947 में मुहम्मद अली जिन्ना ने नहीं, बल्कि हिंदुत्व के आइकॉन वीर सावरकर ने 1924 में की थी। उनके बयान के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया। उन्होंने सवाल उठाया कि, “संविधान के निर्माण में आरएसएस का क्या योगदान है?” डीएमके नेता राजा ने बीजेपी नेताओं पर संविधान में बदलाव की कोशिश करने का आरोप भी लगाया।
उनके इन बयानों पर एनडीए नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया देकर माफी की मांग की। केंद्रीय मंत्री जोशी ने कहा कि चुनाव से पहले भी कहा गया था कि अगर बीजेपी को 400 सीटें मिलती हैं, तब वे संविधान में बदलाव करने और भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने वाले है। वह अपनी बात को प्रमाणित करें। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई।

 


नई दिल्ली। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को एक अहम बैठक की है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की गई है। इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए थे। किसान आंदोलन के बीच पीएम मोदी के सक्रिय होने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र बहुत जल्द किसानों को लेकर कोई बड़ी घोषणा करने जा रही है। वहीं पंजाब सरकार ने भी किसानों की मांगों को केंद्र तक पहुंचाने की बात कही है। इन सब से किसानों को भी उम्मीद बंधी है कि केंद्र को बड़ी घोषणा कर सकती है।

डल्लेवाल की हालत गंभीर
यहां बताते चलें कि किसान नेता जगजीत डल्लेवाल 20 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। उनकी हालत गंभीर होने पर सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरी मदद के निर्देश दिए थे। रविवार को केंद्रीय गृह निदेशक मयंक मिश्रा ने खनौरी बॉर्डर पर किसानों से मुलाकात की है। मिश्रा ने कहा कि किसानों की मांगों की जानकारी केंद्र को भेजी जाएगी, लेकिन वार्ता के प्रस्ताव से इनकार कर दिया है। डीजीपी गौरव यादव ने डल्लेवाल की जान को अहम बताते हुए कहा है कि सभी के साथ समन्वय कर बातचीत का माहौल बनाया जा रहा है।

 

नई दिल्ली। संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बोल रहे थे। इस मौके पर जहां विपक्ष कई बार टोका टाकी और कमेंट के साथ शोर भी बीच बीच में मचाता रहा, वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी पूरे तल्लीनता से पीएम मोदी को सुनती रहीं। जबकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से सदन में फोन का उपयोग न करने की अपील की। यह अनुरोध उन्होंने उस समय की जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संविधान को अंगीकार किए जाने की 75वीं वर्षगांठ पर हो रही बहस को संबोधित कर रहे थे। राहुल गांधी सदन में विपक्षी खेमे की तरफ अगली पंक्ति में बैठे थे। वह अक्सर अपने फोन पर ध्यान दे रहे थे और दूसरे नेताओं से बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा ध्यान से प्रधानमंत्री का भाषण सुन रही थीं। उन्होंने हेडफोन लगाकर पीएम मोदी की बातों को ध्यानपूर्वक सुना। वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रधानमंत्री मोदी के आधे घंटे के भाषण के बाद ही सदन में लौटे। लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल गांधी को सदन के बीच में फोन का उपयोग न करने की सलाह दी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘खून चखने के बाद संविधान को बार-बार ‘लहूलुहान किया जबकि 2014 में सत्ता संभालने के बाद से उनकी सरकार की नीतियों और फैसलों का उद्देश्य संविधान की दृष्टि के अनुरूप भारत की ताकत और एकता को बढ़ावा देना है। उन्होंने भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को ‘असाधारण’ करार दिया और विपक्ष, खासकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि इस दौरान 55 साल ‘एक ही परिवार’ ने राज किया, जिसने देश का संविधान छिन्न-भिन्न करते हुए आपातकाल लगाया, अदालत के पंख काट दिए और संसद का गला घोंटने तक का काम किया।

 

 

अब लोकसभा के शीतकालीन सत्र में नहीं होगा पेश

नई दिल्ली। देश में वन नेशन, वन इलेक्शन की बीते कुछ दिनों से खूब चर्चा है। इससे जुड़े दो विधेयक सोमवार को लोकसभा में भी पेश किया जाने वाला था। अब बताया जा रहा है कि दोनों विधेयक सोमवार को लोकसभा में पेश नहीं किए जाएंगे। संशोधित कार्यसूची से बिल को हटा दिया या है।इससे पहले शुक्रवार को जारी की गई कार्यसूची में कहा गया था कि बिल को सोमवार को लोकसभा में रखा जाएगा। अभी कारण स्पष्ट नहीं कि सरकार ने सोमवार को बिल न लाने का फैसला क्यों किया और अब किस दिन लाया जाएगा। हालांकि, लोकसभा का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।

सरकार ने बिल लाने में की देरी
सरकार ने वन नेशन, वन इलेक्शन पर आधारित विधेयकों को लोकसभा में पेश करने में डिले कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक, ये विधेयक वित्तीय व्यवसाय के पूरा होने के बाद सदन में लाए जा सकते हैं। पहले ये विधेयक, संविधान (129वां संशोधन) विधेयक और संघ शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, सोमवार को लोकसभा में पेश किए जाने के लिए लिस्ट किए गए थे। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी संशोधित सूची में इन विधेयकों को सोमवार के एजेंडे में शामिल नहीं किया गया है। हालांकि, लोकसभा स्पीकर की इजाजत के बाद सरकार बिल को सप्लीमेंट्री लिस्टिंग के माध्यम से सदन में आखिरी समय में भी पेश कर सकती है।

पटना। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि देश के उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। चिराग पासवान ने अपने एक्स पर पोस्ट पर लिखा कि देश के महामहिम उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। विपक्ष द्वारा पुनः एकबार सदन की गरिमा को गिराने का प्रयास किया गया। एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अनादर करना विपक्षी दलों की पहचान रही है।केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक किसान परिवार से आने वाले व्यक्ति भारत के उपराष्ट्रपति के पद पर आसीन है, ये हमसब देशवासियों के लिए गर्व की बात है। ऐसे में उनका अपमान कतई उचित नहीं है। जिन्हें देश की जनता कई बार नकार चुकी है, उनके द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाना बेहद हास्यास्पद है। विपक्ष पहले भी इन सब मुद्दों से देश का ध्यान भटकाने का प्रयास कर चुका है।

 

जयपुर । मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अमर जवान ज्योति पर आयोजित ‘रन फॉर विकसित राजस्थान’ को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे युवा देश की धरोहर हैं। जब युवा आगे बढ़ेंगे, तो देश-प्रदेश आगे बढ़ेगा। युवाओं की ऊर्जा, जोश एवं प्रतिभा ही राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि हम सभी की भागीदारी से विकसित भारत एवं विकसित राजस्थान का सपना साकार होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आयोजित ‘रन फॉर विकसित राजस्थान’ की यह दौड़ हमारी एकजुटता, दृढ़ संकल्प और राज्य के विकास की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि युवा सशक्त होंगे तो राजस्थान सशक्त होगा। इसी लक्ष्य के साथ प्रदेश में अब से हर वर्ष 12 दिसम्बर को ‘रन फॉर विकसित राजस्थान’ का आयोजन किया जाएगा, जिससे युवाओं को राज्य की प्रगति में भागीदार बनने की प्रेरणा मिले। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का मानना है कि भारत के भविष्य का मार्ग अब बड़े सपनों, बड़े संकल्पों की सिद्धि का है। आज विकसित भारत का निर्माण ही हर देशवासी का ध्येय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के इसी ध्येय को अपना संकल्प बनाकर हमारी सरकार काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी। प्रधानमंत्री ने यह करके दिखाया है। यह सदी भारत की है, भारत के युवाओं की है। शर्मा ने कहा कि राज्य के खिलाडिय़ों ने विभिन्न खेलों में कई बार राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पदक प्राप्त किए हैं। इस बार पेरिस पैरालंपिक में हमारे प्रदेश के खिलाडिय़ों ने स्वर्ण, कांस्य सहित कुल 3 पदक जीते। हमारी सरकार खिलाडिय़ों को अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं विकसित कर रही है। उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान समिट के दौरान भी खेलों के लिए 15 हजार करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित हुए हैं, जिससे युवाओं को खेलों में और आगे बढऩे के अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा टारगेट ओलम्पिक पोडियम स्कीम से ओलम्पिक में भाग लेने वाले 50 प्रतिभाशाली युवाओं को विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। साथ ही, राजस्थान में खेलो इंडिया राष्ट्रीय यूथ गेम्स-2026 का आयोजन होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार खेल एवं युवा नीति लाने, महाराणा प्रताप खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने सहित खेलों के विकास की विभिन्न कार्य कर रही है। खेल एवं युवा मामलात मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़ ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने फिट इंडिया, योग दिवस, श्री अन्न, स्वच्छ भारत जैसे अभियानों के माध्यम से युवाओं को फिट, स्वस्थ, स्वच्छ रहने की दिशा दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राजस्थान में युवाओं के लिए बहुत काम हो रहा है। आगामी 5 सालों में 4 लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी तथा राइजिंग राजस्थान के माध्मय से प्राइवेट सेक्टर में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

नई दिल्ली। दिल्ली की आप सरकार महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए देगी। इस योजना को महिला सम्मान योजना नाम दिया गया है। 18 साल की उम्र पूरी करने वाली हर महिला इस स्कीम के दायरे में आएगी। दिल्ली के पूर्व सीएम और आम आदमी पार्टी के नेशनल कन्वीनर अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को इस स्कीम का ऐलान किया। उन्होंने कहा योजना के लिए आज से ही रजिस्ट्रेशन शुरू किए जा रहे हैं। केजरीवाल ने यह भी कहा कि चुनाव के बाद महिलाओं को हर महीने मिलने वाली रकम को बढ़ाकर 2100 कर दिया जाएगा।


रजिस्ट्रेशन शुरू, चुनाव के बाद राशि बढ़ाकर 2100 कर दी जाएगी
इससे पहले केजरीवाल ने ऑटो चालकों के लिए भी घोषणाएं की हैं। इसके अनुसार ऑटो चालक की बेटी की शादी के लिए एक लाख रुपए दिए जाएंगे। होली-दीवाली पर वर्दी बनवाने के लिए ढाई-ढाई हजार रुपए देंगे। दस लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस, पांच लाख का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस कराया जाएगा। ऑटो चालकों के बच्चों की कोचिंग के लिए पैसा दिया जाएगा। आप सरकार की यह पांच गारंटी क्या असर डालती है यह आगामी विधानसभा चुनावों में ही नजर आएगा।

 

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार पर चर्चा के लिए सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार को साथ दिल्ली आना था। लेकिन फडणवीस और पवार ही रवाना हुए। दोनों नेताओं ने दिल्ली आकर कई लोगों से मुलाकात की। अमित शाह और जेपी नड्डा से भी मुलाकात हुई है। आज अजित से भी अलग से शाह मिल रहे हैं। वहीं डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में ही हैं और वे दिल्ली नहीं आए। यहां तक कि अपने ठाणे स्थित घर पर ही रहे। इसके बाद कयास हैं कि शिंदे क्या फिर से नाराज हैं और विरोध दर्ज करने के लिए ही वे दिल्ली नहीं गए।


नेताओं के बीच कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर बात हुई
इस बीच शाह से फडणवीस की लंबी मुलाकात हुई। कहा जा रहा है कि वहां बैठे-बैठे ही फडणवीस ने शिंदे को फोन किया। इसके बाद दोनों नेताओं के बीच कैबिनेट विस्तार और विभागों के बंटवारे को लेकर बात हुई। इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले को शिंदे के आवास पर भेजा गया था। उन्होंने ही शिंदे से बात करावा दी थी। सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे को गृह मंत्रालय भले ही नहीं मिल रहा है, लेकिन उन्हें पीडब्ल्यूडी और राजस्व मंत्रालय देकर खुश करने की कोशिश हो रही है।


जानकारी नहीं है कि शिंदे का रुख क्या है
यही ऑफर शाह के पास बैठे फडणवीस ने फोन पर दिया। फिलहाल यह जानकारी नहीं है कि शिंदे का रुख क्या है। लेकिन उनके रुख से साफ है कि वह सहज नहीं हैं। अजित और फडणवीस एक साथ ही गए और दोनों के बीच अच्छी जुगलबंदी दिख रही है। बताया जा रहा शिंदे की असहजता की वजह यही है कि अजित फायदे में हैं। उन्हें लगता है कि शिवसेना को अजित पवार के मुकाबले ज्यादा मंत्री मिलने चाहिए। अब तक की जानकारी के अनुसार भाजपा अपने पास 20 से 22 विभाग रखना चाहती है। इसके अलावा शिवसेना और एनसीपी को 10-10 मंत्रालय देने को तैयार है। लेकिन शिंदे गुट का कहना है कि हमारे पास करीब 12 विभाग होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हम बड़ी पार्टी हैं और भाजपा के पुराने साथी हैं। इस रस्साकशी के बीच अजित सबसे ज्यादा फायदे में दिख रहे हैं। वे एकनाथ शिंदे सरकार में बीच में आकर शामिल हुए थे और अब भाजपा के काफी करीब हो गए हैं।

 


कोल्हापुर। एनसीपी (शरद गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद अपने सहयोगी नेताओं की हौंसला अफजाई की है। शरद पवार ने कहा कि विपक्ष को अपनी हार पर निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के पास जाना चाहिए जो महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत से उत्साहित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की प्राथमिकता तय करना होगी कि सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा किए गए सभी चुनावी वादों को जल्द से जल्द लागू किया जाए, जिसमें लाडकी बहिण योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता 1500 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए करना शामिल है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त मतों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है।
पवार ने कहा कि यह सच है कि हम हार गए हैं। हमें इस पर चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि लोगों के पास जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव परिणामों को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। उनमें नाराजगी नजर आ रही है। बता दें कि सत्तारूढ़ बीजेपी-राकांपा-शिवसेना गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में 288 में से 230 सीटें जीतीं हैं। शरद पवार ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष की ताकत कम है, लेकिन कई युवा विपक्षी विधायक एक-दो सत्रों के बाद अपनी क्षमता दिखाएंगे।
पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा डाले गए वोटों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 80 लाख वोट हासिल किए और 15 सीटें जीतीं, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 79 लाख वोट हासिल कर 57 सीटों पर विजयी हुई। शरद पवार ने कहा कि अजित पवार की एनसीपी ने 58 लाख वोट हासिल किए और 41 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (एसपी) ने 72 लाख वोट प्राप्त कर केवल दस सीटें जीतीं हैं।
वहीं, महाराष्ट्र में नई सरकार के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वरिष्ठ नेता होने के नाते शरद पवार को देश को गुमराह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप हार स्वीकार करते हैं तो आप इससे बाहर निकल आएंगे। मैं आपसे अपने सहयोगियों को आत्मनिरीक्षण की सलाह देने की उम्मीद करता हूं। फडणवीस ने कहा कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 1,49,13,914 वोट हासिल किए हैं और नौ सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 96,41,856 वोट हासिल कर 13 सीटें जीतीं थीं। एमवीए गठबंधन चुनाव में हार से न हो निराश, जनता के बीच जाएं
-वरिष्ठ नेता शरद पवार ने अपने सहयोगियों का बढ़ाया हौंसला
कोल्हापुर,(ईएमएस)। एनसीपी (शरद गुट) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद अपने सहयोगी नेताओं की हौंसला अफजाई की है। शरद पवार ने कहा कि विपक्ष को अपनी हार पर निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि उन लोगों के पास जाना चाहिए जो महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति की भारी जीत से उत्साहित नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष की प्राथमिकता तय करना होगी कि सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा किए गए सभी चुनावी वादों को जल्द से जल्द लागू किया जाए, जिसमें लाडकी बहिण योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली वित्तीय सहायता 1500 रुपए से बढ़ाकर 2100 रुपए करना शामिल है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त मतों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है।
पवार ने कहा कि यह सच है कि हम हार गए हैं। हमें इस पर चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि लोगों के पास जाना चाहिए, क्योंकि चुनाव परिणामों को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। उनमें नाराजगी नजर आ रही है। बता दें कि सत्तारूढ़ बीजेपी-राकांपा-शिवसेना गठबंधन ने विधानसभा चुनावों में 288 में से 230 सीटें जीतीं हैं। शरद पवार ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष की ताकत कम है, लेकिन कई युवा विपक्षी विधायक एक-दो सत्रों के बाद अपनी क्षमता दिखाएंगे।
पवार ने आगे कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा डाले गए वोटों और जीती गई सीटों के बीच तुलना आश्चर्यजनक है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 80 लाख वोट हासिल किए और 15 सीटें जीतीं, जबकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 79 लाख वोट हासिल कर 57 सीटों पर विजयी हुई। शरद पवार ने कहा कि अजित पवार की एनसीपी ने 58 लाख वोट हासिल किए और 41 सीटें जीतीं, जबकि एनसीपी (एसपी) ने 72 लाख वोट प्राप्त कर केवल दस सीटें जीतीं हैं।
वहीं, महाराष्ट्र में नई सरकार के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि वरिष्ठ नेता होने के नाते शरद पवार को देश को गुमराह नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर आप हार स्वीकार करते हैं तो आप इससे बाहर निकल आएंगे। मैं आपसे अपने सहयोगियों को आत्मनिरीक्षण की सलाह देने की उम्मीद करता हूं। फडणवीस ने कहा कि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 1,49,13,914 वोट हासिल किए हैं और नौ सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 96,41,856 वोट हासिल कर 13 सीटें जीतीं थीं।

 

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